(समय: 3 घंटे 15 मिनट) पुर्णांक : 80
परीक्षार्थियों के लिए निर्देश :
1. यह प्रश्न-पत्र दो खण्डों
में है - खण्ड-अ एवं खण्ड-ब
2. खण्ड-अ में कुल 40 बहुविकल्पीय
प्रश्न हैं। सभी प्रश्न अनिवार्य हैं। प्रत्येक प्रश्न की अधिमानता 1 अंक की है। प्रत्येक
प्रश्न में चार विकल्प दिए गये हैं। इनमें से सबसे उपयुक्त उत्तर को आप अपने OMR उत्तर
पत्रक पर ठीक-ठीक गहरा काला करें। नीला या काला बॉल-प्वाइंट कलम का ही प्रयोग करें।
पेंसिल का प्रयोग वर्जित है। आप अपना पूरा हस्ताक्षर OMR उत्तर पत्रक में दी गयी जगह
पर करें।
3. खण्ड-ब में तीन खण्ड- क,
ख एवं ग है और कुल प्रश्नों की संख्या 19 है। प्रश्न- संख्या 1-7 अतिलघु उत्तरीय प्रकार
के हैं। इनमें से किन्हीं पाँच प्रश्नों के उत्तर अधिकतम एक वाक्य में दीजिए। प्रत्येक
प्रश्न की अधिमानता 2 अंक निर्धारित हैं।
प्रश्न-
संख्या 8-14 लघु उत्तरीय प्रकार के हैं। इनमें से किन्हीं पाँच प्रश्नों के उत्तर
अधिकतम 50 शब्दों में दीजिए। प्रत्येक प्रश्न की अधिमानता 3 अंक निर्धारित हैं।
प्रश्न-
संख्या 15-19 दीर्घ उत्तरीय प्रकार के हैं। इनमें से किन्हीं तीन प्रश्नों के
उत्तर अधिकतम 100 शब्दों में दीजिए। प्रत्येक प्रश्न की अधिमानता 5 अंक निर्धारित
हैं।
4. OMR उत्तर पत्रक के पृष्ठ
2 पर प्रदत्त सभी निर्देशों को ध्यानपूर्वक पढ़ें तथा उसके अनुसार कार्य करें। कृपया
परीक्षा भवन छोड़ने से पहले OMR उत्तर पत्रक वीक्षक को लौटा दीजिए। प्रश्न पुस्तिका
आप अपने साथ ले जा सकते हैं।
खण्ड-अ (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
प्रश्न- संख्या 1 से 40 तक के प्रत्येक प्रश्न के साथ चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें से एक सही है। अपने द्वारा चुने गये सही विकल्प को OMR शीट पर चिह्नित करें। 40 x 1 = 40
1. निम्नलिखित
में से कौन उत्पत्ति का साधन नहीं है ?
(1) भूमि
(2) श्रम
(3) मुद्रा
(4) पूँजी
2. अर्थव्यवस्था
की केन्द्रीय समस्या कौन-सी है ?
(1) क्या उत्पादन
हो ?
(2) कैसे उत्पादन
हो ?
(3) उत्पादित
वस्तु का वितरण कैसे हो ?
(4) इनमें से
सभी
3. किसने कहा
? "अर्थशास्त्र कभी वास्तविक विज्ञान होता है और कभी आदर्श विज्ञान" ।
(1) मार्शल
(2) फ्रेडमैन
(3) कीन्स
(4) इनमें से
कोई नहीं
4. निम्न अर्थशास्त्री
में से कौन कल्याणवादी विचारधारा से नहीं हैं ?
(1) जे बी से
(2) मार्शल
(3) पीगू
(4) कैनन
5. उपयोगिता
का क्रमवाचक सिद्धांत निम्न में से किसने प्रस्तुत किया ?
(1) पीगू
(2) हिक्स एवं
ऐलेन
(3) मार्शल
(4) सेम्यूलसन
6. जब कुल उपयोगिता
अधिकतम होती है, तब सीमांत उपयोगिता क्या होती है?
