(समय: 3 घंटे 15 मिनट) पुर्णांक : 80
परीक्षार्थियों के लिए निर्देश :
1. यह प्रश्न-पत्र दो खण्डों
में है - खण्ड-अ एवं खण्ड-ब
2. खण्ड-अ में कुल 40 बहुविकल्पीय
प्रश्न हैं। सभी प्रश्न अनिवार्य हैं। प्रत्येक प्रश्न की अधिमानता 1 अंक की है। प्रत्येक
प्रश्न में चार विकल्प दिए गये हैं। इनमें से सबसे उपयुक्त उत्तर को आप अपने OMR उत्तर
पत्रक पर ठीक-ठीक गहरा काला करें। नीला या काला बॉल-प्वाइंट कलम का ही प्रयोग करें।
पेंसिल का प्रयोग वर्जित है। आप अपना पूरा हस्ताक्षर OMR उत्तर पत्रक में दी गयी जगह
पर करें।
3. खण्ड-ब में तीन खण्ड- क,
ख एवं ग है और कुल प्रश्नों की संख्या 19 है। प्रश्न- संख्या 1-7 अतिलघु उत्तरीय प्रकार
के हैं। इनमें से किन्हीं पाँच प्रश्नों के उत्तर अधिकतम एक वाक्य में दीजिए। प्रत्येक
प्रश्न की अधिमानता 2 अंक निर्धारित हैं।
प्रश्न-
संख्या 8-14 लघु उत्तरीय प्रकार के हैं। इनमें से किन्हीं पाँच प्रश्नों के उत्तर
अधिकतम 50 शब्दों में दीजिए। प्रत्येक प्रश्न की अधिमानता 3 अंक निर्धारित हैं।
प्रश्न-
संख्या 15-19 दीर्घ उत्तरीय प्रकार के हैं। इनमें से किन्हीं तीन प्रश्नों के
उत्तर अधिकतम 100 शब्दों में दीजिए। प्रत्येक प्रश्न की अधिमानता 5 अंक निर्धारित
हैं।
4. OMR उत्तर पत्रक के पृष्ठ
2 पर प्रदत्त सभी निर्देशों को ध्यानपूर्वक पढ़ें तथा उसके अनुसार कार्य करें। कृपया
परीक्षा भवन छोड़ने से पहले OMR उत्तर पत्रक वीक्षक को लौटा दीजिए। प्रश्न पुस्तिका
आप अपने साथ ले जा सकते हैं।
खण्ड-अ (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
प्रश्न- संख्या 1 से 40 तक के प्रत्येक प्रश्न के साथ चार विकल्प दिये गये हैं.. जिनमें से एक सही है। अपने द्वारा चुने गये सही विकल्प को OMR शीट पर चिह्नित करें। 40 x 1 = 40
1. उदारीकरण
से क्या अर्थ निकलता है ?
(1) समाजवाद
(2) मनुष्य का उदार होना
(3) काफी उन्नति होना
(4) मुक्त बाजार
व्यवस्था
2. स्वामी सहजानन्द
सरस्वती का संबंध है
(1) साम्यवादी आंदोलन से
(2) किसान आंदोलन
से
(3) मजदूर आंदोलन से
(4) इनमें से कोई नहीं
3. 'सीटू' किस
राजनीतिक दल से जुड़ा है ?
(1) कांग्रेस
(2) बी० जे० पी०
(3) सी०पी०एम०
(4) सी० पी०आई०
4. संविधान के
कौन-से संशोधनों के द्वारा स्थानीय स्वशासन निकायों में महिलाओं के प्रतिनिधित्व को
बढ़ाने की कोशिश की गई है?
(1) 51 वाँ एवं 52वाँ
(2) 73वाँ एवं
74वाँ
(3) 81वाँ एवं 82वाँ
(4) इनमें से कोई नहीं
5. कौन-सा आदिवासी
समाज मातृ प्रधान है ?
(1) संथाल
(2) मुण्डा
(3) गारो
(4) इनमें से कोई नहीं
6. आत्म सम्मान
आंदोलन के प्रणेता कौन थे?
(1) कर्पूरी ठाकुर
(2) राम मनोहर लोहिया
(3) रामास्वामी
नायकर
(4) काशीराम
7. निम्न में
से किस आंदोलन का संबंध पर्यावरण समस्याओं से जुड़ा हुआ है?
(1) दलित आंदोलन
(2) आदिवासी आंदोलन
(3) चिपको आंदोलन
(4) पिछड़ी जाति आंदोलन
8. भारत में
जनाधिक्य का मूल कारण क्या है ?
