विलियमसन का प्रबंधकीय विवेक सिद्धांत (WILLAMSON'S MANAGERIAL DISCRETION THEORY)

विलियमसन का प्रबंधकीय विवेक सिद्धांत (WILLAMSON'S MANAGERIAL DISCRETION THEORY)

विलियमसन का प्रबंधकीय विवेक सिद्धांत

(WILLAMSON'S MANAGERIAL DISCRETION THEORY)

Or

विलियमसन का उपयोगिता अधिकतमीकरण मॉडल

(WILLIAMSON'S UTILITY MAXIMISATION MODEL)

Oliver E. Williamson ने अपने (Thesis, Dissertation ) लेख "The Economics of Discretionary Behaviour: Managerial Objectives in a Theory of the Firm" (1964) में विलियमसन ने प्रबंधकीय उपयोगिता अधिकतमकरण मॉडल (Managerial Utility Maximization Model) का विकास किया है । यह प्रबंधकीय सिद्धांतों में से एक हैं जिसको उपयोगिता अधिकतमकरण (utility maximisation) सिद्धांत भी कहते हैं।

बड़ी आधुनिक फर्मों में शेयरधारकों और प्रबन्धकों के दो अलग-अलग समूह होते हैं। शेयर धारक अपने निवेश पर अधिकतम प्रतिफल चाहते हैं जिससे कि अधिकतम लाभ प्राप्त किया जा सके। दूसरी तरफ, प्रबन्धक अपने उपयोगिता कार्यों में अधिकतम लाभ की अपेक्षा अन्य पहलुओं पर भी ध्यान देते हैं इस प्रकार प्रबंधक न केवल अपनी आय बल्कि अपने स्टाफ की संख्या और उन पर किए जाने वाले व्यय में भी रुचि रखते हैं । अतः विलियमसन का सिद्धान्त प्रबन्धकों की उपयोगिता के अधिकतम (maximization of utility of managers) होने से सम्बन्धित है जो कि स्टाफ पर होने वाले व्यय ( staff expenses) तथा उनको मिलने वाली आय (their income) एवं विवेक-निधियों (discretionary funds) पर निर्भर है।

U = f (S, Y, D)

U= प्रबन्धकों की उपयोगिता के अधिकतम (maximization of utility of managers)

S = स्टाफ पर होने वाले व्यय ( staff expenses)

Y = आय (income)

D = विवेक-निधियों (discretionary funds)

जहां तक पूंजी बाजार में दबाव और वस्तु बाजार में प्रतियोगिताका प्रश्न है यह अपूर्ण है इसलिए प्रबन्धक अपने विवेक से लाभों के अलावा अन्य उद्देश्यों को प्राप्त करते हैं।

प्रबंधक एक विस्तृत रेंज के चरों से उपयोगिता प्राप्त करते हैं। इसके लिए विलियमसन व्यय प्राथमिकताओं (expense preferences) की धारणा को प्रस्तुत करता है। इसका मतलब है कि "प्रबंधक, फर्म के कुछ संभावित लाभों को कई मदों पर अनावश्यक व्यय करके संतुष्टि प्राप्त करते हैं तथा वे व्यक्तिगत तौर से फायदा उठाते हैं।" अधिकतम उपयोगिता के अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए प्रबन्धक फर्मों के संसाधनों को तीन प्रकार से दिशा-निर्देश देते हैं: -

1. प्रबन्धक अपने स्टाफ तथा उनका वेतन बढ़ाना चाहता है। अधिक स्टाफ का महत्त्व इसलिए होता है क्योंकि इससे प्रबन्धक को अधिक वेतन, अधिक प्रतिष्ठा और अधिक सुरक्षा मिलती है। प्रबंधकों द्वारा स्टाफ व्यय (Staff Expenses) को S द्वारा दिखाया जाता है।

2. अपनी उपयोगिता को अधिकतम करने के लिए प्रबन्धक सुन्दर लड़कियों को निजी सचिव बनाने, कम्पनी कारों, कम्पनी फोनों, कर्मचारियों के लिए अन्य सुविधाएं प्रदान कराने में लग जाते हैं। विलियमसन ने ऐसे व्ययों 'को 'प्रबन्धन-शिथिलता' (Management Slack-M) माना है।

3. प्रबन्धक अग्रिम निवेश करने के लिए अथवा जो कम्पनी परियोजना उनको अच्छी लगती है उन्हें विशाल करने के लिए "विवेकाधीन कोष" (Discretionary Funds - D) बनाना चाहते हैं। विवेकाधीन लाभ अथवा निवेश (D) वह राशि है जो कि कर और शेयरधारकों को लाभांश देने के बाद फर्म के प्रभावी नियन्त्रण के लिए प्रबन्धक के पास शेष रहती है।

