व्यापार चक्र : प्रकृति, अवस्थाएं, विभिन्न सिद्धान्त एवं स्थिरीकरण नीति

व्यापार चक्र : प्रकृति, अवस्थाएं, विभिन्न सिद्धान्त एवं स्थिरीकरण नीति
व्यापार चक्र : प्रकृति, अवस्थाएं, विभिन्न सिद्धान्त एवं स्थिरीकरण नीति
Trade Cycles Nature, Phases, Various Theories and Stabilisation Policy  व्यापार चक्र को पूंजीवादी प्रणाली का एक अंग माना जाता है । चक्र शब्द से तात्पर्य घटनाओं के एक निश्चित क्रम से है जिनकी पुनरावृत्ति होती रहती है । जब यह पुनरावृत्ति व्यापार के क्षेत्र में होती है तो इसे व्यापार चक्र का नाम दिया जाता है । सामान्य अर्थ में व्यापार चक्र चक्रीय समृद्धि (तेजी) एवं मन्दी की घटनाओं का प्रतीक है । व्यापार चक्र में कुल रोजगार , कुल आय , कुल उत्पादन तथा कीमत स्तर में लहरों के समान उतार - चढ़ाव होते रहते हैं । विभिन्न अर्थशास्त्रियों ने व्यापार चक्र की अलग - अलग परिभाषाएं दी है :- प्रो0 कीन्स ( Keynes) के अनुसार - “ व्यापार चक्र का निर्माण ऐसी अवधियों से होता है जिसमें पहले अच्छे व्यापार के साथ कीमतों में वृद्धि होती है तथा बेरोजगारी का प्रतिशत नीचा होता है तथा इसके बाद की अवधि में बुरे व्यापार के साथ कीमतों में गिरावट होती है तथा बेरोजगारी का प्रतिशत ऊंचा होता है ।” ( A trade cycle is composed of periods of good trade characterised by rising prices and low unemployment percentages, altering with perio…