37. PGT आर्थिक शब्दावलियां (Economic Terms)

आर्थिक शब्दावलियां (Economic Terms)

आर्थिक शब्दावलियां

🔥 व्यापार सन्तुलन-किसी देश की निर्यात उसके आयात की तुलना में अधिक होता है तो उस देश का व्यापार सन्तुलन अनुकूल होता है, इसके प्रतिकूल स्थिति को प्रतिकूल व्यापार सन्तुलन कहते हैं। व्यापार सन्तुलन में केवल दृश्य मदें ही सम्मिलित होती है।

🔥 भुगतान शेष - किसी देश का किसी निश्चित अवधि में शेष विश्व के साथ किये गये भौतिक लेन-देन का विवरण भुगतान शेष कहलाता है। भुगतान शेष सदैव संतुलित रहता है जबकि व्यापार शेष सन्तुलित एवं असन्तुलित दोनों हो सकता है।

🔥 मुद्रास्फीति - वह अवस्था है जिसमें मुद्रा का मूल्य गिरता है एवं वस्तुओं का मूल्य बढ़ता है। इसमें ऋणी को लाभ होता है। इसका सबसे अधिक प्रभाव दैनिक श्रमिक पर पड़ता है।

🔥 मुद्रा संकुचन - यह वह अवस्था है जिसमें मुद्रा का मूल्य बढ़ता है तथा वस्तुओं का मूल्य गिरता है। यह मुद्रास्फीति के विरीत की स्थिति है।

🔥 मुद्रा अपस्फीति - जब देश में मुद्रा स्फीति की स्थिति उत्पन्न हो जाती है तो उसे सामान्य स्तर पर लोने के लिए मुद्रा की मात्रा में कमी की जाती है। यह स्थिति मुद्रा अपस्फीति कहलती है। यह मूल्य स्तर को सामान्य स्तर पर लाने के लिए की जाती है।

🔥 सकल राष्ट्रीय उत्पाद- किसी देश के सकल घरेलू उत्पाद में उस देश में सृजित किन्तु विदेशों को प्राप्य आय को घटाने तथा विदेशों में अजित आय को उस देश को प्राप है को जोड़कर सकल राष्ट्रीय उत्पाद की गणना की जाती हैं। G.N.P. सकल घरेलू उत्पाद + विदेशों से प्राप्त आय-विदेशों की प्राप्त आय।

🔥 सकल घरेलू उत्पाद - किसी देश के द्वारा एक वित्तीय वर्ष में उत्पादित सभी अन्तिम वस्तुओं एवं सेवाओं के मूल्य के योग को सकल घरेले उत्पादन कहते हैं। इसमें विदेशों से अर्जित आय सम्मिलित नहीं है।

🔥 Zero Base Budget— इस बजट में चालू परियोजनाओं को बजट सम्मिलित न करके इन पर नयी योजनाओं के साथ एक नये सिरे से विचार किया जाता है। जब वे लागत लाभ विश्लेषण सिद्धान्त के आधार पर अपना औचित्य सिद्ध करती है। प्रत्येक परियोजना पर नये सिरे से शून्य आधार पर भौतिक संसाधन का आवंटन किया जाता है। इस प्रणाली का सर्वप्रथम (सर्बिया प्रान्त में 1973) में चालू किया गया। इसका उपयोग सार्वजनिक व्यय में मितव्ययता लोने के उद्देश्य से किया गया था। भारत में 1985-86 का बजट इस प्रणाली पर आधारित था।

🔥 योजना व्यय- सार्वजनिक व्यय का वह अंश जो विकासात्मक कार्यो में प्रयुक्त होता है। अर्थात् जिससे नयी सम्पत्तियों का सृजन संभव हो, योजना व्यय कहलाता है। जैसे- सड़क, विद्युत घरों, औद्योगिक इकाइयों का निर्माण आदि ।

👉 वैधानिक तरलता अनुपात (SLR)

🔥 किसी भी वाणिज्यिक बैंक में कुल जमा राशि का वह भाग जो नकद स्वर्ण व विदेशी मुद्रा के रूप में उसे अपने पास अनिवार्य रूप से रखना पड़ता है। बैंकों को वित्तीय संकट का सामना करने हेतु रिजर्व बैंक द्वारा ऐसी व्यवस्था निर्धारित की गई है।

👉 पूँजी पर्याप्त अनुपात (CRAR)

🔥 वह न्यूनतम पूँजी जिसे एक बैंकिंग और गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्था को अपने पास रखना चाहिए, खासकर तब जब वह किसी व्यापारिक सम्पत्ति का सृजन करती हो, पूंजी पर्याप्तता कहलाती है। जबकि पूँजी पर्याप्तता अनुपात जोखिम भारित सम्पत्तियों के साथ पूँजी का अनुपात प्रदर्शित करता है।

👉 इंटरनेट बैंकिंग

🔥 इंटरनेट एवं कम्प्यूटर की सहायता से घर बैठे बैंकिंग के कार्यों का संचालन करना नेट बैकिंग कहलाता है। नेट बैकिंग के माध्यम से ग्राहक अपने कम्प्यूटर का उपयोग कर अपने बैंक नेटवर्क और वेवसाइट को एक्सेस कर सकता है। नेट बैंकिग का सबसे बड़ा लाभ यह है कि कोई भी घर बैठे या ऑफिस से बैंक सर्विस का लाभ उठा सकता है।

