झारखंड
शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद्, राँची (झारखंड)
Jharkhand Council of
Educational Research and Training, Ranchi
(Jharkhand)
द्वितीय
सावधिक परीक्षा - 2021-2022
Second Terminal
Examination - 2021-2022
मॉडल
प्रश्नपत्र
Model Question Paper
सेट-
5
(Set - 5)
वर्ग- 12 (Class-12) |
विषय - भूगोल (Sub - Geography) |
पूर्णांक-35 (F.M-35) |
समय-1:30 घंटे (Time-1:30 hours) |
सामान्य
निर्देश (General Instructions) -
» परीक्षार्थी यथासंभव अपने
शब्दों में उत्तर दें।
» कुल प्रश्नों की संख्या
19 है।
» प्रश्न संख्या 1 से प्रश्न
संख्या 7 तक अति लघूत्तरीय प्रश्न हैं। इनमें से किन्हीं पाँच प्रश्नों के उत्तर अधिकतम एक वाक्य में दीजिए। प्रत्येक प्रश्न का मान 2 अंक
निर्धारित है।
» प्रश्न संख्या 8 से प्रश्न
संख्या 14 तक लघूतरीय प्रश्न हैं। इनमें से किन्हीं 5 प्रश्नों के उत्तर अधिकतम 50 शब्दों में दीजिए। प्रत्येक प्रश्न का मान 3 अंक निर्धारित
है।
» प्रश्न संख्या 15 से प्रश्न
संख्या 19 तक दीर्घ उत्तरीय प्रश्न हैं। इनमें से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर अधिकतम 100 शब्दों में दीजिए। प्रत्येक प्रश्न का मान 5 अंक निर्धारित
है।
1.भारत में जनगणना
किस वर्ष प्रारंभ हुआ ?
उत्तर: भारत में पहली जनगणना
1872 ( लार्ड मेयो के कार्यकाल में)। भारत में नियमित जनगणना की शुरुआत 1881( लार्ड
रिपन के कार्यकाल में)। स्वतंत्र भारत की पहली जनगणना 1951
2. मिश्रित कृषि
से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर: जब फसलों के उत्पादन
के साथ-साथ पशुपालन भी किया जाता है तो इसे मिश्रित कृषि या मिश्रित खेती कहते हैं।
3. जनसंख्या
की दृष्टि से भारत के प्रथम 3 सबसे बड़े राज्य कौन से हैं?
उत्तर: उत्तर प्रदेश सबसे अधिक
आबादी वाला राज्य है, उत्तर प्रदेश के बाद महाराष्ट्र और बिहार है।
4. किन्ही दो
प्रमुख पेय पदार्थ के नाम लिखें?
उत्तर: फलों का रस,चाय
5. धात्विक खनिज
किसे कहते हैं ?
उत्तर: जिन खनिजों से धातु
प्राप्त होती है उन्हें धात्विक खनिज कहते हैं; जैसे लौह अयस्क, बॉक्साइट, आदि।
6. अंतर्राष्ट्रीय
प्रवास को परिभाषित करें ?
उत्तर: अंतरराष्ट्रीय प्रवास
का साधारण सा अर्थ होता है की एक ऐसा व्यक्ति या व्यक्तियों का समूह जो की अपने राज्य
और देश की सीमा को छोड़कर अन्यत्र चले जाते है।
7. काली मिट्टी
की विशेषता क्या है ?
उत्तर: काली मिट्टी की प्रमुख
विशेषता यह है कि उसमें जल धारण करने की सर्वाधिक क्षमता होती है काली मिट्टी बहुत
जल्दी चिपचिपी हो जाती है तथा सूखने पर इस में दरारें पड़ जाती हैं इसी गुण के कारण
काली मिट्टी को स्वत जुताई वाली मिट्टी कहा जाता है।
8. ध्वनि प्रदूषण
से आप क्या समझते हैं । इसके रोकथाम के उपाय बताएं ?
