Political Science Model Question Solution Set-5 Term-2 (2021-22)

Political Science Model Question Solution Set-5 Term-2 (2021-22)

द्वितीय सावधिक परीक्षा - 2021-2022 (Second Terminal Examination - 2021-2022)

मॉडल प्रश्नपत्र (Model Question Paper)

विषय - राजनीति शास्त्र (Sub- Political Science),

वर्ग- 12 (Class-12), 

पूर्णांक-40 (F.M-40)

समय-1:30 घंटे (Time-1:30 hours)

सेट- 5 (Set -5)

सामान्य निर्देश (General Instructions) -

» परीक्षार्थी यथासंभव अपने शब्दों में उत्तर दें।

» कुल प्रश्नों की संख्या 19 है।

» प्रश्न संख्या 1 से प्रश्न संख्या 7 तक अति लघूत्तरीय प्रश्न हैं। इनमें से किन्हीं पाँच प्रश्नों के उत्तर अधिकतम एक वाक्य में दीजिए। प्रत्येक प्रश्न का मान 2 अंक निर्धारित है।

» प्रश्न संख्या 8 से प्रश्न संख्या 14 तक लघूतरीय प्रश्न हैं। इनमें से किन्हीं 5 प्रश्नों के उत्तर अधिकतम 50 शब्दों में दीजिए। प्रत्येक प्रश्न का मान 3 अंक निर्धारित है।

» प्रश्न संख्या 15 से प्रश्न संख्या 19 तक दीर्घ उत्तरीय प्रश्न हैं। इनमें से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर अधिकतम 100 शब्दों में दीजिए। प्रत्येक प्रश्न का मान 5 अंक निर्धारित है।

प्रश्न 1. केंद्र में पहली मिली- जुली सरकार कब बनी

उत्तर-केंद्र में पहली मिली जुली सरकार 1977 ईस्वी में बनी।

प्रश्न 2. दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा देश कौन-सा है ?

उत्तर-भारत।

प्रश्न 3. जापान में किन शहरों पर परमाणु बम गिराए गए थे ?

उत्तर-हिरोशिमा एवं नागाशाकी शहरों पर परमाणु बम गिराए गए थे।

प्रश्न 4. AESAAN का क्या अर्थ है?

उत्तर-दक्षिण एशिया सहयोग संगठन ।

प्रश्न 5. सुरक्षा परिषद में कितनी बार वीटो का प्रयोग किया गया है ?

उत्तर-सोवियत संघ ने 116 और अमेरिका ने 44 बार वीटो का प्रयोग किया है।

प्रश्न 6. भारत में कितने राज्य और कितने संघीय अंचल हैं ?

उत्तर-भारत में 28 राज्य और 7 संघीय अंचल हैं।

प्रश्न 7. हरित क्रान्ति का एक नकारात्मक प्रभाव बताएँ।

उत्तर-हरितक्रांति से मृदा क्षरण, एवं मृदा प्रदूषण बढ़ा है।

प्रश्न 8. आजादी के समय भारत को किन दो चुनौतियों का सामना करना पड़ा?

उत्तर-आजादी के समय भारत को दो चुनौतियों का सामना करना पड़ा। पहला विभाजन का एवं दूसरा साम्प्रदायिक अशांति का ।

प्रश्न 9. मंडल आयोग के कोई दो सिफारिशों को लिखें।

उत्तर-पिछड़े वर्गों हेतु 27 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था । नौकरियों में प्रोन्नति में भी आरक्षण की व्यवस्था ।

प्रश्न 10. दूसरी पंचवर्षीय योजना का क्या उद्देश्य था ?

उत्तर-कृषि विकास में प्राथमिकता ।

प्रश्न 11. संयुक्त राष्ट्र संघ के संस्थापक देशों की संख्या कितनी थी?

उत्तर-51

प्रश्न 12. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् क्या है ?

उत्तर-सुरक्षा परिषद् संयुक्त राष्ट्र संघ की कार्यपालिका है। इसके पाँच सदस्य स्थायी हैं और 10 अस्थायी । महत्त्वपूर्ण निर्णयों में उसे नौ वोटों की अववश्यकता पड़ती है। बशर्ते स्थायी सदस्यों में से किसी का निषेधात्मक वोट न हो।

प्रश्न 13. गठबन्धन क्या है ?

