कृषि-वित्त (AGRICULTURAL FINANCE)

कृषि-वित्त (AGRICULTURAL FINANCE)
कृषि-वित्त (AGRICULTURAL FINANCE)
आशय (Meaning) कृषि की वह साख जिसकी उसे कृषि कार्यों को पूर्ण करने में आवश्यकता होती है, कृषि वित्त या साख के अन्तर्गत आती है। संक्षेप में, कृषि साख या बैंकिंग से तात्पर्य ग्रागीण क्षेत्र में किसानों को ऋण सुविधाएँ उपलब्ध कराने से है। कृषि वित्त या ग्रामीण साख की आवश्यकता (NEED FOR AGRICULTURAL FINANCE OR RURAL CREDIT) भारतीय किसानों की वित्त सम्बन्धी आवश्यकताओं का वर्गीकरण निम्न प्रकार से किया जा सकता है- 1. अल्पकालीन ऋण (Short-terIn Loan)— ये वे ऋण हैं जो खाद व बीज खरीदने के लिए, फसल बोने से काटने तक काम चलाने के लिए और पशुओं व पारिवारिक आवश्यकताओं को पूर्ति के लिए, किये जाते हैं। इनकी अवधि 15 महीने तक को होती है। इस प्रकार की ऋण प्राय: महाजन तथा सहकारी समितियाँ उपलब्ध कराती हैं। 2. मध्यकालीन ऋण (Medium-term Loan)- इसकी आवश्यकता औजार व बैल खरीदने, कृषि प्रणाली में सुधार करने व जमीन में सुधार करने के लिए पड़ती है। इसकी अवधि 15 महीने से 5 वर्ष तक की होती है। यह ऋण प्राय: महाजनों, सहकारी समितियों तथा व्यापारिक बैंकों द्वारा दिये जाते हैं। 3. दीर्घकालीन ऋण (Long-term Loan)— इसकी आवश्यकता किसानों क…