Class 12 Political Science Jac Board 2025 Answer key

Class 12 Political Science Jac Board 2025 Answer key

 Class 12 Political Science Jac Board 2025 Answer key

झारखण्ड अधिविद्य परिषद्

ANNUAL INTERMEDIATE EXAMINATION – 2025

POLITICAL SCIENCE (01.03.2025)

कुल समय: 3 घंटे 15 मिनट

पूर्णांक : 80

सामान्य निर्देश :

1. इस प्रश्न-पुस्तिका में दो भाग - भाग-A तथा भाग-B हैं।

2. भाग-A में 30 अंक के बहुविकल्पीय प्रश्न तथा भाग-B में 50 अंक के विषयनिष्ठ प्रश्न हैं।

3. परीक्षार्थी को अलग से उपलब्ध कराई गई उत्तर-पुस्तिका में उत्तर देना है।

4. भाग-A इसमें 30 बहुविकल्पीय प्रश्न हैं जिनके 4 विकल्प (A, B, C तथा D) हैं। परीक्षार्थी को उत्तर-पुस्तिका में सही विकल्प लिखना है। सभी प्रश्न अनिवार्य हैं। प्रत्येक प्रश्न 1 अंक का है। गलत उत्तर के लिए कोई अंक काटा नहीं जाएगा।

5. भाग-B इस भाग में तीन खण्ड खण्ड-A, B तथा C हैं। इस भाग में अति लघु उत्तरीय, लघु उत्तरीय तथा दीर्घ उत्तरीय प्रकार के विषयनिष्ठ प्रश्न हैं। कुल प्रश्नों की संख्या 22 है।

खण्ड-A प्रश्न संख्या 31-38 अति लघु उत्तरीय प्रकार के हैं। किन्हीं 6 प्रश्नों के उत्तर दें। प्रत्येक प्रश्न 2 अंक का है।

खण्ड-B प्रश्न संख्या 39-46 लघु उत्तरीय प्रकार के हैं। किन्हीं 6 प्रश्नों के उत्तर दें। प्रत्येक प्रश्न 3 अंक का है। प्रत्येक प्रश्न का उत्तर अधिकतम 150 शब्दों में दें।

खण्ड-C - प्रश्न संख्या 47-52 दीर्घ उत्तरीय प्रकार के हैं। किन्हीं 4 प्रश्नों के उत्तर दें। प्रत्येक प्रश्न 5 अंक का है। प्रत्येक प्रश्न का उत्तर अधिकतम 250 शब्दों में दें।

6. परीक्षार्थी यथासंभव अपने शब्दों में ही उत्तर दें।

7. परीक्षार्थी परीक्षा भवन छोड़ने के पहले अपनी उत्तर-पुस्तिका वीक्षक को अनिवार्य रूप से लौटा दें।

8. परीक्षा समाप्त होने के उपरांत परीक्षार्थी प्रश्न-पुस्तिका अपने साथ लेकर जा सकते हैं।

भाग-A (बहुविकल्पीय प्रश्न)

प्रश्न संख्या 1 से 30 तक बहुविकल्पीय प्रकार हैं। प्रत्येक प्रश्न के चार विकल्प हैं। सही विकल्प चुनकर उत्तर पुस्तिका में लिखें। प्रत्येक प्रश्न 1 अंक का है। 1 x 30-30

1. वारसा पैक्ट की स्थापना किस देश के नेतृत्व में हुई थी ?

(A) फ्रांस

(B) सोवियत संघ

(C) अमेरिका

(D) जापान

2. पहला गुट निरपेक्ष शिखर सम्मेलन में कितने देश भाग लिये थे ?

(A) 75

(B) 54

(C) 116

(D) 25

3. भारत व पाकिस्तान के बीच ताशकंद का समझौता करने में कौन-से सोवियत नेता ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी ?

(A) स्टालिन

(B) गोर्बाचेव

(C) कोसीजिन

(D) खुश्चेव

4. बर्लिन की दीवार कब गिरायी गई ?

(A) 2001

(B) 1989

(C) 1961

(D) 1991

5. ग्लासनोस्त और पेरेस्त्रोइका किसने प्रस्तुत किया था ?

(A) लेनिन

(B) स्टालिन

(C) येल्तसिन

(D) गोर्बाचेव

6. जोसिप ब्रोज टीटो किस देश के नेता थे ?

(A) घाना

(B) युगोस्लाविया

(C) मिस्र

(D) इंडोनेशिया

7. यूरोपीय संघ से कौन-से देश की सदस्यता समाप्त कर दी गई है ?

(A) ब्रिटेन

(B) फ्रांस

(C) जर्मनी

(D) इटली

8. सोवियत संघ और अमेरिका ने परमाणु अप्रसार संधि (एन.पी.टी.) पर कब हस्ताक्षर किया था ?

(A) 1964

(B) 1991

(C) 1963

(D) 1968

9. आसियान के संस्थापक सदस्य देशों की संख्या क्या है ?

(A) 7

(B) 5

(C) 10

(D) 8

10. भारत ने कब अपना पहला परमाणु परीक्षण किया था ?

