ClassXII_विषय- हिंदी (कोर),सेट-2 टर्म-2

ClassXII_विषय- हिंदी (कोर),सेट-2 टर्म-2

झारखण्ड शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद राँची (झारखण्ड)

द्वितीय सावधिक परीक्षा (2021-2022)

प्रतिदर्श प्रश्न पत्र                                        सेट- 02

कक्षा-12

विषय- हिंदी (कोर)

समय- 1 घंटा 30 मिनट

पूर्णांक- 40

सामान्य निर्देश:

» परीक्षार्थी यथासंभव अपनी ही भाषा-शैली में उत्तर दें।

» इस प्रश्न-पत्र के खंड हैं। सभी खंड के प्रश्नों का उत्तर देना अनिवार्य है।

» सभी प्रश्न के लिए निर्धारित अंक उसके सामने उपांत में अंकित है।

» प्रश्नों के उत्तर उसके साथ दिए निर्देशों के आलोक में ही लिखें ।

खंड - 'क' (अपठित बोध)

01. निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए। 02+02+02=06

लहरों में हलचल होती है....

कहीं न ऐसी आँधी आए, जिससे दिवस रात हो जाए

यही सोचकर चकवी बैठी तट पर धीरज खोती है।

लहरों में हलचल होती है...

लो, वह आई आँधी काली, तम-पथ पर भटकनेवाली

अभी गा रही थी जो कलिका पड़ी भूमि पर सोती है।

लहरों में हलचल होती है....

चक्र-सदृश भीषण भँवरों में, औ' पर्वताकार लहरों में

एकाकी नाविक की नौका अंतिम चक्कर लेती है।

लहरों में हलचल होती है....

(क) लहरों में हलचल होने का क्या आशय है?

उत्तर: लहरों में हलचल होने का आशय है-आँधी आने की आशंकासे दिन भी अँधेरी रात होने लगता है।

(ख) कोमल कली बेसुध होकर धरती पर क्यों पड़ी है?

उत्तर: आँधी आने के कारण कोमल कली बेसुध होकर धरती पर पड़ी है।

(ग) चकवी तट पर बैठकर अपना धैर्य क्यों खो रही है?

उत्तर: चकवी तट पर बैठकर अपना धैर्य इसलिए खो रही है कि आँधी आने की आशंका से दिन कहीं रात नहीं हो जाए।

अथवा

01. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए।

पर्व-त्योहार देश की सामाजिक एकता के प्रतीक, ऐतिहासिक घटनाओं के साक्षी, सांस्कृतिक चेतना के प्रहरी और सद्भावनाओं के प्रेरक होते हैं। दशहरा, दीवाली, होली, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, रक्षाबंधन, क्रिसमस, ईद आदि हमारे ऐसे त्यौहार हैं, जिनसे हमारे सामाजिक जीवन में नया उत्साह-आवेग आ जाता है। होली-दीवाली पर हिंदुओं को मुसलमान और ईसाई प्रेमपूर्वक बधाई देते हैं, परस्पर एक-दूसरे के साथ मिठाई और उपहारों का आदानप्रदान करते हैं, इसी प्रकार ईद और क्रिसमस पर हिंदू अपने मुसलमान और ईसाई भाइयों के प्रति शुभकामनाएँ प्रकट करते हैं। इस प्रकार इन पर्व-त्योहारों पर सर्वत्र सर्वधर्म समभाव का सुंदर रूप दिखाई देता है।

(क) पर्व-त्योहारों से देश की किन बातों का परिचय मिलता है?

उत्तर: पर्व-त्योहारों से देश की सामाजिक एकता, सांस्कृतिक चेतना, सद्भावना तथा ऐतिहासिक घटनाओं का परिचय मिलता है।

(ख) भारतीय पर्व-त्योहारों पर विभिन्न धर्मों के लोग एक-दूसरे के प्रति अपनी सदभावनाओं का आदान-प्रदान किस प्रकार करते हैं?