(1) पर्यावरण
(2) प्रजनन शक्ति
(3) सामाजिक-सांस्कृतिक
कारक
(4) इनमें से कोई नहीं
9. भारत में
नारीवादी आंदोलन के पुरोधा के रूप में किनकी पहचान है ?
(1) सुचेता कृपलानी
(2) सरोजिनी
नायडू
(3) इंदिरा गाँधी
(4) कमला नेहरू
12th History Model Set-1 2022-23
10. छुआछूत को
संविधान के किस अनुच्छेद के अंतर्गत प्रतिबंधित किया गया है ?
(1) अनुच्छेद 14
(2) अनुच्छेद
17
(3) अनुच्छेद 25
(4) अनुच्छेद 27
11. निम्न में
से कौन जनजातीय समाज की समस्या नहीं है ?
(1) भूमि विलगाव
(2) छुआछूत
(3) (1) और (2) दोनों
(4) इनमें से कोई नहीं
12. निम्न में
से किसने जाति प्रथा की उत्पत्ति पर प्रजातीय दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है ?
(1) मार्गन
(2) रिजले
(3) नेसफील्ड
(4) ए. आर. देसाई
13. हरित क्रांति
का उत्प्रेरक कौन है ?
(1) नदियाँ
(2) संकरित बीज
(3) उपजाऊ जमीन
(4) वर्षा
14. किसने सीमांत
मानव की अवधारणा दी है ?
(1) मार्क्स
(2) पारसन्स
(3) रॉबर्ट ई०
पार्क
(4) जानसन
15. पश्चिमीकरण
की अवधारणा किसके द्वारा दी गई है ?
(1) ऑगबर्न
(2) एम. एन.
श्रीनिवासन
(3) मैकाइवर
(4) आर० के० मुखर्जी
16. जातीय पूर्वाग्रह
का क्या अर्थ है?
(1) जाति वर्गीकरण
(2) किसी जाति में प्रवेश पाने
के लिए किया गया प्रयास
(3) जाति संघर्ष
(4) किसी जाति
से संबंधित अवैज्ञानिक एवं गलत अवधारणा
17. निम्न में
से कौन परिवार की विशेषता है ?
(1) सार्वभौमिकता
(2) सीमित आकार
(3) भावनात्मक आधार
(4) इनमें से
सभी
18. वहुपति विवाह
किस जनजाति में पाया जाता है?
(1) संथाल
(2) टोंडा
(3) मुंडा
(4) खस
12th History Model Set-2 2022-23
19. राष्ट्रवाद
का अर्थ है
(1) सामान्य सामाजिक पृष्ठभूमि
(2) सामान्य जाति पृष्ठभूमि
(3) सामान्य भौगोलिक पृष्ठभूमि
(4) इनमें से
कोई नहीं
20. निम्नलिखित
में से कौन भारतीय समाज की विशेषता है?
(1) अनेकता में एकता
(2) संस्कारों द्वारा समाजीकरण
(3) पुरुषार्थ
(4) इनमें से
सभी
21. जमींदारी
उन्मूलन अधिनियम किस वर्ष पारित किया गया ?
(1) 1961
(2) 1948
(3) 1951
(4) 1955
22. 'चाचा' नातेदारी
के किस श्रेणी के अंतर्गत आता है?
(1) प्राथमिक
(2) द्वितीयक
(3) तृतीयक
(4) इनमें से कोई नहीं
23. पंचायती
राज में कितने स्तर हैं?
(1) दो
(2) तीन
(3) चार
(4) पाँच
24. संस्कृतिकरण
की अवधारणा किसने विकसित की ?
(1) एस० सी० दूबे
(2) एम. एन.
श्रीनिवास
(3) सच्चिदानंद सिन्हा
(4) योगेन्द्र सिंह
25. 'मुण्डा
विद्रोह' का नेतृत्व किसने किया था ?
(1) जतरा भगत
(2) बिरसा मुण्डा
(3) सिधो-कान्हो
(4) करिया मुण्डा
26. पंचायत समिति
का अध्यक्ष कौन होता है ?
(1) सी०ओ०
(2) प्रमुख
(3) मुखिया
(4) बी०डी०ओ०
27. चिपको आंदोलन
संबंधित है
(1) वृक्षों
की रक्षा से
(2) जल की रक्षा से
(3) पशुओं की रक्षा से
(4) खनिजों की रक्षा से
28. सामुदायिक
विकास योजना का मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित में से क्या था ?
