द्वितीय
सावधिक परीक्षा - 2021-2022 (Second Terminal
Examination - 2021-2022)
मॉडल
प्रश्नपत्र (Model Question Paper) विषय - राजनीति शास्त्र
(Sub- Political Science),
वर्ग- 12 (Class-12), पूर्णांक-40 (F.M-40) समय-1:30 घंटे (Time-1:30
hours)
सेट-
4 (Set -4)
सामान्य
निर्देश (General Instructions) -
» परीक्षार्थी यथासंभव अपने
शब्दों में उत्तर दें।
» कुल प्रश्नों की संख्या
19 है।
» प्रश्न संख्या 1 से प्रश्न
संख्या 7 तक अति लघूत्तरीय प्रश्न हैं। इनमें से किन्हीं पाँच प्रश्नों के उत्तर अधिकतम एक वाक्य में दीजिए। प्रत्येक प्रश्न का मान 2 अंक
निर्धारित है।
» प्रश्न संख्या 8 से प्रश्न
संख्या 14 तक लघूतरीय प्रश्न हैं। इनमें से किन्हीं 5 प्रश्नों के उत्तर अधिकतम 50 शब्दों में दीजिए। प्रत्येक प्रश्न का मान 3 अंक निर्धारित
है।
» प्रश्न संख्या 15 से प्रश्न
संख्या 19 तक दीर्घ उत्तरीय प्रश्न हैं। इनमें से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर अधिकतम 100 शब्दों में दीजिए। प्रत्येक प्रश्न का मान 5 अंक
निर्धारित है।
प्रश्न 1. गठबंधन
क्या है?
उत्तर-गठबंधन में दो या इससे
अधिक राजनीतिक दलों द्वारा समान विचारधारा के आधार पर सरकार बनाई जाती है।
प्रश्न 2. मानवाधिकार
कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर-मानवाधिकार मुख्यतः पाँच
हैं-
(i) जीवन की सुरक्षा व स्वतंत्रता
का अधिकार,
(ii) दासता व बंधुआ मजदूरी
से स्वतंत्रता का अधिकार,
(iii) स्वतंत्र न्यायपालिका
से प्राप्त स्वतंत्रता का अधिकार,
(iv) विवाह व पारिवारिक जीवन
का अधिकार,
(v) आवागमन की स्वतंत्रता का
अधिकार ।
प्रश्न 3. सार्क
के प्रमुख कितने देश हैं?
उत्तर-सार्क के प्रमुख 6 देश
हैं-भारत, पाकिस्तान, बंग्लादेश, श्रीलंका, मालदीव और अफगानिस्तान।
प्रश्न 4. कम्प्यूटर
युद्ध क्या है?
उत्तर-वस्तुतः कम्प्यूटर युद्ध
का आशय उस साइबर युद्ध से है, जिसमें अपराधी दूसरे कम्प्यूटरों की फाइल को या तो करप्ट
कर देते हैं या चोरी कर लेते हैं।
प्रश्न 5. समाजवाद
क्या है?
उत्तर-समाजवाद का तात्पर्य
ऐसे राष्ट्रों से है जहाँ उत्पादन के साधनों व विनिमय पर राज्य का नियंत्रण होता है।
प्रश्न 6. सोवियत
संघ का अंतिम राष्ट्रपति कौन था?
उत्तर-मिखाईल गोर्वाच्योब
प्रश्न 7.शीत
युद्ध से आप क्या समझते हैं?
उत्तर-दूसरे विश्व युद्ध के
उपरांत (1945) दो महाशक्ति के रूप में उभरे सोवियत संघ व अमेरिका के बीच प्रारंभ विचारधारा
(मार्क्सवाद बनाम पूँजीवादी लोकतंत्र) के बीच उत्पन्न राजनीतिक गुटबाजी शीत युद्ध के
नाम से जाना जाता है।
प्रश्न 8. गुटनिरपेक्षता
का शुद्ध अर्थ बताइए।
उत्तर अंतराष्टीय व्यवहार में
स्वतंत्र नीति का पालन एवं किसी भी प्रकार के सैन्य गुट या अन्य गुटबाजी से अलग रहकर
स्वयं के विकास तथा विश्व शांति को सुनिश्चित करने की नीति को गुट-निरपेक्षता के नाम
से जाना जाता है
प्रश्न 9. भूमण्डलीकरण
क्या है ?