उत्तर: भारतीय पर्व-त्योहारों पर विभिन्न धर्मों के लोग एक-दूसरे के प्रति बधाई, शुभकामना, मिठाई और उपहार देकर अपनी सद्भावना का परिचय देते हैं।

(ग) इस गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए?

उत्तर: त्योहारों का महत्त्व।

खंड - 'ख' (अभिव्यक्ति और माध्यम)

02. निम्नलिखित में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर दीजिए - 05+05=10

(क) झारखंड की संस्कृति' अथवा 'कोरोना से बचाव' विषय पर एक निबंध लिखिए।

उत्तर:       'झारखण्ड की संस्कृति'

झारखंड अपने सांस्कृतिक करतबों के लिए प्रसिद्ध है। इसपर प्रकृति की असीम कृपा रही है। पर्यटकों के लिए झारखंड स्वर्ग है। दामोदर नदी,मयूराक्षी नदी, कोयल नदा, साँख नदी आदि इस क्षेत्र से होकर बहती है। बनांचल, जैसा कि लोकप्रिय है, अपने खनिज और वन संसाधनों के लिए भी प्रसिद्ध है। पश्चिम बंगाल, बिहार से स्थानांतरण होने के कारण झारखंड की संस्कृति को समृद्ध करता है।

झारखंड की संस्कृति प्रचुर त्योहारों के अपने समृद्ध खजाने के बिना कहीं नहीं है। सरहुल, करमा, सोहराई, क्रिसमस, होली, दशहरा आदि त्योहार झारखंड में मस्ती और उल्लास के साथ मनाया जाता है। लोक संगीत और नृत्य झारखंड की संस्कृति का हिस्सा और पार्सल है। आदिवासी समुदायों के वे लोग सरल और विनम्र होते हैं। अनेक कठिनाइयों से ग्रस्त होने के बाद भी अपने संस्कृति के प्रति अटूट प्रेम करते हैं।

झारखंड के लोगों के मुख्य खाद्य पदार्थ गेहूँ और चावल हैं। मुख्य रूप से सरसों के तेल का उपयोग खाना पकाने के माध्यम के रूप में किया जाता है। इस क्षेत्र में विभिन्न प्रकार की सब्जियों के पर्याप्त विकास के पोषण मिलता है। इस क्षेत्र में बिखरे हुए विभिन्न लोगों की अपनी अलग-अलग खान-पान आदतें हैं जो राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग हैं। जनजातियों का खाना पकाने की विधि बाकी आबादी से अलग है। मडुआ का आटा, मक्का, बाजरा, कंद आदिवासियों का मुख्य भोजन घटक है।

पर्यटन की दृष्टि से झारखंड अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। यहाँ ऐतिहासिक और भौगोलिक दोनों प्रकार के पर्यटन स्थल हैं। धार्मिक दृष्टिकोण से देवघर और पारसनाथ अत्यन्त महत्त्वपूर्ण हैं। झारखण्ड की भूमि को प्रकृति ने रत्नगर्भा बनाया है। इस क्षेत्र में पाये जाने वाले प्रमुख खनिजों में लौह अयसक, ताँबा, मैंगनीज, बॉक्साइट, सोना, चाँदी आदि हैं।

अतः उपसंहार स्वरूप हम कह सकते हैं कि झारखंड की संस्कृति अद्वितीय है। पर्यटन, धार्मिक स्थल, खनिज संपदा, झारखण्ड की अनुपम विधि है।

अथवा,          'करोना वायरस'

पहले ही हम इंसानों के अलावा कई जीवों का इस धरती पर वास था। अब एक और नया जीव वास करने आया-कोरोना। पर सबसे आश्चर्य की बात यह है कि यह कोरोना जीवित नहीं है। यह एक अजीवित 'वायरस' है जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। अब आप सोचिए कि यह जीवित नहीं है तब इतनी तबाही मचा रहा है, और अगर जीवित होता तो यह क्या करता।