इस प्रकार प्रबन्धक का उपयोगिता फलन निम्नलिखित है:-

U = f (S, M, D)

जहां,

U = उपयोगिता फलन (utility function)

S = स्टाफ व्यय (staff expenses)

M= प्रबन्धन-शिथिलता (Management Slack)

D = विवेकाधीन निवेश (discretionary investment)

ये निर्णय चर (S, M. D) धनात्मक (positive) उपयोगिता प्रदान करते हैं और फर्म सदा उनके मूल्य S ≥ 0, M ≥ 0, D ≥ 0 प्रतिबंध की शर्त के अधीन चुनती है। विलियमसन यह मानता है कि घटती सीमांत उपयोगिता का नियम लागू होता है। इसलिए जब S. M और D प्रत्येक में वृद्धि की जाती है तो वे प्रबंधक को उपयोगिता की छोटी वृद्धियां देती हैं।

इसके अलावा, विलियमसन कीमत (P) को उत्पादन (X), स्टाफ (S) के व्यय और वातावरण की स्थिति (environmental conditions- E) के फलन के रूप में मानता है जिसे वह मांग परिवर्तन पैरामीटर (E) कहता है, ताकि -

P= f (X,S, E)

यह सम्बन्ध निम्नलिखित प्रतिबन्ध की शर्तों के अधीन है.

(A) मांग फलन को ऋणात्मक ढाल वाला माना गया है : δPδYδPδY< 0

(B) स्टाफ के व्ययों से फर्म की वस्तु की मांग बढ़ने में सहायता मिलती है : δPδS  > 0 तथा

(C) मांग परिवर्तन पैरामीटर E में वृद्धि से मांग बढ़ती  है : δPδE > 0

ये संबंध बताते हैं किX के लिए मांग P के साथ ऋणात्मक रूप से संबंधित है परन्तु S और E के साथ धनात्मक रूप से संबंधित है। जब मांग बढ़ती है, तो उत्पादन और स्टाफ पर व्यय भी बढ़ेंगे जो फर्म की लागतों को बढ़ा देंगे, और परिणामस्वरूप कीमत बढ़ेगी और जब मांग घटती हैं, तो उत्पादन और स्टाफ पर व्यय भी घटेंगे जो फर्म की लागतों को घटा देंगे और परिणामस्वरूप कीमत घट जाएगी।

अपने मॉडल को औपचारिक रूप देने के लिए, विलियमसन चार विभिन्न प्रकार के लाभों को लेता है : वास्तविक लाभ, रिर्पोटिड लाभ, न्यूनतम आवश्यक लाभ, और विवेकाधीन (discretionary) लाभ । यदि - R = revenue, C = total production costs और T = taxes, तो वास्तविक लाभ,

πA =R-C-S

यदि प्रबंधात्मक आय (M) को वास्तविक लाभों से घटा दिया जाए तो रिर्पोटिड लाभ (πR) प्राप्त होते हैं इस प्रकार

πR = πA - M (या R - C -S-M)

न्यूनतम आवश्यक लाभ (minimum required profit), π0 टैक्स देने के बाद लाभों का न्यूनतम स्तर है जो शेयरहोल्डरों को अवश्य प्राप्त होने चाहिए ताकि वे फर्म के शेयरों को अपने पास रख सकें। विवेकाधीन लाभ (D) वे होते हैं जो प्रबंधक के पास कर और शेयरहोल्डरों को लाभांश देने के बाद बचते हैं,

इसलिए D = πR = π0 - T

D = विवेकाधीन लाभ (discretionary benefits)

πR = रिर्पोटिड लाभ (Reported Profit)

π0 = न्यूनतम आवश्यक लाभ (minimum required profit)

T = कर (Tax)

विलियमसन के उपयोगिता अधिकतमकरण मॉडल को चित्र द्वारा व्यक्त करने के लिए सरलता के लिए यह मान लिया जाता है कि-

विलियमसन का प्रबंधकीय विवेक सिद्धांत (WILLAMSON'S MANAGERIAL DISCRETION THEORY)