(1) धनात्मक
(2) ऋणात्मक
(3) शून्य
(4) इनमें से
कोई नहीं
7. सम सीमांत
उपयोगिता नियम का दूसरा नाम क्या है?
(1) उपयोगिता
ह्रास नियम
(2) प्रतिस्थापन
का नियम
(3) गोसेन का
प्रथम नियम
(4) इनमें से
कोई नहीं
8. कीमत या बजट
रेखा की ढाल क्या होती है ?
(4) इनमें से
कोई नहीं
9. माँग में
संकुचन तब होता है, जब
(1) कीमत बढ़ती
है और माँग घटती है।
(2) कीमत बढ़ती
है और माँग भी बढ़ती है।
(3) कीमत स्थिर
रहती है और माँग घटती है।
(4) कीमत घटती
है लेकिन माँग स्थिर रहती है।
10. माँग की
लोच मापने के लिए प्रतिशत या आनुपातिक रीति का प्रतिपादन किसने किया?
(1) मार्शल
(2) फ्लक्स
(3) हिक्स
(4) इनमें से
कोई नहीं
11. यदि मूल्य
में 40% परिवर्तन के फलस्वरूप वस्तु की माँग में 60% परिवर्तन होता है तो माँग की कीमत
लोच क्या होगी ?
(1) 0.5
(2) -1.5
(3) 1
(4) 0
12. दीर्घकालीन
उत्पादन फलन का सम्बन्ध निम्न में से किससे है ?
(1) माँग का
नियम
(2) परिवर्तनशील
अनुपातों का नियम
(3) पैमाने के
प्रतिफल का नियम
(4) माँग की
लोच
13. अल्पकालीन
उत्पादन की दशा में एक विवेकशील उत्पादन किस अवस्था में उत्पादन करना पसन्द करेगा
?
(1) प्रथम अवस्था
(2) द्वितीय
अवस्था
(3) तृतीय अवस्था
(4) इनमें से
कोई नहीं
14. मौद्रिक
लागत में निम्नलिखित में किसे सम्मिलित किया जाता है?
(1) सामान्य
लाभ
(2) व्यक्त लागत
(3) अव्यक्त
लागत
(4) उपयुक्त
सभी
15. औसत परिवर्तनशील
लागत क्या है ?
(1) कुल परिवर्तनशील
लागत x उत्पाद
(2) कुल परिवर्तनशील
लागत + उत्पाद
(3) कुल परिवर्तनशील
लागत - उत्पाद
(4) कुल परिवर्तनशील
लागत ÷ उत्पाद
16. फर्म का
लाभ निम्नलिखित में किस शर्त को पूरा करने पर अधिकतम होगा ?
(1) सीमांत आगम
= सीमांत लागत ।
(2) सीमांत लागत
वक्र सीमांत आगत रेखा को नीचे से काटती है।
(3) दोनों
(1) और (2)
(4) इनमें से
कोई नहीं
12th History Model Set-1 2022-23
17. निम्नांकित चित्र क्या प्रदर्शित करता है ?
(1) पूर्ति का
विस्तार
(2) पूर्ति का
संकुचन
(3) पूर्ति में
वृद्धि
(4) इनमें से कोई नहीं
18. पूर्ति की
लोच क्या है, जब es = 0
(1) पूर्णतः
लोचदार पूर्ति
(2) पूर्णतः
बेलोचदार पूर्ति
(3) कम लोचदार
पूर्ति
(4) इकाई लोचदार
पूर्ति
19. किस बाजार
में फर्म का स्वतंत्र प्रवेश तथा बहिर्गमन होता है?
(1) एकाधिकारी
प्रतियोगिता बाजार
(2) अपूर्ण प्रतियोगिता
बाजार
(3) पूर्ण प्रतियोगिता
बाजार
(4) इनमें से
कोई नहीं
20. निम्न में
से कौन सही सम्बन्ध है?