(A) 1974

(B) 1998

(C) 1950

(D) 1975

11. निम्नलिखित में किसे 'विडियो गेम वार' कहा जाता है ?

(A) अरब-इजराइल युद्ध

(B) इराक-ईरान युद्ध

(C) भारत-पाक युद्ध

(D) प्रथम खाड़ी युद्ध

12. 'एक मेखला एक मार्ग' किस देश की नीति है ?

(A) जापान

(B) चीन

(C) भारत

(D) रूस

13. 1972 का शिमला समझौता किन दो देशों के बीच हुआ ?

(A) भारत-बांग्लादेश

(B) भारत-पाकिस्तान

(C) भारत-नेपाल

(D) पाकिस्तान-बांग्लादेश

14. अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय कहाँ अवस्थित है ?

(A) लन्दन

(B) पेरिस

(C) द हेग

(D) न्यूयार्क

15. संयुक्त राष्ट्र संघ के बजट में सबसे अधिक योगदान किस देश का है?

(A) चीन

(B) रूस

(C) अमेरिका

(D) जापान

16. राष्ट्रसंघ की स्थापना कब हुई थी ?

(A) 1941

(B) 1919

(C) 1945

(D) 1920

17. मेधा पाटकर का नाम किस आन्दोलन से जुड़ा है ?

(A) नर्मदा बचाओ आन्दोलन

(B) चिपको आन्दोलन

(C) नक्सलवादी आन्दोलन

(D) किसान आन्दोलन

18. पर्यावरण और विकास पर संयुक्त राष्ट्रसंघ की रिपोर्ट का क्या शीर्षक है ?

(A) मात्र एक पृथ्वी

(B) हमारा साझा भविष्य

(C) साझी त्रासदी

(D) टिकाऊ विकास

19. बांग्लादेश का निर्माण किस वर्ष हुआ था ?

(A) 1970

(B) 1972

(C) 1971

(D) 1973

20. डी.एम.के. किस राज्य की क्षेत्रीय पार्टी है ?

(A) असम

(B) नागालैंड

(C) केरल

(D) तमिलनाडु

21. 'कामराज योजना' किस वर्ष प्रस्तावित की गयी थी ?

(A) 1965

(B) 1961

(C) 1960

(D) 1963

22. नीति आयोग का गठन कब हुआ ?

(A) 3 मार्च, 2017

(B) 1 जनवरी, 2015

(C) 1 जनवरी, 2014

(D) 15 जनवरी, 2016

23. किस राजनीतिक दल ने 1957 में केरल में अपनी सरकार बनाई थी ?

(A) जन संघ पार्टी

(B) भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी

(C) राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी

(D) सोशलिस्ट पार्टी

24. 2024 में लोकसभा का कौन-सा आम चुनाव हुआ था ?

(A) 15 वीं

(B) 16 वीं

(C) 17 वीं

(D) 18 वीं

25. एफ्रो-एशियाई बंडुग सम्मेलन कब हुआ था ?

(A) 1950

(B) 1990

(C) 1955

(D) 2000

26. किस देश ने भारत पर आक्रमण कर 'पंचशील' का उल्लंघन किया ?

(A) चीन

(B) पाकिस्तान

(C) अमेरिका

(D) फ्रांस

27. महाराष्ट्र में 'दलित पैंथर्स' नामक संगठन कब बना था ?

(A) 1960

(B) 1972

(C) 1975

(D) 1980

28. जब जनता पार्टी की सरकार बनी तो प्रधानमंत्री का पद किसे मिला था ?

(A) राज नारायण

(B) मोरारजी देसाई

(C) चरण सिंह

(D) जगजीवन राम

29. 'सम्पूर्ण क्रान्ति' का विचार किसने दिया था ?

(A) भगत सिंह

(B) विनोवा भावे

(C) जयप्रकाश नारायण

(D) सुभाष चन्द्र बोस

30. भारत ने अपने आर्थिक विकास के लिये किस मॉडल को चुना था ?

(A) पूँजीवादी

(B) समाजवादी

(C) उदारवादी समाजवादी

(D) मिश्रित अर्थव्यवस्था

भाग-B (विषयनिष्ठ प्रश्न)

(अति लघु उत्तरीय प्रश्न)

किन्हीं छः प्रश्नों के उत्तर दें। 2 x 6 =12

31. आसियान की स्थापना कब हुई और इसके कितने सदस्य देश हैं ?

उत्तर- दक्षिण-पूर्व एशियाई राष्ट्रों का संगठन (आसियान) की स्थापना 8 अगस्त, 1967 को हुई थी इसकी स्थापना थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में हुई थी आसियान के 10 सदस्य देश हैं: ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, फ़िलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, वियतनाम

32. एमनेस्टी इण्टरनेशनल क्या है?

