पाठ्यपुस्तक के अभ्यास प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए
(i) जनसंख्या वितरण दर्शाया जाता है
(क)
वर्णमात्री मानचित्रों द्वारा
(ख)
सममान रेखा मानचित्रों द्वारा
(ग) बिन्दुकित मानचित्रों द्वारा
(घ)
ऊपर में से कोई भी नहीं।
(ii) जनसंख्या की दशकीय वृद्धि को सबसे अच्छा प्रदर्शित करने का तरीका
है–
(क) रेखाग्राफ
(ख)
दण्ड आरेख
(ग)
वृत्त आरेख
(घ)
ऊपर में से कोई नहीं।
(iii) बहुरेखाचित्र की रचना प्रदर्शित करती है
(क)
केवल एक चर
(ख) दो चरों से अधिक
(ग)
केवल दो चर
(घ)
ऊपर में से कोई भी नहीं।
(iv) कौन-सा मानचित्र “गतिदर्शी मानचित्र” माना जाता है
(क)
बिन्दुकित मानचित्र
(ख)
सममान रेखा मानचित्र
(ग)
वर्णमात्री मानचित्र
(घ) प्रवाह संचित्र।
प्रश्न 2. निम्नलिखित प्रश्नों के 30 शब्दों में उत्तर दीजिए :
(i) थिमैटिक मानचित्र क्या है?
उत्तर:
प्राकृतिक अथवा सांस्कृतिक वातावरण के किसी तत्त्व का किसी क्षेत्र में वितरण प्रदर्शित
करने वाले मानचित्र को ‘थिमैटिक (वितरण) मानचित्र’ कहते हैं।
(ii) आँकड़ों के प्रस्तुतीकरणा से आपका क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
आँकड़ों के प्रस्तुतीकरण का तात्पर्य आँकड़ों द्वारा तथ्यों की विशेषताओं को प्रदर्शित
किया जाना है। यह प्रस्तुतीकरण आलेख, आरेख अथवा मानचित्र, चार्ट आदि द्वारा किया जाता
है।
(iii) बहुदण्ड आरेख और यौगिक दण्ड आरेख में अंतर बताइए।
उत्तर:
बहुदण्ड आरेख- यह आरेख तुलना के उद्देश्य के लिए दो या दो से अधिक चरों को प्रदर्शित
करता है। पुरुष-स्त्री अनुपात, ग्रामीण और नगरीय जनसंख्या अथवा विभिन्न साधनों द्वारा
सिंचाई दर्शाने के लिए यह आरेख बनाया जाता है।
यौगिक
दण्ड आरेख- इसे मिश्रित दण्ड आरेख भी कहते हैं। इसमें विभिन्न घटकों को चर के एक समूह
में वर्गीकृत किया जाता है अथवा एक घटक के विभिन्न चर साथ-साथ रखे जाते हैं।
(iv) एक बिन्दुकित मानचित्र की रचना के लिए क्या आवश्यकताएँ हैं?
उत्तर:
एक बिन्दुकित मानचित्र की रचना के लिए आवश्यक तत्त्व
1.
जिस क्षेत्र का बिन्दु मानचित्र बनाना है, उसका प्रशासनिक इकाइयों वाला रेखा मानचित्र।
2.
प्रत्येक प्रशासनिक इकाई के जनसंख्या सम्बन्धी निरपेक्ष आँकड़े।
3.
बिन्दु उचित स्थान पर लग सकें, इसके लिए उस क्षेत्र के धरातलीय मानचित्र, मृदा मानचित्र,
जलवायु मानचित्र व सिंचाई मानचित्र इत्यादि का अवलोकन भी आवश्यक है। इन मानचित्रों
से हमें यह अनुमान लगता है कि जनसंख्या का सांद्रण कहाँ-कहाँ हो सकता है।
(v) सममान रेखा मानचित्र क्या है? एक क्षेपक को किस प्रकार कार्यान्वित
किया जाता है?
