(झारखंड में पंचवर्षीय योजनाएँ, 10वीं और 11वीं पंचवर्षीय योजना, टीएसपी और एससीएसपी, झारखंड में लोकवित्त का झुकाव)
झारखंड की पंचवर्षीय योजना
झारखंड
देश के विकासशील राज्यों में से एक है। इस राज्य में वन और खनिज सम्पदा प्रचुर
मात्रा में उपलब्ध हैं। परंतु इस राज्य को विकसित राज्यों की श्रेणी में शामिल
करने हेतु आधारभूत संरचनाओं को विकसित करने की आवश्यकता है।
योजना
एवं विकास एवं विकास विभाग का मुख्य दायित्व राज्य हित में प्राथमिकताओं को
निर्धारित करना, संसाधनों के हितकारी उपयोग के लिए व्यवस्था करना और संरचनाओं को
सुदृढ़ करने की दिशा में सार्थक प्रयास करना है।
इसके
अतिरिक्त योजना विभाग राज्य के सर्वांगीण विकास हेतु वार्षिक और पंचवर्षीय योजनाओं
की रूप रेखा तैयार करता है।
10वीं और 11वीं पंचवर्षीय योजना
दसवीं
पंचवर्षीय योजना 2002 से 2007 तक निर्धारित की गई। झारखंड राज्य में संतुलित विकास
की महत्ता पर बल देने के लिए दसवीं योजना में राष्ट्रीय लक्ष्यों के समरूप वृद्धि
दरों तथा समाजिक विकास के लक्ष्यों को शामिल करते हुए वृहत् विकासात्मक लक्ष्यों
का विवरण शामिल किया गया था।
झारखंड
के निर्माण के लिए 2 वर्ष बाद 10वीं पंचवर्षीय योजना का निर्माण किया गया।
•
10वीं पंचवर्षीय योजना में 2002-2007 के दौरान कृषि एवं उससे संबंधित
क्षेत्र में 824.85 करोड़ आवंटन किया गया था जिसमें 2003-03 में 13.12 करोड़
खर्च किया गया
•
ग्रामीण विकास के लिए 3272.33 करोड़ का आवंटन किया गया।
•
विशेष क्षेत्र कार्यक्रम के लिए 2003-04 में 22.08 करोड़ आवंटन किया
गया।
•
सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण के लिए 2002-07 के दौरान 2076.70 करोड़
रुपए आवंटन किए गए।
•
ऊर्जा के क्षेत्र में 2002-07 के दौरान 814.00 करोड़ रुपए आवंटन किए
गए।
•
उद्योग एवं खनिज के क्षेत्र में 2002-07 के दौरान 473.87 करोड़ रुपए
आवंटन हुए।
•
परिवहन के क्षेत्र में 2002-07 के दौरान 1287.64 करोड़ रुपए का आवंटन
हुआ।
•
संचार क्षेत्र में 2002-03 में 6.71 करोड़ खर्च किए गए।
•
विज्ञान, तकनीक एवं पर्यावरण के क्षेत्र में 2002-07 के दौरान
330.00 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया।
10वीं
पंचवर्षीय योजना में 2002-07 के दौरान कुल 14632.74 करोड़ रुपए
की राशि प्रदान की गई। वर्ष 2005-06 में कुल 4519.49 करोड़ रुपए की राशि प्राप्त
हुई। वर्ष 2006-07 में 6500.00 करोड़ की राशि की स्वीकृति मिली थी।
राज्य
सरकार ने योजना आयोग को ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना का प्रस्तावित स्वरूप सम्बंधी
दस्तावेज सौंपते समय अपनी प्राथमिकताएं निर्धारित की थी, जिनकी चर्चा करना
अनिवार्य हैं।
झारखंड
सरकार ने रोड, रेल और वायु सम्पर्क बेहतर करने हेतु योजना आयोग से अनुरोध किया।
राज्य सरकार ने लगभग 2.00 लाख करोड़ रुपए के पूंजी निवेश हेतु अनेकों औद्योगिक
घरानों के साथ समझौता किया है, लेकिन यह जमीन पर तभी उतरेगी जब आधारभूत संरचना का पर्याप्त
विकास हो जाए।
ऊर्जा
के क्षेत्र में ग्रामीण विद्युतीकरण हेतु 'राजीव गाँधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना'
शुरू की गई परंतु वन सम्बंधी अधिनियमों कारण त्वरित कार्यान्वयन में रूकावटें आ
रही है।
खनिज
के क्षेत्र में झारखंड आत्म निर्भर है। राज्य सरकार ने 2005-06 में कई बड़े
औद्योगिक घरानों के साथ उद्योग स्थापित करने हेतु एम. ओ. यू पर हस्ताक्षर किया था।
योजना
आयोग ने कृषि के क्षेत्र में ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना में कृषि में विकास दर 6.3
प्रतिशत प्रति वर्ष निर्धारित किया था।
ग्यारहवीं योजना के प्रस्तावित लक्ष्य : योजना
आयोग ने झारखंड सरकार के लिए 9.8 प्रतिशत सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि का लक्ष्य
रखा था।
कृषि- इस क्षेत्र में कृषि के विकास हेतु
निम्नलिखित लक्ष्य रखे गये थे- कृषि उत्पादन में वृद्धि, दलहन, तेलहन और सब्जी की
खेती पर जोर, उन्नत बीजों का प्रयोग, कृषि क्षेत्र में विस्तार, कृषि, शिक्षा और प्रशिक्षण
पर जोर।
पशुपालन- योजनान्तर्गत निम्नलिखित
लक्ष्य रखे गए थे- दूध उत्पादन में वृद्धि, पशुओं के नस्ल में सुधार, दूध की
प्राप्ति, परिवहन और विक्रय हेतु विपणन व्यवस्था का सुदृढीकरण, मत्स्य पालन हेतु
ग्रामीणों को प्रोत्साहन, सूअर पालन को प्रोत्साहन।
सिंचाई- 2007-12 के दौरान निम्नलिखित
लक्ष्य प्रस्तावित थे- वृहत सिंचाई योजनाओं को पूर्ण करना, सिंचित क्षेत्र में 10
15 प्रतिशत की वृद्धि करना, भूमिगत जल स्तर की वृद्धि हेतु कार्यवाई करना।
जनजातीय उप-योजना (TSP) तथा अनुसूचित जाति उप-योजना (SCSP)
समाज
के चिन्हित वर्गों के बीच सामाजिक एवं आर्थिक विपन्नता को दूर करते हुए सभी वर्गों
को समान रूप से विकसित करने की अवधारणा संविधान के नीति निदेशक तत्वों में निदेशित
है।
राज्य
सरकार द्वारा अनुसूचित जनजाति क्षेत्र एवं अनुसूचित जाति के लिए वित्तीय वर्ष
2017-18 में 'अनुसूचित जनजाति क्षेत्र एवं अनुसूचित जाति विकास बजट' प्रथम बार सदन
में प्रस्तुत किया गया। इसका मुख्य उद्देश्य राज्य में रहनेवाले अनुसूचित जनजाति
एवं अनुसूचित जाति के विकास पर फोकस करते हुए उनके लिए निरूपित योजनाओं का
कार्यान्वयन एवं सतत् अनुश्रवण इस तरह से किया जा सके कि समाज के अंतिम पायदान पर
खड़े व्यक्ति को भी लाभान्वित किया जा सके।
झारखंड में लोकवित्त का झुकाव
अर्थव्यवस्था
में सरकार की भूमिका का अध्ययन लोक वित्त कहलाता है। यह अर्थशास्त्र की वह शाखा है
जो सरकार के आय तथा व्यय का आकलन करती है।
सरकार
बजट के माध्यम से आर्थिक क्रियाओं का नियमन करती है, बजट केवल एक वित्तीय विवरण
नहीं है, बल्कि एक विस्तृत योजना है, जो सरकार के आर्थिक कार्यक्रमों से संबंधित
है। प्रो. मेसग्रेव ने बजट के तीन उद्देश्यों अथवा कार्यों का उल्लेख किया है-
•
आवंटन कार्य,
•
वितरणानात्मक कार्य,
•
स्थिरीकरण कार्य।
औद्योगिक नीति
झारखंड
के त्वरित औद्योगिक विकास हेतु निम्न औद्योगिक नीति राज्य में लागू की गई
झारखंड औद्योगिक नीति, 2001
झारखंड
राज्य के गठन के बाद प्रथम औद्योगिक नीति की घोषणा अगस्त
2001 ई. में की गई। इस नीति में राज्य में उपलब्ध खनिज संसाधनों एवं अन्य प्राकृतिक संसाधनों से 10 प्रतिशत विकास दर हासिल करने का लक्ष्य रखा गया
था। इस नीति का उद्देश्य राज्य को घरेलू एवं विदेशी पूंजी निवेश के लिए अनुकूल
बनाना, प्रमुख आधारभूत संसाधनों से संबंधित परियोजनाओं का त्वरित कार्यान्वयन,
रोजगार के अवसरों में बढ़ोत्तरी, उत्पादकता में सुधार, राज्य के संपूर्ण भौगोलिक
क्षेत्रों का संतुलित विकास, लघु, लघुत्तर और कुटीर उद्योगों का विकास करना था।
इसका विस्तारीकरण मार्च 2011 तक किया गया था। इस नीति में उद्यमियों को विकास
केन्द्रों, औद्योगिक क्षेत्रों इत्यादि से 30 वर्ष की लीज
एवं वार्षिक किराए पर नवीकरण की सुविधाओं के साथ उद्योग स्थापित करने के लिए भूमि
शेड आवंटित किए जाने का प्रावधान किया गया था। इस नीति में औद्योगिक क्षेत्रों या
विकास केन्द्रों से बाहर उद्योगों की स्थापना के लिए राज्य सरकार द्वारा अलग से
भूमि उपलब्ध कराने का प्रावधान किया गया था। इसके लिए छोटानागपुर कास्तकारी
अधिनियम 1908 में औद्योगिक उद्देश्य अथवा खनन के उद्देश्य से कोई इकाई स्थापित
करने हेतु आवश्यक संशोधन (बिहार अधिनियम 2, 1996) पूर्व में पारित किया जा चुका
है।
इस
नीति में झारखंड में तीन स्तरीय मेगा, मिनी तथा माइक्रो स्तर पर उद्योगों के विकास
की योजना बनाई गई थी। बरही में 'मेगा विकास केन्द्र' विकसित करना प्रस्तावित था,
जो बिहार के औद्योगिक नीति में भी शामिल था। प्रत्येक प्रखंड में माइक्रो उद्योग
की स्थापना का लक्ष्य रखा गया था। सरकार ने राज्य के विभिन्न स्थानों पर 'मिनी विकास
केन्द्र' के रूप में चाईबासा और गोड्डा में तसर-रेशम पार्क, रांची और दुमका में
कृषि आधारित फूड प्रोसेसिंग पार्क, कोडरमा में प्लास्टिक पार्क, नामकुम टाटीसिलवे
में इलेक्ट्रानिक पार्क, रासायनिक पार्क, धनबाद में निर्यात प्रोत्साहन औद्योगिक
पार्क, रांची, जमशेदपुर में सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क, बायोटेक और हल पार्क
स्थापित करने का प्रावधान किया था।
इस
नीति के कारण, 24 वृहतर उद्योग (मेगा उद्योग), 106 वृहद उद्योग तथा मध्यम उद्योग
और 18109 सूक्ष्म एवं छोटे उद्योगों की स्थापना हुई। जिसके कारण 28424.06 करोड़
रुपए का निवेश और 63000 लोगों को इन उद्योगों में रोजगार प्राप्त हुआ। इस नीति के
कारण राज्य के राजस्व में वृद्धि के साथ-साथ कुछ प्रक्षेत्रों में जीवन की
गुणवत्ता में भी वृद्धि हुई, जैसे- जमशेदपुर सरायकेला चाईबासा, रामगढ़ पतरातू
हजारीबाग, लातेहार चंदवा, रांची-लोहरदगा, बोकारो-चंदनकियारी-धनबाद-गिरिडीह
इत्यादि। 11वीं पंचवर्षीय योजना लौह इस्पात का उत्पादन राज्य में 8 मिलियन टन से
बढ़कर
12 मिलियन टन में हो गया।
झारखंड
औद्योगिक नीति 2001 के कारण कई संगठनों का प्रार्दुभाव हुआ। इनमें रांची औद्योगिक
क्षेत्र विकास प्राधिकरण, आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकरण, बोकारो
औद्योगिक क्षेत्र विकास राज्य खादी बोर्ड, झारखंड औद्योगिक आधारभूत संरचना विकास
कॉर्पोरेशन (JIIDCO) और झारक्राफ्ट (JHARCRAFT) आदि प्रमुख हैं।
झारखंड औद्योगिक नीति, 2012
औद्योगिक
नीति 2001 की सफलताओं के बुनियाद पर झारखंड औद्योगिक नीति 2012 की घोषणा की गई।
वृहत उद्योगों तथा सूक्ष्म और लघु उद्योगों के बीच संबंध स्थापित करना इस नीति का
मुख्य उद्देश्य था। इस नीति के अन्य उद्देश्यों में निम्न प्रमुख थे-
1.