उत्तर: उच्च तीव्रता वाली ध्वनि
अर्थात् अवांछित शोर के कारण मानव वर्ग में उत्पन्न अशांति एवं बेचैनी की दशा को ध्वनि
प्रदूषण कहते हैं, जैसे-उद्योगों का शोर, पत्थरों को काटना, तेज चिल्लाना, वाहनों का
शोर आदि। ध्वनि की तीव्रता को मापने के लिये डेसीबल (dB) इकाई निर्धारित की गई है।
डेसीबल मापक शून्य से प्रारम्भ होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ध्वनि की उच्चता
का स्तर दिन में 45dB तथा रात्रि में 35dB निश्चित किया है।
ध्वनि प्रदूषण की रोकथाम के
लिये उपाय
शोर या ध्वनि प्रदूषण को रोकने
के लिये निम्न उपाय किये जा सकते हैं-
(i) वाहनों में तेज एवं कर्कश
आवाज वाले प्रेशर हार्न के प्रयोग पर प्रतिबन्ध लगाना चाहिये।
(ii) घनी नगरीय आबादी हवाई
अड्डों तथा कल-कारखानों से दूर होनी चाहिये।
(iii) कारखानों में शोर से
बचने के लिये अटेन्येटर्स’ (Attenuators) लगाये जाने चाहिये।कोलाहल पूर्ण कारखानों
में कामगारों को इयर प्लग (Ear Plug) अवश्य पहनना चाहिये।
(iv) मशीनों में ग्रीस (Greasc) लगाकर उन्हें चिकना रखना चाहिये ताकि उनसे खड़ खड़ाहट की आवाज कम हो।
(v) शोर करने वालों खिलाफ आवाज
उठाई जानी चाहिये तथा जनता को शोर से होने वाले दुष्परिणामों के विषय में जानकारी देना
चाहिये।
(vi) सड़क यातायात के निश्चित
नियमों पर अमल करके आवासीय क्षेत्रों में कोलाहल के स्तर को काफी कम किया जा सकता है।
(vii) बस स्टेशन, रेलवे स्टेशन, हवाई अड्डा आदि स्थलों का चयन भीड़-भाड़ वाले क्षेत्रों से दूर किया जाना चाहिये।
(viii) ध्वनि पैदा करने वाले
वाहनों को सड़कों से हटा लेना चाहिये तथा नियमित समय पर वाहनों की जाँच करते रहना चाहिये।
मशीनों के पुराने पुों को बदलकर नये पुर्जे लगाये जाने चाहिये।
(ix) ध्वनि पैदा करने वाले
धार्मिक अनुष्ठानों (शादी-ब्याह, जागरण, भजन-कीर्तन, नमाज, पूजा, चुनाव प्रचार, विज्ञापन,
घंटियों, सायरनों की आवाजों पर अंकुश लगाया जाना चाहिये।
(x) भारी वाहनों को आवासीय
क्षेत्रों से दूर रखना चाहिये।
(xi) अधिक शोर करने वाले क्षेत्रों
में आम, इमली, ताड़, नारियल नीम आदि के वृक्ष लगाने से 10 से 15db तक शोर कम हो जाता
है।
(xii) अस्पतालों, शिक्षा संस्थाओं,
पुस्तकालयों तथा अनुसन्धान केन्द्रों को ध्वनि प्रदूषण रहित क्षेत्रों में स्थापित
करना चाहिये।
9. जनसंख्या
परिवर्तन के तीन प्रमुख घटकों के नाम लिखें।
उत्तर: जनसंख्या परिवर्तन
के तीन घटक-जन्मदर, मृत्युदर तथा प्रवास हैं।
(क) जन्मदर को प्रति हजार स्त्रियों पर जन्मे जीवित बच्चों की गणना निम्नानुसार करके ज्ञात करते हैं:
(ख) किसी क्षेत्र विशेष में किसी वर्ष विशेष के दौरान प्रति हजार जनसंख्या पर मृतकों की संख्या को निम्नानुसार गणना करके ज्ञात करते हैं:
(ग) प्रवास मनुष्य और संसाधनों
के बीच बेहतर संतुलन स्थापित करने की दिशा में उठाया गया कदम है। इसके अंतर्गत लोग
