जीएसटी
(GST) भारत के कर संरचना में सुधार का एक बहुत बड़ा कदम है। यह एक परोक्ष कर है।
वस्तुतः जीसएटी एक एकीकृत कर हैं जो वस्तुओं एवं सेवाओं दोनों पर ही लगाया जाता
है। विश्व के 150 से अधिक देशों द्वारा जीएसटी अपनाए जाने के कारण भारत के लिए इसे
अपनाना आवश्यक हो चुका था। अब तक भारत सहित 160 देशों ने जीएसटी अपनाया है। जीएसटी
लागू होने से सम्पूर्ण भारत एकीकृत बाजार में परिवर्तित हो गया है और अब सम्पूर्ण
भारत में एक ही प्रकार का परोक्ष या अप्रत्यक्ष कर लगेगा।
भारत
में 'वैट' सिद्धान्त पर आधारित एक व्यापक जीएसटी लाने का सुझाव सर्वप्रथम अप्रत्यक्ष
करों पर केलकर कार्यबल (Kelkar Task Force on Indirect Taxes) ने 2003 में दिया था।
वर्ष
2010 तक राष्ट्रीय स्तर पर जीएसटी लागू करने का प्रस्ताव केन्द्र सरकार के 2006-07
के बजट में किया गया था तथा इसके लिए विस्तृत रूपरेखा का का रोड मैप तैयार करने का
दायित्व राज्यों के वित्त मन्त्रियों की अधिकार प्राप्त समिति। (Empowered
Committee of State Finance Ministers) को सौंपा गया था।
राज्यों
के वित्त मन्त्रियों की अधिकार प्राप्त समिति की अनेक बैठकों व केन्द्र के साथ समिति
के विचार-विमर्श आने के पश्चात् जीएसटी के लिए वांछित संविधान संशोधन विधेयक ( 115वाँ
संविधान संशोधन विधेयक) मार्च 2011 में लोक सभा में प्रस्तुत किया गया था, जहां इसे
संसद की 'वित्त पर स्थायी समिति (Standing Committee an Finance) को सन्दर्भित किया
गया था। बाद में 15वों लोक सभा भंग हो जाने पर यह विधेयक निष्प्रभावी हो गया था।
केन्द्र
में मई 2014 में नई सरकार के गठन के पश्चात् एव बार पुन: केन्द्रीय मन्त्रिमण्डल ने
इसके लिए विधेयक के मसौद को 17 दिसम्बर, 2014 को मंजूरी दी थी तथा 19 दिसम्बर,
2014 को इसे लोक सभा में प्रस्तुत किया था। लोक सभा ने 6 मई, 2015 को इसे पारित कर
दिय था जिसके पश्चात् राज्य सभा में इसे प्रवर समिति (Select Committee) को संदर्भित
किया था। समिति ने अपनी रिपोर्ट 22 जुलाई, 2015 को प्रस्तुत की थी विपक्षी दलों के
साथ लम्बे व गहन विचार विमर्श के पश्चात् इसके लिए सहमति सरकार ने जुलाई 2016 तक प्राप्त
कर ली. जससे 3 अगस्त, 2016 को यह विधेयक राज्य सभा में परित हो सका। अनेक संशोधनों
के कारण लोक सभा में इसे अगस्त, 2016 को पुनः पारित कराया गया।
केन्द्रीय
वस्तु एवं सेवा कर विधेयक, समेकित वस्तु एवं सेवा कर विधेयक केन्द्रशासित क्षेत्र वस्तु
एवं सेवाकर विधेयक तथा क्षतिपूर्ति जीएसटी विधेयक लोक सभा द्वारा 29 मार्च, 2017 तथा
राज्य सभा द्वारा अप्रैल, 2017 को पारित कर दिए गए। 1 जुलाई, 2017 से यह लागू हो गया।
जीएसटी की आवश्यकता (Need of GST)
भारत
में जीएसटी की आवश्यकता इसलिए पड़ो क्योंकि पूर्व परोक्ष कर ढाँचा अत्यन्त जटिल
था। भारतीय संविधान के अनुसार मुख्य रूप से वस्तुओं की बिक्री पर कर लगाने का
अधिकार राज्य सरकार का है जबकि वस्तुओं के उत्पादन व सेवाओं पर कर लगाने का अधिकार
केन्द्र सरकार के पास है। फलतः देश को पूर्व कर व्यवस्था बहुत ही जटिल थी, क्योंकि
कम्पनियों और छोटे व्यवसायों के लिए विभिन्न प्रकार के कर अधिनियमों का पालन करना
कठिन होता था।
जीएसटी की विशेषताएँ (Features of GST)-वस्तु
एवं सेवा कर (Goods and Service Tax) की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
(1)
जीएसटी एक अप्रत्यक्ष कर है जो देशभर में वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति पर विनिर्माता
(Manufacturer) से उपभोक्ताओं तक एकल कर होगा जिससे पूरा देश एक एकीकृत साझा व्यापार
में परिवर्तित हो सकेगा।
(2)
उत्पादन के प्रत्येक चरण में भुगतान किए गए इनपुट करों का लाभ मूल्य सम्बर्द्धन के
बाद के चरण में उपलब्ध होगा। (Credit of Input taxes paid at each stage will be available at subsequent.