राज्य के खनिज एवं अन्य प्राकृतिक संसाधनों का अनुकूलतम स्तर पर
प्रयोग हेतु सुविधा प्रदान करना।
2.
ऐसे कौशल को विकसित करना जो पर्यावरण प्रदूषण से मुक्त उद्योगों को
बढ़ावा दे, जैसे सूचना प्राद्योगिकी, जैव प्रौद्योगिकी, पर्यटन आदि।
3.
राज्य की अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा अपवंचित वर्गों को औद्योगिक
विकास में भागीदारी सुनिश्चित करना।
4.
निजी सरकारी भागीदारी (PPP MODE) से औद्योगिक पार्क, कलस्टर एवं
औद्योगिक क्षेत्र विकसित करना।
5.
निजी निवेश से अभियंत्रण कॉलेज, चिकित्सा कॉलेज, नर्सिंग संस्थान एवं प्रबंधन संस्थान को बढ़ावा देना, साथ ही मानव संसाधन विकास एवं
कौशल विकास योजनाओं में भी निजी निवेश को प्रोत्साहित करना।
औद्योगिक
गलियारा का निर्माण कोडरमा-बहरागोड़ा और पतरातू रांची-रामगढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग
के दोनों ओर 25 किलोमीटर तक किया जाना प्रस्तावित था। निजी औद्योगिक पार्क के
अंतर्गत वस्त्र और परिधान पार्क सूचना प्रौद्योगिकी पार्क, हीरे-जवाहरात पार्क,
जड़ी-बूटी पार्क, रासायनिक एवं औषधीय पार्क, खाद्य पार्क आदि के स्थापना का
प्रावधान रखा गया था।
इस
नीति में जिला स्तर पर 'भूमि बैंक' के निर्माण का लक्ष्य रखा गया था। इस नीति में
राजकीय भूमि का हस्तानांतरण, रैयत तथा अन्य प्रकार के भूमि की उपलब्धता सुनिश्चित
होने पर, उद्योगों को किया जाना था। सरकारी भूमि का हस्तांतरण 30 वर्ष के पट्टे पर
किया जाना था।
इस
नीति में राज्य सरकार द्वारा औद्योगिक गलियारे के विकास का प्रावधान था।
इस
नीति में औद्योगिक क्षेत्रीय विकास प्राधिकरण में कम-से-कम 1000 एकड़ भूमि
अधिगृहित करने का प्रावधान रखा गया था, जिसका 40 प्रतिशत सूक्ष्म तथा लघु उद्योगों
के लिए आरक्षित रहना था। इस नीति के अनुसार राज्य को 8 वृहद क्षेत्रों में खनिज
संपदा की प्राप्ति तथा औद्योगिकीकरण के आधार पर बांटा गया है-
1. पलामू-गढ़वा क्षेत्र :- लौह अयस्क निक्षेप, डोलोमाईट,
कोयला, ग्रेफाइट, चाइनक्ले और ग्रेनाईट।
2. लोहरदगा-लातेहार औद्योगिक क्षेत्र एल्यूमीनियम उद्योग
जो बॉक्साइट पर आधारित, ऊर्जा इकाई।
3. कोडरमा-हजारीबाग औद्योगिक क्षेत्र- अभ्रक
आधारित उद्योग, ऊर्जा, सीमेंट, ग्लास, इस्पात धातु, टेलीकॉम
संचार।
4. रांची औद्योगिक क्षेत्र- मध्यम तथा वृहत उद्योग, सूचना
प्रौद्योगिकी तथा खाद्य प्रसंस्करण।
5. धनबाद-बोकारो औद्योगिक क्षेत्र- कोयला और इस्पात, कोयला
आधारित ऊर्जा इकाई।
6. सिंहभूम औद्योगिक क्षेत्र (जमशेदपुर और आदित्यपुर) और सिंहभूम, कोल्हान प्रमण्डल -लौह एवं इस्पात,
ऑटो अवयव, सीमेंट, यूरेनियम, कॉपर और सोना अयस्क, सूचना प्रौद्योगिकी, वन उत्पाद
बागवानी, खाद्य प्रसंस्करण, सिल्क एवं टेक्सटाईल।
7. घाटशिला औद्योगिक क्षेत्र- कॉपर और वन आधारित उद्योग।
8. देवघर-जसीडीह और संथाल परगना औद्योगिक क्षेत्र- ऑयल
मिल्स, ग्लास, स्टील, ऐरोमेटिक- मेडिसिनल प्लांट, मेडीसीन, कोयला
आधारित कर्जा इकाई, सिल्क-कपड़ा उद्योग।
राज्य
सरकार ने निवेशकों के समस्याओं, विवादों एवं अन्य प्रकार की समस्याओं को समयबद्ध
तरीके से सुलझाने के लिए एक संस्था 'निवेशक समाधान अदालत' का गठन किया है। निवेशक
समाधान अदालत प्रत्येक महीने कम-से-कम एक बैठक आयोजित करेगी। विदेशी प्रत्यक्ष
निवेश बढ़ाने के लिए राज्य सरकार के द्वारा एनआरआई सेल की स्थापना नई दिल्ली तथा
रांची में करने का प्रस्ताव किया गया।
औद्योगिक निवेश एवं प्रोत्साहन नीति, 2016
वर्तमान
नीति विशेषरूप से खनिज और प्राकृतिक संसाधन आधारित उद्योगों, सूक्ष्म, लघु और
मध्यम उद्यमों (MSME), बुनियादी ढांचे का विकास और बीमार इकाईयों को पुनर्जीवित
करने तथा निवेश को अधिकतम करने के लिए अनुकूल औद्योगिक वातावरण तैयार करने के लिए
बनाया गया है। इसका उद्देश्य राज्य भर में उद्योगों की स्थापना करने, राजस्व पैदा
करने, रोजगार सृजन करने तथा प्राकृतिक संसाधनों को अधिकतम उपयोग करने से संबंधित
है।
नीति का उद्देश्य
झारखंड
औद्योगिक एवं निवेश प्रोत्साहन नीति, 2016 का उद्देश्य राज्य में अत्याधुनिक
आधारभूत संरचना की स्थापना करना, विनिर्माण एवं नवाचार तकनीक को बढ़ावा देना और
औद्योगिक क्षेत्रों में रोजगार का अवसर पैदा करना है। झारखंड सरकार राज्य को निवेश
के लिए अनुकूल स्थान, अच्छी कानून व्यवस्था और शांतिपूर्ण औद्योगिक संबंधों को
पैदा करना चाहती है।
झारखंड
औद्योगिक पार्क पॉलिसी, 2015 के तहत् निजी संयुक्त उद्यम और पीपीपी मोड में अधिक
औद्योगिक पार्क का निर्माण करने का लक्ष्य है। फूड पार्कों की स्थापना करके कृषि
क्षेत्र और ग्रामीण अर्थव्यवस्था की क्षमता का विकास करना तथा सूचना प्रौद्योगिकी
और ऑटो घटकों के लिए विशेष निर्यात क्षेत्र (SEZ) को बढ़ावा देना भी इसके प्रमुख
उद्देश्यों में शामिल है। झारखंड में व्यापारिक गतिविधियों तथा आर्थिक वातावरण में
सुधार करने के लिए कई कार्य किए गए हैं-
झारखंड विनियोग प्रोत्साहन बोर्ड
झारखंड
को निवेश के लिए पसंदीदा राज्य बनाने के लिए Jharkhand
Investment Promotion Board का गठन किया गया है, जो उद्योगों को दिशा-निर्देश
तथा मार्गदर्शन प्रदान करेगा। इस बोर्ड के माननीय मुख्यमंत्री मुख्य संरक्षक तथा
उद्योग मंत्री संरक्षक होते हैं । कम-से-कम 10 से अधिक वरिष्ठ तथा प्रसिद्ध
उद्योगपतियों का नाम निर्दिष्ट किया गया है। मुख्य सचिव और योजना-सह-वित्त विभाग,
उद्योग विभाग, खनन एवं भू-विज्ञान विभाग के प्रधान सचिव को सदस्य बनाया गया है।
उद्योग विभाग तथा खनन और भू-विज्ञान विभाग को समन्वय की जिम्मेदारी भी सौंपी गई
है। इस बोर्ड की बैठक वर्ष में दो बार आयोजित की जाएगी और बैठक में लिये गए निर्णय
को सरकार के पास सलाह के लिए भेजा जाएगा।
एकल खिड़की व्यवस्था
झारखंड
में उद्योगों तथा निवेश में प्रोत्साहन के लिए उद्योग, खनन तथा भू- विज्ञान विभाग
द्वारा एकल खिड़की निपटारा व्यवस्था का निर्माण किया गया है, जिससे व्यापार
सुगमीकरण तथा राजकोषीय सहायता समयबद्ध तरीके से प्राप्त हो सके। इसके लिए एकल
खिड़की निपटान समिति का गठन किया गया है, जिसका अध्यक्ष, प्रधान सचिव (उद्योग, खनन
और भू-विज्ञान विभाग) को बनाया गया है। यह समिति सभी परियोजनाओं, जिसमें वित्तीय
सहायता भी सम्मिलित है, जो सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों से संबंधित है, का
निपटारा करेगी। इसके साथ ही बड़े उद्योगों से सम्बन्धित परियोजनाओं तथा वित्तीय सहायता
का अनुमोदन करेगी। एकल खिड़की व्यवस्था मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में गठित शासकीय
व्यवस्था के अंतर्गत कार्य करेगी।
एकल
खिड़की पोर्टल द्वारा निवेशकों को सभी प्रकार की सुविधाएँ दी जाएँगी तथा उनकी
समस्याओं का निपटारा किया जाएगा। इस एकल खिड़की सेल में विभिन्न विभागों के नोडल
अफसरों को नियुक्त किया गया है।