प्रतिकर्ष कारकों के कारण एक स्थान को छोड़ देते हैं तथा अपकर्ष कारकों के कारण दूसरे
स्थान पर जाकर बस जाते हैं। इस तरह दोनों स्थानों की जनसंख्या में परिवर्तन होता है।
10. भारत में
उपग्रह प्रणाली के महत्व का वर्णन करें।
उत्तर: भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह
प्रणाली (इन्सैट) इसरो द्वारा शुरू बहुउद्देशीय भू स्थिर उपग्रहों की एक श्रृंखला है
जो दूरसंचार, प्रसारण, मौसम विज्ञान और खोज और बचाव कार्य के लिए उपयोग होता है।
1983 में शुरू किया हुआ इनसैट, एशिया-प्रशांत क्षेत्र में सबसे बड़ी देशीय संचार प्रणाली
है। यह भारत सरकार के अंतरिक्ष विभाग, दूरसंचार विभाग, भारतीय मौसम विज्ञान विभाग,
आकाशवाणी और दूरदर्शन चैनल के एक संयुक्त उद्यम है। सचिव-स्तर इनसैट समन्वय समिति के
ऊपर इनसैट प्रणाली के समग्र समन्वय और प्रबंधन टिकी हुई है। इनसैट उपग्रहों भारत के
टीवी और संचार आवश्यकताओं की सेवा करने के लिए विभिन्न बैंड में ट्रांसपोंडर (सी, एस,
विस्तारित सी और यू) प्रदान करते हैं। इसरो अंतर्राष्ट्रीय कोसपस-सारसट कार्यक्रम के
एक सदस्य के रूप में दक्षिण एशियाई और हिंद महासागर क्षेत्र में खोज और बचाव अभियान
के लिए संकट चेतावनी संकेतों को प्राप्त करने के लिए उपग्रहों के ट्रांसपोंडरों का
इस्तेमाल करते हैं।
11. गहन निर्वाह
कृषि की विशेषताओं का वर्णन अपने शब्दों में करें।
उत्तर: गहन कृषि वैसे स्थानों
पर की जाती है जहां पर छोटे छोटे खेत होते हैं और अधिक जनसंख्या के भरणपोषण के लिए
अधिक उत्पादन पर बल दिया जाता है। पश्चिमी यूरोप , दक्षिणी-पूर्वी एशिया, चीन , भारत
, जापान , कोरिया , इण्डोचीन , सुमात्रा तथा जावा जैसे क्षेत्रों के अंदर गहन कृषि
की जाती है। इन भागों के अंदर जनसंख्या धनत्व अधिक होता है।गहन खेती के अंदर चावल की
खेती आती है जिसको साल के अंदर दो या 3 बार लिया जाता है।
1. गहन कृषि एक छोटे भू
भाग पर की जाती है: एक छोटा खेत गहन खेती करने के लिए उपयुक्त होता है। बड़े जनसंख्या
घनत्व होने की वजह से अधिक जमीन उपलब्ध नहीं हो पाती है।
2. इसमे खाद्य पदार्थों के
उत्पादन पर अधिक जोर दिया जाता है: इसके लिए नई नई तकनीक का भी प्रयोग किया जाता है।
आजकल उत्पादन की आपूर्ति गहन खेती की वजह से ही हो रही है।
3. प्रतिवर्ष कई फसले लगाना:
जिसकी वजह से उत्पादन तो बढ़ता ही है और इससे किसानों की आय के अंदर भी बढ़ोतरी होती
है।जैसे चावल की फसल को साल के अंदर 2 से 3 बार लिया जाता है।जिससे बड़ी मात्रा
के अंदर मार्केट मे चावल पहुंचता है।
4. श्रम और खाद का उचित
प्रयोग: गहन खेती के अधिक श्रम का प्रयोग किया जाता है ताकि काम को जल्दी से जल्दी
पूरा किया जा सके और भूमी को दूसरी फसल के लिए तैयार किया जा सके । इतना ही नहीं उत्पादन
को बढ़ाने के लिए अधिक कीटनाशकों और उर्वरक का प्रयोग किया जाता है ।
