36.PGT झारखंड औद्योगिक नीति (Jharkhand Industrial Policy)

झारखंड औद्योगिक नीति (Jharkhand Industrial Policy)

झारखंड औद्योगिक नीति (Jharkhand Industrial Policy)

15 नवम्बर 2000 ई. को झारखण्ड राज्य अस्तित्व मे आया । इसके उपरांत झारखण्ड सरकार समय-समय पर राज्य की औद्योगिक नीति की घोषणा करती रही है।

झारखंड औद्योगिक नीति, 2001

➤झारखंड सरकार ने औद्योगिक नीति, 2001 के तहत उद्यमियों को आकर्षक छूट, अनुदान एवं आर्थिक सहायता लाभ उपलब्ध कराने की व्यवस्था की है।

➤इसके अलावा सरकार ने औद्योगिक क्षेत्रों को और अधिक मजबूती प्रदान करना, उत्पादकता में वृद्धि, रोजगार के अवसरों में वृद्धि करना, और राज्य के उद्योगों को अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा प्राप्त करना आदि  निर्धारित किया गया।

🔥 सरकार ने उद्योगों से संबंधित अनेक नीतिगत उपायों की घोषणा की,जिन्हें निम्नलिखित वर्गों में विभाजित किया जा सकता है :- 

➤राज्य के कृषि, खनन एवं मानव संसाधनों का सम्यक उपयोग।

➤राज्य के आर्थिक विकास को सुनिश्चित करने हेतु राज्य में अधिकतम पूंजी निवेश को बढ़ावा देना।

➤थ्रस्ट जॉन एवं थ्रस्ट एरिया की पहचान करना।

➤राज्य के औद्योगिक विकास को सुनिश्चित करने हेतु आधुनिकतम प्रौद्योगिकी तथा मूलभूत अधिसंरचना का विकास।

➤राज्य के असंतुलित विकास को रोकने हेतु संतुलित क्षेत्रीय विकास को प्राथमिकता देना।

➤राज्य में औद्योगिकीकरण की गति की तीव्रता प्रदान करने हेतु निजी क्षेत्र की भागीदारी को सुनिश्चित करना।

➤ऐसी सामग्री ,जिसमें अन्य राज्यों की अपेक्षा झारखंड बेहतर स्थिति में है, उसके निर्यात को प्रोत्साहित करना।

➤राज्य के रुग्ण औद्योगिक इकाइयों को पुनर्जीवित करना।

➤प्रक्रियाओं को सरल करना तथा प्रशासनिक सुधार को सुनिश्चित करना, जिससे एक संवेदनशील एवं पारदर्शितापूर्ण शासन व्यवस्था स्थापित हो सके।

➤अनुसूचित जाति, जनजाति, कमजोर वर्ग, विकलांग तथा महिलाओं की उन्नति एवं उन्हें उचित अवसर प्रदान करना।

➤उत्पादन एवं उत्पादकता को बढ़ावा देने हेतु अनुसंधान एवं उच्च प्रौद्योगिकी का उपयोग करना।

➤व्यवसायी विकास संस्थान एवं अन्य विशेषीकृत संस्थानों के द्वारा व्यवसायी विकास पर अधिक जोर।

➤रुग्ण उद्योगों की जांच एवं समय रहते उनको पुन: रुत्थान हेतु प्रयास एवं जिला स्तर पर सतत निगरानी हेतु व्यवस्था।

➤पारंपरिक व्यवसायों की सघनता वाले क्षेत्रों की पहचान एवं उनके विकास के लिए प्रशिक्षण, उन्नत डिजाइन तथा प्रौद्योगिकीय  एवं विपणन सहयोग को सुनिश्चित करना तथा शिल्पकारों को विपणन सहयोग हेतु शिल्प ग्राम एवं शिल्प बाजार की स्थापना करना।

➤खाद्य प्रसंस्करण उद्योग तथा फल, सब्जी, मसाले और अन्य बागवानी उत्पादों के विकास हेतु विशेष सुविधाएँ  एवं उद्योग हेतु अधिसंरचना मुहैया कराना।

