12th Hindi Core 3. अतीत में दबे पाँव JCERT/JAC Reference Book

12th Hindi Core 3. अतीत में दबे पाँव JCERT/JAC Reference Book

 

12th Hindi Core 3. अतीत में दबे पाँव JCERT/JAC Reference Book

3. अतीत में दबे पाँव

लेखक परिचय

नाम - ओम थानवी

जन्म - 1957

राज्य - राजस्थान

जिला- बीकानेर

काल - आधुनिक काल

पहचान - लेखक और पत्रकार।

पुरस्कार - पत्रकारिता के क्षेत्र में उत्कृष्ट काम करने के लिए' गणेश शंकर विद्यार्थी' पुरस्कार प्रदान किया गया।

भाषा शैली - उपदेशात्मकत, व्यंग्यात्मक एवं वर्णनात्मक।

पाठ परिचय - विश्व में अनेकों सभ्यताओं ने जन्म लिया। सिंधु घाटी की सभ्यता उन सभ्यताओं में सबसे अलग एवं महत्वपूर्ण मानी जाती है। सिंधु घाटी सभ्यता एक ऐसी सभ्यता है जो अपने लो प्रोफाइल सभ्यता, सिद्ध वस्तु कला, समृद्ध टीले और अपने संस्कार के लिए जानी जाती है। आइए इस सभ्यता की कुछ विशेषताओं को विस्तार पूर्वक देखें-

1. उत्कृष्ट पुरातत्ववेत्ता- 1922 ईस्वी में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के महानिदेशक जॉन मार्शल के निर्देशन में व्यापक खुदाई का अभियान शुरू हुआ। जिसमें राखल दास बनर्जी, माधव स्वरूप वत्स, दीक्षित काशीनाथ आदि पुरातत्ववेत्ताओ ने 10 इंच मिट्टी की परतों को इस कदर ढूंढा और सहेजा कि आज सारा विश्व एक समृद्ध सभ्यता से परिचित हो सका।

2. मैदानी सभ्यता - सिंधु घाटी की सभ्यता एक मैदानी सभ्यता के रूप में जानी जाती है। खेतिहर, पशुपालन जानवरों के साक्ष्य, खेती-बाड़ी के उपकरण का मिलनाआदि इस बात के सबूत हैं कि यह सभ्यता मरूभूमि नहीं बल्कि मैदानी सभ्यता थी।

3. ताम्र कालीन शहर-जहां मिश्र और सुमेर में चकमक और लकड़ी के उपकरण इस्तेमाल होते थे वही हमारे सिंधु घाटी की सभ्यता में पत्थर और तांबे की खाने प्राप्त किए गए हैं। उपकरण तांबे के बनाए गए।

4. समृद्ध टीले मोहनजोदड़ो की सभ्यता को टीलो का शहर भी कहा जाता है। टीले का निर्माण इस प्रकार से किया गया है कि यह पानी से बच सके।

5. सिद्ध वास्तुकला यह सभ्यता अपनी बेजोड़ तकनीक के कारण पूरे विश्व में विख्यात रही है। इस सभ्यता के उत्कृष्ट तकनीक को कुछ बिंदुओं के द्वारा समझा जा सकता है जो इस प्रकार से हैं- (क) नगर नियोजन (ख) ग्रिड प्रणाली ((ग) मजबूत खंडहर ग्रिड प्रणाली (घ) ईटों का शानदार प्रयोग । (ङ) जल निकासी की व्यवस्था

(क) नगर नियोजन - सिंधु घाटी की सभ्यता नगर नियोजन के कारण प्रसिद्धि बटोर चुकी है। नगर स्थापित करते समय कई चीजों पर विशेष ध्यान दिया गया है। नगर को टीले पर स्थापित किया गया है ताकि जल के क्षरण से इसका बचाव हो सके।

जनसंख्या और संसाधनों के नियंत्रण के लिए बस्तियों को कई भागों में बांटा गया है जैसे उच्च वर्ग की बस्ती निम्न वर्ग की बस्ती पूरब की बस्ती। सड़क को चौड़ा बनाया गयाऔर सड़कों के दोनों और घर भी बनाए गए कोई भी घर का दरवाजा सड़क की तरफ नहीं खुलता था। चंडीगढ़ में ठीक यही शैली 50 साल पहले कार्बजिए ने इस्तेमाल किया।

ख) ग्रिड प्रणाली- आज की सेक्टर मार्का कॉलोनियों में हमें आड़ी सीधा नियोजन बहुत मिलता है जो रहन-सहन को नीरस बनाता है पर हमारे सिंधु घाटी सभ्यता की सड़के और गलियों को बहुत ही सुंदर तरीके से व्यवस्थित करके बनाया गया था सड़के या तो सीधी या फिर आड़ी तरीके से बनाई गई थी जिसे आज के वास्तुकार ग्रिड प्लान कहते हैं।

(ग) मजबूत खंडहर - मोहनजोदड़ो आज भी विश्व के लिए एक अनूठी मिसाल है। मोहनजोदड़ो के कई एक खंडहर आज भी अपने अस्तित्व को सुरक्षित रखने में सफल रही है। 5000 साल तक अपनी खंडहरों के साथ टिके रहना कोई आसान बात नहीं है यह खंडहर सभ्यता के उत्कृष्ट वास्तुशिल्प का परिचय देती है हालांकि अब कई खंडहर ध्वस्त हो चुके हैं फिर भी 5000 साल तक अपने को बचाए रखना यह किसी उपलब्धि से कम नहीं है।

(घ) ईटों का शानदार प्रयोग आज हम तकनीकी के मामले में उच्च शिखर पर आसीन है क्योंकि हमने अपने सभ्यताओं से बहुत कुछ पाया है। पक्की ईंटों का प्रयोग सिंधु घाटी सभ्यता की एक विशिष्ट पहचान थी। ईटों का 1:2:4 का अनुपात शायद इसे विशिष्ट पहचान दे गई। सभी घरे पक्की ईंटों से इसी अनुपात में बनाए गए हैं कहीं-कहीं कच्ची ईंटों का भी प्रयोग देखने को मिला है।

