फैल्डमैन मॉडल (The Fel'dman Model)

फैल्डमैन मॉडल (The Fel'dman Model)

जी० ए० फैल्डमैन नामक अर्थशास्त्री रूस देश का निवासी था। उसने "On the Theory of National Income Growth" लेख लिखा था जो The Planned Economy में 1928 में प्रकाशित हुआ था। यह सोवियत योजना आयोग (Soviet Planning Commission-GOSPLAN) की पत्रिका थी। यह एक सैद्धान्तिक मॉडल है, जो दीर्घकालीन योजना से सम्बन्ध रखता है।

मॉडल की मान्यताएँ (Assumptions of the Model)

फैल्डमैन मॉडल निम्नलिखित मान्यताओं पर निर्मित हुआ है :

(1) यह इस बात को मानकर चलता है कि अर्थव्यवस्था में कीमतें स्थिर रहती हैं।

(2) पूँजी को एकमात्र सीमाकार साधन मान लिया गया है।

(3) वृद्धि प्रक्रिया में कोई पश्चताएँ (lags) नहीं होती।

(4) बन्द अर्थव्यवस्था है।

(5) उत्पाद को उपभोग से स्वतन्त्र मान लिया जाता है।

(6) उपभोग तथा निवेश के अतिरिक्त किसी भी चीज पर सरकारी व्यय नहीं होता।

(7) अर्थव्यवस्था में कोई अड़चने नहीं होती।

(8) श्रम की पूर्ति असीमित है।

(9) अर्थव्यवस्था में उपभोक्ता वस्तुओं एवं पूंजी वस्तुओं के दो क्षेत्र हैं।

मॉडल (THE MODEL)

इन मान्यताओं के दिए हुए होने पर, फैल्डमैन ने अर्थव्यवस्था के कुल उत्पाद (W) को श्रेणी 1 तथा श्रेणी 2 में माक्र्सीय विभाजन पर अपना मॉडल आधारित किया । प्रथम श्रेणी उन पूँजी वस्तुओं से सम्बन्ध रखती है जो उत्पादक वस्तुओं तथा उपभोक्ता वस्तुओं-दोनों ही- के लिए हों, जबकि दूसरी कोटि सभी उपभोक्ता वस्तुओं के लिए है जिनमें उनके लिए कच्चा माल भी सम्मिलित है। प्रत्येक श्रेणी के उत्पादन को स्थिर पूँजी (C), परिवर्तनशील पूँजी अर्थात् मजदूरी (V) और अतिरेक (surplus) मूल्य (S) के योग के रूप में अभिव्यक्त किया जाता है। इसे यों दिखाया जा सकता है:

वर्ग I (उत्पादक वस्तुओं का क्षेत्र) W1 = C1 + V1 + S1

वर्ग II (उपभोक्ता वस्तुओं का क्षेत्र) W2 = C2 + V2 + S2

अतः.                                        W=C+V+S

“अर्थव्यवस्था का इन दो श्रेणियों में विभाजन इस अर्थ में पूर्ण है कि कोई भी वर्तमान पूँजी एक श्रेणी से दूसरी में स्थानान्तरित नहीं की जा सकती। इस प्रकार श्रेणी 1 में निवेश की दर को अनम्य रूप से पूँजी गुणांक तथा पूँजी स्टॉक निर्धारित करते है। इसी प्रकार उपभोक्ता वस्तुओं के उत्पादन को श्रेणी 2 की पूँजी स्टॉक तथा पूँजी गुणांक निर्धारित करते हैं। अतः किसी दिए हुए समय पर कुल उत्पादन का उपभोग तथा निवेश में विभाजन दोनों श्रेणियों की सापेक्षा उत्पादक क्षमताओं पर निर्भर करता है। पर, दोनों श्रेणियों के बीच कुल निवेश (अर्थात् श्रेणी 1 का उत्पादन) का विभाजन पूर्ण रूप से नभ्य (flexible) है। वास्तव में श्रेणी 1 को आवंटित (allocated) कुल निवेश का भिन्न ही मॉडल का प्रधान चर (key variable) है।

