12th Sanskrit 14. कथं शब्दानुशासनम् कर्तव्यम् 1 JCERT/JAC Reference Book
12th Sanskrit 14. कथं शब्दानुशासनम् कर्तव्यम् 1 JCERT/JAC Reference Book 14. कथं
शब्दानुशासनम् कर्तव्यम् (शब्दों का अनुशासन (प्रयोग) कैसे करना चाहिए) अधिगमः प्रतिफलानि:- 1. विद्यार्थी सरलसंस्कृतभाषया कक्षोपयोगीनि
वाक्यानि वक्तुं समर्थः अस्ति। (विद्यार्थी सरल संस्कृत भाषा में कक्षा
में उपयोगी वाक्यों को बोलने में समर्थ हैं।) 2. कक्षातः बहि दैनन्दिन-जीवनोपयोगीनि
वाक्यानि वदति। (कक्षा से बाहर प्रतिदिन जीवन उपयोगी
वाक्यों को बोलते हैं।) 3. अपठितगद्यांशं पठित्वा तदाधारितप्रश्नानामुत्तरप्रदाने
सक्षमः अस्ति। (अपठित गद्यांश को पढ़कर उन पर आधारित
प्रश्नों के उत्तर देने में सक्षम हैं।) महर्षि पतञ्जलिः पाठ परिचय - यह पाठ महर्षि पतञ्जलि विरचित महाभाष्य
से उद्धृत है। इसमें शब्दों के अनुशासन का वर्णन किया गया है। इस पाठ में वर्णन किया
गया है कि हमें कैसे शब्दों का उपदेश करना चाहिए। अर्थात् केवल शब्दों का उपदेश करना
चाहिए अथवा अपशब्दों का अथवा दोनों का। इसी का समाधान प्रस्तुत पाठ में पौराणिक आख्यानक
के माध्यम से किया गया है। पाठांश:- शब्दानुशासनमिदानीं कर्तव्यम् । किं
शब्दोपदेशः कर्तव्यः, आहोस्विदपशब्दोपदेशः, आहोस्विदुभयोपदेश इति ? अन्यतरोपदेशेन कृतं स्यात्। तद्यथा-भक्ष्यनियमेनाभक्ष्…