मॉडल
प्रश्नपत्र (Model Question Paper) विषय - राजनीति शास्त्र
(Sub- Political Science),
वर्ग- 12 (Class-12), सेट-
1(Set -1) पूर्णांक-40 (F.M-40) समय-1:30 घंटे (Time-1:30 hours)
सामान्य
निर्देश (General Instructions) -
» परीक्षार्थी यथासंभव अपने
शब्दों में उत्तर दें।
» कुल प्रश्नों की संख्या
19 है।
» प्रश्न संख्या 1 से प्रश्न
संख्या 7 तक अति लघूत्तरीय प्रश्न हैं। इनमें से किन्हीं पाँच प्रश्नों के उत्तर अधिकतम एक वाक्य में दीजिए। प्रत्येक प्रश्न का मान 2 अंक
निर्धारित है।
» प्रश्न संख्या 8 से प्रश्न
संख्या 14 तक लघूतरीय प्रश्न हैं। इनमें से किन्हीं 5 प्रश्नों के उत्तर अधिकतम 50 शब्दों में दीजिए। प्रत्येक प्रश्न का मान 3 अंक निर्धारित
है।
» प्रश्न संख्या 15 से प्रश्न
संख्या 19 तक दीर्घ उत्तरीय प्रश्न हैं। इनमें से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर अधिकतम 100 शब्दों में दीजिए। प्रत्येक प्रश्न का मान 5 अंक
निर्धारित है।
प्रश्न 1.
"जय जवान जय किसान" का नारा किसने दिया?
उत्तर-"जय जवान जय किसान"
का नारा प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने दिया।
प्रश्न 2.
1975 में भारत में आपातकाल की घोषणा किसने की थी ?
उत्तर-श्रीमती इंदिरा गाँधी।
प्रश्न 3. जापान
के किन शहरों पर परमाणु बम गिराए गए थे ?
उत्तर-हिरोशिमा एवं नागाशाकी।
प्रश्न 4. दक्षिण
एशिया के सबसे बड़े देश का नाम बताएँ।
उत्तर-दक्षिण एशिया का सबसे
बड़ा देश भारत है।
प्रश्न 5. सोवियत
संघ का विघटन कब हुआ?
उत्तर-सोवियत संघ का विघटन
1991 में हुआ।
प्रश्न 6. योजना
आयोग का अध्यक्ष कौन होता है ?
उत्तर-योजना आयोग का अध्यक्ष
प्रधानमंत्री होता है?
प्रश्न 7. नेशनल
काँफ्रेंस किस राज्य की मुख्य राजनीतिक पार्टी है ?
उत्तर-जम्मू-कश्मीर।
प्रश्न 8. संयुक्त
राष्ट्र सुरक्षा परिषद् क्या है ?
उत्तर-सुरक्षा परिषद् संयुक्त
राष्ट्र की कार्यपालिका और इसके विभिन्न अंगों में सर्वाधिक शक्तिशाली अंग हैं। इसमें
15 सदस्य हैं जिनमें 5 स्थाई सदस्य हैं-अमेरिका, इंग्लैंड, फ्रांस, रूस तथा चीन और
10 अस्थायी सदस्य हैं, जो महासभा द्वारा हर दो वर्ष बाद चुने जाते हैं। अस्थाई सदस्यों
में विश्व के विभिन्न क्षेत्रों से प्रतिनिधित्व को सुनिश्चित किया जाता है। इसके सभी
निर्णय बहुमत से होते हैं, परन्तु पाँचों स्थायी सदस्यों की वीटो शक्ति प्राप्त है
। अर्थात् किसी भी प्रस्ताव के पारित होने के लिए उस पर पाँचों स्थायी सदस्यों का सहमत
होना आवश्यक है।
प्रश्न 9. निम्नलिखित में मेल बैठाएँ
प्रश्न 10. भारत
की विदेश नीति में आए वो महत्त्वपूर्ण परिवर्तन बताएँ।
उत्तर-भारतीय विदेश नीति में
यों तो कई परिवर्तन आये, किन्तु उनमें दो निम्न हैं-(1) परमाणु ब्लॉक में सम्मिलित
होना तथा (ii) सैन्य हितों की अपेक्षा आर्थिक हितों पर ज्यादा जोर देना।
प्रश्न 11. आजादी
के समय भारत को किन दो चुनौतियों का सामना करना पड़ा?
