पाठ्यपुस्तक से अभ्यास प्रश्न
प्रश्न 1. नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए
(i) निम्न में से कौन-सी रोपण फसल नहीं है
(क)
कॉफी
(ख)
गन्ना
(ग) गेहूँ
(घ)
रबड़।
(ii) निम्न देशों में से किस देश में सहकारी कृषि का सफल परीक्षण किया
गया है
(क)
रूस
(ख) डेनमार्क
(ग)
भारत
(घ)
नीदरलैण्ड।
(iii) फूलों की कृषि कहलाती है
(क)
ट्रक फार्मिंग
(ख)
कारखाना कृषि
(ग)
मिश्रित कृषि
(घ) पुष्पोत्पादन।
(iv) निम्न में से कौन-सी कृषि के प्रकार का विकास यूरोपीय औपनिवेशिक
समूहों द्वारा किया गया
(क)
कोलखहोज
(ख)
अंगूरोत्पादन
(ग)
मिश्रित कृषि
(घ) रोपण कृषि।
(v) निम्न प्रदेशों में से किसमें विस्तृत वाणिज्य अनाज कृषि नहीं की
जाती है
(क)
अमेरिका एवं कनाडा के प्रेयरी क्षेत्र
(ख)
अर्जेण्टीना के पम्पास क्षेत्र
(ग)
यूरोपीय स्टैपीज क्षेत्र
(घ) अमेजन बेसिन।
(vi) निम्न में से किस प्रकार की कृषि में खट्टे रसदार फलों की कृषि
की जाती है
(क)
बाजारीय सब्जी कृषि
(ख) भूमध्यसागरीय कृषि
(ग)
रोपण कृषि
(घ)
सहकारी कृषि।
(vii) निम्न कृषि के प्रकारों में से कौन-सा प्रकार कर्तन-दहन कृषि
का प्रकार है
(क)
विस्तृत जीवन निर्वाह कृषि
(ख) आदिकालीन निर्वाहक कृषि
(ग)
विस्तृत वाणिज्य अनाज कृषि
(घ)
मिश्रित कृषि।
(viii) निम्न में से कौन-सी एकल कृषि नहीं है
(क) डेयरी कृषि
(ख)
मिश्रित कृषि
(ग)
रोपण कृषि
(घ)
वाणिज्य अनाज कृषि।
प्रश्न 2. निम्न प्रश्नों का 30 शब्दों में उत्तर दीजिए
(i) स्थानान्तरी कृषि का भविष्य अच्छा नहीं है। विवेचना कीजिए।
उत्तर:
स्थानान्तरी कृषि आदिम जातियों द्वारा पुरातन ढंग से की जाती है जिसमें प्रति
व्यक्ति व प्रति हेक्टेयर उत्पादन कम होता है। कम वहन क्षमता के कारण स्थानान्तरी
कृषकों को खाद्यान्न की समस्या रहती है जिससे इनकी संख्या घट रही है। जिन जंगलों
को जलाकर कृषि भूमि तैयार की जाती थी, वे भी सिकुड़ रहे हैं। अनेक सरकारें
स्थानान्तरी कृषि से जुड़े कबीलियाई लोगों को स्थायी रूप से बसाने के प्रयास कर
रही हैं। इससे भी इस प्रकार की कृषि कम हो रही है। इन कारणों से स्पष्ट है कि
स्थानान्तरी कृषि का भविष्य अच्छा नहीं है।
(ii) बाजारीय सब्जी कृषि नगरीय क्षेत्रों के समीप ही क्यों की जाती
है?
उत्तर;
बाजारीय सब्जी कृषि को ‘ट्रक कृषि’ भी कहते हैं। इसके नगरीय क्षेत्रों के समीप किए
जाने के कारण निम्नलिखित हैं
1.
नगरीय क्षेत्रों में जनसंख्या की अधिकता के कारण सब्जी की माँग अधिक होती है और
वृहद् बाजार उपलब्ध होता है।
2.
इन क्षेत्रों में परिवहन की सुविधा के कारण सब्जियाँ आसानी से खपत केन्द्रों पर
भेजी जा सकती हैं।
3.
पूर्ति की तुलना में माँग की अधिकता के कारण सब्जी की कीमत उच्च होती है।
(iii) विस्तृत पैमाने पर डेयरी कृषि का विकास यातायात के साधनों एवं
प्रशीतकों के विकास के बाद ही क्यों सम्भव
हो सका है?
उत्तर:
डेयरी कृषि के मुख्य उत्पाद दूध और दुग्ध पदार्थ होते हैं जो शीघ्र ही खराब होने
वाली वस्तुएँ हैं। इसे उपभोक्ता तक पहुँचाने के लिए आवश्यक है कि यातायात के साधन
तीव्र और सक्षम हों और इन वस्तुओं को कुछ देर तक बचाए रखने के लिए प्रशीतन प्रणाली
विकसित हो। इसी कारण यातायात के साधनों और प्रशीतकों के विकास के बाद ही डेयरी
कृषि का विस्तृत पैमाने पर विकास सम्भव हो पाया।
प्रश्न 3. निम्न प्रश्नों का 150 शब्दों में उत्तर दीजिए
(i) चलवासी पशुचारण और वाणिज्य पशुधन पालन में अन्तर कीजिए।
(ii) रोपण कृषि की मुख्य विशेषताएँ बताइए एवं भिन्न-भिन्न देशों में
उगाई जाने वाली कुछ प्रमुख रोपण फसलों के
नाम बताइए।
उत्तर:
रोपण कृषि की विशेषताएँ/गुण/लक्षण रोपण कृषि की प्रमुख विशेषताएँ/गुण/लक्षण
निम्नलिखित हैं
1.
रोपण कृषि बड़े-बड़े आकार के फार्मों पर की जाती है।
2.
इस कृषि में अधिक पूँजी निवेश, उच्च प्रबन्धन एवं वैज्ञानिक तकनीकियों का प्रयोग
किया जाता है।
3.
इस कृषि से उत्पादित अधिकांश भाग निर्यात कर दिया जाता है।
4.
इस प्रकार की कृषि में एक फसल के उत्पादन पर ही अधिक जोर दिया जाता है।
5.
इस कृषि में वैज्ञानिक विधियों, मशीनों, उर्वरक आदि का प्रयोग होता है।
6.
इस कृषि में कुशल श्रमिक कार्य करते हैं। ये श्रमिक स्थानीय होते हैं। कुछ
प्रदेशों में दास श्रमिक भी कार्य करते हैं।
7.
बाजारों एवं कृषि बागानों को सुचारु रूप से जोड़ने के लिए कुशल व सस्ते परिवहन का
प्रयोग किया जाता है।
8.
यह लाभ प्राप्त करने वाली वृहद् उत्पादन प्रणाली है जिसका विकास यूरोपीय लोगों
द्वारा विश्व के अनेक औपनिवेशिक देशों में किया गया है।
9.
यह कृषि मुख्य रूप से उष्ण कटिबन्धीय क्षेत्रों में की जाती है।
विभिन्न
देशों में उगाई जाने वाली प्रमुख रोपण फसलें
क्र०सं० |
देश का नाम |
प्रमुख रोपण फसल |
1. |
भारत |
चाय |
2. |
श्रीलंका |
चाय |
3. |
मलयेशिया |
रबड़ |
4. |
ब्राजील |
कॉफी |
5. |
पश्चिमी द्वीप समूह |
गन्ना एवं केला |
6. |
पश्चिमी अफ्रीका |
कॉफी एवं कोको |
7. |
फिलीपीन्स |
नारियल व गन्ना |
अन्य परीक्षाउपयोगी महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
दीर्घउत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. आखेटकों और भोजन संग्राहकों की मुख्य विशेषताएँ बताइए
तथा संग्रहण के उत्पाद और उपयोग बताइए।
उत्तर:
आखेटकों और भोजन संग्राहकों की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
1.
आखेट और भोजन संग्रहण का कार्य आदिमकालीन समाज के लोग करते हैं
2.
ये लोग अपने भोजन, वस्त्र तथा आवास की आवश्यकता की पूर्ति हेतु पशुओं एवं वनस्पति
का संग्रह करते हैं।
3. ये लोग भोजन की तलाश में भटकते रहते हैं।
4.
ये लोग छोटे समूहों में रहते हैं। इनकी कोई निजी सम्पत्ति नहीं होती।
5.
ये लोग आखेट के लिए भालों और तीरकमान का उपयोग करते हैं।
6.