👉 संचित निधि

🔥 अनुच्छेद 267 के अनुसार भारत सरकार की एक संचित निधि होती है जिसमें भारत सरकार को प्राप्त सभी राजस्व, उस सरकार द्वारा राजकोषीय हुंडियाँ निगर्मित करके, उधार द्वारा या अर्थोपाय अग्रिमों द्वारा लिये गये सभी उधार और उधारों के प्रति संदाय में उस सरकार की सभी प्राप्तियाँ जमा की जाती है। इसे ही संचित निधि कहा जाता है। इसी प्रकार की संचित निधि राज्य सरकार की भी होती है। संचित निधि से कोई भी धन संसद की अनुमति के बिना नहीं निकाला जा सकता। राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय के वेतन और भत्ते भारत के संचित निधि पर भारित होता है।

👉 ई-गवर्नेन्स

🔥 शासन के विभिन्न घटकों-विभागों व मन्त्रालयों के सभी स्तरों को कम्प्यूटर आधारित नेटवर्क से जोड़कर नीति निर्धारण, संसाधन आवंटन, कार्यक्रम कार्यान्वयन तथा मूल्यांकन की प्रणाली ई-गवर्नेन्स कहलाती है।

👉 ई-कामर्स

🔥 ई-कॉमर्स व्यापार और वाणिज्य की ऑन लाइन लेन-देन की कुशल प्रक्रिया है। ई-कामर्स व्यापार आज विश्व भर में उभर रहा है। आज प्रगतिशील किसान, ग्रामीण और व्यवसायी ई- कॉमर्स के जरिए घर बैठे ही कुशलतापूर्वक व्यवसाय कर रहे है। भविष्य में ई-कॉमर्स के बहुत से फलने-फूलने की सम्भावनाएं है।

👉 समावेशित विकास

🔥 ऐसा विकास समावेशित विकास कहलाता है जिसमें आर्थिक विकास की उच्च दर से जनित राष्ट्रीय आय के वितरण में समाज के सबसे कमजारे वर्ग के लोगों को उचित हिस्सा मिले अर्थात् राष्ट्रीय आय का रिसाव प्रभाव नीचे की ओर अधिक हो।

👉 पी. ए. एन. (Permenent Account Number-PAN)

🔥 परमानेन्ट एकाउन्ट नम्बर या स्थायी लेखा संख्या आयकर दाताओं को आवंटित एक ऐसी संख्या है जिससे उसके धारक द्वारा किसी वर्ष में प्राप्त की गई आय एवं अन्य लेन- देन, जिसमें पी.ए.एन. का उल्लेख करना अनिवार्य है, का लेखा-जोखा रखा जाता है ताकि कर अपवंचन को रोका जा सके।

👉 जेण्डर बजटिंग (Zender Budgeting)

🔥 सभी क्षेत्र नीतियों एवं तत्सम्बन्धित बजटीय संसाधनों के आवंटन में लिंगमूलक भेदभावक को समाप्त करते हुए महिलाओं के उत्थान के लिए किये जा रहे प्रयासों का सुस्पष्ट उल्लेख करना जेण्डर बजटिंग कहलाता है।

🔥 गैर योजना व्यय - सार्वजनिक व्यय का वह अंश जो गैर विकास कार्यो के लिए प्रयोग किया जाता है। गैर योजना व्यय कहलाता है। जैसे- कर्मचारियों के वेतन, भत्ते, परिसम्पत्तियों के रख रखाव, रक्षा व्यय आदि।

🔥 गैर योजना अनुदान- इसका उल्लेख अनु0 275 (1) में किया गया है। यह वित्त आयोग के अनुमादेन पर प्रदान किया जाता है। इसका उपयोग कुछ विशिष्ट योजना के संचालन में किया जाता है- पुलिस योजनाओं, विस्थापित व्यक्तियों के लिए पुनर्वास योजनायें आदि ।

🔥 गैर सरकार ऋण - केन्द्र एवं राज्य सरकारों को अल्प बचत संग्रह के बदले दिये जाने वाला ऋण गैर योजना ऋण होता है। यह संघ क्षेत्रों को अपना गैर योजना अन्तर पूरा करने हेतु सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों की अपनी पूंजी हानियाँ एवं काम के बदले लगने वाले व्यय को पूरा करने हेतु व्यय किया जाता है ।

🔥 सकल राजकोषीय घाटा- सरकारी व्यय का यह अंश जिसकी पूर्ति आर.बी.आई. से मौद्रिक उधार तथा अन्य सकल घरेलू वित्तीय एवं विदेशी ऋणों से की जाती है। सकल राजकोषीय घाटा कहलाता है।

🔥 कॉर्पोरेशन टैक्स- यह कम्पनी के लाभ पर लगाया गया कर है। यह प्रत्यक्ष कर है।

🔥 टैरिफ - किसी देश द्वारा आयतों पर लगाये गये कर को ही प्रायः टैरिफ कहते हैं।

🔥 विनिमय दर - जिस दर पर एक देश के मुद्रा दूसरे देश की मुद्रा में बदल जाती है।

🔥 हार्ड करेंसी ऐसी मुद्रा जिसकी मांग विश्व व्यापार में अधिक हो जैसे-डॉलर

🔥 राजस्व घाटा- राजस्व खर्च राज्य प्राप्तियां।

🔥 प्रत्यक्ष कर - वह कर जिसमें करापात एवं कराघात एक ही व्यक्ति या संस्था पर पड़ता है। जैसे आयकर, सम्पत्तिकर, कॉरपोरेशन कर आदि।