(1) ग्रामीण उद्योग का विकास
(2) ग्रामीण बेरोजगारों को
रोजगार
(3) कृषि उत्पादन में वृद्धि
(4) गाँवों का
सर्वांगीण विकास
29. हिन्दू विवाह
अधिनियम पारित हुआ
(1) 1950 में
(2) 1954 में
(3) 1955 में
(4) 1976 में
30. किसने कहा
"नगरीयता एक जीवन पद्धति है" ?
(1) रौस
(2) बर्गल
(3) विर्थ
(4) कारपेन्टर
31. जाति व्यवस्था
की उत्पत्ति संबंधी देवत्व का सिद्धान्त किस वेद में वर्णित है ?
(1) अथर्ववेद
(2) सामवेद
(3) ऋग्वेद
(4) यजुर्वेद
32. ब्राह्मणीकरण
की अवधारणा किसने विकसित की?
(1) एम. एन. श्रीनिवास
(2) ए. आर. देसाई
(3) एस० सी० दूबे
(4) जी० एस०
घुरिये
33. निम्न में
से कौन भारतीय जनजातियों के लिए "अलगाव की नीति" की वकालत की?
(1) बेली
(2) घुरिये
(3) एल्विन
(4) मजुमदार
34. समाजशास्त्र
का जनक किन्हें कहा जाता है ?
(1) कॉम्टे
(2) दुर्खीम
(3) अम्बेदकर
(4) मैक्स वेबर
35. भारतीय राष्ट्रीय
कांग्रेस की स्थापना किसने की थी ?
(1) राजेन्द्र प्रसाद
(2) महात्मा गाँधी
(3) ए० ओ० ह्यूम
(4) मोतीलाल नेहरू
36. ग्रामीण
एवं नगरीय समाज को पृथक् करने का आधार है
(1) जनसंख्या का आकार
(2) उपभोग की प्रकृति
(3) व्यवसाय
की प्रकृति
(4) सामाजिक संबंधों की प्रकृति
37. क्षेत्रवाद
की समस्या का मूल कारण है
(1) सांस्कृतिक
भिन्नता
(2) आर्थिक भिन्नता
(3) जैविकीय भिन्नता
(4) नैतिक भिन्नता
38. 'मेहर' शब्द
किस धर्म से संबंधित है ?
(1) हिन्दू
(2) मुस्लिम
(3) सिख
(4) इनमें से कोई नहीं
39. जनजाति समाजों
में निम्न में से क्या नहीं पाया जाता है ?
(1) श्रम विभाजन
(2) युवागृह
(3) महिला की आजादी
(4) सरल अर्थव्यवस्था
40. बाजार क्या
है ?
(1) एक संस्था
(2) एक सामाजिक समूह
(3) एक समुदाय
(4) इनमें से कोई नहीं
खण्ड-ब (विषयनिष्ठ प्रश्न)
खण्ड-क (अतिलघु उत्तरीय प्रश्न)
किन्हीं पाँच प्रश्नों
के उत्तर दीजिए । 2 x 5 = 10
1. लिंग अनुपात
का क्या अर्थ है ?
उत्तर-लिंग-अनुपात को स्त्री-पुरुष
अनुपात भी कहा जाता है। इस अनुपात को स्त्रियों की संख्या को पुरुषों की संख्या से
भाग देने के पश्चात 1000 से गुणा करके प्राप्त किया जाता है। भारत में लिंगानुपात से
तात्पर्य प्रति एक हजार पुरुषों में महिलाओं की संख्या से है। स्त्री-पुरुष अनुपात
जनसंख्या में लैंगिक संतुलन का एक महत्त्वपूर्ण सूचक है।
2. सावित्रीबाई
फुले कौन थीं?
उत्तर - सावित्रीबाई फुले
(1831-1897 ) देश में बालिकाओं के लिए बने पहले विद्यालय की पहली प्रधानाध्यापिका थीं
जो पुणे में स्थापित किया गया था।
3. 'BPO' क्या
है?
उत्तर - 'BPO' का पूरा रूप
है 'बिजनेस प्रोसेस आऊटसोर्सिंग'। यह सॉफ्टवेयर सेवा उद्योग और व्यापार में बाह्य स्रोतों
के प्रयोग का उद्योग कहा जाता है, जैसे कॉलसेंटर। यह उन प्रमुख उद्योगों में से है
जिसके माध्यम से भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था से जुड़ता जा रहा है।
4. 'दवाव समूह'
से आप क्या समझते हैं?