भारत
सरकार के द्वारा लागू की गई योजना 'मेक इन इंडिया' की तरह झारखंड सरकार ने 'मेक इन
झारखंड' लागू किया है। सरकार ने व्यापार सुगमीकरण तथा औद्योगिकरण के विकास के लिए
विभिन्न प्रकार की क्रियाओं को बढ़ावा दिया है जैसे-झारखंड सेवा का अधिकार कानून
एक्ट, केवल दो दस्तावेजों के आधार पर बिजली की संबद्धता, विभिन्न आवश्यक
व्यक्तियों का ऑन लाइन कॉन्ट्रैक्ट, नेम प्लेट, समन्वित सभी राज्य कर, वाणिज्यिक
कर अधिकारियों के निरीक्षण को परिभाषित करना, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के निरीक्षण
को परिभाषित करना, श्रम कानूनों को लागू करने से संबंधित नियमों को परिभाषित करना
आदि। औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के लिए ऑनलाइन पेमेंट गेटवे ब्रॉडबैंड के
माध्यम से 67 बैंकों के साथ संबद्ध किया गया है। साथ ही टू वे ऑनलाइन पेमेंट गेटवे
6 बैंकों के साथ समझौता किया गया है। प्रज्ञा केंद्र के सामान्य सेवा केंद्र
(Common Service Centre) के माध्यम से सभी प्रकार के ई-फाइलिंग के कार्य संपन्न किए
जाएंगे। इस कार्य में सहायता के लिए 24 x 7 सेवा केंद्र की स्थापना की गई है।
सभी
प्रकार की भूमि का आवंटन, पंजीकरण, सहायता, विद्युत संबद्धता, श्रम संबंधी समझौता,
नवीकरण संबंधी प्रमाण-पत्र की प्रक्रिया ऑनलाइन प्राप्त होगी। सत्यापन से संबंधित
निरीक्षण रिपोर्ट भी ऑनलाइन की जाएगी।
झारखंड
निवेश केंद्र (Jharkhand Investment Centre) की स्थापना झारखंड भवन, नई दिल्ली में
की गई है, जो झारखंड में निवेश के लिए लोगों को आकर्षित करने के लिए कार्य करेगा।
इस केंद्र की अध्यक्षता निवेश आयुक्त करेंगे, जो भारतीय प्रशासनिक सेवा के सचिव या
प्रधान सचिव स्तर के अधिकारी होंगे। निवेश आयुक्त झारखंड सरकार के विभिन्न
विभागों, संगठनों तथा केंद्र सरकार के साथ समन्वय का कार्य करेगा।
झारखंड
में औद्योगिक विकास के लिए आवश्यक है कि आधारभूत संरचना का स्तर उच्च
गुणवत्तापूर्ण तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर का होना चाहिए, जिससे पूँजोनिवेश के निम्न
स्तर पर भी उद्योग की स्थापना हो सके, साथ ही बिना किसी अवरोध के कार्य
सुचारुपूर्ण चलता रहे। राज्य सरकार आधारभूत संरचना के विकास के लिए निम्न कार्य कर
रही है-
1. भूमि-राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग भूमि से संबंधित
अधिग्रहण, आवंटन तथा क्रय संबंधी नीतियों का निर्माण एवं कार्यों
का निपटारा करेगी। सरकारी भूमि औद्योगिक उद्यमियों को 30 वर्षों की लीज पर उपलब्ध
कराई जाएगी, जिसका निश्चित अंतराल पर पुनर्नवीकरण कराना अनिवार्य होगा। इस भूमि को
औद्योगिक उद्यमियों द्वारा हस्तांतरण की तिथि से 5 वर्षों के अंदर प्रयोग करना
आवश्यक होगा। भूमि के अधिग्रहण के समय यह ध्यान रखना होगा कि वह भूमि द्विफसली न
हो तथा साथ ही न्यूनतम विस्थापन होता हो। डीम्ड वन भूमि का आवंटन राज्य सरकार
द्वारा बृहत् समय के लिए लीज पर औद्योगिक विकास तथा पर्यटन के लिए भारत सरकार के
फॉरेस्ट कंजर्वेशन एक्ट, 1980 की धारा-2 के अनुसार पूर्व अनुमति लेकर किया जा सकता
है।
2. औद्योगिक क्षेत्र/संपदा-झारखंड राज्य में 4 औद्योगिक
क्षेत्रीय विकास प्राधिकरण हैं, जो राँची, बोकारो, दुमका और
आदित्यपुर में अवस्थित हैं। यह प्राधिकार भूमि के अधिग्रहण और आधारभूत संरचना के
विकास जैसे-सड़क, ड्रेनेज, पानी जलापूर्ति और सामाजिक उपयोगी सेवाओं के लिए उत्तरदायी
हैं। साथ ही इन प्राधिकरणों का उद्देश्य है कि वे सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम
उद्यमियों (MSME) को इनके विकास के लिए सहायता प्रदान करें तथा बाजार उपलब्ध
कराएँ। साथ ही सरकार के द्वारा प्रदान किए गए वित्तीय सहायता को उनको उपलब्ध कराए।
औद्योगिक विकास प्राधिकरण ने देवघर जिले में देवीपुर औद्योगिक संपदा (Devipur
Industrial Estate) का निर्माण किया है, प्रत्येक क्षेत्रीय विकास प्राधिकरण को
कम-से-कम 10,000 एकड़ भूमि इस नीति की समयावधि में अधिग्रहण करनी है। प्राधिकरण
अपनी क्षेत्राधीन भूमि में रेन वाटर हार्वेस्टिंग, स्ट्रोम वाटर हार्वेस्टिंग और
रिसाइक्लिंग तथा पुनःउपयोगी जल केंद्रों का विकास करेगा, साथ ही सभी आवंटित भूमि का
वार्षिक निरीक्षण कार्य किया जाएगा। निरीक्षण से संबंधित सभी प्रतिवेदनों को
बेवसाइट पर उपलब्ध कराया जाएगा।
3. औद्योगिक पार्क-झारखंड औद्योगिक पार्क नीति,
2015 विभिन्न प्रकार की सहायता और छूट सार्वजनिक एवं निजी
क्षेत्र को उपलब्ध कराती है। सामान्य औद्योगिक पार्कों के लिए परियोजना का 50
प्रतिशत एवं अधिकतम 10 करोड़ तक औद्योगिक व्यय आधारभूत संरचना के निर्माण के
लिए उपलब्ध कराया जाएगा। निजी औद्योगिक पार्कों के लिए परियोजना
का 50 प्रतिशत तथा अधिकतम 7 करोड़ व्यय औद्योगिक विकास तथा आधारभूत संरचना के लिए उपलब्ध
कराया जाएगा। सरकार के प्रयासों की वास्तविक प्रगति बृहत् खाद्य पार्क के रूप में
गेतलसूद, राँची में स्थापना के रूप में हुई।
4. परिवहन-औद्योगिक विकास एवं निवेश में उच्च स्तर की वृद्धि
प्राप्त करने के लिए आवश्यक है कि परिवहन व्यवस्था गुणवत्तापूर्ण
तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर की हो। अंतर्राष्ट्रीय स्तर के सड़क नेटवर्क विकास के लिए
आवश्यक है कि पब्लिक वेबसाइट प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) में विकास हो। पथ निर्माण
विभाग, झारखंड सरकार और Infrastructure, Leasing and Finance Services 0 14
Jharkhand Accelerated Road Development Company Limited (JARDCL) À Build Operate
and Transfer (BOT) Mode में 1500 किलोमीटर सड़क का निर्माण किया है। यह संगठन झारखंड में अन्य कई हाइवे और एक्सप्रेस वे को विकसित करने में
सहयोग प्रदान कर रहा है।
भारतीय
रेलवे के सहयोग से आधुनिक विस्तारित सहयोगी रेल नेटवर्क का विकास करने का प्रयास
किया जा रहा है । Eastern Dedicated Freight Corridor झारखंड के साथ साथ
उत्तरी भारत के सभी क्षेत्रों में संपर्क बनाता है, साथ ही यह
विभिन्न बंदरगाहों से भी संबद्ध है। कोयला मंत्रालय, रेलवे मंत्रालय तथा झारखंड
सरकार के बीच 4 मई, 2015 को कोयला क्षेत्रों के बीच संपर्क के लिए Special Purpose
Vehicle (SPV) समझौता ज्ञापन (MOU) किया गया है।
हवाई
यातायात टूरिज्म तथा औद्योगिक विकास के लिए आवश्यक भूमिका निभाता है। राँची
एयरपोर्ट दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, बंगलौर और पटना से जुड़ा हुआ है। इन स्थानों के
लिए राँची से कई फ्लाइट उपलब्ध हैं। राँची एयरपोर्ट उन्नयन के बाद यह एयरपोर्ट
अंतर्राष्ट्रीय स्तर का सेवा प्रदाता हो गया है। राँची एयरपोर्ट से विभिन्न शहरों
के बीच एयर टैक्सी सेवा उपलब्ध कराने का प्रयास किया जा रहा है। राँची एयरपोर्ट से
एयर कार्गो सेवा औद्योगिक वस्तुओं के निर्यात के लिए उपलब्ध कराने के लिए झारखंड