उपर्युक्त रेखाचित्र में विवेकाधीन लाभों (D) को अनुलंब अक्ष पर और स्टाफ व्यय (S) को क्षैतिज अक्ष पर मापा गया है। FC संभाव्यता वक्र (probability curve) है जो प्रबंधक को प्राप्य (receivable) D और S के संयोगों को दर्शाता है। इसे लाभस्टाफ वक्र भी कहते हैं। UU1, और UU2, वक्र प्रबंधक के उदासीनता वक्र हैं जो D और S के संयोगों को दिखाते हैं। जब हम लाभ-स्टाफ वक्र पर F बिन्दु से ऊपर की ओर जाते हैं, तो लाभ और स्टाफ व्यय दोनों बढ़ते हैं। जब तक कि बिन्दु P नहीं पहुंच जाता है। फर्म के लिए P लाभ अधिकतमकरण का बिन्दु है जहां SP अधिकतम लाभ का स्तर है जब OS स्टाफ व्यय किए जाते हैं। परन्तु फर्म का संतुलन तब होता है जब प्रबंधक का उच्चतम वक्र UU2, और FC वक्र एक दूसरे को M बिन्दु पर स्पर्श करते हैं। इस बिन्दु M पर प्रबंधक की उपयोगिता अधिकतम हो जाती है। विवेकाधीन लाभ OD = (S, M) अधिकतमकरण लाभों (maximizing profits) SP से कम हैं, परन्तु स्टाफ पारिश्रमिक (emoluments) OS, अधिकतम हो जाता है।

विलियमसन यह बताता है कि कर व्यावसायिक स्थितियों में परिवर्तन आदि कारक (Factor ) संभाव्यता वक्र (probability curve) को प्रभावित करके इष्टतम स्पर्श बिन्दु, जैसे:- चित्र में M, को शिफ्ट

कर सकते हैं। इसी प्रकार स्टाफ, उसके पारिश्रमिक, शेयरहोल्डरों के लाभों में परिवर्तन आदि घटक उपयोगिता फलन (Utility Function) की आकृति परिवर्तित करके इष्टतम स्थिति को शिफ्ट कर सकते हैं।

आलोचनात्मक मूल्यांकन (Critical Appraisal)

विलियमसन ने अपने उपयोगिता अधिकतमकरण सिद्धांत का अनेक प्रमाणों द्वारा समर्थन किया है जो उसके मॉडल के साथ सामान्य तौर से मेल खाते हैं। इस प्रकार उसका सिद्धांत आनुभविक तौर से अन्य प्रबंधकीय सिद्धांतों की तुलना में अधिक सही है।

यह मॉडल बोमल के विक्रय-अधिकतमकरण सिद्धांत से भी श्रेष्ठ है, क्योंकि यह बोमल के सिद्धांत में पाए जाने वाले तत्त्वों की भी व्याख्या करता है। बोमल की तरह विलियमसन विक्रय अधिकतमकरण को एक एकल मापदण्ड नहीं लेता बल्कि प्रबंधक का एक साधन मानता है जिससे स्टाफ और उसकी आय को बढ़ाया जा सके। यह व्याख्या अधिक वास्तविक है।

विलियमसन के मॉडल में लाभ अधिकतमकरण मॉडल की तुलना में उत्पादन अधिक तथा कीमत और लाभ कम होते हैं। सिलबर्सटन (silberston) ने यह दर्शाया है कि विलियमसन का मॉडल पूर्ण अथवा शुद्ध प्रतियोगिता की स्थितियों में सामान्य लाभ अधिकतमकरण मॉडल के परिणामों को सुरक्षित रखता है।

इसकी कमियां (Its Weaknesses) -

इस मॉडल की कुछ धारणात्मक कमियां हैं

(1) विलियमसन अपने संभाव्यता वक्र की व्युत्पत्ति के आधार को स्पष्ट नहीं करता है। विशेषकर, वह लाभ-स्टाफ संबंध में प्रतिबंध (constraint) को दर्शाने में असफल रहा है, जैसा कि संभाव्यता वक्र की आकृति द्वारा दिखाया गया है।

(2) वह उपयोगिता वक्र में स्टाफ और प्रबंधक के पारिश्रमिकों को इकट्ठा कर देता है। इस प्रकार प्रबंधक के गैर-आर्थिक और आर्थिक लाभों को मिला देने से उपयोगिता फलन अस्पष्ट बन जाता है । इन कठिनाइयों को तीन-आयामी (three dimensional) चित्र द्वारा दूर किया जा सकता है । परन्तु यह विश्लेषण को बहुत जटिल बना देगा।

(3) यह मॉडल अल्पाधिकार परस्पर निर्भरता और अल्पाधिकार स्पर्धा पर विचार नहीं करता है।

(4) हाकिन्स के अनुसार, अधिकतर अर्थशास्त्री विलियमसन के प्रबंधकीय विवेक सिद्धांत को आगे बढ़ाने के इच्छुक नहीं हैं, इस ज्ञान के कारण कि इतने घटक (जैसे लाभ, बिक्री, उत्पादन, वृद्धि, स्टाफ की संख्या और बढ़िया आफिसों और कारों पर व्यय) उद्योग में लोगों को उपयोगिता देते हैं कि वे ऐसे मॉडल पर समाप्त हो जाएं जो कोई सुनिश्चित परिणाम देने में असमर्थ हो।

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