Group
- A खण्ड-क (अपठित बोध)
1. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए : 2 +
2 + 2 = 6
एकांत
ढूँढ़ने के कई सकारात्मक कारण हैं । एकांत की चाह किसी घायल मन की आह भर नहीं, जो
जीवन के काँटों से बिंध कर घायल हो चुका है, एकांत सिर्फ उसके लिए शरण मात्र नहीं
। यह उस इंसान की ख्वाइश भर नहीं, जिसे इस संसार में फेंक दिया गया हो और वह फेंक
दिये जाने की स्थिति से भयभीत होकर एकांत ढूँढ़ रहा हो । हम जो एकांत में होते
हैं, वही वास्तव में होते हैं । एकांत हमारी चेतना की अंतर्वस्तु को पूरी तरह
उघाड़ कर रख देता है । अंग्रेजी का एक शब्द है 'आइसोनोफिलिया' । इसका
अर्थ है अकेलेपन, एकांत से गहरा प्रेम । पर इस शब्द को गौर से समझें तो इसमें अलगाव की एक परछाईं भी दिखती है । एकांत प्रेमी हमेशा ही
अलगाव की अभेद्य दीवारों के पीछे छिपना चाह रहा हो, यह जरूरी नहीं । एकांत की अपनी
एक विशेष सुरभि है और जो भीड़ के अशिष्ट प्रपंचों में फंस चुका हो, ऐसा मन कभी
इसका. सौंदर्य नहीं देख सकता ।
(क) एकांत हमारे जीवन के लिए क्यों आवश्यक है ?
उत्तर:
स्वयं को जानने के लिए
(ख) 'आइसोनोफिलिया' का क्या अर्थ है ?
उत्तर:
अकेलेपन, एकांत से गहरा प्रेम ।
(ग) एकांत के सौंदर्य को कैसे देखा जा सकता है ?
उत्तर:
एकांत से प्रेम करके।
अथवा
निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
है
अगम चेतना की घाटी, कमजोर पड़ा मानव का मन, ममता की शीतल छाया में, होता कटुता का स्वयं
शमन ज्वालाएँ जब घुल जाती हैं, खुल-खुल जाते हैं मुँदे नयन, हो कर निर्मलता में प्रशांत,
बहता प्राणों का क्षुब्ध पवन । संकट में यदि मुसका न सको, भय से कातर हो मत रोओ, यदि
फूल नहीं बो सकते हो, काँटे कम से कम मत बोओ ।
(क) फूल या काँटे बोने का भाव क्या है ?
उत्तर:
फूल बोने का भाव है- मानव और मानवता की भलाई के लिए कार्य करना, जबकि
काँटे बोने का भाव है-मानव और मानवता के
विरुद्ध कार्य करना।
(ख) मानव मन की कटुता कैसे दूर हो सकती है ?
उत्तर:
मानव जब दूसरों के बारे में सोचता है और सहयोगपूर्ण सह-अस्तित्व में विश्वास करता है,
तब उसके मन की कटुता दूर हो सकती है।
(ग) कवि कठिनाई के क्षणों में क्या करने या क्या न करने का परामर्श
दे रहा है ?