5. अधिक मशीनों का प्रयोग:
विकसित देशों के अंदर अधिक गहन कृषि फार्म हैं। इनके अंदर सारे कार्य मशीनों की मदद
से किये जाते हैं। किसानों को अधिक परेशान होने की आवश्यकता नहीं होती है। सुपरमार्केट
में उपलब्ध अधिकांश मांस , डेयरी उत्पाद , अंडे , फल और सब्जियां ऐसे खेतों द्वारा
उत्पादित की जाती हैं।
12. सड़क परिवहन
रेल परिवहन की तुलना में किस प्रकार सुगम है।
उत्तर: भारत में सड़कों के जाल
को आज दुनिया के विशाल सड़क नेटवर्कों में से एक माना जाता है। भारत में कुल 23 लाख
किलोमीटर सड़क है। रेल की तुलना में सड़कें निर्माण और रखरखाव के मामले में बेहतर होती
हैं। रेल परिवहन की तुलना में सड़क परिवहन का महत्व बढ़ने के कुछ कारण निम्नलिखित हैं:
1. रेल की तुलना में सड़कें
बनाने की लागत कम पड़ती है।
2. सड़कें ऊबड़-खाबड़ और विछिन्न
भूभागों पर भी बनाई जा सकती हैं।
3. अधिक ढ़ाल वाले क्षेत्रों
और पहाड़ियों पर भी आसानी से सड़कों का निर्माण किया जा सकता है।
4. कम लोगों तथा कम सामान को
छोटी दूरी तक पहुँचाने के लिये सड़क मार्ग से जाने में कम खर्चा पड़ता है।
5. घर-घर तक सामान और सेवाएँ
पहुँचाना सड़कों के कारण संभव हो पाता है।
6. सड़क परिवहन से परिवहण के
अन्य साधनों तक कड़ी का काम किया जा सकता है।
13. ठोस अपशिष्ट
द्वारा होने वाले पर्यावरण प्रदूषण पर प्रकाश डालें ?
उत्तर: ठोस अपशिष्ट प्रदूषण
के प्रभाव निम्न प्रकार है-
1. विभिन्न प्रकार के अपशिष्ट
पदार्थ शहर की नालियो से बहकर जल स्त्रोतों मे पहुँच जाते है अथवा प्रत्यक्ष रूप मे
ही इनमे डाल दिये जाते है जिससे जल प्रदूषण अत्याधिक होता है।
2. औद्योगिक अपशिष्टों द्वारा
भूमि की उर्वरा शक्ति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है क्योंकि उसमे अनेक अघुलनशील एवं
हानिकारक तत्व होते है।
3. ठोस अपशिष्ट प्रदूषण के
कारण अनेक बीमारियों को फैलाने वाले जीवाणुओं की उत्पत्ति होती है, जिनने टी. बी. मलेरिया, हैजा, मोतीझरा, पेचिश, आंखो के
रोग, आन्त्रशोथ आदि जन्म लेते है।
4. भारत जैस देश मे निस्तारण
की समुचित व्यवस्था नही है। इसकी मात्रा कई गुना अधिक है, जिसके द्वारा उत्पन्न प्रदूषण
से स्वास्थ्य को क्षति पहुंचती है।
5. कूड़े-करकट के सड़ने-गलने
से अनेक प्रकार की गैसे एवं दुर्गन्ध निकलती है जो चारो ओर के वातावरण को प्रदूषित
कर देती है। इस गंदगी मे यदि रसायन मिश्रित होते है तो उनसे भी खतरनाक गैसें निकलती
है।
6. अपशिष्ट पदार्थों को समुद्रों
मे डाल देने की प्रवृत्ति सामान्य है, लेकिन इनका लगातार उसमे डालना एवं मात्रा मे
वृद्धि के कारण सामुद्रिक परिस्थितिक तंत्र मे असन्तुलन उत्पन्न होता जा रहा है।
14. भारत में
डेयरी कृषि को बढ़ावा देने के उपाय बताएं।
उत्तर: भारत विश्व में सबसे
बड़ा दूध उत्पादक देश है। वर्ष 2010-11 में भारत का कुल दूध उत्पादन 12.18 करोड़ टन
रहा।