खैर ! अब यह वायरस आ तो गया, पर इससे बचे कसे ये एक बड़ा सवाल है। हम बहुत कुछ ऐसा कर सकते हैं जिससे हम खुद को और दूसरों को बचा सकें।

कोरोना वायरस छूने से भी फैलता है, जिसे हाथ न मिलाकर, हाथ साबून से धोकर, सेनिटाइज कर रोका जा सकता है। अगर हम एन-95 या कपड़ों के मास्क पहनें, तो ये हमारे फेफड़ों में जाने में असमर्थ रहेगा। हमें 2 गज की दूरी भी बनानी चाहिए।

सरकार की भी कुछ जिम्मेदारियाँ हैं, जो इस वायरस को बढ़ने से रोक सकती है। उनमें से कुछ निम्न हैं-

(i) जगह-जगह पर वैक्सीनेसन कैंप लगवाना।

(ii) हर स्कूल, ऑफिस, सड़क, मोहल्ला, आदि को सेनिटाईज करवाना।

(iii) उन जगहों में लॉकडाउन लगाना, जहाँ कोविड को संभालना थोड़ा कठिन नजर आ रहा है, आदि।

अगर हम सब अपनी-अपनी जिम्मेवारी को अच्छे से समझ लें, तो ये कोविड-19 भी ज्यादा देर तक टिक नहीं पाएगा।

(ख) विद्युत आपूर्ति की अपने क्षेत्र में बदहाली की ओर राज्य सरकार का ध्यान आकृष्ट करने हेतु किसी समाचार पत्र के संपादक को एक पत्र लिखिए।

उत्तर: सेवा में,

आदरणीय सम्पादक जी,

        'दैनिक जागरण' राँची।

महाशय,

मैं आपके दैनिक पत्र "जागरण' में प्रकाशनार्थ प्रेषित इस पत्र के माध्यम से झारखण्ड प्रदेश के विद्युत मंत्री का ध्यान महीनों से विद्युत संकट से आक्रान्त पाकुड़ की ओर आकृष्ट कराना चाहता हूँ।

विगत चार महीनों से पाकुड़ जिले में विद्युत की आपूर्ति में घोर अनियमितता है। 24 घंटे में मुश्किल से कुल मिलाकर दो-ढाई घण्टे तक बिजली के दर्शन होते हैं। शेष घण्टों में घोर तबाही, बेचैनी देकर बिजली गायब रहती है। बिजली की आपूर्ति की इस गड़बड़ी से सामान्य जन-जीवन अस्त-व्यस्त है। खेतों में मोटर पम्प से होने वाला सिंचाई कार्य रुका हुआ है जिससे फसलें सूख रही है। शहर के भीतर-बाहर करीब सात-आठ बड़े औद्योगिक संस्थान हैं जो विद्युत आपूर्ति के अभाव में मृतप्राय है। संध्या सात बजे होते ही शहर-बाजार की सारी दुकानें बन्द हो जाती हैं। रात्रि के इस भयावह अन्धकार में चोरी-डकैती की घटनाएं होती रहती हैं।

इस संबंध में स्थानीय विद्युत अनुमंडल पदाधिकारी से कई बार सम्पर्क स्थापित कर तथा कई बार लिखित सूचना के आधार पर अपेक्षित कार्य कराने का प्रयास किया गया है, लेकिन परिणामस्वरूप केवल निराशा ही हाथ लगी है।

अतः मैं इस समस्या और इसे उत्पन्न दुर्दशा की ओर माननीय विद्युत मंत्री, झारखण्ड का ध्यान आकृष्ट करना चाहता हूँ और निवेदन करता हूँ कि इस सम्बन्ध में तत्काल उचित कार्रवाई की जाए।

                                                         भवदीय

                                                     दीपक कुमार

तिथि-18 फरवरी, 2022                    पाकुड़, वार्ड नं0-5

(ग) अपने क्षेत्र में स्वच्छता अभियान के प्रचार प्रसार के लिए संबंधित अधिकारी को एक पत्र- लिखें।