उत्तर - जब कोई हित समूह अपने
उद्देश्यों अर्थात अपने हितों की पूर्ति के लिए सरकार पर दबाव बनाने लगता है तब उसे
दबाव समूह कहते हैं। ऐसे समूह अपने सदस्यों के हितों के अनुरूप कानून बनाने या संशोधन
करने के लिए जन प्रतिनिधियों को प्रभावित करने लगते हैं तो इन्हें दबाव समूह कहते हैं।
5. जनसंपर्क
के साधन को 'मास मीडिया' क्यों कहते हैं?
उत्तर - जनसंपर्क के साधन अनेक
प्रकार के होते हैं- टेलीविजन, समाचारपत्र, फिल्में, रेडियो आदि। उन्हें मास मीडिया
इसलिए कहा जाता है क्योंकि वे एक साथ बहुत बड़ी संख्या में दर्शकों, श्रोताओं एवं पाठकों
तक पहुँचते हैं।
6. 'तिभागा'
आंदोलन क्या था ?
उत्तर - ब्रिटिश काल में एक
महत्त्वपूर्ण आंदोलन हुआ जिसे तिभाग या तिभागा आंदोलन कहते हैं। बंगाल प्रेसिडेंसी
इसका प्रमुख क्षेत्र था। यह आंदोलन 1946-47 में हुआ। यह आंदोलन बँटाईदारों का था जो
फसल का दो-तिहाई हिस्सा अपने पास रखना चाहते थे, न कि आधा या इससे भी कम । यह आंदोलन
वास्तव में छोटे किसानों का था । ए० आर० देसाई कहते हैं कि यह आंदोलन वस्तुतः एक आर्थिक
संघर्ष था; लेकिन इसने राजनीतिक रंग ले लिया।
7. औद्योगीकरण
से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर- औद्योगीकरण का संबंध
यांत्रिक उत्पादन के उदय से है। यह शक्ति के गैरमानवीय संसाधन जैसे वाष्प या विद्युत
पर अधिक निर्भर होता है। दूसरे शब्दों में, यह प्रौद्योगिकी उन्नति की वह प्रक्रिया
है जो सामान्य उपकरणों से चलनेवाले घरेलू उत्पादन से लेकर वृहदस्तरीय कारखानों के उत्पादन
तक संपन्न होती है।
खण्ड ख (लघु उत्तरीय प्रश्न)
किन्हीं पाँच प्रश्नों
के उत्तर दीजिए। 3 × 5 = 15
8. आधुनिकीकरण
की प्रमुख विशेषताओं की चर्चा करें।
12th Political Science Model Set-1 (2022-23)
उत्तर- आधुनिकीकरण की दो विशेषताएँ-
(1) नगरीकरण
: आधुनिकीकरण की महत्वपूर्ण विशेषता नगरीकरण है। नगरीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें
नगरों का उद्भव, प्रसार एवं विकास होता है, जिसमें व्यक्ति नवीन जीवन पद्धति, मूल्यों,
आर्थिक उन्मेषों, उत्पादन प्रविधियों तथा नई मनोवृत्तियों का सृजन कर जीवन निर्वाह
करती है। इसके परिणामस्वरूप परम्परावादी दृष्टिकोण तथा विचार समाप्त होने लगते हैं
और समाज में आधुनिकीकरण की प्रक्रिया क्रियाशील होने लगती है।
(2) औद्योगीकरण
: औद्योगीकरण, आधुनिकीकरण की आत्मा है। औद्योगीकरण आर्थिक विकास की एक ऐसी प्रक्रिया
है जिसमें प्रौद्योगिकी पर आधारित मशीनों के द्वारा अधिकाधिक मात्रा में आधुनिक वस्तुओं
का निर्माण कर बाजारों का विस्तार किया जाता है।
9. भारत में
हरित क्रांति की प्रमुख विशेषताओं की चर्चा करें।
उत्तर- भारत में हरित क्रांति
की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