योजना आयोग के अनुमान एवं सकल
घरेलू उत्पाद की लगातार उच्च वृद्धि के कारण हुए सुधार के पश्चात् यह संभावना है कि
दूध की मांग 2016-17 तक (12वीं पंचवर्षीय योजना का अंतिम वर्ष) लगभग 15.5 करोड़ टन
तथा 2021-22 तक लगभग 20 करोड़ टन होगी। दूध की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए अगले
15 वर्षों में वार्षिक वृद्धि को 4 प्रतिशत से अधिक रखना आवश्यक है।
अतः प्रजनन तथा पोषण पर केन्द्रित
कार्यक्रम द्वारा वर्तमान पशु झुंड की उत्पादकता में वृद्धि करने के लिए एक वैज्ञानिक
तरीके से योजनाबद्ध बहुराज्य पहल आरंभ करना अत्यावश्यक है। राष्ट्रीय डेयरी योजना की
परिकल्पना पन्द्रह वर्षों की अवधि को ध्यान में रखते हुए की गई है क्योंकि एक अधिक
उत्पादक पशु को उत्पन्न करने में तीन से पांच वर्ष की अवधि अपेक्षित होती है अतः दूध
उत्पादन वृद्धि के लिए प्रणाली को विकसित तथा विस्तार करने में इतना समय लगता है।
राष्ट्रीय डेयरी योजना का प्रथम
चरण, जो मुख्यतः विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित किया जाएगा, छ: वर्षों कि अवधि में
लागू किया जाएगा, इसके निम्नलिखित उद्देश्य होंगे-
(i) दुधारू पशुओं की उत्पादकता
में वृद्धि में सहायता करना तथा इसके द्वारा दूध की तेजी से बढ़ती हुई मांग को पूरा
करने के लिए दूध उत्पादन में वृद्धि करना।
(ii) ग्रामीण दूध उत्पादकों
को संगठित दूध-संसाधन क्षेत्र की बृहत पहुँच उपलब्ध करने में सहायता करना।
राष्ट्रीय डेयरी योजना का कार्यान्वयन-योजना
के प्राीम चरण में भू-आयामी पहलों की श्रृंखलाएं 2012-2013 से शुरू होकर छ: वर्षों
की अवधि तक कार्यान्ति की जाती है।
15. प्रवास को
प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन करें?
उत्तर: प्रवास को प्रभावित
करने वाले कारक-
1. आर्थिक कारक
(अ) अनुकूल कारक-(A) भूमि का
आकर्षण, (B) रोजगार के अवसर की उपलब्धता, (C) आमदनी के अच्छे अवसर, (D) दूसरे देश की
आर्थिक सम्पन्नता तथा उच्च जीवन स्तर, (E) रोजगार तथा नौकरी की उपलब्धता, (F) खुली
अर्थव्यवस्था।
(ब) प्रतिकूल कारक-
(A) जीविकोपार्जन के साधनों
का अभाव तथा मजदूरी का निम्न स्तर,
(B) रोजगार के अवसरों की कमी,
(C) निर्धनता, बेरोजगारी तथा
निम्न जीवन स्तर।
2. जनसंख्या का बढ़ता दबाव
3. यातायात तथा संदेशवाहन के
विकसित साधन
4. प्राकृतिक एवं भौगोलिक कारक-(A)
अनुकूल, (B) प्रतिकूला
5. सामाजिक कारक-(A) सामाजिक
भेदभाव, (B) सामाजिक रौतियों, विश्वासों या व्यवहारों के प्रति विरक्ति, (C) विवाह
(लड़की प्रवास करती है), (D) शिक्षा तथा बच्चों के उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएं,
(E) स्वास्थ्य तथा अन्य सुविधाएँ।
6. धार्मिक कारक-धर्मस्थान,
हज, प्रयाग, रोम, यरूशलमा
7. राजनैतिक कारक-युद्ध, बंगलादेश,
पाकिस्तान।
8. अन्य कारक-(A) नगरीय आकर्षण,
(B) नौकरी या तबादले।
16. भारत में