उत्तर: सेवा में,

         मुख्य स्वास्थ्य पदाधिकारी, राँची

विषय-स्वच्छ अभियान के प्रचार-प्रसार हेतू।

महोदय,

सर्वविदित है कि स्वच्छ भारत अभियान माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा चलाया गया भारत सरकार का एक सफाई अभियान है। इस अभियान का उद्देश्य गाँव और शहरों की गलियों, नालियों, सड़कों को साफ करना, हर घर एवं शिक्षा संस्थानों में शौचालयों का निर्माण आदि है। इस अभियान में जन-भागीदारी और जन-चेतना को सबसे महत्त्वपूर्ण माना गया है।

इधर कुछ दिनों से सरकार की भागीदारी कमजोर दिखाई दे रही है। प्रचार-प्रसार कम हो रहे हैं। लोगों की उदासीनता बढ़ती जा रही है।

अतः आपसे अनुरोध है कि यथाशीघ्र इस अभियान का प्रचार-प्रसार जोर से किया जाए ताकि आमजन इसका लाभ उठाएँ एवं स्वच्छ भारत का स्वप्न सच होता हुआ दिखाई दे। आशा है आप तुरन्त इस कार्य के लिए तत्पर होकर लोगों को प्रेरित करेंगे।

सधन्यवाद!

                                                भवदीया

                                              दीपक कुमार

दिनांक-20 फरवरी, 2022          अशोक नगर राँची।

(घ) पत्रकारिता किसे कहते हैं? पत्रकारिता के प्रकारों को लिखिए।

उत्तर:  ज्ञान और विचारों का समीक्षात्मक टिप्पणियों के साथ शब्द, ध्वनि तथा चित्रों के माध्यम से जन-जन तक पहुँचा ही पत्रकारिता है।

पत्रकारिता के निम्नलिखित प्रकार हैं-

(i) खोजपरक या खोजी पत्रकारिता (ii) विशेषीकृत पत्रकारिता (ii) वाचडॉग पत्रकारिता (iv) एडवोकेसी पत्रकारिता एवं (v) वैकल्पिक पत्रकारिता ।

(1) खोजपरख या खोजी पत्रकारिता ! खोजी पत्रकारिता द्वारा सार्वजनिक महत्त्व के मामलों में भष्टाचार, गड़बड़ी, अनियमितताओं और अनैतिकताओं को उजागर करने का प्रयत्न किया जाता है। खोजी पत्रकारिता का ही नया रूप टेलीविजन में 'स्टिंग आपरेशन' के रूप में सामने आया है।

(ii) विशेषीकृत पत्रकारिता :, इसके लिए पत्रकार से किसी व्यापक क्षेत्र में विशेषज्ञता की अपेक्षा की जाती है। पत्रकारिता के विषयानुसार विशेषज्ञता के प्रमुख क्षेत्र हैं-'संसदीय पत्रकारिता', 'न्यायालय पत्रकारिता', 'आर्थिक पत्रकारिता', 'विज्ञान और विकास पत्रकारिता', 'अपराध फैशन तथा फिल्म पत्रकारिता' ।

(iii) वाचडॉग पत्रकारिता : 'बाँचडॉग पत्रकारिता' का मुख्य काम और जवाबदेही सरकार के कामकाजों और गतिविधियों पर पैनी नजर रखनी है। जहाँ कहीं भी कोई गड़बड़ी नजर आये वह उसको उद्घाटित करें।

(iv) एडवोकेसी पत्रकारिता : एडवोकेसी या पक्षधर पत्रकारिता का संबंध विशेश विचारधारा, मान्यता या मुद्दों से होता है। एडवोकेसी पत्रकारिता के संचालक समाचार संगठन अपने विशेष उद्देश्यों, मुद्दों और विचारधारा को जोर-शोर से उठाते हैं उनके पक्ष में जनमत की दिशा मोड़ने की कोशिश करते हैं। कभी-कभी किसी विशिष्ट मुद्दे पर जनमत बनाकर उसके अनुकूल प्रतिक्रिया करने या (निर्णय) लेने के लिए दबाव बनाते हैं।