इस दो-क्षेत्रीय मॉडल में उसने प्रदर्शित किया कि यदि

g = श्रेणी 1 को दिया गया कुल निवेश का भिन्न;

I = विभिन्न श्रेणियों को दी गई शुद्ध निवेश की वार्षिक दर, जिससे कि I = I1 + I2

T = समय (वर्षों में मापा गया)

V = समस्त अर्थव्यवस्था का सीमान्त पूँजी गुणांक

V1 and V2 = विभिन्न श्रेणियों के सीमान्त पूँजी गुणांक

C= उपभोक्ता वस्तुओं के कुल उत्पादन की वार्षिक दर

Y= समस्त अर्थव्यवस्था के उत्पादन अथवा राष्ट्रीय आय की

शुद्ध वार्षिक दर

a = औसत बचत प्रवृत्ति

a' = सीमान्त बचत प्रवृत्ति

I0 , C0 तथा Y0 इन चरों के क्रमशः प्रारंभिक मूल्य हैं जब समय t = 0

1. निवेश का आवंटन (Allocation of investment)- श्रेणी 1 में शुद्ध निवेश की वार्षिक दर, I1 = gI  कुल निवेश (I) में से (g) अंशमात्र है। जबकि श्रेणी 1 में शुद्ध निवेश का निर्धारण सीमांत पूँजी गुणांक (V1) द्वारा होता है 
`I_1=\frac Y{V_1}I` 
ज्यों-ज्यों समय बीतेगा श्रेणी 1 में कुल निवेश एक घातांक `e^{r/V_1t}` के साथ बढ़ेगा।


अथवा  `I=I_0e^{r/V_1t}`                               `[\because I_0=1\]`

इसी प्रकार श्रेणी 2 में शुद्ध निवेश का निर्धारण होगा; I2 = (1-g)I समीकरण में (1- g) कुल निवेश का अंशमात्र है। श्रेणी 2 में शुद्ध निवेश का निर्धारण पूँजी गुणांक (V2) द्वारा होता है;

`I_2=\frac{\left(1-Y\right)}{V_2}I`

समय के साथ श्रेणी 2 में कुल निवेश एक घातांक `e^{r/V_1t}` के साथ बढ़ेगा।

`I_2=\frac{\left(1-Y\right)}{V_2}` `e^{r/V_1t}` `e^{r/V_1t}` 

इस प्रकार दोनों श्रेणियों में कुल निवेश एक स्थिर घातांक के साथ बढ़ता है।

`\therefore I_t=I_1+I_2=e^{r/v_1t}`

2. उपभोग वस्तुओं के उत्पादन दर (Rate of production of consumer goods)- श्रेणी 2 में निवेश के कारण उपभोग वस्तुओं की वार्षिक उत्पादन दर का निर्धारण होता है।

उपभोग वस्तुओं की वार्षिक उत्पादन दर `\frac{dc}{dt}` जो कि श्रेणी 2 में शुद्ध निवेश से निर्धारित होती है।

`\frac{dc}{dt}` = I2

अथवा    

ऊपर के समीकरण के दाई ओर `\frac{V_1}\gamma` से गुणा करने से

t = 0 रखने से,

`C_0=\left(\frac{1-\gamma}\gamma\right)\frac{V_1}{V_2}......(3)`

समीकरण (2) में से समीकरण (3) घटाने से,

`C_t-C_0=\left(\frac{1-\gamma}\gamma\right)\frac{V_1}{V_2}e^{r/V_1t}-\left(\frac{1-\gamma}\gamma\right)\frac{V_1}{V_2}`

           `=\left(\frac{1-\gamma}\gamma\right)\frac{V_1}{V_2}[e^{r/V_1t}-1]`

`C_t=C_0+\left(\frac{1-\gamma}\gamma\right)\frac{V_1}{V_2}[e^{r/V_1t}].......(4)`