(ङ) जल निकासी की बेजोड़ व्यवस्था-सभ्यता की जो एक बात और ध्यान खींचती है वह है जल निकासी की व्यवस्था। नगर नियोजन के समय सड़क और घरों के बनावट के साथ साथ घर के भीतर से पानी या मैले नालियों की निकासी के लिए विशेष ध्यान दिया गया। यह जल निकासी की व्यवस्था सिंधु वासियों की जागरूक सभ्यता की ओर इशारा करती है।

6. प्रसिद्ध अनुष्ठानिक महाकुंड-अनुष्ठानिक महाकुंड के अवशेष से भी सिंधु घाटी सभ्यता को विशेष पहचान मिली। माना जाता है कि इस सभ्यता में सामूहिक स्नान किसी अनुष्ठान का अंग होता था। कुंड का पानी शुद्ध रह सके और बाहर का अशुद्ध पानी कुंड में ना आ सके, इसके लिए दीवारों पर ईटों के बीच चूने और चिरोड़ी के गारे का इस्तेमाल जिस प्रकार से किया गया है यह अद्वितीय वास्तुकला का परिचय है।

7. अतीत के उत्कृष्ट वैज्ञानिक-इतिहासकार की माने तो सिंधु घाटी सभ्यता पहली ज्ञात संस्कृति है जो कुआं खोदकर भूजल तक पहुंची। मोहनजोदड़ो में 700 के करीब कुएं थे ऐसा इतिहासकारों का मानना है।

8. आधुनिक नगर नियोजन पर प्रश्न चिन्ह- लेखक सिंधु घाटी सभ्यता के नगर नियोजन को आज के आधुनिक नगर नियोजन से उत्कृष्ट मानते हैं। ग्रिट शैली का प्रयोग ब्रासीलिया या चंडीगढ़ और इस्लामाबाद आदि शहरों में जमकर किए गए हैं लेकिन लेखक को लगता है कि यह शहर के विकास के लिए पर्याप्त नहीं है।

9 . प्रकृति का सास्वत रूप-लेखक मोहनजोदड़ो की यात्रा में जब खंडहरों को अवलोकन करते हैं तो उन्हें एहसास होता है की सभ्यताएं इतिहास और कहानियों में बदल जाती हैं हजारों साल से लेकर वर्तमान तक बदलाव आते रहते हैं लेकिन प्रकृति वही रहती है वही मौसम वही धूप वही धूल वही सूनापन सब कुछ यथावत रहता है केवल बदलता है तो इतिहास।

10. अतीत द्वारा छोड़े गए छाप लेखक कहते हैं कि भले ही यह सभ्यता 5000 साल पहले की हो लेकिन हम आज भी खंडहरोंके रूप में तब्दील हुए घरों, खिड़कियों, बैल गाड़ियों की रुनझुन, रसोई में उठने वाली गंध को महसूस कर सकते हैं क्योंकि हमारी जीवन शैली हमारी अतीत से अलग नहीं है।

11. अभूतपूर्व बंधन-मोहनजोदड़ो के खंडहर आज हर तरफ बिखरे नजर आते हैं एक वक्त था जब यह सभ्यता अपनी समृद्धि की चरम सीमा पर थी। जिस नगर नियोजन जल निकासी महाकुंड पर यह सभ्यता गर्व करती थी आज वह मिट चुकी है, किंतु लेखक को यह खंडर आज भी जीवित लगता है घूमते समय में एक-एक पैर आहिस्ता से दूसरे घरों में रखते हैं ताकि उन्हें अपराध बोध ना हो सके बिना इजाजत के उन्होंने किसी पराए घर में कदम रखा है।

12. लो प्रोफाइल सभ्यता- सिंधु घाटी सभ्यता में साधनों की कोई कमी नहीं थी। साधनों की उपलब्धता पर किसी भी सभ्यता की विकास टिकी होती है। साधनों को हम अगर मानवीय संसाधन के रूप में देखें तो तकनीकी ज्ञान, कौशल योग्यता एवं प्राकृतिक संसाधन में धन, भौतिक वस्तु यह सब साधन सिंधु घाटी सभ्यता को प्राप्त थी। फिर भी भव्यता का कहीं कोई आडंबर नहीं दिखता। कोई भव्य महल की निशानी नहीं कहीं कोई सैन्य प्रदर्शन नहीं। यहां तक कि जो नरेश की मूर्ति पाई गई है वह भी बिना ताज के।

13. समाज पोषित सभ्यता- उत्कृष्ट वैज्ञानिक, उच्च तकनीकी, भरपूर संसाधन रोजमर्रा की जिंदगी को भौतिक संतुष्टि और भव्यता देने में समर्थ है फिर भी सभ्यता में कहीं भी राजसत्ता या धर्म सत्ता के साक्ष्य प्राप्त नहीं हुए हैं। अनुष्ठानिक महाकुंड, स्नानगार राज्य सचिवालय या सामुदायिक केंद्र आदि स्थलों का प्राप्त होना सामूहिकता को प्रकट करती है। जहां सामूहिकता का साक्ष्य प्रप्त हो वहां राज सत्ता की कल्पना करना निराधार है। उपासना स्थल का भी अभाव देखने को मिला है। ना ही कहीं मंदिर ना मूर्ति का अवशेष मिला हैजो धर्म सत्ता को बल प्रदान करती हो। राजसत्ता की सबसे बड़ी निशानी सैन्य ताकत और हथियार की उपलब्धता होती है पर सिंधु घाटी सभ्यता में इसके भी साक्ष्य प्राप्त नहीं हुए हैं। भव्य राज प्रसाद का ना मिलना और नरेश के सिर नाम मात्र का मुकुट राजतंत्र से इसे कोसों दूर करती है। राज्य सचिवालय या सामूहिक केंद्र का साक्ष्य अनुशासन, सामूहिकता के ही बल पर शायद यह सभ्यता नियंत्रित होते आई हो। ऐसे में सिंधु घाटी सभ्यता को समाज पोषित सभ्यता कहना मान्य होगा।