उत्तर:
सममान रेखा मानचित्र- काल्पनिक रेखाएँ जो समान मान के स्थानों को जोड़ती हैं, ‘सममान
रेखाएँ’ कहलाती हैं। इन रेखाओं द्वारा भौगोलिक सत्य को मानचित्र पर दिखाना ‘सममान रेखा
मानचित्र’ कहलाता है।
क्षेपक
का कार्यान्वयन– क्षेपक का उपयोग दो स्टेशनों के प्रेक्षित मानों के बीच मध्यमान को
प्राप्त करने के लिए किया जाता है, जैसे—आगरा और मेरठ का तापमान या दो बिन्दुओं की
ऊँचाइयाँ।
समान
मानों के स्थानों को जोड़ने वाली सममान रेखाओं का चित्रण ‘क्षेपक’ कहलाता है। क्षेपक
के कार्यान्वयन करने के लिए निम्न बातों की पालना करनी पड़ती है
1.
मानचित्र पर न्यूनतम और अधिकतम मान को निश्चित करना।
2.
मान की परास की गणना, जैसे-परास = अधिकतम मान – न्यूनतम मान।
3.
श्रेणी के आधार पर 5, 10, 15 आदि में अन्तराल निश्चित करना।
(vi) एक वर्णमात्री मानचित्र को तैयार करने के लिए अनुसरण करने वाले
महत्त्वपूर्ण चरणों की सचित्र व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
वर्णमात्री मानचित्र को तैयार करने के लिए अनुसरण करने वाले महत्त्वपूर्ण चरण
(1)
जिस क्षेत्र के लिए वर्णमात्री मानचित्र बनाना है, उस क्षेत्र की प्रशासनिक इकाइयों
वाला रेखा मानचित्र।
(2)
मानचित्र पर जिस वस्तु का वितरण प्रदर्शित करना है, उसके सभी प्रशासनिक इकाइयों से
सम्बन्धित नवीनतम आँकड़े।
उपर्युक्त
दो वस्तुएँ प्राप्त करने के बाद सापेक्षिक आँकड़ों का वर्ग-अन्तराल निर्धारित करना
होता है। वर्ग अन्तराल बहुत अधिक अथवा बहुत कम नहीं होना चाहिए। सामान्यत: 3 से 6 वर्ग
अन्तराल उचित रहते हैं। इन चुने हुए वर्ग अन्तरालों के लिए आभा चुनते समय ध्यान रखना
चाहिए कि घनत्व या मान बढ़ने के साथ आभा की गहराई भी उत्तरोत्तर बढ़नी चाहिए। निर्धारित
की गई आभाओं का सूचक बनाना भी आवश्यक होता है।
(vii) आँकड़े को वृत्त आरेख की सहायता से प्रदर्शित करने के लिए महत्त्वपूर्ण
चरणों की विवेचना ‘कीजिए।
उत्तर:
आँकड़े को वृत्त आरेख की सहायता से प्रदर्शित करने के लिए महत्त्वपूर्ण चरण
•
आँकड़ों को बढ़ते क्रम में लिखें।
•
आँकड़ों के लिए कोणों की गणना के लिए 360/100 से गुणा करें।
•
उपयुक्त त्रिज्या का चयन करें।
•
वृत्त बनाएँ।
•
शीर्षक, उपशीर्षक और सूचिका द्वारा आरेख को पूरा किया जाता है तथा रंग भरे जा सकते
हैं।
क्रियाकलाप
प्रश्न 1. निम्न आँकड़े को अनुकूल/उपयुक्त आरेख द्वारा प्रदर्शित कीजिए :
प्रश्न 2. निम्नलिखित आँकड़े को उपयुक्त आरेख की सहायता से प्रदर्शित कीजिए:
उत्तर:
(नोट–अध्यापक की सहायता से छात्र स्वयं करें।)
प्रश्न 3: निम्नलिखित आँकड़े को वृत्त आरेख की सहायता से प्रदर्शित कीजिए :
प्रश्न 4. नीचे दी गई तालिका का अध्ययन कीजिए और दिए हुए आरेखों/मानचित्रों को खींचिए :
(क)
प्रत्येक राज्य में चावल के क्षेत्र को दिखाने के लिए एक बहुदण्ड आरेख की रचना कीजिए।
(ख)
प्रत्येक राज्य में चावल के अन्तर्गत क्षेत्र के प्रतिशत को दिखाने के लिए एक वृत्त
आरेख की रचना कीजिए।
(ग)
प्रत्येक राज्य में चावल के उत्पादन को दिखाने के लिए एक बिन्दुकित मानचित्र की रचना
कीजिए।
(घ)
राज्यों में चावल उत्पादन के प्रतिशत को दिखाने के लिए एक वर्णमात्री मानचित्र की रचना
कीजिए। .
