Series
(श्रेणी) |
प्रत्यक्ष विधि (DM) |
लघु विधि ( SM ) |
Individual
Series (IS) |
σ=`\sqrt{\frac{\Sigma dx^2}n}` |
σ=`\sqrt{\frac{\Sigma dx^2}n-(\frac{\Sigma dx}n)^2` |
Discrete Series (DS) Continuous Series (CS) |
σ=`\sqrt{\frac{\Sigma fdx^2}{\Sigma f}}` |
σ=`\sqrt{\frac{\Sigma fdx^2}{\Sigmaf}-(\frac{\Sigmafdx}{\Sigma f})^2` |
पद विचलन विधि
विचरण मापांक (Variance) = `\sigma^2`
प्रमाप विचलन का गुणांक(Coefficient of SD) = `\frac\sigma Ẍ`
विचरण गुणांक (Coefficient of Variation) दो या दो से अधिक श्रेणियों में विचलण
की तुलना करने के लिए विचरण गुणांक का प्रयोग किया जाता है। यह माप विचलन गुणांक
का प्रतिशत रूप है। दूसरे शब्दों में, प्रमाप विचलन को समान्तर माध्य से भाग देकर
भागफल में 100 की गुणा करने से प्राप्त प्रतिशत ही ‘विचरण गुणांक’ होता है। इस सापेक्ष माप का सर्वप्रथम प्रयोग करने का श्रेय प्रसिद्ध वैज्ञानिक कार्ल पियर्सन को है। सूत्र रूप में
विचरण गुणांक(Coefficient
of Variation) = `\frac\sigma Ẍ` × 100
जिस समंक श्रेणी का विचरण गुणांक अधिक
होता है उसमें विचरण अधिक होता है और वह श्रेणी अधिक अस्थिर व असंगत मानी जाती है।
इसके विपरीत, जिस श्रेणी में विचरण गुणांक कम होता है, वह अधिक स्थिर व संगत मानी
जाती है।
माध्य विचलन |
प्रमाप विचलन |
माध्य
विचलन की
गणना में बीजगणितीय चिह्न (+ तथा-)
की उपेक्षा की जाती
है। |
प्रमाप विचलन की
गणना में बीजगणितीय चिह्न का
ध्यान रखा
जाता है। |
माध्य
विचलन की
गणना माध्य,मध्यका अथवा भूयिष्ठक किसी से
भी की
जा सकती
है। |
माध्यम विचलन की
गणना केवल
माध्य से
की जाती
है। |
प्रमाप विचलन की दो विशेषताएं हैं:
1) इसके मूल्य
के विचलन हमेशा समांतर माध्य से ही निकाले जाते हैं।
2) माध्य से लिए गए विचलनों के (+) तथा (-) चिन्हों को छोड़ा नहीं जाता। वास्तव में विचलनों के वर्ग किए जाने के कारण ऋणात्मक विचलनों के वर्ग भी धनात्मक हो जाते हैं। अंत में विचलनों के वर्गों का समांतर माध्य निकाल कर उनका वर्गमूल निकाल लिया जाता है। इस वर्गमूल को ही प्रमाप विचलन कहते हैं। इसका मूल्य हमेशा धनात्मक होता है।
स्पीगल के अनुसार – “प्रमाप विचलन
श्रृंखला के माध्य से लिए गए सभी विचलनों के वर्गों के माध्म का वर्गमूल है।”
प्रमाप विचलन के गुण
1.यह श्रेणी
के सभी मूल्यां पर आधारित होता है।
2.यह विशुद्ध
गणितीय विधि पर आधारित है; अत: उच्चतर गणितीय रीतियों में इसका काफी प्रयोग होता है।
3.अपकिरण की
अन्य मापों की अपेक्षा प्रमाप विचलन पर निदर्शन परिवर्तनों का सबसे कम प्रभाव होता
है।
4.यह अपकिरण
का एक स्पष्ट और निश्चित माप है जो प्रत्येक स्थिति में ज्ञात किया जा सकता है।
5.इसके द्वारा
सामान्य वक्र के क्षेत्र का निर्धारण स्पष्ट रूप से हो जाता है।
6.इसका बीजीय
विवेचन संभव है।
7.अपकिरण का
निम्नलिखित क्षेत्रों में अत्यधिक उपयोग किया जाता है
प्रमाप विचलन के दोष
1. अन्य मापों की
अपेक्षा समझने में यह कठिन है।
2. यह चरम
मूल्यों को अत्यधिक महत्त्व देता है।
Individual Series
(Direct Method)
प्रश्न :- निम्न आंकड़ों से प्रमाप विचलन की गणना करे