(v) वैकल्पिक पत्रकारिता : पत्रकारिता को जो रूप स्थापित व्यवस्था के विकल्प को सामने लाने और उसकी सोच को अभिव्यक्त करने का प्रयत्न करता है उसे वैकल्पिक पत्रकारिता कहा जाता है। इस तरह की मीडिया को न तो पूँजीपतियों का बरदहस्त प्राप्त होता है और न ही सरकार का रक्षा कवच ही उसे मिलता है। वह तो पाठकों के सहयोग पर ही साँस लेती है।

खंड - 'ग' (पाठ्यपुस्तक)

03. निम्नलिखित में से किसी एक का काव्य-सौंदर्य लिखिए- 05

(क) तिरती है समीर-सागर पर

      अस्थिर सुख पर दुख की छाया-

      जग के दग्ध हृदय पर

      निर्दय विप्लव की प्लावित माया

उत्तर: इन पंक्तियों में प्रकृति के कठोर रूप का चित्रण हे। क्रांतिदूत के रूप में बादल का आह्वान प्रगतिवादी चेतना को व्यक्त करता है। यहाँ बादल का मनवीकरण किया गया है। समीर-सागर में अनुप्रास एवं रूपक अलंकार है।

(ख) आँगन में लिए चाँद के टुकड़े को खड़ी

      हाथों पे झूलाती है उसे गोद-भरी

      रह-रह के हवा में जो लोका देती है

     गूंज उठती है खिलखिलाते बच्चे की हँसी।

उत्तर: प्रस्तुत कविता में बालक की जिद का स्वाभाविक वर्णन किया गया है। माँ की चतुराई में वात्सल्य-भाव का सुन्दर अंकन हुआ है। भाषा की सरलता उसके लोक-प्रयोग से जुड़कर प्रभावी बनी है। चाँद के दर्पण में उतर आने में आकर्षक बिंब है। 'जिदयाया' एक नूतन प्रयोग है । यह काव्यांश उर्दू और फारसी के एक छंद रूबाई में लिखा गया है। इसमें चार पंक्तियाँ होती हैं। इसकी पहली, दूसरी और चौथी पंक्ति में तुक मिलाया जाता है तथा तीसरी पंक्ति स्वच्छंद होती है।

04. निम्नलिखित में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर दीजिए - 03+03= 06

(क) बादल को कवि निराला ने 'विप्लव के वीर' तथा 'जीवन के पारावार' किस संदर्भ में कहा है?

उत्तर: बादल यहाँ कविता में शोषित वर्ग के शोषण को समाप्त करने के लिए क्रांति के रूप में वर्णित है जो क्रांति के द्वारा शोषण को समाप्त कर जीवन रूपी नैया को पार लगायेगा। अत: बादल के लिए 'विप्लव के वीर' और 'जीवन के पारावार' संबोधनों का प्रयोग किया जाता है।

(ख) राम के साथ हुए युद्ध में रावण के कौन-कौन से वीर मारे गए?

उत्तर: राम के साथ हुए युद्ध में रावण के दुर्मुख, देवांतक, अतिकाय, अंकपन, महोदर आदि वीर मारे गये।

(ग) फ़िराक के गजल के आधार पर बताइये कि खुद का परदा खोलने से क्या आशय है?