उत्तर-पूर्ण बहुमत नहीं प्राप्त होने की स्थिति में कई दल या दो दल साथ मिलकर साझा कार्यक्रम द्वारा सरकार निर्माण करें तो उसे गठबन्धन कहते हैं। केन्द्र में काँगेस गठबंधन की सरकार चली रही है। बिहार में भी गठबंधन सरकार है।

प्रश्न 14. एक-ध्रुवीय व्यवस्था क्या है?

उत्तर-25 दिसम्बर, 1991 से पहले विश्व में दो ध्रुवीय व्यवस्था थी। 1991 में सोवियत संघ का औपचारिक रूप से विघटन और उससे कुछ समय पहले पूर्वी यूरोप के देशों से कम्युनिस्ट शासनों के खत्म होने से सन् 1945- 1991 के बीच के काल की इस दो ध्रुवीय व्यवस्था का अन्त हो गया था, इसलिए इसे एक ध्रुवीय व्यवस्था कहा जाने लगा।

प्रश्न 15. किन्हीं चार कारणों की व्याख्या करें, जो सुरक्षा परिषद् में भारत की स्थायी सदस्यता का दावा मजबूत करता है ।

उत्तर- भारत संयुक्त राष्ट्र में पूर्ण आस्था रखता है और विश्व शान्ति के लिए इसे एकमात्र संस्था मानता है। अतः, भारत इस संस्था का प्रबल समर्थक है और इसके कार्यकलापों में सक्रिय भाग लेता है । यह संयुक्त राष्ट्र के कार्यक्रमों को सफल बनाने में हार्दिक सहयोग देता है। भारतीय सैनिकों ने कोरिया, मिस्र, फिलिस्तीन, कांगों आदि स्थानों में जाकर संयुक्त राष्ट्र के आदेशों का पालन किया है। भारत सुरक्षा परिषद् का सदस्य भी रह चुका है और अंतर्राष्ट्रीय श्रमसंध का भी।

इसके अतिरिक्त, इसने पंचशील का प्रतिपादन कर अंतर्राष्ट्रीय शान्ति और विश्वबन्धुत्व का नारा दिया है। कोरिया, इण्डोनेशिया, कांगो इत्यादि के विवादों को सुलझाने में इसने सराहनीय योगदान किया है ।

भारत संयुक्त राष्ट्र में गुटबन्दी से सदा अलग रहा है । यह अन्तर्राष्ट्रीय प्रश्न पर उसके गुण-दोषों की विवेचना कर ही किसी निष्कर्ष पर पहुँचता है, किसी गुट के सदस्य के रूप में नहीं। इसलिए इराक, लेबनान तथा जोर्डन में अमेरिका नीति का भारत ने जबर्दस्त विरोध किया। दूसरी ओर हंगरी में रूसी आक्रमण की भी इसने निन्दा की। चीनी आक्रमण के बावजूद भारत अमेरिकी गुट में सम्मिलित नहीं हुआ।

संक्षेप में, भारत ने संयुक्त राष्ट्र के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए निम्नलिखित क्षेत्रों में मदद की है-

(i) विश्वशांति, निःशास्त्रीकरण तथा अन्तर्राष्ट्रीय विवादों का युद्ध तथा हमलों की बजाय शांतिपूर्वक बातचीत से संयुक्त राष्ट्र के द्वारा निपटारा करना।

(ii) उपनिवेशवाद का विरोध ।

(iii) कोरिया, साइप्रस, आलोस आदि राष्ट्रों में संयुक्त राष्ट्र द्वारा शांति स्थापित करने के कार्यों में योगदान ।

(iv) गुट-निरपेक्ष आंदोलन का नेतृत्व ।

(v) दक्षिणी अफ्रीकी की रंगभेद की नीति के विरुद्ध आंदोलन ।

(vi) मानवाधिकारों के लिए विभिन्न राष्ट्रों की जनता द्वारा चलाये जा रहे आंदोलनों का समर्थन।

प्रश्न 16. वैश्वीकरण के आर्थिक पक्ष से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर-वैश्विकरण के आर्थिक प्रभाव इस प्रकार हैं-