उत्तर:
कठिनाई के क्षणों में मनुष्य का व्यवहार धैर्यपूर्ण होना चाहिए क्योंकि धैर्यपूर्वक
संकट का सामना करने पर वह अंततः टल जाता है, लेकिन यदि हम उससे भयभीत होने लगते है,
तो वह निरंतर बढ़ता ही जाता है।
Group
- B खण्ड-ख ( अभिव्यक्ति और माध्यम )
निम्नलिखित में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर दीजिए : 5 + 5 = 10
(क) 'कंप्यूटर साक्षरता का महत्त्व' अथवा 'झारखंड और पर्यटन' विषय पर
निबंध लिखिए ।
उत्तर: 'कम्प्यूटर साक्षरता का महत्व'
वर्तमान
युग-कंप्यूटर युग : वर्तमान युग कंप्युटर युग है । यदि भारतवर्ष पर नजर दौड़ाकर देखें
तो हम पाएँगे कि आज जीवन के लगभग सभी क्षेत्रों में कंप्यूटर का प्रवेश हो गया है।
बैंक, रेलवे स्टेशन, हवाई अड्डे, डाकखाने, बड़े-बड़े उद्योग, कारखाने, व्यवसाय, हिसाब-किताब,
रुपये गिनने की मशीनें तक कंप्यूटरीकृत हो गई हैं। अब भी यह कंप्यूटर का प्रारंभिक
प्रयोग है। आने वाला समय इसके विस्तृत फैलाव का संकेत दे रहा है।
कंप्यूटर
की उपयोगिता : आज मनुष्य-जीवन जटिल हो गया है। सांसारिक गतिविधियों, परिवहन और संचार-उपकरणों
आदि का अत्यधिक विस्तार हो गया है। आज व्यक्ति के संपर्क बढ़ रहे हैं, व्यापार बढ़
रहे हैं. गतिविधियाँ बढ़ रही हैं, आकांक्षाएँ बढ़ रही हैं, साधन बढ़ रहे हैं। परिणामस्वरूप
सब जगह भागदौड़ और आपाधापी चल रही है।
स्वचालित
गणना-प्रणाली : इस 'पागल गति' को सुव्यवस्था देने की समस्या आज की प्रमुख समस्या है।
कंप्यूटर एक ऐसी स्वचालित प्रणाली है, जो कैसी भी अव्यवस्था को व्यवस्था में बदल सकती
है । हड़बड़ी में होने वाली मानवीय भूलों के लिए कंप्यूटर रामबाण औषधि है। क्रिकेट
के मैदान में अंपायर की निर्णायक भूमिका हो, या लाखों-करोड़ों-अरबों की लंबी-लंबी गणनाएँ,
कंप्यूटर पलक झपकते ही आपकी समस्या हल कर सकता है । पहले इन कामों को करने वाले कर्मचारी
हड़बड़ाकर काम करते थे । परिणामस्वरूप काम कम, तनाव अधिक होता था । अब कंप्यूटर की
सहायता से काफी सुविधा हो गई है।
कार्यालय
तथा इंटरनेट में सहायक : कंप्यूटर ने फाइलों की आवश्यकता कम कर दी है। कार्यालय की
सारी गतिविधियों चिप में बंद हो जाती हैं। इसलिए फाइलों के स्टोरों की जरूरत अब नहीं
रही । अब समाचार-पत्र भी इंटरनेट के माध्यम से पढ़ने की व्यवस्था हो गई है। विश्व के
किसी कोने में छपी पुस्तक, फिल्म, घटना की जानकारी इंटरनेट पर ही उपलब्ध है । एक समय
था जब कहते थे कि विज्ञान ने संसार को कुटुंब बना दिया है। कंप्यूटर ने तो मानों उस
कुटुंब को आपके कमरे में उपलब्ध करा दिया है।
नवीनतम
उपकरणों में उपयोगिता : आज टेलीफोन, रेल, फ्रिज, वाशिंग मशीन आदि उपकरणों के बिना नागरिक
जीवन जीना कठिन हो गया है। इन सबके निर्माण या संचालन में कंप्यूटर का योगदान महत्त्वपूर्ण