stage of value addition) इस प्रकार उत्पादन के प्रत्येक स्तर पर केवल वैल्यू एडीशन
पर ही यह कर देना होगा।
(3)
अन्तिम उपभोक्ताओं को इस आपूर्ति श्रृंखला में अन्तिम डोलर द्वारा लगाया गया जीएसटी
ही वहन करना होगा, इस प्रकार विभिन्न स्तरों पर लगने वाले करों पर कर का प्रभाव
(Cascading effect) समाप्त हो सकेगा।
(4)
जीएसटी के लागू होने से केन्द्रीय करों में से केन्द्रीय उत्पाद शुल्क, अतिरिक्त उत्पाद
शुल्क, सेवा कर, एडीशनल कस्टम ड्यूटी (काउण्टर वेलिंग ड्यूटी), विशेष और अतिरिक्त कस्टम
ड्यूटी तथा वस्तुओं व सेवाओं पर लगने वाले सारे सरचार्ज व सैस जहाँ समाप्त होंगे वहीं
राज्यों के करों में बैट, मनोरंजन कर, केन्द्रीय बिक्रो कर, चुंगी व प्रवेश कर, खरोद
कर, विलासिता कर, लॉटरी कर, सट्टे व जुए पर लगने वाला कर तथा सरचार्ज व सैस इसमें समाहित
हो जाएंगे।
एसजीएसटी
और सीजीएसटी के अन्तर्गत् सम्मिलित किए गए करों को नीचे सारणी में दर्शाया गया है-
सारणी-सीजीएसटी(CGST) व एसजीएसटी (SGST) में अन्तर
सीजीएसटी(CGST) |
एसजीएसटी (SGST) |
1. सेन्ट्रल एक्साइज ड्यूटी |
1. वैट/सेल्स टैक्स |
2. एडिशनल एक्साइज ड्यूटी |
2. एंटरटेनमेण्ट टैक्स (बशर्ते वे स्थानीय निकायों द्वारा लागू न किए जाते हों) |
3. मेडिसिनल एण्ड टायलेटरीज प्रेपरेशन एक्ट के तहत् लगाई जाने वाली एक्साइज ड्यूटी |
3. लक्जरी टैक्स |
4. सर्विस टैक्स |
लॉटरी पर टैक्स |
5. एडिशनल कस्टम ड्यूटी |
5. वस्तुओं एवं सेवाओं की आपूर्ति से जुड़े राज्य के सेस तथा सरचार्ज। |
6. स्पेशल एडिशनल ड्यूटी |
|
7. सरचार्ज |
|
8. एजुकेशन सेस तथा सेकण्डरी एण्ड हायर सेकण्डरी एजुकेशन सेस। |
|
(5)
जीएसटी के तहत् उन सभी व्यवसायी, उत्पादक या सेवा प्रदाता को पंजीकरण कराना होना होगा
जिनकी वर्ष भर में कुल बिक्री का मूल्य ₹ 20 लाख से ज्यादा है।
(6)
जीएसटी में व्यवसायियों को मुख्य रूप से तीन अलग-अलग प्रकार के टैक्स रिटर्न भरने होंगे
जिसमें इनपुट टैब्स, आउटपुट टैक्स और एकीकृत रिटर्न शामिल हैं।
जीएसटी (Goods and Service Tax) का आरोपण देश में अब
तक का सबसे बड़ा कर सुधार माना जा रहा है। जीएसटी के लागू होने से केन्द्रीय करों में
से केन्द्रीय उत्पाद शुल्क, अतिरिक्त उत्पाद शुल्क, सेवा कर, एडीशनल कस्टम ड्यूटी
(काउण्टरवेलिंग ड्यूटी) विशेष और अतिरिक्त कस्टम ड्यूटी तथा वस्तुओं व सेवाओं पर लगने
वाले सारे सरचार्ज व सैस जहाँ समाप्त होंगे वहीं राज्यों के करों में वैट, मनोरंजन
कर, केन्द्रीय बिक्री कर, चूंगी व प्रवेश कर, खरीद कर, विलासिता कर, लॉटरी, सट्टे व