(1) अधिक उपज देने वाली फसलों
के कार्यक्रम लागू किए गए।
(2) बहुफसल कार्यक्रम आरंभ
किया गया।
(3) हरित क्रांति के लिए जरूरी
था कि खेती वर्षा पर निर्भर न रहे। इसके लिए बड़ी-छोटी सिंचाई की योजनाएँ बनायी गयीं।
(4) सरकार द्वारा रासायनिक
खादों के उपयोग पर बल दिया गया।
(5) कृषि उत्पादन बढ़ाने के
लिए नई तकनीक तथा कृषकों को प्रशिक्षण दिया गया।
10. भारत में
नगरीकरण की प्रमुख प्रवृत्ति की चर्चा करें।
उत्तर - नगरीकरण ने विभिन्न
रूपों में भारतीय सामाजिक संरचना को प्रभावित किया है। इसने सम्पूर्ण सामाजिक, आर्थिक,
धार्मिक और राजनीतिक आदि गतिविधियों में आमूल परिवर्तन लाये है। इसके प्रभावों को निम्न
रूप में समझा जा सकता है-
(1) जाति व्यवस्था में परिवर्तन
: भारतीय सामाजिक संरचना का महत्वपूर्ण एवं सशक्त आधार जाति-व्यवस्था रही है। इस व्यवस्था
में व्यक्ति को जन्म से ही उसका कर्म, हैसियत तथा पद निर्धारित रहे। नगरों की जीवन-शैली
जाति-व्यवस्था के प्रतिकूल हैं।
(2) परिवार व्यवस्था में परिवर्तन
: नगरीकरण ने भारतीय परिवार को प्रभावित किया है। भारत में संयुक्त परिवार की परम्परा
रही। इसका आधार विभिन्न पीढ़ियों के सदस्यों का एक साथ रहना, एक साथ खाना, सम्पत्ति
का संयुक्त होना, संस्कारों में एक साथ भाग लेना आदि था।
(3) ग्रामीण समुदाय में परिवर्तन
: नगरीकरण ने ग्रामीण समुदाय को प्रभावित किया है। नगरों में नागरिक जीवन की सुविधाएँ
शिक्षा एवं रोजगार के अवसर तथा चिकित्सा की व्यवस्था आदि अधिक उपलब्ध हैं। इन सुविधाओं
ने ग्रामीणों को अपनी ओर आकर्षित किया है।
11. भारतीय जाति
व्यवस्था पर पड़ने वाले औद्योगीकरण के प्रभावों की चर्चा करें।
उत्तर- भारतीय जन-जीवन का शायद
ही कोई ऐसा पक्ष हो, जो आधुनिकीकरण की प्रक्रिया से अछूता रहा है। इसके प्रभावों को
निम्न रूप में समझा जा सकता है-
(1) परिवार एवं आधुनिकीकरण
: आधुनिकीकरण ने भारतीय परिवार को काफी प्रभावित किया है। आज संयुक्त परिवार के स्थान
पर छोटे-छोटे एकाकी परिवार बन रहे हैं। परिवार में सामूहिकता की जगह व्यक्तिवाद उभर
रहा है।
(2) जाति एवं आधुनिकीकरण
: भारतीय समाज की एक अनोखी विशेषता के रूप में जाति व्यवस्था रही। इस व्यवस्था में
व्यक्ति को जन्म से ही उसका कर्म, हैसियत तथा पद निर्धारित रहे। आधुनिकीकरण के प्रभाव
में की स्थिति का निर्धारण उनकी शिक्षा, आर्थिक स्थिति, राजनीतिक स्थिति, योग्यता एवं
क्षमता आदि पर होने लगा।
(3) ग्रामीण समुदाय एवं आधुनिकीकरण
: आधुनिकीकरण ने ग्रामीण समुदाय को प्रभावित किया। आधुनिकीकरण में नगरीकरण, औद्योगिकरण,
व्यावसायिक गतिशीलता, यातायात के साधनों, रोजगार के अवसर, धन एवं योग्यता का महत्व
आदि बढ़ा। इन परिस्थितियों ने गाँव को अपनी ओर खींचा। वे भी आधुनिकताको स्वीकार किये