(1) सीमांत आगम = औसत आगम ,MR=AR
(2) कुल आगम = सीमांत आगम TR=MR
(3) दोनों
(1) और (2)
(4) इनमें से
कोई नहीं
21. निम्न में
से कौन एकाधिकार की विशेषता नहीं है।
(1) एक क्रेता
और अधिक विक्रेता
(2) निकट स्थानापन्न
का अभाव
(3) नए फर्मों
के प्रवेश पर प्रतिबन्ध
(4) इनमें से
सभी
22. किस बाजार
में वस्तु विभेद पाया जाता है ?
(1) शुद्ध प्रतियोगिता
(2) पूर्ण प्रतियोगिता
(3) एकाधिकार
(4) एकाधिकारी
प्रतियोगिता
23. किसने कीमत
निर्धारण में समय तत्त्व का विचार प्रस्तुत किया ?
(1) वालरस
(2) जे. के.
मेहता
(3) मार्शल
(4) रिकार्डो
24. बाजार मूल्य
का सम्बन्ध निम्नलिखित में से किससे है?
(1) स्थायी मूल्य
(2) अति अल्पकालीन
मूल्य
(3) सामान्य
मूल्य
(4) इनमें से
सभी
12th History Model Set-1 2022-23
25. स्थायी पूँजी का उपभोग क्या है?
(1) पूँजी निर्माण
(2) घिसावट
(3) निवेश
(4) इनमें से
सभी
26. घिसावट व्यय
किसमें सम्मिलित रहता है ?
(1) GNPMP
(2) NNPMP
(3) NNPFC
(4) इनमें से
कोई नहीं
27. द्वितीयक
क्षेत्र में निम्नांकित में से कौन सी सेवाएँ सम्मिलित है?
(1) बीमा
(2) विनिर्माण
(3) व्यापार
(4) बैंकिंग
28. राष्ट्रीय
आय में निम्नलिखित में से किसे सम्मिलित किया जाता है ?
(1) हस्तान्तरण
भुगतान
(2) शेयर और
ब्राण्ड की बिक्री से प्राप्त राशि
(3) काले धन्धे
से प्राप्त आय
(4) इनमें से
कोई नहीं
29. निम्नलिखित
में किसके अनुसार, "मुद्रा वह धुरी है जिसके चारों ओर समस्त अर्थ विज्ञान चक्कर
लगाता है"।
(1) कीन्स
(2) रॉबर्टसन
(3) मार्शल
(4) हाट्रे
30. मुद्रा के
स्थैतिक और गत्यात्मक कार्यों का विभाजन किसने किया?
(1) रैगनर फ्रिश
(2) पॉल ऐजिंग
(3) मार्शल
(4) इनमें से
कोई नहीं
31. साख गुणक
क्या है ?
(1) 1 ÷ नकद
कोष अनुपात
(2) नगद x 1
÷ नकद कोष अनुपात
(3) नकद x नकद
कोष अनुपात
(4) इनमें से
कोई नहीं
32. व्यावसायिक
बैंक के प्रमुख कार्य क्या हैं?
(1) ग्राहकों
की जमा स्वीकार करना
(2) ग्राहकों
को ऋण देना
(3) नोट निर्गमन
(4) केवल
(1) और (2)
33. निम्न में
से किसका सम्बन्ध बैंकिंग सुधार से है ?
(1) 1991
(2) नरसिंम्हम
समिति
(3) वाई. वी.
रेडी समिति
(4) केवल
(1) और (2)
34. किस वर्ष
में भारत में 14 बड़े अनुसूचित व्यावसायिक बैंकों को राष्ट्रीयकरण किया गया?
(1) 1949
(2) 1955
(3) 1969
(4) 2000
35. निवेश के
निर्धारक घटक कौन से हैं?