उत्तर: इसका अर्थ है-अपनी वास्तविकता को दुनिया के सामने प्रकट कर देना। जब व्यक्ति दूसरों के दोषों को दुनिया को दिखाने लगता है तो वास्तव में वह उस दूसरे व्यक्ति को बेपरदा नहीं करता है बल्कि स्वयं बेपरदा हो जाता है। दुनिया को उसके बुरे चरित्र का पता चल जाता है।

05. निम्नलिखित में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर दीजिए - 03+03= 06

(क) सूखे के कारण कैसी स्थिति हो जाती है? 'काले मेघा पानी दे के आधार पर उत्तर लिखिए।

उत्तर: लेखक ने बतलाया है कि इन दिनों भीषण गर्मी से लोग जल-भुनकर त्राहिमाम कर रहे होते हैं। जेठ का दसहरा बीतने तथा आषाढ़ का पहला पखवारा बीतने के बाद कुएँ सूखने लगते हैं तथा नलों में बहुत कम तथा गर्म पानी आता है। खेतों की जुताई नहीं हो पाती और मिट्टी सूखकर पत्थर बन जाती, पपड़ी फटकर दरार पड़ जाती । लोग लू से रास्ते में गिरने लगते हैं तथा ढोर-डंगर प्यासे मरने लगते हैं।

(ख) शेर के बच्चे के नाम से कौन और क्यों प्रसिद्ध था?

उत्तर: शेर के बच्चे के नाम से पहलवान चाँद सिंह प्रसिद्ध था। वह मैदान में लंगोट लगाकर अजीव किलकारी भरकर छोटी दुलकी लगाया करता था। साथ ही, वह बीच-बीच में शेर की भाँति दहाड़ता रहता था।

(ग) डॉ. अंबेडकर के आदर्श समाज की परिकल्पना कैसी थी?

उत्तर: स्वतंत्रता, समता और भ्रातृता पर आधारित समाज ही लेखक का आदर्श समाज है। समाज के बहुविध हितों में सबका भाग तथा सभी की रक्षा के प्रति सजगता को लेखक भाईचारा मानता है और भाईचारा का ही दूसरा नाम लोकतंत्र है । लेखक के अनुसार लोकतंत्र केवल शासन-पद्धति नहीं, सामूहिक दिनचर्या की एक रीति तथा सम्मिलित अनुभवों का आदान-प्रदान है। इसमें आवश्यक है कि अपने साथियों के प्रति श्रद्धा एवं सम्मान का भाव हो।

06. "फ़िराक गोरखपुरी' अथवा 'सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' की किन्हीं दो रचनाओं का नाम लिखिए। 02

उत्तर: फिराक गोरखपुरी-गुले नगमा, रंग-ए-शायरी ।

         सूर्यकांत त्रिपाठी निराला-परिमल, अनामिका ।

07. स्वयं कविता रच लेने का आत्मविश्वास लेखक के मन में कैसे पैदा हुआ? 03

उत्तर: मराठी भाषा के अध्यापक श्री सौंदलगेकर के कविता-अध्यापन ने लेखक को कविता के प्रति रुचि जगायी। उनका सस्वर, काव्यपाठ, छंद, लय, गति, अलंकार आदि का शिक्षण लेखक को कविता समझने में सहायक होता है। स्वयं श्री सौंदलगेकर की कविता एवं अन्य कवियों के संस्मरण से लेखक को विश्वास हुआ कि कवि किसी दूसरे लोक के नहीं, बल्कि मनुष्य ही होते हैं। मास्टर जी की 'मालती की बेल' कविता से लेखक को लगा कि वह भी अपने आस-पास की चीजों पर कविता रच सकता है। पाठशाला के समारोह में गायन तथा मराठी-अध्यापक के प्रोत्साहन-शाबाशी से लेखक में आत्मविश्वास पैदा हुआ कि वह भी कविता रच सकता है।

