प्रश्न :- आप मांग के नियम की कैसे निर्धारित (व्युत्पादन) कर सकते है? अनधिमान वक्रो की सहायता से व्याख्या
करें?
उत्तर
:- माँग वक्र से हमलोग भली भाँति
परिचित है। परन्तु यह माँग वक्र मार्शल की इस धारणा के आधार पर खींचा जाता है कि
उपयोगिता को नापा जा सकता है और मुद्रा की सीमात उपयोगिता स्थिर रहती है। अनधिमान वक्र की पद्धति में माँग की इन
अवास्तविक मान्यताओं के बिना भी व्युत्पत्ति की जाती है।
मांग वक्र वह वक्र है जो यह बताती है कि एक पदार्थ
विभिन्न कीमतों पर कितनी मात्रा में खरीदा जाता है। इसमें यह मान लिया जाता है कि
उपभोक्ता की रुचियां, आय तथा अन्य पदार्थों की कीमते पूर्ववत् रहती है। यदि
गम्भीरता से विचार किया जाये तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि किसी पदार्थ के लिए व्यक्ति
का मांग वक्र किसी न किसी
रूप में उस पदार्थ के लिए उसके कीमत उपभोग वक्र (Price
Consumption Curve) से सम्बंधित होगा। ये दोनों वक्र समान जानकारी देते हैं। अन्तर केवल यह है कि माँग वक्र यह जानकारी अधिक उपयोगी
रूप से देता है।
कीमत-उपभोग वक्र (PCC) के आधार पर माँग वक्र किस प्रकार व्युत्पादित किया जा सकता है, यह रेखाचित्र द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है
उपर्युक्त रेखाचित्र में X अक्ष पर पदार्थ X के लिए मांग वक्र खींचा गया है तथा
Y अक्ष में मुद्रा की इकाइयां को
दर्शोया गया है। माना कि उपभोक्ता के पास 300 रुपये है जो उससे वस्तुओं पर खर्च
करने हैं। यदि पदार्थ X की कीमत 15 रु. है तो सम्बद्ध बजट रेखा PL1 होगी । उपभोक्ता कीमत उपभोग वक्र
(PCC) के बिन्दु Q1 पर सन्तुलन की अवस्था में होगा।
वह X पदार्थ की OA इकाइयाँ खरीदेगा। यदि पदार्थ X की कीमत कम होकर 10 रु. प्रति इकाई
हो जाती है और सम्बद्ध बजट रेखा PL2 हो जाती है, तो उपभोक्ता उच्चतर
अनधिमान वक्र IC2 पर कीमत उपभोग वक्र के बिन्दु Q2 पर संतुलन की अवस्था पर होगा और वह पदार्थ X की OB मात्रा क्रय करेगा। इसी प्रकार,
जब कीमत 7.5 रु. है तो बजट रेखा PL3 होगी और उपभोक्ता पदार्थ की OC मात्रा क्रय करेगा और जब कीमत 6
रु. प्रति इकाई है तो बजट रेखा PL4 होगी और वह वस्तु की OD मात्रा क्रय करेगा ।
उपर्युक्त सूचना के आधार पर माँग अनुसूची तैयार की जा
सकती है-
माँग अनुसूची
बजट रेखा |
कीमत (रुपये प्रति इकाई) |
माँग की मात्रा |
PL1 |
15 |
OA |
PL2 |
10 |
OB |
PL3 |
7.5 |
OC |
PL4 |
6 |
OD |
चित्र के निचले भाग में अक्ष Y पर वस्तु की कीमत दर्शाई गई है और
अक्ष X पर वस्तु की माँग मात्रा को मापा
गया है। ऊपर के भाग से हम जानते है कि जब वस्तु की कीमत 15 रुपये है तो उपभोक्ता
वस्तु की OA मात्रा
की मांग करता है, जब कीमत 10 रुपये प्रति इकाई है तो वह OB मात्रा की मांग करता है, जब कीमत
7.5 रु. है तो OC मात्रा
खरीदता है और जब कीमत 6 रू. है तो वह वस्तु की OD मात्रा की
मांग करता है। इस सामग्री के आधार पर K,L,S,T बिन्दु प्राप्त करते है। एक सतत्
वक्र (Continuous curve) द्वारा इन बिन्दुओं को जोड़कर हम पदार्थ X के लिए माँग वक्र प्राप्त करते
है। माँग वक्र का यही सामान्य रूप है। इस प्रकार हम पाते है कि माँग वक्र बायें से
दायी ओर को झुकता हुआ है। अर्थात् माँग वक्र की ढाल ऋणात्मक होती है। इसे गणितीय
विधि द्वारा स्पष्ट कर सकते है-
Dt = α + apt
or, D = α + ap --------(1)
मान
लें की कीमत में वृद्धि ΔP
हुई है अत: माँग में कमी होगी। मान लें की यह
कमी ΔD है।
अतः
(D - ∆D)
= α + a(p + ∆p)
or,
(D
- ∆D)
= α + ap + a∆p ---------(2)
समी. (1) और (2) से
D
– (D -ΔD) = α
+ ap –(α + ap + aΔp)
D
– D + ΔD = α
+ ap – α – ap – aΔp
ΔD
= - aΔp
Where ΔD = Change in demand
or, Slope of demand Curve
गिफन पदार्थों के लिए माँग वक्र की व्युत्पत्ति
माँग वक्र नीचे की ओर झुका हुआ है जैसा कि सामान्य वस्तुओं की दशा में होता है। माँग वक्र दो शक्तियों आय प्रभाव तथा प्रतिस्थापन प्रभाव के क्रिया करने पर नीचे को झुकता है। सामान्यतया आय प्रभाव तथा प्रतिस्थापन प्रभाव दोनों ही उस वस्तु की माँग- मात्रा बढ़ाते है जिसकी कीमत घट जाती है और इसी कारण ही माँग वक्र नीचे की ओर झुकता है। परन्तु गिफन पदार्थ की दशा में, माँग वक्र बायें से दाये ऊपर की ओर चढ़ता हुआ होता है। कारण यह है कि गिफन पदार्थ की अवस्था मे आय प्रभाव जो कि ऋणात्मक होता है प्रतिस्थापन प्रभाव की विपरीत दिशा में कार्य करता है तथा उससे अधिक प्रबल होता है। परिणामस्वरूप गिफन पदार्थ की माँग- मात्रा कीमत के घटने पर घट जाती है। अतएव इसका माँग वक्र बायें से दाये ऊपर की ओर चढ़ता है। गिफन पदार्थ के लिए माँग वक्र की व्युत्पत्ति को चित्र द्वारा प्रदर्शित कर सकते हैं