जुए पर लगने वाले कर तथा सरचार्ज व सैस भी इसमें समाहित हो जाएँगे। इस प्रकार केन्द्र,
राज्यों व स्थानीय निकायों द्वारा लिए जाने वाले विभिन्न अप्रत्यक्ष करों के स्थान
पर एकीकृत जीएसटी ही वसूला जाएगा।
सीजीएसटी
(CGST), एसजीएसटी (SGST) व आईजीएसटी (IGST) में अन्तर
सीजीएसटी
(CGST)-जहाँ केन्द्र सरकार द्वारा राजस्व एकत्रित किया जाएगा।
एसजीएसटी
(SGST) राज्य में बिक्री के लिए राज्य सरकारों द्वारा राजस्व एकत्रित किया जाएगा।
आईजीएसटी
(IGST)—जहाँ अन्तर्राज्यीय बिक्री के लिए केन्द्र सरकार द्वारा राजस्व एकत्र किया जाएगा।
ज्यादातर मामलों में, नए शासन के तहत् कर संरचना निम्नानुसार होगी-
सारणी-CGST,
SGST व IGST में अन्तर
लेन-देन |
नई प्रणाली |
पुरानी व्यवस्था |
व्याख्या |
राज्य के भीतर बिक्री |
सीजीएसटी + एसजीएसटी |
वैट + केन्द्रीय उत्पाद शुल्क/सेवा कर |
राजस्व अब केन्द्र और राज्य के बीच साझा किया जाएगा। |
दूसरे राज्य को बिक्री |
आईजीएसटी |
केन्द्रीय बिक्री कर + उत्पाद शुल्क/ सेवा कर |
अन्तर्राज्यीय बिक्री के मामले में अब केवल एक प्रकार का कर (केन्द्रीय) होगा। |
उदाहरण (Example)
1.
महाराष्ट्र के एक व्यापारी ने 10,000 रुपए में अन्य राज्य में पभोक्ता को माल बेचा
जीएसटी की दर 18% है जिसमें 9% सीजीएसटी और 9% एसजीएसटी शामिल हैं। ऐसे मामलों में
डीलर 1800 रुपए जमा करता है और इस राशि में से 900 रुपए केन्द्र सरकार के पास जाएँगे
और 900 रुपए नहाराष्ट्र सरकार के पास जाएँगे। इसलिए अब डीलर को आईजीएसटी के रूप में
1,800 रुपए चार्ज करना होगा। अब सीजीएसटी और एसजीएसटी को भुगतान करने की आवश्यकता नहीं
होगी।
2. एक चिप्स बनाने वाले कमनी के कच्चे माल की कीमत ₹ 10 है। जीएसटी की दर 10% है। वह ₹ 10 में आलू के चिप्स बनाता है और इसे ₹ 20 में दुकानदार को बेचता है। चिप्स निर्माता द्वारा जोड़ा गया गूल्य ₹ 10 है, इस प्रकार उसके द्वारा देय जीएसटी ₹ 1 है। दुकानदार ने अन्तिम उपभोक्ता को ₹ 25 में बेचा तो उसके द्वारा देय जीएसटी र 5 का 10%, ₹ 0.5 हुआ।
जीएसटी के लाभ (ADVANTAGES OF GST)
I. व्यापार और कम्पनियों के लिए
1.
आसानी से अनुपालित होने की सुविधा-जीएसटी का नियन्त्रण और नियमन एक बेहद उम्दा आइटी
सिस्टम (कम्प्यूटर व इण्टरनेट आधारित एवं नियन्त्रित प्रणाली) द्वारा किया जाएगा। अतः
करदाता को मिलने वाली सभी तरह की सुविधाएँ मसलन पंजीकरण, रिटर्न, पेमेण्ट आदि ऑनलाइन
दो जाएँगी जिससे सभी करदाता बहुत आसानी से कर जमा कर पाएंगे।
2.
