पाठ्यपुस्तक से हल प्रश्न
प्रश्न 1. उपनिवेशवाद का हमारे
जीवन पर किस प्रकार प्रभाव पड़ा है? चर्चा करें।
> अथवा उपनिवेशवाद का हमारे जीवन पर किस प्रकार का प्रभाव पड़ा है?
आप या तो किसी एक पक्ष जैसे संस्कृति या राजनीति को केन्द्र में रखकर, या सारे पक्षों
को जोड़कर विश्लेषण कर सकते हैं।
उत्तर:
उपनिवेशवाद का अर्थ: एक स्तर पर, एक देश के द्वारा दूसरे देश पर शासन को उपनिवेशवाद
माना जाता है। आधुनिक काल में भारत में पश्चिमी उपनिवेशवाद का सबसे ज्यादा प्रभाव रहा
है।
उपनिवेशवाद
का प्रभाव यहाँ पर उपनिवेशवाद के सारे पक्षों को जोड़कर विश्लेषण किया गया है।
(1)
उपनिवेशवाद का राजनीतिक एवं सांस्कृतिक क्षेत्र में प्रभाव: हमारे देश में स्थापित
संसदीय, विधि एवं शिक्षा व्यवस्था ब्रिटिश प्रारूप व प्रतिमानों पर आधारित है। हमारा
सड़कों पर बाएँ चलना; सड़क के किनारे रेहड़ी व गाड़ियों पर 'ब्रेड-ऑमलेट' और 'कटलेट'
जैसी चीजों का मिलना आदि ब्रिटिश प्रतिमानों की देन हैं । अनेक स्कूलों में 'नेक -
टाई' पोशाक का एक अनिवार्य हिस्सा है, जो पश्चिम की देन है। इस प्रकार हमारे दैनिक
जीवन में अनेकों चीजें ऐसी उपयोग में आ रही हैं जो पश्चिमी प्रभाव को दर्शाती हैं।
इस प्रकार ब्रिटिश उपनिवेशवाद अब भी हमारे राजनीतिक, सांस्कृतिक जीवन का एक जटिल हिस्सा
है।
(2)
उपनिवेशवाद का आर्थिक प्रभाव: ब्रितानी उपनिवेशवाद ने प्रत्यक्ष रूप से आर्थिक व्यवसाय
में बड़े पैमाने पर हस्तक्षेप किए। इससे ब्रितानी पूँजीवाद का विस्तार हुआ और उसे मजबूती
मिली। इन्होंने भूमि सम्बन्धी नियमों को बदल दिया। इसका प्रभाव निम्न पड़ा
1.
कौन सी फसल उगाई जाए, कौन सी नहीं यह व्यक्ति/जनता खुद निश्चित नहीं कर सकती थी।
2.
जंगल को नियंत्रित एवं प्रशासित करने के लिए जो कानून बनाए गए उसके तहत ग्रामीणों,
चरवाहों व गड़रियों का जंगल में आना - जाना प्रतिबंधित हो गया।
3.
इससे पशुओं के लिए चारा इकट्ठा करना दुर्लभ हो गया।
4.
बंगाल में रेलवे की शुरुआत से जंगल का एक बड़ा भाग आरक्षित कर दिया गया जिससे आदिवासी
समुदाय जो सदियों से वहाँ जीवनयापन करते आए थे। वे भी प्रशासकीय नियंत्रण में आ गए।
(3)
व्यक्तियों की आवागमन में वृद्धि: उपनिवेशवाद ने व्यक्तियों की आवाजाही को भी बढ़ाया।
चाय बागानों में मजदूरी करने बहुत से लोग असम व देश के अन्य हिस्सों में गए। इस काम
में विभिन्न पेशेवर लोग जैसे डॉक्टर, वकील एक नया वर्ग पैदा हुआ जिन्हें उपनिवेशवादी
शासन ने देश के विभिन्न भागों में सेवा के लिए चुना। इन्होंने देश के विभिन्न भागों
में अपनी सेवाएँ दी थीं। कुछ भारतीय मजदूरों एवं दक्ष सेवाकर्मियों को जहाजों के माध्यम
से एशिया, अफ्रीका और अमेरिका में स्थित अन्य उपनिवेशों में भी भेजा गया, जिनमें कुछ
वहीं बस गये। आज उन भारतीयों को 'भारतीय मूल' का माना जाता है। दुनिया के अनेक देशों
में भारतीय मूल के लोग पाये जाते हैं जो वस्तुतः भारत के उपनिवेशवादी शासन के दौरान
उन देशों में पहुंचे।
(4)
अन्य प्रभाव: ब्रिटिश उपनिवेशवाद के भारतीय जीवन पर पड़े कुछ अन्य प्रभाव निम्नलिखित
हैं।
1.