ये लोग स्थानीय पदार्थों से वस्त्रों और आवास की व्यवस्था करते हैं।
7.
ये लोग विभिन्न जलवायु प्रदेशों और संसाधनों वाले क्षेत्रों में सफलतापूर्वक
जीवनयापन करते हैं।
8.
सामान्यतया ये लोग अपनी जीवन पद्धति के द्वारा अपने पर्यावरण में कोई परिवर्तन
नहीं करते।
संग्रहण
के उत्पाद और उपयोग
1.
भोजन के लिए कन्द-मूल, नट, फल, शहद, पुष्प व चिकिल आदि।
2.
वस्त्रों के लिए पेड़ों की छाल, पत्ते, घास व कुछ विशिष्ट किस्म के पेड़ों का
रेशा।
3.
अस्थायी निवास के लिए झोपड़ी, छप्पर निर्माण हेतु बाँस, टहनियाँ, पत्तियाँ व
घास-फूस।
4.
भोजन बनाने, सर्दी से बचने तथा जंगली जानवरों से सुरक्षा के लिए आग जलाने के लिए
लकड़ी।
5.
विभिन्न रोगों का उपचार करने के लिए औषधियाँ तथा जड़ी-बूटियाँ।
प्रश्न 2. चलवासी पशुचारण की प्रमुख विशेषताएँ तथा इससे सम्बन्धित
क्षेत्रों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
चलवासी पशुचारण-चलवासी पशुचारण जीवन-निर्वाह का प्राचीन व्यवसाय रहा है। चूंकि ये
पशुचारक स्थायी जीवन नहीं जीते; इसलिए इन्हें ‘चलवासी’ कहा जाता है।
चलवासी
पशुचारण की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
(1)
इस कृषि में पशुचारक अपने पालतू पशुओं के साथ पानी व चरागाह की उपलब्धता एवं गुणवत्ता
के अनुसार एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानान्तरित होते रहते हैं।
(2)
इसमें पशुचालक न तो चारे की फसल उगाते हैं और न ही घास उगाने की व्यवस्था करते हैं।
अत: इनके पशु पूर्णतया प्राकृतिक वनस्पति पर निर्भर करते हैं।
(3)
प्रत्येक पशुचारक वर्ग अपने-अपने निश्चित चरागाह क्षेत्र में विचरण करता है। इन चरागाहों
के सुस्पष्ट सीमा क्षेत्र होते हैं।
(4)
इन्हें जानकारी होती है कि इनके द्वारा विचरित क्षेत्र में मौसम के अनुसार जल और घास
कहाँ और कितनी मिलेगी।
(5)
भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में अनेक प्रकार के पशु पाले जाते हैं। उदाहरणत: उष्ण कटिबन्धीय
अफ्रीका के बढ़िया चरागाहों में गाय-बैल प्रमुख पशु हैं, जबकि सहारा तथा एशिया के शुष्क
मरुस्थलों में भेड़, बकरी और ऊँट अर्द्ध-शुष्क क्षेत्रों में गधे व घोड़े पाले जाते
हैं। तिब्बत तथा एण्डीज के उच्च पठारी भागों में याक व लामा तथा आर्कटिक और उपउत्तरी
ध्रुवीय क्षेत्रों में रेण्डियर पाले जाते हैं।
(6)
चलवासी पशुचारक अपने भोजन, वस्त्र, शरण, औजार तथा यातायात के लिए अपने पशुओं व उनके
उत्पादों पर निर्भर करते हैं।
(7)
नए चरागाहों की खोज में ये पशुचारक समतल भागों तथा पर्वतीय क्षेत्रों में लम्बी दूरियाँ
तय करते हैं। गर्मियों में मैदानी भाग से पर्वतीय चरागाह की ओर तथा शीत में पर्वतीय
भाग से मैदानी चरागाहों की तरफ प्रवास करते हैं। इनकी इस गतिविधि को ‘ऋतु प्रवास’ कहते
हैं।
चलवासी
पशुचारण से सम्बन्धित तीन प्रमुख क्षेत्र निम्नलिखित हैं
1. चलवासी पशुचारण का प्रमुख क्षेत्र उत्तरी अफ्रीका के अटलाण्टिक तट से अरब प्रायद्वीप होता हुआ मंगोलिया एवं मध्य चीन तक विस्तृत है।
2.
दूसरा क्षेत्र यूरोप तथा एशिया के टुण्ड्रा प्रदेश में है।
3.
तीसरा क्षेत्र दक्षिणी गोलार्द्ध में दक्षिण-पश्चिमी अफ्रीका एवं मैडागास्कर द्वीप
पर है।
प्रश्न 3. वाणिज्य पशुधन पालन की प्रमुख विशेषताएँ तथा इससे
सम्बन्धित क्षेत्रों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
वाणिज्य पशुधन पालन की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
1.
वाणिज्य पशुधन पालन अपेक्षाकृत अधिक व्यवस्थित एवं पूँजी प्रधान है।
2.
पश्चिमी संस्कृति से प्रभावित है एवं फार्म भी स्थायी होते हैं।
3.
इसमें फार्म विशाल क्षेत्र पर फैले होते हैं तथा सम्पूर्ण क्षेत्र को छोटी-छोटी
इकाइयों में विभाजित कर दिया जाता है। चराई को नियन्त्रित करने के लिए इन्हें बाड़
लगाकर एक-दूसरे से अलग कर दिया जाता है।
4.
इसमें पशुओं की संख्या चरागाह की वहन क्षमता के अनुसार रखी जाती है। .
5.
यह एक विशिष्ट गतिविधि है, जिसमें केवल एक ही प्रकार के पशु पाले जाते हैं। प्रमुख
पशुओं में भेड़, बकरी, गाय-बैल एवं घोड़े हैं।
6.
पालतू पशुओं से प्राप्त मांस, खालें एवं ऊन को वैज्ञानिक ढंग से संसाधित तथा
डिब्बाबन्द कर विश्व के बाजारों में निर्यात कर दिया जाता है।
7.
पशु फार्म में पशुधन पालन वैज्ञानिक आधार पर किया जाता है। इसमें प्रमुख ध्यान
पशुओं के प्रजनन, जननिक सुधार रोगों पर नियन्त्रण तथा उनके स्वास्थ्य पर दिया जाता
है।
वाणिज्य पशुधन पालन विश्व के सात क्षेत्रों में मुख्यत: किया जाता है
1.
उत्तरी अमेरिका का प्रेयरी क्षेत्र।
2.
दक्षिणी अमेरिका में वेनेजुएला का लानोस घास स्थल।
3.
ब्राजील के पठारी भाग में अर्जेण्टीना की दक्षिणी सीमा का क्षेत्र।
4.
दक्षिणी अफ्रीका का वेल्ड क्षेत्र।।
5.
ऑस्ट्रेलिया एवं न्यूजीलैण्ड की शीतोष्ण घास भूमि।
6.
कैस्पियन सागर के पूर्व में स्थित क्षेत्र।
7.
अरब सागर के उत्तर में स्थित क्षेत्र।
प्रश्न 4. आदिकालीन निर्वाह कृषि की प्रमुख विशेषताएँ तथा इससे
सम्बन्धित क्षेत्रों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
आदिकालीन निर्वाह कृषि की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
1.
आदिकालीन निर्वाह कृषि को स्थानान्तरणशील कृषि भी कहा जाता है।
2.
यह कृषि उष्ण कटिबन्धीय क्षेत्रों में की जाती है जहाँ आदिम जाति के लोग कृषि करते
हैं।
3.
इस कृषि में वनस्पति को जलाकर साफ करके कृषि कार्य किया जाता है।
4.
यह कृषि कर्तन एवं दहन कृषि भी कहलाती है।
5.
इस कृषि में खेत बहुत छोटे-छोटे होते हैं तथा कृषि भी परम्परागत औजारों
यथा–कुदाली, फावड़ा, लकड़ी आदि से की जाती है।
6.
जब भूमि का उपजाऊपन समाप्त हो जाता है, तब कृषक नए क्षेत्र में वन जलाकर कृषि के
लिए भूमि तैयार करता है।
7.
यह कृषि किसान व उसके परिवार के जीवन-निर्वाह के उद्देश्य से की जाती है।
8.
इस कृषि में प्रति इकाई भूमि व प्रति व्यक्ति उपज कम होती है।
9.
इस कृषि में खाद्यान्न फसलें मुख्य रूप से उगाई जाती हैं। प्रमुख फसलें मक्का,
कसावा, केला व शकरकन्दी आदि हैं।
आदिकालीन
निर्वाह कृषि से सम्बन्धित प्रमुख क्षेत्र निम्नलिखित हैं
1.
भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में।
2.
मध्य अमेरिका एवं मैक्सिको में।
3.
मलयेशिया व इण्डोनेशिया में।
4.
ब्राजील में।
5.
जायरे में।
6.
मध्य अफ्रीका में।
7.
फिलीपीन्स में।
आदिकालीन निर्वाह कृषि को विभिन्न क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न नामों से जाना जाता है। भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में इसे ‘झूम’, मलयेशिया व इण्डोनेशिया में ‘लादांग’, मध्य अमेरिका व मैक्सिको में ‘मिल्पा’, ब्राजील में ‘रोका’, जायरे व मध्य अफ्रीका में ‘मसोले’ तथा फिलीपीन्स में ‘चेनगिन’ कहा जाता है।
प्रश्न 5. गहन निर्वाह कृषि के प्रकार बताते हुए इसकी विशेषताओं का
वर्णन कीजिए।
उत्तर:
गहन निर्वाह कृषि—यह कृषि की वह पद्धति है जिसमें अधिक उत्पादन प्राप्त करने के
लिए प्रति इकाई भूमि पर पूँजी और श्रम का अधिक मात्रा में निवेश किया जाता है।
गहन
निर्वाह कृषि के दो प्रकार हैं
1.
चावल प्रधान गहन निर्वाह कृषि — इसमें चावल मुख्य फसल होती है। जनसंख्या घनत्व की अधिकता
के कारण खेत छोटे होते हैं। कृषि में कृषक का पूरा परिवार लगा रहता है। भूमि का गहन
उपयोग होता है तथा मानव श्रम का अपेक्षाकृत अधिक महत्त्व है। भूमि की उर्वरता बनाए
रखने के लिए गोबर खाद व हरी खाद का उपयोग किया जाता है। इसमें प्रति इकाई उत्पादन अधिक
एवं प्रति कृषक उत्पादन कम होता है।
2. चावल रहित गहन निर्वाह कृषि — मानसून एशिया के अनेक भागों में उच्चावच, जलवा (, मृदा तथा अन्य भौगोलिक दशाएँ चावल की खेती के लिए अनुकूल नहीं हैं। ऐसे ठण्डे और कम वर्षा वाले क्षेत्र उत्तरी चीन, मंचूरिया, उत्तरी कोरिया एवं उत्तरी जापान में स्थित हैं। यहाँ चावल की अपेक्षा गेहूँ, सोयाबीन, जौ एवं सोरघम बोया जाता है। भारत के गंगा-सिन्धु मैदान के पश्चिमी भाग में गेहूँ और दक्षिणी एवं पश्चिमी शुष्क प्रदेश में ज्वार-बाजरा मुख्य रूप से उगाया जाता है। इस कृषि में सिंचाई की जरूरत पड़ती है।
गहन
निर्वाह कृषि की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
1.
जनसंख्या घनत्व की अधिकता के कारण खेतों का आकार छोटा होता है।
2.
कृषि कार्य में कृषक का पूरा परिवार लगा रहता है।
3.
इस कृषि में यन्त्रों का महत्त्व अपेक्षाकृत कम होता है और मानव श्रम का बड़े
पैमाने पर उपयोग होता है।
4.
कृषि भूमि पर जनसंख्या के अधिक दबाव के कारण भूमि का अनुकूलतम प्रयोग करने की
चेष्टा की जाती है।
5.
कृषि की गहनता इतनी अधिक है कि एक वर्ष में तीन या चार फसलें उगाई जाती हैं।
6.
भूमि की उर्वरता बनाए रखने के लिए पशुओं की गोबर की खाद एवं हरी खाद का उपयोग किया
जाता है।
7.
इस कृषि में प्रति इकाई उत्पादन अधिक होता है, लेकिन प्रति कृषक उत्पादन कम होता
है।
8.
इस कृषि में खाद्यान्न फसलों पर अधिक जोर दिया जाता है।
9.
यह कृषि अत्यधिक उपजाऊ भूमि और उपयुक्त जलवायु वाले क्षेत्रों में की जाती है।
प्रश्न 6. रोपण कृषि की विशेषताएँ बताते हुए इसके क्षेत्रों का
वर्णन कीजिए।
उत्तर:
रोपण कृषि की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
1.
यह एक प्रकार की आधुनिक, संगठित एवं व्यवस्थित कृषि है जिसकी तुलना विनिर्माण
उद्योग से की जा सकती है।
2.
इस कृषि में कृषि क्षेत्र का आकार बहुत विस्तृत होता है।
3.
इस कृषि में अधिक पूँजी निवेश, उच्च प्रबन्ध एवं तकनीकी आधार एवं वैज्ञानिक
विधियों का प्रयोग किया जाता है।
4.
यह एकफसली कृषि है जिसमें किसी एक फसल के उत्पादन पर ही विशिष्टीकरण किया जाता है।
5.
इस कृषि में सस्ते श्रमिक उपलब्ध हो जाते हैं।
6.
इन कृषि क्षेत्रों की विकसित यातायात व्यवस्था बागान एवं बाजार को सुचारु रूप से
जोड़े रहती है।
7.
इस कृषि में फार्मों पर मशीनों, उर्वरकों, कीटनाशक दवाओं व रोगनाशक रसायनों का
प्रयोग किया जाता है।
8.
इस कृषि में बागानों की प्रमुख उपजें रबड़, चाय, कॉफी, कोको, कपास, गन्ना, केले,
अनन्नास, गरी, पटसन व सन हैं।
9.
बागानों उपजों को फार्मों पर ही संसाधित करके निर्यात हेतु उपलब्ध कराया जाता है।
रोपण
कृषि के प्रमुख क्षेत्र निम्नलिखित हैं
1.
फ्रांसवासियों ने पश्चिमी अफ्रीका में कॉफी एवं कोको की पौध लगाई थी।
2.
ब्रिटेनवासियों ने भारत व श्रीलंका में चाय के बागान, मलयेशिया में रबड़ के बागान
एवं पश्चिमी द्वीप समूह में गन्ना एवं केले के बागान विकसित किए।
3.
स्पेन एवं अमेरिकावासियों ने फिलीपीन्स में नारियल व गन्ने के बागान लगाए।
4.
इण्डोनेशिया में एक समय गन्ने की कृषि पर हॉलैण्डवासियों (डचों) का एकाधिकार था।
5.
ब्राजील में कुछ कॉफी के बागान, जिन्हें ‘फेजेंडा’ कहा जाता है, यूरोपवासियों के
नियन्त्रण में हैं।
प्रश्न 7. विस्तृत वाणिज्य अनाज कृषि की विशेषताएँ बताते हुए इसके
क्षेत्रों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
विस्तृत वाणिज्य अनाज कृषि मध्य अक्षांशों के आन्तरिक अर्द्धशुष्क प्रदेशों में की
जाती है।
विस्तृत
वाणिज्य अनाज कृषि की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
1.
विस्तृत वाणिज्य अनाज कृषि की प्रमुख फसल गेहूँ है। यद्यपि अन्य फसलें जैसे मक्का,
जौ, राई एवं जई भी बोई जाती हैं।
2.
इस कृषि में प्रति हेक्टेयर उत्पादन कम होता है, किन्तु कृषित भूमि के बड़े
क्षेत्रफल के कारण कुल उत्पादन अधिक रहता है।
3.
कम जनसंख्या घनत्व के कारण प्रति व्यक्ति अधिक उत्पादन होता है।
4.
इस कृषि में खेतों का आकार बहुत बड़ा होता है तथा खेत जोतने से फसल काटने तक सभी
कार्य यन्त्रों द्वारा सम्पन्न किए जाते हैं।
5.
इस कृषि में एक या दो फसलों में विशिष्टीकरण प्राप्त कर लिया जाता है जिसमें पैदा
किया जाने वाला मुख्य अनाज गेहूँ है।
विस्तृत
वाणिज्य अनाज कृषि के प्रमुख क्षेत्र निम्नलिखित हैं
1.
उत्तरी अमेरिका के प्रेयरीज।
2.
अर्जेण्टीना के पम्पास।
3.
दक्षिणी अफ्रीका के वेल्ड्स।
4.
यूरेशिया के स्टैपीज।
5.
ऑस्ट्रेलिया के डाउन्स।
6.
