15. संस्थाओं में वस्त्रों की देख-भाल और रख-रखाव

15. संस्थाओं में वस्त्रों की देख-भाल और रख-रखाव
15. संस्थाओं में वस्त्रों की देख-भाल और रख-रखाव

Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1. वस्त्रों की देखभाल और रखरखाव के दो पहलू क्या हैं?

उत्तर : वस्त्रों की देखभाल और रखरखाव के दो पहलू निम्नलिखित हैं-

  • सामग्री को भौतिक क्षति से मुक्त रखना और यदि उसका प्रयोग करते समय कोई क्षति पहुँची है तो उसमें सुधार करना।
  • धब्बों और धूल को हटाते हुए उसके रूप-रंग और चमक को बनाए रखना एवं उसकी बनावट तथा दृष्टिगोचर होने वाली विशेषताओं को बनाए रखना।

प्रश्न 2. वे कौन-से कारक हैं, जो वस्त्रों की सफाई की प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं?

उत्तर : वस्त्रों की सफाई की प्रक्रिया को प्रभावित करने वाले कारक हैं-

  • वस्त्रों के रेशों की मात्रा,
  • धागे के प्रकार और वस्त्र निर्माण की तकनीकें
  • वस्त्रों की दी गई सुसज्जा और
  • उनको कहाँ उपयोग में लाना है। इस दृष्टि से कुछ व्यावसायिक धुलाईघरों में अस्पतालों और संस्थाओं के लिए अलग खंड हो सकते हैं। उसमें निर्जल धुलाई रेशा विशिष्ट वस्त्रों, जैसे-ऊनी वस्त्र, रेशमी वस्त्र और सिंथेटिक वस्त्र, कंबलों और कालीनों जैसी वस्तुओं के लिए अलग खंड हो सकते हैं।

कुछ धुलाईघरों में रंगाई और जरी पालिश जैसी विशिष्ट सुसज्जा की व्यवस्था भी होती है। वस्त्रों को कहाँ उपयोग में लाना है? इस दृष्टि से भी सफाई की प्रक्रिया में अन्तर आ जाता है। उदाहरण के लिए, बददरों, पोशाकों, तकिए इत्यादि की धुलाई में पक्के धब्बों पर ध्यान नहीं दिया जाता है और स्टार्च लगाने और सफेदी लाने जैसी सुसज्जा को भी शामिल नहीं किया जाता है। मरम्मत करना और सुधारना तथा अनुपयोगी सामग्री का निपटान करना अपेक्षित सेवाओं में शामिल किया भी जा सकता है और नहीं भी।

सरी तरफ, होटलों और रेस्टोरेंटों के लिए सामग्री का सौंदर्य बोध और अंतिम सज्जा पर अधिक महत्व दिया जाता है। अस्पतालों के वस्त्र जहाँ अधिकांश सामग्री सूती और अस्पताल के विशेष रंग में रंगे हुए होते हैं, वहाँ होटलों और रेस्टोरेंटों की सामग्री भिन्न रेशों वाली होती है।

इसके अतिरिक्त यहाँ के वस्त्रों की सफाई (धुलाई) में वस्त्रों की अंतिम परिसज्जा-स्टार्च लगाना, प्रेस करना तथा सही तह लगाने पर बल दिया जाता है।

प्रश्न 3. एक व्यावसायिक या औद्योगिक धुलाईघर में विभिन्न विभागों की व्यवस्था कैसे की जाती है?

उत्तर : एक व्यावसायिक या औद्योगिक धुलाईघर विभिन्न भागों में व्यवस्थित किए जाते हैं। यहाँ विभिन्न विभागों की व्यवस्था निम्न प्रकार की जाती है

  • यहाँ धुलाई का प्रत्येक विभाग एक विशिष्ट कार्य से संबंधित होता है, जैसे-धुलाई, जल निष्कासन, सुखाना, प्रेस करना।
  • कुछ धुलाईघरों में अस्पतालों और संस्थाओं के लिए अलग खंड हो सकता है और वैयक्तिक तथा निजी कार्यों के लिए अलग खंड हो सकता है।
  • ऐसे धुलाईघरों में निर्जल-धुलाई रेशा वाली विशिष्ट वस्तुओं, जैसे-ऊनी वस्त्र, रेशमी वस्त्र, सिंथेटिक वस्त्र, कंबल और कालीनों की धुलाई के लिए अलग खंड हो सकते हैं।
  • कुछ धुलाईघरों में रंगाई और जरी पालिश जैसी विशिष्ट सुसज्जा की भी व्यवस्था होती है।
  • अधिकांश धुलाई घरों में निरीक्षण, सामग्री को छांटकर अलग करना और पूर्व उपचारों, जैसे-रफू करना, मरम्मत करना और धब्बे हटाना आदि के लिए इकाइयाँ होती हैं।
  • सभी व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में रिकार्ड रखने की एक पद्धति होती है। जब कोई वस्तु प्राप्त की जाती है तो उसकी जाँच की जाती है और कोई भी क्षति अथवा आवश्यक विशेष देखभाल को लिखा जाता है.। ग्राहक को एक रसीद दी जाती है जिसमें वस्त्रों की संख्या, उनका प्रकार और तैयार होने पर देने की तारीख लिखी जाती है। रसीद के अनुरूप वस्त्रों पर सांकेतिक पट्टियों की पद्धति प्रत्येक ग्राहक या रसीद के वस्त्रों को पहचानने में मदद करती है।

प्रश्न 4. व्यावसायिक धुलाईघरों और अस्पतालों के धुलाई कार्य की प्रक्रिया में क्या अन्तर है?