➤औद्योगिक पार्क का विशेषकृत क्रियाकलापों हेतु विकास तथा सूचना प्रौद्योगिकी, तसर/मलबरी ,इलेक्ट्रॉनिक्स, प्लास्टिक, रसायन, जैव-तकनीक एवं जड़ी-बूटियां। इस हेतु ऊर्जा, जल, संचार, परिवहन सुविधाओं का विकास।

➤लघु उर्जा उत्पादन इकाइयों पर जोर एवं निजी क्षेत्र के सहयोग से गैर-पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों का विकास।

➤उपभोक्ता वस्तुओं का उत्पादन करने वाले उद्योगों यथा-प्लास्टिक, जड़ी-बूटी, औषधि, चर्म , हैंडुलम ,हस्तशिल्प और खादी उद्योगों के विकास को प्रोत्साहन।

➤निरीक्षण एवं मूल्यांकन तंत्र को संस्थागत बनाना।

झारखंड औद्योगिक नीति -2012

झारखंड की दूसरी औद्योगिक नीति की घोषणा 2012 में की गई।

यह नीति आगामी 5 वर्षों के लिए घोषित की गई थी।

प्रमुख उद्देश्य

1. झारखंड को निवेश के लिए पसंदीदा स्थान बनाना।

2. सतत  औद्योगिक विकास करना।

3. वृहद-सुक्ष्म-लघु उद्योगों के बीच बेहतर तालमेल की स्थापना करना।

4. राज्य के प्राकृतिक संसाधनों का अनुकूलतम दोहन करना।

5. रोजगार प्रधान उद्योगों जैसे :- रेशम, हथकरघा, खादी ग्राम उद्योग को बढ़ावा देना।

6. पर्यावरण की दृष्टि से प्रदूषण मुक्त उद्योगों को बढ़ावा देना। जैसे :- पर्यटन, आईटी, बायोटेक्नोलॉजी आदि।

7. खाद्य प्रसंस्करण उद्योग जैसे :- बागवानी, फूलों की खेती को बढ़वा देना। 

8. आर्थिक विकास लाभ में SC/ST लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करना। 

9. नवोनमेषि (Enovation) तकनीकी के विकास पर बल। 

10. क्षेत्रीय विषमता समाप्त करना।

11. कानून व्यवस्था में सुधार करना। 

12. सरकारी कानून का सरलीकरण करना। 

13.विकास के लिए पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप पीपीटी मोड(PPP MODE) को विकसित करना।

14. निजी निवेश से कौशल विकास करना जैसे - इंजीनियरिंग, मेडिकल, मैनेजमेंट, आईटीआई स्थानों की स्थापना।

सफलता के लिए कार्ययोजना

1. राज्य आधारभूत संरचना जैसे :- सड़क, बिजली, पानी आदि पर बल देगी। 

2. निर्णय को सरल बनाने हेतु सिंगल विंडो सिस्टम (एकल खिड़की) की व्यवस्था करेगी (झारखंड सरकार द्वारा 2015 में इसे लागू किया गया तथा ऐसा करने वाला यह भारत का प्रथम राज्य बना)। 

3. वित्तीय लाभ को युक्तियुक्त बनाना।  

4. औद्योगिक विकास क्षेत्र, पार्क, जैसे आधारभूत संरचना का निर्माण करना।

5. बीमार एवं रुग्ण इकाइयों की पहचान कर उनका संरक्षण करना। 

6. मध्यम-लघु-सूक्ष्म उद्योगों  के लिए संकुल बनाना।  

7. विस्थापन एवं पुनर्वास नीति, 2008 में सुधार करना। 

सफलता हेतु महत्वपूर्ण प्रयास

सरकार जिला स्तर पर भूमि बैंक बनाएगी तथा 200-500 एकड़ जमीन अधिग्रहण करेगी, ताकि जिले में आधारभूत औद्योगिक संरचना खड़ी की जा सके।

