24.PGT भारत में गरीबी और बेरोजगारी (Poverty and Unemployment in India)

भारत में गरीबी और बेरोजगारी (Poverty and Unemployment in India)

➡️ विश्व के कुछ सबसे गरीब देशों में भारत भी है। इसकी प्रति व्यक्ति आय विश्व के विकसित देशों की तुलना में अत्यन्त कम है। स्वास्थ्य, शिक्षा, पीने के पानी, रोजगार के अवसर आदि की स्थिति अत्यन्त दयनीय है।

➡️ गरीबी एक सापेक्ष अवधारणा है जो अलग-अलग देशों में अलग-अलग है।

➡️ गरीबी की रेखा को भिन्न-भिन्न अर्थशास्त्रियों ने भिन्न-भिन्न परिभाषा दी है। सामान्य आधार के रूप प्रतिदिन प्रति व्यक्ति कैलोरी ऊर्जा की उपलब्धता को माना जाता है। भारत में 2383 कैलोरी ऊर्जा प्रति व्यक्ति प्रतिदिन है।

➡️ योजना आयोग ने सितम्बर 1989 में प्रोफेसर डी०वी० लगड़वाला की अध्यक्षता में गरीबी का अनुमान लगाने के लिए एक 'विशेषज्ञ ग्रुप' का गठन किया। इस ग्रुप ने जुलाई 1993 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की।

➡️ इस ग्रुप ने 2400 कैलोरी उपभोग को सामान्य मापदण्ड माना तथा इसे सभी राज्यों से समान रूप से स्वीकार किये जाने की सिफारिश की।

➡️ अलग-अलग राज्यों से मानवीकृत वस्तु समूह (Standardised Commodity Basket) अपनाये जाने कि सिफारिस है।

➡️ लकड़वाला समिति के अध्ययन में चूँकि 14 वर्षों के लिए तैयार किये गये अनुमान एक ही कार्य पर आधारित है। अतः वे तुलनीय है।

➡️ आधे से अधिक निर्धनों का संकेन्द्रण पाँच राज्य उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल तथा मध्य प्रदेश है।

➡️ यद्यपि राष्ट्रीय स्तर पर गरीबों की संख्या में कमी आयी है तथापि उड़ीसा, बिहार, महाराष्ट्र, असम और उत्तर प्रदेश में गरीबों की संख्या में वृद्धि हुई है।

➡️ 'गरीबी हटाओ' का नारा 1971 के आम चुनाव में तत्कालीन प्रधानमन्त्री इन्दिरा गाँधी ने दिया था।

➡️ नौवीं पंचवर्षीय योजना में विश्व बैंक द्वारा निर्धनता अन्तराल (Poverty Gap) की धारणा का प्रयोग कर गरीबी तीव्रता का माप तैयार किया गया है।

➡️ गरीबी की गहराई को मापने का मानदण्ड 'निर्धनता अन्तराल सूचकांक' (Poverty gap Index) है। निर्धनता की तीव्रता को मापने का और भी व्यापक माप 'वर्गीकृत निर्धनता अन्तराल' (Squared Poverty gap) जिसमें न केवल निर्धनता अनुपात और निर्धनता अन्तराल शामिल होते हैं बल्कि गरीबों का उपभोग वितरण भी जिसे 'विचरण गुणांक' कहते हैं।

➡️ ऐसा माना जाता है कि भारत में बेरोजगारी का स्वरूप संरचनात्मक है तथा यह 'गरीबी के दुष्चक्र' में फँसा हुआ है।

➡️ भारत के कृषि क्षेत्र में 'अल्प रोजगार' (Under Employment) तथा 'प्रच्छन बेरोजगारी' की स्थिति है, जबकि शहरी क्षेत्रों में खुली बेरोजगारी (Open Unmployment) देखने को मिलती है।

➡️ बेरोजगारी की सामान्य स्थिति में ऐसे व्यक्ति जो पूरे वर्ष के दौरान बेरोजगार हो, यह प्रमाग उन व्यक्तियों के लिए अधिक महत्त्वपूर्ण है जो नियमित स्थायो रोजगार की तलाश में रहते हैं। इसे खुली बेरोजगारी कहते हैं।

➡️ ऐसे व्यक्ति जिन्हें 'सर्वेक्षण सप्ताह के दौरान एक दिन या कुछ दिन रोजगार न मिला हो', 'दैनिक स्थिति बेरोजगारी' के अन्तर्गत आते हैं।

➡️ ग्रामीण बेरोजगारी दूर करने का पहला कार्यक्रम ग्रामीण निर्माण कार्यक्रम (Public work programme) था जिसका नाम बदलकर 'सूखा प्रभावित क्षेत्र कार्यक्रम' (Drought prone area programme DAPE) कर दिया गया। डी०पी०ए०पी० 1970-71 में किया गया। शुरू

➡️ लघु कृषक विकास एजेंसी, सीमान्त कृषक एवं कृषि मजदूर कार्यक्रम और डी०पी०ए०पी० को मिलाकर एक व्यापक कार्यक्रम समन्वित ग्रामीण विकास कार्यक्रम (Intergrated Rural Development Programme) बनाया गया। इसका शुभारम्भ छठीं योजना में किया गया।

➡️ राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार कार्यक्रम (National Rural Employment programme ) अक्टूबर, 1980 में चलाया गया। इसे 'काम के बदले अनाज' कार्यक्रम के स्थान पर चलाया गया।