पश्चिम शिक्षा पद्धति से भारतीयों में राष्ट्रवादी चेतना एवं उपनिवेश विरोधी चेतना
का उद्भव हुआ।
2.
भारत में पूँजीवाद के विकास के कारण उपनिवेशवाद प्रबल हुआ। पूँजीवाद के कारण औद्योगीकरण
व नगरीकरण का उद्भव हुआ।
3.
उपनिवेशवाद के कारण भारतीय कुटीर उद्योग-धन्धे नष्ट हो गए और अधिकांश भारतीयों को ऑफिस,
दुकानों और कारखानों में कार्य करना पड़ा।
4.
औपनिवेशवाद से लोगों की सोच, पोशाक में भी परिवर्तन आया।
5.
उपनिवेशवाद के प्रभावस्वरूप भारत के परम्परागत ढंग से होने वाले विभिन्न व्यवसाय उदाहरण-रेशम
और कपास के उत्पादन और निर्यात में निरन्तर गिरावट आई।
6.
उपनिवेशवाद के फलस्वरूप भारत के कुछ प्राचीन व्यापारिक नगर जैसे सूरत, मसुलीपट्नम का
अस्तित्व कमजोर होने लगा जबकि आधुनिक नगर जैसे बम्बई, मद्रास, कलकत्ता उपनिवेशवादी
शासन में प्रचलित हुए और मजबूत होते गए।
7.
उपनिवेशवाद के फलस्वरूप कुछ राज्यों की राज्यसभाओं का विघटन हो गया, इसका परिणाम इन
राजसभाओं के संरक्षण में कार्यरत कारीगर, कलाकार और कुलीन लोगों का भी पतन हुआ।
उपर्युक्त
बिन्दुओं से स्पष्ट होता है कि औपनिवेशवाद ने हमारे जीवन के लगभग समस्त पहलुओं को प्रभावित
किया। इसके कुछ प्रभाव हमारे जीवन पर अच्छे पड़े, कुछ खराब ।
प्रश्न 2. औद्योगीकरण और नगरीकरण
किस प्रकार संबंधित हैं ? स्पष्ट करें।
> अथवा औद्योगीकरण और नगरीकरण
का परस्पर सम्बन्ध है, विचार करें।
उत्तर:
औद्योगीकरण से आशय: औद्योगीकरण का सामान्य अर्थ होता है-उद्योगों का विकास। औद्योगीकरण
का सम्बन्ध यांत्रिक उत्पादन के उदय से है जो शक्ति के गैर-मानवीय संसाधन, जैसे-वाष्प
या विद्युत पर निर्भर होता है। औद्योगिक समाजों में ज्यादा से ज्यादा रोजगारवृत्ति
में लगे लोग कारखानों, ऑफिसों और दुकानों में कार्य करते हैं। औद्योगिक परिवेश में
कृषि सम्बन्धी व्यवसाय में लगे लोगों की संख्या कम होती जाती है।नगरीकरण से आशय-नगरीकरण
का सामान्य अर्थ बढ़ते हुए भूमंडलीकरण द्वारा शहरों के अत्यधिक प्रसार से है। नगरों,
कस्बों तथा महानगरों का विकास शहरीकरण को बताता है। नगरीकरण की प्रक्रिया में देश या
राष्ट्र का एक बहुत बड़ा भाग ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी क्षेत्रों की ओर रुख करता है।
(अ)
औद्योगीकरण और नगरीकरण साथ: साथ चलने वाली प्रक्रियाएँ हैं-औद्योगीकरण शहरीकरण के विकास
का सर्वाधिक शक्तिशाली कारक है। उन देशों में जहाँ औद्योगीकरण अपना स्थान लेता है,
वहाँ कुटीर उद्योगधन्धों का पतन होने लगता है। कुटीर उद्योग-धन्धों का पतन होने के
पश्चात् इसमें कार्यरत व्यक्तियों को रोजगार व व्यवसाय की तलाश में कारखानों में आना
पड़ता है। इस तरह धीरे-धीरे नगरीकरण की प्रक्रिया प्रारम्भ हो जाती है। क्योंकि कारखानों
में कार्यरत व्यक्तियों के लिए सड़कें, रोजमर्रा के सामान हेतु दुकानें, यातायात के
साधन, अस्पताल, बच्चों के लिए स्कूल, कॉलेज व अन्य की सुविधा, कारखानों के मालिक व
प्रशासन के द्वारा की जाती है। धीरे - धीरे इसका विकास होता जाता है, जहाँ जितने कारखाने
खुलते जाते हैं, उसी के अनुसार नगरों का विस्तार भी बढ़ता जाता है। अतः औद्योगीकरण
व नगरीकरण साथ चलने वाली प्रक्रियाएँ हैं।.