सरकार सहायता उपलब्ध करा रही है।
झारखंड
एक बंद भूमि राज्य (Land Locked State) है, परंतु बंगाल की खाड़ी में अवस्थित
कोलकाता, हल्दिया और पाराद्वीप बंदरगाह झारखंड क्षेत्र से नजदीक उपलब्ध हैं।
बंदरगाहों के माध्यम से निर्यात तथा आयात को बढ़ावा देने के लिए जमशेदपुर में
इंटरनल कंटेनर डिपो को विकसित करने के लिए सहयोग प्रदान किया जा रहा है, साथ ही
भूतल परिवहन तथा जहाजरानी मार्ग मंत्रालय, भारत सरकार तथा झारखंड सरकार संयुक्त
रूप से सड़क तथा रेल संपर्क इन बंदरगाहों से विकसित करने का प्रयास कर रहे हैं।
5. गैस पाइप लाइन नेटवर्क-राज्य सरकार नेचुरल गैस को
स्वच्छ ऊर्जा के रूप में प्रयोग करने के लिए एक गैस ग्रिड की
स्थापना कर रही है। एक संयुक्त उद्यम के रूप में Industrial Infrastructure
Development Corporation तथा GAIL के बीच राँची और जमशेदपुर शहर में गैस का
वितरण कार्य करने के लिए समझौता संपन्न हुआ है।
6. विद्युत-झारखंड प्रथम राज्य है, जिसने UDAY कार्यक्रम
के तहत् विद्युत क्षेत्र में सुधार करने के लिए भारत सरकार से
समझौता (MOU) किया है। सरकार के द्वारा 2017 तक ग्रामीण क्षेत्रों में 100 प्रतिशत
विद्युतीकरण का लक्ष्य निर्धारित किया है। बिजलीघरों के आधुनिकरण के लिए
निजी-सार्वजनिक भागीदारी (PPP) के तहत् समझौता किया गया है, साथ ही इस क्षेत्र में
निजी निवेशकों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। झारखंड सरकार तथा एनटीपीसी
(NTPC) के बीच 4000 मेगावाट विद्युत् उत्पादन पतरातू थर्मल पावर स्टेशन से करने के लिए समझौता-ज्ञापन (MOU) किया गया है। बिजली क्षेत्र के विकास
के लिए ऊर्जा विभाग ने सौर ऊर्जा नीति, 2015 का निर्माण किया है, साथ ही झारखंड
ऊर्जा नीति, 2012 प्रक्रियारत है।
7. जल आपूर्ति और ड्रेनेज व्यवस्था-औद्योगिकरण के लिए पानी
आवश्यक एवं मूलभूत जरूरत है। उद्योगों के लिए आवश्यक जल की
पूर्ति तथा इन उद्योगों से निकले हुए प्रदूषित जल के शुद्धीकरण के लिए आवश्यक कारकों
को सरकार सामर्थ्यकारी बनाने का प्रयास कर रही है। झारखंड राज्य में सामान्यतः
वर्षापात 1200-1400 मिलीमीटर है। यह वर्षा जल विभिन्न नदी बेसिनों, तालाबों आदि
में रहता है। इस जल को औद्योगिक क्षेत्रों के लिए उपयोग में लाने का राज्य सरकार
प्रयास कर रही है। जल संसाधन विभाग, झारखंड सरकार द्वारा जलापूर्ति और ड्रेनेज
व्यवस्था सुधारने के लिए झारखंड राज्य जल नीति, 2016 का निर्माण किया गया है।
8. दूरसंचार व्यवस्था-झारखंड राज्य सूचना तथा संचार
नेटवर्क (JIHARNET) राज्य मुख्यालय तथा 24 जिलों के मुख्यालय, 35 अनुमंडल मुख्यालय और 212 प्रखंड मुख्यालयों को जोड़ रही है। JHARNET एक
Broadband Internet Protocol (IP) है, जो ई-गवर्नेस नेटवर्क के माध्यम से राज्य में डाटा का हस्तांतरण करने का एक प्लेटफॉर्म उपलब्ध करा रही
है। सभी जिला मुख्यालयों एवं सभी ग्राम पंचायत मुख्यालयों को Optical Fiber
Cable के माध्यम से जोड़ दिया गया है। झारखंड सरकार के सूचना प्रौद्योगिकी और ई-गवर्नेस विभाग ने झारखंड दूरसंचार टावर तथा संबद्ध संरचनात्मक
नीति 2015 (Jharkhand Communication Towers and Related Structures Policy,
2015) का विकास किया है।
9. विशेष आर्थिक क्षेत्र (Special Economic Zone)-झारखंड
सरकार निर्यात को बढ़ावा देने के लिए तथा निर्यातोन्मुखी पार्क
के निर्माण के लिए विशेष आर्थिक क्षेत्र का निर्माण कर रही है। इसके लिए आवश्यक भूमि
का अधिग्रहण तथा आधारभूत संरचना के विकास के लिए राज्य बजट से व्यय किया जाएगा।
10. औद्योगिक गलियारा (Industrial Corridor)-उद्योग
विभाग JINFRA (Jharkhand Infrastructure Development Corporation Limited) से अनुरोध
किया है कि राँची, पतरातू, रामगढ़ राज्य हाइवे को औद्योगिक
गलियारे के रूप में विकसित करने के लिए आवश्यक उपचारात्मक आकलन रिपोर्ट बनाए। इस
रिपोर्ट के अनुमोदन के बाद औद्योगिक गलियारे का निर्माण शुरू कर दिया जाएगा। भारत
सरकार अमृतसर-दिल्ली-कोलकाता औद्योगिक गलियारे को विकसित कर रही है, जो Eastern
Dedicated Freight Corridor पर स्थित है। झारखंड सरकार बरही, हजारीबाग में समन्वित
विनिर्माण कलस्टर का निर्माण करने जा रही है। राज्य सरकार
कोडरमा-बहरागोड़ा औद्योगिक गलियारे का विकास कर रही है।
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों का विकास
सूक्ष्म,
लघु एवं मध्यम क्षेत्र का सकल घरेलू उत्पाद में 8 प्रतिशत, कुल विनिर्माण क्षेत्र
में 45 प्रतिशत और कुल निर्यात में 40 प्रतिशत का योगदान भारतीय अर्थव्यवस्था में
है। यह क्षेत्र कृषि के बाद सबसे ज्यादा रोजगार प्रदान करने वाला क्षेत्र है और
सामाजिक-आर्थिक क्षेत्र के विकास में इसका अद्वितीय योगदान है। झारखंड सरकार इस
क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए प्रयासरत है। झारखंड सरकार का Micro,
Small and Medium Enterprises Development (MSMED) Act, 2006 सूक्ष्म,
लघु एवं मध्यम क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए तथा प्रतिस्पर्धा उत्पन्न करने के
लिए कानूनी फ्रेमवर्क है। सरकार इस क्षेत्र से अपनी आवश्यकता की वस्तुओं तथा
सेवाओं को खरीदने पर जोर देती है। राज्य सरकार ने Procurement Policy, 2014
का निर्माण इस क्षेत्र को सुरक्षा प्रदान करने के लिए किया है। सरकार इस क्षेत्र को राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय व्यापारिक मेलों और प्रदर्शनियों में भाग
लेने तथा अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधिमंडलों से मिलने के लिए सहायता प्रदान करती है।
Jharkhand Micro and Small Enterprises Facilitation Council को सामर्थ्यवान
बना रही है और एक अर्धन्यायिक संस्था का गठन किया जा रहा है, जो
स्थानीय सूक्ष्म एवं लघु उद्यमियों को समस्याओं से छुटकारा दिलाने तथा
गुणवत्तापूर्ण वस्तुओं के उत्पादन के लिए कानूनी सहायता प्रदान करेगी।
झारखंड में औद्योगिक गलियारों को प्रोत्साहन
राज्य
सरकार केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाओं के अनुसार औद्योगिक गलियारों का विकास कर
रही है, जैसे-लघु उद्योग गलियारे का विकास भारत सरकार के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम
उद्यमी विभाग के अंतर्गत Integrated Infrastructure
Upgradation Scheme 72 Industrial Policy and Promotion Directorate (IPP) द्वारा संचालित
है। औद्योगिक गलियारों के निर्माण से औद्योगिक वस्तुओं के
उत्पादन में वृद्धि, तकनीकी तथा कौशल का उन्नयन और उद्यमों की क्षमता में वृद्धि
होती है। झारखंड सरकार निम्नलिखित औद्योगिक गलियारों का विकास कर रही है-
1.
Refractory Cluster, Chirkunda, Dhanbad, Jharkhand Refractory and Research
Development Centre, Nehru Road, Chirkunda.