अथवा,

ऐन फ्रैंक के परिवार के डर के कारणों का उल्लेख कीजिए।

उत्तर: ऐन ने अपने अज्ञातवास के दिनों के डर, ऊब तथा एकरसता का उल्लेख किया है। अज्ञातवास में फ्रेंक तथा वान परिवार को लगातार एक इमारत के अँधेरे बंद कमरे में रहना पड़ा। बाहर की दुनिया में झाँकना भी उनके लिए खतरनाक था क्योंकि इससे उनके जर्मन सैनिकों द्वारा पकड़ लिये जाने का खतरा था। उन्हें हर समय गिरफ्तारी का भय सताता रहता था। यह जीवन बेहद उबाऊ था। दोनों परिवार इस उबाऊपन को दूर करने का भरसक प्रयत्न करते । वे पहेलियाँ बुझाते थे, अँधेरे में व्यायाम करते, अँगरेजी और फ्रेंच बोलने की कोशिश करते और किताबों की समीक्षा करते।

बिजली के चले जाने पर अँधेरे में ऐन दूरबीन से रौशनी वाले घरों के कमरे में दूरबीन से ताक-झाँक करती। मि. डसेल लम्बे-चौड़े उबाऊ भाषण करते तो ऐन की मम्मी या मिसेज वान दान अपने बचपन की उन कहानियों को लेकर बैठ जाती जो सभी कई बार सुन चुके होते हैं। वे एक दूसरे को लतीफे सुनाते जो पहले से सुने हुए होते थे।

08. खेतों पर आनंदा क्या काम करता था? 02

उत्तर: खेतों में आनन्दा सुबह पानी देता था तथा शाम को गाय भैसों को चराया करता था। दीवाली बीत जाने पर महीना भर ईख पेरने का कोल्हू चलाना होता था। दिन भर वह खेतों की देखभाल करता तथा निराई-गुड़ाई करता रहता था। पढ़ाई-लिखाई के फिर से शुरू होने पर उसे दिन भर के खेत के कामों से छुट्टी मिली । पर सुबह और शाम को वह खेत के कार्यों को करता रहा।

अथवा

'डायरी के पन्ने पाठ के आधार पर बताइए कि अब महिलाओं की स्थिति में किस तरह के बदलाव आ रहे हैं?

उत्तर: ऐन फ्रैंक की डायरी विश्व की सर्वाधिक बिकनेवाली पुस्तकों में से एक है। यहूदी परिवार की तेरह वर्षीया ऐन फ्रैंक की यह डायरी हिटलर की नाजी पार्टी के आतंक का दर्दनाक साक्षात् अनुभव प्रस्तुत करती है । ऐन की डायरी नाजी अत्याचार की कहानी कहनेवाला जीवन्त दस्तावेज है। यह डायरी चिट्ठी की शक्ल में है। अपनी डायरी में ऐन ने अपनी तथा साथ के लोगों की ऊब भरी मानसिकता की चर्चा की है। बँधे और एकरस जीवन से ये लोग परेशान हैं। बातचीत के भी सारे विषय खत्म हो चुके हैं। चुटकुले और लतीफे भी अपना अर्थ खो चुके हैं। वह युद्ध में शामिल विभिन्न देशों की भूमिका, डच लोगों की मानसिकता आदि का वर्णन करती है

हिटलर यहूदियों से बेहद नफरत करता था। वह उन्हें जर्मनी की दुर्दशा का कारण समझता था और जर्मनी के कब्जे वाले क्षेत्रों से उनका नामों-निशान मिटाने को आतुर था। यहूदियों पर अमानुषिक अत्याचार, ए.एस.एस से बुलावा, गैस चैंबर व फायरिंग स्क्वायड का आतंक राशन बिजली का अभाव, ब्लैक आउट की स्थिति से गुजरना आदि अनेक तत्कालीन राजनीतिक सामाजिक परिवेश इस डायरी में चित्रित हैं। यहूदी इतिहास के जिस महत्त्वपूर्ण और कठिनाई भरे दौर से गुजरते हुए गुप्त आवास में जीवन संघर्ष करते हैं, उसका भी सहज चित्रण ऐन की डायरी में हुआ है

कुल मिला कर 'डायरी के पन्ने' पढ़कर हमें हिटलर की यातना और युद्ध की पीड़ा आदि का मार्मिक अहसास होता है।

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