x : 2,4,6,8,10
X | dev=6(dx) | dx2 |
---|---|---|
2 | -4 | 16 |
4 | -2 | 4 |
6 | 0 | 0 |
8 | 2 | 4 |
10 | 4 | 16 |
=30 | =40 |
X | dev=6(dx) | dx2 |
---|---|---|
2 | -4 | 16 |
4 | -2 | 4 |
6 | 0 | 0 |
8 | 2 | 4 |
10 | 4 | 16 |
=0 | =40 |
विचरण मापांक (Variance) = `\sigma^2`= (2.8)2 = 7.84
प्रमाप विचलन का गुणांक(Coefficient of SD) =`\frac\sigma Ẍ`
=`\frac{2.8}6=0.46`
विचरण गुणांक(Coefficient of Variation) = `\frac\sigma Ẍ` × 100
=`\frac{2.8}6\times100=46.66`
Discrete Series
(Direct Method)
प्रश्न :- निम्न आंकड़ों से प्रमाप विचलन की गणना करे
x |
2 |
4 |
8 |
10 |
3 |
4 |
ƒ |
3 |
2 |
1 |
3 |
4 |
3 |
X |
ƒ |
ƒx |
dev =4.7(dx) |
ƒdx |
ƒdx2 |
2 |
3 |
6 |
-2.7 |
-8.1 |
21.87 |
4 |
2 |
8 |
-0.7 |
-1.4 |
0.98 |
8 |
1 |
8 |
3.3 |
3.3 |
10.89 |
10 |
3 |
30 |
5.3 |
15.9 |
84.27 |
3 |
4 |
12 |
-1.7 |
-6.8 |
11.56 |
4 |
3 |
12 |
-0.7 |
-2.1 |
1.47 |
|
Σƒ = 16 |
Σƒx = 76 |
|
|
Σƒdx2=131.04 |
X |
ƒ |
A = 4 (dx) |
ƒdx |
ƒdx2 |
2 |
3 |
-2 |
-6 |
12 |
4 |
2 |
0 |
0 |
0 |
8 |
1 |
4 |
4 |
16 |
10 |
3 |
6 |
18 |
108 |
3 |
4 |
-1 |
-4 |
4 |
4 |
3 |
0 |
0 |
0 |
|
Σƒ = 16 |
|
Σƒdx= -10+22=12 |
Σƒdx2 =140 |
प्रमाप विचलन का गुणांक(Coefficient of SD) =`\frac\sigma Ẍ`
=`\frac{2.8}4.7=0.59`
विचरण गुणांक(Coefficient of Variation) = `\frac\sigma Ẍ` × 100
=`\frac{2.8}4.7\times100= 59.5`
Continuous Series (Direct Method)
C.I |
0-10 |
10-20 |
20-30 |
30-40 |
40-50 |
50-60 |
ƒ |
1 |
2 |
1 |
2 |
2 |
2 |
C.I |
ƒ |
MV x |
ƒx |
dv=33 dx |
ƒdx |
ƒdx2 |
0-10 |
1 |
5 |
5 |
-28 |
-28 |
784 |
10-20 |
2 |
15 |
30 |
-18 |
-36 |
648 |
20-30 |
1 |
25 |
25 |
-8 |
-8 |
64 |
30-40 |
2 |
35 |
70 |
2 |
4 |
8 |
40-50 |
2 |
45 |
90 |
12 |
24 |
288 |
50-60 |
2 |
55 |
110 |
22 |
44 |
968 |
|
Σƒ =10 |
|
Σƒx=330 |
|
|
Σƒdx2 =2760 |
C.I |
ƒ |
MV(x) |
A=5(dx) |
ƒdx |
ƒdx2 |
0-10 |
1 |
5 |
0 |
0 |
0 |
10-20 |
2 |
15 |
10 |
20 |
200 |
20-30 |
1 |
25 |
20 |
20 |
400 |
30-40 |
2 |
35 |
30 |
60 |
1800 |
40-50 |
2 |
45 |
40 |
80 |
3200 |
50-60 |
2 |
55 |
50 |
100 |
5000 |
|
Σƒ = 10 |
|
|
Σƒdx=280 |
Σƒdx2=10600 |
C.I |
ƒ |
MV(x) |
A=5(dx) |
i=10(dx)' |
ƒdx' |
𝑓 |
0-10 |
1 |
5 |
0 |
0 |
0 |
0 |
10-20 |
2 |
15 |
10 |
1 |
2 |
2 |
20-30 |
1 |
25 |
20 |
2 |
2 |
4 |
30-40 |
2 |
35 |
30 |
3 |
6 |
18 |
40-50 |
2 |
45 |
40 |
4 |
8 |
32 |
50-60 |
2 |
55 |
50 |
5 |
10 |
50 |
|
Σƒ = 10 |
|
|
|
ΣƒdxI = 28 |
Σ𝑓 |
(1) चतुर्थक विचलन (Q.D) प्रमाप विचलन(S.D) का 0.6745 गुणन अथवा `\frac{2}{3}`होता है ।
Q.D = `\frac{2}{3}`σ अथवा σ = `\frac{3}{2}`Q.D
(2) माध्य विचलन(M.D) प्रमाप विचलन(S.D) का 0.7979 गुणा अथवा `\frac{4}{5}`होता है।
δ = `\frac{4}{5}`σ अथवा σ = `\frac{5}{4}`δ
(3) चतुर्थक विचलन (Q.D) माध्य विचलन(M.D) का होता है।
Q.D = `\frac{5}{6}`δ अथवा δ = `\frac{6}{5}` Q.D