14. वर्तमान का अतीत से गठजोड़ लेखक के अनुसार खंडहर घूमते समय लेखक को सिंध और राजस्थान की प्रकृति ना चाहते हुए भी एक जैसी लग रही थी ज्वार बाजरे कीखेती, एक जैसे गांव राजस्थान गुजरात पंजाब हरियाणा के गांव आज भी सिंधु घाटी सभ्यता के गांव से मिलती-जुलती है। खुदाई में मिली ठोस पहियों वाली मिट्टी की गाड़ी के चित्र का संबंध उन्हें आज भी गांव में इस्तेमाल में लाई जाने वाली बैल गाड़ियों के समान ही प्रतीत हुई।

15. यादों का भंडार- खुदाई से प्राप्त वस्तुओं को अजायबघर में रखा गया है इसने गेहूं, तांबे के बर्तन, मुहरे,मृदभांड और उन पर काले भूरे चित्र, चौपड़ की गोटियां, रंग-बिरंगे पत्थरों के मनके, पत्थर के औजार और कुछ सोने के गहने आदि संभाल कर रखा गया है। यह प्रदर्शित समान हमें खंडहरों से निकलने का मौका नहीं देती। यहां प्रदर्शित हर एक चीज आज भी हमारे रोजमर्रा की जिंदगी में शामिल है बस थोड़े सी बनावट में अंतर आ गए हैं।

16. तकनीकी सिद्ध से ज्यादा कला सिद्ध सभ्यता- इस सभ्यता में हथियार के साक्ष्य (सबूत) तो नहीं मिले हैं किंतु सौंदर्य बोध कराने वाली वस्तुओं की भरमार है । मृदभांड पर उत्कीर्ण आकृतियां, खिलौने, केस विन्यास आभूषण और सबसे ऊपर सुघड़ अक्षरों से युक्त लिपि कला की भव्यता को दिखाता है।

17. सब कुछ आयताकार - मोहनजोदड़ो में कुएँ को छोड़कर सब कुछ आयताकार आकार में है। नगर योजना में बनाई गई बस्तियों, घर, कुंड, मोहरे आदि सब कुछ आयताकार रूप में बनाई गई है।

18. संक्षिप्त नाम मोहनजोदड़ो के सभी खंडहरों को खुदाई कराने वाले पुरातत्ववेत्ताओं का संक्षिप्त नाम दिया गया है जैसे डीके हल्का दीक्षित काशीनाथ के नाम की खुदाई उनके नाम पर यहां दो हल्के है डीके क्षेत्र दोनों बस्तियों में महत्वपूर्ण है।

19. सभ्यता के नष्ट होने का अनुमान- लेखक अनुमान लगाते हैं कि मोहनजोदड़ो में बारिश अधिक हुआ करती थी नहर का प्रमाण तो नहीं मिला है किंतु क्या बारिश घटने या कुओं का अधिक इस्तेमाल से भूतल जल से दूर चला गया या पानी के अभाव में इलाका उजाड़ और उसके साथ सिंधु घाटी की सभ्यता समाप्त हो गई।

20. महान सभ्यता- पुरातत्वविद् के अनुसार हमारी सभ्यता एक महान सभ्यता की श्रेणी में है। उच्च तकनीकी से युक्त प्रशासनिक इमारतें, सभा भवन, ज्ञानशाला कोठार, अनुष्ठानिक महाकुंड, सीढ़ियों का अवशेष, नगर नियोजन आदि इस बात का प्रमाण है। लेखक कहते हैं कि आप जब खंडहर को घूमते हैं तो ऐसा कौन अनुभूत होता है कि आप दुनिया की छत पर हैं अर्थात आप कई सभ्यताओं में से एक उन्नत सभ्यता को महसूस कर रहे हैं।

शब्दार्थ - अतीत के दबे पांव-प्राचीन काल के अवशेष। मोहनजोदड़ो सिंध प्रांत में स्थित पुरातात्विक स्थान जहां सिंधु घाटी सभ्यता बसी थी मोहनजोदड़ो का अर्थ-मुर्दों का टीला। हड़प्पा-पाकिस्तान के पंजाब प्रांत का पुरातात्विक स्थान जहां सिंधु घाटी की सभ्यता का दूसरा प्रमुख नगर बसा था। परवर्ती बाद के काल का। परिपक्व काल - समृद्ध काल। ताम्रकाल-वह काल जब मानव ने तांबे का प्रयोग सीखा। उत्कृष्ट सर्वश्रेष्ठ सबसे अच्छा। व्यापक-विस्तृत, फैला हुआ। तादाद-संख्या। चित्रित भांडे वह बर्तन जिन पर चित्र बने हो। साक्ष्य-प्रमाण, सबूत।

आबाद-बसा हुआ, बस्ती । प्राकृतिक-प्रकृति के द्वारा बनाए हुए खूबी विशेषता आदिम अत्यंत प्राचीन। सहसा अचानक। महसूस -एहसास, अनुभूत, अनुभूति। आदेश-आज्ञा

अभियान तेजी से कार्य का करना। सर्पिल-सांप की तरह टेढ़ा-मेढ़ा। पंगडंडी-पतला रास्ता, संकरा मार्ग। अपलक-पलक ना गिराना, एकटक देखना, निर्निमेष। नागर-नागरिक सभ्यता। लैंडस्केप-भू दृश्य, परिदृश्य, प्राकृतिक दृश्य। आलम- दुनिया, संसार, जहान। बबूल एक प्रकार का कटीला पेड़ जो रेगिस्तान में होता है। जेहन - दिमाग। ऐतिहासिक इतिहास से संबंध रखने वाला, इतिहास प्रसिद्ध। ज्ञानशाला विद्यालय

कोठार-भंडार, गोदाम, जहां अन्न और धन रखा जाता हो। अनुष्ठानिक - धार्मिक कृत्य। अद्वितीय-बेजोड़, अनोखा। वास्तु कौशल-भवन निर्माण में दक्षता, चतुराई। अंदाजा -अनुमान। नगर नियोजन-शहर को बसाने की विधि।

