वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1. केन्द्रीय बैंक का प्रमुख निर्देशक सिद्धान्त है।
(अ) लाभ कमाना
(ब) सम्पूर्ण देश का हित
(स) साधारण बैंकिंग कार्य करना
(द) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 2. केन्द्रीय बैंक का कार्य है।
(अ) नोट निर्गमन
(ब) बैंकों का बैंक
(स) सरकार का बैंकर
(द) ये सभी
प्रश्न 3. बैंक दर में वृद्धि करने से
(अ) साख का विस्तार होता है।
(ब) साख का संकुचन होता है।
(स) साख निर्माण पूर्ववत् रहता है।
(द) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 4. बैंकों को तरल कोष रखने होते हैं।
(अ) केन्द्रीय बैंक के पास
(ब) अपने पास
(स) सरकार के पास
(द) इनमें से किसी के पास नहीं
प्रश्न 5. बैंक दर का अभिप्राय है।
(अ) बैंक ब्याज दर से
(ब) विनिमय दर से
(स) रिजर्व बैंक की दर से
(द) बाजार दर से
प्रश्न 6. चयनात्मक साख नियन्त्रण से आशय है।
(अ) विभिन्न क्षेत्रों में उदार साख नीति अपनाने से
(ब) विभिन्न क्षेत्रों में कठोर साख नीति अपनाने से
(स) आवश्यकतानुसार अलग-अलग क्षेत्र में अलग नीति से
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं
प्रश्न 7. गुणात्मक साख नियन्त्रण की विधियों में शामिल है।
(अ) साख को राशनिंग
(ब) प्रचार
(स) नैतिक दबाव
(द) ये सभी
प्रश्न 8. भारत में मुद्रा एवं साख पर नियन्त्रण रखता है।
(अ) भारतीय स्टेट बैंक
(ब) पंजाब नेशनल बैंक
(स) भारतीय रिजर्व बैंक
(द) सहकारी बैंक
प्रश्न 9. मौद्रिक नीति के उपकरण है।
(अ) बैंक दर
(ब) नकद कोषानुपात
(स) वैधानिक कोषानुपात
(द) ये सभी
प्रश्न 10. निम्न में से कौन-सा साख नियन्त्रण का परिमाणात्मक उपाय नहीं है?
(अ) बैंक दर
(ब) खुले बाजार की क्रियाएँ
(स) नैतिक दबाव
(द) नकद कोषानुपात
प्रश्न 11. रिजर्व बैंक की स्थापना हुई थी
(अ) सन् 1935 में
(ब) सन् 1947 में
(स) सन् 1951 में
(द) सन् 1971 में
प्रश्न 12. रिजर्व बैंक का राष्ट्रीयकरण हुआ था
(अ) सन् 1935 में
(ब) सन् 1947 में
(स) सन् 1949 में
(द) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 13. भारत में रिजर्व बैंक का स्वामित्व है।
(अ) अंशधारियों का
(ब) सरकार का
(स) व्यापारिक बैंकों को
(द) इनमें से किसी को नहीं
प्रश्न 14. रिजर्व बैंक का प्रधान कार्यालय स्थित है।
(अ) नई दिल्ली में
(ब) कोलकाता में
(स) मुम्बई में
(द) चेन्नई में
प्रश्न 15. रेपो रेट एवं रिवर्स रेपो रेट का निर्धारण किया जाता है।
(अ) स्टेट बैंक द्वारा
(ब) रिजर्व बैंक द्वारा
(स) व्यापारिक बैंकों द्वारा
(द) सरकार द्वारा
प्रश्न 16. बैंक दर से क्या तात्पर्य है।
(अ) जिस पर व्यापारिक बैंक उधार देते हैं।
(ब) जिस दर पर केन्द्रीय बैंक व्यापारिक बैंकों के बिलों की पुनर्कटौती करता है।
(स) महाजनों द्वारा बैंकों को जिस दर पर उधार दिया जाता है।
(द) बैंक जनता को जिस दर पर उधार देता है।
प्रश्न 17. निम्नलिखित में से कौन-सा साख नियन्त्रण का गुणात्मक उपाय नहीं है?
(अ) साख राशनिंग
(ब) नैतिक दबाव
(स) खुले बाजार की क्रियाएँ
(द) प्रत्यक्ष कार्यवाही
प्रश्न 18. केन्द्रीय बैंक का निम्न में से कौन-सा प्रमुख कार्य है?
(अ) नोट निर्गमन करना
(ब) जनता से सीधा धन जमा करना
(स) जनता को ऋण देना।
(द) उपर्युक्त सभी
प्रश्न 19. भारत का केन्द्रीय बैंक है –
(अ) भारतीय स्टेट बैंक
(ब) भारतीय रिजर्व बैंक
(स) यूनियन बैंक
(द) सिंडीकेट बैंक
प्रश्न 20. एक रुपये के नोट पर किसके हस्ताक्षर होते हैं?
(अ) गवर्नर
(ब) प्रधानमंत्री
(स) वित्त सचिव
(द) वित्त मंत्री
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. रेपो रेट’ क्या है?
उत्तर: यह वह ब्याज की दर होती है जिस पर रिजर्व बैंक व्यापारिक बैंकों को अल्पकालीन ऋण प्रदान करता है।
प्रश्न 2. रिवर्स रेपो रेट’ क्या है?
उत्तर: यह वह ब्याज की दर है जिस पर रिजर्व बैंक व्यापारिक बैंकों से अल्पकालीन ऋण लेता है।
प्रश्न 3. वैधानिक तरलता अनुपात’ क्या होता है?
उत्तर: व्यापारिक बैंकों को अपनी जमाओं का एक निश्चित प्रतिशत अपने पास तरल रूप में रखना वैधानिक रूप से अनिवार्य होता है, इसे ही वैधानिक तरलता अनुपात कहते हैं।
प्रश्न 4. नकद कोषानुपात क्या है?
उत्तर: सभी सदस्य बैंकों को रिजर्व बैंक के पास अपनी जमाओं का एक निर्धारित प्रतिशत जमा करना होता है, इस प्रतिशत को ही नकद कोषानुपात कहते हैं।
प्रश्न 5. नकद कोषानुपात में वृद्धि कब की जाती है?
उत्तर: जब केन्द्रीय बैंक साख का संकुचन करना चाहता है।
प्रश्न 6. वैधानिक कोषानुपात बढ़ने से साख पर क्या असर होता है?
उत्तर: साख का निर्माण कम होता है।
प्रश्न 7. भारत में रिजर्व बैंक की स्थापना किस वर्ष में हुई थी?
उत्तर: सन् 1935 में हुई थी।
प्रश्न 8. रिजर्व बैंक का सर्वोच्च अधिकारी कौन होता है?
उत्तर: रिजर्व बैंक का सर्वोच्च अधिकारी गवर्नर होता है।
प्रश्न 9. भारतीय रिजर्व बैंक के केन्द्रीय निदेशक मण्डल में कितने सदस्य होते हैं?
उत्तर: भारतीय रिजर्व बैंक के केन्द्रीय निदेशक मण्डल में 20 सदस्य होते हैं।
प्रश्न 10. भारतीय रिजर्व बैंक के निदेशक मण्डल में कितने उप-गर्वनर होते हैं?
उत्तर: भारतीय रिजर्व बैंक के निदेशक मण्डल में 4 उप-गवर्नर होते हैं।
प्रश्न 11. मौद्रिक नीति से क्या आशय है?
उत्तर: मुद्रा एवं साख की मात्रा का नियमन एवं नियन्त्रण करने की नीति को मौद्रिक नीति कहते हैं।
प्रश्न 12. केन्द्रीय बैंक के दो प्रमुख कार्य बताइए।
उत्तर: केन्द्रीय बैंक के दो प्रमुख कार्य हैं –
1.
मुद्रा निर्गमन
2.
बैंकों के बैंक के रूप में कार्य करना।
प्रश्न 13. केन्द्रीय बैंक के दो प्रमुख उद्देश्य बताइए।
उत्तर:
1.
बैंकिंग प्रणाली में लोगों का विश्वास बनाये रखना।
2.
जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा करना।
प्रश्न 14. केन्द्रीय बैंक एवं व्यापारिक बैंकों में दो अन्तर बताइए।
उत्तर:
1.
केन्द्रीय बैंक लाभ के दृष्टिकोण से कार्य नहीं करता जबकि व्यापारिक बैंक लाभ के दृष्टिकोण से कार्य करते हैं।
2.