न्यूजीलैण्ड के केंटरबरी।
उपर्युक्त सभी घास के मैदानों में विस्तृत वाणिज्य अनाज कृषि की जाती है।
प्रश्न 8. डेयरी फार्मिंग की विशेषताएँ बताते हुए इसके क्षेत्रों
का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
डेयरी फार्मिंग-जिस कृषि पद्धति में दूध व दुग्ध पदार्थों की नगरीय माँग को पूरा
करने के लिए पशुओं, विशेष रूप से गायों के पालन और प्रजनन पर विशेष ध्यान दिया
जाता है, उसे ‘डेयरी फार्मिंग’ कहते हैं।
डेयरी
फार्मिंग की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
1.
डेयरी फार्मिंग दुधारू पशुओं के पालन-पोषण का सर्वाधिक उन्नत एवं दक्ष प्रकार है।
2.
इसमें पूँजी की अधिक आवश्यकता होती है।
3.
इसमें पशुओं के स्वास्थ्य, प्रजनन एवं पशु चिकित्सा पर भी अधिक ध्यान दिया जाता
है।
4.
इसमें पशुओं को चराने, दूध निकालने आदि कार्यों के लिए वर्षभर गहन श्रम की आवश्यकता
होती है।
5.
डेयरी फार्मिंग का कार्य नगरीय एवं औद्योगिक केन्द्रों के समीप किया जाता है,
क्योंकि ये क्षेत्र डेयरी फार्मिंग के उत्पादों के अच्छे खपत केन्द्र होते हैं।
6.
वर्तमान समय में विकसित परिवहन के साधनों प्रशीतकों के उपयोग, पाश्चुरीकरण की
सुविधा के कारण विभिन्न डेयरी उत्पादों को अधिक समय तक रखा जा सकता है।
डेयरी
फार्मिंग के तीन प्रमुख क्षेत्र निम्नलिखित हैं
1.
सबसे बड़ा प्रदेश – उत्तर-पश्चिमी यूरोप।
2.
दूसरा क्षेत्र – कनाडा।
3. तीसरा क्षेत्र-न्यूजीलैण्ड, दक्षिण-पूर्वी ऑस्ट्रेलिया एवं तस्मानिया।
प्रश्न 9. ट्रक कृषि क्या है? ट्रक कृषि की विशेषताओं का वर्णन
कीजिए।
उत्तर:
ट्रक कृषि-नकदी कमाने अथवा व्यापार के उद्देश्य से सब्जियों व फलों की विशेषीकृत
कृषि जो नगरों से काफी दूर सुगम मार्गों से जुड़े स्थानों पर की जाती है और जिसमें
परिवहन की आवश्यकता होती है, ‘ट्रक कृषि’ कहलाती है।
‘ट्रक’
शब्द का प्रयोग अधिकांशतः संयुक्त राज्य अमेरिका में किया जाता है जिसका सीधा-सीधा
अर्थ होता है— “बाजार के लिए उगाई गई ताजी सब्जियाँ व फल।”
ट्रक
कृषि की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
1.
ट्रक कृषि में अधिक मुद्रा मिलने वाली फसलें जैसे सब्जियाँ, फल एवं पुष्प लगाए
जाते हैं जिनकी माँग नगरीय क्षेत्रों में होती है।
2.
इस कृषि में खेतों का आकार छोटा होता है।
3.
इस कृषि में खेत अच्छे यातायात साधनों के द्वारा नगरीय केन्द्रों से जड़े रहते
हैं।
4.
इस कृषि में गहन श्रम एवं अधिक पूँजी की आवश्यकता होती है।
5.
इस कृषि में उर्वरक, सिंचाई, उत्तम बीज, कीटनाशकों, हरित गृह एवं शीत क्षेत्रों
में कृत्रिम ताप का भी उपयोग किया जाता है।
6.
इस कृषि में गहन कृषि पद्धति अपनाई जाती है व छोटी-छोटी भू-जोतों पर सिंचाई की
सुविधा, खाद एवं उन्नत बीजों का प्रयोग करके अधिकतम उत्पादन प्राप्त किया जाता है।
प्रश्न 10. खनन क्या है? खनन की विधियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
खनन का अर्थ-पृथ्वी के सतह से अथवा भूगर्भ से चट्टानी पदार्थों को अधिक उपयोगी तथा
मूल्यवान बनाने के उद्देश्य से संसाधित करने के लिए हटाना या खोदना ‘खनन’ कहलाता
है।
खनन की विधियाँ : उपस्थिति की अवस्था एवं अयस्क की प्रकृति के आधार पर खनन के दो प्रकार हैं
(1)
धरातलीय खनन एवं (2) भूमिगत खनन।
1.
धरातलीय खनन – धरातलीय खनन को ‘विवृत्त खनन’ भी कहा जाता है। इस विधि में धरातल की
मिट्टी, चट्टानों आदि को हटाकर खनिज की परतों को खोदा, काटा या विस्फोटित किया जाता
है। यह खनन का सबसे आसान व सस्ता तरीका है। इस विधि में सुरक्षात्मक पूर्वोपायों एवं
उपकरणों पर होने वाली ऊपरी लागत अपेक्षाकृत कम होती है। खनिजों का उत्पादन भी शीघ्र
व अधिक होता है। धरातलीय खनन तभी सफल व उपयोगी होता है जहाँ खनिजों के भण्डार धरातल
के समीप कम गहराई पर अवस्थित होते हैं।
2.
भूमिगत खनन – भूमिगत खनन को ‘कूपकी खनन’ भी कहा जाता है। जब अयस्क धरातल के नीचे गहराई
में होता है तब इस विधि का प्रयोग किया जाता है। इस विधि में लम्बवत् कूपक गहराई तक
स्थित हैं, जहाँ से भूमिगत गैलरियाँ खनिजों तक पहुँचने के लिए फैली हैं। इन मार्गों
से होकर खनिजों का निष्कर्षण एवं परिवहन धरातल तक किया जाता है। खदानों में कार्यरत्
श्रमिकों तथा निकाले जाने वाले खनिजों के सुरक्षित और प्रभावी परिवहन हेतु इसमें विशेष
प्रकार की लिफ्टें, बरमा माल ढोने की गाड़ियाँ तथा वायु संचार प्रणाली की आवश्यकता
होती है। भूमिगत खनन, धरातलीय खनन की तुलना में अधिक जोखिमपूर्ण होता है। इनमें जहरीली
गैसों, आग, बाढ़ तथा सुरंगों और गुफाओं के बैठ जाने के कारण जानलेवा दुर्घटनाएं होती
रहती हैं।
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. भोजन संग्रहण करने वाले लोगों द्वारा पौधे के विभिन्न
भागों के उपयोग पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
भोजन संग्राहकों द्वारा पौधे के विभिन्न भागों का उपयोग–भोजन संग्राहक कीमती पौधों
की पत्तियाँ, छाल एवं औषधीय पौधों को सामान्य रूप से संशोधित कर बाजार में विक्रय
का कार्य भी करते हैं। पौधे के विभिन्न भागों का ये उपयोग करते हैं। उदाहरण के तौर
पर
1.
छाल का उपयोग कुनैन, चमड़ा तैयार करना एवं कार्क के लिए।
2.
पत्तियों का उपयोग पेय पदार्थ, दवाइयाँ एवं कान्तिवर्द्धक वस्तुओं के लिए।
3.
रेशे का उपयोग कपड़ा बनाने के लिए।
4.
दृढ़फल का उपयोग भोजन एवं तेल के लिए।
5.
तने का उपयोग रबड़, बलाटा, गोंद व राल बनाने के लिए।
प्रश्न 2. वर्तमान में भोजन संग्रह विश्व के किन-किन भागों में
किया जाता है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
वर्तमान में भोजन संग्रह विश्व के दो भागों में किया जाता है
1.
उच्च अक्षांश के क्षेत्र जिनमें उत्तरी कनाडा, उत्तरी यूरेशिया एवं दक्षिणी चिली
आते हैं।
2.
