औसत लागत रेखा (Average Cost Curve)

औसत लागत रेखा (Average Cost Curve)

औसत लागत रेखा (Average Cost Curve)

प्रश्न :- औसत लागत रेखा 'U' आकार की क्यों होती है तथा दीर्घकालीन औसत लागत वक्र चौड़ी या चिपटी क्यों होती हैं?

☞ अल्पकालीन तथा दीर्घकालीन औसत लागत वक्र की प्रकृति एवं व्यवहार की व्याख्या कीजिए।

उत्तर :- किसी फर्म के लिए लागत की अवधारणा एक महत्त्वपूर्ण अवधारणा होती है। जिसके आधार पर फर्म अपने वस्तु का मूल्य निर्धारित करता है। कुल उत्पादन को उत्पादित इकाईयों से भाग देकर औसत लागत ज्ञात किया जाता है।

औसत लागत `\frac{TC}{Unit\of\Produce}`

एक अतिरिक्त इकाई का उत्पादन करने से लागत में जितनी वृद्धि होती है उसे उस इकाई विशेष की सीमांत लागत कहा जाता है

  MCn = TCn – TCn-1

जहां MCn = nवीं इकाई की सीमांत लागत

TCn = nवीं इकाई की कुल लागत

TC(n-1) = (n-1) इकाईयों की कुल लागत

औसत लागत एवं सीमांत लागत में संबंध

मूल्य सिद्धांत में AC तथा MC का संबंध अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।

औसत लागत रेखा (Average Cost Curve)

चित्र से स्पष्ट है कि AC वक्र गिरता है तथा MC वक्र एक सीमा तक गिरती हैकिंतु एक अवस्था के बाद यह बढ़ना आरंभ करता हैजब AC वक्र निम्नतम होता है तब MC वक्र AC वक्र को निम्नतम बिंदु पर काटते हुए तीव्र गति से ऊपर उठता है अर्थात MC,AC वक्र से ऊपर होता है

  Let, π = a+bx+cx2

 Where π = कुल लागत , x = उत्पादन , a,b,c = स्थिरांक 

`AC=\frac{\pi}X=\frac{a+bx+cx^2}x`

`\frac{d(AC)}{dx}=\frac{x(b+2cx)-(a+bx+cx^2)(1)}{x^2}`

`\frac{d(AC)}{dx}=\frac{x(b+2cx)-(a+bx+cx^2)}{x^2}--(1)`

Step -1

गिरते AC वक्र का विचार करने पर, समीकरण (1) से 

 लागत न्यूनतम करने पर `\frac{d(AC)}{dx}`<0

`\frac{b+2cx}x-\frac{(a+bx+cx^2)}{x^2}<0`

`\frac{b+2cx}x<\frac{(a+bx+cx^2)}{x^2}`

`b+2cx<\frac{(a+bx+cx^2)}x`

इसलिए MC < AC

यदि AC वक्र गिरता है तो MC वक्र भी गिरता है तथा AC वक्र के नीचे रहता है।

Step-2

यदि AC न्यूनतम हो तो : समीकरण (1) को लेने पर

 लागत न्यूनतम करने पर `\frac{d(AC)}{dx}`=0

`\frac{b+2cx}x-\frac{(a+bx+cx^2)}{x^2}=0`

`\frac{b+2cx}x=\frac{(a+bx+cx^2)}{x^2}`

`b+2cx=\frac{(a+bx+cx^2)}x`

इसलिए MC = AC

जब AC न्यूनतम होता है तो AC और MC बराबर होता है।

Step-3

उठते हुए AC वक्र का विचार करने पर : समीकरण (1) को लेने पर

लागत न्यूनतम करने पर `\frac{d(AC)}{dx}`>0

`\frac{b+2cx}x-\frac{(a+bx+cx^2)}{x^2}>0`

`\frac{b+2cx}x>\frac{(a+bx+cx^2)}{x^2}`

`b+2cx>\frac{(a+bx+cx^2)}x`

इसलिए MC > AC

इस तरह यदि AC में वृद्धि होती है तो MC में उससे अधिक तेजी से वृद्धि होती है जिससे MC वक्र AC वक्र से ऊपर रहता है।

[A] अल्पकाल काल में औसत लागत

अल्पकाल समय की वह अवधि है जिसके अंतर्गत उत्पादन में केवल परिवर्तनशील साधनों को परिवर्तित कर उत्पादन में परिवर्तन किया जाता है

औसत लागत रेखा (Average Cost Curve)