केन्द्रीय बैंक जनता से जमाएँ स्वीकार नहीं करता है जबकि व्यापारिक बैंक जनता से जमाएँ स्वीकार करते हैं।
प्रश्न 15. साख नियन्त्रण का एक उद्देश्य बताइए।
उत्तर: साख नियन्त्रण का उद्देश्य व्यापार चक्रों (Business
Cycles) पर रोक लगाना है।
प्रश्न 16. खुले बाजार की क्रियाओं से क्या आशय है?
उत्तर: केन्द्रीय बैंक द्वारा सरकारी प्रतिभूतियों को बाजार में खरीदने-बेचने को ही खुले बाजार की क्रियाएँ कहा जाता है।
प्रश्न 17. साख की राशनिंग से क्या आशय है?
उत्तर: केन्द्रीय बैंक द्वारा भिन्न-भिन्न क्षेत्रों के लिए साख की अधिकतम सीमा निर्धारित कर देना साख की राशनिंग कहलाता है।
प्रश्न 18. रिजर्व बैंक द्वारा नोट जारी करने के लिए कौन-सी प्रणाली अपनायी जाती है?
उत्तर: रिजर्व बैंक द्वारा नोट निर्गमन हेतु न्यूनतम कोष प्रणाली को अपनाया गया है।
प्रश्न 19. भारतीय रिजर्व बैंक के स्थानीय मण्डलों की संख्या बताइए।
उत्तर: भारतीय रिजर्व बैंक के 4 स्थानीय मण्डल हैं जो मुम्बई, कोलकत्ता, चेन्नई एवं नई दिल्ली में स्थित है।
प्रश्न 20. भारत में मौद्रिक नीति का क्रियान्वयन कौन करता है?
उत्तर: भारत में मौद्रिक नीति का क्रियान्वयन भारतीय रिजर्व बैंक करता है।
प्रश्न 21. भारतीय रिजर्व बैंक के निदेशक मण्डल में कितने गैर-सरकारी निदेशक होते हैं?
उत्तर: भारतीय रिजर्व बैंक के निदेशक मण्डल में 12 गैर-सरकारी निदेशक होते हैं।
प्रश्न 22. बैंकों के बैंकर के रूप में रिजर्व बैंक क्या कार्य करता है?
उत्तर: रिजर्व बैंक व्यापारिक बैंकों के अन्तिम ऋणदाता के रूप में कार्य करता है, उन्हें समाशोधन की सुविधा देता है।
प्रश्न 23. रिजर्व बैंक द्वारा नोट जारी करने के लिए न्यूनतम कोष प्रणाली के अन्तर्गत कितना कोष रखा जाता है?
उत्तर: रिजर्व बैंक ₹ 200 करोड़ का कोष रखता है जिससे ₹ 115 करोड़ का सोना तथा ₹ 85 करोड़ की विदेशी प्रतिभूतियाँ रखी जाती हैं।
प्रश्न 24. अमेरिका के केन्द्रीय बैंक का क्या नाम है?
उत्तर: अमेरिका के केन्द्रीय बैंक का नाम फेडरल रिजर्व बैंक है।
प्रश्न 25. भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना किस अधिनियम के अन्तर्गत की गई थी?
उत्तर: भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम 1934 के प्रावधानों के अनुसार की गई थी।
प्रश्न 26. “संसार में तीन महान आविष्कार हुए है-आग, चक्र एवं केन्द्रीय बैंकिंग।” यह किसका कथन है?
उत्तर: यह कथन बिल रोजर्स ने कहा है।
प्रश्न 27. भारतीय रिजर्व बैंक के वर्तमान समय में गवर्नर कौन हैं?
उत्तर: भारतीय रिजर्व बैंक के वर्तमान गवर्नर उर्जित पटेल हैं।
प्रश्न 28. क्या रिजर्व बैंक का जनता से सीधा सम्बन्ध होता है?
उत्तर: नहीं, रिजर्व बैंक का जनता से सीधा सम्बन्ध नहीं होता है।
प्रश्न 29. भारत में मुद्रा का निर्गमन कौन करता है?
उत्तर: भारत में एक रुपये के नोट का निर्गमन भारत सरकार के वित्त सचिव के हस्ताक्षर से तथा अन्य बड़े नोटों का निर्गमन रिजर्व बैंक द्वारा होता है।
प्रश्न 30. भारत में न्यूनतम कोष प्रणाली को कब अपनाया गया?
उत्तर: भारत में न्यूनतम कोष प्रणाली को 6 अक्टूबर, 1956 को अपनाया गया।
प्रश्न 31. केन्द्रीय बैंक की परिभाषा लिखिए।
उत्तर: केन्द्रीय बैंक देश का शीर्षस्थ बैंक होता है जो मुद्रा निर्गमन एवं साख नियन्त्रण का कार्य करता है।
प्रश्न 32. बैंक देर से क्या अभिप्राय है?
उत्तर: बैंक दर वह ब्याज दर होती है जिस पर केन्द्रीय बैंक अपने व्यापारिक बैंकों को ऋण उपलब्ध कराता है।
प्रश्न 33. साख की राशनिंग से आप क्या समझते हैं?
उत्तर: साख की रोशनिंग का आशय केन्द्रीय बैंक द्वारा भिन्न-भिन्न क्षेत्रों के लिए साख की अधिकतम सीमा के निर्धारण से है।
प्रश्न 34. भारत के केन्द्रीय बैंक का नाम लिखिए।
उत्तर: भारत के केन्द्रीय बैंक का नाम ‘भारतीय रिजर्व बैंक है।
प्रश्न 35. भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी एक मासिक बुलेटिन का नाम लिखिए।
उत्तर: आर.बी.आई. बुलेटिन (RBI Bulletin)
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. केन्द्रीय बैंक की स्थापना का ऐतिहासिक परिचय संक्षेप में दीजिए।
उत्तर: केन्द्रीय बैंक की स्थापना का श्रीगणेश सत्रहवीं शताब्दी में हुआ जब संसार का पहला केन्द्रीय बैंक सन् 1656 में स्वीडन में स्थापित हुआ। इसके बाद सन् 1664 में बैंक ऑफ इंग्लैण्ड की स्थापना हुई। बैंक ऑफ इंग्लैण्ड को केन्द्रीय बैंकों की जननी कहा जाता है क्योंकि अन्य बैंक इसी की नीतियों पर चले। 1800 में फ्रांस में, 1856 में नीदरलैण्ड में, 1869 में रूस में तथा 1875 में जर्मनी में केन्द्रीय बैंक स्थापित हुए। भारत में इसकी स्थापना रिजर्व बैंक के रूप में सन् 1935 में हुई।
प्रश्न 2. केन्द्रीय बैंक की परिभाषा दीजिए।
उत्तर: केन्द्रीय बैंक किसी भी देश का शीर्षस्थ बैंक होता है जो मुद्रा एवं साख का नियमन एवं नियन्त्रण करता है। इसकी प्रमुख परिभाषाएँ निम्न हैं –
1.
प्रो. हाटे (Hawtrey) के अनुसार, “केन्द्रीय बैंक बैंकों का बैंक है क्योंकि यह अन्य बैंकों के लिए अन्तिम ऋणदाता का कार्य करता है।”
2.
प्रो. शॉ (Shaw) के अनुसार, “केन्द्रीय बैंक देश में साख मुद्रा पर नियन्त्रण रखने वाला बैंक है।”
3.
ए.सी. एल डे (ACL De) के अनुसार, “केन्द्रीय बैंक वह बैंक है जो मौद्रिक एवं बैंकिंग प्रणाली को नियन्त्रित एवं स्थिर करने में सहायक होता है।”
प्रश्न 3. केन्द्रीय बैंक की स्थापना की आवश्यकता क्यों होती है?
उत्तर: केन्द्रीय बैंक की स्थापना की आवश्यकता निम्न कारणों से होती है –
1.
पुत्र मुद्रा के निर्गमन के लिए।
2.
साख मुद्रा पर नियन्त्रण के लिए।
3.
सरकारी बैंकर के रूप में कार्य करने के लिए।
4.
व्यापारिक बैंकों पर नियन्त्रण व उन्हें आर्थिक सहायता प्रदान करने के लिए।
5.
मौद्रिक नीति की सफलता के लिए।
प्रश्न 4. केन्द्रीय बैंक एवं व्यापारिक बैंक में चार अन्तर बताइए।
उत्तर: केन्द्रीय बैंक एवं व्यापारिक बैंक में अन्तर
1.
