कुटीर लघु उद्योग (COTTAGE SMALL SCALE INDUSTRY)
"कुटीर
उद्योग वे हैं जो पूर्ण रूप से या मुख्य रूप से परिवार के सदस्यों की सहायता से या
तो पूर्णकालिक व्यवसाय के रूप में या अंशकालिक व्यवसाय के रूप
में चलाये जाते हैं जिनमें परम्परागत विधियों या स्थानीय कच्चे माल का प्रयोग होता
है जिनमें प्रायः स्थानीय बाजारों में बिक्री के लिए माल तैयार रहता है।" उपर्युक्त परिभाषा से कुटीर उद्योग की निम्नलिखित विशेषताओं का
आभास होता है- 1.
ये उद्योग पूर्णत: या मुख्यतः परिवार के सदस्यों की सहायता से चलाये जाते हैं। 2.
ये पूर्णकालिक या अंशकालिक व्यवसाय के रूप में चलाये जाते हैं। 3.
इन उद्योगों में प्राय: परम्परागत विधियों से परम्परागत वस्तुओं का उत्पादन किया जाता
है। 4.
इनमें स्थानीय कच्चे माल व कुशलता का प्रयोग होता है। 5.
इनमें प्राय: स्थानीय बाजार की मैंग की पूर्ति की जाती है। कुटीर
उद्योगों में सूत कातना, गुड़ बनाना, बीड़ो बाँधना, रस्सी और चटाई बनाना, रंग और
छपाई, हस्तशिल्प आदि को शामिल किया जाता है। लघु उद्योग (SMALL SCALE INDUSTRIES) 2
अक्टूबर, 2006 से प्रभावी सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उपक्रम विकास अधिनियम, 2006 उद्यमों
के लिए तीन स्तरों अर्थात् छो…