JPSC Globalization of Indian Economy(भारतीय अर्थव्यवस्था का वैश्वीकरण)
JPSC Globalization of Indian Economy(भारतीय अर्थव्यवस्था का वैश्वीकरण) (विभिन्न
क्षेत्रों पर इसका सकारात्मक एवं नकारात्मक प्रभाव, भारत में एफडीआई
और एफआईआई के मुद्दे ) वैश्वीकरण वैश्वीकरण
वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा विश्व की विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं का समन्वय किया
जाता है ताकि वस्तुओं एवं सेवाओं, टैक्नोलॉजी, पूंजी और श्रम या मानवीय पूंजी का
भी निर्बाध प्रवाह हो सके। अतः अर्थशास्त्रियों के अनुसार वैश्वीकरण के चार अंग
हैं :- 1.
व्यापार-अवरोधकों (Trade barriers) को कम करना ताकि वस्तुओं एवं
सेवाओं का बेरोक-टोक आदान प्रदान हो सके। 2.
ऐसी परिस्थिति कायम करना जिसमें विभिन्न देशों में पूंजी का स्वतंत्र
रूप से प्रवाह हो सके; 3.
ऐसा वातावरण कायम करना कि टैक्नोलॉजी का निर्बाध प्रवाह हो सके
और 4.
ऐसा वातावरण तैयार करना जिसमें विश्व के विभिन्न देशों में श्रम का
निर्बाध प्रवाह हो सके। वैश्वीकरण
के समर्थक, विशेषकर विकसित देशों से, वैश्वीकरण की परिभाषा को पहले तीन अंगों तक
सीमित कर देते हैं अर्थात् निर्बाध व्यापार-प्रवाह, निर्बाध पूंजी-प्रवाह और
निर्बाध टैकनोलॉजी-प्रवाह। वे विकासशील देशों पर वैश्वीकरण की इस परिभाषा को
स्वीकार करने के लिए दबाव डालते हैं और उनके द्वारा तय की गई पर…