शिक्षा मंत्री को दिया गया पत्र
सेवा में,
माननीय
शिक्षामंत्री महोदय झारखण्ड सरकार राँची
विषय-
माननीय उच्च न्यायालय, झारखण्ड रांची द्वारा वाद संख्या WP (s) 2721/2022 एवं WP
(S) 2767 / 2022 से संबंधित दिये गए आदेश के संदर्भ में ।
महाशय,
उपर्युक्त
विषय के संदर्भ में अति विनम्रतापूर्वक अंकित करना है कि माननीय उच्च न्यायालय
द्वारा उक्त वाद (पीजीटी शिक्षकों के स्थानांतरण से संबंधित) के संदर्भ में दिनांक
23.08.2022 को यह आदेश दिया गया कि उक्त वाद में शामिल शिक्षकों के स्थानांतरण को
यथावत लागू की जाये। इस संदर्भ में माननीय न्यायालय द्वारा विभाग को चार सप्ताह का
समय दिया गया था । पुनः उक्त समय सीमा के पश्चात शिक्षकों के द्वारा अवमानना
याचिका (764/2022) दाखिल किया गया तथा एक बार पुनः माननीय न्यायालय द्वारा दिनांक
02.12. 2022 को दिये गये आदेश में आदेश में आदेशपालन हेतु विभाग को तीन सप्ताह का
समय दिया गया है ।
अतः
महाशय से पुनः अति विनम्रतापूर्वक निवेदन है कि वाद संख्या WPS 4958/2019 एवं WPS
6152/2019 की भांति उक्त बाद से संबंधित शिक्षकों का भी स्थानांतरण आदेश को
पुनर्बहाल करने की कृपा की जाय। इस पुनीत कार्य हेतु सभी शिक्षकों के साथ झारखण्ड
+2 शिक्षक संघ सदैव आभारी रहेगा।
माध्यमिक शिक्षा निदेशक को दिया गया पत्र
विषय
: राज्य में सरकारी +2 शिक्षा एवं शिक्षकों से संबंधित, विभिन्न विषयों एवं
समस्याओं के निराकरण के संदर्भ में। महाशय,
उपर्युक्त
विषयक आवश्यक तथ्य एवं विषय-वस्तु, अपेक्षित समाधान हेतु, महोदय के समक्ष निम्नवत
रूप से सादर प्रस्तुत है :
प्राचार्य पद सृजन एवं नियुक्ति :
राज्य के 576 (171+280+125) सरकारी +2 विद्यालयों में प्रधानाध्यापक (Head Master) का पद समाप्त कर प्राचार्य (PRINCIPAL) का पद सृजित करते हुए, एकीकृत बिहार के समय से ही प्राचार्य (PRINCIPAL) पद सृजित वाले 59 +2 विद्यालयों सहित कुल 635 +2 विद्यालयों में वर्षों से लंबित प्राचार्य ( PRINCIPAL) पद पर यथाशीघ्र नियुक्ति की जाय.
प्राचार्य पद पर सीधी नियुक्ति हेतु अर्हता में आवश्यक संशोधन : प्राचार्य पद की अर्हताः
(a)
केंद्र सरकार अथवा झारखण्ड राज्य सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त विद्यालय में, झारखण्ड
के सरकारी +2 विद्यालयों में पी.जी.टी. के सृजित पद वाले विषयों में से नियुक्ति वाले
विषय में, पी.जी.टी. (वेतनमान 9300-34800 व मूल ग्रेड पे 4800/-) के पद पर न्यूनतम
08 (आठ) वर्ष की नियमित सेवा अवधि अनिवार्य. अथवा
(b)
केंद्र सरकार अथवा झारखण्ड सरकार के मान्यता प्राप्त विद्यालय में झारखण्ड के सरकारी
+2 विद्यालयों में पी.जी.टी. के सृजित पद वाले विषयों में से नियुक्ति वाले विषय में,
संयुक्त रूप से "पी.जी.टी. (स्नातकोत्तर प्रशिक्षित शिक्षक वेतनमान
9300-34800 व मूल ग्रेड-पे 4800/-)" तथा "उच्च विद्यालयों के लिए नियुक्त
होने वाले टी.जी.टी. (स्नातक प्रशिक्षित शिक्षक वेतनमान 9300-34800 व मूल ग्रेड-पे
4600/)" के रूप में मिलाकर न्यूनतम 12 (बारह) वर्ष की नियमित सेवा अवधि जिसके
अंतर्गत पी.जी.टी. ( स्नातकोत्तर प्रशिक्षित शिक्षक - वेतनमान 9300-34800 व मूल ग्रेड-पे
4800/- ) के रूप में न्यूनतम 03 (तीन) वर्ष की नियमित सेवा अवधि अनिवार्य.