🔥 अप्रत्यक्ष कर - ऐसा कर जिसमें कारापात एवं कराघात अलग-अलग व्यक्तियों या संस्थाओं पर पड़ता है। जैसे उत्पाद कर, सीमा कर, मनोरंजन कर।

🔥 पूँजी निर्माण - जो बचत राष्ट्र करता है तथा उसका निवेश ऐसे क्षेत्रों में किया जाता है जो उत्पादन एवं विकास में सहायक हो। यह सारा पूँजी कहलाता है।

🔥 काला बाजार - जमाखोरी द्वारा बाजार में वस्तुओं की कृत्रिम कमी पैदा करके कीमतें बढ़ाकर अधिक लाभ कमाने को काला बाजार कहते हैं।

🔥 विमुद्रीकरण- जब कालाधन बढ़ जाता है तथा अर्थव्यवस्था के लिए खतरा बन जाता है तो इसे दूर करने के लिए विमुद्रीकरण की नीति अपनायी जाती है। इसके अन्तर्गत सरकार पुरानी मुद्रा को समाप्त कर नयी देती है। मुद्रा को चालू कर

🔥 उदारीकरण - एक देश की अर्थव्यवस्था को अन्य विश्व अर्थव्यवस्थाओं के साथ संयुक्त करना उदारीकरण कहलाता है।

🔥 निजीकरण - बढ़ती जनसंख्या, निजी क्षेत्र की कार्य कुशलता व पूँजी में वृद्धि जैसे आयामों से प्रभावित होकर सरकार ने अब निर्णय किया है कि सरकार केवल उन्हीं कार्यों को करेगी जो मानव विकास की स्थिति को बेहतर बनाया जा सके। इस हेतु सरकार ने व्यावसायिक कार्यो को त्यागना प्रारम्भ किया, इसी प्रक्रिया को निजीकरण कहलाता है।

👉 बचत बैंक दर

🔥 बैंक ग्राहकों की छोटी-छोटी बचतों पर बैंक द्वारा दी जाने वाली ब्याज दर को 'बचत बैंक दर' कहा जाता है।

👉 जमा दर

🔥 बैंक ग्राहकों की सावधि जमाओं पर दी जाने वाली ब्याज की दर को 'जमा दर' कहा जाता है।

🔥 जन्मदर - एक नियत वर्ष में प्रति हजार जनसंख्या पर जीवित जन्मों की संख्या जन्म दर कहलाता है।

🔥 बन्द अर्थव्यवस्था- एक देश का शेष विश्व के साथ आर्थिक संव्यवहार न होने की प्रक्रिया को बन्द अर्थव्यवस्था कहते है।

🔥 अवमूल्यन- जब घरेलू मुद्रा का विनिमय मूल्य विदेशी मुद्रा की तुलना में जान-बूझकर घटा दिया जाता है तो इसे मुद्रा का अवमूल्यन कहते है। भारत में रुपये का अवमूल्यन 1949, 1966 एवं 1991 में किया गया।

🔥 ग्रेशम का निगम - इस नियम के अनुसार जब अर्थव्यवस्था में अच्छी और खराब मुद्रा एक साथ प्रचलन में हो तो खराब मुद्रा अच्छी मुद्रा को चलन से बाहर कर देती है।

🔥 रेपोदर वह ब्याज दर जिस पर केन्द्रीय बैंक अपने अधीनस्थ वाणिज्यिक बैंकों को अति अल्पकालीन ऋण उपलब्ध कराता है।

🔥 विदेशी विनिमय कोष इस कोष के तहत रिजर्व बैंक के पास सुरक्षित कोष, विदेशी मुद्रा, परिसम्पत्तियों, एस०डी०आर० तथा स्वर्ण कोष आते है। ये आयात के बिल भुगतान में सहायक होते है।

🔥 राजकोषीय घाटा- राजकोषीय घाटा को राजस्व प्राप्तियों और अनुदानों की तुलना में कुल राजकीय व्यय की अधिकता के सन्दर्भ में कुल संसाधन अन्तर से माना जाता है।

🔥 वायदा दर - विनिमय का वह दर जो भविष्य की किसी तिथि पर विदेशी मुद्रा के लेन-देन पर लागू होती है।

🔥 स्टाक एक्सचेंज- वह स्थान जहाँ प्रतिभूतियों का क्रय विक्रय होता है, स्टाक एक्सचेंज कहलाता है।

🔥 विश्व व्यापार संगठन- गैट के उत्तराधिकारी के रूप में। जनवरी, 1995 को विश्व व्यापार संगठन की स्थापना हुई। यह व्यापार में शुल्कों और अन्य बाधाओं में कमी करके, जवन स्तर ऊँचा उठाने और अन्तर्राष्ट्रीय व्यवसाय में भेदमूलक के उन्मूलन के उद्देश्य से की गयी।

🔥 रिवर्स रेपो- जिस दर पर रिजर्व बैंक, व्यापारिक बैक व अन्य से उधार लेती है, उसे रेपो दर कहते हैं।

🔥 नकद आरक्षण अनुपात - यह वह अनुपात है जिस पर व्यापारिक बैंकों को अपनी कुल जमाओं का एक निश्चित भाग केन्द्रीय बैंक के पास रखना होता है।