(i) उत्पादों की विभिन्नता-नई आर्थिक नीति के कारण अनेक बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने भारत में अपना धन निवेश किया है इसलिए भारतीय उपभोक्ताओं को सस्ती कीमतों पर विभिन्न किस्मों तथा गुणवत्ता के उत्पाद मिल रहे हैं।

(ii) अधिसंरचना में विकास-वैश्वीकरण तथा निजीकरण की नीति के कारण अधिसंरचना की स्थिति में बहुत सुधर आया है। संचार क्षेत्र में भी बहुत विकास देखा जा सकता है। इस प्रकार कई निजी कंपनियाँ उपभोक्ताओं की बेहतर सेवाएं दे रही हैं।

(iii) निजी क्षेत्र को प्रोत्साहन-वैश्वीकरण तथा उदारीकरण की नीति के फलस्वरूप निजी क्षेत्र को बहुत प्रोत्साहन मिला है। अब निजी क्षेत्र को अन्य देशों से कच्चा माल तथा तकनीक मँगवाने की छूट है। आयात तथा निर्यात पर से अनेक प्रतिबंधे को हटा लिया गया है। बढ़ती प्रतिस्पर्धा से अनेक भारतीय कंपनियों ने फायदा उठाया है । वैश्वीकरण के कारण कुछ बड़ी भारतीय कंपनियाँ स्वयं बहुराष्ट्रीय कंपनी के रूप में उभर कर सामने आईं हैं। जैसे-टाटा मोटर (मोटरगाड़ी), इन्फोसिस (आई०टी०) आदि ।

(iv) सेवा क्षेत्र को प्रोत्साहन-वैश्वीकरण ने सेवा प्रदान करने, विशेष रूप से सूचना तथा संचार प्रौद्योगिकी से संबंधित कंपनियों के लिए नए अवसर पैदा किए हैं। इसके अतिरिक्त आँकड़ा प्रविष्टि (डाटा एंट्री) लेखाकरण, प्रशासनिक कार्य, इंजीनियरिंग जैसी कई सेवाएँ भारत जैसे देशों में अब सस्ते में उपलब्ध हैं और विकसित देशों को निर्यात की जाती हैं।

प्रश्न 17. समाजवादी दलों और कम्युनिस्ट दलों के बीच चार अंतर बताएँ।

उत्तर-समाजवादी और कम्युनिस्ट दल के बीच चार अंतर इस प्रकार है-

(i) श्रमिकों की दयनीय दशा सुधरने हेतु मार्क्स ने समाजवादी दल या विचारधारा स्थापित किया। कम्युनिष्ट दल प्रथमत: इसी विचारधारा से उत्पन्न हुआ किन्तु इसकी सोंच बदल गई।

(ii) समाजवादी दल सर्वहारा समाज की कल्पना करता है। कम्यूनिस्ट दल जनजातियों के विकास की बात करता है, अधिनायकवादी तरह से ।

(iii) समाजवादी दल अहिंसक है किन्तु कम्युनिष्ट दल कट्टर एवं हिंसा का रास्ता भी अपना लेते हैं।

(iv) समाजवादी दल में बुद्धिजीवी वर्ग हैं कम्युनिष्ट दल में जनजातीय समाज का बोलबाला है। समाजवादी दल राष्ट्रीय सम्पत्ति की संरक्षण की बात करता है जबकि कम्युनिष्ट दल राष्ट्रीय सम्पत्ति को नुकसान भी पहुंचाते हैं।

प्रश्न 18. नागरिक स्वतंत्रता संगठनों को किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा?

उत्तर-नागरिक स्वतंत्रता संगठनों को निम्नांकित चुनौतियों का सामना करना

पड़ा-

(i) जन विरोध का सामना करना पड़ा।

(ii) आर्थिक अनियमितता झेलनी पड़ी।

(iii) जेल की यातना भुगतनी पड़ी।

(iv) विभिन्न संगठनों के हितलाभ के कारण असहयोग एवं आलोचना झेलनी पड़ी।

प्रश्न 19. पर्यावरण के सुरक्षा के लिए आप क्या सुझाव देते हैं ?