उत्तर- एमनेस्टी इंटरनेशनल एक अंतरराष्ट्रीय स्वयंसेवी संस्था है जो अपना उद्देश्य "मानवीय मूल्यों, एवं मानवीय स्वतंत्रता, को बचाने एवं भेदभाव मिटाने के लिए शोध एवं प्रतिरोध करने एवं हर तरह के मानवाधिकारों के लिए लडना" बताती है। इसकी स्थापना साल 1961 में ब्रिटेन के वकील पीटर बेन्सन ने की थी।

33. संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना कब हुई थी ? संयुक्त राष्ट्र संघ के वर्तमान महासचिव कौन हैं ?

उत्तरसंयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना 24 अक्टूबर, 1945 को हुई थी। इसके वर्तमान महासचिव एंटोनियो गुटेरेस हैं।

34. मूलवासी कौन हैं ?

उत्तर- किसी राज्य के ऐसे लोग मूलवासी या आदिवासी कहलाते हैं जो वहाँ अनन्त काल से रह रहे हैं तथा जिन्हें बहुत पुरानी रीतियों पर आधारित जीवन-शैली से पहचाना जा सकता है।

35. भारत की आजादी से पहले के किन्हीं दो देशी रियासतों के नाम लिखें।

उत्तरहैदराबाद, मैसूर व कश्मीर

36. नरेन्द्र मोदी सरकार ने 2014 में किस आयोग का उन्मूलन किया और उसके स्थान पर किस आयोग का गठन किया ?

उत्तर- सन् 2014 में श्री मोदी ने योजना आयोग का उन्मूलन कर दिया तथा इसके स्थान पर 1 जनवरी, 2015 को 'नीति आयोग' का गठन किया गया।

37. भारतीय विदेश नीति के किन्हीं दो मूल सिद्धांतों का उल्लेख कीजिए।

उत्तरभारतीय विदेश नीति के दो मूल सिद्धांत ये हैं:

1. एक-दूसरे की क्षेत्रीय अखंडता और आज़ादी का सम्मान करना

2. शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व

38. चिपको आन्दोलन से आपका क्या अभिप्राय है ?

उत्तर- उत्तराखण्ड के अल्मोड़ा व गढ़वाल जिलों मे यह आन्दोलन चला जिसका श्रेय सुन्दर लाल बहुगुणा को जाता है। उन्होंने पेड़ों की अन्धाधुन्ध कटाई रोकने हेतु लोगों, विशेषकर महिलाओं, को प्रेरित किया कि वे पेड़ों से चिपक कर खड़ी हो जाएँ, ताकि उनकी कटाई न हो सके। यह आन्दोलन सफल हुआ।

खण्ड - B (लघु उत्तरीय प्रश्न)

किन्हीं छः प्रश्नों के उत्तर दें। प्रत्येक प्रश्न का उत्तर अधिकतम 150 शब्दों में दें। 6x3=18

39. सार्क के क्या उद्देश्य हैं?

उत्तर- यूरोपीय संघ तथा आसियान जैसे क्षेत्रीय संगठनों की सफलता को देखते हुए 1985 में भारतीय प्रधानमन्त्री राजीव गाँधी ने दक्षेस (SAARC) बनाने का संकल्प लिया। इसके निम्न उद्देश्य हैं-

1. दक्षिण एशियाई क्षेत्र के लोगों का कल्याण करना तथा उनका जीवन स्तर सुधारना।

2. इस क्षेत्र का आर्थिक, सामाजिक व सांस्कृतिक विकास करना।

3. दक्षिण एशिया के देशों के बीच आत्म निर्भरता को बढ़ाना व उसे प्रोत्साहित करना तथा सभी लोगों को ऐसे अवसर देना कि वे मान-मर्यादा से रह सकें तथा अपने पूर्ण सामर्थ्य को सिद्ध कर सकें।

4. एक-दूसरे की समस्याओं को समझें, उनका आकलन करें तथा परस्पर विश्वास को प्रोत्साहन दें।

5. आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक व तकनीकी क्षेत्रों में सक्रिय सहयोग तथा परस्पर सहायता को प्रोत्साहित करें।

6. साझे महत्व के मामलों में अन्तर्राष्ट्रीय मंचों पर आपस में सहयोग को बढ़ावा दें।

7. समान उद्देश्यों व प्रयोजनों से लैस अन्य क्षेत्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों से सहयोग बनायें।

40. विश्व व्यापार संगठन की रूपरेखा क्या है?

उत्तरविश्व व्यापार संगठन (WTO) एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है यह देशों के बीच व्यापार से जुड़े नियमों को तय करता हैWTO की स्थापना 1995 में हुई थी यह टैरिफ़ और व्यापार पर सामान्य समझौते (GATT) की जगह लेता हैWTO के ज़रिए, सदस्य देशों के बीच व्यापार सुचारू से चलता है.