केन्द्रीय बैंक का लाभार्जन उद्देश्य नहीं होता है जबकि व्यापारिक बैंकों का उद्देश्य लाभार्जन होता है।
2.
देश में केन्द्रीय बैंक एक होता है जबकि व्यापारिक बैंक अनेक होते हैं।
3.
केन्द्रीय बैंक मौद्रिक नीति बनाता है जबकि व्यापारिक बैंक उसका पालन करते हैं।
4.
केन्द्रीय बैंक साख का निर्माण एवं नियन्त्रण दोनों कार्य करता है जबकि व्यापारिक बैंक साख निर्माण का ही कार्य करते हैं।
प्रश्न 5. केन्द्रीय बैंक बैंकों का बैंक किस प्रकार होता है?
उत्तर: केन्द्रीय बैंक बैंकों का बैंक इसलिए कहलाता है क्योंकि यह उनके अन्तिम ऋणदाता के रूप में कार्य करता है। अन्य बैंकों को केन्द्रीय बैंक के निर्देशानुसार कार्य करना होता है। सभी बैंकों के खाते केन्द्रीय बैंक में होते हैं। बैंकों को अपनी जमाओं के निश्चित प्रतिशत कोष केन्द्रीय बैंक के पास रखने होते हैं।
प्रश्न 6. केन्द्रीय बैंक सरकार के बैंकर के रूप में क्या कार्य करता है?
उत्तर: केन्द्रीय बैंक सरकार की ओर से भुगतान करता है तथा सरकार के लिए भुगतान प्राप्त करता है। यह सरकार को आवश्यकता पड़ने पर ऋण भी प्रदान करता है तथा वित्तीय मामलों में परामर्श देने का कार्य भी करता है। यह सार्वजनिक ऋणों की व्यवस्था करता है तथा सरकारी प्रतिभूतियों के क्रय-विक्रय का कार्य करता है।
प्रश्न 7. केन्द्रीय बैंक के साख नियन्त्रण कार्य को संक्षेप में बताइए।
उत्तर: केन्द्रीय बैंक का एक महत्वपूर्ण कार्य साख मुद्रा पर नियन्त्रण रखना है। यह व्यापारिक बैंकों की साख सृजन शक्ति को नियन्त्रित करता है जिससे देश में व्यापार चक्रों को रोका जा सके क्योंकि व्यापार चक्र बाजार व्यवस्था पर बुरा प्रभाव डालते हैं।
प्रश्न 8. ‘न्यूनतम कोष प्रणाली’ क्या है?
उत्तर: न्यूनतम कोष प्रणाली पत्र मुद्रा निर्गमन की एक विधि है। इसमें देश का केन्द्रीय बैंक पत्र मुद्रा जारी करते समय शत प्रतिशत धातु कोष न रखकर एक निश्चित मात्रा में कोष रखता है और उसके आधार पर कितनी ही मात्रा में पत्र मुद्रा जारी कर सकता है। हमारे देश में रिजर्व बैंक द्वारा इसी के आधार पर है ₹ 200 करोड़ का कोष रखकर (₹ 115 करोड़ का सोना तथा ₹ 85 करोड़ की विदेशी प्रतिभूतियाँ) पत्र मुद्रा जारी की जाती है।
प्रश्न 9. केन्द्रीय बैंक को विनिमय कोषों का संरक्षक क्यों कहा जाता है?
उत्तर: केन्द्रीय बैंक विदेशी विनिमय कोषों के संरक्षक के रूप में कार्य करता है। देश को विदेशी व्यापार, विदेशी ऋणों तथा अनुदान के रूप में जो भी विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है, उसे यह अपने पास सुरक्षित रखता है तथा विदेशी भुगतानों के लिए विदेशी मुद्रा उपलब्ध कराता है। यह सरकार के लिए भी आवश्यक विदेशी मुद्रा का प्रबन्ध करता है।
प्रश्न 10. केन्द्रीय बैंक किस प्रकार बैंक दर द्वारा साख निर्माण को प्रभावित करता है?
उत्तर: केन्द्रीय बैंक, बैंक दर में परिवर्तन करके अपने नियन्त्रण के बैंकों की ऋण देने की क्षमता को प्रभावित करता है। जब देश में साख की मात्रा कम करनी होती है तो केन्द्रीय बैंक, बैंक दर को बढ़ा देता है जिसके फलस्वरूप व्यापारिक बैंकों के लिए केन्द्रीय बैंक से मिलने वाले ऋण महँगे हो जाते हैं। इस कारण उनकी साख निर्माण की क्षमता कम हो जाती है। जब साख निर्माण को बढ़ाना होता है तो केन्द्रीय बैंक, बैंक दर को घटा देता है जिससे व्यापारिक बैंकों को कम ब्याज पर ऋण मिलने लगते हैं और उन साख सृजन क्षमता बढ़ जाती है।
प्रश्न 11. खुले बाजार की क्रियाएँ क्या होती हैं?
उत्तर: केन्द्रीय बैंक द्वारा सरकारी प्रतिभूतियों को खरीदने-बेचने के कार्य को ही खुले बाजार की क्रियाएँ कहते हैं। इन क्रियाओं द्वारा केन्द्रीय बैंक साख का नियमन करता है। जब साख का विस्तार करना होता है तो वह बैंकों से सरकारी प्रतिभूतियाँ खरीदने लगता है जिससे बैंकों के पास नकद कोष बढ़ जाते हैं और वे ज्यादा ऋण देने में समर्थ हो जाते हैं। इसी प्रकार साख की मात्रा को कम करने के लिए केन्द्रीय बैंक, बैंकों को सरकारी प्रतिभूतियाँ बेचने लगता है जिससे उनके पास नकद कोष कम हो जाते हैं और उनकी ऋण देने की क्षमता कम हो जाती हैं।
प्रश्न 12. नकद कोषानुपात (CRR) तथा वैधानिक तरल कोषानुपात (SLR) में क्या अन्तर है?
उत्तर: नकद कोषानुपात वह प्रतिशत है जिसके आधार पर बैंक अपनी जमाओं का अंश केन्द्रीय बैंक के पास अनिवार्य रूप से रखते हैं जबकि वैधानिक तरल कोषानुपात वह प्रतिशत है जिसके आधार पर बैंकों को अपनी कुल सम्पत्ति का एक हिस्सा अपने पास तरल रूप में रखना होता है जिससे वह ग्राहकों द्वारा माँग करने पर आसानी से उनकी माँग जमाओं का भुगतान कर सके।
प्रश्न 13. नकद कोषानुपात एवं वैधानिक तरलतानुपात द्वारा साख पर किस प्रकार नियन्त्रण किया जाता है?
उत्तर: जब केन्द्रीय बैंक को देश में साख का विस्तार करना होता है तो वह इन दोनों अनुपातों में कमी कर देता है जिससे बैंकों के पास ऋण देने के लिए ज्यादा कोष उपलब्ध हो जाते हैं। इसके विपरीत जब केन्द्रीय बैंक को साख निर्माण में कमी करनी होती है तो वह इन अनुपातों को बढ़ा देता है। ऐसा करने से बैंकों की ऋण देने की क्षमता कम हो जाती है और वे साख का निर्माण कम कर पाते हैं।
प्रश्न 14. साख नियन्त्रण के गुणात्मक उपाय कौन-कौन-से हैं?
उत्तर: साख नियन्त्रण के गुणात्मक उपाय निम्नलिखित हैं –
1.
चयनात्मक साख नियन्त्रण उपाय
2.
साख की राशनिंग द्वारा
3.
नैतिक दबाव द्वारा
4.
प्रचार द्वारा
5.
प्रत्यक्ष कार्यवाही के द्वारा
प्रश्न 15. केन्द्रीय बैंक प्रचार द्वारा कैसे साख को नियन्त्रित करता है?
उत्तर: केन्द्रीय बैंक अपने द्वारा प्रकाशित पत्रिकाओं में लेख लिखकर व्यापारिक बैंकों की गतिविधियों को प्रभावित करने का कार्य करता है तथा देश के समक्ष आने वाली समस्याओं को हल करने के लिए सुझाव भी देता है। उसके द्वारा सुझाये गए। उपायों का प्रयोग करके व्यापारिक बैंक साख को नियन्त्रित करते हैं।
प्रश्न 16. साख नियन्त्रण की साख राशनिंग विधि क्या है?