"झा.
+2 विद्यालय शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर कर्मचारी नियुक्ति एवं सेवाशर्त नियमावली,
2012 के अध्याय 08 की कंडिका 11 में प्राचार्य ( PRINCIPAL) पद पर प्रोन्नति हेतु पी.जी.टी.
के रूप में नियमित शिक्षण अनुभव की आवश्यक सेवा अवधि का कोई जिक्र नहीं किया गया है.
अतः सेवा अवधि का स्पष्ट उल्लेख किया जाय.
स्थानांतरण से संबंधित :
a)
पी.जी.टी. के स्थानांतरण से संबंधित माननीय उच्च न्यायालय झारखण्ड राँची द्वारा
WPS 2721 / 2022 व WPS 2767 / 2022 के मामले में दिनांक 23.08.22. को तथा अवमानना याचिका
(764 / 2022 ) के विरुद्ध दिनांक 02.12.22 को निर्गत आदेश के अनुपालन के क्रम में,
WPS 4958 / 2019 तथा WPS 6152 / 2019 की भांति संबंधित पी.जी.टी. शिक्षकों का स्थानांतरण
आदेश यथाशीघ्र पुनर्बहाल करने की कृपा की जाय.
b)
वर्ष 2012 में असंवेदनशील होकर अप्रासंगिक रूप से स्नातकोत्तर प्रशिक्षित शिक्षकों
(पी.जी.टी.) को गृह जिला में पदस्थापन से वर्जित रखा गया। चूँकि यह पूरी तरह से आश्चर्यजनक
एवं अनौचित्य भरा कदम था, अतः बाद के ऐसी नियुक्तियों में यह प्रतिबंध विभाग द्वारा
हटा लिया गया. परन्तु फिर भी पिछले दस वर्षो से लेकर अब तक विभिन्न वर्षों 2012,
2017 व 2018 में नियुक्त, कई ऐसे पी.जी.टी. हैं, जो अपनी विभिन्न समस्याओं एवं परेशानियों
के कारण गृह जिला अथवा ऐच्छिक स्थानांतरण के लिए लम्बे समय से प्रतीक्षारत हैं. सर्वविदित
है कि शिक्षक अपना शत- प्रतिशत योगदान दे सकें, इस हेतु उनका यथासंभव सहज क्षेत्र में
पदस्थापित होना आवश्यक है। ज्ञातव्य है कि इतने वर्षों में इन शिक्षकों को स्थानांतरण
का अभी तक कोई अवसर भी प्रदान नहीं किया गया है। अतः ऐसे प्रतीक्षारत +2 शिक्षकों को
सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए, पांच वर्ष की बाध्यता समाप्त कर इनका स्थानांतरण गृह-
जिला अथवा ऐच्छिक विकल्प के आधार पर यथाशीघ्र किया जाय.