विश्व व्यापार संगठन की रूपरेखा:

1. WTO, बहुपक्षीय समझौतों के ज़रिए अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए कानूनी नियम तय करता है

2. WTO का मकसद, मुक्त व्यापार में आने वाली बाधाओं को कम करना है

3. WTO, सदस्य देशों के बीच व्यापार से जुड़े मतभेदों को सुलझाने का मंच देता है

4. WTO में विवाद निपटान के लिए एक निकाय है, जिसे विवाद निपटान निकाय (DSB) कहते हैं

5. WTO, सदस्य देशों के बीच नियमों पर असहमति को हल करने के लिए एक विवाद निपटान तंत्र (DSM) देता है

6. WTO, विश्व व्यापार पर सालाना रिपोर्ट तैयार करता है

7. WTO, व्यापार के लिए सहायता की निगरानी और मूल्यांकन करता है

41. भारत और बांग्लादेश के बीच पारस्परिक सहयोग बढ़ाने वाले किन्हीं दो कारकों की चर्चा करें।

उत्तर- भारत और बांग्लादेश के बीच आपसी सहयोग को बढ़ावा देने वाले दो विषय निम्न हैं-

(i) 1971 में बांग्लादेश को स्वतन्त्र बनाने में भारत की अहम् भूमिका की बांग्लादेश द्वारा अनदेखी नहीं की जा सकती है। इस ऐतिहासिक कारक का योगदान यदा कदा दोनों देशों के सम्बन्ध में देखा जा सकता है।

(ii) बांग्लादेश की सभ्यता, संस्कृति, भाषा आदि विशेष रूप से हमारे राज्य पश्चिम बंगाल के समान है। यह साझी विरासत भी दोनों देशों के सम्बन्धों पर सकारात्मक असर डालती है।

42. सैन्य शक्ति के रूप में अमेरिकी वर्चस्व का वर्णन करें।

उत्तर-

(i) आज अमेरिका मात्र एक महाशक्ति है। उसके पास विशाल थल सेना, जल सेना व वायु सेना है।

(ii) हर प्रकार के परमाणु व परम्परागत हथियार हैं।

(iii) विश्व के सभी देशों पर उसका वर्चस्व स्थापित हो गया है।

(iv) अफगानिस्तान व इराक पर आक्रमण करके वहाँ अपने विरोधियों का शासन मिटा देना इसी अद्वितीय सैन्य शक्ति के कारण हुआ।

43. सामूहिक सुरक्षा से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर- सामूहिक सुरक्षा अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर शक्ति प्रबन्धन का एक आधुनिक साधन है। सामूहिक सुरक्षा की व्यवस्था के अन्तर्गत विभिन्न देशों के बीच एक सहमति बनती है कि समझौते में शामिल देशों में से किसी भी देश की सुरक्षा और शान्ति को खतरा पैदा होने पर वे सामूहिक रूप से इससे निपटने का प्रयास करेंगे। प्रत्येक राष्ट्र दूसरे सभी राष्ट्रों की सुरक्षा की गारण्टी देता है और इसके फलस्वरूप दूसरे राष्ट्रों द्वारा किये गये वायदों से उसे अपनी सुरक्षा की गारण्टी मिलती है।

44. जल प्रदूषण से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर- मानवीय क्रिया-कलापों या प्राकृतिक प्रक्रियाओं द्वारा जल के रासायनिक, भौतिक तथा जैविक गुणों में अवांछनीय परिवर्तन को जल प्रदूषण कहते हैं। जल प्रदूषण के कारण मानव जीवन को अनेक संकटों का सामना करना पड़ता है तथा प्रदूषित जल के सेवन से लाखों लोग काल के गाल में समा जाते हैं।

45. वैश्वीकरण क्या है ?

उत्तर-वैश्वीकरण का अर्थ है विश्व के राज्यों के बीच बढ़ती हुई निकटता व परस्पर निर्भरता। इसीलिए दूरियाँ मिट रही हैं तथा नयी प्रौद्योगिकी व संचार के साधनों ने सारी दुनिया के लोगों को जोड़ दिया है। यह एक बहु-आयामी अवधारणा है जिसे आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक व राजनीतिक दशाओं में देखा जा सकता है। लोगों के विचारों या जीवन शैलियों में बदलाव आ रहा है तथा लोकतन्त्र का सार्वभौमीकरण हो रहा है।

46. नियोजित विकास का अर्थ क्या है ?

उत्तर- नेहरू समाजवादी विचारधारा से प्रभावित थे। उन्होंने नियोजन के द्वारा देश के विकास का रास्ता चुना। इसके पीछे मुख्य ध्येय थे-

(i) आर्थिक क्षेत्र में राज्य के प्रतिबन्धों को बढ़ाना,

(ii) विदेशी पूँजी व तकनीकी के प्रवेश पर रोक लगाना,

(iii) निजी क्षेत्र को नियन्त्रित करके सार्वजनिक क्षेत्र को प्रोत्साहन देना,

(iv) मिश्रित अर्थव्यवस्था का प्रतिमान स्थापित करना तथा

(v) यदि आवश्यक हो तो जनहित में कानून की शक्ति से तथा उचित क्षतिपूर्ति देकर निजी सम्पत्ति का राष्ट्रीयकरण करना।

खण्ड - C (दीर्घ उत्तरीय प्रश्न)

किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दें। प्रत्येक प्रश्न का उत्तर अधिकतम 250 शब्दों में दें। 5x4=20

