Class 9 ECO CHAPTER-2 Sansadhan Ke Roop Main Log( संसाधन के रूप में लोग )

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पाठ:- 02. संसाधन के रूप में लोग

1. एक विशेष अवधि में प्रति एक हजार व्यक्तियों के पीछे मरने वाले लोगों की संख्या क्या कही जाती है?
(1) शिशु मृत्यु दर
(2) मृत्यु दर
(3) जन्म दर
(4) इनमें से कोई नहीं

2. भारत में शिशु मृत्यु दर में कमी के क्या कारण माने जाते हैं?
(1) माँ एवं बच्चे का टीकाकरण
(2) माँ एवं बच्चे को पोषण आहार उपलब्ध कराना
(3) नियमित जांच
(4) उपरोक्त सभी

3. किसी व्यक्ति के खेत में 5 लोग काम कर रहे हैं यदि उनमें से 2 लोग को हटा दिया जाए तो उत्पादन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। यह किस प्रकार के बेरोजगारी को इंगित करता है?
(1) मौसमी बेरोजगारी
(2) प्रच्छन्न बेरोजगारी
(3) शिक्षित बेरोजगारी
(4) इनमें से कोई नहीं

4. वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की साक्षरता दर कितना है?
(1) 64.6%
(2) 74.0%
(3) 93.9%
(4) 80.9%

5. इनमें से कौन आर्थिक क्रियाकलाप है?
(1) माँ द्वारा भोजन बनाना
(2) गांव में लोगों द्वारा नालियों की सफाई करना
(3) एक किसान द्वारा कृषि का कार्य करना
(4) एक व्यक्ति द्वारा पेपर पढ़ना

6. महिलाओं के निम्न वेतन वाले कार्यों में नियोजित होने के क्या कारण है?

(1) वे भावुक होती हैं
(2) वे भारी काम नहीं कर सकती
(3) वे सुनसान या रात में काम नहीं कर सकती
(4) उपयुक्त सभी

7. विलास की कहानी से हमें क्या सीख मिलती है?
(1) मानव पूंजी निर्माण में शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका होती है
(2) मानव पूंजी निर्माण में शिक्षा कोई महत्वपूर्ण भूमिका नहीं निभाता
(3) शिक्षा या प्रशिक्षण मानव विकास के लिए महत्वपूर्ण नहीं है
(4) इनमें से कोई नहीं

8. इनमें से कौन सा देश प्राकृतिक संसाधन के अभाव के बावजूद भी मानव संसाधन पर निवेश के कारण विकसित राष्ट्र के रूप में जाना जाता है?
(1) श्रीलंका
(2) भारत
(3) जापान
(4) ब्राजील

9. एक विशेष अवधि में प्रति 1000 व्यक्तियों के पीछे जन्म लेने वाले शिशुओं की संख्या को क्या कहा जाता है?
(1) शिशु मृत्यु दर
(2) मृत्यु दर
(3) जन्म दर
(4) इनमें से कोई नहीं

1. संसाधन के रूप में लोग से आप क्या समझते हैं?

उत्तर:- स्वस्थ, शिक्षित एवं कुशल लोग किसी भी देश के मूल्यवान संपदा होते हैं। मानवीय साधन के बिना आर्थिक क्रियाएं संभव नहीं है। मानव श्रमिक, प्रबंधक एवं उद्यमी के रूप में सभी आर्थिक क्रियाओं में भाग लेता है। इस प्रकार मानव उत्पादन का अभाज्य साधन है।

2. मानव संसाधन भूमि और भौतिक पूंजी जैसे अन्य संसाधनों से कैसे भिन्न हैं?

उत्तर:- मानव संसाधन भूमि और भौतिक पूंजी जैसे अन्य संसाधनों से निम्न तरीके से दिन है-

मानव संसाधन उत्पादन का एक जीवित, क्रियाशील तथा भावुक संसाधन के रूप में जाना जाता है। जबकि भूमि और भौतिक पूंजी एक निर्जीव संसाधन है। वह खुद अपने आप कोई भी कार्य नहीं कर सकता। मानव भूमि और भौतिक पूंजी दोनों पर अपना नियंत्रण स्थापित करता है और अपने सुविधानुसार उपयोग करता है।

अतः मानव संसाधन भूमि और भौतिक पूंजी जैसे अन्य संसाधनों से भिन्न है।

3. मानव पूंजी निर्माण में शिक्षा की क्या भूमिका है?