+2 व्याख्याताओं से संबंधित :
(a)
एकीकृत बिहार के समय "विद्यालय सेवा बोर्ड, बिहार, पटना के विज्ञप्ति संख्या 01/87
के आलोक में नियुक्त +2 व्याख्याताओं के शिक्षा सेवा संवर्ग की प्रवर कोटि से संबंधित
सर्वोच्च न्यायालय नई दिल्ली द्वारा सिविल अपील संख्या 7364 / 2014 के मामले में, दिनांक
05.05.22 को पारित न्यायादेश को यथाशीघ्र लागु किया जाय. ज्ञातव्य है कि बिहार सरकार,
शिक्षा विभाग ने इसके क्रियान्वयन हेतु औपचारिक आदेश निर्गत कर यथोचित प्रक्रिया प्रारंभ
कर दी है.
b)
+2 व्याख्याताओं का प्राचार्य पद पर प्रोन्नति एकीकृत बिहार के समय से ही प्राचार्य
( PRINCIPAL) पद सृजित वाले 59 +2 विद्यालयों में +2 व्याख्याताओं को प्राचार्य (
PRINCIPAL) पद पर यथाशीघ्र प्रोन्नति दी जाय.
MACP Scheme :
पी.जी.टी. एवं प्रयोगशाला सहायकों के प्रोन्नति का सम्यक
अवसर नहीं होने के कारण, राज्य के अन्य कर्मियों की भांति इन्हें भी दस बीस एवं तीस
वर्षों के सेवा अवधि में देय "संशोधित सुनिश्चित वृत्ति उन्नयन योजना (MACP Scheme
)" से आच्छादित किया जाय तथा प्राचार्य (PRINCIPAL) को क्रमशः वरीय व प्रवरण कोटि
वेतनमान का लाभ दिया जाय।
स्वास्थ्य बीमा कार्ड :
शिक्षकों एवं शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को स्वास्थ्य बीमा
कार्ड जारी किया जाय.
अपने
पूर्व के आदेश को संशोधित करते हुए विभाग द्वारा पत्रांक 2859 दिनांक 11.11.2022 के
आलोक में, कुछ +2 विद्यालयों में असंगत रूप से नियुक्त प्रधानाध्यापकों का स्थानांतरण,
विशुद्ध रूप से माध्यमिक विद्यालय में किया गया, जो स्वागतयोग्य है। परन्तु इसके अतिरिक्त
कुछ 2 विद्यालय ऐसे हैं, जिनमें अभी भी माध्यमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक नियुक्त
हैं. अतः एकीकृत बिहार के समय से ही प्राचार्य ( PRINCIPAL) पद सृजित वाले ऐसे निम्नलिखित
+2 विद्यालयों में पदस्थापित माध्यमिक विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों का स्थानांतरण
विशुद्ध रूप से माध्यमिक विद्यालयों में किया जाय.
वैसे +2 विद्यालय जिनमें एकीकृत बिहार के समय से ही प्राचार्य (PRINCIPAL) पद सृजित है परन्तु वर्तमान में जहाँ माध्यमिक विद्यालय के नियमित प्रधानाध्यापक नियुक्त हैं :-
क्रम
सं. |
जिला |
+2
विद्यालय का नाम |
01 |
राँची |
बाल
कृष्णा +2 बालिका उ. वि. अपर बाज़ार, राँची |
02 |
देवघर |
आर.
मित्रा +2 उ. वि. देवघर |
89 Model स्कूल में विद्यालय का प्रभार :
JEPC Ranchi के पत्रांक 2219 दिनांक 07.09.2022 तथा पत्रांक 2361 दिनांक 15.12.2021 के माध्यम से मॉडल स्कुल का प्रभार संविदा शिक्षक को देने का आदेश निर्गत किया गया है, जोकि नियमविरुद्ध है. इस संबंध में तथ्य निम्नवत हैं :-
I.
कई मॉडल विद्यालय में नियमित एवं स्थायी TGT PGT प्रतिनियुक्त किये गये हैं. उनके होते
हुए एक घंटी आधारित, पूर्णतः अस्थायी संविदा शिक्षक" को विद्यालय का प्रभार सौंपना
तथा स्थायी शिक्षकों को उनके अधीन कार्य करने को विवश करना, न्यायोचित नहीं है.
॥.