2
Black Smith/Hand Forging Cluster, Bhendra, Bokaro.
3.
Brass and Bronze Utensils Cluster, Bishnugarh, Hazaribag.
4
Brass and Bronze Utensils Cluster, Jariagarh, Khunti.
5.
Ranchi-Ramgarh Refractory Cluster, Ranchi.
6.
Black Smith Cluster, Badki Lari, Ramgarh.
7.
Bamboo Cluster, Bundu and Sonahatu, Rehabundu, Ranchi.
8.
Engineering Components Cluster, Tupudana, Ranchi.
9
Silver Jewellery Cluster, Sukrigarha, Ramgarh,
10.
Fly Ash Cluster, Jamshedpur.
11.
Dhanbad Flour Mill Cluster, Dhanbad.
12.
Sari Calendaring Cluster, Chirkunda, Dhanbad.
13.
Steel Utensils Cluster and Agriculture Equipment Cluster, Deoghar.
14.
Deoghar Pera and Allied Cluster, Deoghar.
15.
Auto Service Cluster, Dhanbad.
16.
Tribal Art Products, Sarsawa
हस्तकरघा का विकास-झारखंड हस्तकरघा के
क्षेत्र में समृद्ध राज्य है। यहां 40 से अधिक किस्म के हस्तकरघे जैसे-टेराकोटा,
तसर प्रिंट, अगरबत्ती, बाँस, चमड़ा क्राफ्ट, ट्राइबल ज्वेलरी, पर्ल ज्वेलरी, पेपर
पैकेजिंग, ढोकरा, टाई एंड डाई आदि मौजूद हैं । झारखंड झारक्राफ्ट के माध्यम से
गलियारे का विकास किया जा रहा है। छह सूक्ष्म गलियारों को चिह्नित कर उनका डीपीआर
तैयार कर लिया गया है। घरेलू तथा अंतर्राष्ट्रीय बाजार का विकास इन क्षेत्रों के
लिए किया जा रहा है।
हैंडलूम का विकास-झारखंड सरकार द्वारा इस
क्षेत्र में कंप्यूटर आधारित डिजाइन, ई-कॉमर्स तथा पुराने लूम (Loom) की जगह नए
लूम (Loom) को स्थापित करके हैंडलूम का विकास किया जा रहा है। झारक्राफ्ट के
माध्यम से इस क्षेत्र को बाजार उपलब्ध कराया जा रहा है। झारक्राफ्ट संयुक्त उद्यम
तथा सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों के सहयोग से हैंडलूम का इस नीति के अंत तक 1000
करोड़ रुपए तक का संगठन बनाएगी। राज्य सरकार इस क्षेत्र में उत्पादित वस्तुओं को
ISO 9000/14000 प्रमाणीकरण से युक्त बनाने का प्रयास कर रही है।
भारत
सरकार ने मेगा हैंडलूम क्लस्टर को स्वीकृति प्रदान की है। संथाल परगना के सभी छह
जिले–देवघर, दुमका, गोड्डा, साहेबगंज, जामताड़ा और पाकुड़ मेगा क्लस्टर सेंटर से
आच्छादित हैं। योजना के अंत में अर्थात् वर्ष 2021 तक 25000 हैंडलूम कार्य करने
लगेंगे और 1,00,000 जुलाहों को लाभ प्राप्त होगा।
रेशम उद्योग का विकास-झारखंड परंपरागत
रूप से तसर उत्पादन करता रहा है तथा वर्तमान में देश में प्रथम स्थान पर है।
झारक्राफ्ट के माध्यम से रेशम उद्योग को बाजार की उपलब्धता सुनिश्चित की जा रही
है। Jharkhand Silk Technology Development Institute, Chaibasa के माध्यम
से एक वर्ष का व्यावसायिक कोर्स चलाया जा रहा है, जो Weaving.
Dycing and Printing विषय से संबंधित है। इस क्षेत्र को वित्तीय सहायता
Central Silk Board, NABARD, RKVY, National Livelihood Mission and National
Skill Development Corporation से उपलब्ध कराई जा रही है।
विशेष प्रयास का क्षेत्र (TIIRUST AREAS)
झारखंड
प्राकृतिक दृष्टिकोण से समृद्ध राज्य है। यहां खनिज, खनिज पर आधारित उद्योग,
इस्पात, कोल आधारित तापीय विद्युत केंद्र, खाद्य प्रसंस्करण, ऑटो-मोबाइल और ऑटो-कंपोनेंट्स,
कपड़ा और हस्तकरघा उद्योग बृहत् मात्रा में हैं। प्राकृतिक संसाधनों में संपन्न
होने पर भी यह सत्य है कि झारखंड इनका सही तरीके से विदोहन नहीं कर पाया है। राज्य
सरकार ने निम्न क्षेत्रों को चिह्नित किया है, जहाँ विशेष प्रयास करने की आवश्यकता
है-
1. पर्यटन-झारखंड राज्य की समृद्ध प्राकृतिक विरासत एवं
सामाजिक संपन्नता ईश्वरीय देन के रूप में हैं। राज्य सरकार घरेलू
तथा विदेशी पर्यटकों की संख्या बढ़ाने के लिए विभिन्न परियोजनाओं को लागू कर रही
है, जिसके अंतर्गत बुनियादी ढाँचों का विकास किया जा रहा है। राज्य सरकार देश के
महत्त्वपूर्ण शहरों से सीधा संपर्क स्थापित करने का प्रयास कर रही है। राँची,
जमशेदपुर, देवघर, बोकारो, धनबाद, पलामू, दुमका आदि शहरों को एयर टैक्सी सेवा से
जोड़ा जा रहा है। भारत सरकार के 'पैलेस ऑन व्हील्स' की तर्ज पर सुपर लग्जरी
गाड़ियों को चलाने का प्रयास किया जा रहा है। सरकार भूमि नीति में एक भूमि बैंक
बनाकर निजी पर्यटन क्षेत्रों की स्थापना के लिए प्रोत्साहित करेगी। ऐसे निजी
पर्यटन क्षेत्र के लिए कम से कम 20 एकड़ से अधिक जमीन आवश्यक है।
2. फिल्म उद्योग-झारखंड प्राकृतिक रूप से धनी, धार्मिक विरासत
से समृद्ध और औद्योगिक रूप से विकसित राज्य है। झारखंड सरकार की
योजना है कि वह झारखंड में एक फिल्म सिटी बनाए, जहाँ पर सभी आधारभूत संरचना उपलब्ध
हों। इसे विकसित करने के लिए सरकार ने झारखंड फिल्म पॉलिसी, 2015 का निर्माण
किया है।
3. वस्त्र और परिधान-वस्त्र उद्योग की भारतीय अर्थव्यवस्था
में महत्त्वपूर्ण भूमिका है और सकल घरेलू उत्पादन में उल्लेखनीय
योगदान प्रदान करता है। विनिर्माण क्षेत्र का रोजगार सृजन और निर्यात आय में
महत्त्वपूर्ण योगदान है। झारखंड सरकार ने वस्त्र और परिधान क्षेत्र के विकास के
लिए विभिन्न योजनाएँ जैसे Technology Upgradation Fund Scheme (TUFS),
Scheme for Integrated Textile Park (SITP), Scheme for Integrated Skill
Development (SISD) शुरू की हैं। झारक्राफ्ट कपड़ा और वस्त्र
विनिर्माण क्षेत्र को कुल योजना का 75 प्रतिशत सहायता उपलब्ध करा रही है, जो
अधिकतम 5 करोड़ रुपए की होगी। राज्य सरकार द्वारा कौशल विकास केंद्र को प्रति
प्रशिक्षु अधिकतम 5 हजार की सहायता उपलब्ध कराई जा रही है । कुल सहायता का 90
प्रतिशत SC/ST/Physically Handicaped/Women को उपलब्ध करायी जा रही है।
4. सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र-झारखंड सरकार ने नई
सूचना प्रौद्योगिकी नीति का निर्माण किया है, जिसके अनुसार सूचना
प्रौद्योगिकी उद्योगों के अनुकूल प्रोत्साहन और सहायता की परिकल्पना की गई है। इन
उद्योगों की स्थापना के लिए ऑन-लाइन भूमि बैंक बनाया गया है। राँची में आईटी पार्क
और आईटीसीटी की स्थापना के लिए 400 एकड़ जमीन उपलब्ध कराई गई है। जमशेदपुर, धनबाद,
बोकारो, देवघर में Software Technology Park of India की स्थापना की गई है।
इन उद्योगों की स्थापना के लिए एनओसी (NOC) की आवश्यकता ने झारखंड स्ट्रेट प्रदूषण
नियंत्रण बोर्ड की आवश्यकता को खत्म कर दिया है। झारखंड सरकार ने
Electronic System Design and Manufacturing Policy लागू की है। यह नीति मानव
संसाधन, स्थानीय माँग के अनुसार इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं का उत्पादन
के बढ़ावा देती है, साथ ही क्लस्टर के निर्माण, पंजीकरण और स्टांप ड्यूटी में
रियायत, अबाधित बिजली आपूर्ति आदि में सहायता प्रदान करती है। भारत सरकार ने
आदित्यपुर में Electronic Manufacturing Cluster को स्वीकृति प्रदान की है।