उत्तर:- मानव संसाधन किसी भी देश की जनसंख्या को दर्शाती है। यह उस देश के निवासियों की कुशलता, उत्पादकता, कौशल और दूरदर्शिता को प्रदर्शित करती है। मानव संसाधन के निर्माण में शिक्षा एक महत्वपूर्ण कारक है। मानव को जब अधिक शिक्षित और प्रशिक्षित कर उसे मानसिक तौर पर अधिक विकसित कर दिया जाता है तब वह मानव से मानव पूंजी में बदल जाता है।

शिक्षा लोगों के व्यवहार और आचरण को आधुनिक बनाता है। जो तेज आर्थिक विकास के लिए आवश्यक भी है। शिक्षा स्वस्थ मानवीय पूंजी का निर्माण करती है। जिससे मानव में चुनौती वाले कार्यों को संभालने की क्षमता विकसित होती है।

4. मानव पूंजी निर्माण में स्वास्थ्य की क्या भूमिका है?

उत्तर:- मानव पूंजी का एक महत्वपूर्ण तत्व स्वास्थ्य है। मानव पूंजी निर्माण में स्वास्थ्य की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यदि व्यक्ति शिक्षित और प्रशिक्षित है लेकिन वह बीमार रहता है। तो वह किसी भी प्रकार के उत्पादन कार्य में शामिल नहीं हो सकेगा। उसकी उत्पादन और कार्यक्षमता शुन्य होगी। एक पुरानी कहावत भी है “स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क का विकास होता है।”

अतः मानव पूंजी निर्माण में स्वास्थ्य की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

5. किसी व्यक्ति के कामयाब जीवन में स्वास्थ्य की क्या भूमिका है?

उत्तर:- किसी भी व्यक्ति के कामयाब जीवन के लिए स्वास्थ्य की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। स्वास्थ्य मानव को सक्रिय, शक्तिशाली एवं कार्य कुशल बनाता है। जिससे वह किसी प्रकार के उत्पादन क्रिया एवं कार्य को भली-भांति कर पाता है। यदि व्यक्ति बीमार रहेगा तो कार्य करने में अक्षम होगा। इसमें कहा भी गया है कि “एक स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क होता है।”

अतः व्यक्ति के कामयाब जीवन में स्वास्थ्य की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

6. प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्रकों में किस तरह की विभिन्न आर्थिक क्रियाएं संचालित की जाती है?

उत्तर:- सभी प्रकार के आर्थिक क्रियाओं को तीन भागों में बांटा गया है। प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्रक की क्रियाकलाप के रूप में।

(i) प्राथमिक क्षेत्रक (Primary Sector) के क्रियाकलाप:- सीधे तौर पर प्रकृति से जुड़ी क्रियाकलापों को प्राथमिक क्षेत्रक के क्रियाकलाप कहते हैं। जैसे- कृषि, मत्स्य पालन, पशु पालन, खनन क्रिया इत्यादि।

(ii) द्वितीय क्षेत्रक (Secondary Sector) के क्रियाकलाप:- वैसे क्रियाकलाप जिसे प्राथमिक उत्पादों को करहल कर फिर से निर्माण का कार्य किया जाता है वैसे क्रियाकलाप को द्वितीय क्षेत्रक के क्रियाकलाप कहा जाता है। जैसे- कल-कारखाने, ईटा भट्टा, आटा चक्की इत्यादि।

(iii) तृतीय क्षेत्रक (Tertiary Sector) के क्रियाकलाप:- तृतीय क्षेत्रक के अंतर्गत वे क्रियाकलाप आते हैं। जो प्राथमिक और द्वितीयक क्षेत्र को मदद करते हैं। जैसे- परिवहन, संचार, बैंकिंग, होटल इत्यादि।

7. आर्थिक और गैर आर्थिक क्रियाओं में क्या अंतर है?

उत्तर:- मानव द्वारा किए जा रहे हैं क्रियाओं को दो भागों में बांटा जाता है। आर्थिक क्रिया और गैर आर्थिक क्रिया के रूप में।

(i) आर्थिक क्रिया:- वैस क्रियाकलाप जो जीविका चलाने के लिए तथा आर्थिक उद्देश्यों से की जाती है। उसे आर्थिक क्रिया कहते हैं। इस प्रकार की क्रियाएं उत्पादन, विनिमय और वस्तुओं तथा सेवाओं के वितरण से संबंधित होती है। जैसे:- शिक्षक, वकील, ड्राइवर, मजदूर, किसान, व्यावसायिक क्षेत्रों में लगे लोग इत्यादि। ध्यान रहे कि इन क्रियाओं का मूल्यांकन मुद्रा के रूप में किया जाता है।