JEPC Ranchi द्वारा निर्गत उक्त आदेश कार्मिक, प्रशासनिक सुधार एवं राजभाषा विभाग झारखण्ड,
राँची के पत्रांक 9640 दिनांक 21.08.2012 के निर्देश की भी सरासर अवहेलना करता है.
III.
संभवतः किसी भी विभाग में उपरोक्त जैसा प्रावधान नहीं किया गया होगा. सेवा संवर्ग एवं
वरीयता को सीधे तौर पर नज़रअंदाज कर एक संविदा आधारित अस्थायी शिक्षक को प्रभार देने
से विभाग द्वारा नाहक ही नियमित शिक्षकों के आत्मसम्मान व मनोबल पर कुठाराघात किया
गया है. इससे विद्यालयों के शैक्षणिक वातावरण पर प्रतिकूल असर पड़ना स्वाभाविक है.
अतः
भवदीय से निवेदन है कि JEPC Ranchi के उक्त आदेश को इस रूप में संशोधित करने की कृपा
की जाय कि "जिन मॉडल विद्यालयों में नियमित PGT / TGT नियुक्त होंगे, वहां विद्यालय
का प्रभार PGT को तथा सिर्फ TGT प्रतिनियोजित होने की स्थिति में TGT को दिया जाय".
@
एकीकृत बिहार में व्यस्क शिक्षा विभाग में कार्यरत वैसे कर्मचारी, जो वर्ष 1994 में
जन शिक्षा / औपचारिक शिक्षा में समायोजित हुए, तत्पश्चात वर्ष 2007 में शिक्षा विभाग
में समायोजित हुए, का मार्च 2022 से लंबित वेतन निर्गत किया जाय तथा वित्त विभाग, झारखण्ड
सरकार के संकल्प संख्या 68 (पेंशन) दिनांक 21.02.2009 के आदेशानुसार उन सभी का वेतन
निर्धारण, पुरानी पेंशन योजना के अंतर्गत किया जाय.
वेतन संरक्षण सह सेवा निरंतरता :
विभिन्न वर्षों में, माध्यमिक शिक्षकों
के लिए आरक्षित रिक्तियों के विरुद्ध चयनित हुए 2 शिक्षक पीजीटी) की सेवा निरंतरता
एवं वेतन संरक्षण को यथाशीघ्र सुनिश्चित किया जाय।
@
“वर्ष 2012 में TGT से PGT के पद पर नियुक्त वैसे शिक्षक जिनकी TGT के रूप में सेवा
अवधि 02 वर्ष से कम है, उनकी TGT के रूप में सेवा अवधि संपुष्ट कर हुए सेवा निरंतरता
दी जाय :
2012
की पीजीटी नियुक्ति में, अर्हताधारी व योग्यताधारी माध्यमिक शिक्षकों हेतु 50 प्रतिशत
आरक्षित पद के विरुद्ध, 2010 में नियुक्त होने वाले माध्यमिक शिक्षक (TGT), +2 शिक्षक
(PGT) के रूप में चयनित हुए। इन शिक्षकों की नियुक्ति विभागीय निर्णय एवं झारखण्ड अधिविद्य
परिषद्, रांची के विज्ञप्ति सं. 117 / 2011 के समस्त प्रावधानों के अनुरूप ही की गई।
फलतः पीजीटी के पद पर योगदान देने समय कुछ शिक्षकों की TGT के रूप में सेवा अवधि दो
वर्ष या उससे अधिक पूर्ण हो गयी थी तो कुछ शिक्षकों की लगभग पूर्ण होने वाली ही थी.
