12th Sanskrit 12. किन्तोः कुटिलता JCERT/JAC Reference Book

12th Sanskrit 12. किन्तोः कुटिलता JCERT/JAC Reference Book
12th Sanskrit 12. किन्तोः कुटिलता JCERT/JAC Reference Book
12. किन्तोः कुटिलता (किन्तु शब्द की कुटिलता) अधिगम-प्रतिफलानि 1. पाठ्यपुस्तकागतान् गद्यपाठान् अवबुध्य तेषां सारांशं वक्तुं लेखितुं च समर्थः अस्ति। (पुस्तक में आए हुए गद्य पाठों को समझकर उनका सारांश बोलने और लिखने में समर्थ होते हैं।) 2. तदाधारितानां प्रश्नानाम् संस्कृतेन वदति लिखति च । उत्तराणि (उनपर आधारित प्रश्नों के उत्तर संस्कृत में बोलते और लिखते हैं।) 3. अपठितगद्यांशं तदाधारितप्रश्नानामुत्तरप्रदाने अस्ति। पठित्वा सक्षमः (अपठित गद्यांश को पढ़कर उसपर आधारित प्रश्नों के उत्तर देने में सक्षम होते हैं।) पाठपरिचयः- यह पाठ देवर्षि श्री कलानाथ शास्त्री द्वारा सम्पादित पण्डित श्री भट्ट मथुरानाथ शास्त्री के निबन्ध संग्रह 'प्रबन्ध-पारिजातः' से संकलित किया गया है। इस पाठ में श्री भट्ट जी ने दिखाया है कि जब कभी किसी कथन के साथ 'किन्तु' लग जाता है, तब बहुधा वह अपने कथन के अच्छे भाव को समाप्त कर उसे दोषपूर्ण और सम्बोधित व्यक्ति के लिए दुःख पैदा करने वाला, उसके उत्साह का नाशक और शत्रु रूप बना देता है। ऐसे अवसर विरल होते हैं जहाँ किन्तु सम्बोधित व्यक्ति के लिए सुखदायक सिद्ध होता है। लेख की …