उत्तर:
(नोट-अध्यापक की सहायता से छात्र स्वयं करें।)
प्रश्न 5. कोलकाता के तापमान और वर्षा के निम्नलिखित आँकड़े को एक उपयुक्त आरेख द्वारा दर्शाइए:
अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. दण्ड आरेख बनाने सम्बन्धी आवश्यक निर्देशों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
दण्ड आरेख बनाने सम्बन्धी आवश्यक निर्देश
किसी
भी आरेख को बनाने के लिए यूँ तो कोई विश्वव्यापी नियम तो नहीं होते, फिर भी कुछ हिदायतों
का ध्यान रखना आवश्यक होता है
1.
सभी दण्ड एकसमान मोटाई के होने चाहिए। दण्डों की मोटाई दण्डों की संख्या व कागज के
आकार पर निर्भर करती है।
2.
दण्ड समान दूरी पर स्थित होने चाहिए। दण्डों के बीच की दूरी दण्डों की चौड़ाई से कुछ
कम होनी चाहिए ताकि तुलना करने में आसानी हो।
3.
दण्ड बनाने से पहले दिए गए आँकड़ों को पूर्णांक में बदल लेना चाहिए।
4.
आँकड़ों में न्यूनतम व उच्चतम सीमा और कागज पर स्थान देखकर ही मापनी का चुनाव करना
चाहिए।
5.
आधार-रेखा के शून्य से दण्डों की लम्बाई मापी जाती है।
6.
दण्डों को सुन्दर, तुलनीय व आकर्षक बनाने के लिए उनमें काला रंग या आभा भरी जाती है।
कई बार इन दण्डों में रंग भी भरे जाते हैं।
प्रश्न 2. बिन्दु विधि के गुण व दोषों को समझाइए।
उत्तर:
बिन्दु विधि के गुण
1.
मात्रात्मक वितरण मानचित्र बनाने की सभी विधियों में बिन्दु विधि वितरण को सर्वाधिक
शुद्ध रूप से प्रस्तुत करती है।
2.
यह विधि वस्तु की मात्रा और समानता दोनों गुणों को भली-भाँति प्रदर्शित करती है।
3.
इस विधि में वितरण की तीव्रता बिन्दुओं के सांद्रण से एकदम स्पष्ट हो जाती है।
4.
बिन्दु मानचित्र का दृष्टिक प्रभाव वितरण के अन्य मानचित्रों से अधिक होता है।
5.
बिन्दुओं को गिनकर पुनः आँकड़े प्राप्त किए जा सकते हैं।
बिन्दु
विधि के दोष
1.
बिन्दु मानचित्रों की रचना कठिन होती है, अत: अभ्यास और कुशलता के बिना इन्हें नहीं
लगाया जा सकता।
2.
यह विधि केवल निरपेक्ष आँकड़ों को प्रदर्शित करती है।
3.
बिन्दु द्वारा मानचित्र पर घेरा हुआ स्थान वास्तविक क्षेत्रफल से काफी बड़ा होता है।
4.
प्रयास करने के बावजूद भी कई बिन्दु सही स्थिति पर नहीं लग पाते।
5.
क्षेत्र के भौगोलिक ज्ञान के बिना गए बिन्दु भ्रामक परिणाम प्रस्तुत करते हैं।
प्रश्न 3. आरेखों की उपयोगिता/महत्त्व/लाभ पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
आरेखों की उपयोगिता/महत्त्व/लाभ अग्रलिखित हैं
1.
सुबोध और सरल सूचना- आँकड़ों की लम्बी-लम्बी नीरस सूचनाएँ आरेखों
द्वारा सहज ही समझ में आ जाती हैं। एक दृष्टि डालते ही बहुत-सी विशेषताएँ पता चल जाती
हैं।
2.
