प्रश्न : बाजार अर्थव्यवस्था किसे कहा जाता है? एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर - जहां वस्तुओं और सेवाओं की मांग और आपूर्ति की
नीतियां बाज़ार की ताकतों से तय होती हैं, वहां की अर्थव्यवस्था को बाज़ार
अर्थव्यवस्था कहते हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका बाज़ार अर्थव्यवस्था का एक उदाहरण
है।
प्रश्न : पूँजीवादी
अर्थव्यवस्था की किन्हीं तीन विशेषताओं को लिखिए।
उत्तर-
पूँजीवादी अर्थव्यवस्था, वह आर्थिक प्रणाली है, जहाँ उत्पादन के साधनों का निजी स्वामित्व
होता है, वस्तु का उत्पादन लाभ-प्राप्ति की दृष्टि से किया जाता है तथा आर्थिक क्रियाओं
सरकारी हस्तक्षेप नहीं होता है।
विशेषताएँ-
पूँजीवादी अर्थव्यवस्था की प्रमुख विशेषताएँ निम्नानुसार हैं-
(1)
पूँजीवाद में निजी सम्पत्ति का अधिकार होता है, प्रत्येक व्यक्ति को सम्पत्ति प्राप्त
करने, रखने, प्रयोग करने तथा उसका क्रय-विक्रय करने का पूर्ण अधिकार होता है।
(2)
पूँजीवादी व्यवस्था में आर्थिक स्वतंत्रता होती है, व्यक्ति अपनी इच्छानुसार किसी भी
व्यवसाय को चुन सकता है।
(3)
पूँजीवाद में लाभ उद्देश्य प्रमुख होता है, व्यक्ति केवल उन कार्यों को सम्पादित करता
है, जिसमें उसे अधिकतम लाभ प्राप्ति होती है।
(4)
पूँजीवादी अर्थव्यवस्था का संचालन एवम् समन्वय कीमत, यंत्र द्वारा होता है, अर्थात्
उत्पादन उपभोग एवं विनियोग सभी कीमतों द्वारा निर्धारित होते हैं।
(5)
इसके अन्तर्गत उपभोक्ता अपनी राय को इच्छानुसार विभिन्न वस्तुओं पर व्यय कर सकता है।
प्रश्न : मिश्रित अर्थव्यवस्था किसे कहा जाता है? मिश्रित अर्थव्यवस्था का एक उदाहरण
दीजिए?
उत्तर - मिश्रित अर्थव्यवस्था का अर्थ है जहां निजी क्षेत्र तथा
सार्वजनिक क्षेत्र(सरकारी) कंपनियां एक साथ बाजार में कार्य करती हैं। भारत देश एक
मिश्रित अर्थव्यवस्था है ।
प्रश्न. खुली अर्थव्यवस्था से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर- खुली अर्थव्यवस्था एक ऐसी
अर्थव्यवस्था है, जिसमें अन्य राष्ट्रों के साथ वस्तुओं और सेवाओं तथा वित्तीय
परिसंत्तियों का व्यापार किया जाता है।
प्रश्न : उत्पादन संभावना वक्र क्या है एक तालिका और चित्र द्वारा स्पष्ट
करे ?
> उत्पादन संभावना वक्र क्या है इसकी क्या मान्यताएं हैं?
उत्तर
: एक ऐसा वक्र जो दिए हुए साधनों तथा तकनीक द्वारा दो वस्तुओं के
उत्पादनों की वैकल्पिक संभावनाओं को प्रकट करता है, उत्पादन संभावना वक्र कहलाता
है।
मान्यताएं
1.
साधनों का पूर्ण तथा कुशलता पूर्वक प्रयोग किया जाता है।
2.
उत्पादन की तकनीक स्थिर रहती है।
3.
उत्पादन संभावना वक्र मूल बिंदु की ओर नतोदर होता है।
यदि
अर्थव्यवस्था दो वस्तुओं का उत्पादन करता है तो इन सीमाओं के भीतर दोनों वस्तुओं
के कई संयोगो का उत्पादन किया जा सकता है। इसे तालिका द्वारा प्रकट किया जाये तो
उस तालिका को उत्पादन संभावना अनुसूची कहेंगे ।
वस्तुएं |
उत्पादन संभावनाएं |
||||
संयोग |
A |
B |
C |
D |
E |
गेहूं
(लाख टन) |
100 |
90 |
70 |
40 |
0 |
कपड़ा
(हजार गाठे) |
0 |
1 |
2 |
3 |
4 |
चित्र
में, बिन्दु A,B,C,D,E क्रमश: गेहूं और कपड़ा के विभिन्न संयोग को व्यक्त करता है।
इन बिंदुओं को मिलाने से एक वक्र प्राप्त होता है, जिसे उत्पादन संभावना वक्र कहते
हैं। इसे रूपांतरण रेखा भी कहा जाता है ; क्योंकि इस रेखा से ज्ञात होता है कि यदि
एक वस्तु X (कपड़ा) का अधिक उत्पादन किया जाता है तो दूसरी वस्तु Y(गेहूं) से उत्पादन
के साधन हटाकर X वस्तु के उत्पादन में लगाये जाते हैं अर्थात Y वस्तु के साधन को X
वस्तु के साधन में रूपांतरण किया जाता है।
प्रश्न : उत्पादन संभावना वक्र नतोदर (अवतल) क्यो होती है? समझाइए
?