उत्तर- भूमंडलीकरण या वैश्वीकरण
का अर्थ वैश्विक स्तर पर व्यापार, विनिमय, सब्सिडी के अवरोध को समाप्त कर अर्थव्यवस्था
को एकीकृत करना है। यह नव उदारवाद का परिणाम है। वर्तमान में भूमण्डलीकरण मुक्त बाजार
की स्थिति में विश्व की अर्थव्यवस्थाओं की एकीकरण की प्रक्रिया है भूमण्डलीकरण के परिणामस्वरूप
उत्पाद की गुणवत्ता और ग्राहक केन्द्रित बाजार व्यवस्था प्रमुख रूप से प्रकट हुई है।
प्रश्न 10. लोकतंत्र
को प्रतिनिधि शासन क्यों कहा जाता है?
उत्तर-लोकतंत्र को प्रतिनिधि
शासन कहा जाता है क्योंकि लोकतंत्र में जनता के द्वारा चुने गए प्रतिनिधि शासन की व्यवस्था
संभालते हैं। इन प्रतिनिधियों के ही हाथों में शासन की बागडोर होती है तथा सभी महत्वपूर्ण
फैसले इन प्रतिनिधियों द्वारा ही लिए जाते हैं।
11. 'वीटो' शक्ति
क्या है?
उत्तर-सुरक्षा परिषद् संयुक्त
राष्ट्र संघ की कार्यपालिका है। संयुक्त राष्ट्र घोषणा पत्र के अनुसार शांति और सुरक्षा
बहाल करने की प्राथमिक जिम्मेवादी सुरक्षा परिषद् की होती है। इसमें 5 स्थायी सदस्य
हैं और 10 अस्थायी सदस्य हैं, जो हर दो वर्ष के लिए चुने जाते हैं।
(1) कार्य प्रणाली से संबंधित
सवालों को छोड़कर प्रत्येक फैसले के लिए इन पाँचों स्थायी सदस्यों का सहमत होना आवश्यक
है। इनकी सहमति के बिना ठोस बुनियादी सवालों पर निर्णय नहीं लिया जा सकता।
(2) अगर कोई भी स्थायी सदस्य
उस पर अपना मत देना अस्वीकार कर देता है तब इसे वीटो (निषेधाधिकार) के नाम से जाना
जाता है।
(3) स्थायी सदस्य में कोई एक
भी वीटो का प्रयोग कर किसी प्रस्ताव को रद्द कर सकता है।
(4) स्थायी सदस्य वीटो का प्रयोग
अधिकतर अपने राजनैतिक स्वार्थों की पूर्ति के लिए करते हैं। कई देशों ने उसे समानता
के सिद्धान्त के विपरीत बताया है और इसकी समाप्ति की मांग की है।
प्रश्न 12. एकध्रुवीयता
से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-जब अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था
किसी एक महाशक्ति या उद्धत महाशक्ति के दबदबे में हो तो बहुधा इसे 'एकध्रुवीय' व्यवस्था
कहा जाता है। ऐसी व्यवस्था में शक्ति-संतुलन का अभाव होता है।
द्वितीय विश्वयुद्ध की समाप्ति
के बाद शीत युद्ध के दौरान (1945 ई.-1991 ई०) विश्व अलग अलग दो गुटों में बंट गया था।
शीत युद्ध के समय अमेरिका और सोवियत संघ उन दो अलग-अलग शक्ति केन्द्रों के अगुआ थे।
इसके कारण शक्ति संतुलन बना हुआ था।
सोवियत संघ के पतन के बाद दुनिया
में एकमात्र महाशक्ति अमेरिका बची। अन्य शब्दों में कहें तो दो ध्रुवीय विश्व की जगह
एक ध्रुवीय विश्व का प्रादुर्भाव हुआ।
प्रश्न 13. सामूहिक
उत्तरदायित्व का अर्थ बताइए।
उत्तर-सामूहिक उत्तरदायित्व
का शाब्दिक अर्थ होता है मिलकर दायित्वों का निर्वहन करना । राजनीति में यह राजनैतिक
परिप्रेक्ष्य में कर्तव्यों के निर्वहन के लिए प्रयोग किया जाता है। किसी पार्टी के
नेताओं तथा कार्यकर्ताओं के मिलकर कर्तव्य निभाने तथा उत्तरदायित्व उठाने को सामूहिक
उत्तरदायित्व कहते हैं।
प्रश्न 14. सामाजिक
एवं आर्थिक न्याय का क्या अर्थ है ?