उत्तर-भारत के सामने निम्नलिखित
दो चुनौतियाँ थीं-
(i) लोकतंत्र को कायम करना
।
(ii) एकता के सूत्र में बंधे
एक ऐसा भारत गढ़ना, जिसमें भारतीय समाज की सारी विविधताओं के लिए जगह हो।
प्रश्न 12. गठबंधन
का क्या अर्थ है ?
उत्तर-वह राजनीति जिसमें चुनाव
के पहले अथवा बाद में आवश्यकतानुसार, दलों में सरकार गठन या किसी अन्य मामले (जैसे
राष्ट्रपति चुनाव) में आपसी सहमति बन जाए और वे सामान्यतः स्वीकृत न्यूनतम साझा कार्यक्रम
के अनुसार देश में राजनीति (विरोधी दल के रूप में या सत्ताधारी गुट के रूप में) हो,
तो ऐसी राजनीति को गठबंधन की राजनीति कहते हैं।
प्रश्न 13. मंडल
आयोग की कोई दो सिफारिशों को लिखें।
उत्तर-जनता पार्टी द्वारा नियुक्त
मंडल की अध्यक्षता में आयोग की 1978 में की गई तीन प्रमुख सिफारिशें निम्नलिखित थीं-
(i) अन्य पिछड़ी जातियों
(Other backward classes = OBCs) को सरकारी सेवाओं में 27% आरक्षण प्रदान किया जाए।
(ii) केन्द्रीय तथा राज्य सरकारों
द्वारा शासित वैज्ञानिक, तकनीकी तथा व्यावसायिक संस्थाओं में अन्य पिछड़ी जातियों
(OBCs) के लिए 27% आरक्षण निश्चित किया जाए।
(iii) अन्य पिछड़ी जातियों
को आर्थिक सहयोग के लिए सरकार एक पृथक आर्थिक संस्था को चाहे तो निश्चित करे।
प्रश्न 14. समाजवादी
अर्थव्यवस्था एवं पूँजीवादी अर्थव्यवस्था में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर-(i) समाजवादी अर्थव्यवस्था
पर सरकार का पूर्ण नियंत्रण होता है जबकि पूँजीवादी अर्थव्यवस्था सरकार के नियंत्रण
तथा स्वामित्व से बाहर रहती है। उस पर बाजार
व्यवस्था का प्रभाव अधिक रहता है।
(ii) समाजवादी अर्थव्यवस्था
के अंतर्गत खुला व्यापार तथा खुली प्रतियोगिता का अभाव पाया जाता है। उत्पाद की गुणवत्ता,
सीमा, वस्तुओं की कीमतों का सरकार के द्वारा निश्चित होना और निजी लाभ की धारणा का
अभाव आदि इस व्यवस्था के दोष है। पूँजीवादी अर्थव्यवस्था के अन्तर्गत स्वतंत्र व्यापार
एवं खुली प्रतियोगिता अपनायी जाती है। वस्तुओं की कीमत का निर्धारण उत्पादक करता है।
उत्पादन का आधार लाभ होता है।
प्रश्न 15. सोवियत
विभाजन का भारत पर पड़े प्रभावों का परिचय दें।
उत्तर-यद्यपि भारत दोनों महाशक्तियों-सोवियत
संघ और संयुक्त राज्य अमेरिका दोनों से अच्छा तालमेल रखता था परंतु वह सोवियत संघ के
अधिक निकट था। उसने भारत की अनेक प्रकार से संकटों या सामान्य समय में सहायता की। इसलिए
इसके विघटन से भारत निश्चित रूप से बहुत अधिक प्रभावित हुआ।
(i) सोवियत संघ के विघटन से
शीतयुद्ध समाप्त हो गया और विश्व के विभिन्न भागों में शांति स्थापित हुई। इस शांति
का भारत को भी लाभ मिला। परमाणु हथियारों के संचय और हथियारों की होड़ से भी राहत मिली।
(ii) विश्व में अमेरिका की
तानाशाही स्थापित हो गयी है । यह भारत की राजनीति को भी प्रभावित कर रहा है।
(iii) अमेरिका भारत में भी
अपनी मनमानी चला रहा है। आये दिन कुछ शर्तों को मानने के लिए विवश करता है
(iv) अन्य देशों की भाँति भारत
की अर्थव्यवस्था भी अमेरिका से प्रभावित हो रही है। भारत द्वारा परमाणु परीक्षण के
समय आर्थिक प्रतिबंध लगाने की धमकी अमेरिका दे रहा था।