है । रक्षा-उपकरणों, हजारों मील की दूरी पर सटीक निशाना बाँधने, सूक्ष्म-से-सूक्ष्म
वस्तुओं को खोजने में कंप्यूटर का अपना महत्त्व है । आज कंप्यूटर ने मानव-जीवन को सुविधा,
सरलता, सुव्यवस्था और सटीकता प्रदान की है। अत: इसका महत्त्व बहुत अधिक है।
कम्प्यूटर
के प्रचलन के साथ व्यापक बेरोजगारी की सम्भावना व्यक्त की गयी थी। लेकिन यह आशंका निर्मूल
साबित हुई है । कम्प्यूटर ने असीमित संभावनाओं के द्वारा खोल दिये हैं । किन्तु इसके
प्रयोग में सतर्क, सचेत और सावधान रहने की आवश्यकता है । यह एक ऐसा साधन है जिसका राष्ट्र
की प्रगति में अमूल्य योगदान है । लेकिन, एक बात स्मरणीय है कि कम्प्यूटर साधन भर है
साध्य नहीं । मानव के ऊपर इसे महत्व देना अनुचित होगा।
"झारखण्ड
और पर्यटन"
झारखण्ड
में प्रकृति की असीम कृपा रही है। पर्यटकों के लिए झारखण्ड स्वर्ग है। हर ओर प्राकृतिक
दृश्य बिखरे पड़े हैं। आबादी से पाँच किलोमीटर दूर किसी दिशा में जाने पर इतने नयनाभिराम
दृश्य मिलते हैं कि मन मुग्ध हो जाता है।
पर्यटन
की दृष्टि से झारखण्ड अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। यहाँ ऐतिहासिक और भौगेलिक दोनों प्रकार
के पर्यटन स्थल हैं। जलप्रपात एवं अभ्यारण्य से भरे पड़े हैं। धार्मिक श्रद्धालुओं
के लिए वैद्यनाथ मंदिर अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। देवघर स्थित इस मंदिर में सावन के
महीने में शिवलिङ्ग पर जल चढ़ाने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ती है। यहाँ जल
चढ़ाने का बड़ा महात्म्य है। जैन मतावलम्बियों के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण पारसनाथ भी
झारखण्ड में ही है।
झारखण्ड
के नृत्य, संगीत और कला की अलग पहचान है। यहाँ के रीति रिवाजों और करमा सरहुल आदि पर्वो
की समृद्ध परम्परा है।
बेतला
में राष्ट्रीय अभ्यारण्य है। पलामू स्थित इस अभ्यारण्य में कई तरह के वन्यपशु हैं।
रात को रुककर वहाँ वन्यपशुओं का अवलोकन अत्यन्त मुग्धकारी होता है। नेतरहाट नैसर्गिक
रूप से एवं शैक्षिक रूप से अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। यहाँ एक उत्कृष्ट स्कूल है जहाँ
से पढ़कर विद्यार्थियों ने आज भारत में अपनी अलग पहचान बनायी है। यहाँ का सूर्योदय
एवं सूर्यास्त पर्यटकों का मन मोह लेता है।
झारखण्ड
में पर्यटन स्थलों की भरमार है। आज जरूरत इन जगहों पर पर्यटकों के लिए सुविधाएँ बढ़ाने
की है। इससे राज्यकोष में वृद्धि होगी और झारखण्ड सम्पन्न होगा।
(ख) अपने गाँव में कोरोना जाँच कैंप लगवाने हेतु संबंधित अधिकारी को
पत्र लिखिए ।
उत्तर:
सेवा में,
स्वास्थ्य पदाधिकारी, बोकारो
विषय
: कोरोना जाँच कैंप हेतू।
महोदय,