उत्तर: इस विधि के अन्तर्गत देश का केन्द्रीय बैंक विभिन्न क्षेत्रों के लिए साख की राशनिंग अर्थात् साख की अधिकतम सीमा निर्धारित कर देता है या किसी क्षेत्र के लिए ऋण देने पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगा देता है या बिलों की पुनर्कटौती पर रोक लगा देता है। इससे बैंकों की ऋण देने की क्षमता कम हो जाती है। वह विभिन्न बैंकों के द्वारा विभिन्न कार्यों के लिए साख को कोटा भी निश्चित कर सकता है।
प्रश्न 17. केन्द्रीय बैंक द्वारा साख नियन्त्रण के लिए प्रयुक्त उपाय ‘सीधी कार्यवाही’ से क्या आशय है?
उत्तर: कभी-कभी केन्द्रीय बैंक, जब कोई बैंक उसके निर्देशों का पालन नहीं करता है, तो उसके विरुद्ध सीधी कार्यवाही भी करने के लिए मजबूर हो जाता है। इसके अन्तर्गत केन्द्रीय बैंक ऐसे बैंक को ऋण देने पर रोक लगा देता है या व्यापारिक बिलों की पुनर्कटौती नहीं करता है या उस बैंक से ऊँची दर पर ब्याज वसूल करता है। इससे बैंक को परेशानी होती है। और वह मजबूर होकर केन्द्रीय बैंक के निर्देशों का पालन करने लगता है।
प्रश्न 18. रिजर्व बैंक के दो कार्य बताइए।
उत्तर: रिजर्व बैंक के दो कार्य निम्न हैं –
1.
नोट निर्गमित करना-भारतीय रिजर्व बैंक देश में विभिन्न मूल्य के नोटरी करता है। एक रुपये के नोट को छोड़कर शेष सभी मूल्यों के नोट रिजर्व बैंक द्वारा ही जारी किये जाते हैं।
2.
मौद्रिक नीति का निर्माण–रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति तैयार करता है, उसका क्रियान्वयन तथा निगरानी का कार्य भी करता है।
प्रश्न 19. सरकार के बैंकर के रूप में रिजर्व बैंक क्या कार्य करता है?
उत्तर: भारतीय रिजर्व बैंक केन्द्र एवं राज्य सरकारों के लिए व्यापारिक बैंक की तरह कार्य करता है। उनकी ओर से जमाएँ स्वीकार करता है तथा भुगतान करता है। वित्तीय संकट के समय उनकी आर्थिक सहायता भी करता है। आवश्यकता पड़ने पर उनके लिए ऋण जुटाने का कार्य भी करता है।
प्रश्न 20. रेपो दर (Repo Rate) को विस्तार से समझाइए।
उत्तर: रेपो दर से अभिप्राय ब्याज की उस दर से लगाया जाता है जिस दर पर रिजर्व बैंक व्यापारिक बैंकों को अल्पकाल के लिए ऋण प्रदान करता है। ये ऋण बहुत अल्प अवधि के लिए प्रदान किये जाते हैं। इस दर का प्रयोग साख नियन्त्रण के लिए भी किया जाता है। साख की मात्रा घटाने के लिए इस दर को बढ़ा दिया जाता है तथा साख का विस्तार करने के लिए इस दर को घटा दिया जाता है। इस समय यह दर 6.25% है।
प्रश्न 21. रिवर्स रेपो दर (Reverse Repo Rate) से क्या आशय है?
उत्तर: रिवर्स रेपो दर ब्याज की वह दर है जो रिजर्व बैंक द्वारा व्यापारिक बैंकों की अल्पकालिक जमाओं पर प्रदान की जाती है। रिजर्व बैंक द्वारा इस दर का प्रयोग बैंकों की तरलता को प्रभावित करने के लिए करता है। इस दर को बढ़ाने से बैंक रिजर्व बैंक के पास अपनी जमाओं को बढ़ा देते हैं। इससे उनकी ऋण प्रदान करने की क्षमता कम हो जाती है। यदि इस दर को घटा दिया जाता है तो बैंक अपनी जमाओं को कम कर देते हैं। इससे उनकी ऋण देने की क्षमता बढ़ जाती हैं। इस समय यह दर 5.75% है।
प्रश्न 22. बैंक दर क्या है? स्पष्ट रूप से समझाइए।
उत्तर: बैंक दर से आशय उस ब्याज दर से है जिस दर पर रिजर्व बैंक वाणिज्यिक बैंकों को दीर्घकालीन ऋण प्रदान करता है। इसी दर पर रिजर्व बैंक द्वारा व्यापारिक बैंकों के बिलों की पुनर्कटौती की जाती है। रिजर्व बैंक ने अपनी स्थापना के बाद से बैंक दर को अनेक बार परिवर्तित किया है लेकिन साख नियन्त्रण के रूप में यह नीति ज्यादा सफल नहीं रही है। आजकल रिजर्व बैंक मौद्रिक प्रबन्धन के लिए इसका प्रयोग नहीं कर रहा है।
प्रश्न 23. भारतीय रिजर्व बैंक अन्तर्राष्ट्रीय विनिमय कोषों के संरक्षक के रूप में क्या कार्य करता है?
उत्तर: भारतीय रिजर्व बैंक विभिन्न देशों की मुद्राओं को अपने पास सुरक्षित रूप में रखता है तथा घरेलू मुद्रा की दर को स्थिर बनाने के लिए भी आवश्यक कार्यवाही करता रहता है। यह विदेशी मुद्रा जो विभिन्न स्रोतों से प्राप्त होती है, को अपने पास जमा रखता है तथा आवश्यकता पड़ने पर सरकार की ओर से भुगतान भी करता है। विदेश जाने वालों को रिजर्व बैंक द्वारा विदेशी मुद्रा उपलब्ध भी कराई जाती है।
प्रश्न 24. भारतीय रिजर्व बैंक का प्रबन्धन एवं संचालन किस प्रकार होता है?
उत्तर: भारतीय रिजर्व बैंक का प्रबन्धन एवं संचालन केन्द्रीय निदेशक मण्डल द्वारा किया जाता है। इस निदेशक मण्डल में 20 सदस्य होते हैं। इस संचालक मण्डल में एक गवर्नर, चार उप-गवर्नर होते हैं। इनका कार्यकाल 5 वर्ष का होता है। इसके साथ ही 10 संचालक भारत सरकार द्वारा मनोनीत किये जाते हैं। भारत सरकार ही प्रत्येक स्थानीय मण्डल से 1 संचालक नियुक्त करती है। उस प्रकार चार मण्डलों से 4 संचालक नियुक्त किये जाते हैं। इन सभी संचालकों का कार्यकाल चार वर्ष का होता है। एक अधिकारी भारत सरकार के प्रतिनिधि के रूप में नियुक्त किया जाता है।
प्रश्न 25. भारतीय रिजर्व बैंक के स्थानीय मण्डलों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर: भारतीय रिजर्व बैंक के चार स्थानीय मण्डल हैं जिनके कार्यालय मुम्बई, कोलकत्ता, चैन्नई एवं नई दिल्ली में स्थित है। प्रत्येक मण्डल में 5 सदस्य होते हैं। ये सदस्य विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ होते हैं। प्रत्येक स्थानीय मण्डल का एक अध्यक्ष होता है जिसे सभी सदस्यों द्वारा चुना जाता है। इन सदस्यों का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है। इन स्थानीय मण्डलों को कार्य समय-समय पर स्थानीय व अन्य महत्वपूर्ण समस्याओं पर केन्द्रीय संचालक मण्डल को परामर्श देना होता है।
प्रश्न 26. केन्द्रीय बैंक की परिभाषा दीजिए।
उत्तर: केन्द्रीय बैंक देश का शीर्षस्थ बैंक होता है तथा यह देश में चलने और साख मुद्रा की मात्रा को नियमन करता है। केन्द्रीय बैंक की प्रमुख परिभाषाएँ निम्नलिखित है –
1.
प्रो. हॉटे (Hawtrey) के अनुसार, “केन्द्रीय बैंक बैंकों का बैंक हैं क्योंकि यह अन्य बैंकों के लिए अन्तिम ऋणदाता का कार्य करता है।”
2.