ज्ञातव्य है कि उस समय झा +2 विद्यालय शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर कर्मचारी नियुक्ति एवं
सेवा शर्त नियमावली 2012 निर्मित नहीं हुई थी। महोदय, उक्त शिक्षकों की पी.जी.टी. के
रूप में सेवा संपुष्टि भवदीय आदेशानुसार या तो हो गयी है या प्रक्रियारत है, परन्तु
इनमें से जिन शिक्षकों की TGT के रूप में सेवा अवधि 02 वर्ष से कम है, उनकी TGT के
रूप में सेवा संपुष्टि लंबित है। जिसके कारण स्वभाविक है कि इन शिक्षकों की सेवा निरंतरता
व वेतन संरक्षण का कार्य भी प्रभावित होगा। इस हेतु अपेक्षित है। कि वर्ष 2012 में
TGT से PGT के पद पर नियुक्त वैसे शिक्षक जिनकी TGT के रूप में सेवा अवधि 02 वर्ष से
कम है, उनकी TGT के रूप में सेवा अवधि को संपुष्ट करते निरंतरता दी जाय. हुए सेवा
उपार्जित अवकाश संबंधी स्पष्ट विभागीय निर्देश निर्गत करना :
उपार्जित अवकाश की गणना
में अधिकांश जिला कार्यालयों द्वारा विसंगति की शिकायत आ रही है. क्योंकि जिला कार्यालय
असंगत एवं अप्रमाणिक तरीके से उपार्जित अवकाश संबंधी प्रावधान की व्याख्या कर रहे हैं.
इस हेतु आवश्यक है कि सेवा संहिता एवं अद्यतन विभागीय आदेश के अनुसार, विद्यालय प्रधान,
शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर कर्मचारियों के लिए उपार्जित अवकाश उपभोग के क्या प्रावधान
हैं, इस संबंध में स्पष्ट विभागीय आदेश निर्गत किया जाय. जिसके अंतर्गत निम्नलिखित
बिंदुओं की स्पष्टता हो :-
A.
उक्त कर्मी अपनी नियुक्ति के कितने अवधि पश्चात् उपार्जित अवकाश का उपभोग हेतु आवेदन
दे सकता है?
B.
उक्त कर्मी के संपूर्ण सेवाकाल के उपार्जित अवकाश की गणना, क्या उसकी नियुक्ति तिथि
( योगदान तिथि ) से प्रारंभ होगी? यदि नहीं तो नियुक्ति तिथि ( योगदान तिथि ) के कितने
अवधि पश्चात् से गणना शुरू होगी?
क्षतिपूरक अवकाश
ग्रीष्मावकाश सहित विभिन्न अवकाशों में अबतक किये गये मूल्यांकन
आदि कार्यों तथा निर्वाचन कार्यों के एवज में क्षतिपूरक अवकाश प्रदान किया जाय. ध्यातव्य
है कि, इस वर्ष भी वार्षिक परीक्षाओं के अंतिम अप्रैल तक होने की स्थिति में, मूल्यांकन
कार्य ग्रीष्मावकाश में होने की संभावना है, अंकनीय है कि विगत वर्षों में शिक्षक से
ग्रीष्मावकाश के दिनों में कार्य तो लिया जाता है, परन्तु इसके विरुद्ध क्षतिपूरक अवकाश
पर कोई स्थिति स्पष्ट नहीं की जाती है. यह अनुचित है और विडंबनापूर्ण भी कि कई बार
इस संबंध में आवेदन समर्पित करने के पश्चात् भी कोई संज्ञान नहीं लिया जाता है.
वार्षिक अवकाश तालिका :
विगत वर्षों में वार्षिक अवकाश तालिका के विलम्ब से निर्गत होने तथा जिला कार्यालय को यह कार्य दिए जाने के कारण असुविधा एवं असमंजस की स्थिति उत्पन्न हुई. कुछ जिलों में वर्ष के कई महीने बीत जाने के बाद अवकाश तालिका निर्गत की गई, कहीं-कहीं और भी उसमें विसंगतियां व विडंबना दृष्टिगोचर हुई. अतः आग्रह है कि ससमय माह दिसम्बर में ही निदेशालय स्तर से ही समेकित वार्षिक अवकाश तालिका निर्गत की जाय, जिसमें आवश्यकतानुसार मामूली सुधार का अधिकार स्थानीय तौर पर दिया जाय.