सविनय निवेदन यह है कि मेरा गाँव बोकारो
जिले के अति सुदूर क्षेत्र में अवस्थित है। यहाँ हर घर में कोरोना के लक्षण वाले मरीज
मिल रहे हैं किन्तु जाँच के अभाव में साबित नहीं होता है कि वह मरीज कोरोना संक्रमित
है या नहीं। वे लोग गाँव में घूमते हुए नजर आते हैं इससे आशंका बनी रहती है कि पूरा
गाँव कहीं कोरोना संक्रमित नहीं हो जाए।
अत:
आपसे अनुरोध है कि यथाशीघ्र इस गाँव में कोरोना जाँच की शिविर लगाया जाए ताकि अधिक-से-अधिक
लोगों की जाँच हो सके और कोरोना संक्रमण के दर को रोका जा सके।
सधन्यवाद। भवदीय
दिनांक:
21 फरवरी, 2022 रमेश
(ग) नया राशन कार्ड बनवाने के लिए जिला-आपूर्ति पदाधिकारी को एक प्रार्थना-पत्र
लिखिए ।
उत्तर:
सेवा में,
जिला आपूर्ति पदाधिकारी,
जामताड़ा।
विषय-नया
राशन कार्ड बनवाने के संबंध में।
महोदय,
मैं गाँधी चौक जामताड़ा का रहने वाला हूँ।
मेरा राशन कार्ड पूरी तरह से भर गया है। अगले महीने राशन लेने से पहले नया राशन कार्ड
बनवाना आवश्यक एवं अपेक्षित है।
आप
निवेदन है कि शीघ्र नया राशन कार्ड निर्गत करने की कृपा करें। पुराने राशन कार्ड की
छायाप्रति संलग्न है। इसके लिए मैं सदा आपका आभारी रहूँगा।
तिथि-24
मार्च 2022
भवदीय
सुभाष
(घ) एक अच्छी रिपोर्ट की विशेषताएँ बताइए ।
उत्तर:
रिपोर्ट (प्रतिवेदन) की विशेषताएँ : एक अच्छे रिपोर्ट की निम्नलिखित विशेषताएँ गुण
है-
(1)
तथ्यात्मकता रिपोर्ट की प्रमुख विशेषता है।
(2)
रिपोर्ट के तथ्यों का प्रमाणिक होना, उसकी दूसरी विशेषता है।
(3)
रिपोर्ट का अतथ्यात्मक, भ्रामक, अप्रामाणिक या अनुत्तरदायित्वपूर्ण होना बहुत बड़े
अहित का कारण बन सकता है। अतः प्रतिवेदन का तथ्यपूर्ण, सत्य, प्रामाणिक ओर दायित्वपूर्ण
होना उसकी परम विशेषता मानी जा सकती है।
(4)
निर्णयात्मकता भी रिपोर्ट की एक महत्त्वपूर्ण विशेषता है।
(5)
विसंगतिहीनता और विरोधाभासीहीनता रोपोर्ट का एक विशिष्ट गुण है।
(6)
विषयनिष्ठता (Subjectivity) रिपोर्ट की विशेषता मानी जाती है।
अत:
रिपोर्ट में 'मैं' या 'हम' का प्रयोग अवांछनीय है।
(7)
रिपोर्ट (प्रतिवेदन) का संक्षिप्त, सुगठित और उपयोगी होना भी परमावश्यक है।
Group
-C खण्ड - ग (पाठ्यपुस्तक)
3. निम्नलिखित में से किसी एक की सप्रसंग व्याख्या कीजिए :
(क) तुम्ह बिनु कंता धनि हरूई तन तिनुवर भाडोल ।
तेहि पर बिरह जराई कै चहै उड़ावा झोल ।।
उत्तर:
प्रस्तुत काव्यांश मलिक मोहम्मद जायसी द्वारा रचित बारहमासा से लिया गया है। बागमती
अपने पति रत्नसेन के वियोग में अत्यन्त कमजोर हो गई है। वह विरह रूपी पवन से भी डरने
लगी है कि कहीं वह उसे उड़ाकर न ले जाए।
(ख) झूठी बतियानि की. पत्यानि तें उदास है कै,
अब ना घिरत घन आनंद निदान को ।
अधर लगे हैं आनि करि कै पयान प्रान,