3. राष्ट्रीय आय का निर्धारण (Determination of national income)- अर्थव्यवस्था में निवेश व उपभोग का स्तर राष्ट्रीय आय का निर्धारण करता है । राष्ट्रीय आय का समीकरण Yt = It+Ct इस समीकरण में निवेश (It) व उपभोग (Ct) के मूल्य रखने से,

`Y_t=e^{r/V_1t}+C_0+\left(\frac{1-\gamma}\gamma\right)\frac{V_1}{V_2}[e^{r/V_1t}-1]`

`=e^{r/V_1t}-1+1+C_0+\left(\frac{1-\gamma}\gamma\right)\frac{V_1}{V_2}[e^{r/V_1t}-1]`

`= ( e^{r/V_1t}-1 )+1+C_0+\left(\frac{1-\gamma}\gamma\right)\frac{V_1}{V_2}[e^{r/V_1t}-1]`

`= ( e^{r/V_1t}-1 )\left[ 1+C_0+\left(\frac{1-\gamma}\gamma\right)\frac{V_1}{V_2}+1]`

`= ( e^{r/V_1t}-1 )\left[I_0+C_0+\left(\frac{1-\gamma}\gamma\right)\frac{V_1}{V_2}+1] [ \because I_0=1 ]`

`=I_0+C_0+[ \left(\frac{1-\gamma}\gamma\right)\frac{V_1}{V_2}+1 ]( e^{r/V_1t}-1 )`

`Y_1=Y_0+[\left(\frac{1-\gamma}\gamma\right)\frac{V_1}{V_2}+1](e^{r/V_1t}-1 )\left[\because  Y_0=I_0+C_0 ]`

आधारभूत समीकरण यह बता रहा है कि C व Y में से प्रत्येक एक स्थिरांक (constant) तथा समय t में घातांक का योग व्यक्त करता है। उनकी वृद्धि की दरें भिन्न होंगी। समय के साथ वृद्धि-दरें  `e^{r/V_1t}` के साथ परिवर्तित होंगी।

डोमर मॉडल के साथ तुलना (Comparison with Domar Model)

प्रोफेसर डोमर ने वृद्धि के अपने मॉडल की फैल्डमैन मॉडल के साथ इस प्रकार तुलना की है : डोमर मॉडल में `\frac\alpha v` जहां α बचत की सीमान्त तथा औसत दोनों ही प्रवृत्तियों को लक्षित करता है और v कुल पुँजी गुणांक है। फैल्डमैन मॉडल के साथ डोमर मॉडल की तुलना करने के लिए यह आवश्यक है कि α' को स्थिरांक समझते हुए यह माने बिना कि α= α' उन मॉडलों के परिणामों को पुनः निकाला जाए। परन्तु क्योंकि α # αअतः α अब चर बन गया है । अब निवेश की वृद्धि दर `\frac{\alpha^'}v` होगी जबकि आय की वृद्धि की दर `\frac\alpha v` होगी (aतथा S के अन्तर को नजरअन्दाज कर देने से; क्योंकि S तो v का व्युक्रम (reciprocal) है । व्यंजक `\frac\alpha v` बचत की सीमांत प्रवृत्ति का कुल पूँजी गुणांक से अनुपात है । पर फैल्डमैन मॉडल में हमें `\frac\gamma {v_1}` निवेश की वृद्धि-दर के रूप में प्राप्त हुआ है जहाँ g तो श्रेणी 1 को दिए गए निवेश का भिन्न है और V1 केवल इस श्रेणी का पूँजी गुणांक है। इस विशेष स्थिति में जब V=V1 हो तो हमें a' = g प्राप्त होता है, अर्थात् फैल्डमैन के श्रेणी 1 को दिया गया निवेश का भिन्न तथा सीमान्त बचत प्रवृत्ति समरूप हो जाते हैं। यदि V1>V2 तो g > a' जब V1 = V2, तो फैल्डमैन के g तथा डोमर के a'  में गहरा सम्बन्ध हो जाता है।