➧ सरकार कृषि भूमि के अधिग्रहण से परहेज करेंगी। 

➧ भूमि बैंक का अधिकतर उद्योग सरकारी उद्यम के लिए होगी। अतिरिक्त भूमि रहने पर निजी निवेशकों को भी दिया जाएगा।

➧ सरकारी भूमि का हस्तांतरण 30 वर्ष के पट्टे पर होगी। 

लीज के नियम एवं शर्तों का निर्धारण राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग करेगा। 

➧ 5 वर्ष के अंदर अगर निवेशक भूमि का उपयोग नहीं किए तो भूमि वापस ले ली जाएगी। 

➧ सरकार ने भूमि अधिग्रहण के लिए सीएनटी(CNT) और एसपीटी (SPT) एक्ट में संशोधन भी किया है। 

इस संशोधन के अनुसार

(i) सरकार उद्योग एवं खनन के अलावे दूसरे विकास कार्यों के लिए भी CNT/SPT एक्ट के तहत आने वाले भूमि को अधिग्रहित कर सकेगी।

(ii) सीएनटी/एसपीटी एक्ट के तहत आने वाले भूमि को मालिक, कृषि के अलावे उसपर व्यवसायिक उपयोग भी कर सकेगा तथा अपनी भूमि को रेंट पर दे सकेगा। हालांकि उसका मालिकाना हक़ उस पर सुरक्षित रहेगा।

 स्थानीय खनिज उन उद्योगों को दिया जायेगा जो राज्य से संबंधित हो।

 औद्योगिक इकाइयों के लिए नियम बनेगा की वे न्यूनतम जल का उपयोग करें या फिर तकनीक द्वारा जल का पुनर्चक्रण करें।  

 सरकार ने कोडरमा - बहरागोड़ा एवं पतरातु - रांची - रामगढ़ औद्योगिक गलियारों को चिन्हित किया है।  

 निजी  प्रोत्साहन से औद्योगिक पार्क के लिए भी प्रयास किया जा रहा है।  

 आदित्यपुर में सरकार ऑटोमोबाइल उद्योग के लिए विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) खोल रही है।  

 भूमि अधिग्रहण का कार्य करने तथा आधारभूत संरचना को खड़ा करने के लिए सरकार ने औद्योगिक क्षेत्रीय विकास प्राधिकरण आईआरडीए(IRDA) गठित किया है। यह - 

(i) सड़क, पार्क, ड्रेनेज, तथा जलापूर्ति औद्योगिक क्षेत्र में बहाल करेगी। 

(ii) 30 वर्ष के लिए भूमि देने तथा उसका नवीनीकरण करने का कार्य ही संस्था करेगी।  

(iii) उपयुक्त मद में भूमि का उपयोग हुआ या नहीं जाँच करेगा।  

(iv) यह न्यूनतम 1000 एकड़ भूमि अधिग्रहित करेगा, जिसका 40% सूक्ष्म एवं लघु उद्योग के लिए आरक्षित होगा। शेष  औद्योगिक क्षेत्र, पार्क बनाने में खर्च होगा । 

(v) 10% भूमि उन लोगों के लिए आरक्षित रखेगा जो अपना भूमि खोये हुए हैं और शर्तों पर एक एकड़ में औद्योगिक इकाई खोलने के इच्छुक हैं, हालांकि निरीक्षण उपरांत भूमि आवंटन रद्द करने का अधिकार भी इसी संस्था के पास होगा।  

(vi) सूक्ष्म एवं लघु उद्योग 2 वर्ष के अंतर्गत भूमि का उपयोग नहीं किये तो ऐसे में उसका आवंटन भी रद्द कर सकता है। 

 उद्योगों के विकास में स्थानीय लोगों की भागीदारी स्किल डेवलपमेंट पर निर्भर करता है। ऐसे में राज्य-