चिरस्मरणीय- इनके द्वारा प्रस्तुत आँकड़े लम्बे समय तक याद रहते हैं।
3.
विशेषज्ञता आवश्यक नहीं- आरेखों को समझने के लिए किसी विशेष ज्ञान
या प्रशिक्षण की आवश्यकता नहीं होती है। सामान्य व्यक्ति भी इनको समझ सकता है।
4.
आकर्षक और प्रभावशाली- आरेख चित्रमय होते हैं। इन्हें आकर्षक बनाया
जाता है।
5.
समय व श्रम की बचत- आरेखों द्वारा आँकड़ों को समझने से अपेक्षाकृत
कम समय लगता है तथा श्रम भी कम करना पड़ता है। एक चीनी कहावत है कि “एक चित्र हजार
शब्दों के बराबर होता है।” छोटे से आकार का आरेख कई पृष्ठों पर लिखे विवरण की जानकारी
दे देता है।
6.
तुलना में सहायक- आरेखों से तथ्यों की तुलना करना सरल है।
7.
सूचना के साथ मनोरंजन– इनसे मनोरंजन भी होता है।
8.
अनुमान में सहायक- इनके द्वारा भावी प्रवृत्ति का सहज अनुमान
लगाया जा सकता है।
प्रश्न 4. लखनऊ में मध्यमान मासिक वर्षा के आँकड़ों से एक सरल दण्ड आरेख की रचना कीजिए।
उत्तर:
रचना विधि-दिए गए आँकड़ों में वर्षा की मात्रा समय के सन्दर्भ अर्थात् जनवरी, फरवरी
इत्यादि के रूप में दी गई है। ऐसे आँकड़ों को आरोही या अवरोही क्रम में बिल्कुल नहीं
करते। इनके लिए दण्ड भी खड़े बनाने होते हैं ताकि समय का आधार मानकर तुलना की जा सके।
सबसे
पहले ग्राफ पेपर या ड्राइंगशीट को सामने रखकर, मापनी से मापकर यह अनुमान लगाइए कि शीर्षक
की जगह छोड़ देने के बाद अधिकतम वर्षा 27.16 सेमी को दिखाने के लिए आरेख को कागज़ के
निचले हिस्से में कहाँ से शुरू करें।
शीट
या ग्राफ पेपर के निचले हिस्से में एक आधार रेखा लीजिए। उस पर वर्ष के 12 महीनों के
दण्डों की चौड़ाई व उनके बीच की दूरी को अंकित कीजिए। आधार रेखा के बाएँ सिरे पर एक
लम्बवत् रेखा 15 सेमी ऊँची लीजिए व उस पर 0 से 30 अंकित कीजिए। एक मापनी के अनुसार
1 सेमी की ऊँचाई 2 सेमी वर्षा प्रदर्शित करेगी। अब वर्ष के 12 महीनों के लिए मापनी
के अनुसार दण्डों की लम्बाई निर्धारित कीजिए। जनवरी महीने की वर्षा 4.20 सेमी मापक
के दुगुना हो जाने के कारण अब वास्तविक फुटे के अनुसार 4.20 ÷ 2 = 2.10 सेमी द्वारा
तथा फरवरी की वर्षा 5.18÷ 2 = 2.59 सेमी लम्बे दण्ड से प्रदर्शित होगी। इसी प्रकार
अन्य महीनों के दण्डों की लम्बाई ज्ञात करके उन्हें आधार-रेखा पर बनाइए। (चित्र)
कई बार हमें ग्राफ पेपर के स्थान पर ड्राइंगशीट पर दण्ड आरेख बनाने होते हैं। ऐसे में दण्ड सीधे रहें और उनकी आपसी दूरी बराबर रहे तो इसके लिए हमें आरेख के लगभग बीच में एक नकली आधार-रेखा बना लेनी चाहिए जिसे बाद में मिटा दिया जाता है। इस नकली आधार-रेखा पर भी दण्डों की चौड़ाई व उनके बीच के अन्तर को अंकित किया जाता है। बाद में प्रत्येक दण्ड को बनाते समय असली व नकली दोनों आधार रेखाओं के ‘ समान बिन्दुओं को मिलाकर दण्ड की ऊँचाई बनानी होती है। इससे दण्ड सीधे बनते हैं।