चाहत चलन ये संदेशो लै सुजान को ।।
उत्तर:
प्रसंग- प्रस्तुत पंक्तियाँ अंतरा भाग-2 नामक पुस्तक में संकलित कवित्त से ली
गई हैं। इसके रचयिता रीतिकाल के प्रसिद्ध कवि घनानंद है। प्रस्तुत पंक्तियों में कवि
प्रेमिका से वियोग के कारण अपनी दुःखद स्थिति का वर्णन करता है। वह प्रेमिका से मिलने
की आस लगाए बैठा है परन्तु प्रेमिका उसकी ओर से विमुख बनी बैठी है।
व्याख्या- कवि
कहता है कि मैंने तुम्हारे द्वारा कही गई झूठी बातों पर विश्वास किया था लेकिन उन पर
विश्वास करके आज मैं उदास हूँ। ये बातें मुझे उबाऊ लगती हैं। अब मेरे संताप हृदय को
आनंद देने वाले बादल भी घिरते नहीं दिखाई दे रहे हैं। वरना यही मेरे हृदय को कुछ सुख
दे पाते। मेरी स्थिति अब ऐसी हो गई है कि मेरे प्राण कंठ तक पहुँच गए हैं अर्थात मैं
मरने वाला हूँ। मेरे प्राण इसलिए अटके हैं कि तुम्हारा संदेश आए और मैं उसे लेकर ही
मरूँ। भाव यह है कि कवि अपनी प्रेमिका के संदेश की राह देख रहा है।उसके प्राण बस उसके
संदेशा पाने के लिए अटके पड़े हैं।
4. निम्नलिखित में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर दीजिए : 3 + 3 = 6
(क) राम के प्रति अपने श्रद्धाभाव को भरत किस प्रकार प्रकट करते हैं
? स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर:
संपूर्ण काव्य पंक्तियों से यह बात स्पष्ट हो चुकी है कि भरत अपने भाई श्री राम से
बहुत प्रेम करते हैं। जब वे अपने भाई श्री राम से मिलने वनवास जाते हैं, तो उनको देखकर
उनके आंखों से आंसू बहने लगते हैं। वन में श्री राम का जीवन कठिन था। उस कठिन जीवन
को देखकर भरत भाव विभोर हो जिम्मेदार वह स्वयं को ठहराते हैं।
(ख) पूस के महीने में विरहिणी की क्या दशा होती है ?
उत्तर:
पूस के महीने में ठंड अपने चरम पर रहती हैं, चारों ओर कोहरा छाने लग जाता है और यह
स्थिति नागमती के लिए कष्टप्रद है । इसमें विरह की पीड़ा मृत्यु के समान है|अगर नागमती
का पति वापस नहीं आया तो यह ठंड उसे खा जाएगी । माघ के महीने में उसके अंदर काम की
भावना भी उत्पन्न होती है और प्रिय से मिलने की व्याकुलता भी बढ़ जाती है । माघ के
मास की बारिश उसके विरह को बढ़ा देती है और माघ की बारिश में भीगे हुए गीले कपड़े और
आभूषण उसको तीर की तरह चुभ रहे है और उसे श्रृंगार करना भी अच्छा नहीं लगता है ।
(ग) 'रहिं चकि चित्रलिखी-सी' पंक्ति का मर्म अपने शब्दों में स्पष्ट
कीजिए ।
उत्तर:
इस पंक्ति में पुत्र वियोगिनी माता का दुख दुष्टिगोचर होता है। माता कौशल्या राम से
हुए वियोग के कारण दुखी और आहत है। वे राम की वस्तुएँ को देखकर स्वयं को बहलाने का
प्रयास करती हैं। उनका दुख कम होने के स्थान पर बढ़ता चला जाता हैं। परन्तु जब राम
के वनवासी जीवन का स्मरण करती हैं, तो हैरानी से भरी हुई चित्र के समान स्थिर हो जाती
