सार्वजनिक व्यय (PUBLIC EXPENDITURE)

सार्वजनिक व्यय (PUBLIC EXPENDITURE)
प्राचीन काल में राज्य के सीमित कार्यों की संकल्पना की गयी थी जिसके परिणामस्वरूप सार्वजनिक व्यय को विशेष महत्व नहीं प्रदान किया जाता था। प्राचीन अर्थशास्त्रियों द्वारा जिन कारणों से सार्वजनिक व्यय के महत्व को अस्वीकार किया गया था वे कार्य इस प्रकार हैं- (1) उनका विचार था कि राज्य का कार्य क्षेत्र न्याय, पुलिस तथा सेना तक ही सीमित रहना चाहिए अर्थात् राज्य का प्रमुख कार्य बाह्य आक्रमण से रक्षा करना तथा आतरिक शांतिको बनाए रखना मात्र था। (2) उस समय यह विश्वास किया जाता था कि सार्वजनिक व्यय अनुत्पादक तथा अपव्ययपूर्ण होता है । धन का उपयोग सरकार की अपेक्षा व्यक्ति द्वारा अधिक अच्छे ढंग से किया जा सकता है। (3) प्राचीन काल में सार्वजनिक व्यय को इसलिए भी अनावश्यक समझा जाता था क्योंकि राज्य के क्रियाकलापों में विस्तार से व्यक्तिगत स्वतंत्रता बाधित होती थी। इस सम्बन्ध में राबर्ट पील (Robrt Peel) ने अपना मत व्यक्त करते हुए कहा कि, “धन सरकार की अपेक्षा लोगों के हाथों में अधिक फलदायी सिद्ध हो सकता है।" पारनेल (Parnell) का तो यहाँ तक कहना था कि "जितना धन समाज में व्यवस्था को बनाए रखने तथा विदेशी …