हैं।
12. भारतीय समाज
में भूमि सुधार के प्रमुख कदमों की चर्चा करें।
उत्तर - भारतीय समाज में भूमि
सुधार का अभिप्राय कृषि भूमि के स्वामित्व एवं परिचालन में किये जाने वाले सुधारों
से है। स्वतंत्रता प्राप्ति के समय भूमि सुधारों की आवश्यकता को महसूस किया गया और
बाद में पंचवर्षीय योजना में भूमि सुधारों की निर्धनता विरोधी रणनीति के मूलभूत भाग
के रूप में घोषित किया गया।
भारतीय समाज में भूमि सुधार
के प्रमुख कदम निम्न हैं-
(i) मध्य वर्ग की समाप्ति
(ii) काश्तकारी सुधार।
13. भारतीय समाज
में प्रान्तीयता की समस्या की चर्चा करें।
उत्तर- भारत में सामुदायिक
विघटन की एक अन्य समस्या प्रान्तीयता की है। अर्थात् क्षेत्रवाद की है। जिसने स्वतंत्रता
के बाद अत्यधिक विषम रूप धारण करके बड़े-बड़े संघर्षो तथा हिंसक आन्दोलनों को जन्म
दिया है। साम्प्रदायिकता की समस्या जहाँ धार्मिक आधार पर आत्म-केन्द्रित तथा परस्पर
विरोधी समूहों का निर्माण करती है, वहीं क्षेत्रवाद (प्रान्तीय) में संघर्ष, विरोध
तथा घृणा का आधार एक विशेष क्षेत्र के प्रति वहाँ के निवासियों की अन्ध-भक्ति का होना
है।
भारतीय समाज में प्रान्तीयता
की समस्या के निम्नलिखित कारण है-
(1) राजनीति कारण
(2) आर्थिक स्वार्थ
(3) भाषायी भिन्नताएँ
(4) भौगोलिक कारण
(5) सांस्कृतिक भिन्नताएँ
(6) ऐतिहासिक कारण
(7) मनोवैज्ञानिक कारण
14. भारतीय समाज
में धर्म-निरपेक्षता की आवश्यकता की चर्चा करें।
उत्तर- सभी धर्मों के प्रति
श्रद्धा रखना और राज्य का अपना कोई धर्म न होना। भारतीय समाज के निर्माण में उन सभी
व्यक्तियों का योगदान है जो हिन्दू मुसलमान, सिख, जैन, बौद्ध, ईसाई और पारसी धर्म को
मानने वाले हैं। भारत विभिन्न धर्मों का समन्वय स्थल है। अत: भारत के लिए धर्मनिरपेक्षता
जरूरी है। धर्मनिपेक्षता के कारण ही यहाँ विभिन्न धर्मों और सम्प्रदायों का समावेश
होने के बाद भी सभी धर्म और सम्प्रदाय एक दूसरे के पूरक है।
खण्ड-ग (दीर्घ उत्तरीय प्रश्न)
किन्हीं तीन प्रश्नों
के उत्तर दीजिए। 5 × 3 = 15
15. महिला आन्दोलन
पर एक समाजशास्त्रीय निबंध लिखें।
उत्तर - महिलाओं के आन्दोलन
20वीं सदी के प्रारम्भ में राष्ट्रीय तथा स्थानीय स्तर पर महिलाओं के संगठनों में वृद्धि
देखी गई। विमेंस इंडिया एसोसिएशन, डब्ल्यु. आई. ए. (1971) ऑल-इंडिया कॉन्फ्रेंस (अखिल
भारतीय महिला कॉन्फ्रेंस) : ए. आई. डब्ल्यू सी. (1926) नेशनल काउंसिल फॉर विमेन इन
इंडिया (भारत में महिलाओं की राष्ट्रीय काउंसिल एन. सी. डब्ल्यू. आई.) ऐसे नाम हैं।
जिन्हें सभी जानते हैं, जबकि इनमें से कई की शुरुआत सीमित कार्यक्षेत्र से हुई है।
इनका कार्यक्षेत्र समय के साथ विस्तृत हुआ। उदाहरण के लिए प्रारंभ में ए. आई. डब्ल्यू.