अनूठी - अनुपम । मिसाल-उदाहरण। मतलब - आशय । सहज-स्वाभाविक। भपना-अनुमान लगाना। कमोबेश थोड़ी बहुत । अराजकता अव्यवस्था, अशांति । प्रतिमान मानक। साक्षर- शिक्षित ।

कामगर - मजबूर। इतर भिन्न। संपन्न -मालदार, धनवान। विहार बौद्ध आश्रम ।

सायास - प्रयत्न सहित। संयोग बिना किसी प्रयास के। धरोहर उत्तराधिकार में प्राप्त। दैव ईश्वरीय। सामूहिक स्नान - बहुत से व्यक्तियों का एक साथ नहाना। अनुष्ठान -आयोजन ।

पाँत पंक्ति । पार्श्व अलग बगल की जगह। समरूप - समान। धूसर - धूल के रंग के।

निकासी - निकालना। बंदोबस्त इंतजाम। परिक्रमा - चक्कर लगाना। विशाल कोठार -बहुत बड़ा भंडार।

बड़ा भंडार । जगजाहिर सभी द्वारा जाना हुआ। दौर - काल। निर्मूल-शंकारहित। बहुतायत - अधिकता।

परखना-परीक्षा लेना। आयात-बाहर से मँगाना। निर्यात बाहर भेजना। अवशेष चिन्ह । ज्ञानशालाएँ पाठशालाएँ। भग्न टूटी हुई। हलका क्षेत्र । वास्तुकला भवन निर्माण कला।

चेतन - मस्तिष्क का वह भाग जिसके द्वारा आदमी काम करता है। अवचेतन मस्तिष्क का वह भाग जिसमें सुप्त भाव पड़े रहते हैं।

मैल-गंदगी। सरोकार-प्रयोजन। ज्ञात-परिचित। तकरीबन लगभग। कमोबेश थोड़ा-बहुत । कायदा नियम । याजक नरेश - यज्ञकर्ता राजा। शिल्प-कलाकारी ।

संग्रहालय - अजायबघर । ध्वस्त-टूटी हुई। चौकोर - जिस आकार की चारों भुजा बराबर हों। आयताकार-जिस आकार की आमने-सामने की भुजा बराबर हों। अचरज-आश्चर्य। शायद-संभवतः । साज-सज्जा-सजावट। संकरी-तंग। आम-सामान्य। प्रावधान-व्यवस्था । जानी-मानी-प्रसिद्ध । रोज-दिन। अंतराल मध्य। अजनबी अनजाना। अनधिकार -अधिकार रहित । चहल कदमी टहलना। अपराध-बोध-गलती का अहसास। अहसास अनुभूति । विशद प्रबंध-विशाल ग्रंथ । इज़हार - प्रकट । मेजबान - जिसके घर अतिथि आए हों। अहम मुख्य । पंजीकृत सूचीबद्ध । मृद्-भांड-मिट्टी के बर्तन।

आईना-दर्पण। महसूस करना-अनुभव करना। राजतंत्र - वह व्यवस्था, जिसमें समस्त शक्ति राजा में निहित रहती हैं। भव्य विशाल एवं मनोरम। राजप्रासाद-राजमहल, राजाओं का निवास। समृद्ध संपन्न। आडंबर - दिखावा। उद्घाटित-प्रकट । उत्कीर्ण-खोदी हुई।

केश विन्यास- बालों की सजावट। सुघड़ संदुर बनी हुई। नरेश राजा, शासक।

गुलकारी - कशीदाकारी, कपड़ों पर फूल या चित्र अंकित करने की कला। साक्ष्य- प्रमाण। क्षार- नमक ।

प्रश्न-अभ्यास

प्रश्न - सिंधु सभ्यता साधन संपन्न थी पर उसमें भव्यता का आडंबर नहीं था कैसे?

उत्तर - सिंधु घाटी सभ्यता के कई एक वस्तुओं को प्रदर्शित करने के लिए अजायबघर में रखा गया था वस्तुओं को अगर ध्यान से देखा जाए तो इसमें ऐसी कोई भी वस्तु प्राप्त नहीं हुई है जो इस बात को प्रदर्शित करती है कि यहां भव्यता का कोई सबूत है जैसे जो भी औजार प्राप्त हुई है बे हथियार नहीं है सोने के गहने भी बहुत कम है राजा के मुकुट भी इतने छोटे हैं कि उस पर ताज की कल्पना करना भी मुश्किल है भव्यता का अर्थ प्रतिष्ठा होता है लेकिन यहां ऐसा कुछ भी देखने को नहीं मिलता है।

प्रश्न - सिंधु सभ्यता की खूबी उसका सौंदर्य बोध है जो राज-पोषित या अधर्म पोषित ना होकर समाज पोषित था। ऐसा क्यों कहा गया है?

उत्तर - सिंधु घाटी सभ्यता में कहीं भी हथियार के साक्ष्य नहीं मिले हैं ना ही उपासना स्थल का साक्ष्य मिले हैं। ऐसे में सिंधु घाटी सभ्यता को राज और धर्म पोषित कहना गलत होगा। किंतु कई एक ऐसे स्थान मिले हैं जहां सामूहिकता का एहसास होता है जैसे महान स्नानागार, महाकुंड आदि स्थान नरेश के छोटे मुकुट आदि इस बात को सूचित करता है कि यह समाज पोषित सभ्यता थी पुरातत्त्व की किन चिन्हों के आधार पर आप क्या कह सकते हैं कि- "सिंधु सभ्यता ताकत से शासित होने की अपेक्षा समझ से अनुशासित सभ्यता थी।"

सिंधु घाटी सभ्यता में कहीं भी हथियार के साक्ष्य नहीं मिले हैं ना ही उपासना स्थल का साक्ष्य मिले हैं। ऐसे में सिंधु घाटी सभ्यता को राज्य या धर्म पोषित कहना गलत होगा। किंतु कई एक ऐसे स्थान मिले हैं जहां सामूहिकता का एहसास होता है जैसे महान स्नानागार, महाकुंड आदि स्थान नरेश के छोटे मुकुट आदि इस बात को सूचित करता है कि या समाज पोषित सभ्यता थी।