➡️ ग्रामीण रोजगार की त्वरित करने के लिए 1983-84 में दो नये कार्यक्रम चलाये गये थे। 'ग्रामीण भूमिहीन रोजगार गारण्टी कार्यक्रम' तथा शिक्षित बेरोजगारों के लिए 'स्व रोजगार कार्यक्रम (Scheme for Self Employment of the Educated unemployed youth) |

➡️ 1983-84 में ही ट्राइसेम (Scheme for Self Employment Educated unemployed youth) नाम से स्वरोजगार को प्रोत्साहित तथा मदद के लिए रोजगार कार्यक्रम चलाया गया।

➡️ अप्रैल, 1989 में ग्रामीण रोजगार की एक महत्त्वाकांक्षी योजना "जवाहर रोजगार योजना" (JRY) शुरू की गयी। "राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार कार्यक्रम" तथा "ग्रामीण भूमिहीन रोजगार गारण्टी कार्यक्रम" को इसी बड़े कार्यक्रम में मिला दिया गया।

➡️ जवाहर रोजगार योजना में अनुसूचित जातियों/जनजातियों तथा गरीबी की रेखा के नीचे रहने वाले व्यक्तियों को विशेषतया लक्षित करके अपनाया गया है।

➡️ इन्दिरा आवास योजना का उद्देश्य अनुसूचित जातियों / जनजातियों तथा मुक्त कराये गये बंधुआ मजदूरों को बिना लागत के मकान उपलब्ध कराना है।

➡️ महाराष्ट्र सरकार की रोजगार गारण्टी योजना के मॉडल योजना के अनुरूप रोजगार आश्वासन योजना' अक्टूबर, 1993 में शुरू गई। इस योजना का उद्देश्य ऐसे ग्रामीण निर्धनों को जो रोजगार की तलाश में हैं 100 दिन का अकुशल कार्य उपलब्ध कराना है।

➡️ संगम योजना विकलांगों के सहायतार्थ है।

➡️ राष्ट्रीय सामाजिक सहायता, जिसे 15 अगस्त 1995 को घोषित किया गया, के अन्तर्गत तीन योजनाएँ हैं-1. पेंशन योजना 2. राष्ट्रीय परिवार लाभ योजना तथा 3. राष्ट्रीय प्रसव लाभ योजना । ★ अनुसूचित जाति/जनजाति तथा गरीबी की रेखा के नीचे रहने वाले परिवारों के जीवन स्तर में सुधार के लिए 1988-89 में कुटीर ज्योति कार्यक्रम चलाया।

➡️ शहरी शिक्षित बेरोजगारी तथा स्वरोजगार प्रदान करने की योजना (SEEUY) 1993-84 में प्रारम्भ की गयी। 1994 में इसे प्रधानमन्त्री रोजगार योजना में विलय कर लिया गया।

➡️ शहरी गरीबों के लिए 'स्वरोजगार कार्यक्रम' (SEPUP) 1986 में प्रारम्भ किया गया। योजना का उद्देश्य महानगरों, शहरी तथा अर्द्धशहरी क्षेत्रों में गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों को सब्सिडी और बैंक ऋण सहायता से स्वरोजगार हेतु प्रोत्साहित करना।

➡️ 2 अक्टूबर, 1989 का नगरीय बेरोजगारी को दूर करने के लिए नेहरू रोजगार योजना चलायी गयी। इसके अन्तर्गत तीन योजनाएँ हैं- 1. शहरी सूक्ष्म उद्यम योजना, 2. नगरीय संवेदन रोजगार योजना, 3. आवास और आश्रय सुधार योजना।

➡️ 1997 से इन सभी योजनाओं को विलय करके नगरी बेरोजगार को दूर करने के लिए एक नई योजना स्वर्ण जयंती नगरीय योजना चलायी गयी है। इस योजना के अन्तर्गत 5 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों को शामिल किया जा रहा है।

➡️ किसानों की सहायता के लिए एक नयी योजना गंगा कल्याण योजना 1 फरवरी, 1977 से प्रारम्भ की गयी है। इस योजना के अन्तर्गत सिंचाई सुविधाओं के विकास के लिए ऋण उपलब्ध कराया जाता है।

➡️ उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में फलों का उत्पादन बढ़ाने के लिए पोषित वाटिका योजना शुरू की है। इसके अन्तर्गत राज्य सरकार द्वारा चुने हुये लोगों को 10 फलदार पौधे निःशुल्क दिये जायेंगे। कुल 42 लाख पौधे वितरित करने की योजना है।

भारत में बेरोजगारी के प्रकार

1. मौसमी बेरोजगारी

2. अल्प बेरोजगारी

3. संरचनात्मक बेरोजगारी

4. छिपी हुयी बेरोजगारी

5. शिक्षित बेरोजगारी

6. घर्षणात्मक बेरोजगारी

7. चक्रीय बेरोजगारी

8. प्राविधिक बेरोजगारी

➡️ मौसमी बेरोजगारी-किसी विशेष मौसम में उत्पन्न होती है जैसे- कृषि

➡️ अल्प बेरोजगारी-इसमें वे व्यक्ति सम्मिलित है जिन्हें अंशकालिक रोजगार मिलता है।

➡️ संरचनात्मक बेरोजगारी- यह बेरोजगारी देश की अर्थव्यवस्था में संरचनात्मक परिवर्तन के कारण उत्पन्न होती है। संरचनात्मक बेरोजगारी की प्रवृत्ति दीर्घकालीन होती है।

