स्वतंत्रता की पूर्व संध्या पर भारतीय अर्थव्यवस्था की दशा (Indian Economy on the Eve of Independence)

स्वतंत्रता की पूर्व संध्या पर भारतीय अर्थव्यवस्था की दशा (Indian Economy on the Eve of Independence)
स्वतंत्रता की पूर्व संध्या पर भारतीय अर्थव्यवस्था की दशा (Indian Economy on the Eve of Independence)
प्रश्न :- भारत में औपनिवेशिक शासन की आर्थिक नीतियों का केंद्र बिंदु क्या था? उन नीतियों के क्या प्रभाव हुए? उत्तर :- भारत में औपनिवेशिक शासकों द्वारा रची गई आर्थिक नीतियों का मूल केंद्र बिंदु भारत का आर्थिक विकास न होकर अपने मूल देश के आर्थिक हितों का संरक्षण और संवर्द्धन था। इन नीतियों ने भारत की अर्थव्यवस्था के स्वरूप के मूल रूप को बदल डाला।। संक्षेप में, आर्थिक नीतियों के भारतीय अर्थव्यवस्था पर निम्नलिखित प्रभाव पड़े 1. भारत, इंग्लैण्ड को कच्चे माल की आपूर्ति करने तथा वहाँ के बने तैयार माल का आयात करने वाला देश बनकर रह गया। 2. राष्ट्रीय आय और प्रतिव्यक्ति आय में वृद्धि की दर धीमी हो गई। 3. कृषि उत्पादकता में निरंतर कमी हुई। 4. भारतीय उद्योगों का पतन होता चला गया। 5. बेरोजगारी का विस्तार हुआ। 6. साक्षरता दर में आशानुकूल वृद्धि न हो सकी। 7. पूँजीगत एवं आधारभूत उद्योगों का विस्तार न हो सका। 8. सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव बना रहा। 9. बार-बार प्राकृतिक आपदाओं और अकाल ने जनसामान्य को बहुत ही निर्धन बना डाला। इसके कारण, उच्च मृत्यु दर का सामना करना पड़ा प्रश्न :- औपनिवेशिक काल में भारत की राष…