टूटी फूटी खंडहर सभ्यता और संस्कृति के इतिहास के साथ-साथ धड़कती जिंदगियों के अनछुए समय का भी दस्तावेज होते हैं विचार कीजिए।

मोहनजोदड़ो में अब सिर्फ खंडहर हैं उसके बाद भी ऐसा एहसास होता है कि हमारे जीवन के अतीत से जुड़ा हुआ है। राजस्थान पंजाब और गुजरात में आज भी वैसे ही मकान है जैसे कभी इस सभ्यता में पाए गए थे कुंड और हवन की जगह को देखकर सामूहिकता का पता चलता है। हथियार ना देखकर उनके अनुशासन का पता चलता है सूती कपड़े, नरेश की मूर्ति, बैल गाड़ियों का डिजाइन, खेती-बाड़ी के तरीके सब कुछ हमारे अतीत से मिलता जुलता है।

प्रश्न- नदी, कुएं, स्नानागार और बेजोड़ निकासी व्यवस्था को देखते हुए लेखक पाठकों से प्रश्न पूछता है कि क्या हम सिंधु घाटी सभ्यता को जल संस्कृति कह सकते हैं?

उत्तर - मोहनजोदड़ो में 700 से करीब कुएं हैं जो सामूहिक प्रयोग के लिए हैं। यहां पर जल निकासी की उत्तम व्यवस्था देखने को मिलती है। सिंधु घाटी सभ्यता नदी सभ्यता के प्रमाण हैं। यहां कृषि के भी साक्ष्य पाए गए हैं अर्थात जल की पूर्ति के बिना इस चीज की कल्पना करना भी मुश्किल है इसलिए सिंधु घाटी सभ्यता को जल संस्कृति सभ्यता कहना उपयुक्त होगा।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न - दुनिया के दो सबसे पुराने नियोजित शहर का नाम बताएं?

उत्तर मोहनजोदड़ो और हड़प्पा प्राचीन भारत के ही नहीं दुनिया के 2 सबसे पुराने नियोजित शहर माने जाते हैं।

सिंधु घाटी सभ्यता को अन्य किस काल के नाम से जाना जाता है।

सिंधु घाटी सभ्यता को ताम्रकाल के नाम से भी जाना जाता है।

प्रश्न- ताम्र काल के शहरों में सबसे बड़ा शहर कौन सा था?

उत्तर - मोहनजोदड़ो।

प्रश्न - मोहनजोदड़ो की खुदाई में क्या-क्या मिला?

उत्तर - बड़ी तादाद में इमारते, सड़के, धातु पत्थर की मूर्तियां, चाक पर बने चित्रित भांडे और खिलौने आदि मिले।

प्रश्न सिंधु घाटी सभ्यता का अध्ययन किन कारणों से संभव हो पाया?

उत्तर- बड़ी तादाद में इमारते, सड़के, धातु पत्थर की मूर्तियां, चाक पर बने चित्रित भांडे, मुहरे, खिलौने आदि पाए जाने के कारण सिंधु घाटी सभ्यता का अध्ययन करना संभव हो पाया।

प्रश्न - हड़प्पा के ज्यादातर साक्ष्य का क्या हुआ?

उत्तर - रेल लाइन बिछाने के दौरान यह सारे साक्ष्य नष्ट हो गए।

प्रश्न - विकास की भेंट में क्या नष्ट हो गए और कैसे?

उत्तर - रेल लाइन बिछाने के दौरान बहुत से मजदूर अज्ञानता के कारण हड़प्पा में पाए जाने वाले साक्ष्य को नष्ट कर दिए।

प्रश्न - मोहनजोदड़ो को महानगर की परिधि में क्यों रखा गया था?

उत्तर - मोहनजोदड़ो अपने दौर में सिंधु घाटी सभ्यता का केंद्र था यहां की आबादी कोई 85000 थी जो महानगर की परिभाषा को भी लांघता है।

प्रश्न - सिंधु घाटी की सभ्यता मैदानी सभ्यता थी फिर भी यह छोटे-छोटे टीलो पर आबाद था क्यों?

उत्तर - यह टीले प्राकृतिक नहीं थे कच्ची और पक्की दोनों तरह की ईंटों से इस टीले का निर्माण किया गया था ताकि यह धरती की सतह से ऊपर रह सके और सिंधु का पानी अगर बाढ़ के रूप में आए तो वे उस से बच सकें।

प्रश्न - लेखक के दृष्टिकोण में मोहनजोदड़ो की क्या खूबी थी?

उत्तर - इस शहर का निर्माण इतनी मजबूती के साथ किया गया था कि आज भी उसके अवशेष हमें अतीत की याद दिलाती है।

प्रश्न - आंगन की टूटी फूटी सीढ़ियां लेखक को किस बात का अनुभव कराता है?

उत्तर - आंगन की टूटी फूटी सीढ़ियां अब कहीं नहीं लेकर जाती किंतु अपने अधूरे पायदान के साथ यह एहसास कराती है कि सिंधु घाटी सभ्यता

प्रश्न आप दुनिया की छत पर है लेखक मोहनजोदड़ो के अवशेषों को देखकर ऐसा क्यों कहते हैं?

उत्तर- मोहनजोदड़ो के अवशेषों को देखकर इस बात अनुभव किया जा सकता था कि यह सभ्यता अपने जमाने की सबसे उत्कृष्ट सभ्यता थी। इसलिए लेखक इसे दुनिया की छत मानते हैं जिस प्रकार घर का सबसे शीर्ष हिस्सा छत होता है उसी प्रकार अपने उत्कृष्ट वास्तुकला के कारण यह सभ्यता उस जमाने में शीर्ष पर था।

प्रश्न- दुनिया की सबसे प्राचीन सभ्यता सिंधु घाटी की सभ्यता है भारत के इस दावे को कैसे बल प्राप्त हुआ?

उत्तर - 1922 में जब राखल दास बनर्जी बुद्ध स्तूप की खोज-बिन करना शुरू किया तब उन्हें ज्ञात हुआ कि यहां पर ईसा पूर्व के निशान है और बाद में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के महानिदेशक जॉन मार्शल के द्वारा व्यापक खुदाई की गई जिसमें सिंधु घाटी सभ्यता सारी दुनिया के सामने अपना अस्तित्व लेकर प्रकट हुई।

प्रश्न - सिंधु घाटी सभ्यता के भ्रमण के दौरान लेखक को क्या अनुभव हुआ?