उत्तर-पर्यावरण का अर्थ-पर्यावरण को आंग्ल-भाषा में 'एनवायरनमेण्ट' कहते हैं (Environment)। 'पर्यावरण' शब्द दो शब्दों से बना है-'परि' + 'आवरण' । 'परि' का अर्थ है-'चारों ओर से' एवं आवरण का अर्थ है-'ढके या घेरे हुए'। जिसबर्ट के अनुसार, प्रत्येक वस्तु जो किसी वस्तु को चारों ओर से घेरती एवं उस पर प्रत्यक्ष प्रभाव डालती है, पर्यावरण है। रॉस के शब्दों में, 'पर्यावरण कोई बाह्य शक्ति है, जो हमे प्रभावित करती है' स्पष्ट है कि मनुष्य के चारों ओर जो भी वस्तुएं परिस्थितियां एवं शक्तियां पाई जाती है वही उसका पर्यावरण है।

पर्यावरण सुरक्षा की समस्या-पर्यावरण की प्राकृतिक, सांस्कृतिक तथा जैविक विशेषताएँ एक-दूसरे से कार्यात्मक सम्बन्ध द्वारा जुड़ी हुई हैं लेकिन आज मनुष्य ने अपने तात्कालिक लाभ की पूर्ति के लिए पर्यावरण के संतुलन को बिगाड़ा है, जो मानव के लिए विनाशकारी है। वनों के अन्धाधुंध विनाश, कृषि भूमि का विस्तार, जनसंख्या में वृद्धि, अत्यधिक पशु-चारण, औद्योगीकरण, नगरीकरण आदि ने पर्यावरण को दूषित कर उसकी सीमा का अतिक्रमण, नगरीकरण आदि ने पर्यावरण को दूषित कर उसकी सीमा का अतिक्रमण कर दिया है। इनमें जल, थल, वायु एवं ध्वनि प्रदूषण की समस्याएँ विकट होती जा रही हैं। मानव जाति के भविष्य के लिए पर्यावरण सुरक्षा आवश्यक है।

नागरिकों का दायित्व-पर्यावरणीय सुरक्षा अन्तर्राष्ट्रीय समस्या है। प्रत्येक राष्ट्र में 'पर्यावरण मंत्रालय' की स्थापना की गई है। 1972 ई० में स्टॉक होम में वातावरण की सुरक्षा पर एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन हुआ। 'संयुक्त राष्ट्रसंघ' द्वारा पर्यावरण कार्यक्रम बनाया गया है। 1980 ई० में विश्व-संरक्षण नीति घोषित की गई । भारत में भी पर्यावरण सम्बन्धी अनेक कानून बनाये गये हैं। 1985 ई० में पर्यावरण, वन तथा वन्य जीव संरक्षण विभाग की स्थापना की गई है और 1986 ई० में पर्यावरण संरक्षण अधिनियम लागू किया गया है । नागरिकों का भी दायित्व है-पेड़ों, जंगलों की रक्षा करना, नदी के जल को स्वच्छ रखने का प्रयास करना । भूमि, जल, वायु तथा ध्वनि को प्रदूषण से बचाना आदि ।

Class 12th Political Science

1. सुरक्षा की गैर-परम्परागत अवधारणा क्या है ? व्याख्या करें।

उत्तर-

(i) गैर परम्परागत सुरक्षा की धारणा का सम्बन्ध बाह्य खतरों के साथ अन्य खतरनाक खतरों से होता है।

(ii) गैर परम्परागत सुरक्षा में सैन्य खतरे को ही नहीं अपितु मानवीय अस्तिव पर प्रहार करने वाले व्यापक खतरों एवं अकांक्षाओं को भी खतरनाक समझा जाता है।

(iii) गैर परम्परागत सुरक्षा की धारणा में खतरे का स्रोत विदेशी राष्ट्र के साथ-साथ कोई अन्य भी हो सकते हैं।

(iv) गैर परम्परागत सुरक्षा की धारणा में देश के नागरिकों से विदेशी सेना के साथ-साथ अपने स्वयं के देश की सरकारों से बचना जरूरी होता है।

2. सुरक्षा के लिए एक नये खतरे के रूप में आतंकवाद की व्याख्या किन्हीं दो उदाहरणों की सहायता से कीजिए।