उत्तर:-
उत्पादन संभावना वक्र मूल बिंदु की ओर नतोदर (Concave) होने का कारण बढ़ती हुई सीमांत
अवसर लागत है। उत्पादन सम्भावना वक्र में दायीं ओर खिसकाव संसाधनों में वृद्धि तथा
तकनीकी प्रगति को दर्शाता है। उत्पादन सम्भावना वक्र बायीं ओर खिसकाव संसाधनों में
कमी तथा तकनीकी अवनति को दर्शाता है।
सीमांत
अवसर लागत से अभिप्राय Y वस्तु के उत्पादन की मात्रा में होने वाली उस कमी से है जो
कि X वस्तु की एक अधिक ईकाई के उत्पादन के फलस्वरूप होती है, जब संसाधनों को Y से
X की ओर विवर्तित किया जाता है।
सीमांत
अवसर लागत = ∆Y की हानि / ∆Xकी वृद्धि
इस प्रकार एक वस्तु के उत्पादन को त्याग कर ही हम दूसरी वस्तु का उत्पादन बढ़ा सकते हैं। चित्र से,
चित्र
मे X वस्तु की OC मात्रा को बढा कर OD करने के लिए Y वस्तु में OA से OB कमी करनी होगी।
अर्थात साधन को Y से हटा कर X वस्तु के उत्पादन में लगाना होगा।
प्रश्न : व्यष्टिपरक तथा समष्टिपरक अर्थशास्त्र में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर
:
व्यष्टि |
समष्टि |
1. इसमें व्यक्तिगत आर्थिक इकाइयों जैसे एक फर्म, एक उपभोक्ता आदि की समस्याओं का अध्ययन किया जाता है। |
1. इसमें पूरी अर्थव्यवस्था को एक इकाई मानकर इसकी आर्थिक समस्याओं का अध्ययन किया जाता है। |
2. माइक्रो (Micro) शब्द
ग्रीक शब्द माइक्रस से बना है जिसका अर्थ होता है छोटा या सूक्ष्म। |
2 अँग्रेज़ी भाषा का मैक्रो (Macro)
शब्द भी ग्रीक शब्द मेक्रोज से बना है जिसका अर्थ होता है विशाल अथवा व्यापक। |
3. व्यष्टि का मुख्य उद्देश्य संसाधनों के सर्वोत्तम बंटवारे से होता है। |
3. समष्टि का मुख्य उद्देश संसाधनों के पूर्ण रोजगार व विकास से होता है। |
4. इसकी मुख्य समस्या कीमत निर्धारण है। |
4. इसकी मुख्य समस्या आय व रोजगार का निर्धारण है। |
5. इसका मुख्य उपकरण मांग व पूर्ति है। |
5. इसका मुख्य उपकरण अर्थव्यवस्था की सम्रग मांग व सम्रग पूर्ति है। |
6. व्यष्टि अर्थशास्त्र की अवधारणा को समझना सरल होता है। |
6. समष्टि अर्थशास्त्र की अवधारणा को समझने में कठिनाई होती है । |
7. व्यष्टि अर्थशास्त्र में आवंटन बहुत जरूरी काम होता है । |
7. इसमें
आवंटन को स्थिर माना जा सकता है । |
प्रश्न : रॉबिन्स के द्वारा
दी गई अर्थशास्त्र की परिभाषा का उल्लेख करें ?
> "अर्थशास्त्र का संबंध दुर्लभता की अवस्था में चयन करने से
है " समझाएं
उत्तर
: प्रो. रॉबिन्स ने अर्थशास्त्र को सीमित साधनों का विज्ञान माना उनके विचार में अभाव
ही आर्थिक जीवन का मूल आधार है तथा चयन की समस्या इसकी मुख्य समस्या है।
1932
में रॉबिंस की सुप्रसिद्ध पुस्तक "An Essay on the Nature and significance
of Economics Science" प्रकाशित हुई जिसमें उन्होंने अर्थशास्त्र की परिभाषा इस
प्रकार दी " अर्थशास्त्र वह विज्ञान है जो साध्य एवं सीमित साधनों जिनका वैकल्पिक
प्रयोग होता है के संबंध के रूप में मानव आचरण का अध्ययन करता है" ।
प्रश्न : आर्थिक समस्या क्या है ? यह क्यों उत्पन्न होती है ?