(1) पूँजी की
सीमांत क्षमता
(2) ब्याज दर
(3) दोनों
(1) और (2)
(4) इनमें से
कोई नहीं
36. अगर सीमांत
उपभोग प्रवृत्ति 0.5 है तो गुणक (K) क्या होगा ?
(1) 1 ÷ 2
(2) 0
(3) 1
(4) 2
37. कीन्स के
अर्थव्यवस्था में न्यून माँग की दशा को निम्नलिखित में किस नाम से पुकारा जाता है?
(1) पूर्ण रोजगार
संतुलन
(2) अपूर्ण रोजगार
संतुलन
(3) दोनों
(1) और (2)
(4) इनमें से
कोई नहीं
38. सीमान्त
उपयोग प्रवृत्ति निम्न में से कौन है ?
(4) इनमें से
कोई नहीं
39. गुणात्मक
साख नियंत्रण के अन्तर्गत निम्नलिखित में किसे शामिल किया जाता है ?
(1) ऋणों की
सीमान्त आवश्यकता में परिवर्तन
(2) साख की राशनिंग
(3) प्रत्यक्ष
कार्यवाही
(4) उपर्युक्त
सभी
40. निम्नलिखित
में से कौन अप्रत्यक्ष कर है ?
(1) आय कर
(2) सम्पत्ति
कर
(3) उत्पाद शुल्क
(4) उपहार कर
खण्ड-ब (विषयनिष्ठ प्रश्न)
खण्ड-क (अतिलघु उत्तरीय प्रश्न)
किन्हीं पाँच प्रश्नों
के उत्तर दीजिए । 2 x 5 = 10
1. समष्टि अर्थशास्त्र
क्या है ?
उत्तर - समष्टि
अर्थशास्त्र आर्थिक सिद्धांत की वह शाखा है जो अर्थप्रणाली का उसकी समग्रता में अध्ययन
करता है। दूसरे शब्दों में, इसका संबंध अर्थव्यवस्था की व्यक्तिगत इकाइयों से नहीं,
वरन उनके समूहों से होता है। यह व्यापक स्तर पर अर्थव्यवस्था के समग्र व्यवहार का विश्लेषण
करता है, जैसे राष्ट्रीय आय, कुल रोजगार, कुल बचत एवं निवेश इत्यादि ।
2. कीमत और माँग
में क्या संबंध है ?
उत्तर - किसी
वस्तु की कीमत और उसकी माँग में घनिष्ठ संबंध है। माँग और कीमत के पारस्परिक संबंध
को ही माँग का नियम कहते हैं। सामान्यतया किसी वस्तु की कीमत तथा उसकी माँग में विपरीत
संबंध होता है। गिरती हुई कीमत के साथ माँग की मात्रा बढ़ती है और बढ़ती हुई कीमत के
साथ माँग की मात्रा घटती जाती है।
3. उत्पादन फलन
क्या है?
उत्तर - निर्गत
आगतों का फल या परिणाम होता है। उत्पादन फलन आगतों 'तथा निर्गतों के पारस्परिक संबंध
की व्याख्या करता है। दूसरे शब्दों में, यह एक दी हुई तकनीक के अंतर्गत आगतों के प्रयोग
से निर्गत में हुए परिवर्तनों को व्यक्त करता है।
4. एकाधिकार
की परिभाषा दीजिए।
उत्तर – एकाधिकार
एक पूर्ण प्रतिस्पर्धात्मक बाजार के ठीक विपरीत की स्थिति होता है। एक बाजार संरचना
जिसमें केवल एक ही उत्पादक या विक्रेता होता है, एकाधिकार कहलाता है। एकाधिकारी का
किसी वस्तु की पूर्ति पर पूर्ण नियंत्रण होता है।
5. वस्तु-विनिमय
क्या है?
उत्तर- जब किसी
वस्तु या सेवा का विनिमय किसी अन्य वस्तु या सेवा के साथ प्रत्यक्ष रूप से किया जाता
है तब इसे वस्तु-विनिमय कहते हैं। प्रो० हेनरी क्ले के अनुसार, वस्तुओं से वस्तुओं
की प्रत्यक्ष अदला-बदली वस्तु-विनिमय कहलाती है।
6. राजस्व व्यय
क्या हैं?