➡️ छिपी हुयी बेरोजगारी-इस बेरोजगारी में श्रमिक बाहर से तो काम पर लगे प्रतीत होते हैं किन्तु वास्तव में उस कार्य के श्रमिकों की कोई आवश्यकता नहीं होती है।

➡️ शिक्षित बेरोजगारी- शिक्षित बेरोजगारी ऐसे श्रमिक हैं जिसको शिक्षित करने के लिए संसाधन उपलब्ध कराये जाते हैं किन्तु उन्हें उनकी योग्यतानुसार कार्य मिलता नहीं है।

➡️ घर्षणात्मक बेरोजगारी-बाजार की मांग और पूर्ति दशाओं में परिवर्तन होने से उत्पन्न बेरोजगारी को घर्षणात्मक बेरोजगारी कहते हैं।

➡️ माँग और पूर्ति का असंतुलन घर्णात्मक बेरोजगारी उत्पन्न करता है।

➡️ चक्रीय बेरोजगारी- यह बेरोजगारी निर्यात मध्यान्तरों पर व्यापार चक्रों की गतिशीलता के कारण उत्पन्न होती है।

➡️ प्राविधिक बेरोजगारी- यह बेरोजगारी उत्पन्न तकनीकों के परिवर्तन के कारण उत्पन्न होती है।

➡️ विकासशील देशों में प्राविधिक बेरोजगारी एक प्रमुख समस्या है।

➡️ सामुदायिक विकास कार्यक्रम की घोषणा 1952 में की गयी।

➡️ छोटे किसान विकास एजेन्सी (SFDA) की शुरूआत 1969 में की गयी।

➡️ आठवीं पंचवर्षीय योजना का यह लक्ष्य रहा है कि रोजगार में 2.6 प्रतिशत से 2.8 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि की जायेगी।

भारत में बेरोजगारी के प्रमुख कारण

➡️ तीव्र जनसंख्या वृद्धि दर

➡️ रोजगारपरक शिक्षा प्रणाली का अभाव

➡️ विकास की धीमी गति

➡️ अनुपयुक्त तकनीकों का प्रयोग

➡️ अनुपयुक्त शिक्षा प्रणाली

➡️ स्वरोजगार की इच्छा का न होना

➡️ ऋटिपूर्ण नियोजन प्रणाली

➡️ गाँवों के युवकों की शहरी क्षेत्रों में पलायनवादी प्रवृत्ति

मुख्य रोजगार कार्यक्रम

➡️ सामुदायिक विकास कार्यक्रम - 1952

➡️ छोटे किसान विकास एजेंसी - 1969

➡️ सूखा प्रवृत्ति क्षेत्र कार्यक्रम -1970

➡️ ग्रामीण रोजगार के लिए शीघ्र जारी योजना-1971

➡️ न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम -1974

➡️ काम के बदले अनाज योजना-1977

➡️ एकीकृत ग्रामीण विकास कार्यक्रम-1978

➡️ अनत्योदय कार्यक्रम -1978

➡️ ट्राइसेम (TRYSEM)-1979

➡️ ग्रामीण क्षेत्रों में महिला और बाल विकास कार्यक्रम (DWCRA) 1982

➡️ राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार कार्यक्रम (NREP) 1 अप्रैल, 1983

➡️ खेतिहर मजदूर रोजगार गारण्टी कार्यक्रम (RLEGP 1983)

➡️ जवाहर रोजगार योजना (NREP + RLEGP) 1989

➡️ लोक कार्यक्रम एवं ग्रामीण प्रौद्योगिक विकास परिषद (कर्पाट) 1 सितम्बर, 1986

➡️ कुटीर ज्योति कार्यक्रम-1988

➡️ प्रधानमन्त्री रोजगार योजना, ग्रामीण एवं शहरी दोनों क्षेत्रों में- 1994

➡️ शिक्षित बेरोजगार युवकों को रोजगार प्रदान करने की योजना (WEEUY) 1983-84

➡️ नेहरू रोजगार योजना 1989 में प्रारम्भ किया गया।

➡️ महिला संवृद्धि योजना 2 अक्टूबर, 1993

➡️ रोजगार बीमा योजना-2 अक्टूबर, 1993

➡️ (TRYSEM) ग्रामीण युवाओं से सम्बन्धित कार्यक्रम है।

➡️ जवाहर रोजगार योजना में NREP + RLEGP) को विलय किया गया।

➡️ नेहरू रोजगार योजना शहरी लोगों के रोजगार से सम्बन्धित है।

➡️ बेरोजगार बीमा योजना 2 अक्टूबर, 1993 से प्रारम्भ

➡️ ग्रामीण महिला एवं बाल विकास योजना (IRDP) की एक उपयोजना है।

➡️ नयी सार्वजनिक वितरण प्रणाली का प्रारम्भ-1 जनवरी, 1997

➡️ बाल श्रम उन्मूलन योजना, खतरनाक उद्योगों में लगे बाल श्रमिकों से सम्बन्धित है।

➡️ भारतीय खाद्य निगम की स्थापना 1965 में की गयी।

➡️ राजस्थान में छोटे किसानों के लिए खलिहान बीमा योजना प्रारम्भ हुई।

➡️ भारतीय कृषि में मौसमी अल्प बेरोजगारी की दशा पायी जाती है।

➡️ भारत में बेरोजगारी के आँकड़े सामान्य स्थिति, चालू साप्ताहिक स्थिति, चालू दैनिक स्थिति आदि द्वारा चलाये जाते है।