निम्न अक्षांश के क्षेत्र जिनमें अमेजन बेसिन, उष्ण कटिबन्धीय अफ्रीका,
ऑस्ट्रेलिया एवं दक्षिण-पूर्वी एशिया का आन्तरिक भाग आता है।
प्रश्न 3. संग्रहण के भविष्य पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
संग्रहण का भविष्य – आज विश्व स्तर पर भोजन संग्रहण का अधिक महत्त्व नहीं रहा है।
विश्व बाजार की प्रतिस्पर्धा में इन क्रियाओं द्वारा प्राप्त उत्पाद पिछड़ जाते
हैं। अनेक प्रकार के गुणवत्ता और कम मूल्य वाले कृत्रिम उत्पादों ने उष्ण
कटिबन्धीय वर्षा वन के भोजन संग्रह करने वाले समूहों के उत्पादों का स्थान ले लिया
है।
प्रश्न 4. चलवासी पशुचारण के क्षेत्रों की विशेषताएँ समझाइए।
उत्तर:
चलवासी पशुचारण के क्षेत्र की विशेषताएँ
चलवासी
पशुचारण के क्षेत्र की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
(1)
चलवासी पशुचारण के क्षेत्र सामान्यतया कठोर प्राकृतिक दशाओं वाले होते हैं। ये क्षेत्र
या तो अत्यधिक गर्म व शुष्क हैं या अत्यधिक ठण्डे।
(2)
विषम जलवायु के कारण यहाँ घास और झाड़ियाँ छोटी-छोटी और बिखरे टुकड़ों में पायी जाती
हैं। अधिक शुष्क मौसम आने पर घास का घनत्व भी कम हो जाता है। इससे घास के मैदानों में
प्रति इकाई भूमि की वहन शक्ति घट जाती है। इस कारण चरवाहों को बहुत विस्तृत क्षेत्र
में पशुचारण कराना पड़ता है।
प्रश्न 5: गहन जीविकोपार्जी कृषि की नवीन प्रवृत्तियों पर टिप्पणी
लिखिए।
उत्तर:
गहन जीविकोपार्जी कृषि की नवीन प्रवृत्तियाँ-पिछले दो दशकों में उन क्षेत्रों में
जहाँ चावल तथा गेहूँ की उन्नत किस्मों के संकर बीजों को बोया गया है, वहाँ कृषि
उत्पादकता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। कुछ क्षेत्रों में रासायनिक खादों,
फफूंदीनाशक एवं कीटनाशक दवाओं तथा सिंचाई सुविधाओं का प्रयोग होने से परम्परागत
जीविकोपार्जी कृषि में वाणिज्यिक कृषि की कुछ विशेषताएँ विकसित हो गई हैं।
प्रश्न 6. मिश्रित कृषि व डेयरी कृषि में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: मिश्रित कृषि व डेयरी कृषि में अन्तर
प्रश्न 7. रोपण कृषि व उद्यान कृषि में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: रोपण कृषि व उद्यान कृषि में अन्तर
प्रश्न 8. मिश्रित कृषि किसे कहते हैं? इसके प्रचलन वाले क्षेत्रों
का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
मिश्रित कृषि – वह कृषि जिसमें फसलों को उगाने के साथ-साथ पशुओं को पालने का कार्य
भी किया जाता है, उसे ‘मिश्रित कृषि’ कहा जाता है।
मिश्रित
कृषि के प्रचलन वाले क्षेत्र – मिश्रित कृषि का अधिक प्रचलन पूर्वी संयुक्त राज्य
अमेरिका, पश्चिमी यूरोप, अर्जेण्टीना, दक्षिणी अफ्रीका, न्यूजीलैण्ड व
दक्षिण-पूर्वी ऑस्ट्रेलिया में है।
प्रश्न 9. विश्व में मिश्रित कृषि की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मिश्रित कृषि की विशेषताएँ मिश्रित कृषि की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
1.
मिश्रित कृषि विश्व के अत्यधिक विकसित भागों में की जाती है।
2.
इस कृषि में खेतों का आकार मध्यम होता है।
3.
इस कृषि में बोई जाने वाली फसलें गेहूँ, जौ, राई, जई, मक्का, चारे की फसल एवं
कन्द-मूल प्रमुख हैं। चारे की फसलें मिश्रित कृषि के प्रमुख घटक हैं।
4.
इस कृषि में फसल उत्पादन एवं पशुपालन दोनों को समान महत्त्व दिया जाता है।
5.
फसलों के साथ पशु भी आय के मुख्य स्रोत हैं।
6.
शस्यावर्तन (फसलों की हेर-फेर) एवं अन्त:फसली कृषि मृदा की उर्वरता को बनाए रखने
में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
7.
पर्याप्त पूँजी, आधुनिक प्रबन्धन, वैज्ञानिक कृषि विधियाँ, कृषि यन्त्र, इमारतों,
रासायनिक एवं हरी खाद के गहन उपयोग, यातायात, शहरी बाजार की समीपता व पर्याप्त
वर्षा वाली शीतल जलवायु से इस कृषि को भारी प्रोत्साहन मिलता है।
प्रश्न 10: भूमध्यसागरीय कृषि के विस्तार पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
भूमध्यसागरीय कृषि का विस्तार (क्षेत्र)-यह एक अति-विशिष्ट प्रकार की वाणिज्य कृषि
है जो
(1)
यूरोप में भूमध्यसागर के तटीय क्षेत्रों
(2)
एशिया माइनर
(3)
उत्तरी अफ्रीका की तटीय पट्टियों पर ट्यूनीशिया से अटलाण्टिक तट तक विस्तृत है। भूमध्य
सागरीय तटों से दूर यह कृषि व्यवस्था कैलिफोर्निया (संयुक्त राज्य अमेरिका), मध्य चिली,
दक्षिण-पश्चिमी केप प्रान्त (दक्षिण अफ्रीका) और पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया . के दक्षिण-पश्चिम
में पायी जाती है।
प्रश्न 11. संसार में भूमध्यसागरीय कृषि की विशेषताओं को समझाइए।
उत्तर:
भूमध्यसागरीय कृषि की विशेषताएँ
1.
भूमध्यसागरीय कृषि अति विशिष्ट प्रकार की कृषि है।
2.
अंगूर की कृषि इस कृषि की प्रमुख विशेषता है।
3.
यह कृषि मुख्यतः यहाँ की लम्बी ग्रीष्म ऋतु, शीतकालीन वर्षा और शुष्क एवं
अकालग्रस्त अवधि में कृत्रिम सिंचाई द्वारा प्रभावित रहती है।
4.
शीत ऋतु में जब यूरोप और संयुक्त राज्य अमेरिका में फलों एवं सब्जियों की माँग
होती है तब उनकी पूर्ति इसी क्षेत्र से की जाती है।
प्रश्न 12. पश्चिमी यूरोप एवं उत्तरी अमेरिका के औद्योगिक
क्षेत्रों की कारखाना कृषि की विशेषताओं को समझाइए।
उत्तर:
कारखाना कृषि की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
1.
कारखाना कृषि में गाय-बैल एवं कुक्कुट जैसा पशुधन पाला जाता है।
2.
इस कृषि में पशुधन को बाड़े में रखा जाता है और वहाँ उन्हें कारखाने में बना-बनाया
भोजन (चारा) दिया जाता है।
3.
इस कृषि में भवन निर्माण, यन्त्र खरीदने, प्रकाश एवं ताप की व्यवस्था करने तथा
पशुओं के स्वास्थ्य एवं चिकित्सा पर पर्याप्त पूँजी निवेश करना पड़ता है।
4.
कुक्कुट एवं पशुओं की श्रेष्ठ नस्ल का यहाँ संवर्धन किया जाता है और उनके लिए
प्रजनन की वैज्ञानिक विधियों का प्रयोग किया जाता है।
प्रश्न 13. सहकारी कृषि क्या है? विश्व में इसके क्षेत्र बताइए।
उत्तर:
सहकारी कृषि – जब कृषकों का एक समूह अपनी कृषि से अधिक लाभ कमाने के लिए स्वेच्छा
से एक सहकारी संस्था बनाकर कृषि कार्य सम्पन्न करे उसे ‘सहकारी कृषि’ कहते हैं।
इसमें व्यक्तिगत कार्य अक्षुण्ण रहते हुए सहकारी रूप में कृषि की जाती है।
विश्व
में सहकारी कृषि के क्षेत्र – सहकारी कृषि विश्व के कुछ विकसित देशों जैसे इटली,
नार्वे, स्वीडन, डेनमार्क, नीदरलैण्ड व बेल्जियम इत्यादि में प्रचलित है। सर्वाधिक
सफलता इसे डेनमार्क में मिली जहाँ प्रत्येक कृषक इसका सदस्य है।
प्रश्न 14. सामूहिक कृषि पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
सामूहिक कृषि – सामूहिक कृषि का आधारभूत सिद्धान्त यह है कि इसमें उत्पादन के
साधनों का स्वामित्व सम्पूर्ण समाज एवं सामूहिक श्रम पर आधारित होता है। कृषि का
यह प्रकार पूर्व सोवियत संघ में प्रारम्भ हुआ था जहाँ कृषि की स्थिति सुधारने एवं
उत्पादन में वृद्धि व आत्म-निर्भरता प्राप्ति हेतु सामूहिक कृषि प्रारम्भ की गई।
इस प्रकार की कृषि को सोवियत संघ में ‘कोलखहोज’ नाम दिया गया।
प्रश्न 15. संसार में सामूहिक कृषि की विशेषताओं को समझाइए।
उत्तर:
सामूहिक कृषि की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
1.