(v) उसने पड़ोसी देश पाकिस्तान
को धन देकर भारत के विरुद्ध भड़काने का कार्य किया है।
(vi) सोवियत का हिस्सा रूस
भी अब शक्तिशाली नहीं रह गया । इसलिए उससे भारत को प्रौद्योगिकी और आर्थिक सहायता अब
कम मिल रही है।
प्रश्न 16. अमेरिका
ने अफगानिस्तान पर आक्रमण क्यों किया? कोई तीन कारण बताएँ।
उत्तर-अफगानिस्तान में अमेरिकी
आक्रमण का मुख्य कारण था वहाँ का तालिबान शासन, जिसे स्वयं अमेरिका ने ही सशस्र इस्लामबादी
बनाया था। किन्तु 'सोवियत विघटन के बाद अंतर्राष्ट्रीय समीकरण बदले और 1999 तक 'अंतर्राष्ट्रीय
उग्र इस्लामबादी बनाम अमेरिका' जैसे समीकरण उभरकर सामने आने लगे। अक्तूबर 2001 को अमेरिका
और सहयोगी देशों ने अफगानिस्तान पर आक्रमण कर दिया। जिसके पीछे निम्नलिखित तीन कारण
थे-
(i) अमेरिका कट्टर आतंकवादी
ओसामा बिन लादेन की खोज कर रहा था और लादेन के अफगानिस्तान में होने की संभावना थी।
(ii) अमेरिका मानता था कि लादेन
को सुरक्षित आश्रम व आतंकवाद प्रशिक्षण राष्ट्रीय सुरक्षा व विदेशी नीति को चुनौती
दी है।
प्रश्न 17. भारत
व चीन के संबंधों में प्रगाढ़ता के मुख्य कारण क्या है?
उत्तर-भारत और चीन के संबंधों
में प्रगाढ़ता का मुख्य कारण है आर्थिक संबंध । भारत और चीन ने व्यापारिक व आर्थिक
क्षेत्र में पिछले कुछ वर्षों में उल्लेखनीय प्रगति की है। 1999 से भारत और चीन के
बीच व्यापार 30 फीसदी सालाना की दर से बढ़ रहा है। भारत व चीन को भविष्य में अपार ऊर्जा
की आवश्यकता होगी। इस बात को ध्यान में रखकर दोनों देशों ने ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग
बढ़ाने की सहमति जताई है। भारत व चीन द्वारा नाथुला दर्रे को खोलना दोनों देशों के
राजनीतिक और व्यापारिक संबंधों को एक नए क्षितिज पर खड़ा करता है। भारत व चीन के बीच
बढ़ते हुए आर्थिक संबंधों को एक नई दिशा मिली है।
प्रश्न 18. नेहरू
विदेश नीति के संचालन को स्वतंत्रता का एक अनिवार्य संकेतक मानते थे। क्यों ?
उत्तर-नेहरू ने भारत की विदेश
नीति की बुनियाद दृढ़ता के साथ रखी थी। उन्होंने विदेशी नीति के संचालन को स्वतंत्रता
का एक अनिवार्य संकेतक मानते हुए कहा था कि "हम अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में
अपनी स्वयं की नीति के साथ एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में भाग लेंगे न कि केवल किसी
दूसरे राष्ट्र के उपग्रह की तरह । हम दूसरे राष्ट्र से घनिष्ठ व प्रत्यक्ष संबंधों
की आशा करते हैं, उनके साथ मिलकर विश्व शान्ति एवं स्वतंत्रता के संवर्द्धन में सहयोग
करते हैं तथा किया। हम विशेषकर उपनिवेशक देशों तथा उनके लोगों के उद्धार में तथा सभी
नस्लों के लिए अवसरों की समानता को सैद्धांतिक एवं व्यवहारिक मान्यता दिलाने में रूचि
रखते हैं।"
दूसरी तरफ नेहरू ने अपने सिद्धांतों
में, सम्प्रभुता को बनाये रखना, विश्वशांति को प्रोत्साहन, संयुक्त राष्ट्र संघ को
सहयोग, उपनिवेशवाद, साम्राज्यवाद तथा नस्लवाद का विरोध, निशस्त्रीकरण में सहयोग, गुटनिरपेक्षता
की नीति, मानव अधिकारों को समर्थन, पंचशील सिद्धांत को सफल विदेश नीति संचालन के लिए
आवश्यक माना।
प्रश्न 19.