➡️ भारत में ग्रामीण अल्प रोजगार, चक्रीय बेरोजगारी तथा संरचनात्मक बेरोजगारी पायी जाती है।

➡️ भारत में बेरोजगारी के आँकड़े N.N.S. द्वारा तैयार किये जाते है।

➡️ भारत के शहरी बेरोजगारी का कारण ग्रामीण युवकों का शहरों में पलायन तथा शिक्षा की बाहुलता है।

➡️ जवाहर रोजगार, ग्रामीण रोजगार का मुख्य कार्यक्रम है।

➡️ IRDP गरीबी दूर करने का मुख्य कार्यक्रम है।

➡️ अदृश्य बेरोजगारी की सीधी माप संभव नहीं है।

➡️ छिपी हुई बेरोजगारी में सीमान्त भौतिक उत्पादकता शून्य हो जाते है।

➡️ भारत में अल्प रोजगार तथा छिपी हुई बेरोजगारी की मुख्य समस्या है।

➡️ अन्त्योदय कार्यक्रम (1977-78) का उद्देश्य गरीब परिवारों का आर्थिक दृष्टि से उन्नयन है।

➡️ SEEUY स्वरोजगार की योजना में शिक्षित बेरोजगार युवकों को शामिल किया गया है।

➡️ शहरी सूक्ष्म उद्यम योजना 1990 में प्रारम्भ की गयी।

➡️ नेहरू रोजगार योजना के अन्तर्गत SUME, SUWE तथा SHASU योजनाओं को सम्मिलित किया गया।

➡️ प्रधानमन्त्री का समन्वित शहरी गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम 18 नवम्बर, 1995 से प्रारम्भ।

➡️ सामूहिक बीमा योजना - (1995-96)

➡️ राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम (NSAP)-1995

➡️ संगम योजना-15 अगस्त, 1996

➡️ गंगा कल्याण योजना-(CKY)-1997-1998

➡️ कस्तूरबा गाँधी शिक्षा योजना-15 अगस्त, 1997

➡️ स्वर्ण जयन्ती शहरी रोजगार योजना (SJSRY) - दिसम्बर 1997

➡️ भाग्य श्री बाल कल्याण योजना-अक्टूबर 1998

➡️ अन्नापूर्णा योजना - मार्च 1999

➡️ स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना (SGSY) -1 अप्रैल, 1999

➡️ जवाहर ग्राम समृद्धि योजना (J.G.S.Y.) -1 अप्रैल, 1999

➡️ जनश्री बीमा योजना-10 अगस्त, 2000

➡️ प्रधानमन्त्री ग्रामोदय योजना-2000

➡️ अन्त्योदय अन्न योजना-25 दिसम्बर, 2000

➡️ आश्रय बीमा योजना- जून, 2001

➡️ प्रधानमन्त्री ग्राम सड़क योजना-25 दिसम्बर, 2000

➡️ सम्पूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना (S.G.R.Y) - दिसम्बर, 2001

➡️ जय प्रकाश नारायण रोजगार गारण्टी योजना-2002-03

➡️ वन्दे मातरम योजना-9 फरवरी, 2004

➡️ राजीव गांधी विद्युतीकरण योजना-4 अप्रैल, 2005

➡️ जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण मिशन (JLNNURM)- 3 दिसम्बर, 2005

➡️ जननी सुरक्षा योजना-दिसम्बर 2005

➡️ राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी अधिनियम (NREGA) नरेगा- 2005 । अब इसका नाम (MNREGA) हो गया है-2 फरवरी, 2006

➡️ भारत निर्माण योजना-16 दिसम्बर, 2005

➡️ राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन- 3 जून, 2011

राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी अधिनियम (NREGA) 2005

➡️ संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) द्वारा अपनाये गये न्यूनतम साझा कार्यक्रम के प्रतिज्ञा अनुसार ग्रामीण बेरोजगारी, भूख और गरीबी से निजात पाने के लिए केन्द्र सरकार ने महत्त्वकांक्षी 'राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना की शुरूआत 2 फरवरी, 2006' को आन्ध्र प्रदेश के अनन्तपुर जिले से प्रधानमन्त्री डॉ० मनमोहन सिंह द्वारा की गई। यह कई चरणों में लागू होने वाली योजना है।

➡️ पहले चरण में इसकी शुरुआत 2 फरवरी, 2006 से 27 राज्यों के 200 चुनिंदा जिलों की लगभग 30 हजार ग्राम पंचायतों में की गईं। इसमें सर्वाधिक 23 जिले बिहार व 22 जिले उत्तर प्रदेश के हैं। सभी चयनित 200 जिलों में वे 150 जिले भी शामिल हैं। जहां 'काम के बदले अनाज कार्यक्रम' पहले से चल रहा था।

➡️ वर्तमान में चल रहे. 'सम्पूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना' और 'काम के बदले अनाज' योजना का विलय अब इस नई योजना में कर दिया गया है।