सामूहिक कृषि में उत्पादन के साधनों का स्वामित्व सम्पूर्ण समाज एवं सामूहिक श्रम
पर आधारित होता था।
2.
इस कृषि में कृषक अपने संसाधन जैसे भूमि, पशुधन एवं श्रम को मिलाकर कृषि कार्य
करते थे।
3.
इस कृषि में कृषक अपनी दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए भूमि का छोटा-सा भाग
अपने अधिकार में भी रखते थे।
4.
इस कृषि में फार्म बड़े आकार के थे।
5.
कृषि का अधिकांश कार्य मशीनों से होता था।
प्रश्न 16. खनन को प्रभावित करने वाले भौतिक कारकों को समझाइए।
उत्तर:
खनन को प्रभावित करने वाले भौतिक कारक खनन को प्रभावित करने वाले भौतिक कारक
निम्नलिखित हैं
1.
खनिज क्षेत्र का विस्तार जितना विस्तृत होगा खनिज का निष्कासन आर्थिक दृष्टि से
उतना ही लाभदायक होगा।
2.
खनिज क्रिया, खनिज की गहराई पर भी निर्भर करती है। अधिक गहराई में पाए जाने वाले
खनिज आर्थिक दृष्टि से अधिक लाभदायक नहीं होते।
3.
खनिज का अंश जितना अधिक होगा उतनी ही उस खनिज की गुणवत्ता अधिक
होगी। उतना ही खनिज लाभदायक होगा।
प्रश्न 17. खनन को प्रभावित करने वाले आर्थिक कारकों को समझाइए।
उत्तर:
खनन को प्रभावित करने वाले आर्थिक कारक खनन को प्रभावित करने वाले आर्थिक कारक
निम्नलिखित हैं
1.
खदान को विकसित करने के लिए आवश्यक पूँजी।
2.
खनन कार्य के लिए आवश्यक तकनीक, ज्ञान व प्रौद्योगिकी।
3.
पर्याप्त मात्रा में सस्ते श्रम की उपलब्धता।
4.
परिवहन के प्रकार, उनके विकास की स्थिति व क्षमता।
5.
खनिजों की स्थानीय व अन्तर्राष्ट्रीय मांग इत्यादि।
अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. आर्थिक क्रिया किसे कहते हैं?
उत्तर:
मानव के वह कार्यकलाप जिनसे आय प्राप्त होती है, उन्हें ‘आर्थिक क्रिया’ कहा जाता
है।
प्रश्न 2. आर्थिक क्रियाओं को कितने भागों में बाँटा जा सकता है?
उत्तर:
आर्थिक क्रियाओं को चार भागों में बाँटा जा सकता है
1.
प्राथमिक
2.
द्वितीयक
3.
तृतीयक तथा
4.
चतुर्थक क्रियाएँ।
प्रश्न 3. प्राथमिक क्रियाएँ किस पर निर्भर हैं.और क्यों?
उत्तर:
प्राथमिक क्रियाएँ सीधे-सीधे पर्यावरण पर निर्भर हैं क्योंकि ये प्राकृतिक
संसाधनों जैसे भूमि, जल, वनस्पति, जीव-जन्तु एवं खनिजों के उपयोग से जुड़ी हुई
हैं।
प्रश्न 4. प्राथमिक क्रियाओं में कौन-कौन से कार्य शामिल किए जाते
हैं?
उत्तर:
प्राथमिक क्रियाओं में आखेट, भोजन-संग्रह, पशुचारण, मछली पकड़ना, वनों से लकड़ी
काटना, कृषि एवं खनन कार्य शामिल किए जाते हैं।
प्रश्न 5. चिकल किसे कहते हैं?
उत्तर:
चुविंगगम चूसने के बाद शेष बचे भाग को ‘चिकल’ कहते हैं। ये जेपोटा वृक्ष के दूध से
बनता है।
प्रश्न 6. कृषि से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
विभिन्न प्रकार की फसलों का बोया जाना तथा पशुपालन कृषि कहलाता है।
प्रश्न 7. रैन्च (Ranch) क्या है?
उत्तर:
वाणिज्य पशुधन पालन में पशुओं को सैकड़ों वर्ग किमी क्षेत्र के बाड़ों में रखा
जाता है, जिन्हें प्रेयरी क्षेत्र (उत्तरी अमेरिका) में ‘रैन्च’ कहा जाता है।
प्रश्न 8. एस्टेंशिया (Estancia) क्या है?
उत्तर:
वाणिज्य पशुधन पालन में पशुओं को सैकड़ों वर्ग किमी क्षेत्र के बाड़ों में रखा
जाता है, जिन्हें पम्पास क्षेत्र (दक्षिणी अमेरिका) में ‘एस्टेंशिया’ कहा जाता है।
प्रश्न 9. निर्वाह कृषि को वर्गीकृत कीजिए।
उत्तर:
निर्वाह (जीविकोपार्जी) कृषि को दो भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है
1.
आदिकालीन निर्वाह कृषि एवं
2.
निर्वाह कृषि।
प्रश्न 10. आदिकालीन निर्वाह कृति के कोई दो स्थानीय नाम क्षेत्र
सहित लिखिए।
उत्तर:
आदिकालीन निर्वाह कृषि के स्थानीय नाम हैं
1.
भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में – झूमिंग कृषि
2.
मलयेशिया व इण्डोनेशिया में – लदांग
प्रश्न 11. मिल्या क्या है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
आदिकालीन निर्वाह (स्थानान्तरित) कृषि को मध्य अमेरिका एवं मैक्सिको में ‘मिल्पा’
के नाम से जाना जाता है।
प्रश्न 12. उन दो क्रियाओं के नाम बताइए जिन पर आदिमकालीन मानव
अपने जीवन निर्वाह के लिए निर्भर रहते हैं।
उत्तर:
आखेट तथा संग्रहण।
प्रश्न 13. चलवासी पशुचारण क्या है?
उत्तर:
चलवासी पशुचारण वह मानवीय क्रिया है जिसमें पशुचारक चारे एवं जल की तलाश में एक
स्थान से दूसरे स्थान तक जाते हैं।
प्रश्न 14. विश्व में चलवासी पशुचारकों की संख्या क्यों घट रही है?
इसका मुख्य कारण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
चरागाह धीरे-धीरे समाप्त हो रहे हैं। उन पर कृषि की जा रही है तथा घर बनाए जा रहे
हैं।
प्रश्न 15. मिश्रित कृषि किसे कहते हैं?
उत्तर:
वह कृषि जिसमें फसलों को उगाने के साथ-साथ पशुओं को पालने का कार्य भी किया जाता
है, उसे ‘मिश्रित कृषि’ कहा जाता है।
प्रश्न 16. विश्व में मिश्रित कृषि के विस्तार वाले क्षेत्रों के
नाम बताइए।
उत्तर:
उत्तर-पश्चिमी यूरोप, उत्तरी अमेरिका का पूर्वी भाग, यूरेशिया के कुछ भाग तथा
दक्षिणी महाद्वीपों के समशीतोष्ण अक्षांश वाले भागों में मिश्रित कृषि का विस्तार
है।
प्रश्न 17. मिश्रित कृषि की कोई दो विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
मिश्रित कृषि की विशेषताएँ हैं
1.
विकसित कृषि यन्त्र,
2.
रासायनिक व वनस्पति खाद का गहन उपयोग।
प्रश्न 18. डेयरी कृषि का कार्य कहाँ किया जाता है और क्यों?
उत्तर:
डेयरी कृषि का कार्य नगरीय एवं औद्योगिक केन्द्रों के समीप किया जाता है, क्योंकि
ये क्षेत्र ताजा दूध एवं अन्य डेयरी उत्पाद के अच्छे बाजार होते हैं।
प्रश्न 19. सहकारी कृषि क्या है?