सी. का मत था कि 'महिला कल्याण' तथा राजनीति' आपस में असंबद्ध है। कुछ वर्ष बाद उसके
अध्यक्षीय शासन में कहा गया, "क्या भारतीय पुरुष अथवा स्त्री स्वतंत्र हो सकते
है। यदि भारत गुलाम रहे, हम अपनी राष्ट्रीय स्वतंत्रता जो कि सभी महान सुधारों का आधार
है, के बारे में चुप कैसे रह सकते हैं।" यह तर्क दिया जा सकता है कि सक्रियता
का यह काल सामाजिक आंदोलन नहीं था। इसका विरोध भी किया जा सकता है।
प्रायः यह माना जाता है कि
केवल मध्यमवर्षीय शिक्षित महिलाएँ ही समाजिक आंदोलनों में सहभागिता करती है। संघर्ष
का एक भाग महिलाएँ की सहभागिता के विस्मृत इतिहास को याद करना रहा है औपनिवेशिक काल
में जनजातीय तथा ग्रामीण क्षेत्रों में प्रारंभ होने वाले संघर्षों तथा क्रांतियों
में महिलाओं ने पुरुषों का साथ दिया। बंगाल में निभागा आंदोलन, निजाम के पूर्वशासन
का तेलंगाना सशस्त्र संघर्ष तथा महाराष्ट्र में वरजी जनजाति के बंधुआ दासत्व के विरुद्ध
क्रांति ये कुछ उदाहरण हैं। एक मुद्दा जो हमेशा उठाया जाता है, कि यदि सन् 1947 से
पहले महिला आंदोलन एक स्त्री आंदोलन था, तो बाद में उसका क्या हुआ। इसकी एक व्याख्या
यह दी जाती है कि राष्ट्रीय आंदोलन में भाग लेने वाली बहुत-सी महिला प्रतिभागी राष्ट्र
निर्माण के कार्य में संलग्न हो गई। दूसरे लोग विभाजन के आघात के इस ठहराव को उत्तरदायी
मानते हैं।
सन् 1970 के दशक के मध्य में
भारत में महिला आंदोलन का नवीनीकरण हुआ। कुछ लोग भारतीय महिला आंदोलन का दूसरा दौर
कहते हैं। जबकि अनेक चिंताएँ उसी प्रकार बनी रहीं फिर भी, संगठनात्मक रणनीति तथा विचारधाराओं
दोनों में परिवर्तन हुआ। स्वायत्त महिला आंदोलन कहे जाने वाले आंदोलनों में वृद्धि
हुई। 'स्वायत्त' शब्द इस तथ्य की ओर संकेत था कि उन महिला संगठनों से, जिसके राजनीतिक
दलों से संबंध थे, से भिन्न 'स्वायत्तशासी' अथवा राजनीतिक दलों से स्वतंत्र थी। यह
अनुभव किया गया कि राजनीतिक दल महिलाओं के मुद्दों को अलग-अलग रखने की प्रवृत्ति रखते
हैं।
16. भारतीय समाज
के लिंग-भेद के परिणामों की चर्चा करें।
उत्तर- भारत के राष्ट्रीय आन्दोलन
में एक प्रमुख समाजशास्त्रीय तथ्य यहाँ की जाति व्यवस्था तथा उससे उत्पन्न होने वाले
जातिगत भेदभाव रहे हैं। भारतीय समाज में लिंग भेद के परिणाम काफी रहे हैं। एक जाति
दूसरे जाति की प्रति अपने सम्पर्क में आने की अनुमति नहीं दी जाती थी। प्रत्येक जाति
अपनी संस्कृति, खान-पान, सामाजिक सम्पर्क के सम्बन्धों, व्यवसायों, विवाह और छूआछूत
के आधार पर एक-दूसरे से अलग समुदाय था। इसके परिणाम के अन्तर्गत नजदीक देशों द्वारा
काफी फायदा उठाया जाने लगा था।
17. भारतीय संयुक्त
परिवार व्यवस्था की प्रमुख विशेषताओं की चर्चा करें।
उत्तर- संयुक्त परिवार की निम्नलिखित
विशेषताएँ हैं-
(1) बड़ा आकार
: संयुक्त परिवार में कई पीढ़ियों के लोग एक साथ रहते हैं, जिससे इसके सदस्यों की संख्या
अधिक होती है। फलतः इसका आकार बड़ा होता है।
(2) सामान्य निवास
: संयुक्त परिवार के सभी सदस्य एक छत के नीचे रहते हैं।
(3) सामान्य रसोई
: पूरे परिवार का रसोईघर एक होता है जिसमें पका भोजन सभी सदस्य खाते हैं।
(4) संयुक्त सम्पत्ति
: संयुक्त परिवार की सम्पत्ति संयुक्त होती है, जिस पर सभी सदस्यों का अधिकार होता
है और सभी की आवश्यकताओं की पूर्ति उससे होती है।
(5) कर्त्ता
: संयुक्त परिवार का एक कर्त्ता होता है, जो परिवार का वयोवृद्ध पुरुष सदस्य होता है।
18. बाजार किस
प्रकार एक सामाजिक संस्था है ?