उत्तर - आतंकवाद सुरक्षा के लिये अपरम्परागत श्रेणी में आता है। आज आतंकवाद किसी एक देश के लिए नहीं अपितु विश्व के सभी देशों के लिए खतरा बना हुआ है। 11 सितम्बर, 2001 के अमरीका पर आतंकवादी हमले से यह सिद्ध होता है कि यह विकसित देशों की सुरक्षा में भी सेंध लगा सकता है। आतंकवाद में जान-बूझकर नागरिकों, विमानों, महत्वपूर्ण इमारतों, रेलगाड़ियों, बाजार आदि में बम रखकर वहाँ तबाही लाने व आतंक फैलाने का प्रयास किया जाता है। आतंकवादी संगठन बल प्रयोग की शक्ति के माध्यम से विभिन्न देशों पर आक्रमण करना चाहते हैं। दक्षिण एशिया, अफ्रीका व लैटिन अमरीका जैसे देशों की प्रमुख समस्या यह है कि आतंकवाद पर किस प्रकार नियन्त्रण पाया जाए। यह अत्यन्त दुःखपूर्ण विषय है कि कुछ देश इन आतंकवादी संगठनों को अपने यहाँ प्रशिक्षण भी दे रहे हैं।

3. सिक्किम का भारतीय संघ में विलय पर एक निबन्ध लिखिए।

उत्तर- स्वतंत्रता के समय सिक्किम को भारत की 'शरणागति' प्राप्त थी। इसका अभिप्राय यह है कि तब सिक्किम भारत का अंग तो नहीं था लेकिन वह पूरी तरह संप्रभु राष्ट्र भी नहीं था। सिक्किम की रक्षा और विदेशी मामलों का दायित्व भारत सरकार का था जबकि सिक्किम के आंतरिक प्रशासन की बागडोर यहाँ के राजा चोग्याल के हाथों में थी। यह व्यवस्था कारगर सिद्ध नहीं हो सकी क्योंकि सिक्किम के राजा स्थानीय जनता की लोकतांत्रिक आकांक्षाओं को संभाल नहीं सके। सिक्किम की जनसंख्या में एक बड़ा भाग नेपालियों का था। नेपाली मूल की जनता के मन में यह भाव घर कर गया कि चोग्याल अल्पसंख्यक लेपचा-भूटिया के एक छोटे-से अभिजन वर्ग का शासन उन पर लाद रहा है। चोग्याल विरोधी दोनों समुदाय के नेताओं ने भारत सरकार से सहायता माँगी और भारत सरकार का समर्थन प्राप्त किया।

सिक्किम विधानसभा के लिए पहला लोकतांत्रिक चुनाव वर्ष 1974 में हुआ और इसमें सिक्किम कांग्रेस को भारी विजय प्राप्त हुई। यह पार्टी सिक्किम को भारत के साथ जोड़ने के पक्ष में थी। सिक्किम विधानसभा ने पहले भारत के 'सह-प्रान्त' बनने की कोशिश की और इसके बाद अप्रैल, 1975 में एक प्रस्ताव पारित किया। इस प्रस्ताव में भारत के साथ सिक्किम के पूर्ण विलय की बात कही गई थी। इस प्रस्ताव के तुरंत बाद सिक्किम में जनमत-संग्रह कराया गया और जनमत-संग्रह में जनता ने विधानसभा के निर्णय पर अपनी स्वीकृति प्रदान की। भारत सरकार ने सिक्किम विधानसभा के अनुरोध को तत्काल मान लिया और सिक्किम भारत का 22वाँ राज्य बन गया। चोग्याल ने इस निर्णय को नहीं माना और उसके समर्थकों ने भारत सरकार पर साजिश रचने तथा बल-प्रयोग करने का आरोप लगाया। बहरहाल, भारत संघ में सिक्किम के विलय को स्थानीय जनता का समर्थन प्राप्त था। इस कारण यह मामला सिक्किम की राजनीति में कोई विभेदकारी मुद्दा न बन सका।

4. मिश्रित अर्थव्यवस्था' से आप क्या समझते हैं ? भारत में मिश्रित अर्थव्यवस्था को क्यों अपनाया गया ?