उत्तर:
जब कृषकों का एक समूह अपनी कृषि से अधिक लाभ कमाने के लिए स्वेच्छा से एक सहकारी
संस्था बनाकर कृषि कार्य सम्पन्न करे तो उसे ‘सहकारी कृषि’ कहते हैं।
प्रश्न 20. सामूहिक कृषि का आधारभूत सिद्धान्त क्या है?
उत्तर:
सामूहिक कृषि का आधारभूत सिद्धान्त यह होता है कि इसमें उत्पादन के साधनों का
स्वामित्व सम्पूर्ण समाज व सामूहिक श्रम पर आधारित होता है।
प्रश्न 21. कोलखहोज क्या है?
उत्तर:
सामूहिक कृषि को सोवियत संघ में कोलखहोज के नाम से जाना जाता है।
प्रश्न 22. कारखाना कृषि कहाँ की जाती है?
उत्तर:
पश्चिमी यूरोप एवं उत्तरी अमेरिका के औद्योगिक क्षेत्रों में उद्यान कृषि के अलावा
कारखाना कृषि भी की जाती है।
प्रश्न 23. खनन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
पृथ्वी की सतह से अथवा भूगर्भ से चट्टानी पदार्थों को अधिक उपयोगी व मूल्यवान
बनाने के उद्देश्य से संसाधित करने के लिए हटाना या खोदना ‘खनन’ कहलाता है।
प्रश्न 24. अयस्क किसे कहते हैं?
उत्तर:
जिन कच्ची धातुओं से खनिज मिलते हैं, उन्हें ‘अयस्क’ कहा जाता है।
प्रश्न 25: उत्खनन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
यदि धरातल से खुदाई करके खनिज प्राप्त किए जाएँ तो उसे ‘उत्खनन’ कहते हैं।
प्रश्न 26. खनन की विधियों के नाम बताइए।
उत्तर:
उपस्थिति की अवस्था एवं अयस्क की प्रकृति के आधार पर खनन के दो प्रकार हैं
1.
धरातलीय खनन एवं
2.
भूमिगत खनन।
बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. प्राथमिक क्रियाएँ हैं
(a)
आखेट
(b)
भोजन संग्रह
(c)
पशुचारण
(d) उपर्युक्त सभी।
प्रश्न 2. आर्थिक क्रियाओं के कितने वर्ग हैं
(a) चार
(b)
पाँच
(c)
छह
(d)
सात।
प्रश्न 3. आदिमकालीन समाज किस पर निर्भर था
(a)
उद्योगों पर
(b)
कृषि पर
(c)
व्यापार पर
(d) जंगली पशुओं पर।
प्रश्न 4. प्राचीनतम ज्ञात आर्थिक क्रिया हैं
(a)
आखेट
(b)
भोजन संग्रह
(c)
कृषि
(d) (a) व (b) दोनों।
प्रश्न 5. पौधे की छाल का उपयोग करते हैं
(a)
कुनैन में
(b)
चमड़ा तैयार करने में
(c)
कार्क में
(d) उपर्युक्त सभी में।
प्रश्न 6. चलवासी पशुचारण में पशुचारक किस चीज के लिए पशुओं पर ही
निर्भर करता है
(a)
भोजन
(b)
वस्त्र
(c) औजार
(d)
उपर्युक्त सभी
प्रश्न 7. चलवासी पशुचारण के कितने प्रमुख क्षेत्र हैं
(a)
चार
(b)
पाँच
(c)
छह
(d) तीन।
प्रश्न 8. वाणिज्य पशुधन पालन में पाला जाने वाला प्रमुख पश हैं
(a)
भेड़ व बकरी
(b)
गाय व बैल
(c)
घोड़े
(d) उपर्युक्त सभी।
प्रश्न 9. गहन निर्वाह कृषि के कितने प्रकार हैं
(a) दो
(b)
तीन
(c)
चार
(d)
पाँच।
प्रश्न 10. मलयेशिया व इण्डोनेशिया में स्थानान्तरित कृषि का
स्थानीय नाम है
(a)
मिल्पा
(b)
झूमिंग
(c) लदांग
(d)
इनमें से कोई नहीं।
प्रश्न 11. रोपण कृषि में उगाई जाने वाली प्रमुख फसल है
(a)
चाय
(b)
रबड़
(c)
गन्ना
(d) ये सभी।
प्रश्न 12. भूमध्यसागरीय कृषि में उगाई जाने वाली फसल है
(a)
अंगूर
(b)
जैतून
(c)
अंजीर
(d) ये सभी।
प्रश्न 13. सहकारी कृषि को सर्वाधिक सफलता किस देश में मिली है
(a) डेनमार्क
(b)
नीदरलैण्ड
(c)
बेल्जियम
(d)
स्वीडन।
प्रश्न 14. सामूहिक कृषि को कोलखहोज नाम कहाँ दिया गया
(a)
नीदरलैण्ड में
(b)
कनाडा में
(c)
जर्मनी में
(d) सोवियत संघ में।
प्रश्न 15. खनन की विधियाँ हैं
(a) दो
(b)
तीन
(c)
चार
(d) पाँच।
1. मनुष्य अपनी आजीविका चलाने हेतु जो कार्य करते हैं उन्हें मानव क्रियाएँ कहते हैं।
2. मानव के आर्थिक क्रियाओं को कितने भागों
में बाँय गया है।
Ans- चार (प्राथमिक क्रियाएँ, द्वितीयक क्रियाएँ, तृतीयक
क्रियाएँ, चतुर्थक क्रियाएँ)
3. प्राथमिक क्रियाएँ -
वैसे व्यवसाय जिसमे मनुष्य प्राकृतिक संसाधनो का प्रत्यक्ष (सीधे ) उपयोग करता है।
जैसे- कृषि, मछली पकड़ना, खनन, लकड़ी काटना, फल-मूल-जड़ी एकत्र करना, पशुओं का शिकार
करना
4. मानव जीवन के प्रारंभिक समय में कौन सा
व्यवसाय / कार्य करते थे
Ans
- आखेट संग्रहण (Hunting & gathering)
5. आखेट - संग्रहण किन क्षेत्रों में किया जाता है ?
Ans-
निम्न अक्षांशिय क्षेत्र - आमेजन बेसीन, उष्ण कटिबंधीय अफ्रीका, न्यूगीनी एशिया के
आन्तरिक भाग। उच्च अक्षांशिय क्षेत्र - उत्तरी कनाडा, उत्तरी यूरोप, उत्तरी एशिया ।
1. मनुष्य अपनी आजीविका चलाने हेतु जो कार्य करते हैं उन्हें मानव क्रियाएँ कहते हैं।
2. मानव के आर्थिक क्रियाओं को कितने भागों
में बाँय गया है।
Ans- चार (प्राथमिक क्रियाएँ, द्वितीयक क्रियाएँ, तृतीयक
क्रियाएँ, चतुर्थक क्रियाएँ)
3. प्राथमिक क्रियाएँ -
वैसे व्यवसाय जिसमे मनुष्य प्राकृतिक संसाधनो का प्रत्यक्ष (सीधे ) उपयोग करता है।
जैसे- कृषि, मछली पकड़ना, खनन, लकड़ी काटना, फल-मूल-जड़ी एकत्र करना, पशुओं का शिकार
करना
4. मानव जीवन के प्रारंभिक समय में कौन सा
व्यवसाय / कार्य करते थे
Ans
- आखेट संग्रहण (Hunting & gathering)
5. आखेट - संग्रहण किन क्षेत्रों में किया जाता है ?
Ans-
निम्न अक्षांशिय क्षेत्र - आमेजन बेसीन, उष्ण कटिबंधीय अफ्रीका, न्यूगीनी एशिया के
आन्तरिक भाग। उच्च अक्षांशिय क्षेत्र - उत्तरी कनाडा, उत्तरी यूरोप, उत्तरी एशिया ।
6.
आखेटक
जाति |
देश
|
बुशमैन |
उत्तरी
कालाहारी |
औंका |
इक्वेडोर
|
पिग्मी |
कांगो |
पापुआन्स |
न्युगीनी |
रेड
इंडियन्स |
उत्तरी
अमेरिका |
पिंटुपी |
ऑस्ट्रेलिया |
इवेंकी |
रुस |
एस्किमों
झुइट |
उत्तरी
अमेरिका (USA, कनाडा) |
युकागिर |
साइबेरिया |
बिरहोर |
झारखण्ड
(भारत) |
पालियान |
भारत |
एनु |
जापान |
टोबा |
द०
अमेरिका |
7.