प्रश्न 5. निम्नलिखित तालिका में भारत की जनसंख्या के आँकड़े दिए गए हैं। इन्हें साधारण दण्ड आरेख द्वारा प्रदर्शित कीजिए
उत्तर: रचना विधि-दिए गए आँकड़े समयानुसार हैं इसलिए इन्हें खड़े दण्ड आरेख द्वारा प्रदर्शित किया जाएगा। जब ‘स्थान एक समय अनेक’ हो तो ऐसे आँकड़ों को आरोही या अवरोही क्रम में नहीं किया जाता। आधार X-अक्ष पर समान दूरियों पर समान चौड़ाई वाले दण्ड बनाने के लिए चिह्न अंकित कीजिए। इस आधार-रेखा के बाएँ सिरे पर एक लम्बवत् रेखा खींचिए जिस पर जनसंख्या को दिखाने के लिए मापनी बनाई जाएगी। अब 1901 से 2011 की जनसंख्या के आँकड़ों को पूर्णांक बनाइए जो क्रमशः इस प्रकार होंगे23.84, 25.21, 25.13, 27.90, 31.87, 36.11, 43.92, 54.82, 68.38, 84.63, 102.70 व 121 करोड़। उच्चतम व न्यूनतम आँकड़ों को देखते हुए उचित मापनी लेनी होगी। उदाहरणत: 20 करोड़ जनसंख्या को प्रदर्शित करने के लिए यदि हम 1 इंच लम्बा दण्ड निश्चित करते हैं तो विभिन्न जनगणना वर्षों के दण्डों की लम्बाई क्रमश: 1.96, 1.26, 1.25, 1.39, 1.59, 1.80, 2.19, 2.74, 3.41, 4.23, 5.13 व 6.0 इंच होगी। शीर्षक व अन्य आवश्यक सूचनाएँ लिखकर आरेख तैयार कीजिए। (चित्र)
प्रश्न 6. नीचे दिए गए भारत के विदेश व्यापार से सम्बन्धित विभिन्न आँकड़ों को बहुदण्ड आरेख द्वारा प्रदर्शित कीजिए।
उत्तर:
रचना विधि-दिए गए आँकड़े एक ही तत्त्व ‘विदेश व्यापार’ के दो सम्बन्धित विषयों आयात
और निर्यात के हैं, अत: हमें इन्हें दो-दो दण्डों के समुच्चयों द्वारा प्रदर्शित करेंगे।
इस
आरेख के निर्माण के लिए ड्राइंगशीट या ग्राफ पेपर पर नीचे की तरफ एक आधार-रेखा लीजिए।
इस पर दो-दो दण्डों के 10 समुच्चयों व उनके बीच की दूरी को अंकित कीजिए।
आँकड़ों तथा कागज के विस्तार को देखते हुए आधार रेखा के आरम्भिक बिन्दु से एक लम्बवत् रेखा खींचिए जो आयात-निर्यात के आँकड़ों को दिखाने के लिए मापनी का कार्य करेगी। मान लीजिए कि 1 सेमी का दण्ड आरेख 2,00,000 करोड़ रुपये को प्रदर्शित करता है तो हमें 14 सेमी ऊँचा मापक बनाना होगा जिसमें प्रत्येक सेमी का 1 टुकड़ा (1 mm) 20 हजार करोड़ रुपये को प्रदर्शित करेगा। अब संख्याओं को पूर्णांकों में बदलकर उनके मापक के अनुसार दण्ड-समुच्चय बनाइए। शीर्षक, अन्य सूचनाएँ व आभाओं को निर्देशिका बनाकर आरेख को पूर्ण कीजिए। (चित्र)
प्रश्न 7. भारत में साक्षरता दर के दिए गए आँकड़ों के आधार पर एक बहुदण्ड आरेख की रचना कीजिए।
उत्तर:
रचना विधि-उपर्युक्त तालिका में दिए गए आँकड़ों में भारत की कुल साक्षर जनसंख्या तथा
पुरुष एवं महिला साक्षरता का प्रतिशत दिया गया है। ऐसे आँकड़ों को दर्शाने के लिए बहुदण्ड
आरेख उपयुक्त है।