🔥 विदेशी प्रत्यक्ष निवेश - विदेशी पूँजी का नई उत्पादक क्रिया में निवेश होने करने को विदेशी प्रत्यक्ष निवेश कहा जाता है।

🔥 पोर्ट फोलियों निवेश- वह विदेशी पूंजी जो भारतीय कम्पनियों के शेयरों का क्रय करती है, पोर्टफोलिया निवेश कहलाता है।

🔥 स्वर्णमान- जब किसी देश की मुद्रा का मूल्य सोने से मापा जाता है इस मौद्रिक व्यवस्था को स्वर्णमान कहते हैं। अब किसी देश में ऐसा नहीं होता है।

🔥 खरीद मूल्य- जिस मूल्य पर सरकार की एजेंसिया किसान से कृषि पदार्थ खरीदते हैं। यह हमेशा समर्थन मूल्ये से अधिक होगा।

🔥 बाजार अर्थव्यवस्था ऐसी अर्थव्यवस्था जिसमें विभिन्न आर्थिक प्रश्नों का उत्तर बाजार की शक्तियां स्वयं निर्धारित करती है।

🔥 लिमिटेड कम्पनी - ऐसी कम्पनी जिसके प्रबन्धक पर उत्तरदायित्व शेयरधारकों के प्रति सीमित होता है।

🔥 डम्पिंग- कई बार उत्पादक विदेशी बाजार पर कब्जा स्थापित करने के उद्देश्य से उत्पाद को घरेलू बाजार से कम कीमत पर बेचते है, यही डम्पिंग है।

👉 बहुराष्ट्रीय निगम

🔥 एक ऐसी कम्पनी जिसके कार्य क्षेत्र का विस्तार एक से अधिक देशों में होता है और जिसका उत्पादन एवं सेवा सुविधाएं उस देश से बाहर भी सम्पन्न होती है जिसमें यह जन्म लेती है, अन्तर्राष्ट्रीय कम्पनी या बहुराष्ट्रीय निगम कहा जाता है।

👉 चेक

🔥 चेक एक प्रकार से विनिमय हुण्डी होती है, जो एक निर्दिष्ट बैंक के ऊपर आहरित होती है तथा माँग पर ही, जिसका भुगतान किया जाता है। चेक में तीन पक्ष होते है। (i) भुगतान का आदेश देने वाला, आहर्ता (Drawer) (ii) जिसको आदेश दिया जाता है (Drawce) (iii) जो भुगतान प्राप्त करता है। अर्थात् चेक का धारण (Payee)

👉 विनिमय पत्र अथवा विनिमय हुण्डी

🔥 यह एक ऐसा लिखित विपत्र है, जिसमें उसका लेखक अपने हस्ताक्षर कर किसी व्यक्ति को यह शर्त रहित आज्ञा देता है। कि वह एक निश्चित धनराशि किसी व्यक्ति विशेष या उसके आदेशानुसार किसी अन्य व्यक्ति को या उस विपत्र के वाहक को भुगतान कर दें।

👉 अल्पाधिकार

🔥 यदि किसी वस्तु के बाजार में विक्रेताओं की संख्या बहुत कम (किन्तु दो से अधिक) होती है जिनके मध्य आपस में कोई समझौता सम्भव हो सकता हो, तो ऐसा बाजार अल्पाधिकार कहलाता है।

👉 पुनरुत्पादन दर अथवा शुद्ध प्रजनन दर

🔥 यह वह दर है जिस पर किसी देश की महिला जनसंख्या अपने आपको प्रतिस्थापित करती हैं यदि शुद्ध पुररुत्पादन दर एक हो, तो देश की जनसंख्या में स्थिरता की प्रवृत्ति होगी । यह दर एक से अधिक होने पर जनसंख्या में वृद्धि होती हैं। तथा एक जाती है। कम होने पर जनसंख्या में घटने की प्रवृत्ति पायी जाती है।

👉 अनुसूचित व्यापारिक बैंक

🔥 अनुसूचित व्यापारिक बैंक उन बैंकों को कहा जाता है, जिन्हें रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया ने अपनी दूसरी अनुसूची में सम्मिलित कर दिया है। कुछ आवश्यक शर्ते पूरी करने पर ही रिजर्व बैंक द्वारा किसी बैंक को इस अनुसूची में सम्मिलित किया जाता है।

🔥 विक्रेता बाजार- जब बाजार में किसी वस्तु की मांग अधिक होती है तथा पूर्ति कम, तब व्यापारी कमी का लाभ उठाकर वस्तुओं को मनमाने दाम पर बेचत हैं, ऐसे बाजार विक्रेता बाज़ार कहलाते हैं।

🔥 क्रेता बाजार- ऐसे बाजार जहाँ मुद्रा की मांग और पूर्ति अधीक होने के कारण क्रेता उसे सस्ती कीमत पर खीदता है।

🔥 मुद्रा बाजार- वह बाजार जहाँ मुद्रा की मांग और पूर्ति अल्प अवधि के लिए होती है तथा मुद्रा का उपयोग उत्पादन के लिए ही किया जाता है।

🔥 सार्वजनिक वस्तुयें ऐसी वस्तुएं जिनके उपयोग के लिए दूसरे को हटाया नहीं जा सकता अर्थात सभी व्यक्ति इसका उपयोग करेंगे। जैसे-सड़क, पार्क आदि।

