5. समकालीन दक्षिण एशिया
प्रश्न 1. देशों की पहचान करें
(क) राजतन्त्र, लोकतन्त्र-समर्थक समूहों और अतिवादियों के बीच संघर्ष
के कारण राजनीतिक अस्थिरता का वातावरण बना।
(ख) चारों तरफ भूमि से घिरा देश।
(ग) दक्षिण एशिया का वह देश जिसने सबसे पहले अपनी अर्थव्यवस्था का उदारीकरण
किया।
(घ) सेना और लोकतन्त्र समर्थक समूहों के बीच संघर्ष में सेना ने लोकतन्त्र
के ऊपर बाजी मारी।
(ङ) दक्षिण एशिया के केन्द्र में अवस्थित। इस देश की सीमाएँ दक्षिण
एशिया के अधिकांश देशों से मिलती हैं।
(च) पहले इस द्वीप में शासन की बागडोर सुल्तान के हाथ में थी। अब यह
एक गणतन्त्र है।
(छ) ग्रामीण क्षेत्र में छोटी बचत और सहकारी ऋण की व्यवस्था के कारण
इस देश को गरीबी कम करने में मदद मिली है।
(ज) एक हिमालयी देश जहाँ संवैधानिक राजतन्त्र है। यह देश भी हर तरफ
से भूमि से घिरा है।
उत्तर:
(क)
नेपाल,
(ख)
नेपाल,
(ग)
श्रीलंका,
(घ)
पाकिस्तान,
(ङ)
भारत,
(च)
मालदीव,
(छ)
बांग्लादेश,
(ज)
भूटान।
प्रश्न 2. दक्षिण एशिया के बारे में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन गलत
है?
(क) दक्षिण एशिया में सिर्फ एक तरह की राजनीतिक प्रणाली चलती है।
(ख)
बांग्लादेश और भारत ने नदी-जल की हिस्सेदारी के बारे में एक समझौते पर हस्ताक्षर किए
हैं।
(ग)
'साफ्टा' पर हस्ताक्षर इस्लामाबाद के 12वें सार्क सम्मेलन में हुए।
(घ)
दक्षिण एशिया की राजनीति में चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते
हैं।
प्रश्न 3. पाकिस्तान के लोकतन्त्रीकरण में कौन-कौन सी कठिनाइयाँ हैं
?
अथवा : पाकिस्तान में प्रजातान्त्रिक व्यवस्था लगातार क्यों नहीं स्थापित
हो पा रही है ?
अथवा : पाकिस्तान में लोकतन्त्र के स्थायी न बन पाने के लिए उत्तरदायी
किन्हीं दो कारकों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
पाकिस्तान के लोकतन्त्रीकरण में निम्न कठिनाइयाँ (चुनौतियाँ) विद्यमान हैं
1.
सेना का बाहुल्य-पाकिस्तान में सदैव ही सेना का प्रभुत्व रहा। वहाँ जितने भी शासक हुए
सभी ने लोकतन्त्र के नाम पर सेना के माध्यम से शासन की बागडोर संभाली। जनता भी सैनिक
शासन का इसलिए समर्थन करती है क्योंकि वे सोचते हैं कि इससे देश की सुरक्षा खतरे में
नहीं पड़ेगी। पाकिस्तान की भारत के साथ तनातनी रहती है। इस कारण भी सेना समर्थक समूह
अघि कि मजबूत हैं।
2.
लोकतन्त्र के लिए विशेष अन्तर्राष्ट्रीय समर्थन का अभाव-पाकिस्तान में लोकतन्त्रीय
शासन चले इसके लिए कोई विशेष अन्तर्राष्ट्रीय समर्थन नहीं मिलता। संयुक्त राज्य अमेरिका
एवं अन्य पश्चिमी देशों ने अपने-अपने स्वार्थों से पिछले वर्षों में सैनिक शासन को
बढ़ावा दिया। इस तरह से भी सेना को अपना प्रभुत्व कायम करने के लिए बढ़ावा मिलता है।
3.