चित्र में ABC लागत वक्र है जो 'U' आकार का है और यह बताता है कि उत्पादन में वृद्धि करने से प्रारंभ में औसत लागत घटती है, OM उत्पादन करने पर यह न्यूनतम हो जाती है तथा उसके बाद यह बढ़ने लगता है।

अल्पकाल में औसत लागत की रेखा 'U' आकार की होती है इसके निम्नलिखित कारण है।

1. परिवर्तनशील अनुपात :- अल्पकाल में स्थिर साधनों को स्थिर रखकर जब परिवर्तनशील साधनों में वृद्धि की जाती है तो सबसे पहले उत्पत्ति वृद्धि नियम लागू होता है। इसके अंतर्गत जिस अनुपात में परिवर्तनशील साधनों को बढ़ाया जाता है उसमें अधिक अनुपात में उत्पादन में वृद्धि होती है। अतः इसे लागत ह्रास नियम भी कहा जाता है जिसके कारण उत्पादन बढ़ने से औसत लागत घटने लगता है।

जिस अनुपात में साधनों को बढ़ाया जाता है उसी अनुपात में उत्पादन में वृद्धि होती है तो इसे लागत समता नियम कहते है जिसके अंतर्गत औसत लागत स्थिर रहता है। अंत में उत्पत्ति ह्रास नियम अर्थात् लागत वृद्धि नियम लागू होता है। इस प्रकार औसत लागत पहले घटती है फिर स्थिर रहती है और अंत में बढ़ने लगती है जिससे इसकी आकृति 'U' आकार की हो जाती हैं।

2. औसत लागतऔसत स्थिर लागत एवं औसत परिवर्तनशील लागत का योगफल होता है -

 हम जानते हैं की  ,  TC = TFC + TVC

Where,

X = उत्पादन

TC = कुल लागत

TVC = कुल परिवर्तनशील लागत

TFC = कुल स्थिर लागत

से भाग लागाने पर

`\frac{TC}x=\frac{TFC}x=\frac{TVC}x`

AC = AFC + AVC

जहां, X = उत्पादन , TC = कुल लागत , TFC = कुल स्थिर लागत

TVC = कुल परिवर्तनशील लागत , AC = औसत लागत , AFC = औसत स्थिर लागत , AVC = औसत परिवर्तनशील लागत

औसत लागत रेखा (Average Cost Curve)

चित्र में AFC ऊपर से नीचे दाहिनी ओर झुकती है लेकिन अक्ष को स्पर्श नहीं करती है। यह बतलाती है की उत्पादन बढ़ने से औसत स्थिर लागत घटती है लेकिन शून्य नहीं होती है। AC वक्र दोनों के योगफल से 'U' आकृति की प्राप्त होती है।

    Q1F+ Q1V1 = Q1A1

    Q2F+ Q2V2 = Q2A2

    Q3F+ Q3V3 = Q3A3

    Q4F+ Q4V4 = Q4A4

दाहरण में उत्पादन के बढ़ने पर AFC तथा AVC दोनों घटता है इसलिए दोनों का योगफल AC घटता है। F बिंदु के बाद AVC बढ़ने का मान AFC से अधिक होता है। उसके बाद बढ़ने लगता है, जिसके कारण इसकी आकृति 'U' आकार की होती है।

3. र्म में स्थिर उत्पादन क्षमता अल्पकाल में स्थिर रहती हैं :- आवश्यक‌ता से कम परिवर्तनशील साधन लगाया जाता है तो मशीन का एक भाग बेकार रह जाता है इसलिए श्रम को बढ़ाने से मशीन का अप्रयुक्त भाग भी प्रयुक्त होने लगता है जिससे उत्पादन में तीव्र गति से वृद्धि होती है, AC टने लगती है। एक बिंदु के बाद मशीन पर बोझ बढ़ने लगता है जिससे सत लागत में वृद्धि होती है तथा यह 'U' आकार की हो जाती है।

4. साधनों की, अविभाज्यता :- उत्पादन में कुछ साधन अविभाज्य होते है जैसे मशीन इसे छोटे-छोटे भागों में विभाजित नहीं किया जा सकता, इसलिए मशीन पर जब आवश्यकता से कम श्रमिक लगता है तो उसका एक भाग अप्रयुक्त रह जाता है। श्रम को बढ़ाने से उत्पादन में अधिक अनुपात में वृद्धि होती है। जिससे AC घटता है । लेकिन एक सीमा के बाद उत्पादन में वृद्धि होती है | जिससे AC बढ़ने लगता है और 'U' आकार का हो जाता है।