उत्तर- लेखक को सिंधु घाटी सभ्यता के भ्रमण करते हुए आहसास हुआ कि प्रकृति शाश्वत सत्य है क्योंकि सभ्यताएं इतिहास और कहानियां बन गई किंतु ना आकाश बदला ना धरती, सब हजारों साल से यथावत (जब का यह) है।

प्रश्न- किसी भी स्थान को साक्षात देखने और पढ़ने में क्या अंतर है?

उत्तर - लेखक के अनुसार दोनों में बहुत ही अंतर है किसी स्थान को जब हम साक्षात देखते हैं तो उसे हम अपने में अनुभव कर पाते हैं किंतु दृश्यों में या पढ़कर हम स्थानों का साक्षात अनुभूति नहीं कर सकते है।

प्रश्न - लेखक को ऐसा क्यों लगता है कि बार-बार दृश्यों को देखा जाए तो उन्हें याद करने की आवश्यकता नहीं है?

उत्तर - लेखक को ऐसा लगता है कि बार-बार दृश्य को देखा जाए तो नहीं याद करने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि यह हमारे जेहन (मन) में बस जाता है।

प्रश्न - 'गढ़' की परिभाषा पुरातत्व विद्वान क्या देते हैं?

उत्तर - स्तूप वाला चबूतरा को पुरातत्व के विद्वान गढ़ कहते हैं।

प्रश्न - स्तूप का अर्थ बताएं?

उत्तर - मिट्टी या पत्थर का ऊंचा ढ़ेर।

प्रश्न- सिंधु घाटी सभ्यता में पाए गए अनुष्ठानिक महाकुंड का महत्व क्या है?

उत्तर - सिंधु घाटी सभ्यता में पाए गए अनुष्ठानिक महाकुंड एकमात्र ऐसा अवशेष है जो आज भी अपने मूल स्वरूप में विद्यमान है इस प्रकार यह अपने अद्वितीय वास्तुकला के कारण प्रसिद्ध है।

प्रश्न -मोहनजोदड़ो की सबसे बड़ी विशेषता क्या है?

उत्तर- नगर नियोजन मोहनजोदड़ो की सबसे बड़ी विशेषता है।

प्रश्न - ग्रिड प्लान क्या है?

उत्तर - जिन सड़कों का निर्माण सीधी या आड़ी की गई है उसे वास्तुकार ग्रिड प्लान कहते हैं।

प्रश्न - सेक्टर मार्का कॉलोनियों का क्या अर्थ है?

उत्तर- किसी नगर के बड़े मोहल्ला को सेक्टर कहते हैं। नगर में स्थापित मोहल्ले के डिजाइन एक समान होता है।

प्रश्न- आज के सेक्टर मार्का कॉलोनियों में अराजकता ज्यादा हाथ लगती है क्यों?

उत्तर- सिंधु घाटी सभ्यता में जो नगर नियोजित किए थे वे काफी रचनात्मक थे जैसे सड़के काफी चौड़े थे जल निकास के उत्तम प्रबंध थेकिंतु आज के सेक्टर मार्का कॉलोनियों में इन सब बातों पर विशेष ध्यान नहीं दिया गया है इसलिए शहर के विकास में बाधा पहुंचती है।

प्रश्न- ब्रासीलिया या चंडीगढ़ और इस्लामाबाद किस शैली के शहर है?

उत्तर- ग्रिड शैली के शहर हैं जो अधिकांश नगर नियोजन के प्रतिमान (मॉडल) ठहराए जाते हैं।

प्रश्न - मोहनजोदड़ो में सामूहिक स्नान किसी अनुष्ठान का अंग होता था यहां सामूहिक स्नान किस बात की ओर इशारा करती है?

उत्तर - मोहनजोदड़ो में सामूहिक स्नान इस बात को सूचित करता है कि यह सभ्यता राज पोषित नहीं था यहां पर लोकतंत्र का बोलबाला था।

प्रश्न - सिंधु घाटी सभ्यता की विशिष्ट पहचान क्या थी?

उत्तर - पक्की और समरूप आकार में पाई जाने वाली धूसर ईटें सिंधु घाटी सभ्यता की विशिष्ट पहचान थी।

प्रश्न - सिंधु घाटी सभ्यता मूलता खेतिहर और पशुपालक सभ्यता थी कैसे?

उत्तर - गेहूं, जौ, सरसों और चने की उपज के पुख्ता सबूत खुदाई में मिले हैं जिससे यह प्रमाणित होता है कि सिंधु घाटी सभ्यता मूलता खेतिहर और पशुपालक सभ्यता थी।

प्रश्न- मेसोपोटामिया के शिलालेखों में मोहनजोदड़ो के लिए किस शब्द का प्रयोग मिलता है?

उत्तर- यूनान में जो सभ्यता पाई गई वह मेसोपोटामिया की सभ्यता थी। मेसोपोटामिया के शिलालेखों में मोहनजोदड़ो के लिए मेलुहा शब्द का प्रयोग किया गया है।

प्रश्न - कार्बजिए कौन थे?

उत्तर - कार्बजिए चंडीगढ़ शहर के डिजाइनर थे उनकी ही देखरेख में चंडीगढ़ शहर को स्थापित किया गया।

प्रश्न - सिंधु घाटी सभ्यता की नगर योजना अपने समय का श्रेष्ठ योजना था कैसे?

उत्तर - सिंधु घाटी सभ्यता की नगर योजनाएं काफी रचनात्मक शैली में बनाया गया था इसका प्रमाण यही है कि चंडीगढ़ शहर को स्थापित करने के लिए कार्बजिए द्वारा जिस शैली का प्रयोग किया गया था वह सिंधु घाटी सभ्यता की नगर योजना से मिलती जुलती है।

अतीत में दबे पांवः बहुविकल्पी प्रश्न

1) 'अतीत के दबे पांव' के लेखक का नाम बताएं?