पहले दिए गए प्रश्नों की भाँति आधार रेखा तथा मापनी रेखा बनाकर कुल साक्षरों, पुरुष व महिला साक्षरों की प्रतिशत जनसंख्या को दर्शाने के लिए प्रत्येक वर्ष के तीन-तीन दण्ड समुच्चय बनाइए। इन दण्डों में विभिन्न आभाएँ भरकर उनका इंडेक्स बना दीजिए। इस तरह आरेख पूरा होगा। (चित्र)
प्रश्न 8. भारत में सिंचाई के 2010-11 के दिए गए आँकड़ों को वृत्तारेख की सहायता से प्रदर्शित कीजिए
उत्तर: रचना विधि—इस तालिका में विभिन्न घटकों के कोण ज्ञात करने से पूर्व इन्हें अवरोही क्रम में कर लें लेकिन ध्यान रहे कि ‘अन्य’ (Others) घटक को सबसे अन्त में रखे क्योंकि इसमें कई आँकड़े शामिल होते हैं। उपर्युक्त तालिका के आँकड़ों के कोण इस प्रकार निकाले गए हैं-
प्रश्न 9. निम्नलिखित आँकड़ों को वृत्तारेख द्वारा प्रदर्शित कीजिए :
प्रश्न 10. मानचित्र में दिए गए वार्षिक तापान्तर (Annual Range of Temperature) के आँकड़ों के आधार पर एक समताप रेखा (Isotherm) मानचित्र बनाइए।
प्रश्न 11. चित्र में मुख्य नदी एवं उसकी सहायक नदियों में बहने वाली जल की मात्रा हजार घन फुट/प्रति घण्टा दी गई है। इसकी सहायता से इस नदी बेसिन के लिए एक जल प्रवाह आरेख बनाइए।
उत्तर: रचना विधि-नदी के प्रवाह क्षेत्र में स्थित विभिन्न बेसिनों के आँकड़ों को देखते हुए एक उचित मापनी का निर्धारण कीजिए जैसा कि चित्र में दिखाया गया है, जल की मात्रा के अनुपात में फीता बनाइए। यह – आपेक्षिक प्रवाह आरेख है।
प्रश्न 1. वर्णमात्री अथवा छाया मानचित्र की उपयुक्तता को समझाइए।
उत्तर:
वर्णमात्री मानचित्र की उपयुक्तता-जनसंख्या का घनत्व, कुल जनसंख्या में नगरीय जनसंख्या
का प्रतिशत, जनसंख्या में लिंग तथा साक्षरता अनुपात, कुल भूमि में कृषि भूमि का अनुपात,
कृषि-भूमि की प्रति हेक्टेयर उपज, जोत का औसत आकार, प्रति व्यक्ति आय, किसी वस्तु का
प्रति व्यक्ति उपभोग आदि के आर्थिक तथ्यों के आँकड़ों को वर्णमात्री मानचित्रों के
द्वारा बहुत अच्छी तरह प्रदर्शित किया जाता है। मानचित्र के प्रदर्शन की यह विधि भूगोलवेत्ता
का महत्त्वपूर्ण उपकरण है।
प्रश्न 2. वर्णमात्री मानचित्र के दोषों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
वर्णमात्री मानचित्र के दोष
1.
भौगोलिक तथ्य के घनत्व में अन्तर भौगोलिक दशाओं के प्रभाव में आता है, प्रशासनिक इकाइयों
के द्वारा नहीं। इससे भ्रम पैदा हो जाता है।
2.
राजनीतिक सीमाएँ अस्थिर होती हैं।
3.
पूरी इकाई की गहनता समान नजर आती है, जबकि वास्तव में प्रशासनिक इकाई (जिले) में भी
गहनता में भारी अन्तर पाया जाता है।
4.
इस विधि में ऋणात्मक क्षेत्र भी शामिल होता है जो कि गलत है।
प्रश्न 3. सममान रेखा मानचित्र के दोष बताइए।
उत्तर:
सममान रेखा मानचित्र के दोष
1.
सममान रेखा मानचित्र बनाना एक कठिन कार्य है क्योंकि इसके लिए हमें पर्याप्त व सही
आँकड़े तथा
2.