प्रो. कैन्ट (Kent) के अनुसार, “केन्द्रीय बैंक एक ऐसी संस्था है जिसे सामान्य जनता के हित में मुद्रा की मात्रा में विस्तार एवं संकुचन का प्रबंधन करने का दायित्व सौपा जाता है।’
3.
प्रो शॉ (Shaw) के अनुसार, “केन्द्रीय बैंक देश में साख मुद्रा पर नियन्त्रण रखने वाला बैंक है।”
4.
प्रो. ए.सी.एल.डे (ACL De) के अनुसार, “केन्द्रीय बैंक वह बैंक है जो मौद्रिक एवं बैंकिंग प्रणाली को नियन्त्रित एवं स्थिर करने में सहायक होता है।”
प्रश्न 27. केन्द्रीय बैंक के कौन-कौन से कार्य होते हैं?
उत्तर: केन्द्रीय बैंक निम्न कार्य करता है –
1.
मुद्रा या करेन्सी का निर्गमन
2.
बैंकों के अन्तिम ऋणदाता के रूप में कार्य
3.
सरकार के बैंकर एवं सलाहकार के रूप में कार्य
4.
विदेशी विनिमय कोषों का संरक्षक
5.
समाशोधन गृह कार्य
6.
अन्तिम ऋणदाता के रूप में कार्य
7.
साख का नियमन एवं नियन्त्रण
प्रश्न 28. केन्द्रीय बैंक एवं व्यापारिक बैंकों की तुलना कीजिए।
उत्तर: केन्द्रीय बैंक एवं व्यापारिक बैंक की तुलना
1.
केन्द्रीय बैंक देश का शीर्षस्थ बैंक होता है तथा इसका उद्देश्य लाभ कमाना नहीं होता है जबकि व्यापारिक बैंक उसके अधीनस्थ कार्य करते हैं। इनका उद्देश्य लाभ कमाना होता है।
2.
केन्द्रीय बैंक नोट निर्गमन से साख का निर्माण करता है जबकि व्यापारिक बैंक व्युत्पन्न जमाओं से साख निर्माण करते हैं।
3.
केन्द्रीय बैंक को नोट निर्गमन का एकाधिकार होता है जबकि व्यापारिक बैंकों को यह अधिकार नहीं होता।
4.
केन्द्रीय बैंक साख के नियमन का कार्य करता है जबकि व्यापारिक बैंक साख निर्माण का कार्य ही करते हैं।
5.
केन्द्रीय बैंक देश की आवश्यकता के अनुसार मौद्रिक नीति बनाता है। व्यापारिक बैंक उस नीति का अनुपालन करते हैं।
प्रश्न 29. भारतीय रिजर्व बैंक केन्द्रीय बैंकिंग सम्बन्धी कौन-से कार्य करता है?
उत्तर: भारतीय रिजर्व बैंक केन्द्रीय बैंक के रूप में निम्नलिखित कार्य करता है –
1.
नोटों का निर्गमन – इसे मुद्रा निर्गमन का एकाधिकार प्राप्त है। इस अधिकार के अधीन यह विभिन्न मूल्य की मुद्रा का निर्गमन करता है जिससे लेन-देन में तथा मुद्रा के रख-रखाव में सुविधा रहे।
2.
सरकार को बैंकर – यह सरकार के बैंकर, अभिकर्ता एवं सलाहकार के रूप में भी कार्य करता है।
3.
बैंकों का बैंक – यह व्यापारिक बैंकों के बैंकर के रूप में भी कार्य करता है। यह उनका अन्तिम ऋणदाता भी है।
4.
विदेशी विनिमय का नियमन – यह विदेशी मुद्राओं को अपने कोष में सुरक्षित रखता है तथा आवश्यकता पड़ने पर सरकार एवं जनसामान्य को उपलब्ध भी कराता है।
5.
समाशोधन गृह का कार्य-यह समाशोधन गृह की सुविधा प्रदान करता है जिससे बैंकों के बहुत से आपसी लेन-देन बिना मुद्रा के आदान-प्रदान के निपट जाते हैं।
6.
साख का नियमन-यह देश में आर्थिक स्थायित्व स्थापित करने के लिए साख का नियमन भी करता है।
प्रश्न 30. भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा साधारण बैंकिंग कार्य कौन-से किये जाते हैं?
उत्तर: भारतीय रिजर्व बैंक निम्नलिखित साधारण बैंकिंग कार्य भी करता है –
1.
जमाएँ स्वीकार करना – यह केन्द्र सरकार, राज्य सरकारों, बैंकिंग संस्थाओं आदि की जमाएँ स्वीकार करता है लेकिन उन पर ब्याज नहीं देता है।
2.
ऋण लेना-यह आवश्यकता पड़ने पर एक सीमा में विदेशी केन्द्रीय बैंकों तथा व्यापारिक बैंकों से ऋण लेता है।
3.
ऋण देना – रिजर्व बैंक केन्द्रीय सरकार एवं राज्य सरकारों तथा व्यापारिक बैंकों को ऋण भी प्रदान करता है।
4.
विदेशी प्रतिभूतियों का क्रय – विक्रय-यह विदेशी प्रतिभूतियों का क्रय-विक्रय भी करता है लेकिन इन प्रतिभूतियों की शोधनीयता क्रय करने की तिथि से 10 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए।
प्रश्न 31. केन्द्रीय बैंक के नोट निर्गमन के कार्य को समझाइए।
उत्तर: केन्द्रीय बैंकों को नोट निर्गमन का एकाधिकार होता है जिससे नोटों में एकरूपता रहे तथा विनिमय कार्य में आसानी रहे। इन बैंकों के द्वारा विभिन्न मूल्यों के नोटों का निर्गमन किया जाता है। नोट निर्गमन करते समय केन्द्रीय बैंक को यह ध्यान रखना होता है कि नोटों का निर्गमन देश की आवश्यकता के अनुरूप ही हो, न कम न ज्यादा। मुद्रा के ज्यादा निर्गमन करने से मुद्रा स्फीति का भंय रहता है तथा कम निर्गमन होने पर व्यापारिक क्रियाएँ बाधित होती हैं।
प्रश्न 32. केन्द्रीय बैंक द्वारा साख नियन्त्रण के लिए अपनाये जाने वाले परिमाणात्मक उपाय लिखिए।
उत्तर: केन्द्रीय बैंक द्वारा साख नियन्त्रण के लिए निम्न परिमाणात्मक उपाय अपनाये जाते हैं –
1.
बैंक दर में परिवर्तन
2.
खुले बाजार की क्रियाएँ
3.
नकद कोषानुपात में परिवर्तन
4.
तरल कोषानुपात में परिवर्तन
प्रश्न 33. केन्द्रीय बैंक द्वारा की जाने वाली प्रत्यक्ष कार्यवाही को समझाइए।
उत्तर: जब केन्द्रीय बैंक के आदेशों का कोई बैंक पालन नहीं करता है तभी यह तरीका अपनाया जाता है। इसके अन्तर्गत केन्द्रीय बैंक ऐसे बैंक को ऋण देने पर रोक लगा सकता है तथा उसके बिलों की पुनर्कटौती न करके है यह उन पर ऊँची ब्याज दर वसूल करता है। ऐसा करने से बैंक मजबूर होकर केन्द्रीय बैंक के आदेशों का पालन करने लगता है।
प्रश्न 34. भारतीय रिजर्व बैंक के केन्द्रीय निदेशक मण्डल को एक फ्लो चार्ट से समझाइए।
उत्तर: भारतीय रिजर्व बैंक का केन्द्रीय निदेशक मण्डल
प्रश्न 35. भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा प्रकाशित कोई चार वार्षिक प्रकाशनों के नाम लिखिए।
उत्तर: चार वार्षिक प्रकाशन निम्नलिखित है –
1.
मुद्रा एवं बैंकिंग सांख्यिकी पर मेन्युअल
2.
भारत में बैंकिंग की प्रवृत्ति और प्रगति रिपोर्ट
3.
भारत में अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों की आधारभूत सांख्यिकीय विवरणियाँ
4.
मुद्रा और वित्त सम्बन्धी रिपोर्ट
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. केन्द्रीय बैंक की परिभाषा दीजिए तथा उसके प्रमुख कार्यों का विस्तार से वर्णन कीजिए।
उत्तर: केन्द्रीय बैंक प्रत्येक देश का शीर्षस्थ बैंक होता है। यह मुद्रा एवं साख का नियमन करता है। केन्द्रीय बैंक की प्रमुख परिभाषाएँ निम्न हैं –
1.