उत्तर-भारत में सामाजिक असमानता
प्रारम्भिक काल से ही रही है, जिसने समाज को विकसित होने का अवसर नहीं दिया। जाति,
लिंग, वंश, समुदाय तथा धर्म के प्रत्येक स्तर पर मानव-मानव में अंतर स्थापित किया गया।
इसका परिणाम यह हुआ कि समाज का बड़ा हिस्सा शोषित, उपेक्षित तथा समाज की मुख्यधारा
से अलग रहा । इसी शोषित तथा उपेक्षित वर्ग को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने की प्रक्रिया
को सामाजिक न्याय के रूप में देखा जाता है।
प्रश्न 15. कश्मीर
की समस्या क्या है ? व्याख्या करें।
उत्तर-28 अक्टूबर, 1947 ई.
को राजा हरीसिंह ने विलयपत्र पर हस्ताक्षर करके अपनी रियासत भारत संघ में मिला दी।
यह उनका वैध कार्य था लेकिन पाकिस्तान की यह आपत्ति है कि राजा ने भारत के दबाव में
आकर ऐसा किया। अत: 1948 में सुरक्षा परिषद् के प्रस्ताव के अनुसार इस समस्या का लोक
निर्णय द्वारा हल किया जाना चाहिए। इसके विरुद्ध भारत का यह आग्रह है कि रियासत का
विलय भारत स्वतंत्रता अधिनियम, 1947 के प्रावधान के अनुसार हुआ। अत: पाकिस्तान इस पर
कोई आपत्ति नहीं उठा सकता । पाकिस्तान को कश्मीर का वह भाग छोड़ना चाहिए जो उसके अवैध
कब्जे में है। 1957 ई. में कश्मीर का संविधान लागू हो गया जिसमें उसे भारत का अभिन्न
अंग घोषित किया गया है।
प्रश्न 16. भारत-पाक
संबंध पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
उत्तर-हालाँकि भारत और पाकिस्तान
के संबंध कभी खत्म न होनेवाले झगड़े और हिंसा की एक कहानी जान पड़ते हैं, फिर भी तनाव
को कम करने और शांति बहाल करने के लिए इन देशों के बीच लगातार प्रयास हुए हैं, निम्नलिखित
हैं-
(1) सिन्धु-जलसन्धि पर हस्ताक्षर
: सन् 1960 ई० में विश्व बैंक की सहायता से भारत और पाकिस्तान ने सिन्धु-जलसन्धि पर
हस्ताक्षर किये और यह संधि भारत-पाक के बीच अनेक सैन्य संघर्षों के बावजूद अब भी कायम
है। हालाँकि सिन्धु जल-सन्धि को लेकर अभी भी कुछ छोटे-मोटे विवाद हैं।
(2) ताशकव समझौता : ताशकंद
समझौता युद्ध पर भारत-पाक 1965 ई. के बाद जनवरी, 1966 ई० में हस्ताक्षर किया गया। इस
घोषणा में दोनों पक्षों द्वारा बातचीत से विवादों को निपटाने की आवश्यकता पर बल दिया
गया।
(3) शिमला समझौता। सन्
1972 ई० में भारत और पाकिस्तान के बीच शिमला समझौता हुआ, जो आपसी विवादों को शांतिपूर्ण
ढंग से निपटाने का एक और प्रयास था। दोनों देशों ने यह करार किया कि भारत और पाकिस्तान
के बीच डाक-तार सेवा फिर से चालू की जायेगी तथा आर्थिक एवं सांस्कृतिक क्षेत्रों में
दोनों राष्ट्र एक-दूसरे की मदद करेंगे।
(4) बस डिप्लोमेसी: वर्ष
2000 ई० में भारत के प्रधानमंत्री कुछ प्रतिष्ठित भारतीय नागरिकों सहित सद्भावना प्रदर्शन
हेतु, पाकिस्तान की यात्रा पर गये, जो बस डिप्लोमेसी (Bus Diplomacy) के नाम से विख्यात
हुई । यह शांति और सद्भावनापूर्ण वातावरण बनाये रखने के लिए भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री
अटल बिहारी बाजपेयी द्वारा किया गया एक और प्रयास था।
(5) आगरा शिखर वार्ता : वर्ष