(ii) गैर-आर्थिक क्रिया:- वैसी क्रियाकलाप जो भावनात्मक एवं मनोवैज्ञानिक आवश्यकताओं की संतुष्टि के लिए की जाती है। और जिनका कोई आर्थिक उद्देश्य नहीं होता, उसे गैर आर्थिक क्रियाएं कहते हैं। ये क्रियाएं सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, शैक्षिक एवं सार्वजनिक हित से संबंधित हो सकती है। जैसे- मां द्वारा घरों में खाना बनाना, पर्व-त्यौहारों में चंदा इकट्ठा करना, अपने गली मोहल्ले की साफ सफाई करना इत्यादि।

8. महिलाएं क्यों निम्न वेतन वाले कार्यों में नियोजित होती हैं?

उत्तर:- आमतौर पर महिलाओं को पुरुषों की अपेक्षा कम मजदूरी प्राप्त होता है।
(i) महिलाएं शारीरिक रूप से और भावनात्मक रूप से कमजोर होती हैं।
(ii) सामान्यतः महिलाएं शिक्षा और तकनीकी रूप में पुरुषों की तुलना में पिछड़ी हुई होती है।
(iii) महिलाएं खतरनाक कार्यों के लिए उपयुक्त नहीं होती है।
(iv) महिलाओं के कार्यो पर सामाजिक प्रतिबंध का भी सामना करना पड़ता है।
(v) महिलाएं दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र मरुस्थलीय क्षेत्रों में कार्य नहीं कर सकती हैं।
(vi) अधिकतर महिलाएं दिन के समय ही कार्य कर सकती है रात के समय वे कार्य नहीं कर सकती।

उपरोक्त कारणों से महिलाओं को पुरुषों की तुलना में कम वेतन वाले कार्यों में नियोजित होना पड़ता है।

9. बेरोजगारी शब्द की आप कैसे व्याख्या करेंगे?

उत्तर:- बेरोजगारी उस स्थिति को कहते हैं जब कुशल व्यक्ति प्रचलित दरों पर कार्य करने को इच्छुक होता है। परंतु उसे कार्य नहीं मिलता है तो ऐसी स्थिति को बेरोजगारी कहते हैं।

10. प्रच्छन्न और मौसमी बेरोजगारी में क्या अंतर है?

उत्तर:-
प्रच्छन्न बेरोजगारी:- यह बेरोजगारी की वह स्थिति है। जिसमें श्रमिक या व्यक्ति की सीमांत उत्पाद शुन्य होता है। इसके अंतर्गत व्यक्ति नियोजित प्रतीत होते हैं। अर्थात जहां आवश्यकता से अधिक लोग लगे होते हैं। ऐसी स्थिति को प्रच्छन्न बेरोजगारी कहते हैं। सामान्यतः ऐसी स्थिति ग्रामीण क्षेत्रों के अंतर्गत कृषि क्षेत्रों में देखने को मिलती है। जहां लोग आवश्यकता से अधिक लगे होते हैं।

मौसमी बेरोजगारी:- यह बेरोजगारी की वह स्थिति है जिसमें श्रमिक या व्यक्ति को वर्ष के कुछ महीने काम नहीं मिलते हैं। जिन महिनों में काम मिलता है उसके लिए उन्हें पैसे दी जाती है। ऐसी स्थिति को मौसमी बेरोजगारी कहते हैं। इस प्रकार की बेरोजगारी भी अधिकतर ग्रामीण क्षेत्रों के अंतर्गत कृषि क्षेत्र में देखने को मिलती है।

11. शिक्षित बेरोजगारी भारत के लिए एक विशेष समस्या क्यों है?

उत्तर:- शिक्षित बेरोजगारी भारत के लिए एक बड़ी समस्या बनती जा रही है। जो कि हर साल हजारों और लाखों की संख्या में शिक्षित और प्रशिक्षित युवक तैयार हो रहे हैं।

अगर आंकड़े की बात करें तो देश में 80 हजार से अधिक डिप्लोमाधारी, इंजीनियर, 25 हजार से अधिक डिग्री इंजीनियर, 35 लाख से अधिक स्नातक एवं स्नातकोत्तर डिग्रीधारी, 40 लाख से अधिक इंटरमीडिएट तथा एक करोड़ से माध्यमिक पास युवक रोजगार की बाट जोह रहे हैं। सर्वे रिपोर्ट फरवरी, 2020 के अनुसार बेरोजगारी दर 7.78% थी।

12. आपके विचार से भारत किस क्षेत्रक में रोजगार के सर्वाधिक अवसर सृजित कर सकता है?