ए.सी.एल. डे के अनुसार, “केन्द्रीय बैंक वह बैंक है जो मौद्रिक एवं बैंकिंग प्रणाली को नियन्त्रित एवं स्थिर करने में सहायक होता है।”
2.
सैम्युअलसन के अनुसार, “एक केन्द्रीय बैंक बैंकों का बैंक है जिसकी जिम्मेदारी मौद्रिक आधार के नियन्त्रण की होती है और वह उच्च शक्तिशाली मुद्रा नियन्त्रण करता है।”
3.
हॉटे के शब्दों में, “केन्द्रीय बैंक बैंकों का बैंक है क्योकि यह अन्य बैंकों के लिए अन्तिम ऋणदाता का कार्य करता है।”
4.
शॉ (Shaw) के अनुसार, “केन्द्रीय बैंक देश में साख मुद्रा पर नियन्त्रण रखने वाला बैंक है।”
केन्द्रीय बैंक के कार्य
केन्द्रीय बैंक के प्रमुख कार्य निम्नलिखित है –
1.
मुद्रा का निर्गमन – केन्द्रीय बैंक का महत्वपूर्ण कार्य मुद्रा का निर्गमन करना है। यह देश की मौद्रिक आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर नोट निर्गमन का कार्य करता है। इस कार्य पर इसका एकाधिकार होता है।
2.
बैंकों का बैंक – केन्द्रीय बैंक का कार्य बैंकों पर नियन्त्रण रखना भी है जिससे विभिन्न बैंक सरकार की नीतियों के अनुरूप ही कार्य करें। यह इन बैंकों के अन्तिम ऋणदाता के रूप में भी कार्य करता है।
3.
सरकार का बैंकर – केन्द्रीय बैंक सरकार के बैंक के रूप में भी कार्य करता है। यह सरकार की ओर से पैसा जमा करता है तथा भुगतान भी करता है। यह सरकार को वित्तीय मामलों में परामर्श देने का कार्य भी करता है। इसके साथ ही यह सरकार के लिए ऋण की व्यवस्था भी करता है।
4.
अन्तर्राष्ट्रीय विनिमय कोषों का संरक्षक–देश का केन्द्रीय बैंक विदेशी मुद्राओं का भण्डारण भी करता है तथा यह विभिन्न स्रोतों से प्राप्त विदेशी मुद्रा को जमा करता है तथा आवश्यकता पड़ने पर सरकार की ओर से अदायगी भी करता है। यह विनिमय दर में स्थिरता बनाने का कार्य भी करता है।
5.
केन्द्रीय समाशोधन गृह-यह बैंक व्यापारिक बैंकों के आपसी लेन-देन का खातों में डेबिट-क्रेडिट कराकर बिना नकदी के आदान-प्रदान के निपटान करता है।
6.
साख का नियमन एवं नियन्त्रण केन्द्रीय बैंक देश में साख की मात्रा को नियमित एवं नियन्त्रित करने का कार्य भी करता है। इसके लिए उसके द्वारा मौद्रिक नीति रूपी हथियार का प्रयोग किया जाता है।
प्रश्न 2. भारतीय रिजर्व बैंक के मौद्रिक उपकरणों को विस्तार से समझाइए।
उत्तर: भारतीय रिजर्व बैंक के मौद्रिक उपकरण निम्नलिखित हैं –
(i) बैंक दर (Bank Rate) – बैंक दर में कमी एवं बढ़ोत्तरी करके रिजर्व बैंक साख की मात्रा को नियन्त्रित करता है। जब देश में साख का विस्तार करना होता है तो रिजर्व बैंक दर को कम कर देता है तथा साख का संकुचन करने के लिए बैंक दर बढ़ा देता है। बैंक दर कम होने से ऋण सस्ता हो जाता है जिससे ऋणों की माँग बढ़ जाती है। इसके विपरीत बैंक दर ज्यादा होने पर ऋण महँगे हो जाते हैं जिससे ऋणों की माँग घट जाती है।
(ii) रेपो दर (Repo Rate) – रेपो दर ब्याज की वह दर होती है जो रिजर्व बैंक व्यापारिक बैंकों से अल्पकालीन ऋणों पर वसूलता है। रिजर्व बैंक ऐसे ऋण बहुत कम अवधि के लिए प्रदान करता है। इस दर को बैंक दर की तरह घटा-बढ़ाकर साख की मात्रा को नियन्त्रित किया जाता है।
(iii) रिवर्स रेपो रेट (Reverse Repo Rate) – यह वह ब्याज दर होती है जो रिजर्व बैंक व्यापारिक बैंकों को उनकी अल्पकालीन जमाओं पर प्रदान करता है। इस दर को बढ़ाने से व्यापारिक बैंक रिजर्व बैंक के पास अपनी ज़माएँ बढ़ा देते हैं जिससे उनकी तरलता सीमित हो जाती है और साख निर्माण कम हो जाता है।
(iv) नकद कोषानुपात (Cash Reserve Ratio) – केन्द्रीय बैंक के सदस्य बैंकों को अपनी कुल जमाओं का एक निश्चित प्रतिशत इसके पास रखना होता है। रिजर्व बैंक इस प्रतिशत को घटा-बढ़ाकर साख की मात्रा को वांछित दिशा प्रदान करता है। यदि साख का विस्तार करना होता है तो यह घटा दिया जाता है तथा साख का संकुचन करने के लिए इसे बढ़ा दिया जाता है।
(v) तरल कोषानुपात अथवा वैधानिक तरलता अनुपात (Statutory Liquidity Ratio) – सभी बैंकों को अपनी कुल जमाओं का एक निश्चित प्रतिशत रिजर्व बैंक के निर्देशानुसार अपने पास तरल रूप में रखना होता है जिससे वे ग्राहकों की माँग को पूरा कर सकें। रिजर्व बैंक इस प्रतिशत को घटाकरे साख विस्तार को बढ़ा सकता है तथा इसे बढ़ाकर साख विस्तार को कम कर सकता है।
प्रश्न 3. केन्द्रीय बैंक द्वारा साख नियन्त्रण के लिए अपनाये जाने वाले उपायों को विस्तार से वर्णन कीजिए।
उत्तर: केन्द्रीय बैंक द्वारा साख नियन्त्रण के लिए अपनाये जाने वाले उपायों को दो मुख्य शीर्षकों के अन्तर्गत देखा जा सकता है –
1.
परिमाणात्मक विधियाँ (Quantitative Methods)
2. गुणात्मक विधियाँ (Qualitative Methods)
1. परिमाणात्मक विधियाँ (Quantitative Methods) – इस प्रकार के उपायों द्वारा केन्द्रीय बैंक प्रत्यक्ष रूप में व्यापारिक बैंकों की साख निर्माण की शक्ति को प्रभावित करता है। इस श्रेणी की विधियाँ निम्नलिखित हैं –
(a) बैंक दर नीति (Bank Rate Policy) – बैंक दर ब्याज की वह दर होती है जिस पर केन्द्रीय बैंक व्यापारिक बैंकों को स्वीकृत प्रतिभूतियों के आधार पर अथवा प्रथम श्रेणी के बिलों की पुनर्कटौती द्वारा ऋण प्रदान करता है। जब केन्द्रीय बैंक को साख का विस्तार करना होता है तो केन्द्रीय बैंक, देर में बैंक कमी कर देता है तथा साख का संकुचन करने के लिए बैंक दर को बढ़ा देता है। इसके द्वारा केन्द्रीय बैंक अपने अधीनस्थ बैंकों की ऋण देने की क्षमता को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करता है। साख नियन्त्रण का यह सबसे अधिक प्रचलित तरीका है।
(b) खुले बाजार की क्रियाएँ (Open Market Operations) – केन्द्रीय बैंक जब सरकारी प्रतिभूतियों का क्रय-विक्रय करता है तो इसे खुले बाजार की क्रियाएँ कहते हैं। केन्द्रीय बैंक को जब साख का विस्तार करना होता है तो वह सरकारी प्रतिभूतियों को खरीदने लगता है और जब साख का संकुचन करना होता है तो वह सरकारी प्रतिभूतियों को बेचना प्रारम्भ कर देता है। प्रतिभूति खरीदने से बैंकों के पास नकद कोष बढ़ जाते हैं और वे ज्यादा ऋण देने में समर्थ हो जाते हैं। इसी प्रकार प्रतिभूतियाँ बैंकों को बेचने पर उनके नकद कोष कम हो जाते हैं जिससे उनकी ऋण देने की क्षमता कम हो जाती है।
(c) नकद कोषानुपात में परिवर्तन (Change in CRR) – नकद कोषानुपात में परिवर्तन करके भी केन्द्रीय बैंक साख निर्माण की मात्रा को प्रभावित करता है। जब उसे साख का विस्तार करना होता है तो वह इस अनुपात को घटा देता है। तथा साख का संकुचन करने के लिए इसे बढ़ा देता है।
(d) तरल कोषानुपात में परिवर्तन (Change in SLR) – साख की मात्रा को बढ़ाने के लिए इस अनुपात में भी कमी कर दी जाती है तथा साख की मात्रा को घटाने के लिए इस अनुपात को बढ़ा दिया जाता है।
2. गुणात्मक विधियाँ (Qualitative Methods) – केन्द्रीय बैंक द्वारा साख नियन्त्रण के लिए कुछ गुणात्मक उपाय भी अपनाये जाते हैं जो निम्न प्रकार है –
(a) चयनात्मक साख नियन्त्रण (Selective Credit Control) -चयनात्मक साख नियन्त्रण के अन्तर्गत केन्द्रीय बैंक उन क्षेत्रों में उदार साख नीति अपनाता है जहाँ साख विस्तार करने की आवश्यकता है तथा जहाँ साख का संकुचन करने की आवश्यकता होती है, उन क्षेत्रों में कठोर साख नीति अपनायी जाती है।
(b) साख की राशनिंग (Credit Rationing) – इस विधि के अन्तर्गत केन्द्रीय बैंक विभिन्न क्षेत्रों के लिए वहाँ की आवश्यकताओं का मूल्यांकन करकें साख निर्माण की अधिकतम सीमा निश्चित कर देता है। इससे बैंकों की साख निर्माण की शक्ति सीमित हो जाती है। साख का की राशनिंग निम्न तरीके से की जा सकती है –
1.