(i) 13 पॉलिटेक्निक कॉलेज स्थापित किया है।

(ii) 17 पॉलिटेक्निक कॉलेज का निर्माण कार्य जारी है।

(iii) कई प्राइवेट संस्थानों को कॉलेज खोलने की अनुमति दी गई है। 

(iv) रांची और दुमका में मिनी टूल रूम की स्थापना की गई है। 

(v) प्राइवेट संस्थान को सरकार भूमि का 50% लागत ही देगी ऐसे संस्थानों में 25% सीट झारखंड के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध रहेगा।

 ऊर्जा आवश्यकता को पूरा करने के लिए सरकार राज्य विद्युत नियामक आयोग बनाई है इसके अनुसार-

(i) राज्य में प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत 552 किलोवाट प्रति घंटा है जिसे बढ़कर 800 किलोवाट प्रति घंटा करना है 2019 तक सभी गांव को विद्युतीकरण करना है।

(ii) कुल ऊर्जा उत्पादन का 10% नवीकरणीय स्रोतों से विकसित करना है 

 राज्य सरकार ने झारखंड के खनिज संपदा की प्राप्ति तथा उद्योगों के आधार पर 8 क्षेत्रों में बांटा है:-

(1) पलामू, गढ़वा क्षेत्र :- लौह अयस्क, निक्षेप, डोलोमाइट, कोयला, चाइना कले  ग्रेनाइट ग्रेफाइट

(2) लोहरदगा-लातेहार क्षेत्र :- अल्युमिनियम उद्योग, ऊर्जा इकाई 

(3) राँची :- IT, Food Processing, मध्यम एवं वृहत उद्योग 

(4) कोडरमा-हजारीबाग क्षेत्र :- अभ्रक, ग्लास, ऊर्जा, सीमेंट, टेलीकॉम, इस्पात 

(5) धनबाद-बोकारो क्षेत्र  :- कोयला, इस्पात, ऊर्जा

(6) सिंहभूम (जमशेदपुर) सहित कोल्हान क्षेत्र :- सोना, IT, वन उत्पाद, सिल्क, Food Processing, टेक्सटाइल 

(7) घाटशिला क्षेत्र :- तांबा और वन 

(8) देवघर-जसीडीह एवं संथाल परगना क्षेत्र :- तेल मिल, ग्लास, स्टील, मेडिसिन, कोल ऊर्जा, सिल्क, कपड़ा

औद्योगिक निवेश एवं प्रोत्साहन नीति 2016

झारखंड के औद्योगिक विकास को गति देने के लिए झारखंड सरकार के द्वारा नयी   2016 में राज्य की औद्योगिक नीति की घोषणा की गई थी। जिससे औद्योगिक निवेश एवं प्रोत्साहन नीति 2016 के नाम से जाना गया है

औधोगिक नीति2001 में  अनेक संशोधन एवं समय के जरूरतों को देखते हुए, 2012 में, फिर 2016 में राज्य की औद्योगिक नीति की घोषणा की गई है।

राजकीय औद्योगिक नीति का प्रमुख उद्देश्य राज्य की संसाधनों का इस प्रकार प्रयोग किया जाए, की राज्य विकास की ओर अग्रसर हो तथा पर्यावरण एवं विस्थापन के बीच सामंजस्य बैठाया जा सके।

👉झारखंड औद्योगिक एवं निवेश प्रोत्साहन नीति 2016 का उद्देश्य राज्य में अत्याधुनिक आधारभूत संरचना का विकास करना है। आधारभूत संरचना अर्थात सड़क,बिजली ,पानी ,शिक्षा आदि का विकास करना है

👉 झारखंड प्रौद्योगिकी पार्क पॉलिसी 2015 के तहत निजी संयुक्त उद्यम और PPP मॉडल पर आधारित है। फूड पार्क की स्थापना करके स्थानीय स्तर पर लोगों को रोज़गार उपलब्ध कराना है।

👉औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन नीति के तहत स्पेशल इकोनामिक जोन SEZ को बढ़ावा देना है।