हैं। जैसे चित्र में बनाई स्त्री के मुख तथा शरीर में किसी तरह का हाव-भाव विद्यमान
नहीं होता है, वैसे ही राम की दुखद अवस्था का भान करके माता कौशल्या चकित तथा स्तब्ध
अवस्था में होने के कारण हिलती भी नहीं हैं।
5. निम्नलिखित में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर
दीजिए : 3 + 3 = 6
(क) 'गंगापुत्र के लिए गंगा मैया ही जीविका और जीवन है'-
इस कथन के आधार पर गंगापुत्रों के जीवन परिवेश की चर्चा कीजिए ।
उत्तर:
इस पाठ में गंगा पुत्र उन्हें कहा गया है जिनका जीवन गंगा के भरोसे है। गंगा में लोगों
द्वारा डाले गए धन को एकत्रित करके ही ये अपनी आजीविका चलाते हैं। गंगापुत्र अपनी जान
को जोखिम में डाल कर गंगा में गोते लगा लगा कर इन पैसों को एकत्रित करते हैं। इनके
पास अपनी आजीविका का और कोई साधन नहीं है। गंगा पुत्र दो समय की रोटी के लिए अपनी जान
को जोखिम में डालते हैं। इनका जीवन परिवेश अच्छा नहीं होता। परंतु कोई आजीविका का साधन
न होने के कारण इन्हें यह काम मजबूरन करना पड़ता है।
(ख) सिंगरौली को कालापानी क्यों कहा जाता है ?
उत्तर:
सिंगरौली खनिज पदार्थों से भरपूर पहाड़ी क्षेत्र है, जो चारों ओर से घने जंगलों से
घिरा हुआ है। इन जंगलों के कारण यहाँ यातायात के साधन विकसित नहीं थे। यातायात के अभाव
(कमी) तथा घने जंगल के खतरों के कारण यहाँ लोग न अंदर जाते थे और न बाहर आने का जोखिम
उठाते थे। इन परिस्थितियों के चलते सिंगरौली देश के अन्य भागों से कटकर अकेलेपन का
शिकार हो रहा था। इसी कारण सिंगरौली को 'काला पानी' कहा जाता था।
(ग) मनोकामना की गाँठ भी अद्भुत अनूठी है, इधर बाँधो उधर लग जाती है
।' कथन के आधार पर पारो की मनोदशा का वर्णन कीजिए ।
उत्तर:
संभव की दशा तो पारो को पहली बार देखकर पता चल जाती है। लेकिन पारो के मन की दशा का
वर्णन उसके द्वारा मन में बोली गई इस पंक्ति से होता है। इससे पता चलता है कि संभव
पारों के दिल में पहली ही मुलाकात में जगह पा गया था। वह भी संभव को उतना ही मिलने
को बैचेन थी, जितना संभव था। यहाँ तक की संभव से मिलने के लिए उसने संभव की भांति ही
मनसा देवी में मन्नत की चुनरी बाँधी। संभव को देखकर उसकी मन्नत पुरी हो गई। इससे पता
चलता है कि उसकी मनोदशा भी संभव की भांति पागल प्रेमी जैसी थी, जो अपने प्रियतम को
ढूँढने के लिए यहाँ-वहाँ मारा-मारा फिर रहा था।
6. मलिक मुहम्मद जायसी अथवा निर्मल वर्मा की किन्हीं दो रचनाओं के नाम
लिखें ।
उत्तर:
मलिक मुहम्मद जायसी : पद्मावत, अखरावट ।
निर्मल
वर्मा : परिंदें, रात का रिपोर्टर
7. हमारे आज के इंजीनियर ऐसा क्यों समझते हैं कि वे पानी का प्रबंध
जानते हैं और पहले जमाने के लोग कुछ नहीं जानते थे ?