किसी बैंक के लिए बिलों का पुन: भुनाने की सुविधा को पूरी तरह समाप्त कर देना।
2.
बैंकों के बिलों की पुनर्कटौती की सीमा निश्चित करके
3.
विभिन्न उद्योगों या व्यवसायों को दिये जाने वाले ऋण की सीमा निश्चित करके अथवा कोटा निर्धारित करके।
(c) नैतिक दबाव (Moral Pressure) – केन्द्रीय बैंक द्वारा साख नियन्त्रण के लिए नैतिक दबाव की नीति भी। अपनायी जाती है। इसके अन्तर्गत वह सलाह देकर या मार्गदर्शन प्रदान करके अपनी नीति को लागू कराता है। बैंक प्रायः केन्द्रीय बैंक की सलाह को मानकर ही कार्य करते हैं।
(d) प्रचार (Advertisement) – कभी-कभी केन्द्रीय बैंक प्रचार के माध्यम से भी साख को नियन्त्रित करने का कार्य करता है। केन्द्रीय बैंक पत्र-पत्रिकाओं में लेख द्वारा तथा भाषणों के माध्यम से भी प्रचार कार्य करता है।
(e) प्रत्यक्ष कार्यवाही (Direct Action) – केन्द्रीय बैंक द्वारा बैंकों के विरुद्ध सीधी कार्यवाही भी की जा सकती है। केन्द्रीय बैंक ऐसा प्रायः तभी करता है जब कोई बैंक उसके आदेशों का पालन नहीं करता है। इसके अन्तर्गत केन्द्रीय बैंक ऐसे बैंक को ऋण देने पर रोक लगा देता है अथवा व्यापारिक बिलों की पुनर्कटौती नहीं करता है। उससे ऊँची ब्याज दर वसूल सकता है। इन उपायों के अपनाने पर दोषी बैंक स्वत: केन्द्रीय बैंक के आदेशों का पालन करने के लिए मजबूर हो जाता है।
प्रश्न 4. केन्द्रीय बैंक तथा व्यापारिक बैंक में कार्यों के आधार पर तुलना कीजिए।
उत्तर: केन्द्रीय एवं व्यापारिक बैंक में अन्तर – केन्द्रीय बैंक तथा व्यापारिक बैंक दोनों की ही देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका होती है लेकिन इन दोनों के उद्देश्य एवं कार्य भिन्न होते हैं। इन दोनों में निम्न अन्तर पाए जाते हैं –
प्रश्न 5. भारतीय रिजर्व बैंक के कार्यों का विस्तार से वर्णन कीजिए।
> भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा कौन-कौन-से कार्य सम्पादित किये जाते हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: भारतीय रिजर्व बैंक के कार्यों का अध्ययन दो शीर्षकों के अन्तर्गत किया जा सकता है –
(अ) केन्द्रीय बैंकिंग सम्बन्धी कार्य तथा
(ब) साधारण बैंकिंग कार्य।
(अ) केन्द्रीय बैंकिंग सम्बन्धी कार्य – केन्द्रीय बैंक के रूप में भारतीय रिजर्व बैंक निम्नलिखित कार्य करता है –
(a) मुद्रा जारी करना – यह बैंक पर्याप्त मात्रा में पत्र मुद्रा एवं सिक्के जनता में जारी करता है जिनसे उन्हें लेन-देन करने में सुविधा रहे। यह बैंक एक रुपये के नोट को छोड़कर सभी नोट व सिक्के जारी करने का कार्य करता है। पत्र मुद्रा जारी करने के लिए इसके द्वारा न्यूनतम कोष प्रणाली को अपनाया गया है। 1956 से पहले इसके द्वारा आनुपातिक कोष प्रणाली अपनायी गई थीं। न्यूनतम कोष प्रणाली के अन्तर्गत यह है 200 करोड़ का कोष रखकर चाहे जितनी मुद्रा जारी कर सकता है। इस ₹ 200 करोड़ के कोष में ₹ 115 करोड़ का सोना तथा १85 करोड़ मूल्य की विदेशी प्रतिभूतियाँ कोष में रखी जाती हैं।
(b) सरकार का बैंकर अभिकर्ता एवं सलाहकार – रिजर्व बैंक का दूसरा महत्त्वपूर्ण कार्य केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकारों के बैंकर के रूप में कार्य करना है। यह सरकार के अभिकर्ता एवं सलाहकार के रूप में भी कार्य करता है। इसके द्वारा सरकार की ओर से धन प्राप्त किया जाता है तथा भुगतान भी किया जाता है यह सरकारी कोषों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजने तथा सरकार के लिए ऋण जुटाने का कार्य करता है। इन सरकारों के लिए विदेशी विनिमय का प्रबन्ध करता है। विभिन्न वित्तीय मामलों में सरकारों को सलाह भी देता है।
(c) बैंकों के बैंक के रूप में कार्य-यह अनुसूचित बैंकों का बैंक है तथा उनका अन्तिम ऋणदाता भी है। बैंकों के बैंक के रूप में अनुसूचित बैंकों पर पर्याप्त नियन्त्रण रखता है, उनके बिलों की पुनर्कटौती करता है। साथ ही उनके क्रियाकलापों पर दृष्टि भी रखता है।
(d) विदेशी विनिमय नियमन – रिजर्व बैंक विदेशी मुद्राओं को कोष रखता है तथा विदेशी भुगतानों के लिए विदेशी मुद्रा उपलब्ध कराता है। यह विदेशी विनिमय की मांग एवं पूर्ति में उचित सन्तुलन स्थापित करने का प्रयत्न करता है। विदेशी विनिमय दर में सन्तुलन स्थापित करने के लिए आवश्यकतानुसार विदेशी विनिमय का क्रय-विक्रय करता है।
(e) समाशोधन गृह कार्य – भारतीय रिजर्व बैंक समाशोधन गृह का कार्य भी करता है। इससे विभिन्न बैंकों के चेक, ड्राफ्ट आदि से सम्बन्धित लेन-देन बिना नकदी के आदान-प्रदान के मात्र खातों में लेखे करने से निपट जाते हैं। इससे बैंकों को बहुत सुविधा हो जाती है तथा नकदी के अनावश्यक आदान-प्रदान से मुक्ति मिल जाती है।
(f) साख का नियमन – भारतीय रिजर्व बैंक देश में साख की मात्रा को भी नियन्त्रित करता है जिससे बाजार के अनावश्यक उतार-चढ़ावों से बचा जा सकता है। साख नियन्त्रण के लिए इसके द्वारा परिमाणात्मक एवं गुणात्मक दोनों ही प्रकार की विधियों का प्रयोग किया जाता है।
(g) आँकड़ों का संकलन एवं प्रकाशन रिजर्व बैंक द्वारा अर्थव्यवस्था से सम्बन्धित विभिन्न क्षेत्रों के आँकड़े संकलित किए जाते हैं तथा विभिन्न पत्रिकाओं के माध्यम से उनका प्रकाशन किया जाता है। इससे देश की आर्थिक स्थिति को जानने तथा आर्थिक समस्याओं को समझने में आसानी रहती है।
(ब) साधारण बैंकिंग कार्य – भारतीय रिजर्व बैंक उपर्युक्त कार्यों के साथ-साथ निम्न साधारण बैंकिंग से सम्बन्धित कार्य भी करता है –
(a) केन्द्र सरकार, राज्य सरकारों एवं बैंकिंग संस्थाओं से जमाएँ स्वीकार करना।
(b) आवश्यकता पड़ने पर व्यापारिक बैंकों व विदेशी बैंकों से ऋण लेना।
(c) केन्द्रीय एवं राज्य सरकारों को ऋण प्रदान करना।
(d) विदेशी प्रतिभूतियों का क्रय-विक्रय करना।
(e) व्यापारिक बिलों की पुनर्कटौती करना।
(f) कृषि बिलों को क्रय-विक्रय एवं पुनर्कटौती करना।
(g) विदेशी बैंकों में अपना खाता खोलना।
(h) लॉकर की सुविधा प्रदान करना आदि।
प्रश्न 6. भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा अपनाये जाने वाले साख नियन्त्रण के विभिन्न तरीकों का वर्णन कीजिए।
> भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा साख नियन्त्रण के लिए समय-समय पर कौन-से तरीके अपनाये गए हैं?