कर की दर और ढाँचे में सन्तुलन-आशा है कि जीएसटी कर की दर को नियन्त्रित रखने में सहायक
सिद्ध होगा और देश भर में कर की एक ही दर लागू रहेगी। ऐसा माना जा सकता है कि जीएसटी
देश के व्यापार को कर के गागले गें तटस्थ बनाएगा, जिससे कहीं भी कभी भी सगान ब्याज
दर पर व्यापार किया जा सकेगा।
3.
व्यापार में एक स्वस्थ प्रतियोगिता-लेन-देन लागत (ट्रांजक्शन कॉस्ट) में कमी आने पर
व्यापार करना आसान हो जाएगा, व्यापारी व्यापार वृद्धि के रास्ते तलाश पाएँगे और एक
स्वस्थ व्यापारिक प्रतियोगिता जन्म लेगी।
II. केन्द्रीय और राज्य सरकारों की सहूलियत
केन्द्र
और राज्य सरकारों को निम्नलिखित तरह से आसानी प्राप्त होगी-
1.
साधारण और आसान नियमन-पहले चल रहे कई तरह के अप्रत्यक्ष केन्द्रीय और राज्य स्तरीय
कर जीएसटी के अन्तर्गत् आ जाएँगे। साथ ही इसमें एण्ड टू एण्ड आईटी सिस्टम (प्रथम प्रक्रिया
से अन्तिम प्रक्रिया तक कम्प्यूटर व इण्टरनेट आधारित व्यवस्था या प्रणाली) की सुविधा
है। जीएसटी इस सुविधा के साथ एक अति साधारण रूप में आ रही है।
2.
पारदर्शिता-आईटी सेल की सहायता से जीएसटी के नियन्त्रण और नियमन को वजह से कर व्यवस्था
में पारदर्शिता आएगी। निबांध ट्रांजक्शन की सुविधा की वजह से भी कर व्यवस्था में पारदर्शिता
आएगी तथा एक स्तर पर हो कर लेन-देन हो जाएगा। अत: पारदर्शिता आ जाएगी।
3.
उच्चतर धन संचय-जीएसटी की सहायता से कर भुगतान आसान जाएगा अतः अधिक-से- अधिक लोग कर
देंगे और देश की आर्थिक व्यवस्था बेहतर होगी।
III. ग्राहकों के लिए
1.सकल
और पारदर्शी कर व्यवस्था-पहले विभिन्न तरह के कर होने की वजह से लोग हर तरह के कर का
भुगतान नहीं कर पाते थे। जीएसटी इन सभी तरह के करों को एक नाम के अन्दर समेट लेती है।
अत: लोगों को ये कर देने में बहुत आसानी होगी। जीएसटी के अन्तर्गत् सिर्फ एक ही कर
होगा जिससे कर भुगतान आसान और पारदर्शी बनेगा।
2.
विभिन्न करों से छुटकारा-पारदर्शिता आने की वजह से कई चीजों की कीमतों में कमी आएगी
और खरीदारों अथवा बेचने वालों पर किसी तरह के अतिरिक्त टैक्स का बोझ नहीं आएगा।
जीएसटी अनुपालन रेटिंग (GST COMPLIANCE RATING)
जीएसटी
कानून वस्तु एवं सेवा कर अनुपालन रेटिंग की एक अवधारणा प्रदान करता है, जो भारत में
नयी है। वर्तमान में भारत में ऐसी कोई भी अवधारणा विद्यमान नहीं है। जीएसटी अनुपालन
एक ऐसी अवधारणा है जो अपने देश में पहली बार वैधानिक प्रावधान की तरह लागु अथवा प्रयोग
की जायेगी। इसके अनुसार, प्रत्येक करदाता को जीएसटी रेटिंग अंक प्रदान किये जायेंगे
जो उसके कर-प्रक्रिया के अनुपालन सम्बन्धी इतिहास के ऊपर आधारित होंगे। प्रत्येक करदाता
को उसके व्यवसाय की प्रकृति, आकार अथवा टर्नओवर को ध्यान में न रखते हुए जीएसटी अनुपालन
रेटिंग दी जायेगी।
वैधानिक प्रावधान
केन्द्रीय
वस्तु एवं सेवा कर अधिनिया, '2017 की धारा 149 जीएसटी अनुपालन रेटिंग के सन्दर्भ में
प्रावधान को सम्मिलित करती है। यह वस्तु एवं सेवा कर रेटिंग अंक समयान्तराल पर परिवर्तित
