32. PGT झारखंड की कृषि (Agriculture of Jharkhand)

झारखंड की कृषि (Agriculture of Jharkhand)

झारखंड की कृषि (Agriculture of Jharkhand)

➤झारखंड के जीविका और अर्थव्यवस्था का मुख्य बुनियाद कृषि ही है।

➤झारखंड पठारी क्षेत्र होने के कारण अन्य प्रदेशों की तुलना में झारखण्ड में कृषि योग्य भूमि बहुत कम है

यहां मात्र 32% जमीन ही खेती करने के योग्य  है ।

➤ यहाँ की कृषि जीवन-निर्वाह कृषि है।  

➤पठारी भाग होने के कारण सिंचाई के साधनों में भी कमी है, इसके कारण तालाब और कुँआ खोदने में भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है क्योकि जल-स्तर बहुत नीचे है।  

➤झारखण्ड की कृषि वर्षा पर निर्भर है।  

➤यहाँ के खेतों में काम करना भी आसान नहीं है क्योंकि भूमि उबड़ -खाबड़ ,छोटे-छोटे जोत ,बंजर ज़मीन इत्यादि। 

➤यही सब कारण से यहाँ कृषि के उन्नत क़िस्म का तकनीक उपयोग नहीं कर पाते हैं।

➤ यहाँ सिंचाई का मुख्य साधन कुआँ है। 

➤झारखण्ड का मुख्य फसल धान है।

फसल के प्रकार 

➤मौसम के बुनियाद पर मुख्यत: फसल तीन प्रकार के होते हैं 

(1) खरीफ फसलें / बरसाती मौसम के फसल

(2) रबी फसल या ठन्डे मौसम की फसल 

(3) जायद  फसल या गरमा फसल 

(1) खरीफ फसलें / बरसाती मौसम के फसल

➤यह फसलें मानसून के शुरू के समय जून-जुलाई में बोई जाती है और मानसून के समाप्ति पर(अक्टूबर या नवम्बर में  काटी जाती है।

➤खरीफ फसल को झारखंड में दो फसलों:-भदई और अगहनी में बांटा गया है। 

➤भदई फसल मई या जून में बोई जाती हैं ,और अगस्त या सितम्बर में काटी जाती हैं। 

➤इसी तरह अगहनी फसल जून में बोई जाती हैं और दिसंबर में काटी जाती हैं। 

➤झारखण्ड की कृषि में अगहनी फसल को सर्वोपरि स्थान है। 

➤कुल कृषिगत भूमि में 69.75 %भाग अगहनी फसल की खेती जाती है।

➤अगहनी फसल के बाद भदई फसल का स्थान आता है,कुल कृषिगत भूमि में 20.26  %भाग भदई फसल की खेती जाती है। 

➤खरीफ फसलों में धान का स्थान सर्वप्रमुख स्थान है, अन्य फफसलों में मक्का ,ज्वार ,बाजरा ,मूंग ,मूँगफली ,गन्ना आदि।

(2)रबी फसल या ठन्डे मौसम की फसल 

➤रबी फसलें या ठंडे मौसम की फसल रबी फसलें अक्टूबर-नवंबर में बोई जाती है और मार्च में काटी जाती है। 

➤रबी फसल को वैशाखी या वैशाख फसल भी कहा जाता है। 

➤झारखंड की कुल कृषि भूमि के 9 पॉइंट 20% भाग में रबी फसल की जाती है।

➤ रबी फसलों में गेहूं का स्थान पहला स्थान है अन्य रबी फसलें हैं जौ, चना, तिलहन इत्यादि।

(3)जायद  फसल या गरमा फसल 

➤जायद या गर्म फसलें यह अपेक्षाकृत छोटे मौसम की फसलें हैं, यह फसलें मार्च-अप्रैल में बोई जाती हैं और जून-जुलाई में काटी जाती हैं।

➤ इस फसल की खेती उन क्षेत्रों में होती है, जहां सिंचाई की सुविधा है या आर्द्र भूमि वाले क्षेत्र है।

➤ झारखंड में कुल प्रतिशत भूमि के केवल जीरो पॉइंट सात तीन(0.73) प्रतिशत भाग में जायद या गरमा फसल की जाती है।

➤ जायद या गरमा फसलों में हरी सब्जियों का विशेष स्थान है।

प्रमुख फसलें 

➤ झारखंड की प्रमुख फसलें इस प्रकार हैं।  

➤  धान :- यह राज्य की सर्व प्रमुख खाद्य फसल है। 

➤ झारखंड में धान का सबसे बड़ा क्षेत्र सिंहभूम, रांची, गुमला एवं दुमका है। 

➤ जहां झारखंड के कुछ धान के लगभग 50% उत्पादन होता है, इसके अलावा धान की खेती हजारीबाग, पलामू , गढ़वा, धनबाद, गोड्डा, गिरिडीह आदि में होती है। 

➤ मक्का :- यह  राज्य में उत्पादन की दृष्टि से इस फसल का दूसरा स्थान है

➤ झारखड में मक्का उत्पादन की दृष्टि से पलामू का पहला स्थान है उसके बाद हजारीबाग, गिरिडीह और साहिबगंज का स्थान आता है। 

➤गेहूं :- यह  राज्य का तीसरा प्रमुख फसल है।  

➤इसका सबसे अधिक उत्पादन पलामू जिला में होता है जबकि दूसरे स्थान पर हजारीबाग और तीसरे स्थान पर गोड्डा आता है। 

➤ गन्ना :- यह राज्य का एक नकदी फसल है। 

➤इसके प्रमुख उत्पादक जिले हैं हजारीबाग , पलामू, दुमका,गोड्डा , साहिबगंज, गिरिडीह इत्यादि।

➤जौ :- यह भारत की प्राचीनतम फसल है। 

➤इसके प्रमुख उत्पादक जिले हैं पलामू, साहेबगंज, हजारीबाग, सिंहभूम , गोड्डा इत्यादि। 

➤मड़ुआ :- यह कम समय में तैयार होने वाली फसल है।  

➤इसकी बुआई अप्रैल-मई में की जाती है और कटाई जून-जुलाई में की जाती है इसका प्रमुख उत्पादक जिला है रांची, हजारीबाग और गिरिडीह आदि।

➤इसके अलावा झारखंड में ज्वार ,बाजरा, तिलहन, दलहन आदि की खेती की जाती है।

➤ ज्वार-बाजरा के प्रमुख उत्पादक जिले हजारीबाग, रांची, सिंहभूम ,संथाल परगना आदि ।

➤ झारखंड में दलहन और तिलहन का सर्वाधिक उत्पादन पलामू प्रमंडल में होता है। 

➤ झारखंड में सिंचाई करके सब्जियां उपजाई जाती हैं, रांची से सब्जियां पश्चिम बंगाल एवं अन्य राज्यों में बेची जाती है।

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