👉झारखंड औद्योगिक निवेश को बढ़ावा देने के लिए झारखंड इन्वेस्टमेंट प्रोमोशन बोर्ड का गठन किया गया है। इस बोर्ड के प्रमुख के तौर पर मुख्यमंत्री और उद्योग मंत्री होंगे। इस बोर्ड में कम से कम 10 से अधिक वरिष्ठ एवं प्रसिद्ध उद्योगपति का नाम चिन्हित किया गया है। मुख्य सचिव और योजना समिति विभाग, उद्योग विभाग, खनन एवं भूविज्ञान विभाग के प्रधान सचिव को सदस्य बनाया गया है।

 👉झारखंड इन्वेस्टमेंट प्रोमोशन बोर्ड का बैठक साल में दो बार आयोजित की जाती है।

👉झारखंड में उद्योग तथा निवेश को प्रोत्साहन देने के लिए एकल खिड़की निपटान समिति का गठन किया गया है। जिसका अध्यक्ष प्रधान सचिव को बनाया गया है।

👉 एकल खिड़की मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में शासकीय व्यवस्था के अंतर्गत कार्य करेगी। झारखंड में निवेश केंद्र की स्थापना नई दिल्ली भवन में की गई है।

👉औद्योगिक निवेश एवं प्रोत्साहन नीति के तहत सरकार के द्वारा औद्योगिक संगठनों को 30 वर्षों के लिए लीज उपलब्ध कराई जाएगी। भूमि का उपयोग 5 वर्षों के भीतर औद्योगिक संगठनों को करना होगा।

👉झारखंड राज्य में चार औद्योगिक क्षेत्रीय विकास प्राधिकरण का गठन किया गया है। जो निम्न प्रकार है :

1 रांची

2 बोकारो

3 दुमका

4 आदित्यपुर

👉औद्योगिक विकास प्राधिकरण ने देवघर जिला में देवपुरी औद्योगिक संपादक का निर्माण किया है। प्रत्येक क्षेत्र विकास प्राधिकरण में कम से कम 10,000 एकड़ भूमि की व्यस्था की गई है। इस नीति के तहत समयावधि में भूमि अधिग्रहण करना है।

👉झारखंड औद्योगिक पार्क नीति 2015 के तहत सरकार द्वारा 50% एवं अधिकतम 10 करोड़ रुपए तक खर्च करने का व्यवस्था की गई है।

👉झारखंड औद्योगिक नीति 2015 के तहत निजी उद्यमी 50% तथा अधिकतम 7 करोड़ों रुपए खर्च करने का प्रावधान किया गया है।

👉कोयला मंत्रालय, रेलवे मंत्रालय झारखंड सरकार तथा झारखंड सरकार के बीच 4 मई 2015 को कोयला क्षेत्रों के बीच संपर्क के लिए Special Purpose Vehicle समझौता ज्ञापन (MOU) किया गया है।

👉झारखंड में 2017 तक ग्रामीण क्षेत्रों में 100% विद्युतीकरण का लक्ष्य रखा गया है। बिजली घरों के आधुनिकीकरण के लिए निजी सार्वजनिक भागीदारी (PPP ) मॉडल पर आधारित है।

👉झारखंड सरकार तथा NTPC के बीच में 400 मेगावाट विद्युत उत्पादन, पतरातु थर्मल पावर स्टेशन से करने के लिए समझौता ज्ञापन(MOU) किया गया है।

👉झारखंड सरकार के द्वारा औद्योगिक क्षेत्रों में पानी की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए राज्य जल नीति 2016 का निर्माण किया गया है।

👉झारखंड राज्य सूचना संचार नेटवर्क राज्य मुख्यालय तथा 24 जिलों के मुख्यालय, 35अनुमंडल मुख्यालय, और 212 प्रखंड मुख्यालय को जोड़ा जा रहा है।

👉झारखंड हथकरघा के क्षेत्र में 40 से अधिक उत्पाद/वेराइटी बनाई जा रही है।

👉झारखंड तसर उत्पादन के मामले में भारत में प्रथम स्थान रखता है। झारखंड सिल्क टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट चाईबासा में 1 वर्ष का व्यसायिक कोर्स चलाया जा रहा है।