क) यशपाल

ख) नागार्जुन

ग) ओम थानवी

घ) रामदास बनर्जी

2) दुनिया के दो सबसे पुराने नियोजित शहर का नाम बताएं?

क) मोहनजोदड़ो और हड़प्पा

ख) लोथल और कालीबंगा

ग) सिंध और लरकाना

घ) धोलावीरा और राखीगढ़ी

3) भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के महानिदेशक कौन थे?

क) जॉन मार्शल

ख) राखल दास बनर्जी

ग) दीक्षित काशीनाथ

घ) मार्टिमर वीर्य

4) रखलदास बनर्जी कौन थे?

क) समाजसेवी

ख) समाजशास्त्र

ग) पुरातत्ववेत्ता

घ) लेखक

5) मोहनजोदड़ो का अर्थ है-

क) स्नानागार

ख) कुंड

ग) मुर्दों का टीला

घ) सोने का किला

6) मोहनजोदड़ो नगर टीलों पर बसाया गया था ताकि -

क) बाढ़ आने पर नगर बचा रहे

ख) दलदल से बचने के लिए

ग) भूकंप से बचा रहे

घ) शत्रुओं पर नजर रख सके

7) मोहनजोदड़ो नगर के टीले की क्या विशेषताएं थी?

क) ये कृत्रिम थे

ख) कच्ची ईटों से बनाए गए थे

ग) पक्की ईंटों से बनाए गए थे

घ) इनमें से सभी

8) मोहनजोदड़ो की कुल आबादी थी?

क) 8500

ख) 7500

ग) 7000

घ) 2000

9) सिंधु घाटी सभ्यता को अन्य किस काल के नाम से जाना जाता है?

क) स्वर्णकाल

ख) कांस्यकाल

ग) ताम्र काल

घ) लौह काल

10) ताम्र काल के शहरों में सबसे बड़ा शहर कौन सा था?

क) हड़प्पा

ख) मोहनजोदड़ो

ग) लोथल

घ) कालीबंगा

11) मोहनजोदड़ो के महानगर को महानगर के परिधि में क्यों रखा गया था?

क) अधिक आबादी के कारण

ख) मृदभांड के कारण

ग) ईटों के कारण

घ) व्यापार के कारण

12) हड़प्पा के ज्यादातर साक्ष्य का क्या हुआ?

क) संभाल कर रखे गए हैं

ख) नष्ट हो गए

ग) कोई साक्ष्य उपलब्ध नहीं है

घ) इनमें से कोई नहीं है

13) रेल लाइन बिछाने के दौरान किस पुरास्थल के अधिकांश साक्ष्य नष्ट हो गए?

क) हड़प्पा

ख) मोहनजोदड़ो

ग) लोथल लोथल

घ) कालीबंगा

14) मोहनजोदड़ो के सबसे ऊंचे चबूतरे पर क्या पाया गया है?

क) जैन स्तूप

ख) बौद्ध स्तूप

ग) मठ

घ) मंदिर

15) 'गढ़' की परिभाषा पुरातत्व विद्वान क्या देते हैं?

क) पत्थर

ख) स्तूप वाला चबूतरा

ग) किला

घ) बस्ती

16) स्तूप का अर्थ बताएं?

क) मिट्टी या पत्थर का ऊंचा ढ़ेर

ख) पत्थर

ग) किला

घ) बस्ती बस्ती

17) स्तूप वाले चबूतरे से कितनी दूर पर सिंधु नदी बहाती है?

क) पांच किलोमीटर

ख) आधा किलोमीटर

ग) एक किलोमीटर

घ) तीन किलोमीटर

18) चबतूरे पर किन के कमरे बने हुए थे?

क) राजाओं के

ख) भिक्षुओं के

ग) मजदूरों के

घ) रईसों क

19) पूरब में पाई गई बस्ती को पुरातत्ववेत्ता किस प्रकार की बस्ती मानते हैं?

क) गरीबों की बस्ती

ख) रईसों की बस्ती

ग) मजदूरों की बस्ती

घ) पुजारियों की बस्ती

20) दक्षिण में जो टूटे-फूटे घरों का जमघट है उन्हें किनकी बस्ती मानी गई है?

क) गरीबों की बस्ती

ख) रईसों की बस्ती

ग) मजदूरों की बस्त

घ) कामगारों की बस्ती

21) मोहनजोदड़ो नगर कितने हजार साल पहले का है?

क) एक हजार साल पहले

ख) दो हजार साल पहले

ग) पांच हजारों साल पहले

घ) दस हजार साल पहले

22) लेखक के दृष्टिकोण में मोहनजोदड़ो की क्या खूबी थी?

क) बिखरे अवशेष

ख) साक्ष्य

ग) मजबूती से बनाए गया शहर

घ) इनमें से कोई नहीं

23) सिंधु घाटी सभ्यता अपने समय की सबसे समृद्ध सभ्यता थी कैसे -

क) उत्कृष्ट वास्तुकला के कारण

ख) अपनी नगर नियोजन के कारण

ग) अपनी सभ्यता और संस्कृति के कारण

घ) इनमें से सभी

24) सिंधु घाटी सभ्यता के कुंड बने हुए थे-

क) सीमेंट के

ख) पत्थर के

ग) पक्के ईटों के

घ) चूना पत्थर के

25) मोहनजोदड़ो के मोहरों पर किन पशुओं की आकृति मिली है?

क) शेर

ख) हाथी

ग) गैंडा

घ) इनमें से सभी

26) विशाल कोठार किस प्रयोग में लाया जाता था?

क) शीत भंडारण के लिए

ख) अस्त्र रखने के लि

ग) अनाज रखने के लिए

घ) सोने के लिए

27) फसलों की ढुलाई किसके द्वारा की जाती थी?

क) ऊंट द्वारा

ख) घोड़े द्वारा

ग) बैलगाड़ी के द्वारा

घ) सिर पर रखकर

28) 'दाढ़ी वाले नरेश' को क्या नाम दिया गया है?