धर्मगुरुओं एवं अभिजन का प्रभाव-पाकिस्तानी समाज में भू-स्वामी अभिजनों और धर्मगुरुओं
का काफी प्रभुत्व रहता है; वे लोग भी सेना के शासन को उचित मानते हैं।
प्रश्न 4. नेपाल के लोग अपने देश में लोकतन्त्र को बहाल करने में कैसे
सफल हुए ?
उत्तर:
अतीत में नेपाल एक हिन्दू राज्य था। आधुनिक काल में यहाँ कई वर्षों तक संवैधानिक राजतन्त्र
रहा। इस दौर में नेपाल की राजनीतिक पार्टियाँ और आम जनता खुले और उत्तरदायी शासन की
आवाज उठाते रहे। लेकिन राजा ने सेना की सहायता से शासन पर पूरा नियन्त्रण कर लिया और
नेपाल में लोकतन्त्र की राह अवरुद्ध हो गयी, लेकिन एक मजबूत लोकतन्त्र समर्थक आन्दोलन
से विवश होकर सन् 1990 में राजा ने नये लोकतान्त्रिक संविधान की माँग मान ली, परन्तु
नेपाल में लोकतान्त्रिक सरकारों का कार्यकाल बहुत छोटा और समस्याओं से भरा रहा। सन्
1990 के दशक में नेपाल के माओवादी, नेपाल के अनेक हिस्सों में अपना प्रभाव कायम करने.
में कामयाब हुए। माओवादी, राजा और सत्ताधारी अभिजन के बीच त्रिकोणीय संघर्ष हुआ। सन्
2002 में राजा ने संसद को भंग कर दिया और सरकार को गिरा दिया। इस प्रकार नेपाल में
जो भी थोड़ा-बहुत लोकतन्त्र था, उसे राजा ने खत्म कर दिया।अप्रैल 2006 में यहाँ देशव्यापी
लोकतन्त्र समर्थक प्रदर्शन हुआ और राजा ज्ञानेन्द्र ने बाध्य होकर संसद को बहाल किया।
इस तरह नेपाल के लोग अपने देश में लोकतन्त्र को बहाल करने में सफल हुए। सन् 2008 में
नेपाल राजतन्त्र को खत्म कर लोकतान्त्रिक गणराज्य बना तथा सन् 2015 में उसने नया संविधान
अपनाया।
प्रश्न 5. श्रीलंका के जातीय संघर्ष में किनकी भूमिका प्रमुख है?
उत्तर:
श्रीलंका के जातीय संघर्ष में सिंहलियों के बहुसंख्यकवाद एवं तमिलों के आतंकवाद दोनों
की ही मुख्य भूमिका रही है।
श्रीलंका
में मुख्य रूप से सिंहली समुदाय की अधिकता है जो भारत छोड़कर श्रीलंका आ बसे तमिलों
के खिलाफ हैं। सिंहली राष्ट्रवादियों का मानना है कि श्रीलंका में तमिलों के साथ कोई
रियायत नहीं बरती जानी चाहिए क्योंकि श्रीलंका केवल सिंहली समुदाय का है। तमिलों के
प्रति उपेक्षा भरे बर्ताव से एक उग्र तमिल राष्ट्रवाद की आवाज़ बुलन्द हुई। सन्
1983 के पश्चात् से उग्र तमिल, संगठन लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) श्रीलंका
की सेना के साथ सशस्त्र संघर्ष कर रहा है। इसने 'तमिल ईलम' अर्थात् श्रीलंका के तमिलों
के लिए एक अलग राष्ट्र की मांग रखी। धीरे-धीरे श्रीलंका में जातीय संघर्ष तेज होने
लगा। विस्फोट एवं हत्याएँ होने लगी। सन् 1987 में भारत ने श्रीलंका में शान्ति सेना
भेजी; जिसे श्रीलंका की जनता ने पसन्द नहीं किया। फलस्वरूप सन् 1989 में भारत ने अपनी
शान्ति सेना बिना लक्ष्य प्राप्त किये वापस बुला ली। भारत व श्रीलंका ने इस जातीय संघर्ष
की समाप्ति के लिए भरपूर प्रयास किये, लेकिन सफलता नहीं मिली। सन् 2009 में लिट्टे
प्रमुख प्रभाकरन के सैनिक कार्यवाही में मारे जाने के पश्चात् लिट्टे के खात्मे के
साथ ही सशस्त्र संघर्ष समाप्त हो गया।
प्रश्न 6. भारत और पाकिस्तान के बीच हाल में क्या समझौते हुए?