47. सोवियत प्रणाली में सुधार के लिए गोर्बाचेव की भूमिका और सोवियत संघ पर इन सुधारों के प्रभावों को वर्णन करें।

उत्तरसोवियत संघ के अंतिम राष्ट्रपति मिखाइल गोर्बाचेव ने सोवियत प्रणाली में सुधार लाने के लिए कई महत्वपूर्ण प्रयास किए। उनके सुधारों का उद्देश्य सोवियत संघ को एक अधिक खुला, लोकतांत्रिक और आर्थिक रूप से मजबूत देश बनाना था।

गोर्बाचेव के सुधार:

1. ग्लासनोस्ट (खुलापन): इस नीति के तहत, गोर्बाचेव ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सूचना के प्रसार को बढ़ावा दिया। इसका उद्देश्य सरकार की पारदर्शिता को बढ़ाना और भ्रष्टाचार को कम करना था। इसने लोगों को सरकार की आलोचना करने और अपनी राय व्यक्त करने की अनुमति दी।

2. पेरेस्त्रोइका (पुनर्गठन): यह नीति सोवियत अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए शुरू की गई थी। इसका उद्देश्य बाजार सुधारों को लागू करना और निजी उद्यम को प्रोत्साहित करना था। इसने सोवियत संघ के आर्थिक ढांचे में विकेंद्रीकरण और निजीकरण को बढ़ावा दिया।

3. लोकतांत्रिकरण: गोर्बाचेव ने राजनीतिक सुधारों की शुरुआत की, जिसमें बहुदलीय चुनाव और एक नई विधायिका की स्थापना शामिल थी। इसने सोवियत संघ की राजनीतिक प्रणाली को अधिक लोकतांत्रिक बनाने का प्रयास किया।

4. नई सोच: गोर्बाचेव की "नई सोच" विदेश नीति का उद्देश्य शीत युद्ध को समाप्त करना और पश्चिम के साथ संबंधों को सुधारना था। इसने परमाणु हथियारों में कमी और पूर्वी यूरोप में सोवियत हस्तक्षेप को कम करने का नेतृत्व किया।

सुधारों के प्रभाव:

1. गोर्बाचेव के सुधारों ने सोवियत संघ में महत्वपूर्ण परिवर्तन लाए, लेकिन उन्होंने अनपेक्षित परिणाम भी दिए।

2. ग्लासनोस्ट ने लोगों को सरकार की आलोचना करने की अनुमति दी, जिससे असंतोष और विरोध प्रदर्शनों में वृद्धि हुई।

3. पेरेस्त्रोइका ने सोवियत अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने में विफल रही, और इससे आर्थिक अस्थिरता और कमी में वृद्धि हुई।

4. लोकतांत्रिकरण ने सोवियत संघ की राजनीतिक प्रणाली को कमजोर कर दिया, और इससे अलगाववादी आंदोलनों में वृद्धि हुई।

5. अंततः, गोर्बाचेव के सुधारों ने सोवियत संघ के विघटन में योगदान दिया।

6. उनके सुधारों ने पूर्वी यूरोप में साम्यवाद के पतन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

48. स्वतंत्र भारत में लोकतंत्र स्थापित करने की कौन-सी चुनौतियाँ थीं ?

उत्तरस्वतंत्र भारत में लोकतंत्र स्थापित करने की कई चुनौतियाँ थीं। इनमें से कुछ मुख्य चुनौतियाँ इस प्रकार हैं-

1. विभाजन का प्रभाव: भारत का विभाजन एक दर्दनाक और हिंसक घटना थी। इसने सांप्रदायिक तनाव और विस्थापन को जन्म दिया, जिससे लोकतंत्र की स्थापना में बाधा उत्पन्न हुई। विभाजन के कारण लाखों लोग बेघर हो गए और उन्हें पुनर्वासित करना एक बड़ी चुनौती थी।

2. गरीबी और अशिक्षा: स्वतंत्रता के समय भारत एक गरीब और अशिक्षित देश था। गरीबी और अशिक्षा के कारण लोगों को अपने अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में जानकारी नहीं थी। गरीबी और अशिक्षा के कारण लोगों को राजनीतिक प्रक्रिया में भाग लेने में कठिनाई होती थी।

3. सामाजिक असमानता: भारत में जाति, धर्म और लिंग के आधार पर गहरी सामाजिक असमानता थी। इन असमानताओं के कारण कुछ लोगों को राजनीतिक प्रक्रिया में भाग लेने से वंचित रखा गया। जातिवाद, सम्प्रदायवाद और क्षेत्रवाद जैसी समस्याएं लोकतंत्र के सामने बड़ी चुनौती बनकर उभरीं।

4. राजनीतिक दलों का विकास: स्वतंत्रता के बाद भारत में राजनीतिक दलों का विकास धीरे-धीरे हुआ। राजनीतिक दलों की कमी के कारण लोगों को अपने हितों का प्रतिनिधित्व करने में कठिनाई होती थी।