उपर्युक्त रेखाचित्र में एक गिफन वस्तु के लिए अनधिमान वक्रों IC1, IC2, और IC3 तथा
विभिन्न बजट रेखाओं PL1, PL2, तथा PL3 जो कि वस्तु की विभिन्न कीमतों को व्यक्त करती है को खींचा
गया है। गिफन पदार्थ का कीमत उपभोग वक्र PCC पीछे को मुड़ता हुआ होता है।
चित्र के ऊपरी भाग को देखने पर ज्ञात होता है कि जब बजट रेखा PL1 है (कीमत P1) तो
उपभोक्ता कीमत उपभोग वक्र PCC के
बिन्दु Q1 पर संतुलन में
है और वस्तु X की OM1 मात्रा खरीद रहा है। कीमत के P1 से गिरकर P2 हो जाने और फलस्वरूप बजट रेखा के PL1 से PL2 को
सरक जाने पर उपभोक्ता बिन्दु Q2 पर संतुलन में हो जाता है और अब वह वस्तु की OM2
मात्रा को क्रय करता है। चित्र से स्पष्ट है कि OM2 मात्रा OM1 की अपेक्षा कम है। अतः यहाँ पर वस्तु की कीमत के P1 से घट कर P2 हो
जाने पर वस्तु की मात्रा भी घट गई है। इसी प्रकार जब वस्तु की कीमत और घट कर P3 तक पहुंच जाती है जिससे बजट रेखा PL3 हो जाती है तो
उपभोक्ता बिंदु Q3 पर संतुलन में है और
इस पर वस्तु की OM3 मात्रा खरीदता है जो OM2 से
कम है।
इन विभिन्न कीमतों पर क्रय-मात्राओं की जानकारी से हम चित्र के निचले भाग में
मांग वक्र बनाते हैं। चित्र के निचले भाग से स्पष्ट होगा कि गिफन पदार्थ का मांग
वक्र ऊपर को चढ़ता हुआ है जो कि यह दर्शाता है कि वस्तु की मांग-मात्रा उसकी कीमत
में परिवर्तन की दिशा में बदलती है अर्थात् जब कीमत बढ़ती है तो उसकी माँग मात्रा
भी बढ़ती है और जब कीमत घटती है तो उसकी माँग मात्रा भी घटती है।
माँग अनुसूची
बजट रेखा |
वस्तु X की कीमत |
वस्तु की क्रय मात्रा |
PL1 |
or P1 |
OM1 |
PL2 |
or P2 |
OM2 |
PL3 |
or P3 |
OM3 |
गणितीय विश्लेषण
Dt = α + apt --------(1)
St = β + bpt --------(2)
For equilibrium
Dt = St =
= α + apt = β + bpt
or, α + apt =
β +
bpt
or, α – β = bpt
- apt
or, α – β = pt
(b – a)
or,
Putting the value of Dt
{Demand}
we know that slope of demand curve we obtain first
derivative eqution (1)
गिफन
वस्तुओं की माँग वक्र की ढाल धनात्मक होते हैं जिसे गणितीय विधि द्वारा दिखाया जा
सकता है
Mathematical derivation of the demand curve the demand curve may derived from the equilibrium condition
and budget constant
For example assume that there are only two commodities
and that the total ability function is multiplication of the form
The marginal utility of x and y are
and,
subtracting the marginal utilities in the equilibrium
condition obtain:-
or, qy py
= qx . px
we may derive the demand for commodity x by Subtracting qy
py in the budget constraint
or, qy py + qx
. px = Y
or, 2 qx . px = Y
or,
Thus the demand for x is negative relate to its price Px
and positively to income Y. similarly the demand for Y is obtained by
subtracting qx . px in the budget Constraine
or,
In our particular example the demand curve symetric due
to the particular multiplicative from the consume utility function which we
assumed.
निष्कर्ष
उपर्युक्त तथ्यों के आधार पर हम इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि व्यक्तियो का माँग वक्र नीचे को झुका हुआ होगा क्योंकि जैसे किसी वस्तु की कीमत गिरती है तो सामान्यतः आय प्रभाव तथा प्रतिस्थापन प्रभाव दोनों ही वस्तु की माँग मात्रा को बढ़ाने की चेष्टा करते है। जब आय प्रभाव ऋणात्मक भी होता है तो माँग वक्र साधारणतः नीचे की ओर झुकेगा क्योंकि यह ऋणात्मक आय प्रभाव सामान्यतः प्रतिस्थापन प्रभाव से क्षीण होता है। केवल तब जबकि ऋणात्मक आय प्रभाव इतना प्रबल हो कि यह प्रतिस्थापन प्रभाव को कैंसल करके भी उससे अधिक रहे तो माँग वक्र बायें से दायी ओर ऊपर को चढ़ेगा अर्थात् गिफन पदार्थ की प्राप्ति होगी।
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