🔥 थोक मूल्य सूचकांक - भारत में थोक मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति को मापने के उद्देश्य से केन्द्रीय सांख्यिकी संगठन द्वारा तैयार किया जाता है। भारत में थोक मूल्य सूचकांक निकालने के लिए आधार वर्ष 1981-82 था। बाद में इसे संशोधित करके 1993-94 कर दिया गया है। अब थोक मूल्य सूचकांक का नया आधार वर्ष 2004-05 है।

🔥 ब्लू चिप- ऐसी कम्पनियों के शेयर को कहा जाता है जो कम्पनियां अर्थव्यवस्था में लाभ कमा रही हों तथा जिनका भविष्य उज्जवल हो। ऐसे शेयरों के खरीदने में हानि की संभावना बहुत कम होती है तथा जब चाहे उचित मूल्य पर इन्हें बाजार में बेचा जा सकता है।

🔥 बुल - स्टॉक एक्सचेंज में उस व्यक्ति को बुल कहा जाता है जो इस आशा से शेयर या डिवेन्बर खरीदता है कि भविष्य में उसके भाव बढ़ जायेंगे ।

🔥 बीयर- स्टॉक एक्सचेंज में उस व्यक्ति को बीयर कहा जाता है जो इस आशा में कि शेयर या डिवेन्डर के भाव घट जायेंग, उन्हें बेच देता है।

🔥 म्यूअचल फंड - विभिन्न बैंक ऐसे फंड का निर्माण करते हैं, जिसमें लोग राशि जमा करते हैं। बैंक विशेषज्ञों की सलाह पर इस राशि से शेयर खरीदता है। इसके अन्तर्गत निवेशकों को एक निश्चित लाभांश की गारण्टी होती है।

🔥 आरक्षित मुद्रा- वह मुद्रा जो अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत हो तथा दूसरे देश में उसे ऋण समझौतों एवं खातों में दिखाने को तैयार हो, आरक्षित मुद्रा कहते हैं। यह वह मुद्रा है जिसे कोई देश अपने पूंजी भण्डार के तहत संचित रखता है। जैसे- अमेरिकी डॉलर, जर्मन मार्क आदि ।

🔥 सेन्सेक्स- पंजीकृत कम्पनियों के मूल्य सूचकांक को सेन्सेक्स कहा जाता है।

🔥 शेयर बाजार शेयरों और अंशपत्रों का क्रय-विक्रय जिस बाजार में होता है उसे शेयर बाजार कहा जाता है। ये शेयर बाजार कुछ निश्चित एवं नियमित पर ही होते है जिन्हें स्टाक एक्सचेंज के नाम से जाना जाता है। पब्लिक इस्सू जारी करके संसाधन एकत्रित करने वाली कम्पनियों को यही पंजीकरण कराना होता है।

🔥 बैंक दर- केन्द्रीय बैंक द्वारा अन्य व्यावसायिक बैंकों से ली जाने वाली की दर को बैंक दर कहते हैं।

🔥 वेबलेन प्रभाद- उपभोक्ता किसी वस्तु की गुणवत्ता उसकी कीमत के आधार पर निर्धारित करता है। अर्थात् कीमत को उच्च गुणवत्ता एवं कम कीमत की निम्न गुणवत्ता का द्योतक माना जाता है।

🔥 तेलफूल घाटा- हम जितने मूल्य पर विदेशों से कच्चा तेल खरीदते हैं, एवं उसे उपयोग बनाने में जितना खर्च करते हैं, उससे कम दाम पर घरेलू बाजार में बेचते है। खरीद एवं बिक्री के बीच फासले वाली राशि को ही तेल पूल घाटा कहा जाता है। आम वाहनों में प्रयोग होने वाले पेट्रोल को छोड़कर डीजन, केरोसिन, रसोईगैस एवं हवाई जहाज का पेट्रोल आदि सभी तेलों पर भारत सरकार सब्सिडी देती है।

🔥 कंप्रेस्ड नेचुरल गैस - एक पेट्रोलियम उत्पाद प्राकृतिक गैस हैं। इसकी खासियत यह है कि यह पेट्रोल वगैरह के मुकाबले बेहद सस्ती है तथा यह वाहन के ईंधन से लेकर खाना पकाने और कारखाने में भट्टी जलाकर लोहा गलाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। वाहनों में इसे कम्प्रेस्ड नेचुरल गैस के रूप में बदलकर प्रयोग किया जा रहा है।

🔥 उदार मुद्रा- वह मुद्रा जिसके पक्ष में भुगतान सन्तुलन हो ।

🔥 उदार ऋण- वह ऋण जिसकी ब्याज दर तो कम हो तथा उसे चुकाने की अवधि अधिक लम्बी हो।

🔥 विनिवेश- सार्वजनकि क्षेत्र के उपक्रमों में सरकार द्वारा अपनी अंश पूंजी कम करना विनिवेश कहलता है। भारत में यह नीति जून, 1991 से लागू की गयी।

🔥 आउटसोर्सिंग- आउटसोर्सिग, वैश्विक आर्थिक संव्यवहार की एक नवीनतम शब्दावली है। इसका शब्दिक अर्थ है- बाह्यस्रोत जबकि व्यापारक अर्थ है- वाह्य स्रोतों से ठेके पर कार्य कराने की प्रथा ।