5. साधनों के बीच अपूर्ण प्रतिस्थापन :- उत्पादन के साधन एक दूसरे के पूर्ण प्रतिस्थापन नहीं होते । श्रम को बढ़ाकर भूमि की कमी को पूरा नहीं किया जा सकता इसलिए जब भूमि के निश्चित टुकड़े पर श्रम की संख्या बढ़ाने से प्रारंभ में AC घटती है लेकिन एक बिंदु के बाद बढ़‌ने लगती है तथा 'U' आकार की हो जाती है।

[B] दीर्घकाल में औसत लागत

दीर्घकाल में औसत लागत, दीर्घकालीन कुल लागत की सहायता से उत्पन्न किया जाता है।

`LAC=\frac{LTC}Q`

Where,

LAC = दीर्घकालीन औसत लागत

LTC = दीर्घकालीन कुल लागत

Q = उत्पादन की मात्रा

दीर्घकाल में उत्पादक उत्पादन की तकनीक में परिवर्तन कर सकता है और नए अनुसंधानों द्वारा मांग के अनुसार पूर्ति को व्यवस्थित कर सकता है। अल्पकाल में कुछ लागतें स्थिर रहती है लेकिन दीर्घकाल में कोई लागतें स्थिर नहीं रहती है। दीर्घकाल में केवल AC और MC का अस्तित्व रहता है। इन लागत वक्रों की आकृति अल्पकालीन लागत वक्रो की तरह अंग्रेजी के अक्षर 'U' आकार की होती है। परन्तु अल्पकालीन लागत वक्रों की अपेक्षा यह चपटी आकृति की होती है। समय ज्यों-ज्यों लंबा होता जाएगा त्यों-त्यों AC की आकृति 'U' आकार से भिन्न होती जाएगी।

अल्पकाल में एक प्लॉट (फर्म) विशेष के संबंध में निश्चित मात्रा में उत्पादन के लिए एक अल्पकालीन औसत लागत वक्र होता है। इस प्रकार प्रत्येक प्लांट से संबंधित उत्पादन के लिए भिन्न अल्पकालीन औसत लागत की रेखाएँ होगी।

अल्पकाल की औसत लागत रेखाओं को SAC1, SAC2, SAC3, SAC4 द्वारा व्यक्त कर सकते हैं। इन रेखाओं की संख्या बहुत अधिक हो सकती है । अल्पकालीन औसत लागत रेखाओं को स्पर्श करते हुए यदि एक रेखा खींची जाए तो दीर्घकालीन औसत लागत रेखा प्राप्त हो सकती है।

औसत लागत रेखा (Average Cost Curve)

रेखाचित्र में LAC दीर्घकालीन औसत लागत की रेखा है। यह अल्पकालीन औसत लागत की रेखा को P1, P2, P3, P4 बिन्दुओं पर स्पर्श करता है। LAC को लपेटने वाला क्र भी कहते है, क्योंकि इसके द्वारा समस्त अल्पकालीन रेखाओं को ढक लिया जाता है।

दीर्घकालीन औसत लागत की रेखा की फैलाव के कारण (प्राचीन अर्थशास्त्रीयों के अनुसार)

दीर्घकालीन औसत लागत की रेखा के फैलाव के निम्नलिखित कारण है।

1. श्रम संबंधी बचत :- किसी फर्म में उत्पादन बढ़ाने के लिए जब श्रमिको की संख्या में वृद्धि की जाती है तो श्रम विभाजन एवं विशिष्टीकरण संभव हो जाता है। परिणामस्वरूप उत्पादन में अधिक अनुपात में वृद्धि होती है। जिससे AC घटती जाती है लेकिन एक सीमा के बाद AC बढ़ने लगती है। जिससे AC 'U' आकार की हो जाती है।

2. वित्तीय बचत :- जब फर्म के उत्पादन में वृद्धि की जाती है तो फर्म को अनेक वित्तीय सुविधाएं मिलने लगती है। जैसे - बैंक के सुविधाजनक भत्तो पर आसानी से ऋण प्राप्त हो जाती है। जिससे फर्म को आतंरिक बचत होती है। इससे शुरू में AC घटती है उसके बाद बढ़ने लगती है अर्थात् 'U' आकार की हो जाती है।

3. पैमाने का प्रतिफल :- वस्तुत: दीर्घकालीन औसत लागत रेखाएँ पैमाने के प्रतिफल पर निर्भर करती है। चूँकि दीर्घकाल में उत्पादन के सभी साधनों को बदला जा सकता है इसलिए दीर्घकालीन औसत लागत की रेखाएँ पैमाने के प्रतिफल द्वारा निर्धारित होती है।