> चयन की समस्या क्यों उत्पन्न होती है
> दुर्लभ साधनों के बचतपूर्ण प्रयोग की समस्या क्या है
> 'अर्थशास्त्र का संबंध
दुर्लभता की अवस्था में चयन करने से है।' समझाएं
उत्तर
: प्रत्येक मनुष्य की आवश्यकताएं असीमित है परंतु उनको संतुष्ट करने वाले अधिकतर साधन
सीमित हैं । एक अर्थव्यवस्था के लिए यह संभव नहीं है कि वह प्रत्येक नागरिक के लिए
प्रत्येक वस्तु उत्पादन कर सके क्योंकि किसी भी अर्थव्यवस्था के पास इतने अधिक साधन
नहीं होते। अत एव प्रत्येक अर्थव्यवस्था को यह चुनाव करना पड़ता है कि अर्थव्यवस्था
के साधनों जैसे भूमि, श्रम, पूँजी आदि का किस प्रकार कुशलता पूर्वक प्रयोग किया जाए।
साधनों
के चुनाव संबंधी इस समस्या को ही आर्थिक समस्या कहा जाता है
आर्थिक
समस्या के उत्पन्न होने के तीन कारण निम्नलिखित हैं
(क)
असीमित आवश्यकताएँ : मनुष्य की आवश्यकताएं असीमित होती है कोई भी मनुष्य अपनी सभी आवश्यकताओं
को पूर्ण रूप से संतुष्ट नहीं कर सकता है अतः आर्थिक समस्या उत्पन्न होती है।
(ख)
सीमित या दुर्लभ साधन : आवश्यकताओं को संतुष्ट करने वाले अधिकतर वस्तुएं तथा सेवाएं
सीमित या दुर्लभ होती है।
दुर्लभता
= D > S
पूर्ति
की अपेक्षा मांग अधिक होने से साधन दुर्लभ हो जाते हैं।
(ग)
वैकल्पिक प्रयोग : प्रत्येक साधन या वस्तु के वैकल्पिक प्रयोग होते हैं किंतु साधन
सीमित तथा आवश्यकताएं अनंत होती है अतः समाज को यह निर्णय लेना होता है कि कौन सी आवश्यकताओं
को पहले संतुष्ट करें तथा कौन सी बाद में यही चुनाव की समस्या है।
प्रश्न : क्या अर्थशास्त्र एक वास्तविक
विज्ञान है या आदेशात्मक विज्ञान है उदाहरण सहित बताएं ?
उत्तर
: वास्तविक विज्ञान वह विज्ञान है जिसमें किसी विषय का सही तथा वास्तविक स्थिति का
अध्ययन किया जाता है एक विज्ञान के रूप में अर्थशास्त्र के कथन वास्तविक कथन होते हैं
वास्तविक कथन वे कथन है जिनसे ज्ञात होता है कि क्या है ? क्या था ? तथा विशेष परिस्थितियों
में क्या होगा इन कथनों की जांच की जा सकती है हम इन कथनों की तथ्यों के आधार पर जांच
करके या नतीजा निकाल सकते हैं कि यह कथन सही है या गलत है ये कथन किसी प्रकार की सलाह
नहीं देते।
वास्तविक
अर्थशास्त्र के अध्ययन से यह ज्ञात होता है की आवश्यकताएं असीमित है , उन्हें पूरा
करने वाले अधिकतर साधन दुर्लभ है, इन साधनों के अनेक उपयोग है , यह सब बातें वास्तविक
है एक वास्तविक विज्ञान तथ्यों के बारे में किसी प्रकार का सुझाव नहीं देता है।
आदेशात्मक
विज्ञान वह विज्ञान है जिसके अध्ययन से यह ज्ञात होता है कि क्या होना चाहिए यह विज्ञान
समस्याओं को सुलझाने के लिए सुझाव भी देता है उदाहरण के तौर पर एक आदर्शात्मक विज्ञान
के रूप में अर्थशास्त्र कई प्रकार के सुझाव देगा जैसे देश का आर्थिक विकास होना चाहिए,
कीमतों में स्थिरता पाई जानी चाहिए , कुल रोजगार होना चाहिए।
अर्थशास्त्र
का संबंध केवल तथ्यों के अध्ययन करने से नहीं है बल्कि वह आर्थिक लक्ष्यों को भी निर्धारित
करता है तथा सलाह भी देता है।
प्रश्न : अवसर लागत की परिभाषा दें ?