“1977 के बाद केन्द्र में गठबंधन की सरकार का युग प्रारंभ हुआ और इसी प्रधान उपाय में
चल रहा है।" समझाएँ।
उत्तर-1977 से ही भारतीय राजनीति
में गठबंधन की सरकारें बनने का युग प्रारंभ हो गया था। 1977 में काँग्रेस के खिलाफ
सभी पार्टियों ने मिलकर जनता पार्टी का गठन किया और वहीं से गठबंधन सरकार की शुरूआत
मानी जाती है। नेशनल फ्रंट भी एक गठबन्धन सरकार थी जो 1991 तक ही चली। 1991 में फिर
चुनाव हुए जिसमें कांग्रेस को सरकार बनाने में सफलता तो मिली परन्तु इसका पहले जैसा
प्रभुत्व समाप्त हो गया । इस प्रकार 1989 के बाद कांग्रेस का पतन प्रारंभ हो गया क्योंकि
क्षेत्रीय दलों का महत्व प्रान्तों में व केन्द्र में भी बढ़ने लगा। 1996 के चुनाव
में भी गठबंधन की सरकार बनी जिसमें क्षेत्रीय पार्टियों ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की।
1996 के प्रारंभ में भारतीय जनता पार्टी के नेता श्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व
में सरकार बनी जो 13 दिन के बाद ही गिर गयी। बाद में कांग्रेस के समर्थन से यूनाइटेड
फ्रंट की सरकार पहले एच. डी देवगोड़ा के नेतृत्व में बनी । फिर इंद्र कुमार गुजरात
के नेतृत्व में सरकार बनी। कांग्रेस के द्वारा समर्थन लेने के कारण 1999 में फिर चुनाव
हुए जिसमें एन०डी०ए० को बहुमत मिला व श्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में सरकार
बनी।
इस प्रकार हम देखते हैं कि
1977 में जो गठबन्धन की सरकारों का दौर प्रारंभ हुआ। वह 1999 तक चला जिसमें 6 सरकारें
भी बदलीं। इस दौर में भारतीय राजनीति में कई आयाम जुड़े जो निम्नांकित हैं-(i) क्षेत्रीय
दलों की बढ़ती हुई भूमिका, (ii) राष्ट्रीय दलों के महत्व में कमी, (i) बाहर से समर्थन
का दौर; (iv) अनिश्चित सरकारें।
1999 के चुनाव में एन०डी०ए० को पूर्ण समर्थन मिला व 2004 तक एन०डी०ए० की सरकार ने पाँच वर्ष का कार्यकाल पूरा किया। एन०डी०ए० में भी क्षेत्रीय पार्टियों की हर क्षेत्र व हर निर्णय में निर्णायक भूमिका रही। आज भी गठबंधन की सरकारों का दौर चल रहा है। एन०डी०ए० को 2004 में सरकार बनाने के लिए पूर्ण बहुमत नहीं मिला। इसके स्थान पर यू०पी०ए० का गठन हुआ जिसमें कांग्रेस बड़ी पार्टी उभर कर सामने आयी। यू०पी०ए० में भी क्षेत्रीय पार्टियों की अहम् भूमिका है। विशेष बात यह है कि कई क्षेत्रीय दल जो एन०डी०ए० के घटक में थे वे यू०पी०ए० के भी घटक हैं । इसप्रकार हम देखते हैं कि भारतीय राजनीति में अजीब-सी प्रवृत्तियाँ उत्पन्न हो रही हैं। शायद भारतीय राजनीति में ये बदलाव भारतीय समाज में चल रहे बदलावों का ही परिणाम है।