👉भारत सरकार ने मेगा हैंडलूम क्लस्टर की स्वीकृति प्रदान की है। संथाल परगना के सभी 6 जिले देवघर, दुमका, गोड्डा, साहिबगंज, जामताड़ा और पाकुड़ में क्लस्टर सेंटर से आच्छादित है।

👉झारखंड में फिल्म उद्योग को बढ़ावा देने के लिए, झारखंड फिल्म पॉलिसी,2015 का निर्माण किया गया है

झारखंड औद्योगिक नीति, 2021

झारखंड सरकार कैबिनेट ने औद्योगिक और निवेश प्रोत्साहन नीति 2021 को स्वीकृति प्रदान की। यह नीति एक अप्रैल 2021 से लामू मानी जायेगी। इसके तहत राज्य में पांच लाख रोजगार के अवसर पैदा करने और एक लाख करोड़ निवेश प्राप्त करने का लक्ष्य रखा गया है। कैबिनेट सचिव वंदना डाडेल ने बताया कि मंगलवार को कुल छह – प्रस्ताओं को मंजूरी प्रदान की गयी। उन्होंने बताया कि कैबिनेट ने राज्य की विलुप्त हो रही लोककलाओ व परंपराओं के विस्तार के लिए गुरुशिष्य परंपरा के अंतर्गत प्रशिक्षण नियम 2021 के गठन को मंजूरी दी।

उद्देश्य

1. रुपये से अधिक के निवेश को आकर्षित करके 5,00,000 का रोजगार पैदा करना। झारखंड राज्य में 1,00,000 करोड़।

2. झारखंड को निवेशकों के पसंदीदा गंतव्य में परिवर्तित करना और राज्य के सतत औद्योगिक विकास को बढ़ावा देना।

3. परियोजना मंजूरी, उत्पादन घोषणा की तारीख और वित्तीय और गैर-वित्तीय सहायता और मंजूरी के लिए एक समयबद्ध, वेब आधारित पारदर्शी कार्य तंत्र बनाना।

4. गोदामों, अंतर्देशीय कंटेनर डिपो (आईसीडी), कोल्ड स्टोरेज, औद्योगिक समूहों से रेल-सड़क कनेक्टिविटी, टूल रूम आदि जैसे बुनियादी ढांचे को मजबूत करना।

5. निर्यात क्षमता वाले उद्योगों पर ध्यान केंद्रित करना और निर्यात की मात्रा बढ़ाने के लिए ऐसे उद्योगों को प्रोत्साहित करना और प्रेरित करना और साथ ही एमएसएमई क्षेत्र द्वारा सामान्य रूप से किए गए 100 प्रतिशत स्वदेशी इनपुट से निर्मित निर्यात वस्तुओं पर ध्यान केंद्रित करना।

6. ओईएम और एमएसएमई/सहायक उद्योगों के बीच संबंध स्थापित करना।

7. सभी क्षेत्रों में तेजी से विकास के लिए एक सरल, सक्रिय और सहायक संस्थागत तंत्र प्रदान करें।

8. औद्योगिक और निवेश प्रोत्साहन नीति, एमएसएमई अधिनियम 2006 और अन्य नीतिगत हस्तक्षेपों के तहत सुविधा प्रदान करके औद्योगिक और सेवा क्षेत्रों में रोजगार सृजन को बढ़ावा देना।

9. मूल्यवर्धन और गुणवत्ता प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने के लिए खनिज आधारित उत्पादों, हस्तशिल्प, हथकरघा, कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों जैसे पारंपरिक क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी और कौशल उन्नयन लाने के लिए।

10. प्रसंस्करण के स्तर को बढ़ाने, अपव्यय में कमी, मूल्यवर्धन, किसानों की आय में वृद्धि के साथ-साथ निर्यात में वृद्धि के परिणामस्वरूप खाद्य और चारा प्रसंस्करण क्षेत्र का समग्र विकास होता है।

11. नवाचार, स्टार्ट-अप और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को बढ़ावा देना।

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