उत्तर:
दोनों ही देश भारत और पाकिस्तान के मध्य स्वतन्त्रता से लेकर अब तक निरन्तर तनाव की
स्थिति बनी रही है। सन् 1960 में विश्व बैंक की मदद से भारत और पाकिस्तान ने सिन्धु
जल सन्धि' पर हस्ताक्षर किये और यह सन्धि भारत-पाक के बीच कई अन्य संघषों के बावजूद
अब भी कायम है। दोनों देशों के नेता एक-दूसरे को भली प्रकार समझने और दोनों के बीच
मौजूद बड़ी समस्याओं के समाधान के लिए सम्मेलनों में भेंट करते हैं। विगत वर्षों के
दौरान दोनों देशों के पंजाब वाले हिस्से के बीच कई बस मार्ग खुले हैं।
सन
1999 में भारत के तत्कालीन प्रधानमन्त्री अटलबिहारी वाजपेयी ने पाकिस्तान की बस यात्रा
की और लाहौर गये तथा शान्ति के एक घोषणा-पत्र पर हस्ताक्षर किये। इसके बावजूद जुलाई
1999 में भारत और पाकिस्तान के मध्य कारगिल युद्ध हुआ।
जुलाई,
2001 को आगरा में हुई शिखर वार्ता में भारत के प्रधानमन्त्री अटलबिहारी वाजपेयी और
पाक राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ ने भाग लिया। पर यह शिखर वार्ता भी किसी निष्कर्ष पर
न पहुँच सकी। दोनों देशों के मध्य 20 जनवरी, 2006 को तीसरा सड़क मार्ग अमृतसर व लाहौर
के बीच बस सेवा शुरू हुई। मार्च 2006 में ननकाना और अमृतसर के बीच बस सेवा शुरू हुई।
2018 में पाकिस्तान सरकार ने 'करतापपुर कॉरिडोर' का शिलान्यास किया जिसका भारत ने भी
समर्थन किया। नवम्बर 2019 में इस कॉरिडोर को खोला गया।
प्रश्न 7. ऐसे दो मसलों के नाम बताएँ; जिन पर भारत-बांग्लादेश के बीच
आपसी सहयोग है और इसी तरह दो ऐसे मसलों के नाम बताएँ जिन पर असहमति है।
अथवा : भारत और बांग्लादेश के बीच विवाद के कोई दो मुददे स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत और बांग्लादेश के बीच आपसी सहयोग के निम्न दो मसले हैं:
1.
विगत दस वर्षों के दौरान दोनों के बीच आर्थिक सम्बन्ध ज्यादा बेहतर हुए हैं। बांग्लादेश
भारत की 'पूरब चलो' की नीति का हिस्सा है। इस नीति के अन्तर्गत म्यांमार के जरिए दक्षिण-पूर्व
एशिया के सम्पर्क साधने की बात है।
2.
आपदा-प्रबन्धन और पर्यावरण के मसले पर दोनों देशों में सहयोग है।
भारत
और बांग्लादेश के बीच असहमति के दो मसले निम्न हैं:
1.
भारत को प्राकृतिक गैस निर्यात न करने का ढाका का फैसला तथा म्यांमार को बांग्लादेशी
क्षेत्र से होकर भारत को प्राकृतिक गैस निर्यात न करने देना।
2.
भारतीय सेना के पूर्वोत्तर भारत में जाने के लिए अपने क्षेत्र से रास्ता देने से बांग्लादेश
का इन्कार कस्ना।
प्रश्न 8. दक्षिण एशिया में द्विपक्षीय सम्बन्धों को बाहरी शक्तियाँ
कैसे प्रभावित करती हैं ?