क्षेत्र |
पशुचारण
के जानवर |
सवाना - |
गाय,
बैल |
उष्ण मरुस्थल - |
ऊँट |
स्टेपीज
- |
भेड़-बकरियां |
टुण्ड्रा
- |
रेण्डियर |
एंडिज, अलास्का,तिब्बत - |
याक,
लामा |
8. चलवासी पशुचारण
- यह पशुओं पर आधारित जीवन निर्वाह करने की क्रिया है, जिसमें पशुओं के चारे पानी के
खोज में पशुओं के साथ विचरण करते हैं।
9.
पशुचारक
जाति |
देश/क्षेत्र |
मसाई
- |
अफ्रीका
के देशों में |
फुलानी
- |
नाइजीरिया |
बद्दू
- |
अरब |
खिरगिज
- |
मध्य
एशिया |
सेमांग
- |
मलेशिया |
गुर्जर, गद्दी, बकरवाल, भोटिया - |
हिमाचल
प्रदेश, उत्तराखण्ड |
10. ऋतु- प्रवास (Transhumance) - जब पशुचारक ऋतु परिवर्तन
के कारण चारे पानी की खोज में एक स्थान से दूसरे स्थान चले जाते हैं (जानवरों के साथ)
तो उसे ऋतु- प्रवास कहते है।
11. व्यापारिक पशुपालन - शुष्क एवं अर्द्धशुष्क क्षेत्रों
में बड़े पैमाने पर की जाने वाली पशुपालन, खासकर युरोपिय लोग जहाँ बसवास किया है। इसमें
पशुओं को प्राकृतिक घास पर निर्भर नही रहना पड़ता है बल्कि घास की खेती होती है।
12.
व्यापारिक
पशुपालन के क्षेत्र |
नाम |
(i) उत्तरी
अमेरिका |
प्रेयरी |
(ii) मध्य
अमेरिका |
लानोज |
(iii) दक्षिण
अमेरिका |
पम्पास |
(iv) आस्ट्रेलिया |
डाउन्स
|
(v) द०अफ्रीका |
वेल्डस |
(vi) युरोप
-एशिया |
स्टेपीज |
13. स्थानान्तरित कृषि - आदिकालीन निर्वाह कृषि को
स्थानांतरित कृषि कहते है। यह कृषि उष्ण कटिबंध क्षेत्र में झाड़ियों तथा पेड़ो को काटकर
साफ किया जाता है पुन: जब सुखती है तो उसे जला दिया जाता है, राख को मिट्टी के साथ
मिलाकर फसलों का उत्पादन करते हैं। दो-तीन वर्ष बाद ये दूसरे स्थान का चयन करते हैं
तथा यही प्रक्रिया दोहराते हैं।
14. भारत में स्थानांतरित कृषि किस नाम से जाना जाता है?
Ans
- झुमखेती
15.
देश |
स्थानांतरी
कृषि का नाम |
मैक्सिको |
मिल्पा |
बेनेजुएला |
कानुको |
ब्राजील |
रोका |
कांगो |
मासोल |
वियतनाम
लाओस |
रे
|
फिलीपीन्स |
कैंगिन |
श्रीलंका |
चेना |
जावा,
मलेशिया |
लदांग |
भारत |
झुम
(उ० पू० भारत), पेडा (म०प्र०),कुरुवा(झारखंड) |
16. गहन कृषि किन क्षेत्रों में की जाती है।
Ans-
धनी जनसंख्या वाले देशों में
17. जीवन निर्वाह कृषि से क्या समझते है ?
Ans-
वैसा कृषि जिसमें कृषक अपना और अपने परिवार का भरण-पोषण कृषि के माध्यम से करता है।
18. रोपण कृषि / व्यापारिक कृषि / नकदी कृषि में कौन से फसल होते हैं
Ans
- चाय, कहवा, रबड़, कपास, गन्ना, केला, कोको इत्यादि ।
19. रोपण कृषि के क्षेत्र - उष्ण एवं उपोष्ण कटिबंधीय,
एशिया, मध्य अमेरिका, अफ्रीका में।
20. मिश्रीत कृषि किसे कहते है ?
Ans
- कृषि के साथ-साथ फसल उत्पादन एवं पशुपालन किया आता है
21. डेयरी कृषि- इसमें दुग्ध उत्पादन के लिए पशुपालन किया
जाता है।
22. डेयरी कृषि के क्षेत्र - उ०प० युरोप, उ०पू० संयुक्त
रा. अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया
23. भूमध्यसागरीय कृषि- इस कृषि में खट्टे रसदार फलों
की खेती की जाती है जैसे - अंगूर, अंजीर, सेब, संतरा, etc. प्रमुख क्षेत्र - भूमध्य
सागरीय क्षेत्र, दक्षिण कैलिफोर्निया, मध्य-चीली, द०प०ऑस्ट्रेलिया।
24. सहकारी कृषि - इसमें कृष्ण सहकारी संस्था
का निर्माण कर मिलजुल कर कृषि करते हैं फसल उगाते है।
25.
सर्वप्रथम सहकारी कृषि की शुरुआत डेनमार्क से हुई
थी।
26.
सामुहिक कृषि को कोहलखोज के नाम से जानते हैं।
27.
कृषि को प्रभावित करने वाले कारक
1. भौतिक कारक - a. जलवायु (वर्षा, ताप) ,b. भूमि की
प्रकृति , c. मिट्टी की उर्वरता
2. आर्थिक कारक - a. बाजार, b. यातायात के साधन, c. श्रमिक, d. पूँजी
3. सामाजिक कारक - भोजन की रुचि
28. ट्रक फार्मिंग - बड़े महानगरों से सटे क्षेत्र
जहाँ फलों और सब्जियों की खेती की जाती है तथा इन उत्पादों को ट्रक के माध्यम से शहरों
तक भेजा जाता है ट्रक फार्मिंग कहते है। इसमें फल और सब्जियों के ऊंची कीमत वसूला जाता
है।
29. खनन - भूगर्भ से प्राकृतिक अवस्था में स्थित खनिजों
को खुदाई करके प्राप्त करना खनन कहलाता है।
30. खनिज - एक या अधिक तत्वों से मिलकर बनता है जिसका
एक निश्चित रासायनिक संघटन होता है।
31. खनिज दो प्रकार के होते हैं - धात्विक तथा अधात्वविक
32. धात्विक खनिज - लोहा, तांबा, सोना, चाँदी
33. अधात्विक खनिज - नमक, गंधक, कोयला, पेट्रोलियम
34.
खनिज
|
संसाधन
उपयोग |
प्रमुख
उत्पादक |
1. बॉक्साइट |
एलुमिनियम
का अयस्क |
आस्ट्रेलिया,
गिनी,ब्राजील |
2. क्रोमियम |
विद्युत
लेपन, मिश्र धातु |
द०
अफ्रीका, भारत |
3. तांबा |
बिजली
के तार, मिश्र धातु |
चीली,
USA, कनाडा |
4. सोना |
आभूषण
बनाने में |
चीन,द०अफ्रीका,USA,आस्ट्रेलिया |
5. लौह
अयस्क |
लोहा और इस्पात उत्पादन |
पूर्व
सोवियत संघ ,ब्राजील आस्ट्रेलिया, चीन |
6. सीसा |
बैटरी,
पाइप |
U.S.A, मैक्सिको |
7. मैग्नीज |
लोहा-इस्पात |
द०
अफ्रीका, गेबन |
8. निकेल |
स्टेनलेस
स्टील |
इण्डोनेशिया,
फिलीपीन्स |
9. चाँदी |
आभूषण,
बर्तन |
मेक्सिको,
पेरू |
10. टिन |
धातुओं
पर लेपन, डब्बा |
चीन,
इण्डोनेशिया |
11. टाइटेनियम |
मिश्र
धातु,पेंट |
चीन,
जापान |
12. जस्ता |
मिश्र
धातु |
चीन,
पेरू |
35. लोह अयस्क के किस्मे - (1) हेमेटाइट (2) मैग्नेटराइट
(3) सीडेराइट
36. कोयला के किस्में -
1.
एन्थ्रासाइट
2.
बिटुमिनस
3. लिग्नाइट
37.
कोयला अवसादी/ परतदार चट्टानों में पायी जाती है।
38.
डेम / बांध |
देश |
हुवर
- |
USA |
ओकोसोम्बों
- |
घाना |
D
V C के बांध - |
भारत |
39. खनिज तेल के प्रमुख उत्पादक देश - इराक, सउदी अरब,
कुवैत
40.
बाकू खनिज तेल का खनन केन्द्र है।