2001 ई० में पाकिस्तान के राष्ट्रपति अपने प्रतिनिधिमंडल सहित भारत की यात्रा पर आये
और हमारे प्रतिनिधि मंडल से मिले जिसका नेतृत्व भारत के प्रधानमंत्री कर रहे थे। यह
वार्ता 'आगरा शिखर वार्ता' के नाम से जानी जाती है।
हाल के वर्षों में भारत-पाक
संबंधों में सुधार हेतु किये गये प्रयास : पाकिस्तान के साथ मैत्री-सम्बन्ध बनाने के
लिए भारत ने निम्नलिखित प्रयास किए:
(i) लाहौर घोषणा पत्र जारी किया गया।
(ii) रेल, बस यात्रा सेवा की
पुनः बहाली की गयी।
(iii) मंत्री और सचिव स्तर
की वाताएँ शुरू की गयी।
(iv) व्यापारिक और सांस्कृतिक
क्षेत्र में संबंध बढ़ाने के प्रयास शुरू किये।
(v) सद्भावना के रूप में क्रिकेट
तथा हॉकी मैचों का आयोजन किया गया।
तमाम प्रयासों के बावजूद सीमा
पार आतंकवाद, मुम्बई हमले, चीन द्वारा पाकिस्तान को अप्रत्यक्ष समर्थन एवं सहायता तथा
पाकिस्तान में कट्टरपंथियों के राजनीतिक वर्चस्व के कारण भारत-पाक संबंध पूरी तरह संतोषप्रद
नहीं कहे जा सकते हैं।
प्रश्न 17. संयुक्त
राष्ट्र संघ के उदय के कारणों का उल्लेख करें।
उत्तर-महासभा (General
Assembly) संयुक्त राष्ट्र का सर्वोच्च अंग है और एक प्रकार से विश्व की संसद के समान
है। संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य इसके सदस्य है। प्रत्येक सदस्य राष्ट्र इसमें पांच
प्रतिनिधि भेजता है परन्तु उनका एक मत होता है। वर्ष में एक बार इसका अधिवेशन होता
है । इसकी स्थापना के समय इसके सदस्यों की कुल संख्या 51 थी जो बढ़ते-बढ़ते अब 192
है।
महासभा के प्रमुख कार्य निम्नलिखित
हैं-
1. यह अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति
और सुरक्षा मामलों पर विचार करती है और निर्णय लेती है।
2. यह संयुक्त राष्ट्र का बजट
पास करती है।
3. यह नये राज्यों को संयुक्त
राष्ट्र का सदस्य बनाये जाने का निर्णय लेती है और किसी पुराने सदस्य की सदस्यता को
समाप्त करने का निर्णय ले सकती है।
4. यह संयुक्त राष्ट्र के अन्य
अंगों (जैसे आर्थिक व सामाजिक परिषद् तथा अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय) के सदस्यों का
चुनाव करती है।
5. यह सुरक्षा परिषद् की सिफारिश
पर संयुक्त राष्ट्र के महासचिव की नियुक्ति करती है।
प्रश्न 18. साम्यवादी
अर्थव्यवस्था और पूंजीवादी अर्थव्यवस्था में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-साम्यवाद के पतन के बाद
पूर्व सोवियत संघ के गणराज्यों का एक सत्तावादी, समाजवादी व्यवस्था से लोकतांत्रिक
पूंजीवाद व्यवस्था की सफर आसान नहीं थी। इसके लिए विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा
कोष द्वारा निर्देशित 'शॉक थेरेपी' (आघात पहुँचाकर उपचार करना) का मॉडल अपनाया गया
परन्तु यह काफी कठिन तथा कष्टप्रद था, जैसा कि निम्न तथ्यों से प्रमाणित होता है-
(i) 1990 ई० में अपनायी गयी
'शॉक थेरेपी' जनता को उपभोग के उस 'आनंदलोक' तक नहीं ले गयी जिसका उसने वादा किया था।
साधारणतया 'शॉक थेरेपी' से पूरे क्षेत्र की अर्थव्यवस्था नष्ट हो गयी । इससे क्षेत्र
की जनता को बर्बादी सहन करनी पड़ी।
(ii) रूस में पूरा का पूरा