4. आंतरिक बचत एवं हानियाँ -

[A] मौद्रिक बचत :- जब फर्म के उत्पादन में वृद्धि की जाती है तो अधिक मात्रा में कच्चे माल खरीदने से कुछ छूट मिल जाती है। वस्तु के बेचने पर प्रति इकाई लागत भी घट जाती है। लेकिन एक सीमा के बाद बढ़ने लगता है फिर इसकी आकृति 'U' आकार की हो जाती है।

[B] प्रबंधात्मक बचत :- दीर्घकाल में प्रबंध की लागत स्थिर रहती है। इसलिए उत्पादन बढ़ने लगती है लेकिन एक सीमा के बाद प्रबंध के समायोजन, नियंत्रण, निरीक्षण आदि की कठिनाईयाँ उत्पन्न होने से AC 'U' आकार की हो जाती है।

दीर्घकालीन औसत लागत की विभिन्न आकृतियाँ

उत्पादन वृद्धि नियम के अनुसार, जब उत्पादन होती है तब फर्म एक लंबे समय तक उत्पादन की खिफायतें प्राप्त करता है। अतः इस फर्म का अनुकुलतम अनुपात बड़ा होता है।

औसत लागत रेखा (Average Cost Curve)

चित्र में SAC1, SAC2, SAC3, SAC4 एवं SAC5 अल्पकालीन सत लागत की रेखा है। LAC उत्पादन की बहुत अधिक मात्रा OM तक गिरती जाती है। F न्यूनतम लागत बिंदु है जो काफी लंबे समय के बाद ता है उसके बाद LAC बढ़‌ने लगता है तथा यह अंग्रेजी के 'L' आकार की हो जाती है।

मान लिया जाए कि तीन आकार के संयंत्र है। संयंत्र A छोटे आकार का है जिसका AC वक्र SAC1 है। संयंत्र B इससे बड़ा है जिसका AC वक्र SAC2 है तथा संयंत्र सबसे बड़े आकार का है जिसका AC वक्र SAC3 है।

औसत लागत रेखा (Average Cost Curve)

अगर उत्पादन को दीर्घकाल में Q1 उत्पादन करनी हो तो एक औसत लागत है, Q1A1 कम है फर्म B के औसत लागत Q1B1 की तुलना में

Q1A1 < Q1B1

इसलिए यह उत्पादन फर्म A से करना लाभदायक होगा। उसी प्रकार Q1Q2 फर्म B से करना लाभदायक होगा। रेखाचित्र से स्पष्ट है कि OM तक उत्पादन र्म A से, M से N तक उत्पादन फर्म B से तथा ON से अधिक उत्पादन फर्म  C से करना लाभदायक होगा । इस प्रकार दीर्घकाल में उसी संयंत्र का प्रयोग किया जाता है जिसपर औसत लागता न्यूनतम हो ।

औसत लागत रेखा (Average Cost Curve)

अतः दीर्घकालीन औसत लागत का आकार बल सहित होता है। उससे तकनीकी दृष्टि से छोटे से छोटे आकार का असंख्य औसत लागत संभव हो तो दीर्घकालीन औसत लागत वक्र सतत् एवं बिना बल का होगा।

औसत लागत रेखा (Average Cost Curve)औसत लागत रेखा (Average Cost Curve)औसत लागत रेखा (Average Cost Curve)

ABC एवं D बिन्दुओं पर SAC स्पर्श करती है लेकिन इन्हें छोड़ कर अन्य बिन्दुओं पर भी कोई SAC वक्र स्पर्श करता है। LAC के नीचे गिरते हुए भाग में SAC का नीचे गिरता हुआ भाग, LAC के न्यूनतम बिंदु पर SAC के न्यूमतम बिंदु पर SAC के न्यूनतम बिंदु तथा LAC के ऊपर बढ़ते हुए भाग में SAC का ऊपर बढ़‌ता हुआ भाग स्पर्श करता है। इस प्रकार LAC वक्र अनेक SAC वक्रों को घेरता है। इसलिए LAC वक्र को 'आवरण वक्र' कहा जाता है तथा LAC वक्र इसलिए चौड़ा तथा चिपटा हो जाता है।

कृषि, खनन एवं अन्य प्राकृतिक क्षेत्र में प्रारंभ में उत्पादन की कुछ ही सीमा तक पैमाने का वृद्धिमान प्रतिफल लागू होता है तथा जल्द ही ह्मसमान प्रतिफल लागू हो जाता है।

औसत लागत रेखा (Average Cost Curve)

बड़े पैमाने के उद्योग जैसे:- लोहा एवं इस्पात उद्योग, स्वचालित उद्योग आदि में अधिक देर तक उत्पत्ति वृद्धि नियम लागू होता है एवं अंत में उत्पत्ति ह्मस नियम लागू होता है।