उत्तर- बाजार के विभिन्न पक्षों
को इस सम्पूर्ण विवेचना से स्पष्ट होता है कि बाजार सभी तरह के सरल, जटिल और आधुनिक
समाज की विशेषता रहा है। अर्थशास्त्री यहाँ यह मानते हैं कि बाजार और अर्थव्यवस्था
से व्यक्ति का सामाजिक जीवन प्रभावित हाता है, वहीं दुर्खीम, मैक्स वेबर और अनेक दूसरे
समाजशास्त्रियों ने यह स्पष्ट किया है कि विभिन्न सामाजिक मूल्य, धार्मिक विश्वास और
पारिवारिक दशाएँ आर्थिक प्रक्रियाओं को प्रभावित करती हैं। यह रूप समाजशास्त्री बाजार
को एक सामाजिक संस्था के रूप में स्पष्ट करते हैं। इस संबंध में निम्नांकित बिंदुओं
के आधार पर एक सामाजिक संस्था के रूप में बाजार के औचित्य को समझा जा सकता
(1) मनुष्य का जीवन जब बहुत
सरल और आदिम था तब भी जीवनयापन के लिए आर्थिक क्रियाएँ करते थे। उस समय भी वस्तुओं
की अदला-बदली के रूप में विनिमय का कार्य होता था। हाटों और मेलों के रूप में बाजार
का समय और स्थान सुनिश्चित थे। उस समय सभी आर्थिक क्रियाओं जनजातियों के सामाजिक संगठन
और मूल्यों के आधार पर निर्धारित होती थी।
(2) बाजार व्यवस्था आर्थिक
लाभ और प्रतिस्पर्द्धा के नियमों पर आधारित होती है। किसी भी समाज में आर्थिक प्रतिस्पर्द्धा
और लाभ समाज के नैतिक नियमों से प्रभावित होते हैं। नैतिक नियमों को छोड़कर की जाने
वाली प्रतिस्पर्द्धा एक तरह का कानून विरोधी कार्य हैं।
(3) आज सभी बाजार श्रम विभाजन
की प्रक्रिया पर आधारित है। जैसे-जैसे छोटे और सरल बाजार बड़े और जटिल बाजारों में
बदलते जा रहे हैं, श्रम विभाजन की प्रक्रिया का भी विस्तार होता जा रहा है।
(4) वर्तमान युग में बाजार
का रूप बैंकिंग प्रणाली, शेयर बाजार तथा बड़ी-बड़ी कंपनियों की आर्थिक क्रियाओं के
रूप में देखने को मिलता है। इन सभी क्रियाओं पर आयकर, बिक्री कर, सेवा कर और बहुत से
दूसरे नियमों के द्वारा नियंत्रण रखा जाता है।
19. नातेदारी
की श्रेणियों की व्याख्या करें।
उत्तर- व्यक्ति सभी रिश्तेदारों
के साथ समान रूप से निकटता नहीं रखता। कुछ नातेदार को सामाजिक व्यवहार में अत्यन्त
निकट और आत्मीय माना जाता है, जबकि दूसरों के साथ कम निकटता होती है। आत्मीयता अथवा
निकटता की मात्रा के आधार पर नातेदारी की कुछ श्रेणियों बन जाती हैं। इस प्रकार नातेदारी
को हम श्रेणियों में रख सकते हैं-
(1) प्राथमिक नातेदारी
: आमने-सामने की प्रत्यक्ष रिश्तेदारी को प्राथमिक नातेदारी कहा जाता है। पिता और पुत्र,
पति और पत्नी, भाई और बहन, भाई और भाई, माता और पुत्र, माता और पुत्री, बहन और बहन,
ये सम्बन्ध प्राथमिक नातेदारी के संबंध कहलाते हैं, क्योंकि इसमें परस्पर प्रत्यक्ष
संबंध होता है।
(2) द्वितीयक नातेदारी
: व्यक्ति के प्राथमिक नातेदारों या स्वजनों के प्राथमिक स्वजन उसके लिए द्वितीयक स्वजन
या द्वितीयक नातेदारी होते हैं। जीजा एक द्वितीयक नातेदार है क्योंकि वह बहन (प्राथमिक)
का प्राथमिक स्वजन है। इसी प्रकार चाचा व्यक्ति का द्वितीयक रिश्तेदार है क्योंकि वह
उसके पिता का प्राथमिक स्वजन है।
(3) तृतीयक नातेदारी :
प्राथमिक स्वजन का द्वितीयक नातेदार अथवा द्वितीयक नातेदार का प्राथमिक नातेदार व्यक्ति
का तृतीयक नातेदार होता है। जैसे - माता की बहन का पति (मौसा) व्यक्ति का तृतीयक नातेदार
होता है। तथा जीजा की बहन व्यक्ति का तृतीयक रिश्तेदार बन जाती है।