उत्तर- राजस्व
व्यय सरकार का वह व्यय है जिससे न तो परिसंपत्तियों का निर्माण होता है और न ही उसकी
देनदारियों में कमी आती है। इस प्रकार का व्यय सरकारी विभागों के सामान्य कार्यों के
संपादन, ब्याज भुगतान, आर्थिक सहायता आदि पर किया जाता है।
7. भुगतान शेष
से आप क्या समझते हैं?
उत्तर- भुगतान
शेष अथवा भुगतान संतुलन (balance of payments) किसी देश का विश्व के अन्य देशों के
साथ सभी प्रकार के मौद्रिक सौदों का लेखा होता है।
यह अंतरराष्ट्रीय
लेन-देन अथवा व्यापार में उस देश की आर्थिक स्थिति को प्रकट करता है।
खण्ड ख (लघु उत्तरीय प्रश्न)
किन्हीं पाँच प्रश्नों
के उत्तर दीजिए। 3 x 5 = 15
8. "सीमितता
सभी आर्थिक समस्याओं की जननी है।" स्पष्ट करें।
उत्तर- आर्थिक
समस्याओं की उत्पत्ति का मूल कारण मानव-जीवन की कुछ आधारभूत एवं मौलिक आवश्यकताएँ है।
सर्वप्रथम हमारी आवश्यकताएँ अनंत एवं असीमित है। मानवीय आवश्यकताओं की कोई सीमा नहीं
है। आदिमानव की आवश्यकताएँ बहुत कम थीं। परंतु आर्थिक विकास के साथ ही मनुष्य की आवश्यकताओं
में भी निरंतर वृद्धि हुई है। आज हमारी अनेक आवश्यकताएँ हैं। लेकिन, इन आवश्यकताओं
को पूरा करने के साधन सीमित हैं। साधनों से हमारा तात्पर्य मानवीय श्रम, प्राकृतिक
एवं पूँजीगत साधन तथा इनके द्वारा उत्पादित वस्तुओं या धन से है। माँग की तुलना में
इन साधनों की पूर्ति सीमित है तथा इनका वैकल्पिक अथवा कई प्रकार से प्रयोग किया जा
सकता है। उदाहरण के लिए, हम देश में उपलब्ध लोहा एवं इस्पात से मकानों, पुलों, मशीनरी
तथा उपकरण आदि का निर्माण कर सकते हैं अथवा अस्त्र-शस्त्र का। इस सीमित साधन द्वारा
इन सभी आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं की जा सकती है।
इसके साथ ही मनु की आवश्यकताओं की तीव्रता में भी भिन्नता होती है। हम अपने सीमित साधनों से सभी आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर सकते। अतएव, हमें यह निर्णय लेना होता है कि इन सीमित साधनों का विभिन्न आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए किस प्रकार प्रयोग या आवंटन किया जाए। हमें अपनी आवश्यकताओं के बीच चुनाव करना पड़ता है तथा इन साधनों का प्रयोग पहले अधिक महत्त्वपूर्ण आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए किया जाता है। इस प्रकार, अर्थशास्त्र की मूल समस्या चुनाव या चयन की समस्या है जो साधनों की सीमितता के कारण उत्पन्न होती है।
9. उपभोक्ता
की आय में होनेवाला परिवर्तन किसी वस्तु के लिए उसकी माँग को किस प्रकार प्रभावित करता
है?