5. संविधान का निर्माण: भारत के लिए एक लोकतांत्रिक संविधान का निर्माण करना एक बड़ी चुनौती थी। संविधान निर्माताओं को विभिन्न हितों और दृष्टिकोणों को संतुलित करना था।

6. एकता और अखंडता: भारत एक विशाल और विविध देश है। स्वतंत्रता के बाद भारत को एकता और अखंडता बनाए रखना एक बड़ी चुनौती थी। कई क्षेत्रीय आंदोलन और अलगाववादी गतिविधियाँ देश की एकता के लिए खतरा थीं।

इन चुनौतियों के बावजूद, भारत ने एक सफल लोकतंत्र की स्थापना की। भारतीय लोकतंत्र दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और यह विविधता में एकता का एक उदाहरण है।

49. अमेरिका के साथ भारत के वर्तमान सम्बन्ध का वर्णन करें।

उत्तरअमेरिका-भारत रणनीतिक साझेदारी लोकतंत्र के प्रति प्रतिबद्धता तथा नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली को बनाए रखने सहित साझा मूल्यों पर आधारित है। व्यापार, निवेश एवं कनेक्टिविटी के माध्यम से वैश्विक सुरक्षा, स्थिरता तथा आर्थिक समृद्धि को बढ़ावा देने में दोनों देशों के साझा हित हैं।

1. आर्थिक संबंध: दोनों देशों के बीच बढ़ते आर्थिक संबंधों के परिणामस्वरूप वर्ष 2022-23 में अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बनकर सामने आया है।

भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार वर्ष 2022-23 में 7.65% बढ़कर 128.55 अमेरिकी डॉलर हो गया, जबकि वर्ष 2021-22 में यह 119.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।

वर्ष 2022-23 में अमेरिका के साथ निर्यात 2.81% बढ़कर 78.31 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है, जबकि वर्ष 2021-22 में यह 76.18 बिलियन अमेरिकी डॉलर था तथा आयात लगभग 16% बढ़कर 50.24 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।

2. अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका संयुक्त राष्ट्र, G-20, दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों का संगठन (ASEAN), क्षेत्रीय मंच, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक और विश्व व्यापार संगठन सहित बहुपक्षीय संगठनों में निकटता से सहयोग करते हैं।

संयुक्त राज्य अमेरिका ने वर्ष 2021 में दो वर्ष के कार्यकाल के लिये भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में शामिल करने का स्वागत किया तथा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार का समर्थन किया जिसमें भारत को स्थायी सदस्य के रूप में शामिल किया गया है।

भारत, हिंद-प्रशांत आर्थिक संरचना (Indo-Pacific Economic Framework for Prosperity- IPEF) पर संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ साझेदारी करने वाले बारह देशों में से एक है।

भारत हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (IORA) का सदस्य है, जिसमें संयुक्त राज्य अमेरिका एक संवाद भागीदार है।

 वर्ष 2021 में संयुक्त राज्य अमेरिका भारत में मुख्यालय वाले अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन में शामिल हो गया और वर्ष 2022 में यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (USAID) में शामिल हो गया।

3. रक्षा सहयोग: भारत ने अब अमेरिका के साथ सभी चार मूलभूत समझौतों पर हस्ताक्षर कर दिये हैं।

वर्ष 2016 में लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट (LEMOA),

वर्ष 2018 में संचार संगतता और सुरक्षा समझौता (COMCASA),

वर्ष 2020 में भू-स्थानिक सहयोग हेतु बुनियादी विनिमय और सहयोग समझौता (BECA)

जबकि सैन्य सूचना समझौते की सामान्य सुरक्षा (GSOMIA) पर बहुत समय पहले हस्ताक्षर किये गए थे, इसके विस्तार औद्योगिक सुरक्षा अनुबंध (ISA) पर वर्ष 2019 में हस्ताक्षर किये गए थे।

भारत, जिसे शीत युद्ध के दौरान अमेरिकी हथियार उपलब्ध नहीं हो सके, ने पिछले दो दशकों में 20 अरब अमेरिकी डॉलर के हथियार खरीदे हैं।

हालाँकि अमेरिका के प्रोत्साहन से भारत को अपनी सैन्य आपूर्ति के लिये रूस पर ऐतिहासिक निर्भरता कम करने में मदद मिल रही है।

भारत और अमेरिका की सशस्त्र सेनाएँ क्वाड फोरम (मालाबार) में चार भागीदारों के साथ व्यापक द्विपक्षीय सैन्य अभ्यास (युद्ध अभ्यास, वज्र प्रहार) तथा लघुपक्षीय अभ्यास में संलग्न हैं।

मध्य पूर्व में एक और समूह - I2U2 जिसमें भारत, इज़राइल, संयुक्त अरब अमीरात और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं, को नया क्वाड कहा जा रहा है।

4. अंतरिक्ष और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी: NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar (NISAR) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और यूएस नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) पृथ्वी अवलोकन के लिये एक माइक्रोवेव रिमोट सेंसिंग उपग्रह, NASA-ISRO सिंथेटिक एपर्चर रडार (NISAR) विकसित कर रहे हैं।