उत्तर:
आज के इंजीनियर पश्चिमी शिक्षा पद्धति से शिक्षित किये गये। उन्हें घुट्टी देकर यह
बात समझायी गयी कि पूरी दुनिया में ज्ञान का प्रकाश पश्चिमी पुनर्जागरण (रेनासा) के
कारण फैला। इससे पूर्व भारत में ज्ञान का लवलेश नहीं था। इसी मानसिकता के कारण वे यह
समझते हैं कि वे पानी का बेहतर प्रबंधन जानते हैं । इससे पूर्व के भारतीयों को इसका
ज्ञान ही नहीं था।
अथवा
बच्चे का माँ का दूध पीना सिर्फ दूध पीना नहीं, माँ से बच्चे के सारे
संबंधों का जीवन-चरित होता है - टिप्पणी कीजिए ।
उत्तर:
लेखक ने इस कथन का अभिप्राय यह है कि बच्चे का माँ का दूध पीना और माँ द्वारा दूध पिलाना,
दोनों ही क्रियाएँ शिशु और जननी के अनादि और जीवन-पर्यंत सम्बन्धों का परिचायक है।
ये क्रियाएँ दोनों को ममता के अति सूक्ष्म और अदृश्य डोर से बाँधे रहती हैं। माँ जब
आँचल में छिपाकर बच्चे को दूध पिलाती है, तब वह माँ के पेट का स्पर्श और गंध का भोग
करता रहता है। ऐसा प्रतीत होता है मानो वह माँ के पेट में अपनी जगह ढूँढ़ता रहता है।
बच्चा सुबुकता है, रोता है, माँ को मारता है, कभी-कभी माँ भी उसे मारती है फिर भी बच्चा
माँ के पेट से चिपका रहता है और माँ अपने नन्हें शिशु को चिपटाये रहती है। बच्चा दाँत
निकलते वक्त माँ के स्तनों को काट भी लेता है। माँ झुंझलाती है किन्तु दूध पिलाना बंद
नहीं करती हैं। बच्चा माँ के अंग से लिपटकर केवल माँ का दूध ही नहीं पीता अपितु वह
जड़ से चेतन होने अर्थात् अपने मानव-जन्म लेने की सार्थकता को पा लेता है । दूध पिलाकर
माँ भी असीम आनंद और पुलक से भर जाती है। उसका मातृत्व भी सार्थक हो जाता है। अतः लेखक
के इस कथन में तनिक-सी भी अतिशयोक्ति नहीं है कि बच्चे का माँ का दूध पीना, सिर्फ दूध
पीना नहीं है, अपितु वह माँ से बच्चे के सारे सम्बन्धों का जीवन-चरित होता है।
8. 'विस्कोहर की माटी' शीर्षक पाठ में लेखक ने किन फूलों और फलों की
चर्चा की है ?
उत्तर:
बिस्कोहर की माटी शीर्षक पाठ में लेखक ने कोइया, नीम के फूल, बेर का फूल तथा फलों में
आम, सिंघाड़े की चर्चा की है।
अथवा
गर्मी और लू से बचने के उपायों का विवरण दीजिए । क्या आप भी इन उपायों
से परिचित हैं ?
उत्तर:
लेखक ने पाठ में ग्रामीण परिवेश का चित्रण किया है। ग्रामीण क्षेत्रों में छोटी-मोटी
बीमारियों का उपचार घर में ही कर लिया जाता है। पाठ में गर्मी तथा लू से बचने के कुछ
उपाय बताए हैं-
(क)
प्याज द्वारा इलाज : लेखक की माँ गर्मियों के मौसम में लू से बचने के लिए उसकी धोती
या कमीज से गाँठ लगाकर प्याज बाँध देती थी।
(ख) कच्चे आम द्वारा इलाज : कच्चे आम का पन्ना लू तथा गर्मी से बचने की एक दवा थी। लेखक की माँ लू से बचने के लिए कच्चे आम की विभिन्न प्रकार से प्रयोग करती है। जैसे-गुड़ या चीनी मिलाकर उसके शरबत पीना, देह. में लेपना, कच्चे आम को भूनकर या उबालकर उससे सिर धोना।