उत्तर - उपभोक्ता
की आय में होनेवाले परिवर्तन भी किसी वस्तु की माँग को प्रभावित करते हैं। लेकिन, आय
में होनेवाले परिवर्तनों का सभी वस्तुओं की माँग पर एक जैसा प्रभाव नहीं होता है। वास्तव
में, किसी वस्तु की माँग पर आय का प्रभाव उस वस्तु की प्रकृति पर निर्भर करता है। उपभोक्ता
की आय में वृद्धि होने पर अधिकांश वस्तुएँ, जिनका वह चयन या माँग करता है, उनकी मात्रा
बढ़ जाती है। इसके विपरीत, आय में कमी होने पर माँग की मात्रा घट जाती है। इस प्रकार
की वस्तुओं को सामान्य वस्तुएँ कहते हैं। सामान्य वस्तुओं पर आय का प्रभाव धनात्मक
होता है। सामान्य वस्तु के लिए उपभोक्ता की माँग उसकी आय की दिशा में ही गतिमान होती
है। अच्छी अथवा उत्तम कोटि के खाद्य पदार्थ, फैन्सी वस्त्र आदि सामान्य वस्तुओं के
उदाहरण हैं। आय में वृद्धि होने पर सामान्य वस्तुओं की माँग बदलकर पूर्व माँग वक्र
की दाई ओर तथा आय में कमी होने पर बाई ओर खिसक जाती है।
लेकिन, कुछ वस्तुएँ
ऐसी भी हैं जिनकी माँग उपभोक्ता की आय की विपरीत दिशा में जाती है। ऐसी वस्तुओं को
निम्न स्तरीय स्तुओं की संज्ञा दी जाती है। निम्न स्तरीय वस्तुओं पर आय का प्रभाव ऋणात्मक
होता है। उपभोक्ता की आय में वृद्धि होने पर इन वस्तुओं की भाँग घटती है तथा आय कम
होने पर बढ़ती है। मोटे अनाज, मोटा कपड़ा आदि निम्न स्तरीय वस्तुओं के उदाहरण हैं।
आय में वृद्धि होने पर निम्न स्तरीय वस्तुओं की मॉंग बदलकर पूर्व के माँग वक्र की बाईं
ओर तथा आय कम होने पर दाईं ओर खिसक जाती है।
10. प्रतिफल
के नियम से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर- प्रतिफल
के नियमों को उत्पत्ति या उत्पादन के नियम भी कहते हैं। हम जानते हैं कि उत्पादन या
निर्गत साधन आगतों का फलन होता है। प्रतिफल के नियम आगतों में परिवर्तन के फलस्वरूप
निर्गत में होनेवाले परिवर्तन की व्याख्या करते हैं। मान लें कि बढ़ती हुई माँग को
पूरा करने के लिए एक फर्म अपने उत्पादन को बढ़ाना चाहता है। इसके लिए उसे साधन आगतों
की मात्रा में वृद्धि करनी होगी। लेकिन, अल्पकाल में स्थिर साधनों की मात्रा में परिवर्तन
संभव नहीं है। इस अवधि के अंतर्गत केवल परिवर्तनशील साधनों की मात्रा को घटाया या बढ़ाया
जा सकता है। अल्पकाल में स्थिर साधनों में कोई परिवर्तन लाए बिना एक परिवर्तनशील साधन
की मात्रा में परिवर्तन से उत्पादन की मात्रा में जो परिवर्तन होता है उसे परिवर्तनशील
अनुपात के प्रतिफल का नियम या परिवर्तनशील अनुपात का नियम कहते हैं। अतः, इसे अल्पकालीन
उत्पादन फलन भी कहते हैं।
परंतु, दीर्घकाल
में स्थिर तथा परिवर्तनशील सभी साधन आगतों को घटाया या बढ़ाया जा सकता है जिससे उत्पादन
का पैमाना ही बदल जाता है। इस प्रकार, दीर्घकाल की स्थिति में उत्पादन के पैमाने में