🔥 हाटमनी- जिस मुद्रा में शीघ्र पलायन करने की प्रकृति होती है, उसे हाट मनी कहते हैं। यह अपेक्षा कृत अधिक लाभ मिलने वाले क्षेत्रों में स्थानान्तरित हो जाती है।

🔥 मूल्य संवर्धन कर- यह बिक्री कर के स्थान पर प्रवृत्त एक अप्रत्यक्ष कर जिसका आरोपण सरकार द्वारा किसी वस्तु या सेवा की उस कीमत पर किया जाता है जो उत्पादन से लेकर वितरण तक की प्रक्रिया में प्रत्येक स्तर पर बढ़ जाती है। इसमें उत्पादन के प्रत्येक चरण में उत्पाद मूल्य में हुई निबल वृद्धि पर ही कर लगाया जाता है।

🔥 मंदी- जब वस्तुओं की आपूर्ति की तुलना में मांग कम जाती है तो अर्थव्यवस्था में मंदी उत्पन्न हो जाती है। इसका कारण लोगों में कम क्रय शक्ति क्षमता है।

🔥 रुपये की परिवर्तनीयता- निर्यात एवं अन्य वैधानिक माध्यमों से अर्जित विदेशी मुद्रा को बाजार विनिमय दर पर स्वदेशी मुद्रा में बदल लेना रुपये की परिवर्तनीयता कहलाता है। भारत में रुपये की पूर्ण परिवर्तनीयता नीति 1993 से लागू हुयी।

🔥 बफर स्टॉक- आपात स्थिति और वस्तुओं की कीमतों पर नियन्त्रण बनाने रखने हेतु सरकार वस्तुओं का भण्डारण करती है। इसे बफर स्टॉक कहते हैं।

🔥 अवमूल्यन - किसी भी करेन्सी को अन्य करेन्सियों के साथ विनिमय की अपेक्षाकृत दरों में कमी करना, जिसका उद्देश्य व्यापार सन्तुलन के घाटे को कम करना है।

🔥 अहस्तक्षेप नीति - ऐसी स्थिति, जिसमें निजी आर्थिक गतिविधियों में किसी प्रकार का सरकारी हस्तक्षेप नहीं होता।

🔥 अतिरक बजट - ऐसा बजट, जिसमें सरकार की आय उसके व्यय से अधिक होता है।

🔥 अधिविकर्ष जमाकर्ता द्वारा बैंकों से अपनी कुल जमा की तुलना में अधिक धन निकाल लेना।

👉 के.पी.ओ. (Knowledge Processing Outsoursing KPO)

🔥 नॉलिज प्रोसेसिंग आउटसोर्सिंग वह प्रक्रिया है जिसमें ज्ञान आधारित सेवाएं जैसे कि वकालत आदि दूसरे देशों से कराई। जाती है। आने वाले दिनों में विकसित देश अपनी अनेक ज्ञान आधारित सेवाऐ भारत जैसे विकाशील देशों से कराना प्रारम्भ कर देगें, क्योंकि ऐसा करना उनके लिए सस्ता होगा।

👉 गैर-निष्पादनीय परिसम्पतित्याँ (Non-performing Assets) - गैर-निष्पादनीय परिसम्पत्तियाँ बैंकों एवं वित्तीय संस्थानों द्वारा वितरित वे ऋण हैं जिनके मूलधन एवं उस पर देय ब्याज की वापसी समय से नहीं हो पाती या बिल्कुल नहीं हो पाती।

👉 उपार्जित आय - ऐसी आय जो चालू वर्ष में अर्जित तो कर ली गई है, किन्तु वर्ष के अन्त तक वास्तव में प्राप्त नहीं होती, उपार्जित आय कहलाती है।

👉 अनुपार्जित आय - आय का वह भाग जो चालू वर्ष में प्राप्त तो हो गया है किन्तु चालू वर्ष से उसका सम्बन्ध नहीं होता, अनुपार्जित आय कहलाता है।

👉 मूर्त सम्पत्तियाँ - मूर्त सम्पत्तियाँ ऐसी सम्पत्तियाँ होती हैं, जिन्हें देखा, छुआ तथा अनुभव किया जा सकता है, जैसे भूमि, भवन, मशीनरी, माल, फर्नीचर, मोटरगाड़ियाँ आदि।

👉 मानव विकास सूचकांक - एक देश में बुनियादी मानवीय योग्यता की औसत प्राप्ति को मानव विकास निर्देशांक द्वारा मापा गया है। इसका आकलन सम्बन्धित देश में जीवन प्रत्याशा (Life Expectance), शिक्षा के स्तर तथा वास्तविक आय के आधार पर किया जाता है।

👉 चक्रीय बेरोजगारी (Cyclical Unemployment) - व्यापार चक्र की मन्दी के समय उत्पन्न बेरोजगारी 'चक्रीय बेरोजगारी' कहलाती है।

👉 मृत्यु कर (Death Duty) - यह एक प्रत्यक्ष कर है, जो मरने वाले व्यक्ति की सम्पत्ति के हस्तान्तरण से पूर्व उत्तराधिकारी को  चुकाना है।

👉 प्रच्छन्न बेरोजगारी (Unemployement) - यह इस प्रकार की बेरोजगारी है जिसमें व्यक्ति स्पष्ट रूप से बेरोजगार प्रतीत नहीं होते। वे काम पर तो लगे हुए होते है। ऐसे लोगों को यदि काम से हटा दिया जाय, तो कुल उत्पादन पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता।