>
अवकाश तालिका के निर्माण में व्यवहारिक दृष्टिकोण से यह अपेक्षित है कि दीपावली से
छठ पूजा के बीच एक या दो दिन के लिए विद्यालय खोलने के स्थान पर लगातार अवकाश घोषित
किया जाय तथा उसका सामंजन अन्य अवकाश के साथ किया जाय.
>
18 आकस्मिक अवकाश से संबंधित संशय को दूर करना कार्मिक प्रशासनिक
सुधार एवं राजभाषा विभाग, झा. रांची के ज्ञापांक 1030 दिनांक 07.05.15 के आलोक में
18 आकस्मिक अवकाश के उपभोग को लेकर सभी विद्यालयों में एकरूपता नहीं है. कहीं उपभोग
किया जा रहा है तो कहीं भ्रम के कारन शिक्षक इससे वंचित हैं. अतः इस संबंध में स्पष्ट
विभागीय दिशा निर्देश की आवश्यकता है.
>
योजना से गैर योजना मद योजना मद से संचालित होने वाले +2 विद्यालयों
का गैर- योजना मद में हस्तांतरण किया जाय।
>
मेधा सह वरीयता सूची राज्य के समस्त स्नातकोत्तर प्रशिक्षित शिक्षकों
(पी.जी.टी.) की लंबित मेधा सह वरीयता सूची यथाशीघ्र निर्गत की जाय। साथ ही अलग-अलग
विषयों में चयनित स्नातकोत्तर प्रशिक्षित शिक्षकों (पी.जी.टी.) की एक समेकित मेधा सह
वरीयता सूची निर्धारण का कौन सा प्रावधान अथवा स्केलिंग सिस्टम, विभाग द्वारा अपनाया
जायेगा, इसका सुस्पष्ट उल्लेख भी अंकित किया जाय।
>
शिक्षा सेवा संवर्ग स्नातकोत्तर प्रशिक्षित शिक्षक (PGT) पद को शिक्षा सेवा
संवर्ग की प्रवर कोटि प्रदान किया जाय।
>आधारभूत संरचना का सुदृढ़ीकरण : अधिकांश विद्यालयों में आधारभूत
संरचना मसलन भवन, उपयुक्त आकार के वर्ग कक्ष, प्रयोगशाला-कक्ष, पुस्तक एवं
पुस्तकालय, प्रशाल, खेल के मैदान व उपकरण, चहारदीवारी, शौचालय, पेयजल आदि का न
सिर्फ आभाव अपितु उनकी दयनीय स्थिति है। अतः इनके सुदृढ़ीकरण हेतु समुचित उपाय
किया जाय
>
विद्यार्थी दिवस: भारत रत्न डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम साहब के जन्म दिवस 15 अक्टूबर के शुभ
अवसर पर सभी सरकारी विद्यालयों में औपचारिक रूप से विद्यार्थी दिवस के रूप में
मनाया जाय
School
Management Software तकनीक के माध्यम से
विद्यालयी प्रशासन को और बेहतर एवं सुगम बनाने के लिए निजी विद्यालयों की भांति
सरकारी विद्यालयों में भी "School Management Software" उपलब्ध कराया
जाय। जिसके तहत नामांकन, प्रमाण पत्र, परीक्षा, रूटीन निर्माण आदि जैसे अनेक
प्रशासनिक कार्य सुव्यवस्थित तरीके से संभव हो, ताकि कार्यबल एवं समय का अधिकतम
एवं सार्थक उपयोग विद्यालय हित में सुनिश्चित हो सके
• वार्षिक शैक्षणिक कैलेंडर: एक बहुपयोगी एवं समेकित वार्षिक शैक्षणिक कैलेंडर सत्रारंभ में ही जारी किया जाय। जिसके अंतर्गत पाठ्य सहगामी क्रियाओं, विभिन्न विद्यालयी गतिविधियों, जांच परीक्षाओं, अभिभावक शिक्षक संगोष्ठी आदि की तिथि अथवा आयोजन अवधि वर्ष के पूर्व से निर्धारित हो, ताकि सिर्फ औपचारिकतावश नहीं बल्कि कारगर रूप से सभी क्रियाकलापों को अपेक्षित रूप से उद्येश्यपरक बनाया जा सके.