"परन्तु यह इस तथ्य की ही झलक मात्र है कि यदि राष्ट्रीय आय में वृद्धि का कोई भिन्न (a') निवेश में लगाया जाना है तो निवेश का अनुरूप भिन्न (g) पूँजी वस्तु उद्योगों में अवश्य लगाना होगा ताकि निवेश में प्रस्तुत वृद्धि का उत्पादन संभव बनाया जा सके। दूसरे शब्दों में, किसी विकासशील अर्थव्यवस्था में अधिक पूँजी का निर्माण करने के लिए कुछ पूँजी प्रयोग की जाती है। इस तथ्य को स्पष्ट मान्यता प्रदान करना ही फैल्डमैन के मॉडल का एक गुण है।"

आर्थिक विकास के लिए महत्व (Implications for Economic Development)

फैल्डमैन मॉडल आर्थिक विकास के लिए बहुत महत्व रखता है। क्योंकि V1 = V2, इसलिए मॉडल में  ये व्यंजक I,C तथा Y सभी V1 तथा V2 के प्रतीप फलन (inverse functions) हैं। फैल्डमैन ने आर्थिक विकास के उद्देश्य के लिए अपने पूँजी गुणांकों के परिणाम को परिवर्ती माना है। यदि आर्थिक विकास का उद्देश्य यह है कि किसी निश्चित समय पर निवेश अथवा राष्ट्रीय आय को अथवा उनकी अपनी-अपनी वृद्धि की दरों को, या काल-पर्यन्त समाकलों (integrals) को अधिकतम बनाया जाए, तो g को यथासंभव उच्चतम रखा जाए। यह बात निवेश के लिए नितान्त सत्य और आय के लिए लगभग नितान्त सत्य है, क्योंकि इसका एकमात्र अपवाद वहाँ उपलब्ध होता है जहाँ V2 से V1 कहीं अधिक बढ़ जाए और तब भी ऐसा समय की अल्पावधि के लिए होता है। परन्तु उच्च g का अर्थ यह नहीं है कि उपभोग में कोई कमी होती है। यदि पूँजी परिसम्पत्तियों को स्थायी मान लिया जाए, तो g = 1 भी उपभोग को उसके मूल स्तर पर ही रोक कर रख देगा। यदि परिसम्पत्तियाँ टूटती-फूटती रहती है और उन्हें स्थानापन्न नहीं किया जाता, तो उपभोग धीरे-धीरे घटता जाएगा । अन्तिम बात, उपभोग से निवेश उद्योगों में साधनों का स्थानान्तरण उपभोग को और भी कम कर देगा, चाहे इस उत्तरोक्त संभावना को फैल्ड मॉडल से बहिष्कृत कर दिया गया है।

फैल्डमैन मॉडल का सारांश प्रस्तुत करते हुए प्रो० डोमर ने लक्ष्य किया है कि इसमें सत्य का महत्वपूर्ण तत्व विधमान है : सुविकसित धातु, मशीनरी तथा सहायक उद्योगों के बिना (तथाकथित भारी उद्योगों के संलेशण (complex) के बिना) बन्द अर्थव्यवस्था पूँजी वस्तुओं की काफी मात्रा उत्पादन करने में असमर्थ रहती है और इस प्रकार अपनी आय का अधिक भाग निवेश नहीं कर सकती चाहे उसकी बचत प्रवृत्ति की संभाव्यता कितनी भी ऊँची क्यों न हो । इसका कारण यह था कि वह समानता था कि पूंजी के विस्तार की अपेक्षा पूँजी के अधिक उपभोग से अधिक सफलता मिल सकती है जैसाकि 1924-25 से 1927-28 तक रुस में हुआ था। इसलिए वह अपने पूँजी गुणांकों के परिणामों में पतन के पक्ष में था।