उत्तर : व्यावसायिक धुलाईघरों और अस्पतालों के धुलाई कार्य की प्रक्रियाओं में अन्तर

(1) व्यावसायिक धुलाई घर विभिन्न भागों में व्यवस्थित किए जाते हैं और प्रत्येक विभाग एक विशिष्ट कार्य से संबंधित होता है, जैसे-धुलाई, जल निष्कासन, सुखाना, प्रेस करना आदि।

अस्पतालों के धुलाईघर में भी ये सभी कार्य किए जाते हैं लेकिन आवश्यक नहीं है कि ये सभी कार्य अलग अलग भागों में विभाजित किए गए हों; बड़े अस्पतालों के धुलाईघरों में ये सभी कार्य व्यावसायिक धुलाईघरों की तरह विभिन्न भागों में व्यवस्थित किए जाते हैं, लेकिन छोटै अस्पतालों में ऐसा नहीं होता है।

(2) कछ धलाईघरों में अस्पतालों और संस्थाओं के लिए अलग खंड हो सकता है और वैयक्तिक तथा निजी कार्यों के लिए अलग खंड हो सकता है। लेकिन अस्पतालों के धुलाईघरों में इस प्रकार का विभाजन नहीं होता है क्योंकि अस्पतालों के गंदे कपड़ों में बिस्तर की चादरें, रोगियों की पोशाकें, डाक्टरों की पोशाकें होती हैं जो सूती कपड़े की तथा एक विशेष रंग के कपड़ों की होती है। यहाँ प्रतिदिन की धुलाई मुख्य रूप से सूती कपड़ों की होती है। इसलिए यहाँ विभिन्न प्रकार के कपड़ों की धुलाई के अलग-अलग खंड नहीं होते हैं।

दूसरी तरफ व्यावसायिक धुलाई घरों में कपड़े विभिन्न प्रकार के होते हैं, जैसे-सूती कपड़े (सूती सफेद कपड़े, रंगीन कपड़े), विशिष्ट रेशों के कपड़े, जैसे-ऊनी वस्त्र, रेशमी वस्त्र और सिंथेटिक वस्त्र, कंबल और कालीन। इसलिए यहाँ इनकी धुलाई के अलग-अलग खंड हो सकते हैं।

(3) अस्पताल के धुलाईघर में स्वास्थ्य, स्वच्छता और विसंक्रमण का ध्यान रखा जाता है। यहाँ पर पक्के धब्बों पर बहुत ध्यान नहीं दिया जाता है और स्टार्च और सफेदी लाने जैसी सुसज्जा को भी शामिल नहीं किया जाता। यहाँ तक कि प्रेस करना भी बहुत पूर्णता से नहीं होता।

दूसरी तरफ व्यावसायिक धुलाईघरों में वस्त्रों के दाग-धब्बों, स्यर्च और सफेदी लाने जैसी सुसज्जा तथा पूर्णता के साथ प्रेस करने का विशेष ध्यान रखा जाता है।

(4) अस्पताल के धुलाईधरों में रंगाई और जरी पॉलिश जैसी विशिष्ट सुसज्जा की व्यवस्था नहीं होती है, जबकि व्यावसायिक धुलाई घरों में रंगाई और जरी पॉलिश जैसी विशिष्ट सुसज्जा की भी व्यवस्था रहती है।

(5) अधिकांश व्यावसायिक धुलाईघरों में अनिवार्य रूप से निरीक्षण, सामग्री को छाँटकर अलग करना और पूर्व उपचारों, जैसे-रफू करना, मरम्मत करना और धब्बे हटाने के लिए इकाइयाँ होती हैं, जबकि अस्पतालों के धुलाईघरों में बिस्तर की चादरों को साफ, हल्की गंदी और ज्यादा गंदी में वर्गीकृत कर अलग किया जाता है, रोगियों की तथा डॉक्टरों की पोशाकों और कंबलों को अलग-अलग किया जाता है लेकिन यहाँ पूर्व उपचारों, जैसे-रफू करने, मरम्मत करने और धब्बे हटाने की सेवाओं को शामिल किया भी जा सकता है और नहीं भी।

(6) व्यावसायिक धुलाईघरों में आवश्यकता पड़ने पर मेहमानों के व्यक्तिगत कपड़ों की धुलाई का भी ध्यान रखना पड़ता है, जबकि अस्पतालों के धुलाईघरों में ऐसा किया जाना संभव नहीं होता है।

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