परिवर्तन से उत्पादन की मात्रा में जो परिवर्तन होता है उसे पैमाने के प्रतिफल का नियम
कहते हैं। यह नियम दीर्घकाल में आगत और निर्गत के संबंध की व्याख्या करता है। अतएव,
इसे दीर्घकालीन उत्पादन फलन भी कहते हैं।
11. पूर्ण प्रतिस्पर्धा
तथा एकाधिकार में अंतर बताइए ।
उत्तर- पूर्ण
प्रतिस्पर्धा तथा एकाधिकार दोनों बाजार की दो चरम सीमाएँ हैं जो वास्तविक जीवन में
बहुत कम देखने को मिलती हैं। इन दोनों में मुख्य अंतर निम्नांकित हैं।
(i) पूर्ण प्रतिस्पर्धा
में किसी वस्तु के विक्रेताओं की संख्या बहुत अधिक रहती है। लेकिन, एकाधिकार के अंतर्गत
उस वस्तु का केवल एक ही उत्पादक या विक्रेता होता है।
(ii) पूर्ण प्रतिस्पर्धा
में प्रतिस्पर्धा पूर्ण होती है, जबकि एकाधिकार में प्रतिस्पर्धा अथवा प्रतियोगिता
शून्य होती है। इस प्रकार, पूर्ण प्रतिस्पर्धा एक सिरे की स्थिति है तथा एकाधिकार दूसरे
सिरे की स्थिति है।
(iii) पूर्ण
प्रतिस्पर्धा की अवस्था में किसी वस्तु की स्थानापन्न वस्तुएँ उपलब्ध हैं। लेकिन, एकाधिकारी
की वस्तु का स्थानापन्न नहीं होता।
(iv) पूर्ण प्रतिस्पर्धा
के अंतर्गत किसी उद्योग में उत्पादकों को प्रवेश एवं बहिर्गमन की स्वतंत्रता होती है।
लेकिन, एकाधिकार की स्थिति में नए उत्पादकों के प्रवेश पर प्रभावपूर्ण प्रतिबंध होते
हैं।
12. उपभोग की
औसत प्रवृत्ति क्या है? इसे किस प्रकार मापते हैं?
उत्तर - उपभोग
प्रवृत्ति की व्याख्या करने के लिए केन्स ने उपभोग की औसत तथा सीमांत प्रवृत्ति की
धारणाओं का प्रयोग है।
उपभोग की औसत
प्रवृत्ति (APC) कुल उपभोग तथा कुल आय का अनुपात है। दूसरे शब्दों में, यह कुल आय का
वह भाग है जो उपभोग पर व्यय किया जाता है। यह एक विशेष समय पर कुल आय एवं कुल उपभोग
के पारस्परिक संबंध को व्यक्त करता है।
उपभोग की औसत
प्रवृत्ति (APC) कुल उपभोग में कुल आय से भाग देकर निकाली जा सकती है। उदाहरण के लिए,
यदि किसी व्यक्ति की कुल वास्तविक आय 1000 रुपये है जिसमें से वह 800 रुपये उपभोग पर
खर्च करता है तब उपभोग की औसत प्रवृत्ति (APC) 800/1,000 अथवा 0.08 होगी। यदि हम कुल
आय को Y तथा कुल उपभोग को C से व्यक्त करें तो उपभोग की औसत प्रवृत्ति को मापने का
सूत्र होगा-
यहाँ 'यह बता
देना आवश्यक है कि उपभोग की औसत प्रवृत्ति (APC) का मूल्य एक अथवा इकाई से अधिक
(APC > 1) भी हो सकता है। ऐसा उस स्थिति में होता है जब उपभोग आय की अपेक्षा अधिक
होता है। द्वितीय, APC का मूल्य कभी भी ऋणात्मक नहीं हो सकता। इसका कारण यह है कि कुल
आय शून्य होने पर भी मनुष्य के जीवित रहने के लिए न्यूनतम उपभोग आवश्यक होता है।
13. प्रत्यक्ष
एवं अप्रत्यक्ष करों में भेद करें।
उत्तर- करों
को प्रायः प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष दो वर्गों में विभाजित किया जाता है। प्रत्यक्ष