5. जैव प्रौद्योगिकी-झारखंड के लिए आवश्यक है कि
वह जैव प्रौद्योगिकी को बढ़ावा दे, जो झारखंड की तत्काल आवश्यकता
है। यह मूल्य सृजन तथा रोजगार सृजन के लिए ही नहीं, बल्कि कृषि, दवा आदि उद्योग के
लिए भी आवश्यक है। जैव प्रौद्योगिकी राज्य को औषधीय क्षेत्र में अग्रणी तथा मानव
संसाधन को विकसित करने में महत्त्वपूर्ण योगदान प्रदान कर सकती है।
6. ऑटोमोबाइल और ऑटो संघटक क्षेत्र- भारत की अग्रणी ऑटोमोबाइल
उद्योग टाटा मोटर्स, जमशेदपुर में स्थित है, जो वाणिज्यिक वाहनों
के निर्माण में अग्रणी है। यह देश के यात्री वाहनों के उत्पादन में शीर्ष तीन
कंपनियों में से एक है। जमशेदपुर और आदित्यपुर के आस-पास 600 से अधिक ऑटो घटक इकाई
स्थित हैं, जो 20 से 25 हजार लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार उपलब्ध करा रहे हैं। मेगा
ऑटो वाहन विनिर्माण इकाइयों को प्रोत्साहित किया जा रहा है कि वे कौशल विकास
केंद्रों की स्थापना करें, जिसमें वाहन चलाने संबंधी कौशल, वाहनों के मरम्मती
कार्य करने का प्रशिक्षण प्रदान करें। इनकी क्षमता कम से कम 1000 प्रशिक्षण
लाभार्थी प्रतिवर्ष होनी चाहिए। राज्य सरकार इस प्रशिक्षण लागत का 50 प्रतिशत तथा
अधिकतम प्रति प्रशिक्षणार्थी 5,000 रुपए प्रदान करेगी।
7. अक्षय ऊर्जा-झारखंड के सतत् विकास तथा पर्यावरण को संरक्षित
करते हुए अक्षय ऊर्जा का उत्पादन आवश्यक है। राज्य में 300 दिनों
से अधिक सूर्य का उच्च सौर्यतापन प्राप्त है। सौर आधारित परियोजनाओं की स्थापना के
लिए निजी क्षेत्र को प्रोत्साहित किया जा रहा है। झारखंड में चरणबद्ध तरीके से
वर्ष 2020 तक 2650 मेगावाट की सौर विद्युत ऊर्जा उत्पादन करने का लक्ष्य है।
8. कृषि-खाद्य प्रसंस्करण आधारित उद्योग-झारखंड में कृषि,
बागबानी, मत्स्य और पशुपालन क्षेत्र में विशाल मात्रा में
अप्रयुक्त क्षमता विद्यमान है। बागबानी विकास न केवल स्थानीय आवश्यकताओं को पूरा
करने के मामले में, बल्कि निर्यात के लिए भी एक विशाल क्षमता रखता है। झारखंड की जलवायु
बागबानी फसलों के लिए अनुकूल है। झारखंड सब्जी का प्रमुख उत्पादक राज्य है। मटर के
उत्पादन में देश में दूसरा तथा टमाटर के उत्पादन में छठवें स्थान पर है। यहां गोभी
का उत्पादन साल भर होता है, साथ ही शिमला मिर्च, फ्रेंचबीन का उत्पादन प्रचुर
मात्रा में होता है। राज्य सरकार को निम्नलिखित क्रियाओं में प्रोत्साहित करने की
आवश्यकता है-
►
Hi-TechAgriculture
►
Organic farming
► Pre-farm
gate value addition projects
► Agro
processing and Agri-infrastructure projcets
► Research
for varietal development
►
Quality Certifications in entire value chain
►
Setting up of Food testing Laboratories
► Export
of fresh fruits, vegetables, flowers, live plants by air and sea route
►
Participation in International Trade Fairs
►
Setting up of Cold Chain
►
Setting up of Irradiation, Logistics Park and Ware houses
झारखंड
सरकार ने Jharkhand Feed Processing Industries Policy 2015 का शुभारंभ
किया है, जो जानवरों के चारा प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना के
लिए आधारभूत संरचना, निवेश प्रोत्साहन, प्रौद्योगिकी उन्नयन, बाजार नेटवर्क का
विकास करने के लिए सहायता प्रदान करेगी।
प्रोत्साहन, छूट और रियायतें
झारखंड
सरकार औद्योगिक इकाइयों को राज्य में स्थापित करने के लिए प्रोत्साहन, छूट और
रियायतें प्रदान कर रही है। यह सभी व्यवस्था और प्रक्रिया आसान और पारदर्शी और
ऑनलाइन (Online) की जा रही है। निम्नलिखित प्रोत्साहन, छूट और रियायतें औद्योगिक
इकाइयों को प्रदान की जा रही हैं-
1. व्यापक परियोजना निवेश सहायिकी :- सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम औद्योगिक इकाइयों को अचल पूँजी निवेश के लिए
व्यापक परियोजना निवेश सहायिकी प्राप्त होगी। किए गए पूँजी निवेश के 20 प्रतिशत की
दर से देय होगी, जो अधिकतम दो करोड़ रुपए तक होगी, जबकि गैर एमएसएमई इकाइयों के
लिए व्यापक परियोजना निवेश सहायिकी प्राप्त करने की अधिकतम 20 करोड़ रुपए होगी।
गैर एमएसएमई इकाइयों को सहायिकी संयंत्र और मशीनरी, प्रदूषण नियंत्रण उपकरण,
पर्यावरण अनुकूल वैकल्पिक बिजली उत्पादन उपकरण और कर्मचारी कल्याण के लिए ही सहायिकी
प्राप्त होगी। गैर एमएसएमई इकाइयों को निवेश में सहायिकी में 50 प्रतिशत भारांक
संयंत्र और मशीनरी के लिए, 20 प्रतिशत प्रदूषण नियंत्रण, 20 प्रतिशत पर्यावरण
अनुकूल वैकल्पिक बिजली उत्पादन उपकरण के लिए, 10 प्रतिशत प्रत्येक कर्मचारी के
कल्याण में निवेश के लिए।
2. अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/महिला/दिव्यांग उद्यमियों को व्यापक
परियोजना निवेश सहायिकी के अलावा 5 प्रतिशत का अतिरिक्त लाभ
:-
झारखंड राज्य के निवासियों को ही यह सुविधा प्राप्त होगी। इसके लिए
एस.डी.ओ. स्तर के आवासीय प्रमाण-पत्र को आवश्यकता होगी तथा विकलांग अभ्यर्थियों के
लिए सक्षम चिकित्सा बोर्ड द्वारा निर्गत प्रमाण-पत्र, जो 40 प्रतिशत से अधिक
विकलांगता का होना चाहिए।
3. स्टांप शुल्क और पंजीकरण शुल्क:- औद्योगिक
इकाइयों को स्टांप शुल्क और पंजीकरण शुल्क में 100 प्रतिशत
की छूट प्राप्त होगी। यह सुविधा प्रथम हस्तनांतरण पर ही उपलब्ध होगी। औद्योगिक
विकास प्राधिकरण द्वारा लीज पर दी गई भूमि पर छूट नहीं मिलेगी।
4. गुणवता प्रमाणन:- उच्च प्राथमिकता प्राप्त
औद्योगिक इकाइयों की गुणवता में सुधार के लिए राज्य सरकार के द्वारा सहायता उपलब्ध
कराई जाएगी, जो कुल व्यय का 50 प्रतिशत तथा अधिकतम 10 लाख रुपए तक होगी। यह
सुविधा भारतीय मानक ब्यूरो तथा अन्य अंतर्राष्ट्रीय गुणवत्ता
प्रमाणन के लिए उपलब्ध होगी, जो निम्न है-
(i)
आईएसओ 9000 गुणवत्ता प्रबंधन प्रणाली (ISO-9000 Quality Management System)
(ii)
आईएसओ 14000 पर्यावरण प्रबंधन प्रणाली (ISO-14000 Environmental Management
System)
(iii)
आईएसओ 18000 व्यावसायिक स्वास्थ्य और सुरक्षा मानकों का प्रबंधन
प्रणाली (ISO-18000 Occupational Management System)
(iv)
भारतीय मानक ब्यूरो प्रमाणन (Bureau of Indian Standards)
(v)
सामाजिक जवाबदेही मानकों (Social Accountability Standards)
(vi)
हरित ऊर्जा प्रमाण-पत्र (Green Energy Certificate)
(vii)
ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (बीईई) प्रमाण-पत्र (Bureau of Energy Efficiency
Certificate)
(viii)
नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा में LEED प्रमाणीकरण (LEED Certificate in New and
renewable Energy)
(ix)
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त पर्यावरण के लेबल OKE-TEX 100 आदि
(Internationally accrediated eco-lables OKE-TEX 100 etc.)