उत्तर - मिश्रित अर्थव्यवस्था को विभिन्न प्रकार से एक ऐसी आर्थिक प्रणाली के रूप में परिभाषित किया जाता है जो बाजार अर्थव्यवस्थाओं के तत्वों को नियोजित अर्थव्यवस्थाओं के तत्वों, मुक्त बाजारों के साथ राज्य के हस्तक्षेप, या निजी उद्यम को सार्वजनिक उद्यम के साथ मिश्रित करती है। मिश्रित अर्थव्यवस्था न तो शुद्ध पूंजीवाद है और न ही शुद्ध समाजवाद बल्कि दोनों प्रणालियों का मिश्रण है। इस व्यवस्था में हमें पूँजीवाद और समाजवाद दोनों की विशेषताएँ मिलती हैं। मिश्रित अर्थव्यवस्था निजी उद्यम और सार्वजनिक उद्यम दोनों द्वारा संचालित होती है।

भारत ने मिश्रित अर्थव्यवस्था को अपनाया क्योंकि -

1. पर्याप्त स्वतंत्रता: मिश्रित अर्थव्यवस्था भी विभिन्न आर्थिक इकाइयों को पर्याप्त स्वतंत्रता की अनुमति देती है: (ए) उपभोक्ता अपनी आय का अपनी इच्छानुसार निपटान करने के लिए स्वतंत्र हैं, हालांकि सरकार मौद्रिक, राजकोषीय और वाणिज्यिक नीतियों के माध्यम से इन निर्णयों को प्रभावित करने की कोशिश करती है। (बी) उत्पादन के कारक अपना व्यवसाय चुनने के लिए स्वतंत्र हैं, हालांकि सरकार फिर से चुने हुए व्यवसायों के विकास के लिए अनुकूल परिस्थितियां बनाने का प्रयास कर सकती है। (सी) इसका सर्वोत्तम संभव उपयोग खोजने के लिए निजी पहल को हमेशा प्रोत्साहित किया जाता है।

2. अधिकतम कल्याण: राज्य श्रमिकों और अन्य नागरिकों को अधिकतम कल्याण प्रदान करने का प्रयास करता है।

3. आधुनिक प्रौद्योगिकी: मिश्रित अर्थव्यवस्था में आधुनिक प्रौद्योगिकी और पूंजी बचत पद्धति का उपयोग किया जाता है, जिसके परिणामस्वरूप बड़े पैमाने पर उत्पादन और लाभ संभव हो सकता है।

4. संसाधनों का सर्वोत्तम आवंटन: मिश्रित आर्थिक प्रणाली में संसाधनों का सर्वोत्तम संभव तरीके से उपयोग किया जाता है। केंद्र सरकार संसाधनों के अधिकतम उपयोग के लिए आर्थिक योजना बनाती है। इस प्रकार कमी से बचा जाता है; उत्पादक दक्षता बढ़ती है और चक्रीय उतार-चढ़ाव समाप्त हो जाते हैं।

5. भारतीय किसान यूनियन की उत्पत्ति एवं कार्यों को लिखें।

उत्तर -

 उत्पत्ति:

> मूल संगठन: भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) की स्थापना 26 अक्टूबर 1978 को हुई थी।

> संस्थापक: चौधरी चरण सिंह, जिन्होंने 1979 में 6th लोकसभा चुनाव जीता और भारत के 5वें प्रधानमंत्री बने।

> उद्देश्य: किसानों के अधिकारों और हितों की रक्षा करना।

कार्य:

किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP): बीकेयू MSP में वृद्धि और समय पर भुगतान सुनिश्चित करने के लिए लड़ता है।

कृषि ऋण माफी: बीकेयू किसानों के ऋण माफी की मांग करता है और कर्जदारों को राहत दिलाने के लिए काम करता है।

बिजली और पानी की सुविधाएं: बीकेयू किसानों को सस्ती और सुलभ बिजली और पानी की सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए आंदोलन करता है।

कृषि उत्पादों के लिए उचित मूल्य: बीकेयू किसानों के लिए कृषि उत्पादों के लिए उचित मूल्य सुनिश्चित करने के लिए काम करता है।

कृषि में सुधार: बीकेयू किसानों को आधुनिक तकनीकों और कृषि पद्धतियों से परिचित कराने के लिए कार्य करता है।

किसानों के अधिकारों के लिए जागरूकता: बीकेयू किसानों को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करने और उन्हें संगठित करने के लिए काम करता है।

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