भी हो सकते हैं तथा पंजीकृत व्यक्ति को बताये जायेंगे।
जीएसटी
रेटिंग के ये प्रावधान अन्य जीएसटी अर्थात् एसजीएसटी (SGST) यूटीजीएसटी (UTGST) तथा
आईजीएलटी (IGST) पर भी निम्नलिखित प्रावधानों के अन्तर्गत लागू होंगे-
आईजीएसटी अधिनियम, 2017 |
धारा 20 बताती है कि सीजीएसटी, 2017 के प्रावधान समान रूप से आईजीएसटी पर भी लागू होंगे। |
यूटीजीएसटी अधिनियम, 2017 |
धारा 21 बताती है कि सीजीएसटी, 2017 के प्रावधान समाग रूप से यूटीजीएसटी पर भी लागू होंगे। |
एसजीएसटी अधिनियम, 2017 |
धारा 171 लागू होती है। |
अनुपालन रेटिंग की प्रमुख विशेषताएँ
प्रत्येक
करदाता को जीएसटी अधिनियम के प्रावधानों के अन्तर्गत जीएसटी रेटिंग अंक उसके अनुपालन
के रिकॉर्ड के अनुसार प्रदान किये जायेंगे भले ही उसका टर्नओवर अधवा प्रकृति अथवा व्यापार
का आकार कुछ भी हो।
अनुपालन
रेटिंग प्रक्रिया निम्न पर आधारित हो सकती है।
(क)
कर भुगतान में तत्परता।
(ख)
लेन देनों का मिलान ।
(ग)
पारदर्शी समाधान।
(घ)
विभिन्न समय सीमाओं का पालन करना।
(ङ)
कर विभागों के साथ समन्व्यता आदि।
जीएसटी अनुपालन रेटिंग प्रवाह (GST COMPLIANCE RATING FLOW)
जीएसटी रेटिंग का प्रभाव- जीएसटी रेटिंग व्यावसायिक
उपक्रमों को उनके व्यापार के लिए बहुत अच्छे जीएसटी अनुपालनकर्ता चुनने में सहायता
प्रदान करती है। अच्छे अंक वाले करदाताओं को निम्नलिखित तरीकों से अन्य के ऊपर लाभ
प्राप्त होता है-
(क)
कर प्राधिकरणों से विश्वास प्राप्त होना।
(ख)
कर विभाग द्वारा सम्मान प्राप्त होना।
(ग)
प्राप्य इनपुट क्रेडिट का न रुकना।
(घ)
क्रेताओं का विश्वास बढ़ना।
(ङ)
बैंक द्वारा बेंचमार्क की तरह प्रयोग किया जाना।
(च)
पूर्तिकर्ताओं के साथ अच्छा मोलभाव कर पाना आदि ।
धारा
149 का विश्लेषण-इस नये कर प्रशासन अवधारणा का उद्देश्य जीएसटी को पूर्णरूप से सुगम
बनाना है तथा अन्य आवश्यक प्रपत्रों को समय पर फाइल करना है।
व्यक्ति
इनपुट टैक्स क्रेडिट को जीएसटीआर-2 के अन्तर्गत दावा कर सकता है परन्तु यह तभी सम्भव
है जबकि विक्रेता भी जीसएटीआर-1 (जो मासिक विक्रय को दर्शाता है) को फाइल करता है तथा
दोनों प्रारूपों में दिये गये विवरण एक दूसरे से मिलते हैं। यह पहले नहीं था।
जीएसटी
अनुपालन अंक उन मापदण्डों पर आधारित होंगे जो इन उद्देश्य हेतु वर्णित हैं। करदाता
की रेटिंग उसके इनपुट टैक्स क्रेडिट की योग्यता को निर्धारित करने के लिए आवश्यक होगी।
जीएसटी प्रणाली टैक्स दरें
1.
आम आदमी द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले अनाज सहित उपभोक्ता मूल्य सूचकांक की लिस्ट
में शामिल आधी वस्तुओं पर शून्य कर होगा।
2.
आम लोगों द्वारा बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किए जाने वाली वस्तुओं पर 5% की ड्यूटी लगायी
जाएगी।
3.
वस्तु एवं सेवाकर की 12% और 18% की दो मानक दरें होंगी।
4. वर्तमान में 30-31% की दर से कर लगाए जाने वाली वस्तुओं पर 28% की दर से कर लगाया जाएगा।