कोयला खनिज के संरक्षण की आवश्यकता क्यों है।
उत्तर: कोयला शक्ति का सबसे
महत्त्वपूर्ण साधन तथा ऊर्जा का प्रमुख स्रोत है। इसका उत्पादन एवं उपयोग किसी देश
की प्रगति का सूचक माना जाता है। यह अपनी तीन विशेषताओं; यथा—भाप बनाने, ताप प्रदान
करने तथा कठोर धातुओं के पिघलाने के कारण वर्तमान औद्योगिक सभ्यता का आधार-स्तम्भ बन
गया है। कोयले से प्राप्त शक्ति खनिज तेल से प्राप्त की गयी शक्ति से दोगुनी, प्राकृतिक
गैस से पाँच गुनी तथा जल-विद्युत शक्ति से आठ गुना अधिक होती है। इससे स्टीम कोक अर्थात्
ताप ऊर्जा प्राप्त की जाती है। भारत के कोयला उत्पादन का लगभग तीन-चौथाई भाग उद्योग-धन्धों
व विद्युत उत्पादन, एक-चौथाई रेलों के संचालन व अन्य कार्यों में प्रयुक्त किया जाता
है। कोयले के इस महत्त्व को देखते हुए इसे ‘काला हीरा’ के नाम से पुकारा जाता है।
संचित मात्रा- कोयले के भण्डारों
की दृष्टि से भारत का विश्व में छठा स्थान है। भारतीय भूगर्भ सर्वेक्षण विभाग ने कोयले
की संचित राशि 250 अरब टन ऑकी है। लिग्नाइट का भण्डार 24 अरब टन अनुमानित किया गया
है। सम्पूर्ण कोयला भण्डारों का 78.3% भाग दामोदर घाटी में स्थित है।
17. जन्म दर
और मृत्यु दर में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर:
18. मानव स्वास्थ्य
पर होने वाले जल प्रदूषण के प्रभाव का वर्णन करें ?
उत्तर: बढ़ती मांग और विलासिता
के जीवन की प्रतियोगिता के कारण जल प्रदूषण पूरे विश्व के लोगों द्वारा किया जा रहा
है। कई सारी मानव क्रियाकलापों से उत्पादित कचरा परे पानी को खराब करता है और जल में
ऑक्सीजन की मात्रा को कम करता है। ऐसे प्रदूषक जल की भौतिक, रसायनिक, थर्मल और जैव-रसायनिक
विशेषता को कम करते हैं और पानी के बाहर के साथ ही पानी के अंदर के जीवन को बुरी तरह
प्रभावित करते हैं। जब हम प्रदूषित पानी पीते हैं, खतरनाक रसायन और दूसरे प्रदूषक शरीर
के अंदर प्रवेश कर जाते हैं और शरीर के सभी अंगों के कार्यों को बिगाड़ देते हैं और
हमारा जीवन खतरे में डाल देते हैं। ऐसे खतरनाक रसायन पशु और पोधों के जीवन को भी बुरी
तरह से प्रभावित करते हैं। जब पौधे अपनी जड़ों के द्वारा गंदे पानी को सोखते हैं, वो
बढ़ना बंद कर देते हैं और मया सूख जाते हैं। जहाजों और उद्योगों से छलकते तेल की वजह
से हजारों समुद्री पक्षी मर जाते
खाद, कीटनाशकों के कृषि उपयोगों
से बाहर आने वाले रसायनों के कारण उच्च स्तरीय जल प्रदूषण होता है। जल प्रदूषक की मात्रा
और प्रकार के आधार पर जल प्रदूषण का प्रभाव जगह के अनुसार बदलता है। पीने के पानी की
गिरावट को रोकने के लिये तुरंत एक बचाव तरीके की जरूरत है जो धरती पर रह रहे हरेक अंतिक
व्यक्ति की समझ और सहायता के द्वारा संभव है।
19.निम्नलिखित
सूती वस्त्र उद्योग केंद्र को भारत के मानचित्र पर दर्शाइए :
(क) मुम्बई
(ख) अहमदाबाद
(ग) कानपुर
(घ) सुरत
(ड.) कोलकाता