जून 2023 में ISRO ने बाह्य अंतरिक्ष के शांतिपूर्ण एवं संधारणीय नागरिक अन्वेषण में भाग लेने के लिये NASA के साथ आर्टेमिस समझौते पर हस्ताक्षर किये।

iCET AI, क्वांटम, टेलीकॉम, अंतरिक्ष, बायोटेक, सेमीकंडक्टर और रक्षा जैसे प्रमुख प्रौद्योगिकी डोमेन में सहयोग एवं नवाचार को बढ़ावा देने के लिये अमेरिका व भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की एक संयुक्त पहल है। इसे जनवरी 2023 में लॉन्च किया गया था।

50. गुजरात में नव-निर्माण आन्दोलन के कारण तथा परिणामों पर प्रकाश डालिए।

उत्तरगुजरात में नवनिर्माण आंदोलन, 1973 में शुरू हुआ थायह आंदोलन छात्रों और मध्यम वर्ग के लोगों ने आर्थिक संकट और भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ चलाया था इस आंदोलन के कारण गुजरात की निर्वाचित सरकार को भंग करना पड़ा था

कारण

1. गुजरात में खाद्य वस्तुओं और अन्य ज़रूरी वस्तुओं की बढ़ती कीमतें

2. सरकार में उच्च पदों पर बैठे अधिकारियों द्वारा किए गए भ्रष्टाचार

3. तत्कालीन कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री चिमन भाई पटेल पर भ्रष्टाचार के कई आरोप

परिणाम

1. जनवरी 1974 में अहमदाबाद और वडोदरा में बंद के आह्वान के कारण दो दिन तक दंगे हुए

2. 25 जनवरी 1974 को एक और राज्यव्यापी बंद का आह्वान किया गया

3. 9 फ़रवरी को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने चिमन भाई पटेल से पद छोड़ने को कहा

4. मार्च 1974 तक 167 विधायकों में से 95 ने इस्तीफ़ा दे दिया

5. 12 मार्च 1974 को तत्कालीन कांग्रेस नेता मोरारजी देसाई अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर चले गए

6. राज्यपाल ने राज्य विधानसभा को भंग करके राष्ट्रपति शासन लगा दिया

यह आंदोलन स्वतंत्रता के बाद के भारत के इतिहास में सबसे सफल आंदोलनों में से एक था.

51. भारतीय किसान यूनियन की उत्पत्ति एवं कार्यों को लिखें।

उत्तरभारतीय किसान यूनियन (BKU) एक प्रमुख किसान संगठन है, जिसकी स्थापना 1980 के दशक में उत्तर प्रदेश के पश्चिमी क्षेत्र में हुई। भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) की स्थापना चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत ने साल 1978 में की थी जो जाट समुदाय से थे और किसानों के मुद्दों पर मुखर रूप से आवाज उठाते थे। यह संगठन मुख्यतः 1986-87 के आसपास चर्चा में आया, जब इसने गन्ना किसानों के हितों के लिए आंदोलन शुरू किया। इसकी जड़ें उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के सिसौली गाँव से जुड़ी हैं, जहाँ टिकैत का आधार था।

कार्य

BKU ने किसानों के अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए निम्नलिखित कार्य किए हैं:

क. आर्थिक माँगें:

न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP)** में वृद्धि और सभी फसलों पर लागू करने की माँग। 

कृषि ऋण माफी और सस्ते कर्ज़ की उपलब्धता सुनिश्चित करना। 

बिजली शुल्क, उर्वरकों की कीमतों, और सिंचाई लागत को कम करने के लिए सरकार पर दबाव।

ख. सरकारी नीतियों का विरोध:

किसान-विरोधी कानूनों (जैसे 2020 के कृषि कानून) के खिलाफ आंदोलन। 

भूमि अधिग्रहण नीतियों और पर्यावरणीय प्रतिबंधों का विरोध।

ग. जन आंदोलन एवं रणनीति:

धरना, घेराव, रैली, और राजमार्ग जाम जैसे शांतिपूर्ण तरीकों से विरोध। 

किसानों को एकजुट करने के लिए महापंचायतों का आयोजन। 

मीडिया और सामाजिक मंचों के माध्यम से किसान मुद्दों को उठाना।

घ. सामाजिक एकता:

जाति और धर्म से ऊपर उठकर किसान एकता को बढ़ावा देना। 

महिला किसानों और खेतिहर मजदूरों के हितों को शामिल करना।

1980-90 के दशक में BKU के आंदोलनों ने उत्तर भारत में किसान राजनीति को नया आयाम दिया। 2020-21 के किसान आंदोलन में भी BKU की सक्रिय भूमिका रही, हालाँकि यह अन्य संगठनों (जैसे संयुक्त किसान मोर्चा) के साथ मिलकर काम किया। BKU आज भी किसानों के लिए न्यायालय और सड़क दोनों मोर्चों पर सक्रिय है, विशेषकर MSP की गारंटी और कृषि सुधारों के लिए संघर्षरत है।