➡️ दूसरे चरण में 2007-08 के दौरान इसका विस्तार 130 अन्य जिलों में भी कर दिया गया जिससे इस सत्र में 330 जिलों में यह लागू था। 1 अप्रैल, 2008 से इस योजना को सम्पूर्ण देश में लागू कर दिया गया है।

➡️ राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना का उद्देश्य ग्रामीण इलाकों में पारिश्रमिक वाले बेरोजगार के सृजन से लोगों की आजीविका सुरक्षा में वृद्धि करना है। रोजगार का सृजन उन कार्यों द्वारा किया जायेगा जो इस इलाके के आधार मूत ढाँचे का विकास करे। काम की गारण्टी देने वाला अपनी तरह का यह विश्व का पहला कार्यक्रम है जिसके तहत एक वित्तीय वर्ष में कम से कम 100 दिन के रोजगार की गारण्टी दी गई है। यह अधिनियम सिर्फ एक कार्यक्रम ही नहीं, बल्कि कानून है।

➡️ इस अधिनियम की प्रमुख विशेषताएं हैं-

(i) परिवार एक वर्ष में 100 दिनों का काम पाने का हकदार होगा।

(ii) काम का इच्छुक परिवार ग्राम पंचायतों में अपने वयस्क सदस्यों का नाम, उम्र, लिंग, पता इत्यादि ब्योरा देकर पंजीकरण करवा सकते हैं। पंजीकरण पाँच वर्षों तक मान्य रहेगा।

(iii) ग्राम पंचायत परिवार के प्रत्येक वयस्क सदस्य को अधिकार है कि वह ग्राम पंचायत कार्यक्रम अधिकारी को लिखित आवेदन दे । इसमें महिलाओं को प्राथमिकता दी जायेगी तथा एक तिहाई महिलाएं काम में लगायी जायेगी।

(iv) राज्य कृषि कामगारों के लिए संविधान निर्धारित न्यूनतम मजदूरी दी जायेगी। यह 60 से कम नहीं होती।

(v) यदि आवेदक को कार्य की मांग के 15 दिनों के भीतर रोजगार नहीं मिलता है तो उसे निर्धारित शर्त के अनुसार बेरोजगारी भत्ता दी जायेगी।

(vi) मजदूरी का भुगतान कार्य पूर्ण होने के दो सप्ताह के भीतर किया जायेगी।

(vii) मजदूरी का एक हिस्सा दैनिक आधार पर नकद रूप में दिया जा सकता है।

(viii) कार्य आवेदक के निर्धारित स्थान से 5 कि०मी० दूरी के भीतर दिया जायेगा। यदि इसके बाहर बेरोजगार दिया जाता है तो 10 प्रतिशत अतिरिक्त मजदूरी हो जायेगी।

(ix) यदि कार्यस्थल पर लाए जाने वाले बच्चों की संख्या 5 से अधिक है तो किसी व्यक्ति को बच्चों की देखभाल करने की जिम्मेवारी दी जायेगी और व्यक्ति को भी अन्य व्यक्तियों की भांति मजदूरी भुगतान किया जायेगा।

(x) कार्यस्थल पर रोजगार के दौरान शारीरिक क्षति होने पर श्रमिक का राज्य स्तर का मुक्त इलाज किया जायेगा।

➡️ राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी अधिनियम के तहत निम्न कार्य लिये जा सकते हैं-

(i) जल संग्रहण एवं जल संरक्षण

(ii) सूखा निवारण, वनरोपण एवं वृक्षारोपण

(iii) भूमि विकास का कार्य

(iv) सिंचाई सुविधा, विशेषकर माध्यम एवं लघु सिंचाई नहर का कार्य

(v) बाढ़ नियन्त्रण का कार्य

(vi) बारहमसाई सड़क सम्पर्क का कार्य

(vii) कार्यक्रम में ठेकेदारी की मनाही ।

➡️ इस अधिनियम के क्रियान्वयन के लिए राज्य सरकार द्वारा राष्ट्रीय रोजगार गारण्टी योजना की स्थापना आवश्यक है। अधिनियम में प्रावधान है कि इसके लागू होने की तारीख के 6 महीने के भीतर राज्य सरकार इस योजना के तहत आने वालों | को 6 माह के भीतर प्रत्येक घर को जिसके वयस्क सदस्य इस अधिनियम के शर्तों के अनुसार श्रम करने को तैयार हो, कम- से-कम 100 दिन का गारंटीशुदा रोजगार देने हेतु योजना बनाएगी। इस योजना का 90 प्रतिशत खर्च केन्द्र सरकार देगी, जबकि 10 प्रतिशत खर्च राज्य सरकार वहन करेगी।

ग्रामीण बेरोजगारी तथा गरीबी निवारक कार्यक्रम

➡️ वर्तमान में चल रहे कुछ महत्त्वपूर्ण ग्रामीण विकास कार्यक्रमों का विवरण निम्नलिखित प्रकार है-

➡️ स्वर्ण जयंती स्वरोजगार योजना (SGSY) यह योजना अप्रैल 1999 को प्रारम्भ की गयी। इस योजना में पूर्व से चल रही निम्नांकित 6 योजनाओं को विलय किया गया है-

1. समन्वित ग्राम विकास कार्यक्रम (IRDP)

2. स्वरोजगार के लिए ग्रामीण युवाओं का प्रशिक्षण कार्यक्रम (TRYSEM)

3. ग्रामीण क्षेत्र में महिला एवं बाल विकास कार्यक्रम (DWCRA)