अनेक स्थानों पर शुद्ध अवस्थिति की आवश्यकता होती है।
3.
मानचित्र पर मूल्यों को खोजने के लिए अन्तर्वेशन करना पड़ता है जिससे गलती होने की
संभावना रहती है।
4.
कम आँकड़ों के आधार पर बनाई गई सममान रेखाएँ भ्रामक परिणाम प्रस्तुत कर सकती हैं।
5.
आकस्मिक या तीव्र परिवर्तनों को इन रेखाओं द्वारा प्रदर्शित नहीं किया जा सकता।
प्रश्न 4. आरेखों की रचना में सावधानियों को समझाइए।
उत्तर:
आरेखों की रचना में सावधानियाँ
1.
आरेख आकर्षक और प्रभावशाली होने चाहिए।
2.
इनको उपयुक्त शीर्षक दिया जाना चाहिए।
3.
आरेख उचित मापनी पर बनाए जाने चाहिए।
4.
इनमें केवल चिह्नों व रंगों का प्रयोग किया जाना चाहिए।
5.
आरेखों को सरल बनाना चाहिए।
6.
आरेखों के साथ सारणी भी दी जानी चाहिए।
प्रश्न 5. वर्णमात्री मानचित्रों के गुणों को समझाइए।
उत्तर:
वर्णमात्री मानचित्र के गुण
1.
वस्तु के वितरण को समझाने के लिए यह एक सरल और प्रभावशाली विधि है।
2.
वितरण के तुलनात्मक अध्ययन के लिए वर्णमात्री विधि सर्वोत्तम मानी जाती है।
3.
वर्णमात्री विधि सापेक्षिक आँकड़ों जैसे प्रतिशत मान या प्रति इकाई घनत्व को दर्शाने
की सर्वश्रेष्ठ विधि है।
4.
वस्तुओं के वितरण में आने वाले आकस्मिक और भारी परिवर्तनों को दिखाने के लिए इससे बेहतर
विधि और कोई नहीं है।
प्रश्न 6. सममान रेखा मानचित्रों के गुणों को समझाइए।
उत्तर:
सममान रेखा मानचित्र के गुण
1.
अन्य विधियों की तुलना में सममान रेखा विधि अधिक वैज्ञानिक है।
2.
ये रेखाएँ ढाल प्रवणता या घनत्व में होने वाले परिवर्तनों को स्पष्ट रूप से प्रकट कर
देती हैं।
3.
बिन्दु आँकड़ों के माध्यम से भौगोलिक वितरण दर्शाने की यह सर्वोत्तम विधि है।
4.
संक्रमण पेटी में स्थित तत्त्वों को प्रदर्शित करने के लिए सममान रेखा विधि उत्तम मानी
जाती है।
प्रश्न 7. प्रवाह आरेखों के महत्त्व को समझाइए।
उत्तर:
प्रवाह आरेखों का महत्त्व-प्रवाह आरेखं किसी क्षेत्र के प्रमुख परिवहन केन्द्रों व
परिवहन मार्गों के निर्धारण में हमारी सहायता करते हैं। हमें इनसे उन केन्द्र बिन्दुओं
(Nodal Points) का पता चलता है जहाँ अनेक मार्ग आकर मिलते हैं। क्षेत्रीय आयोजन में
प्रवाह आरेखों का महत्त्व निर्विवाद है।
प्रश्न 8. वर्णमात्री मानचित्र क्या हैं?
उत्तर:
वर्णमात्री (छाया) मानचित्र-ये वे मानचित्र हैं जिनमें प्रशासकीय इकाइयों को आधार मानकर
आँकड़ों की सहायता से भौगोलिक तत्त्वों का क्षेत्रीय वितरण दर्शाया जाता है। वर्णमात्री
विधि में क्षेत्रीय तथ्यों की मात्रा या घनत्व को दिखाने के लिए विभिन्न छायाओं
(Shades) का प्रयोग किया जाता है। इस विधि की सबसे उल्लेखनीय विशेषता यह है कि इसमें
केवल सापेक्षिक.आँकड़ों का प्रयोग किया जाता है, शुद्ध या निरपेक्ष आँकड़ों का नहीं।
मौखिक प्रश्नों के उत्तर
प्रश्न 1. सांख्यिकीय आरेख क्या होते हैं?