• Principal Handbook : विद्यालय के समुचित व सुविधापूर्ण
प्रशासन हेतु Principal Handbook के रूप में औपचारिक दस्तावेज का निर्माण किया
जाय।
Education
Code: केन्द्रीय विद्यालय संगठन की भांति
जिम्मेदार एवं पारदर्शी कार्य संस्कृति के निर्माण हेतु Education Code की रचना की
जाय ।
पुस्तकालय
एवं प्रयोगशाला : विद्यालयों में पुस्तकालय एवं प्रयोगशाला को आधुनिक रूप से
समृद्ध एवं उत्कृष्ट स्तर का बनाया जाय। अधिगम को और अधिक सहज एवं सर्वसुलभ बनाने
के लिए विद्यालयों को तकनीकी रूप से देश के प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों के
लाइब्रेरी से जोड़ा जाय।
पुस्तक
आबंटन : विद्यार्थियों के लिए पुस्तकों का आवंटन सत्रारंभ के किया
जाय। ही सुनिश्चित
लिपिक,
आदेशपाल व रात्रि - प्रहरी की नियुक्ति : राज्य के सरकारी +2 विद्यालयों
में लिपिक एवं आदेशपाल के रिक्त पदों पर नियुक्ति की जाय, साथ ही रात्रि - प्रहरी की
भी व्यवस्था की जाय ।
प्रशिक्षण:
विद्यालयी तथा वित्तीय प्रशासन को कुशलतापूर्वक संचालित करने हेतु प्राचार्य (
PRINCIPAL), प्रधानाध्यापक (Head Master), विद्यालय प्रभारी सहित लिपिक को आवश्यक प्रशिक्षण
दिया जाय।
माध्यमिक
विद्यालय की त्रुटिपूर्ण परिभाषा का शुद्धिकरण: "झा. सरकारी माध्यमिक विद्यालय
शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर कर्मचारी नियुक्ति एवं सेवा शर्त नियमावली 2015" के अध्याय
2, कंडिका 2 (vi) में माध्यमिक विद्यालय की परिभाषा इस प्रकार अंकित है "माध्यमिक
विद्यालय से तात्पर्य है, वर्ग-9 एवं वर्ग-10 की संचालित कक्षाएं, भले ही ऐसे विद्यालय
वर्ग-6 से वर्ग-12 तक की कक्षाएं भी संचालित करते हों."
जबकि
"झा. +2 विद्यालय शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर कर्मचारी नियुक्ति एवं सेवा शर्त नियमावली
2012" के अध्याय 2 (i) के अनुसार वर्ग-12 तक की कक्षा संचालित करने वाले विद्यालय
की परिभाषा "+2 विद्यालय" के रूप में प्रावधानित है. स्पष्ट है कि दोनों
नियमावलियों में वर्ग-12 तक संचालित विद्यालयों के नाम व परिभाषा में परस्पर विरोधाभाष
है. इसका एकमात्र कारण है "झा. सरकारी माध्यमिक विद्यालय शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर
कर्मचारी नियुक्ति एवं सेवा शर्त नियमावली 2015" में माध्यमिक विद्यालय की परिभाषा
का त्रुटिपूर्ण होना. यह त्रुटि विद्यालय के समुचित संचालन में तकनीकि रूप से बाधा
पहुंचाती है. अतः उक्त नियमावली निर्माण में इस विभागीय भूल को संशोधित करते हुए माध्यमिक
विद्यालय की परिभाषा इस प्रकार अंकित किया जाय "झारखण्ड राज्य अंतर्गत वर्ग दस
तक के ऐसे विद्यालय जिनका संचालन झारखण्ड राज्य सरकार द्वारा किया जाता है"।
भवदीय
की सेवा में सादर समर्पित ।