4. ग्रामीण दस्तकारों को उन्नत औजारों की किट की आपूर्ति का कार्यक्रम (SITRA)

5. गंगा कल्याण योजना (GKY)

6. दस लाख कुआँ योजना (MWS)

➡️ अब उपर्युक्त कार्यक्रम अलगसे नहीं चल रहे हैं। इस योजना का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में भारी संख्या में सूक्ष्म उद्योगों की स्थापना करना है। इस योजना में सहायता प्राप्त व्यक्ति स्वरोजगारी कहे जायेंगे। इसमें प्रत्येक परिवार को एक निश्चित अवधि में गरीबी रेखा से ऊपर उठाना है।

➡️ जवाहर ग्राम समृद्धि योजना-जवाहर ग्राम समृद्धि योजना पूर्व में चल रही जवाहर रोजगार योजना का पुनर्गठित सुव्यवस्थित और व्यापक स्वरूप है। यह एक अप्रैल 1999 को प्रारम्भ की गई। सितम्बर 2001 से इसे सम्पूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना में मिला दिया गया है। इस योजना का मौलिक उद्देश्य गांवों में मांग आधारित सामुदायिक अवसंरचना का सृजन करना है जिसमें टिकाऊ सामुदायिक एवं सामाजिक परिसम्पत्तियों का सृजन सम्मिलित है। योजना में खर्च की जाने वाली राशि 75:25 के अनुपात में केन्द्र व राज्य सरकार वहन करेगी।

➡️ अंत्योदय अन्न योजना- यह योजना तत्कालीन प्रधानमन्त्री अटल बिहरी वाजपेयी ने अपने जन्म दिन 25 दिसम्बर 2000 को निर्धनों को खाद्य सुरक्षा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से किया। इसके तहत देश के एक करोड़ निर्धन परिवारों को प्रति माह 35 किग्रा० (1 अप्रैल, 2002 से) से अनाज विशेष रियायती मूल्य पर (गेहूँ 2 रु० एवं चावल 3 रु० प्रति कि०ग्रा० ) उपलब्ध कराया जाता है।

➡️ स्वजलधारा कार्यक्रम-ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल की समस्या के समाधान के लिए एक नये स्वजलधारा कार्यक्रम की शुरुआत केन्द्र सरकार द्वारा दिसम्बर 2002 में की गयी है। ग्राम पंचायतों के माध्यम से लागू किये जाने वाला इस कार्यक्रम के तहत गाँव वासियों को कुएँ, बावड़ी बनाने व हैण्डपम्प लगाने की सुविधा प्रदान की गयी है।

➡️ केन्द्रीय ग्रामीण स्वच्छता कार्यक्रम (CRSP) - (Central Rural Sanitation Programme) इस योजना को 1986 में लागू किया गया जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों के जीवन में गुणात्मक सुधार लाना और महिलाओं को समुचित स्थान देना है। स्वच्छता में मलमूत्र एवं अन्य मानवीय निष्क्रिय पदार्थों को उचित रूप से निष्पादन करके पर्यावरण को स्वच्छ बनाना सम्मिलित है। वर्ष 1993 में स्वच्छता की अवधारणा में विस्तार किया गया। इसमें व्यक्तिगत सफाई, गृहस्वच्छता, शुद्ध जल, कूड़े कचरे, मलमूत्र और नाली के पानी के निस्तारण को शामिल कर लिया गया है। इस कार्यक्रम में गरीबी की रेखा के नीचे वाले व्यक्तियों विशेषकर SC, ST तथा बंधुआ मजदूरों के लिए व्यक्तिगत सुलभ शौचालय का निर्माण किया गया है। अप्रैल, 1999 से यह योजना गरीबी आधारित न रहकर एक मांग आधारित कार्यक्रम हो गया है जिसका उद्देश्य अधिक से अधिक ग्रामीण जनसंख्या को इस कार्यक्रम में सम्मिलित करना है। इसलिए अब इसे सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान के नाम से भी जाना जाता है।

➡️ राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम- यह कार्यक्रम 15 अगस्त, 1995 से लागू किया गया है। इस कार्यक्रम को 3 घटक हैं-

1. राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना- निर्धनता रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले सभी वृद्ध 19 नवम्बर, 2007 से वृद्धावस्था पेंशन के हकदार होंगे। इस योजना के तहत दी जाने वाली राशि को 200 रुपया से बढ़कर 400 रुपये प्रतिमाह कर दिया गया है।

2. राष्ट्रीय परिवार लाभ योजना- इसके अन्तर्गत परिवार के मुख्य आय अर्जक (पुरुष या महिला) की मृत्यु पर निर्धन परिवार को 10,000 रुपये की एक मुश्त राशि उत्तर जीवी को लाभ के रूप में दी जायेगी।

3. राष्ट्रीय प्रसव लाभ योजना-इसके अन्तर्गत निर्धन परिवारों की 19 वर्ष तथा उससे अधिक आयु की महिलाओं के लिए पहले दो बच्चों के जन्म पर प्रसव पूर्व और प्रसवोत्तर मातृत्व देखभाल हेतु 500 रु० की वित्तीय सहायता दी जायेगी।