👉 आदिष्ट चेक (Order Cheque) जब किसी धारक चेक में से धारक शब्द को काट दिया जाय अथवा उस चेक पर (order) लिख दिया जाए, तो वह चेक आदिष्ट चेक बन जाता है। इसे चेक का भुगतान करने के लिए बैंक भुगतान लेने वाले व्यक्ति की पहचान करती है। इस औपचारिकता के बाद ही उस चेक का भुगतान किया जाता

👉 रेखांकित चेक (Crossed Cheque) - जब चेक के ऊपर प्रायः बाई ओर दो समानान्तर रेखाएं बना दी जाती है, तो वह चेक रेखांकित चेक बन जाता है। इस  रेखांकित चेक का भुगतान बैंक काउन्टर पर नकद प्राप्त नहीं करा कर ही प्राप्त किया जा सकता है।

👉 फिगिन वस्तुए (Giffin Goods) - गिफिन वस्तुएं कुछ घटिया किस्म की ऐसी वस्तुएं होती है। जिन पर उपभोक्ता अपनी आय बड़ा भाग व्यय करता है। इन वस्तुओं पर माँग का नियम लागू नहीं होता। बल्कि मूल्य में वृद्धि से इनकी माँग बढ़ जाती है तथा मूल्य में कमी से माँग भी कम हो जाती है। इस विरोधाभास को गिफिन का विरोधाभास (Giffin's Paradox) कहा जाता है।

👉 टैरिफ (Tariff) - किसी देश द्वारा आयातों पर लगाये गये कर को ही प्रायः 'टैरिफ' कहा जाता है।

👉 सम्पत्ति कर - किसी व्यक्ति द्वारा संचित सम्पत्ति के आधार पर लगने वाले कर को सम्पत्ति कर कहते हैं।

👉 अधिविकर्ष (Overdraft) - बैंकों से जमाकर्ता द्वारा अपनी जमा रकम के अतिरिक्त धन निकालना 'अधिविकर्ष' कहलाता है।

👉 विनिमय दर - जिस दर पर एक देश की मुद्रा दूसरा देश की मुद्रा में बदली जाती हैं, उसे 'विनिमय दर' कहलाता है।

👉 सूचना का अधिकार अधिनियम - किसी व्यक्ति को, जो कि सूचना पाने का इच्छुक है, सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 है। इसकी प्रस्तावना में लोकतांत्रिक आदर्शों को सर्वोपरि मानते हुए माना गया है कि संवेदनशील सूचना की गोपनीयता बनाने की जानकारी को छोड़कर शेष जानकारी से नागकों को अवगत कराना होगा। ये सरकारी, अर्द्ध-सरकारी, स्वायत्त संस्थाएं, नगर पंचायत, नगरपालिकाएं, ग्राम पंचायत इत्यादि सभी को लागू होगा।

👉 लीड बैंक योजना (Lead Badn Scheme) - यह योजना जिलों की अर्थव्यवस्थासुधारने के लिए 1969 में प्रारम्भ की गयी थी। इसके अन्तर्गत प्रत्येक जिले के लिए एक बैंक को लीड बैंक घोषित कर दिया जाता है। जिस बैंक को लीड बैंक घोषित किया जाता है, वह जिला स्तर पर ऋणों की योजना बनाने, विशिष्ट कार्यक्रमों में अन्य बैंकों का सहयोग लेने तथा निश्चित कार्यक्रामें के लिए ऋण जुटाने में सभी वित्तीय संस्थाओं में समन्वय कायम करने का प्रयास करता है।

👉 Green FDI and Brown FDI : जब किसी नये क्षेत्र में निवेश किया जाता है तो उसे Green FDI कहते है। अब पारम्परिक क्षेत्र में निवेश किया जाता है तो उसे Brown FDI कहते है।

👉 Cash Cow: वे शेयर जो लगातार लाभ देते है Cash cow कहलाते है। इन्हें ही ब्लू चीप शेयर कहते है।

👉 Over heating: अर्थव्यवथा में मांग का बेतहाशा बढ़ जाता overheating कहलाता है।

👉 Ergonomics: किसी श्रमिक की कार्य क्षमता और उसके द्वारा किये गये कार्य का अध्ययन Ergonomics कहलाता है।

👉 Amortization: जब ऋणों का भुगतान एक साथ कर दिया जाता है तो इसे Amortization कहते हैं।

👉 Moratorium: जब ऋणों का भुगतान कानून बनाकर टाल दिया जाता है तो इसे Moratorium कहा जाता है।

👉 Zero Net Aid जब किसी देश को विदेशी सहायता की आवश्यकता नहीं होती तो उसे Zero Net Aid के नाम से जाना जाता है।

👉 Conspicous Consumption: जब विकासशील देशों के नागरिक विलासिता की वस्तुओं पर अधिक खर्च करते है तो इसे Conspicous consumption के नाम से जाना जाता है। इसे बचत पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

👉 Pump priming: यह kenes की अवधारणा है जो मन्दी को दूर करने के लिए प्रस्तुत की गई। Pump priming के अनुसार सरकार द्वारा अधिकाधिक निवेश किया जाता है। भले ही यह निवेश अनुत्पादक क्षेत्रों में हो।

👉 K.P.O. Knowledge Process Outsouring: इसके तहत कोई देश किसी अन्य देश के विशेषज्ञों से ज्ञान आधारित सेवाएं प्राप्त करता है।