उत्तर: साख नियन्त्रण के लिए भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा अपनाये जाने वाले तरीकों का अध्ययन दो शीर्षकों के अन्तर्गत किया जा सकता है –
(i) परिमाणात्मक विधियाँ
(ii) गुणात्मक विधियाँ।
(i) परिमाणात्मक विधियाँ – परिमाणात्मक विधियाँ वह विधियाँ होती हैं जो साख के परिमाण एवं उसकी लागत को नियन्त्रित करती हैं। ये विधियाँ निम्न हैं –
(a) बैंक दर में परिवर्तन – बैंक दर से आशय ब्याज की उस दर से है जिस पर रिजर्व बैंक व्यापारिक बैंकों को ऋण देता है एवं बिलों की पुनर्कटौती करता है। जब रिजर्व बैंक को साख निर्माण की मात्रा को कम करना होता है तो वह बैंक दर को बढ़ा देता है। ऐसा करने से ऋण महँगे हो जाते हैं। ऋण महँगे हो जाने से ऋणों की माँग कम हो जाती है और साख सृजन कम हो जाता है। इसके विपरीत बैंक दर घटाने से ऋण सस्ते हो जाते हैं और ऋणों की माँग बढ़ जाती है तथा साख का सृजन ज्यादा होने लगता है।
भारतीय रिजर्व बैंक ने अपनी स्थापना के बाद बैंक दर में अनेक बार बदलाव किये हैं लेकिन हमारे देश में यह नीति ज्यादा सफल नहीं रही है। 4 अक्टूबर, 2016 से यह दर 6.75% है।
(b) खुले बाजार की क्रियाएँ – इसके अन्तर्गत रिजर्व बैंक सरकारी प्रतिभूतियों, प्रथम श्रेणी के बिलों एवं प्रतिज्ञा पत्रों का खुले बाजार में क्रय-विक्रय करता है। साख संकुचन के लिए प्रतिभूतियों को बाजार में बेचता है जिससे बाजार में मुद्रा की मात्रा कम हो जाती है और साख का संकुचन हो जाता है। साख का विस्तार करने के लिए यह प्रतिभूतियों को बाजार से खरीदता है, जिससे बाजार में मुद्रा की मात्रा बढ़ जाती है। मुद्रा की मात्रा बढ़ने से साख का विस्तार होने लगता है। साख को नियन्त्रित करने का यह एक प्रभावशाली माध्यम है।
(c) नकद कोषानुपात में परिवर्तन – साख की मात्रा को वांछित दिशा देने के लिए रिजर्व बैंक नकद कोषानुपात में भी परिवर्तन करता है। साख की मात्रा को बढ़ाने के लिए इस प्रतिशत को घटा दिया जाता है तथा साख की मात्रा को कम करने के लिए बढ़ा दिया जाता है।
(d) वैधानिक तरल कोषानुपात – प्रत्येक व्यापारिक बैंक को अपने दायित्वों का एक निश्चित प्रतिशत वैधानिक रूप से तरल रूप में अपने पास रखना होता है जिससे वह ग्राहकों की माँग देयताओं का भुगतान कर सकें। इस अनुपात में वृद्धि करने से साख निर्माण कम होता है तथा कमी करने से साख निर्माण ज्यादा होता है। रिजर्व बैंक आवश्यकतानुसार इसमें भी परिवर्तन कर सकता है। इस समय यह 205% है।
(e) रेपो दर व रिवर्स रेपो दर में परिवर्तन–रेपो दर वह दर होती है जो रिजर्व बैंक व्यापारिक बैंकों से अल्पकालीन ऋणों पर वसूल करता है। रिवर्स रेपो दर उस ब्याज दर को कहते हैं जो रिजर्व बैंक अल्पकालीन जमाओं पर व्यापारिक बैंकों को देता है। जब साखे की मात्रा कम करनी होती है तो रिजर्व बैंक इन दोनों दरों को बढ़ा देता है तथा साख की मात्रा बढ़ाने के लिए इन्हें कम कर देता है। इस समय रेपो दर 6.25% तथा रिवर्स रेपो दर 5.75% है।
(ii) गुणात्मक विधियाँ – साख नियन्त्रण की गुणात्मक विधियों में ऐसे उपाय शामिल किये जाते हैं जिनसे बैंकों के नकद कोषों को बिना प्रभावित किये साख के उपयोग पर नियन्त्रण किया जाता है। गुणात्मक विधियाँ निम्न हैं –
(a) ऋणों की मार्जिन मनी को घटाना-बढ़ाना–रिजर्व बैंक साख को संकुचित करने के लिये मार्जिन मनी बढ़ा देता है। तथा साख का विस्तार करने के लिए इसे घटा देता है। जैसे यदि ₹ 200 के माल पर ऋण राशि के ₹ 60 से ₹ 50 कर दी जाये अर्थात् मार्जिन मनी 40% से बढ़ाकर 50% कर जाए तो ऋण देने की क्षमता घट जायेगी।
(b) ऋणों पर प्रतिबन्ध – रिजर्व बैंक कुछ वस्तुओं की जमानत पर ऋण देने पर पूर्ण रोक लगा सकता है। इससे भी साख निर्माण में कमी आ जाएगी।
(c) साख की राशनिंग – रिजर्व बैंक साख नियन्त्रण के लिए साख राशनिंग की नीति को भी अपनाता है। इसके अन्तर्गत भिन्न-भिन्न क्षेत्रों के लिए साख की अधिकतम् सीमा निश्चित कर दी जाती है। यह सीमा बैंकों के लिए अलग-अलग भी निर्धारित की जा सकती है।
(d) नैतिक दबाव – रिजर्व बैंक विभिन्न बैंकों पर नैतिक दबाव डालकर भी साख की मात्रा को नियन्त्रित करने का प्रयत्न करता है।
(e) प्रचार – रिजर्व बैंक अपनी पत्रिकाओं के माध्यम से प्रचार करके भी साख को नियन्त्रित करने का प्रयास करता है।
(f) सीधी कार्यवाही – जब बैंक रिजर्व बैंक की सलाह पर कोई ध्यान नहीं देता है तो यह ऐसे बैंक के विरुद्ध सीधी
कार्यवाही भी कर सकता है। जैसे – ऐसे बैंक के शाखा विस्तार पर रोक लगा देना या उसका लाइसेंस रद्द कर देना। इससे बैंक को मजबूरन रिजर्व बैंक के आदेशों का पालन करना पड़ता है।
रिजर्व बैंक उपर्युक्त में से किसी एक विधि का या कई तरीकों का एक साथ अपनी आवश्यकतानुसार प्रयोग कर सकता है।