राज्य नियंत्रित औद्योगिक ढाँचा नष्ट हो गया। लगभग 90 प्रतिशत उद्योगों को निजी हाथों
या कंपनियों को बेचा गया । आर्थिक ढाँचे का पुनर्निर्माण बाजार की शक्तियाँ कर रही
थीं इसलिए यह कदम सभी उद्योगों को नष्ट करने वाला प्रमाणित हुआ। इसे 'इतिहास की सबसे
बड़ी गेराज-सेल' के नाम से जाना जाता है क्योंकि महत्वपूर्ण उद्योगों की कीमत कम से
कम करके आंकी गयी और उन्हें कम दामों पर बेच दिया गया।
(iii) रूसी मुद्रा रूबल के
मूल्य में नाटकीय ढंग से गिरावट आयी। मुद्रास्फीति इतनी ज्यादा थी कि लोगों की जमापूँजी
खत्म हो गयी।
(iv) सामूहिक कृषि प्रणाली
का अंत होने से खाद्यान्न की सुरक्षा भी समाप्त हो गयी। रूस को खाद्यान्न का आयात करना
पड़ा।
(v) माफिया वर्ग उभरा और उसने
अधिकतर आर्थिक गतिविधियों पर नियंत्रण कर लिया।
(vi) अमीर और गरीब लोगों में
असमानता में वृद्धि हुई।
(vii) यद्यपि आर्थिक बदलाव
को प्राथमिकता दी गयी और उस पर पर्याप्त ध्यान भी दिया गया परन्तु लोकतांत्रिक संस्थाओं
की स्थापना सुचारू रूप से नहीं । अधिकांश देशों में राष्ट्रपति को कार्यपालिका प्रमुख
बनाकर शक्तिशाली बना दिया गया और संसद अपेक्षाकृत एक कमजोर संस्था बन गयी।
प्रश्न 19.
1971 के भारत-पाक युद्ध के कारण और घटनाएँ बताइए।
उत्तर-अक्टूबर, 1958 में पाकिस्तान
में सैनिक शासन स्थापित हो गया। फील्ड मार्शल अय्यूब खाँ राष्ट्रपति बने। 1962 में
चीन के हाथों भारत की पराजय ने उन्हें प्रेरित किया कि कश्मीर की समस्या को बलपूर्वक
हल किया जाए । अत: सितम्बर, 1965 में पाकिस्तान ने कश्मीर पर आक्रमण कर दिया। इसमें
भारत ने पाकिस्तान को हराया तथा उसके लाहौर क्षेत्र के कुछ भागों पर कब्जा कर लिया।
संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद् के प्रस्तावों के अनुसार युद्ध विराम हो गया।
प्रधानमंत्री शास्त्री को इस विजय का श्रेय मिला। 1962 के कलंक को दूर कर दिया गया।
लेकिन पाकिस्तान को अप्रत्याशित हार का मुँह देखना पड़ा। अब अय्यूब खाँ ने सोवियत संघ
की ओर देखा, ताकि उसकी मध्यस्थता से भारत के कब्जाग्रस्त क्षेत्रों को मुक्त कराया
जा सके। इस समय सोवियत संघ दक्षिणी एशिया में अपना पाँव जमाना चाहता था। प्रधानमंत्री
कोसिगिन (Kosygin) ने चाहा कि पाकिस्तान का पक्ष लेकर उसे चीनी प्रभाव से बाहर निकाला
जाए तथा पाकिस्तान के जरिए हिन्द महासागर तक अपनी पहुँच बनाई जाए।
अतः सोवियत प्रधानमंत्री कोसिगिन ने जनवरी 1966 में ताशकन्द में एक सम्मेलन का आयोजन किया जिसमें भारत व पाकिस्तान के राजनेताओं ने भाग लिया। एक समझौता (Tashkent Agreement) हुआ जिसके तहत भारत ने लाहौर क्षेत्र के कब्जाग्रस्त क्षेत्र छोड़ने की बात मान ली, युद्धबन्दियों की रिहाई की गई तथा यह निश्चय किया गया कि दोनों देश शान्तिपूर्ण तरीकों से अपनी समस्याओं का समाधान करेंगे। प्रधानमंत्री शास्त्री ने विवश होकर इस संधि पर हस्ताक्षर किए थे, उसी के कारण कुछ घण्टों बाद वहीं उनका आकस्मिक निधन हो गया। प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के समय में ताशकन्द समझौता के प्रावधानों को लागू किया गया।