➡️ अन्नापूर्णा योजना-1 अप्रैल, 2000 से प्रारम्भ इस योजना का विस्तार 14 जनवरी, 2001 को किया गया। यह मूलतः निर्धनता रेखा से नीचे के एक वरिष्ठ नागिरकों (65 वर्ष से अधिक आयु के लोगों) के लिए प्रारम्भ की गयी थी जो राष्ट्रीय वृद्धावस्था के पेंशन के पात्र थे तथा किन्हीं कारणों से यह पेंशन प्राप्त नहीं कर रहे थे। अब राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन पा रहे लोगों को भी इस योजना के दायरे में लाया गया है। पात्र लोगों को 10 कि०ग्रा० अनाज निःशुल्क उपलब्ध कराने का प्रावधान है।

➡️ सम्पूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना- इस योजना में 25 दिसम्बर, 2001 को रोजगार आश्वासन योजना (EAS) और जवाहर ग्राम समृद्धि योजना (JGSY) को एक में मिला दिया गया था। अब इसमें काम के बदले अनाज कार्यक्रम को भी मिला दिया गया है। इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अतिरिक्त एवं सुनिश्चित अवसर उपलब्ध कराने के साथ-साथ खाद्यान्न उपलब्ध कराना भी था। इस योजना के अन्तर्गत लाभार्थियों को न्यूनतम 5 किलो अनाज और कम से कम 25 प्रतिशत मजदूरी नगद दी जाती है।

➡️ कस्तूरबा गाँधी शिक्षा योजना-जिन जिलों में महिला साक्षरता दर कम है, उन क्षेत्रों में बालिकाओं के लिए विशेष विद्यालय की स्थापना हेतु प्रधानमन्त्री द्वारा 15 अगस्त, 1997 को कस्तूरबा गाँधी शिक्षा योजना नामक एक कार्यक्रम प्रारम्भ किया गया।

भारत निर्माण योजना

➡️ 16 दिसम्बर, 2005 को प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह ने 1,74,000 करोड़ रुपये की गाँवों में आधारभूत सुविधाओं के विकास हेतु केन्द्र सरकार की महत्त्वाकांक्षी भारत निर्माण परियोजना का शुभारम्भ किया। इस परियोजना के तहत 4 साल की अवधि में 1 करोड़ हेक्टेयर कृषि भूमि को सिंचाई सुविधा से जोड़ना, 1 हजार तक की आबादी वाले लगभग 66800 गाँवों को पक्की सड़क से जोड़ना ताकि किसान अपने उत्पादों को बाजार तक पहुँचा सके, उनकी आय में वृद्धि हो और नयी संभावनाओं का मार्ग प्रशस्त हो, प्रत्येक गाँव में स्वच्छ पेयजल आपूर्ति करना, सितम्बर, 2007 तक प्रत्येक गाँव में टेलीफोन सुविधा मुहैया कराना तथा गाँवों में चार वर्ष में गरीबों के लिए 60 लाख पक्के मकान बनाना शामिल है। इस परियोजना की मुख्य चुनौती विकास प्रक्रिया को संतुलित करना तथा विभिन्न डिवाइड्स को पाटना है।

➡️ उल्लेखनीय है कि केन्द्र सरकार की इस महत्वाकांक्षी परियोजना के तहत देश के ग्रामीण आधारित संरचना के छह प्रमुख क्षेत्रों में निर्धारित लक्ष्यों को चार वर्ष (2009 तक) में पूरा किया जायेगा। जिसमें सिंचाई, जलापूर्ति, आवास, सड़क, टेलीफोन एवं विद्युतीकरण शामिल हैं। इस परियोजना में पंचायतों व निजी क्षेत्र की भागीदारी होगी तथा राज्य सरकारें इसके कार्यान्वयन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी। यह परियोजना अतीत की सभी परियोजनाओं से अलग है क्योंकि इसमें पहली बार 4 साल का एक टाइफ्रेम निर्धारित किया गया है। इस परियोजना पर आने वाले खर्च के लिए नावार्ड के सहयोग से एक विशेष वित्तीय मेकेनिज्म विकसित किया जा रहा है।

शहरी बेरोजगारी एवं गरीबी निवारण कार्यक्रम 

➡️ स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना (SJSRY ) - यह योजना 1 दिसम्बर, 1997 से प्रारम्भ की गयी है। इस योजना में शहरी क्षेत्रों में पहले से क्रियान्वयन की जा रही तीन योजनाओं नेहरू रोजगार योजना (NRY), निर्धनों के लिए शहरी बुनियादी सेवाएं (UBSP) तथा प्रधानमन्त्री की समन्वित शहरी गरीबी उन्मूलन योजना (PMIUPEP) को इस नयी योजना में सम्मिलित कर ली गयी है। इस योजना का उद्देश्य शहरी निर्धनों को स्वरोजगार उपक्रम स्थापित करने हेतु वित्तीय सहायता प्रदान करना तथा सवेतन रोजगार सृजन हेतु उत्पादक परिसम्पत्तियों का निर्माण करना है।