परन्तु इष्टतम विवरण' में दिए गए आंकड़ों का जो विश्लेषण उसने स्वयं प्रस्तुत किया है उसमें रूस की प्रथम पंचवर्षीय योजना विशिष्ट उद्योगों के गुणांकों में गति एवं परिवर्तन लक्ष्य करती है जब कि 1925-26 से 1932-33 की अवधि में समस्त अर्थव्यवस्था की औसत प्रत्येक वर्ष के लिए 24 पर लगभग अपरिवर्तित रही। पर, दीर्घकालीन योजना के अपने दोनों विरिणों में से पहले में तो उसने यह दिखाया है कि 1926 से 1932 की अवधि में पूँजी गुणांक 2.4 पर लगभग स्थिर रहा जो धीरे-धीरे बढ़कर 1950 में 3.3 तक पहुँच गया; और दूसरे विवरण में दिखाया है तेजी से घटता हुआ गुणांक जो 1930 में लगभग 2.0 पर पहुँचा और 1932-50 की अवधि पर्यन्त 1.4 पर स्थिर हो गया। इस तरह के

विरोधी विवरण प्रस्तुत करने का उद्देश्य यह था कि राष्ट्रीय आय की वृद्धि-दर पर पूँजी गुणांक के परिमाण का प्रभाव स्पष्ट किया जाए । उदाहरणार्थ, प्रथम विवरण में फैल्डमैन ने बताया कि आय की वृद्धि की दर जो 1927 में 6.9% थी पहले तो बढ़ी और 1932 में 16.9 हो गई और फिर गिरकर 1950 में 6.8 पर आगई।

पूँजी गुणांक दिया हुआ मान लेने पर, चर ) को (श्रेणी 1 को दिया गया कुल निवेश का भिन्न) योजना के साधन के रूप में परिवर्तित किया जा सकता है। क्योंकि पूर्ण अन्तः श्रेणी (intercategory) नम्यता है, इसलिए । को शून्य से एक के बीच परिवर्तित किया जा सकता है। योजना प्राधिकारियों द्वारा चुना गया। का इष्टतम परिमाण इस बात पर निर्भर करेगा कि सोवियत आर्थिक चिन्तन किस बात को मानता है, पहले पूर्वोक्त विचारणा प्रधान रही है, हमारे हाल के साहित्य में बचत की योजना पर बल दिया गया है।

परन्तु फैल्डमैन मॉडल पूँजी गुणांक का परिमाण नहीं निर्धारित करता क्योंकि इसे किन्हीं भी ऐसे अन्य चरों से सम्बद्ध करने का प्रयल नहीं किया गया जैसेकि परिसम्पत्तियों की वांछनीयता, निर्माण अवधि की लम्बाई, श्रम तथा अन्य साधनों की पूर्ति, निवेश का परिमाण, संरचना एवं वृद्धि की दर, और औद्योगिक ढाँचा।

फिर, जब बहुत से उद्योग मध्यवर्ती वस्तुओं वाले हों जो उपभोक्ता वस्तुएँ और पूँजी वस्तुएँ बनाने में सहायक होते हैं तो उपभोक्ता वस्तुओं और पूँजी वस्तुओं के उद्योगों में भेद करना कठिन होता है। उदाहरणार्थ, धातु, कोयला, यातायात, रसायन, पैट्रोलियम, शक्ति, आदि कुछ ऐसे उद्योग हैं जिनकी वस्तुएँ और सेवाएँ फैल्डमैन की दोनों श्रेणियों में प्रयोग होती हैं । “सम्भवतः, फैल्डमैन यह दावा कर सकता था कि उसके समय में रूस में लगभग सभी धातु केवल श्रेणी 1 में ही प्रयोग किए जाते थे। लेकिन शेष के बारे में वह क्या कहेगा? न ही एक उद्योग को (जैसे कोयला या यातायात) दोनों श्रेणियों में बाँटने से सहायता मिलेगी क्योंकि उनके निजी अनुपात स्वभाव से ही स्थिरता से दूर होंगे। फिर भी, उद्योगों के आधार पर अर्थव्यवस्था का कोई विभाजन या उपभोग और निवेश में उत्पादन का विभाजन कठिन एवं मनगढन्त होता है, लेकिन यह स्पष्ट है कि फैल्डमैन का ढंग विशेष कठिनाइयाँ उत्पन्न करता है।"

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