उत्तर:
सांख्यिकीय आरेख ऐसे रेखाचित्र होते हैं जिनकी रचना सांख्यिकीय आँकड़ों के आधार पर
की जाती है।
प्रश्न 2. क्या सांख्यिकीय आरेख आँकड़ों का शुद्ध प्रदर्शन कर पाते
हैं?
उत्तर:
सांख्यिकीय आरेखों द्वारा आँकड़ों का शुद्ध प्रदर्शन सम्भव नहीं हो पाता क्योंकि आरेख
बनाते समय हमें शुद्ध आँकड़ों को पूर्णांकों में बदलना पड़ता है।
प्रश्न 3. क्या आरेख आँकड़ों का प्रतिस्थापन है?
उत्तर:
आरेख आँकड़ों का प्रतिस्थापन कभी नहीं हो सकता क्योंकि आँकड़ों की समस्त खूबियों को
रेखाचित्रों के माध्यम से प्रदर्शित नहीं किया जा सकता।
प्रश्न 4. दण्ड आरेख का गुण बताइए।
उत्तर:
दण्ड आरेख को आम आदमी समझ सकता है तथा इनसे तुलनात्मक अध्ययन भी आसान हो जाता है।
प्रश्न 5. प्रवाह आरेख क्या है?
उत्तर:
परिवहन के साधनों, व्यक्तियों, वस्तुओं, नदियों व नहरों के जल के प्रवाह को दर्शाने
वाले रेखाचित्र ‘प्रवाह आरेख’ कहलाते हैं।
प्रश्न 6. प्रवाह आरेखों की क्या उपयोगिता है?
उत्तर:
•
प्रवाह आरेखों से महत्त्वपूर्ण मार्गों व केन्द्रों के निर्धारण में सहायता मिलती है।
•
इनसे प्रमुख केन्द्रों के प्रवाह क्षेत्र को निर्धारित करने में भी सहायता मिलती है।
प्रश्न 7. सममान रेखा विधि क्या होती है?
उत्तर:
यह मानचित्र पर बिन्दु आँकड़ों की सहायता से वितरण दिखाने की वह विधि है जिसमें समान
मूल्य वाले बिन्दुओं को एक रेखा द्वारा मिला दिया जाता है।
प्रश्न 8. अन्तर्वेशन क्या होता है? .
उत्तर:
सममान रेखा मानचित्र बनाते समय दो ज्ञात मूल्य वाले बिन्दुओं के बीच में किसी और मान
वाले बिन्दु की स्थिति निर्धारित करना ‘अन्तर्वेशन’ कहलाता है।
बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. आरेखों, आलेखों और मानचित्रों के चित्रांकन का सामान्य नियम
है
(a)
उपयुक्त विधि का चयन
(b)
उपयुक्त मापनी का चयन
(c)
अभिकल्पना
(d) उपर्युक्त सभी।
प्रश्न 2. थिमैटिक मानचित्र का प्रकार है
(a)
बिन्दुकित मानचित्र
(b)
वर्णमात्री मानचित्र
(c)
सममान रेखा मानचित्र
(d) उपर्युक्त सभी।
प्रश्न 3. आरेख का प्रकार है
(a)
रेखाचित्र
(b)
दण्ड आरेख
(c)
वृत्त रेखाचित्र
(d) उपर्युक्त सभी।
प्रश्न 4. दण्ड आरेख का प्रमुख प्रकार है.
(a)
क्षैतिज दण्ड आरेख
(b)
लम्बवत् दण्ड आरेख
(c)
संश्लिष्ट दण्ड आरेख
(d) उपर्युक्त सभी।
प्रश्न 5. वितरण मानचित्र के प्रकार हैं
(a) दो
(b)
तीन
(c)
चार
(d)
पाँच।
प्रश्न 6. परिवहन के साधनों, मनुष्यों, वस्तुओं की गति आदि को दर्शाने
वाले आरेख को कहते हैं
(a)
वृत्त रेखाचित्र
(b) प्रवाह आरेख
(c)
मिश्रित दण्ड आरेख
(d) इनमें से कोई नहीं।