👉 Gilt Fund / Gilt Edge Market: जब सरकारी प्रतिमूर्तियों में निवेश किया जाता है तो इसे Gilt fund कहलाता है।

👉 Venture capital: जोखिम पूजीः जोखित पूर्ण व्यवसाय में धन का निवेश venture capital के नाम से जाता जाता है। प्रायः किसी नये व्यवसाय में धन लगाना Venture capital के रूप में व्यक्त किया जाता है।

👉 Fort loose Industry: ऐसी उद्याग जिन्हें विकास करने के लिए किसी खास स्थान की आवश्यकता नहीं होती Foot loose Industry or Mobile Industry के नाम से जाने जाते हैं।

👉 Sun Rise Industry : सूर्योदय उद्योग वह उद्योग जो तेजी से उभर रहे है तथा जिनके और अधिक विकास की सम्भवानाएं है। वे Sun Rise Industry उद्योग के नाम से जाने जाते है।

👉 Embargo: जब कुछ देश मिलकर जब किसी अन्य देश पर आर्थिक प्रातिबन्ध लगा देते है तो इसे Embargo के नाम से जाता जाता है। पश्चिमी देशों ने ईरान के विरूद्ध इसी नीति का प्रयोग किया है।

👉 Capital] Base: किसी संस्था को अपनी चुनौतियों का सामना करने के लिए जितने धन की आवश्यकता होती है वहीं उसका पूँजी आधार होती है। संस्था जितनी बड़ी होती है पूँजी आधार उतना ही बड़ा होता है।

👉 Wind fall [tax: किसी संस्था द्वारा अनुमातिन आय से अधिक आय प्राप्त करने पर अतिरिक्त आय पर बढ़े हुए दर से कर लगाया जाता है । यहीं Wind fall tax है।

👉 Tobin tax: टोबिन टैक्स अर्थशास्त्री बेक्स टोबिन की अवधारणा के अनुसार यह Stock exchange के लेने देन पर लगाया जाता है। भारत में यह Securities Transition tax के रूप में लागू है। उद्योगपति इसका विरोध करते हैं।

👉 Legal Tender/Subsidiary Currency: किसी देश की वैधानिक मुद्रा ही उस देश की Legal Tender होते है। Indian National Rupee भारत की Legal Tender है। कभी-कभी Legal Tender को बाजार द्वारा अस्वीकृत कर दिया जाता है। तब इसे Subsidiary currency कहते हैं। 50 पैसे का सिक्का Legal Tender तो है परन्तु यह Subsid- iary currency भी है।

👉 Fiduciary Issue : बिना रिजर्व रखे कागजी मुद्रा जारी करना Fiduciary issue कहलाता है।

👉 Hire Purchase: इसके तरह किसी वस्तु को किस्तों में भुगतान करके खरीदा जाता है। स्वामित्व सम्पूर्ण भुगतान के बाद ही दिया जाता है।

👉 Fiscal Clift: राजकोषीय घाटे को दूर करने के लिए fiscal elift की अवधारणा का प्रयोग किया जाता है। इसके तरह धनवान वर्ग पर उच्च आयकर दर लागू की जाती है तथा सार्वजनिक व्यय में कटौती की जाती है।

👉 Oligopoly: अल्पाधिकारः जब बाजार में विक्रेताओं की संख्या अत्यल्प परन्तु दो से अधिक हो तो वे पारस्परिक समूह बनाकर बाजार को प्रभावित करते हैं। यही Oligopoly है ।

👉 Marchant Banking: इसके तहत औद्योगिक एवं व्यापारियों के संस्थानों को विभिन्न सेवाएं उपलब्ध कराई जाती है।

👉 Indigenous Banking: इसके तहत अनौपचारिक क्षेत्र द्वारा जैसे देशी बैंक व्यवस्था द्वारा ऋण सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती है। महाजन इसी का एक उदाहरण है।

👉 Free Port: जब किसी बन्दरगाह पर आयात-निर्यात के लिए कोई कर नहीं लगाया जाता तो इसे Free Port कहते है। जैसे Signapur, Hongkong, Free Port के ही उदाहरण है। Entreport : जब निर्यात के उद्देश्य से आयात किया जाता है तो इसे Entreport के नाम से जाता जाता है। जैसे, सिंगापुर, लन्दन के बन्दरगाह Entreport के रूप में ही विकसित है।

👉 Green GDP: किसी देश की भौगोलिक सीमा में एक वर्ष में अर्जित समस्त आय को उस देश GDP कहा जाता है। यदि GDP में पर्यावरण को हुई क्षति को समायोजित किया जाए तो इसे Green GDP कहते हैं।

👉 प्रति व्यक्ति Green GDP की दृष्टि से आस्ट्रेलिया का पहला व इथियोपिया का अन्तिम स्थान है। प्रति व्यक्ति Green GDP की दृष्ट से भारत अन्तिम 21 देशों में से एक है।

👉 राष्ट्रीय आयः किसी देश के नागरिकों द्वारा एक वर्ष में अर्जित समस्त आय GNP है। यदि इसमें मुद्रा के मूल्य और मशीन के मूल्य में आये हास को समायोजि कर दिया जाय तो यह शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNP) है। इसे बाजार मूल्य पर परिवर्तित करने के लिए Indirect tax घटा दिया जाता है। Subsidy जोड़ दिया जाता है। यही बाजार मूल्य पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद है।

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