(ब)
भारत में ब्रिटिश औद्योगीकरण ने नगरीय क्षरण को बढ़ावा दिया: भारत में उपनिवेश काल
में औद्योगीकरण की प्रक्रिया साथ-साथ नहीं चली। इसमें ब्रिटिश औद्योगीकरण का उल्टा
असर हुआ अर्थात् कुछ क्षेत्रों में औद्योगिक क्षरण हुआ। भारत में कुछ पुराने परम्परात्मक
नगरीय केन्द्रों का भी पतन हो गया था। औद्योगीकरण के कारण भारत के कुछ प्रमुख शहर जैसे
- तंजौर, ढाका तथा मुर्शिदाबाद का पतन हो गया।
प्रश्न 3. किसी ऐसे शहर या नगर को चुनें जिससे आप भली - भाँति परिचित
हैं। उस शहर / नगर के इतिहास, उसके उद्भव और विकास तथा समसामयिक स्थिति का विवरण दें।
उत्तर:
कलकत्ता: भारत के चार महानगरों में से एक महानगर कोलकाता है जिसका पहले नाम कलकत्ता
था। यह पहला नगर था जिसका विकास औपनिवेशिक काल में हुआ था। इतिहास, उद्भव एवं विकास-सन्
1690 में एक अंग्रेजी व्यापारी, जिसका नाम जॉब चारनॉक था, ने हुगली नदी के तट से लगे
तीन गाँवों - कोलीकाता, गोविन्दपुर और सुतानुती को पट्टे पर लिया था। उसका उद्देश्य
उन तीनों गाँवों में व्यापार के अड्डे बनाना था। कलकत्ता को इन तीन गाँवों को मिलाकर
बनाया गया। कम्पनी ने इन तीनों में सबसे दक्षिण में पड़ने वाले गोविन्दपुर गाँव की
जमीन को साफ करने के लिए वहाँ के व्यापारियों और बुनकरों को हटने के आदेश जारी कर दिये
और सन् 1698 में फोर्ट विलियम की स्थापना, रक्षा और सैन्य बल को गठित करने के उद्देश्य
से हुई। फोर्ट और उसके आस-पास का खुला क्षेत्र अर्थात् मैदान थे जहाँ सैन्य बलों के
डेरे थे।
इस
तरह कलकत्ता नगर का केन्द्र बना। जब अंग्रेजों को कलकत्ता में अपनी उपस्थिति स्थायी
दिखाई देने लगी तो वे फोर्ट से बाहर मैदान के किनारे पर भी आवासीय इमारतें बनाने लगे।
यहाँ से नगर का आगे विकास हुआ। बड़े पैमाने पर आयात-निर्यात-समुद्रतटीय होने के कारण
इन जगहों से उपभोग की आवश्यक वस्तुओं का निर्यात आसानी से किया जा सकता था। साथ ही,
यहीं से उत्पादित वस्तुओं का सस्ती लागत से आयात भी किया जा सकता है। औपनिवेशिक भारत
में कलकत्ता को इस प्रकार सुनियोजित ढंग से विकसित किया कि सन् 1900 तक कोलकाता से
जूट (पटसन) का निर्यात होता था। कोलकाता की भौगोलिक स्थिति के कारण ही धीरे-धीरे बड़े
पैमाने पर आयात - निर्यात होता रहा और विभिन्न कारखानों का निर्माण होता गया और आज
एक महानगर के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहा है।
प्रश्न 4. आप एक छोटे कस्बे में या बहुत बड़े शहर, या अर्धनगरीय स्थान,
या एक गाँव में रहते हैं
(अ) जहाँ आप रहते हैं उस जगह का वर्णन करें।
(ब) वहाँ की विशेषताएँ क्या हैं, आपको क्यों लगता है कि वह एक कस्बा
है शहर नहीं, एक गाँव है कस्बा नहीं या शहर है गाँव नहीं?
(स) जहाँ आप रहते हैं क्या वहाँ कोई कारखाना है ?
(द) क्या लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती है ?