औसत लागत रेखा (Average Cost Curve)

अनेक अनुभवसिद्ध अध्ययनों में यह पाया गया है कि LAC वक्र डिस्क (Disk) के आकार का होता है अर्थात् उत्पत्ति वृद्धि नियम के बाद उत्पादन के लंबे विस्तार तक उत्पत्ति समता नियम लागू होता है तथा अंत में उत्पत्ति ह्मस नियम लागू होता है।

औसत लागत रेखा (Average Cost Curve)

कुछ अर्थशास्त्रीयों का मत है कि LAC वक्र 'V' आकार का होता है अर्थात् उत्पत्ति वृद्धि नियम के बाद तुरंत उत्पत्ति ह्मस नियम लागू हो जाता है। उत्पत्ति समता नियम नहीं के बराबर लागू होता हैं।

औसत लागत रेखा (Average Cost Curve)

कुछ अर्थशास्त्रीयों जैसे:- फ्लोरेंस का मत है कि LAC वक्र 'L' आकार का होता है। उनके अनुसार उत्पत्ति वृद्धि नियम के बाद सिर्फ उत्पत्ति समता नियम लागू होता है।

औसत लागत रेखा (Average Cost Curve)

दीर्घकाल में तकनीकी विकास संभव होने के कारण उत्पत्ति ह्मस नियम लागू नहीं होता है। दूसरी ओर बाह्य बचत, बाह्य हानियों के बराबर होता है।

कुछ अन्य आधुनिक अर्थशास्त्रीयों जैसे:- लंकास्तर, हॉकिंस आदि का मत है कि LAC मुख्यत: 'U' आकार का लेकिन चौड़ा या चिपट होता है।

दीर्घकालीन औसत लागत के फैलाव के कारण (आधुनिक अर्थशास्त्रीयों के अनुसार)

LAC वक्र शुरु में नीचे गिरती है उसके बाद ऊपर उठने लगती है इसके फैलाव के निम्नलिखित कारण है!

1. पैमाने के प्रतिफल :- दीर्घकाल में उत्पादन के सभी साधनों को बदला जा सकता है इसलिए दीर्घकालीन औसत लागत की रेखाएँ पैमाने के प्रतिफल के द्वारा निर्धारित होती है।

2. मितव्ययिताएँ एवं अमितव्ययिताएँ :- उत्पादन के आकार में जब-जब वृद्धि होती है तो उद्योग को आंतरिक एवं बाहरी मितव्ययिताएँ मिने लगती है। जिसके फलस्वरूप पैमाने के बढ़ते प्रतिफल की प्राप्ति होती है। उत्पादन की मात्रा को बढ़ाने के लिए उत्पादन के साधनों को अधिक मात्रा में लगाया जा सकता है। जब इनकी संख्या बढ़ती है तो विशिष्टिकरण, तथा श्रमविभाजन अधिक मात्रा में संभव होता है, जिसके फलस्वरूप औसत लागत में कमी आती है।

प्रो० काल्डर तथा श्रीमती रॉबिन्सन का विचार है कि बचते साधनों की अविभाज्यता के कारण उत्पन्न होती है, जिसके कारण दीर्घकालीन औसत लागत आरंभ में घटती है।

चेम्बरलिन और उसके अनुयायीयों के अनुसार जब फर्म का आकार इतना बढ़ जाता है जिसमें श्रम की सभी संभावनाओं का प्रयोग हो चुका होता है और अधिकतम कुशल मशीनरी को लगाया जा चुका होता है और इसके बाद यदि संयंत्र के आकार को बढ़ाया जाता है तो प्रबंध की कठिनाईयों के कारण दीर्घकालीन प्रति इकाई लागत बढ़ जाती है।

दूसरे विचारधारा के अर्थशास्त्री उद्को स्थिर तथा अविभाज्य साधन मानते है। इन्हें घटाया बढ़ाया जा सकता है। इसके पूर्व उपयोग के बाद भी जब अन्य साधनों की मात्रा बढ़ाई जाती है तो प्रति इकाई लागत बढ़ने लगती है।

निष्कर्ष

उपर्युक्त विश्लेषण से स्पष्ट हो जाता है कि लागत की रेखाएँ अल्पकाल तथा दीर्घकाल में 'U' आकार की ही होती है। लेकिन दीर्घकालीन औसत लागत रेखा अल्पकालीन औसत लागत की रेखा से ज्यादा  चौड़ी होती है। इसका कारण समय तत्व है। LAC रेखा के अंतर्गत की SAC की रेखा समाहित हो जाती है। फिर भी दोनों रेखाएँ 'U' आकार की हो जाती हैं।

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