क) नरेश

ख) मुख्य नरेश

ग) शक्तिशाली नरेश

घ) याजक नरेश

29) खुदाई में प्राप्त नर्तकी की मूर्ति को किस संग्रहालय में रखा गया है?

क) दिल्ली संग्रहालय

ख) पटना संग्रहाल

ग) कोलकाता संग्रहालय

घ) लंदन संग्रहालय

30) लेखक को ऐसा क्यों लगता है कि बार-बार दृश्यों को देखा जाए तो उन्हें याद करने की आवश्यकता नहीं है?

क) दृश्य हमारे मन में बस जाते हैं

ख) दृश्यों को भी भूल जाते हैं

ग) दृश्य धुंधले हो जाते हैं

घ) इनमें से कोई नहीं

31) लेखक को मोहनजोदड़ो के अवशेषों को देखकर किस गांव की याद आ गई?

क) वसंतपुर

ख) कुलधरा

ग) राधा गांव

घ) गोविंदपुर

32) सिंधु घाटी सभ्यता में पाए गए अनुष्ठानिक महाकुंड का महत्व क्यों है?

क) अपने मूल स्वरूप में विद्यमान होने के कारण

ख) अपने टूटे अवशेष के कारण

ग) लोगों के दृष्टि में ना आने के कारण

घ) इनमें से कोई नहीं

33) जिन सड़कों का निर्माण सीधी या आरी की गई है उसे वास्तुकार क्या कहते हैं?

क) ग्रिड प्लान

ख) सड़क निर्माण

ग) चतुर्भुज सड़क

घ) तिकोनी आकृति

34) मोहनजोदड़ो में सामूहिक स्नान किस बात की ओर इशारा करती है?

क) लोकतंत्र की ओर

ख) राजतंत्र की ओर

ग) अराजकता की ओर

घ) इनमें से सभी

35) पक्की और समरूप आकार में पाई जाने वाली धूसर ईटें किस सभ्यता की विशिष्ट पहचान थी?

क) मेसोपोटामिया सभ्यता की

ख) मिस्र की सभ्यता

ग) सिंधु घाटी की सभ्यता

घ) बेबीलोन की सभ्यता

36) सिंधु घाटी सभ्यता मूलता खेतिहर सभ्यता थी इसके क्या प्रमाण हैं?

क) कृषि के साक्ष्य मिलने के कारण

) नहर मिलने के कारण

ग) कुआं को मिलने के कारण

घ) इनमें से कोई नहीं

37) मेसोपोटामिया के शिलालेखों में मोहनजोदड़ो के लिए किस शब्द का प्रयोग मिलता है?

क) मेलुहा

ख) सिंधु

ग) हिंदू

घ) मुर्दों का टीला

38) चंडीगढ़ शहर के डिजाइनर कौन थे?

क) कार्बजिए

ख) राखाल दास बनर्जी

ग) जॉन मार्शल

घ) ओम थानवी

39) चंडीगढ़ की नगर योजना किस सभ्यता की नगर योजना से से मिलती जुलती है?

क) मेसोपोटामिया

ख) मिस्र

ग) सिंधु घाटी

घ) बेबीलोन

40) मोहनजोदड़ो में लगभग कितने कुएं मिले हैं?

क) सात सौ

ख) पांच सौ

ग) तीन सौ

घ) चार सौ

41) मोहनजोदड़ो में कुओं को छोड़कर सभी चीजों की आकृति लगभग कैसी है?

क) समतल

ख) गोल

ग) चौकोर या आयताकार

घ) त्रिकोण

42) हथियार और उपासना स्थल के साक्ष्य किस सभ्यता में नहीं मिले हैं?

क) मेसोपोटामिया

ख) मिस्र

ग) सिंधु घाटी

घ) बेबीलोन

43) 'डीके' हलका किसके नाम पर रखा गया है?

क) दीक्षित काशीनाथ

ख) दिनेश कुमा

ग) दयानंद कुमार

घ) इनमें से कोई नहीं

44) राजस्थान, पंजाब और गुजरात के मकान किस से मिलते जुलते हैं?

क) मोहनजोदड़ो

ख) लोथल

ग) कालीबंगा

घ) धोलावीरा

45) महान स्नानागार, महाकुंड, नरेश के छोटे मुकुट सिंधु घाटी सभ्यता के किस विशेषता को इंगित करता है?

क) समाज पोषित सभ्यता

ख) धर्म पोषित सभ्यता

ग) राज पोषित सभ्यता

घ) इनमें से सभी

46) लेखक को अजायबघर में प्रदर्शित चीजों में क्या देखकर आश्चर्य हुआ?

क) मिट्टी की बैलगाड़ी

ख) काले पड़ गए गेहूं

ग) हथियार के स्थान पर औजार

घ) खिलौने

47) लेखक ने सिंधु घाटी सभ्यता में भव्यता का आडंबर नहीं होने के कारण इस सभ्यता को क्या माना है?

क) लो प्रोफाइल सभ्यता

ख) हाई प्रोफाइल सभ्यता

ग) अस्तित्व विहीन सभ्यता

घ) सामान्य सभ्यता

48) 'अतीत के दबे पांव' पाठ किस विधा की रचना है?

क) कहानी

ख) नाटक

ग) यात्रा वृतांत

घ) कविता

पाठ के आसपास

मोहनजोदड़ो - सिंध प्रांत में स्थित पुरातात्विक स्थान जहां सिंधु घाटी सभ्यता बसी थी।

मोहनजोदड़ो का अर्थ मुर्दों का टीला।

हड़प्पा पाकिस्तान के पंजाब प्रांत का पुरातात्विक स्थान जहां सिंधु घाटी की सभ्यता का दूसरा प्रमुख नगर बसा था।

ताम्रकाल वह काल जब मानव ने तांबे का प्रयोग सीखा।

मेसोपोटामिया मेसोपोटामिया सभ्यता, जिसे सुमेरियन सभ्यता के रूप में भी जाना जाता है, यह अब तक मानव इतिहास में दर्ज सबसे प्राचीन सभ्यता है। टाइग्रिस नदियों के बीच में स्थित एक जगह है जो अब इराक का हिस्सा है।


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