उत्तर:
कोई भी क्षेत्र अपने को गैर-इलाकाई ताकतों से अलग रखने की कितनी भी कोशिश क्यों न करे
उस पर बाहरी ताकतों और घटनाओं का असर पड़ता ही है। चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका दक्षिण
एशिया की राजनीति में अहम् भूमिका निभाते हैं।भारत और चीन के सम्बन्धों में पहले से
निकटता आई है। परन्तुं चीन के सम्बन्ध पाकिस्तान से भी हैं, इस कारण भारत-चीन सम्बन्धों
में इतनी निकटता नहीं आ पायी है। यह एक बड़ी कठिनाई के रूप में है। शीतयुद्ध के बाद
दक्षिण एशिया.में अमेरिकी प्रभाव तेजी से बढ़ा है। अमेरिका ने शीतयुद्ध के बाद भारत
और पाकिस्तान दोनों से अपने सम्बन्ध बेहतर किये हैं। दोनों में आर्थिक सुधार हुए हैं
और उदार नीतियाँ अपनायी गयी हैं। इससे दक्षिण एशिया में अमेरिकी भागीदारी ज्यादा गहरी
हुई है। अमेरिका में दक्षिण एशियाई मूल के लोगों की संख्या अच्छी-खासी है। फिर इस क्षेत्र
की सुरक्षा और शान्ति के भविष्य से अमेरिका के हित भी बँधे हुए हैं।
प्रश्न 9. दक्षिण एशिया के देशों के बीच आर्थिक सहयोग की राह तैयार
करने में दक्षेस (सार्क) की भूमिका और सीमाओं का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें। दक्षिण
एशिया की बेहतरी में दक्षेस (साक) ज्यादा बड़ी भूमिका निभा सके, इसके लिए आप क्या सुझाव
देंगे?
उत्तर:
दक्षिण एशिया के देश यदि अपने आर्थिक मसलों में सहायता का रुख अपमाएँ तो सभी देश अपने-अपने
देश के संसाधनों का उचित विकास कर सकते हैं। अनेक संघर्षों के बावजूद दक्षिण एशिया
(सार्क) के देश परस्पर मित्रवत् सम्बन्ध तथा सहयोग के महत्त्व को पहचानते हैं। दक्षेस
दक्षिण एशियाई देशों द्वारा बहुस्तरीय साधनों में सहयोग करने की दिशा में उठाया गया
बड़ा कदम है। 11वें शिखर सम्मेलन में दक्षिण एशिया मुक्त व्यापार क्षेत्र समझौते के
लिए प्रारूप तैयार करने का निर्णय लिया गया। अन्ततः सन् 2004 में दक्षेस के देशों ने
'साफ्टा' (साउथ एशियन फ्री ट्रेड एशिया एग्रीमेण्ट) दक्षिण एशिया मुक्त व्यापार क्षेत्र
समझौते पर . हस्ताक्षर किए। दक्षेस का उद्देश्य आर्थिक सहयोग उपलब्ध कराना भी है।
1 जनवरी, 2006 से यह समझौता प्रभावी हो गया है। सीमाएँ-दक्षेस की कुछ सीमाएँ भी हैं,
जिन्हें निम्न बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट कर सकते हैं:
1.
दक्षिण एशिया के देशों के बीच आपसी विवाद तथा समस्याओं ने विशेष स्थान लिया हुआ है।
कुछ देशों का मानना है कि 'साफ्टा' का सहारा लेकर भारत उनके बाजार में सेंध मारना चाहता
है और उनके समाज और राजनीति को प्रभावित करना चाहता है।
2.
दक्षेस में शामिल देशों की समस्याओं के कारण चीन तथा संयुक्त राज्य अमेरिका दक्षिण
एशिया की राजनीति में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
दक्षेस
की भूमिका के लिए सुझाव:
1.
भारत और पाकिस्तान को आपस के विवादों को सुलझाना चाहिए ताकि तभी दक्षिण एशियाई देशों
का ध्यान विवादों से हटकर विकास की ओर जा सके। सभी देशों के लिए भारत का विशाल बाजार
सहायक हो सकता है।
2.
वित्तीय क्षेत्र में सुधार करना आवश्यक है।
3.
श्रम सम्बन्ध, वाणिज्यिक क्षेत्र एवं वित्तीय समस्याओं के लिए कानूनों में परिवर्तन
आवश्यक है।
4.