उत्तर
: किसी साधन के अवसर लागत से अभिप्राय उसके दूसरे सर्वश्रेष्ठ वैकल्पिक मूल्य से है।
मान
लीजिए संसाधनों के एक निश्चित सेट के दो प्रयोग है। यदि प्रयोग 1 में उत्पाद का मूल्य
400रु. तथा प्रयोग 2 में उत्पादन का मूल्य
500 रु. है। ( उत्पादन की तकनीक में कोई परिवर्तन नहीं होता) तो सामान्य बुद्धि की बात है कि संसाधनों को प्रयोग
2 में लगाया जाएगा ।
प्रश्न : आर्थिक समस्या 'क्या उत्पादन करें?' से
क्या तात्पर्य है ?
उत्तर :
क्या उत्पादन किया जाए की समस्या आधारिक रूप से वस्तुओं एवं
सेवाओं के चयन की समस्या है जिनका उत्पादन सीमित संसाधनों द्वारा किया जाना है।
प्रश्न : अर्थव्यवस्था की केंद्रीय समस्याओं का उल्लेख करें ? ये क्यों
उत्पन्न होती है ?
उत्तर
:
(क)
साधनों से किन वस्तुओं का तथा कितनी - कितनी मात्रा में उत्पादन किया जाता है ? साधनों
के आवंटन की समस्या
(ख)
वस्तुओं का उत्पादन कैसे किया जाए : उत्पादन तकनीकों के चुनाव की समस्या
(ग)
समाज में वस्तुओं का वितरण किस प्रकार हो: राष्ट्रीय उत्पादन के वितरण की समस्या
(घ)
क्या साधनों का कुशलता से प्रयोग हो रहा है : कल्याण अधिकतम करने की समस्या
(ड.)
क्या समस्त उपलब्ध साधनो का पूर्ण रूप से उत्पादन के लिए प्रयोग हो रहा है : साधनों
के पूर्ण प्रयोग अथवा रोजगार की समस्या
(घ)
क्या अर्थव्यवस्था की उत्पादन क्षमता तथा राष्ट्रीय आय में वृद्धि हो रही है : आर्थिक
विकास की समस्या
प्रश्न : पूंजीवादी अर्थव्यवस्था की केंद्रीय समस्याएं क्या है
? इसके समाधान में कीमत यंत्र की भूमिका की
व्याख्या करें ?
उत्तर
: पूंजीवादी अर्थव्यवस्था में केंद्रीय समस्याओं का समाधान कीमत यंत्र द्वारा किया
जाता है । मांग और पूर्ति द्वारा कीमत के निर्धारण को कीमत यंत्र कहते हैं । कीमत यंत्र
निम्न प्रकार के लिए समस्याओं का समाधान करता है।
(क)
क्या उत्पादन किया जाए :- इस अर्थव्यवस्था
में उत्पादकों का उद्देश्य अधिकतम लाभ कमाना होता है। अत: उत्पादक केवल उन्हीं वस्तुओं
का उत्पादन करते हैं जिनकी मांग पूर्ति की अपेक्षा अधिक होती है । मांग अधिक होने से
इन वस्तुओं की कीमत भी अधिक होगी और पूंजीपतियों को अधिक लाभ प्राप्त होगा।
(ख)
कैसे उत्पादन किया जाए:- उत्पादक उसी तकनीक का प्रयोग करता है जिसकी लागत कम हो।
(ग)
किसके लिए उत्पादन किया जाए:- जिन की राष्ट्रीय आय में हिस्सा अधिक होगी, उन्हीं लोगों
के लिए अर्थव्यवस्था में उत्पादन किया जाएगा । क्योंकि आय ही प्रभावपूर्ण मांग को बढ़ाती
है
प्रश्न : उत्पादन संभावना वक्र की क्या मान्यताएं हैं ?
उत्तर
: उत्पादन संभावना वक्र की निम्नलिखित मान्यताएं हैं
i. संसाधनों का पूर्ण तथा कुशलतापूर्वक उपयोग किया जाता है।
ii. उत्पादन की तकनीक स्थिर रहती है।
iii. इसका वक्र मूल बिंदु की ओर नतोदर होती है।
प्रश्न : क्या सूक्ष्म अर्थशास्त्र को कीमत सिद्धांत भी कहा जाता है ?
उत्तर : व्यष्टि अर्थशास्त्र यह अध्ययन करता है कि वस्तु बाजार में वस्तुओं और सेवाओं की कीमत का निर्धारण कैसे होता है तथा कारक बाजार में उत्पादन के कारकों या उपादानो की कीमत का निर्धारण कैसे होता है। बाजार में कीमत निर्धारण की व्याख्या करने वाले सिद्धांतों को कीमत सिद्धांत कहा जाता है। व्यष्टि अर्थशास्त्र (सूक्ष्म अर्थशास्त्र) को कीमत सिद्धांत कहा जाता है।