गुणवत्ता
प्रमाणन प्रोत्साहन भारत सरकार के द्वारा प्रदान किया जाता है। राज्य सरकार को
केवल बढ़ावा देने और इकाई की सुविधा को प्राथमिकता के आधार पर लाभ प्रदान करना है।
5. पेटेंट पंजीकरण:- औद्योगिक इकाइयों को इस बात
के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है कि वे अपने मूल कार्य तथा शोध को पंजीकृत
कराएँ। राज्य सरकार पेटेंट पंजीकरण के लिए किए गए व्यय का 50 प्रतिशत का भुगतान
करेगी, जो प्रति पेटेंट अधिकतम ₹ 10 लाख होगा, जिसमें 4 लाख रुपए अधिकतम वकील की
फीस के लिए हैं।
6. मूल्यवर्द्धन कर पर सहायिकी/प्रोत्साहन:-
•
नई एमएसएमई ईकाइयों की कुल अचल पूँजी निवेश का अधिकतम 100 प्रतिशत तथा उत्पादन की तिथि
से 5 वर्ष के लिए वैट में 80 प्रतिशत प्रति वर्ष का प्रोत्साहन
दिया जायगा।
•
नई बड़ी परियोजनाओं के कुल अचल पूँजी निवेश का 100 प्रतिशत तथा
उत्पादन की तिथि से 7 वर्ष के लिए शुद्ध प्रतिवर्ष 75 प्रतिशत की प्रोत्साहन राशि।
•
नई मेगा परियोजनाओं के कुल अचल पूँजी निवेश की अधिकतम 100
प्रतिशत तथा शुद्ध वैट में उत्पादन की तिथि से 12 वर्ष के लिए प्रतिवर्ष
75 प्रतिशत का प्रोत्साहन दिया जाएगा।
7. औद्योगिक गलियारों के लिए प्रोत्साहन:- औद्योगिक गलियारों के निर्माण
के लिए भारत सरकार द्वारा 15 प्रतिशत का अनुदान राज्यों को प्रदान किया जाता है।
8. सूचना प्रौद्योगिकी एवं सेवा उद्योग को प्रोत्साहन:- राज्य सरकार ने वृहत् सूचना
प्रौद्योगिकी इकाइयों को 5 वर्ष तक बिजली शुल्क से मुक्त रखा है। इस क्षेत्र को
भरती प्रोत्साहन भी प्रदान किया जाता है। यह 50 लोगों के लिए ₹ 2.5 लाख होगी। किसी
भी इकाई को अधिकतम 25 लाख रुपए तक की सहायता दी जाएगी। स्टांप शुल्क, हस्तांतरण
शुल्क और पंजीकरण शुल्क में 100 प्रतिशत की प्रतिपूर्ति पहले
लेन-देन की जाएगी। इस क्षेत्र को बिजली उत्पादन के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। कुल
पूँजीगत व्यय के 40 प्रतिशत की प्रतिपूर्ति की जाएगी।
9. ब्याज सहायिकी:- नई सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम
इकाइयों और गैर सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम इकाइयों को सार्वजनिक वित्तीय संस्थाओं से
लिये गए कुल ऋण पर समय से भुगतान करने पर प्रतिवर्ष 5 प्रतिशत की ब्याज सहायिकी प्रदान
की जाएगी। यह उत्पादन के प्रारंभ होने की तिथि से 5 वर्षों के लिए उपलब्ध होगी।
विभिन्न इकाइयों के लिए अधिकतम सीमा निर्धारित है, जो निम्न है-
(i)
सूक्ष्म उद्यमों के लिए 10 लाख रुपए,
(ii)
लघु उद्यमों के लिए 20 लाख रुपए,
(iii)
मध्यम उद्यमों के लिए 40 लाख रुपए तथा
(iv)
गैर, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों के लिए 1 करोड़ रुपए।
10. फूड पार्क के लिए प्रोत्साहन:- खाद्य प्रसंस्कण उद्योग
मंत्रालय राज्य में फूड पार्क की स्थापना के लिए प्रोत्साहन प्रदान कर रहा है। यह
फूड पार्क कृषि, पशुपालन एवं संबद्ध क्षेत्र में गुणक प्रभाव से ग्रामीण
अर्थव्यवस्था पर प्रभाव डालेगा। औद्योगिक पार्क पॉलिसी 2015 के तहत् स्थापित
पार्कों को निम्नलिखित प्रोत्साहन प्रदान किए जाएँगे-
(i)
फूड पार्क की स्थापना के लिए अधिकृत भूमि के स्टांप शुल्क की प्रतिपूर्ति।
(ii)
फूड पार्क के लिए बिजली की दर कृषि के दर के समान होगी।
(iii)
राज्य में कृषि उपज मंडी पर कोई कर नहीं।
झारखंड में औद्योगिक विकास
झारखंड
संसाधन के मामले में परिपूर्ण होते हुए भी औद्योगिक विकास की दृष्टि से बीमार और
पिछड़ा हुआ है। लेकिन सरकार की कई दूरगामी नीतियों के कारण झारखंड के दिन बहुरने
लगे हैं। इसका जीता जागता उदाहरण यह है कि कारोबार के दृष्टि से सुगम राज्यों की
सूची में जहाँ पहले 29वें स्थान पर विराजमान था, वहाँ से लंबी छलाँग लगाते हुए
तीसरे स्थान पर पहुँच चुका है। बहुतों के लिए यह विश्वास करने वाली बात नहीं है,
लेकिन विश्व बैंक के व्यापार सुगमता सूचकांक में इस सत्य को उजागर कर झारखंड के
लिए नई और बेशकीमती ऊर्जा का संचार कर दिया है।
विश्व
बैंक ने 14 सितंबर, 2016 को 'इज ऑफ डूइंग बिजनेस' या व्यापार सुगमता सूचकांक पर
रिपोर्ट जारी की, जिसमें गुजरात शीर्ष पर है वहीं आंध्र प्रदेश दूसरे पायदान पर
है। तीसरे स्थान पर झारखंड पहुँच चुका है। वर्तमान में यह राज्य तीसरे से सातवें
स्थान पर आ गया है। इसका अर्थ है कि देश के सभी राज्यों में शीर्ष तीन प्रदेश जहाँ
व्यापार चलाना और लगाना सबसे आसान है। उनमें से एक झारखंड भी है। इस रिपोर्ट से
निश्चित रूप से निवेशकों में झारखंड के प्रति विश्वास पैदा होगा और आने वाले दिनों
में राज्य में उद्योगों का संजाल नजर आ सकता है। विश्व बैंक के रिपोर्ट के अनुसार
उभरते सात राज्यों में झारखंड शुमार है। झारखंड के अलावा गुजरात, आंध्र प्रदेश,
मध्य प्रदेश, चंडीगढ़, उड़ीसा और राजस्थान भी तेजी से उभरते राज्यों में शामिल है।
औद्योगिक विकास में झारखंड को मिली अभूतपूर्व सफलता के पीछे टीमवर्क से
'मेक-इन-झारखंड' के लिए अल्प समय में किए गए समेकित प्रयासों का नतीजा है ।
'मेक-इन-इंडिया' के लिए 'इज ऑफ डूइंग बिजनेस' के क्षेत्र में झारखंड देश का तीसरा
राज्य बन गया है। इससे देश के इन्सपाइरिंग लीडर्स की श्रेणी में आने वाले राज्यों
में शामिल हो गया। हमें बदलते हुए झारखंड में विकासोन्मुख कार्यों को और गति देनी
है, ताकि निश्चित तौर पर झारखंड देश के समृद्ध राज्यों की श्रेणी में खड़ा हो। इस
कार्य को करने के लिए राज्यों के मुख्य सचिवों की बैठक 29 दिसंबर, 2014 को आयोजित
की गई थी। इसके अंतर्गत 98 बिंदुओं का 'एक्शन प्लान' तैयार किया गया था। व्यापार
सुधार के इन 98 बिंदुओं के एक्शन प्लान' के अंतर्गत विभिन्न राज्यों द्वारा मार्च
2015 से किए गए प्रयासों के संबंध में विश्व बैंक के द्वारा समीक्षोपरांत डी.आई. पी.पी.
के लिए एक रिपोर्ट जारी की गई। इसी रिपोर्ट में झारखंड को यह सम्मान प्राप्त हुआ।
25 जून, 2016 को देश के प्रतिष्ठित व्यावसायिक और औद्योगिक समूह अदानी ने राज्य
में निवेश के लिए सहमति-पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं।
झारखंड
के विकास के लिए राज्य सरकार समग्र एवं त्वरित औद्योगिक विकास के लिए निरंतर
प्रयत्नशील है। इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए विगत एक वर्षों में सरकार
द्वारा अनेक कदम उठाए गए हैं। यह प्रयास किया गया है कि राज्य में एक अनुकूल,
औद्योगिक वातावरण का निर्माण हो, जिससे कि न सिर्फ राज्य में पूंजीनिवेश का निरंतर
प्रवाह बने बल्कि रोजगार के अवसर उत्पन्न हो सकें। 12वीं पंचवर्षीय योजना वित्तीय
वर्ष 2012-13 से प्रारंभ है। वर्तमान वर्ष 2016-17 12वीं पंचवर्षीय योजना का अंतिम
वर्ष है। राज्य सरकार का यह प्रयास है कि आगामी वर्षों में राज्य में बड़े पैमाने पर
विनिर्माण औद्योगिक इकाइयों की स्थापना हो, ताकि 'मेक-इन-इंडिया' कार्यक्रम के
अंतर्गत झारखंड औद्योगिक रूप से एक सशक्त राज्य के रूप में अपनी पहचान बना सके।
झारखंड
राज्य खनिज संपदा से परिपूर्ण है। देश की लगभग 40 प्रतिशत खनिज संपदा इस राज्य में
उपलब्ध है। खनिज संपदा से परिपूर्ण होने के बावजूद झारखंड राज्य में बड़े पैमाने
पर मूल्यवर्धित उत्पाद करने वाले औद्योगिक इकाइयों की कमी है। राज्य सरकार का यह
प्रयास है कि खनिज के मूल्यवर्धन करने वाले उद्योगों को प्रोत्साहित किया जाय, जो
अधिक-से- अधिक मूल्यवर्धित सामग्री का उत्पादन करें ।
झारखंड
राज्य की स्थापना के बाद राज्य का औद्योगिक विकास निश्चित रूप से हुआ है, इसके
बावजूद राज्य के कई क्षेत्र औद्योगिक विकास से आज भी वंचित है। विभाग का यह प्रयास
है कि औद्योगिक विकस से वंचित रहे क्षेत्र में औद्योगिक आधारभूत संरचना का निर्माण
किया जाय, ताकि इस क्षेत्र की औद्योगिक प्रगति हो सके। इसको ध्यान में रखते हुए
औद्योगिक रूप से पिछड़े हुए क्षेत्र खासकर संथाल परगना के औद्योगिक विकास हेतु
विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। गोड्डा में भारत सरकार के सहयोग से मेगा हैंडलूम
कलस्टर का कार्य प्रारंभ है, जिससे संथाल परगना के सभी छह जिलों के बुनकरों को लाभ
होगा। राज्य सरकार 'मेक-इन-इंडिया' के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए व्यवसाय
प्रारंभ करने के लिए प्राप्त किए जाने वालेप्रमाण-पत्रों/निबंधनों के आवेदनों
सरलीकरण कर ऑनलाइन आवेदन प्राप्त करने तथा निर्धारित समयावधि ऑनलाइन निर्गत किए
जाने की व्यवस्था की गई है। निवेशकों के लिए संबंधित विभागों से त्वरित अनापति
प्रमाण-पत्र एवं स्वीकृति के लिए उद्योग विभाग द्वारा सिंगल विंडो पोर्टल
(www.advantage.jharkhand. gov.in) विकसित किया गया है। इस व्यवस्था के
तहत् निवेशकों को सभी प्रकार की आवश्यक सूचनाएँ उपलब्ध कराई
जाएगी एवं ऑनलाइन आवेदन की सुविधा उपलब्ध है। एकल हस्ताक्षर तकनीक लागू करने वाला
झारखंड भारत का प्रथम राज्य है। वर्तमान में यह सुविधा उद्योग विभाग, वाणिज्यकर विभाग,
श्रम विभाग, औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकार, झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण
बोर्ड में लागू है।
झारखंड
में औद्योगिक विकास को गतिशील बनाने हेतु चार विशिष्ट नीति बनाई गई है-
1.
झारखंड खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति, 2015
2.
झारखंड फोड प्रसंस्करण उद्योग नीति, 2015
3.