➡️ जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीनीकरण मिशन-3 दिसम्बर, 2005 को प्रधानमन्त्री ने शहरों के विद्यमान सेवास्तरों में, वित्तीय दृष्टिकोण से निरन्तर संभव ढंग से सुधार करने के लिए कदम उठाने को प्रोत्साहित करने हेतु जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीनीकरण मिशन (JNNURAM) शुरू किया। कुल 10 लाख करोड़ रुपये वाले इस मिशन के उद्देश्यों में अन्य बातों के साथ-साथ अर्ध शहरी क्षेत्रों, बाहरी आबादी और शहरी गलियारों सहित अभिज्ञात शहरों का नियोजित विकास और शहरी गरीबों को बेहतर बुनियादी सेवाएं उपलब्ध कराना है। इस मिशन का लक्ष्य भवन निर्माण नियमों को लेकर सभी राज्यों में एकरूपता लाना, शहरी भूमि सीलिंग अधिनियम, 1976 को रद्द कर उसे प्रभावी बनाना और स्टांप ड्यूटी को 5 प्रतिशत से अधिक नहीं करने के लिए राज्यों के बीच आम सहमति बनाना है। मिशन के तहत उस पुराने कानूनों को बदलना है जो जमीन है और मकान के बाजार में बाधा बन रहे हैं तथा ऐसे सुधार करना है जो शहरों के समन्वित विकास की गति प्रदान कर सकें। केन्द्रीय शहरी विकास मन्त्री की अध्यक्षता वाले राष्ट्रीय संचालन दल की निगरानी में संचालित होने वाले इस मिशन के अन्तर्गत अनुदेय घटकों में शहरी नवीकरण, जल आपूर्ति (खारापन हटाने वाले प्लांट समेत) और सफाई, सीवरेज और ठोस अपशिष्ट प्रबन्धन, शहरी परिवर्तन, हेरिटेज क्षेत्रों का विकास, जल स्रोतों का संरक्षण आदि शामिल है। इस मिशन के अन्तर्गत जन भागीदारी के माध्यम से शहरी प्रशासन की कार्यकुशलता में सुधार भी शामिल है। मिशन में मंत्रालय की वर्तमान में चल रही निम्नांकित योजनाएं शामिल की गई हैं-बड़े शहरों में अवसंरचना विकास, छोटे और मध्यम आकारों के कस्बों का समेकित विकास हेतु शहरी जल आपूर्ति में वृद्धि का कार्यक्रम। इसके तहत शहरों में झुग्गी बस्तियों के सुधार के लिए बनी अंबेडकर विकास योजना और शहरी स्लम. विकास योजना को एक ही ढाँचे में तराशा जायेगा।

➡️ स्वतन्त्र भारत में अपनी तरह से इस पहले मिशन के तहत पहले चरण में 63 नगरों व शहरों को चयनित किया गया है। इसमें चारों महानगर, राज्यों की राजधानियों, 10 लाख की आबादी वाले सभी शहरी सहित धार्मिक, सांस्कृतिक एवं विरासत की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण शहरों को शामिल किया गया है। इस मिशन पर निवेश के मामले में केन्द्र, राज्य सरकारों और शहरी स्थानीय निकायों की साझेदारी होगी।

➡️ सर्व शिक्षा अभियान - 6 से 14 वर्ष की आयु वाले सभी बच्चों को वर्ष 2010 तक स्तरीय प्रारम्भिक शिक्षा प्रदान करने के लिए नवम्बर, 2000 में राज्यों की भागीदारी के साथ सर्व शिक्षा अभियान प्रारम्भ किया गया।

➡️ महिला समाख्या योजना वर्ष 1989 में प्रारम्भ की गई इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्र में महिलाओं, विशेषकर सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों को महिलाओं हेतु शिक्षा और सशक्तिकरण सुनिश्चित करना है।

➡️ प्रधानमन्त्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना इसका उद्देश्य बिहार, छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश, उड़ीसा, राजस्थान तथा उत्तरांचल में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) जैसे चिकित्सा संस्थान स्थापित करना है। इस योजना के अन्तर्गत 6 अन्य राज्यों, आन्ध्र प्रदेश, जम्मू एवं कश्मीर, झारखण्ड, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश तथा पं० बंगाल में एक मुश्त आर्थिक सहायता प्रदान की जायेगी, ताकि वे अपनी संस्थाओं को उन्नत करके AIIMS के स्तर पर ला सकें।

➡️ राष्ट्रीय साक्षरता मिशन-1988 में प्रारम्भ इस मिशन का उद्देश्य वर्ष 2007 तक 35 प्रतिशत साक्षरता स्तर को प्राप्त करना है।

➡️ संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष के अनुसार- विश्व की जनसंख्या में प्रतिवर्ष होने वाली 76 मिलियन लोगों की वृद्धि में भारत का योगदान 16 मिलियन का है। लगभग 21 प्रतिशत का यह सर्वाधिक योगदान है।

➡️ जून, 2003 में 100 करोड़ रुपये से जनसंख्या स्थिरता कोष का गठन किया गया।

➡️ कस्तूरबा गाँधी के जन्म दिवस 11 अप्रैल पर प्रारम्भ जननी सुरक्षा योजना का उद्देश्य निर्धनता रेखा से नीचे की गर्भवती महिलाओं के गर्भ स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराना है।

➡️ वर्ष 2003-04 में अन्य पिछड़े वर्गों के आर्थिक विकास के लिए प्रारम्भ की गयी स्वयम् सक्षम योजना तथा निर्धनता रेखा से नीचे की पिछड़े वर्गों की महिलाओं के लिए “न्यू स्वर्णिमा” नामक योजना का प्रारम्भ।

➡️ Child-Line Service- यह एक शुल्क मुफ्त टेलीफोन सेवा है जो मुसीबत में फंसे बच्चों के लिए आपातकालीन सेवायें प्रदान करती है।

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