उत्तर:- हमारे विचार में भारत में सेवा क्षेत्र में सबसे अधिक रोजगार के अवसर पैदा हो सकते हैं। भूमि की अपनी सीमाएं होती हैं इसे बढ़ाया नहीं जा सकता। जबकि उद्योगों को अधिक मात्रा में संसाधनों की आवश्यकता पड़ती है। जिसे हम सरलता से आपूर्ति नहीं कर सकते हैं।

भारत की जनसंख्या बहुत अधिक है। जिसे उचित शिक्षा, तकनीकी ज्ञान और कौशल के जरिए श्रम शक्ति का उत्पादन कर सकता है। इस प्रकार के मानव संसाधन का अंतरराष्ट्रीय बाजार में बहुत ही अधिक मांग है। मानव संसाधन सेवा क्षेत्रक के अंतर्गत आता है। इस प्रकार भारत में सेवा क्षेत्र में सर्वाधिक रोजगार के अवसर सृजित किए जा सकते हैं।

13. क्या आप शिक्षा प्रणाली में शिक्षित बेरोजगारों की समस्या दूर करने के लिए कुछ उपाय सुझा सकते हैं?

उत्तर:- जहां शिक्षा विकास का आधार मानी जाती है। वहीं, जब शिक्षित लोगों को रोजगार नहीं मिलता तब वही शिक्षा अभिशाप बन जाती है। क्योंकि अधिक शिक्षित या प्रशिक्षित लोग खेतों में मजदूरी का काम, संडक निर्माण वाले कार्य, छोटे उद्योगों में मजदूर आदि जैसे कार्य करने से कतराते हैं।

हमारी शिक्षा प्रणाली को कार्य, उद्देश्य एवं आवश्यकता के अनुसार होना चाहिए। उच्च स्तर तक सामान्य रूप से शिक्षा देनी चाहिए। तत्पश्चात विभिन्न शैक्षिणक शाखाओं में प्रशिक्षण के कोर्स शुरू करनी चाहिए।

14. क्या आप कुछ ऐसे गांव की कल्पना कर सकते हैं जहां पहले रोजगार का कोई अवसर नहीं था, लेकिन बाद में बहुतायत में हो गया?

उत्तर:- हां, हम कुछ ऐसे गांव की कल्पना कर सकते हैं। जिनके पास शुरुआत में कोई रोजगार का अवसर नहीं था। परंतु बाद में कई अवसर पैदा हुए। इस काल्पनिक गांव के लोगों को शिक्षण एवं प्रशिक्षण के माध्यम से संभव बनाया गया। वहां शिक्षित लोगों को अध्यापन के कार्यों में लगाया गया। लड़कियों को सिलाई का प्रशिक्षण प्रदान किया गया। और दर्जी का कार्य प्रारंभ किया गया। गांव के लड़के कृषि इंजीनियर बनकर फसलों की उत्पादकता को बढ़ाया। इससे कृषि क्षेत्र में उत्पादन में वृद्धि हुई। इससे विपणन और अधिशेष की बिक्री से रोजगार के अवसर भी उत्पन्न हुए। ये सभी कार्य मानव संसाधन की गुणवत्ता में वृद्धि करने के बाद प्राप्त किए गए।

15. किस पूंजी को आप सबसे अच्छा मानते हैं- भूमि, श्रम, भौतिक, पूंजी और मानव पूंजी? क्यों?

उत्तर:- हम मानव पूंजी को सबसे उत्तम मानते हैं। क्योंकि भूमि स्थाई है। जिसे बढ़ाया नहीं जा सकता। श्रम की भी एक सीमा होती है। जबकि भौतिक पूंजी मानव द्वारा निर्मित की जाती है। पूंजी को अधिक संसाधनों की आवश्यकता पड़ती है। इसे भी एक निश्चित सीमा के पश्चात नहीं बढ़ाया जा सकता। जबकि मान मानव पूंजी को किसी भी सीमा तक बढ़ाया जा सकता है और इसके प्रतिफल को कई गुणा किया जा सकता है।

भौतिक पूंजी का निर्माण, प्रबंधन एवं नियंत्रण मानव पूंजी अर्थात मानव संसाधन द्वारा किया जाता है। मानव पूंजी केवल स्वंय के लिए कार्य नहीं करता है। बल्कि अन्य साधनों जैसे भूमि, श्रम और भौतिक पूंजी को भी क्रियाशील बनाती है। इस तरह मानव पूंजी उत्पादन का एक अभाज्य (Indispensable) साधन है।

 

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