52. भारत में नक्सलवादी आन्दोलन के विस्तार के लिये उत्तरदायी परिस्थितियों का परीक्षण कीजिए तथा नक्सलवाद को कुचलने का तरीका समझाइए।

उत्तर- भारत में नक्सली हिंसा की शुरुआत वर्ष 1967 में पश्चिम बंगाल में दार्जिलिंग ज़िले के नक्सलबाड़ी नामक गाँव से हुई और इसीलिये इस उग्रपंथी आंदोलन को ‘नक्सलवाद’ के नाम से जाना जाता है। ज़मींदारों द्वारा छोटे किसानों के उत्पीड़न पर अंकुश लगाने के लिये सत्ता के खिलाफ चारू मजूमदार, कानू सान्याल और कन्हाई चटर्जी द्वारा शुरू किये गए इस सशस्त्र आंदोलन को नक्सलवाद का नाम दिया गया। यह आंदोलन चीन के कम्युनिस्ट नेता माओ त्से तुंग की नीतियों का अनुगामी था (इसीलिये इसे माओवाद भी कहा जाता है) और आंदोलनकारियों का मानना था कि भारतीय मज़दूरों और किसानों की दुर्दशा के लिये सरकारी नीतियाँ ज़िम्मेदार हैं।

नक्सलवाद की उत्पत्ति के कारण

1. केंद्र और राज्य सरकारें माओवादी हिंसा को मुख्यत: कानून-व्यवस्था की समस्या मानती रही हैं, लेकिन इसके मूल में गंभीर सामाजिक-आर्थिक कारण भी रहे हैं।

2. नक्सलियों का कहना है कि वे उन आदिवासियों और गरीबों के लिये लड़ रहे हैं, जिनकी सरकार ने दशकों से अनदेखी की है। वे ज़मीन के अधिकार एवं संसाधनों के वितरण के संघर्ष में स्थानीय सरोकारों का प्रतिनिधित्व करते हैं।

3. माओवाद प्रभावित अधिकतर इलाके आदिवासी बहुल हैं और यहाँ जीवनयापन की बुनियादी सुविधाएँ तक उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन इन इलाकों की प्राकृतिक संपदा के दोहन में सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र की कंपनियों ने कोई कमी नहीं छोड़ी है। यहाँ न सड़कें हैं, न पीने के लिये पानी की व्यवस्था, न शिक्षा एवं स्वास्थ्य संबंधी सुविधाएँ और न ही रोज़गार के अवसर।

4. नक्सलवाद के उभार के आर्थिक कारण भी रहे हैं। नक्सली सरकार के विकास कार्यों के कार्यान्वयन में बाधा उत्पन्न करते हैं। वे आदिवासी क्षेत्रों का विकास नहीं होने देते और उन्हें सरकार के खिलाफ भड़काते हैं। वे लोगों से वसूली करते हैं एवं समांतर अदालतें लगाते हैं।

5. प्रशासन तक पहुँच न हो पाने के कारण स्थानीय लोग नक्सलियों के अत्याचार का शिकार होते हैं।

6. अशिक्षा और विकास कार्यों की उपेक्षा ने स्थानीय लोगों एवं नक्सलियों के बीच गठबंधन को मज़बूत बनाया है।

7. जानकार यह मानते हैं कि नक्सलवादियों की सफलता की वज़ह उन्हें स्थानीय स्तर पर मिलने वाला समर्थन रहा है, जिसमें अब धीरे-धीरे कमी आ रही है।

नक्सलवाद को कुचलने के तरीके:

1. विकास: नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी सुविधाओं का विकास किया जाना चाहिए। लोगों को रोजगार के अवसर प्रदान किए जाने चाहिए।

2. सामाजिक न्याय: भूमि विवादों का समाधान किया जाना चाहिए और गरीबों और कमजोर वर्गों को सामाजिक न्याय प्रदान किया जाना चाहिए।

3. प्रशासनिक सुधार: भ्रष्टाचार को कम किया जाना चाहिए और कानून व्यवस्था को मजबूत किया जाना चाहिए। पुलिस और प्रशासन को नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में अधिक सक्रिय होना चाहिए।

4. बातचीत: नक्सलियों के साथ बातचीत के माध्यम से समस्या का समाधान करने का प्रयास किया जाना चाहिए। नक्सलियों को मुख्यधारा में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

5. सुरक्षा बलों का आधुनिकीकरण: सुरक्षा बलों को आधुनिक हथियारों और तकनीक से लैस किया जाना चाहिए। खुफिया जानकारी को मजबूत किया जाना चाहिए।

6. स्थानीय लोगों की भागीदारी: नक्सलवाद से निपटने में स्थानीय लोगों की भागीदारी महत्वपूर्ण है। स्थानीय लोगों को सुरक्षा बलों और प्रशासन के साथ सहयोग करना चाहिए।

7. राजनीतिक इच्छाशक्ति: नक्सलवाद को समाप्त करने के लिए सरकार को राजनीतिक इच्छाशक्ति दिखानी होगी। सभी राजनीतिक दलों को मिलकर इस समस्या का समाधान करना होगा।




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