JPSC_ Inflation_(मुद्रास्फीति) (अवधारणा,
मुद्रास्फीति पर नियंत्रण : मौद्रिक, राजकोषीय और प्रत्यक्ष मापन) मुद्रास्फीति , बाज़ार की एक ऐसी स्थिति है जिसमें वस्तुओं और सेवाओं की कीमत एक
समयावधि में लगातार बढ़ती जाती हैं. अतः मुद्रा स्फीति की स्थिति में मुद्रा की
कीमत कम हो जाती है। मुद्रा स्फीति की गणना करने के लिए बहुत सी विधियां इस्तेमाल
की जाती हैं पीटरसन
के शब्दों में, ‘‘मुद्रास्फीति का कारण वर्तमान कीमतों पर उपलब्ध वस्तुओं और
सेवाओं की पूर्ति की तुलना में मांग का अधिक होना है।’’ जान
मेनार्ड किन्स ने स्फीति की धारणा की व्याख्या अपनी 1940 में प्रकाशित पुस्तक ‘हाउ
टू पे फार वार’ में की। उल्लेखनीय
है कि किन्स की जेनरेल थियरी आन एम्प्लायमेंट, इंटरेस्ट एंड मनी, (1936) के पूर्व
किन्स ने ट्रेक्ट ऑन मांटेरी रिफॉर्म (1923) ,ट्रेटजी आन मनी (1930) इकोनॉमिक
कानसीक्वेंसेज आफ मिस्टर चर्चिल (1925) में प्रकाशित की । किन्स
ने अर्थव्यवस्था में व्यय प्रवाह तथा समग्र मांग की वृद्धि को मूल्य स्तर में
वृद्धि तथा मुद्रा स्फीति के कारण के रूप में स्वीकार किया मुद्रास्फीति के कारण (Reason of Inflation) भारत
में प्रमुख रूप से मुद्रास्फीति के दो का…