पड़ोसी देशों के साथ संचार तथा यातायात व्यवस्था में सुधार करना आवश्यक है।
प्रश्न 10. दक्षिण एशिया के देश एक-दूसरे पर अविश्वास करते हैं। इससे
अन्तर्राष्ट्रीय मंचों पर यह क्षेत्र एकजुट होकर अपना प्रभाव नहीं जमा पाता। इस कथन
की पुष्टि में कोई भी दो उदाहरण दें और दक्षिण एशिया को मजबूत बनाने के लिए उपाय सुझाएँ।
उत्तर:
वास्तव में दक्षिण एशिया के देशों को एक-दूसरे पर विश्वास नहीं है, जिसके कारण ये देश
अन्तर्राष्ट्रीय मंचों पर एकजुट होकर अपना प्रभाव नहीं जमा पाते हैं। उदाहरण के लिए,
1.
अन्तर्राष्ट्रीय मंचों पर भारत-पाकिस्तान के विचार सदैव एक-दूसरे के विपरीत होते हैं।
ये दोनों देश सदैव एक-दूसरे पर अविश्वास करते हैं। भारत में होने वाली प्रत्येक आतंकवादी
गतिविधि में पाकिस्तान का नाम आता है; वहीं पाकिस्तान भारत पर सिन्ध व बलूचिस्तान में
समस्या को भड़काने का आरोप लगाता है।
2.
दक्षेस के अन्य देशों को हमेशा यह डर लगा रहता है कि भारत कहीं बाहुबली होने का दबाव
उन पर न बनाए।
दक्षिण
एशिया को मजबूत बनाने के उपाय:
1.
उचित वातावरण का निर्माण,
2.
सन्देह को समाप्त करना,
3.
मिलकर अपनी समस्याओं को हल करना,
4.
एक-दूसरे देश में प्रमुख नेताओं की यात्रा, ताकि कटुता कम हो सके,
5.
आतंकवाद के विरुद्ध सहयोग की भावना का विकास,
6.
बाहरी शक्तियों के हस्तक्षेप पर रोक।
प्रश्न 11. दक्षिण एशिया के देश भारत को एक बाहुबली समझते हैं; जो इस
क्षेत्र के छोटे देशों पर अपना दबदबा जमाना चाहता है और उनके अन्दरूनी मामलों में दखल
देता है। इन देशों की ऐसी सोच के लिए कौन-कौन सी बातें जिम्मेदार है ?
उत्तर:
दक्षिण एशिया के देश भारत को एक बाहुबली समझते हैं जो इस क्षेत्र के छोटे देशों पर
अपना दबदबा जमाना चाहता है और उनके अन्दरूनी मामलों में दखल देता है। दक्षिण एशिया
के छोटे देशों की ऐसी सोच के लिए निम्नलिखित बातें जिम्मेदार हैं:
1.
भारत का आकार अन्य दक्षिण एशिया के देशों से अधिक विशाल है।
2.
भारत इन छोटे देशों में अत्यधिक शक्तिशाली व प्रभावपूर्ण है।
3.
भारत नहीं चाहता कि इन देशों में राजनीतिक अस्थिरता पैदा हो। उसे भय लगता है कि ऐसी
स्थिति में बाहरी ताकतों को इस क्षेत्र में प्रभाव जमाने में मदद मिलेगी, जबकि छोटे
देश सोचते हैं कि भारत दक्षिण एशिया में अपना दबदबा स्थापित करना चाहता है।
4.
दक्षिण एशिया का भूगोल ही ऐसा है कि भारत इसके मध्य में स्थित है तथा शेष देश भारत
की सीमा के आस-पास पड़ते हैं।
5.
कुछ छोटे देशों का मत है कि भारत दक्षिण एशिया मुक्त व्यापार समझौते (साफ्टा) का सहारा
लेकर उनके बाजार में सेंध मारना चाहता है तथा व्यावसायिक उद्यम व व्यावसायिक मौजूदगी
के माध्यम से उनके समाज व राजनीति पर प्रभाव डालना चाहता है, जबकि भारत का यह मत है
कि साफ्टा से इस क्षेत्र के प्रत्येक देश को लाभ होगा और क्षेत्र में मुक्त व्यापार
बढ़ने से राजनीतिक मसलों पर सहयोग अधिक अच्छा होगा।