(य) क्या व्यवसाय वहाँ निर्णायक रूप में प्रभावशाली है ?
(र) क्या वहाँ इमारतें हैं ?
(ल) क्या वहाँ शिक्षा की सुविधाएँ उपलब्ध हैं ?
(व) लोग कैसे रहते और व्यवहार करते हैं ?
(श) लोग किस तरह बात करते हैं और कैसे कपड़े पहनते हैं?
उत्तर:
(अ और ब): हम एक बड़े शहर हजारीबाग में रहते हैं। हज़ारीबाग जिला का निर्माण सन
1886 मे किया गया था। 1854 में दक्षिण-पश्चिम सीमांत एजेंसी के पदनाम को छोटा नागपुर
में बदल दिया गया और यह तत्कालीन बिहार के लेफ्टिनेंट गवर्नर के अधीन एक गैर-नियमन
प्रांत के रूप में प्रशासित होने लगा | 1855-56 में अंग्रेजों के खिलाफ संथालों के
महान विद्रोह था, लेकिन बेरहमी से दबा दिया गया था ।
1991
की जनगणना के बाद शीघ्र ही हजारीबाग को तीन पृथक जिलों यथा हजारीबाग, चतरा एवं कोडरमा
में विभाजित कर दिया गया है । दो सब-डिवीजनों नामतः चतरा और कोडरमा को स्वतंत्र जिलों
की स्थिति में अपग्रेड किया गया ।
खूबसूरत
पर्यटक स्थलों से भरा हजारीबाग झारखंड में स्थित है। हजारीबाग का अर्थ होता है हजार
बागों वाला और यह दो शब्दों हजार और बाग से मिलकर बना है। यहां पर 2019 फीट की ऊंचाई
पर हैल्थ हिल रिसोर्ट का निर्माण किया गया है। यह रिसोर्ट प्रकृति की गोद में बसा हुआ
है और बहुत खूबसूरत है। इस हैल्थ रिसोर्ट में प्रकृति की गोद में रहकर स्वास्थ्य लाभ
लिया जा सकता है। स्वास्थ्य लाभ करने के साथ-साथ यहां कई खूबसूरत पर्यटक स्थलों की
सैर की जा सकती है। इन पर्यटक स्थलों में हजारीबाग झील प्रमुख है जहां पर वाटर स्पोटर्स
का आनंद लिया जा सकता है। हजारीबाग वन्य जीव अभयारण्य, कैनेरी पहाड़ी और रजरप्पा इसके
अन्य प्रमुख पर्यटक स्थल हैं।
(स)
यहाँ सांगानेरी प्रिंट, बगरू प्रिंट, ब्लू पॉटरी, सीमेन्ट उद्योग सहित कई अन्य कारखाने
हैं। यहाँ का जवाहरात का व्यवसाय भी बहुत प्रसिद्ध है।
(द)
नहीं, यहाँ के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती नहीं है।
(य)
नहीं, यहाँ व्यवसाय मुख्य निर्णायक रूप में प्रभावशाली नहीं है। यहाँ नौकरीपेशा लोग
भी काफी रहते हैं।
(र)
हाँ, यहाँ विभिन्न इमारतें भी हैं।
(ल)
हाँ, यहाँ उच्च शिक्षा की सुविधाएँ भी उपलब्ध हैं।
(व)
यहाँ के लोग कुछ क्षेत्र में परम्परावादी हैं जैसे तीज-त्यौहार मनाने में व अन्य कुछ
प्रथा परम्पराओं के पालन में, लेकिन अधिकांश लोगों का जीवन जीने का ढंग आधुनिक ही है।
(श)
यहाँ के लोगों का व्यवहार बहुत अच्छा होता है। यहाँ के लोगों द्वारा की जाने वाली मेजबानी
काफी प्रसिद्ध है। यद्यपि यहाँ की परम्परागत पोशाकें-लहँगा-ओढ़नी, धोती-कुर्ता व साफा
हैं, लेकिन आज की युवा पीढ़ी आज के आधुनिक परिधान ही पहनना पसन्द कर रही है। इस प्रकार
शहर के लोगों का पहनावा मिश्रित है। कुछ लोग जहाँ आधुनिक फैशन से प्रेरित पोशाकें:
पेंट - शर्ट, टाई, जीन्स आदि पहनते हैं, तो कुछ लोग कुर्ता-पायजामा, कुर्ताधोती, साफा,
सलवार-सूट, साड़ी, लहँगा-ओढ़नी आदि पहनते हैं।