झारखंड औद्योगिक पार्क नीति, 2015
4.
झारखंड निर्यात नीति, 2015।
राज्य
के सभी औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकारों में निवेश हेतु भू आवंटन प्रस्तावों के
ऑनलाइन माध्यम से समयबद्ध एवं पारदर्शी, निष्पादन हेतु राज्य सरकार द्वारा चार
विनियमन पारित किए गए हैं-
1.
आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकरण विनियमन, 2015
2.
बोकारो औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकरण विनियमन, 2015
3.
राँची औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकरण विनियमन, 2015
4.
संथाल परगना औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकरण विनियमन, 2015
झारखंड
ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के इन विचारों को, "यदि आर्थिक गुलामी से
मुक्ति पाना है तो प्रत्येक हाथ को काम करना होगा," आत्मसात् किया है। राज्य
सरकार राज्य के बुनकरों को परंपरागत शिल्पियों एवं रेशम उत्पादन से जुड़े हुए
राज्य के गरीब नागरिकों को स्वरोजगार के प्रति दृढ़ संकल्पित है। इस उद्देश्य की
पूर्ति के लिए बनुकरों एवं शिल्पियों को उन्नत प्रशिक्षण दिया जा रहा है। राँची
में NID अहमदाबाद के सहयोग से CRAFT AND DESIGN संस्थान की स्थापना
की जा रही है। C-DAC के माध्यम से पाँच स्थानों पर कंप्यूटर
आधारित डिजाइन में प्रशिक्षण की व्यवस्था की गई है। इसके अतिरिक्त आधुनिक रेशम
परिधानों का उत्पादन राज्य में ही हो तथा उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार के साथ
ही रोजगार सृजन एवं रेशम उत्पादन से जुड़े लोगों की आय में भी वृद्धि हो सके, इसके
लिए सिल्क पार्क की स्थापना की जा रही है, ताकि मूल्यवर्धन को बढ़ाया जा सके एवं
उच्च गुणवता वाले रेशम उत्पादों के उत्पादन राज्य में हो सके। झारक्राफ्ट के
माध्यम से हस्तशिल्प तथा हस्तकरघा के उत्पादों को विपणन का मंच प्रस्तुत किया गया
है। स्व रोजगार हेतु राज्य में कौशल विकास के माध्यम से प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
एम.एस.एम.ई. टूल रूम, राँची एवं गवर्नमेंट टूल रूम, दुमका के द्वारा कौशल विकास से
जुड़े विभिन्न औद्योगिक ट्रेडो में प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जिससे कि राज्य में
कुशल औद्योगिक, कामगार, उपलब्ध हो सके। साथ ही दोनों ट्रल रूमों द्वारा चार वर्षीय
डिप्लोमा कोर्स के प्रशिक्षणार्थियों को शत-प्रतिशत रोजगार प्राप्त हो रहा है।
12वीं
पंचवर्षीय योजना में उद्योग विभाग द्वारा राज्य के औद्योगिक विकास
हेतु सतत प्रयास किया जा रहा है। जिसके फलस्वरूप कई क्षेत्रों में आशातीत सफलता
प्राप्त हुई है।
तसर
रेशम के उत्पादन में झारखंड राज्य का देश में प्रथम स्थान है। वर्तमान में रेशम
कृषक, प्रति फसल लगभग, 40-50 हजार तक की आय अर्जित कर रहे हैं। Integrated Silk
Prodiction Chain स्थापित होने से राज्य में नाभिकीय बीज, बुनियादी बीज एवं
वाणिज्यिक बीजों के लिए अन्य संस्थानों पर निर्भरता समाप्त हुई तथा अन्य राज्यों
को भी वाणिज्यिक बीजों की आपूर्ति की गई।
झारखंड
राज्य खादी ग्रामोद्योग बोर्ड न सिर्फ सफलतापूर्वक राज्य में खादी के विकास एवं
प्रसार में उत्कृष्ट भूमिका निभा रहा है बल्कि ग्रामीण स्तर पर स्वरोजगार भी
उपलब्ध करा रहा है। 4 अक्तूबर, 2015 को झुमरीतिलैया, कोडरमा में आधुनिक रेडीमेड़,
गारमेंट इकाई का शुभारंभ किया गया एवं 5 दिसंबर, 2015 को मेदिनीनगर (पलामू) में
खादी भवन एवं प्रशिक्षण सह उत्पादन केंद्र का शुभारंभ किया गया। राज्य खादी बोर्ड
एवं खादी आयोग तथा ग्रामीण विकास विभाग के संयुक्त तत्त्वावधान में फरवरी 2016 में
राष्ट्रीय खादी एवं सरस महोत्सव का आयोजन राँची में किया गया।
राज्य
में हथकरघा के विकास हेतु हथकरघा को तकनीकी एवं वित्तीय सहायता मिली, जिसके
फलस्वरूप इनकी आर्थिक स्थिति में काफी सुधार हुआ है। C-DAC के माध्यम से राज्य के
पाँच स्थानों राँची, हजारीबाग, लातेहार, देवघर एवं सरायकेला-खरसावाँ में कंप्यूटर
एडेड डिजाइन में प्रशिक्षण हेतु योजना की स्वीकृति एवं राशि आवंटित की गई।
झारखंड
हस्तशिल्प कला से परिपूर्ण राज्य है। काथा, एपलिक, ढोकरा, टेराकोटा इत्यादि
पारंपरिक हस्तशिल्प सामग्रियों को विकसित करने हेतु पूरे राज्य में कार्यरत
विभागीय हस्तशिल्प केंद्रों एवं झारक्राफ्ट के सहयोग से उन्नत प्रशिक्षण दिया जा
रहा है। NID अहमदाबाद के सहयोग से राँची में 'झारखंड इंस्टीट्यूट ऑफ क्राफ्ट ऐंड
डिजाइन' की स्थापना की स्वीकृति प्रदान की गई है। आदित्यपुर में Electronic
Manufacturing Cluster की स्थापना तथा बरही में ग्रोथ सेंटर के रूप में Integrated
Manufacturing Cluster की स्थापना । राँची-पतरातू-रामगढ़ इंडस्ट्रीयल कोरिडोर का
निर्माण, जो न सिर्फ औद्योगिक गतिविधियों को बढ़ाने में सहायक होंगे, बल्कि पूँजी
निवेश के नए अवसर के सृजन में भी सहायक होंगे। औद्योगिक गलियारे' की स्थापना हेतु
परियोजना प्रतिवेदन 'जिन्फ्रा' द्वारा तैयार किया गया है। भारत सरकार के द्वारा
Eastern Dedicated Freight Corridor के साथ-साथ 'अमृतसर- दिल्ली-कोलकाता
Industrial Corridor' विकसित करने की महत्वाकांक्षी योजना है। इस योजना का 196
किलोमीटर झारखंड राज्य से गुजरता है। इसी के पास Integrated Manufacturing cluster
की बरही में ग्रोथ सेंटर को चिह्नित किया गया।
आज
के वैश्विकरण युग में उद्योगों द्वारा उत्पादित सामग्रियों के विपणन में काफी
प्रतिस्पर्धा है। राज्य की औद्योगिक काइयों को विश्वस्तर की प्रतिस्पर्धा में बने
रहने के उद्देश्य से Modified Industrial Infra Structure
upgradation Scheme (MIIUS) की योजना कार्यान्वित की जा रही है। इसके
अंतर्गत औद्योगिक इकाइयों को Common Facilities तथा Zero Liquid Discharge
effluent Treatment Plant स्थापना एवं बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध
कराई जाएगी।
विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र
निर्यातोन्मुखी
उद्योगों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 'विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र' स्थापित करने की
योजना है। इसके अंतर्गत, ऑटोमोबाइल एवं ऑटो कम्पोनेंट
'विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र' की योजना है।
औद्योगिक पार्क की स्थापना
झारखंड
औद्योगिक पार्क नीति 2015 के अंतर्गत औद्योगिकीकरण में निजी भागीदारी को
प्रोत्साहित करने हेतु 'निजी औद्योगिक पार्क' एवं PPP Mode पर औद्योगिक पार्क' की
स्थापना का प्रस्ताव है। इसके अंतर्गत वस्त्र/परिधान पार्क, आई.टी.ई.एस. पार्क,
जैव प्रौद्योगिकी पार्क, रत्न एवं आभूषण पार्क, जड़ी-बूटी पार्क, रासायनिक एवं
औषधीय पार्क की स्थापना की जानी है।
झारखंड औद्योगिक आधारभूत संरचना विकास निगम (जिडको)
'जिडको'
की स्थापना राज्य में औद्योगिक आधारभूत संरचना के निर्माण के
उद्देश्य से किया गया है। जिडको' की कुल शेयर पूँजी 50 करोड़ है। राज्य के
औद्योगिक विकास में 'जिङको' की महत्त्वपूर्ण भूमिका होने वाली है। जगदीशपुर
हल्दिया गैस पाइप लाइन की योजना 'जिडको' एवं गेल के संयुक्त तत्त्वावधान में की
जाएगी। जिला उद्योग केंद्र में कार्मिकों की कमी को 'जिडको' हॉस कीपिंग सपोर्ट
प्रदान करेगा। 'जिडको' एक लाभ अर्जित करने वाला लोक उपक्रम है।
निर्यात प्रोत्साहन
झारखंड
एक Land Locked राज्य है। जिसके कारण यहां के उद्यमियों एवं व्यापारियों को अपने
उत्पादों को निर्यात करने में न सिर्फ कठिनाई होती है बल्कि उन्हें अत्यधिक लागत
का भी वहन करना पड़ता है। उद्योग विभाग द्वारा राँची में एयर कार्गो, कॉम्पलेक्स
की स्थापना की जा रही है। इसके लिए भारतीय विमान पतन प्राधिकरण के साथ समझौता किया
है एवं निर्यात को प्रोत्साहित करने हेतु झारखंड निर्यात नीति, 2015 अधिसूचित किया
गया है।
इन प्रयासों से झारखंड में औद्योगिक विकास का माहौल बना है, जिससे भविष्य में राज्य औद्योगिक दृष्टि से संपन्न होगा और भारत में विकसित राज्यों की श्रेणी में सम्मिलित हो जाएगा।