कर वह है जो पूर्णतया उसी व्यक्ति द्वारा चुकाया जाता है, जिसपर वह लगाया गया है। दूसरे
शब्दों में, जब किसी कर का आघात और अंतिम भार दोनों एक ही व्यक्ति पर पड़ता है, तब
उसे प्रत्यक्ष कर कहते हैं। इस प्रकार के कर के भार को दूसरे व्यक्तियों पर टाला नहीं
जा सकता, जैसे- आयकर, संपत्ति कर, मृत्युकर, उपहार कर इत्यादि । डाल्टन (Dalton) के
अनुसार, “प्रत्यक्ष कर वह कर है जिसका भुगतान वास्तव में उसी व्यक्ति द्वारा किया जाता
है जिस पर यह कानूनन लगाया जाता है।"
विपरीत, अप्रत्यक्ष या परोक्ष कर वह है जिसे चुकानेवाला व्यक्ति उसे पूर्णतया या अंशतया दूसरे व्यक्तियों पर टाल देता है। इस प्रकार का कर एक व्यक्ति पर लगाया जाता है, किंतु इसका मौद्रिक भार अन्य व्यक्तियों पर पड़ता है। अप्रत्यक्ष कर मुख्यतः वस्तुओं और सेवाओं पर लगाए जाते हैं, जैसे—बिक्रीकर, उत्पाद शुल्क, मनोरंजनकर, आयात-निर्यात कर इत्यादि ।
14. पूर्ति में
वृद्धि और कमी से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर - जब कीमत
में नहीं, वरन उत्पादन तकनीक आदि अन्य कारकों में परिवर्तन होने के कारण वस्तु की पूर्ति
बढ़ जाती है तो उसे पूर्ति में वृद्धि कहते हैं। यह इस बात को दर्शाती है कि उसी कीमत
पर वस्तु की पूर्ति में वृद्धि हो गई है। इसी प्रकार, जब कीमत में नहीं, वरन अन्य कारकों
में परिवर्तन के कारण पूर्ति घट जाती है तो उसे पूर्ति में कमी की संज्ञा दी जाती है।
इसके फलस्वरूप पूर्ति-वक्र में नीचे अथवा ऊपर की ओर बदलाव होता है।
खण्ड-ग (दीर्घ उत्तरीय प्रश्न)
किन्हीं तीन प्रश्नों
के उत्तर दीजिए। 5 × 3 = 15
15. माँग-वक्र
से आप क्या समझते हैं? माँग-वक्र का झुकाव ऊपर से नीचे दाहिनी ओर क्यों होता है ?
उत्तर - किसी वस्तु की कीमत और उसकी माँग के बीच घनिष्ठ संबंध है। अन्य बातों के समान रहने पर एक उपभोक्ता की माँग पूर्णरूप से वस्तु की कीमत पर निर्भर हो जाती है। सामान्यतः, किसी वस्तु की कीमत तथा उसकी माँग के बीच नकारात्मक अथवा विपरीत संबंध होता है। वस्तु की कीमत गिरने से उसकी माँग बढ़ सकती है तथा कीमत में वृद्धि होने से घट सकती है। इसे हम माँग का नियम कहते हैं। माँग के नियम का ग्राफीय अथवा बिंदुरेखीय चित्रण माँग-वक्र कहलाता है।
दिए गए आरेख
का माँग वक्र उपभोक्ता द्वारा चयन की जानेवाली, अर्थात माँग की जानेवाली वस्तु की मात्रा
और उसकी कीमत के बीच के संबंध को दर्शाता है। कीमत एक स्वतंत्र चर है तथा इस रेखाचित्र
में उसकी माप शीर्ष या Y-अक्ष पर की जाती है। माँग एक परतंत्र चर है जिसकी माप क्षैतिज
अथवा X- अक्ष पर की जाती है। माँग-वक्र प्रत्येक कीमत पर उपभोक्ता द्वारा माँग की गई
वस्तु की मात्रा को प्रदर्शित करता है। इसका निर्माण विभिन्न कीमतों पर वस्तु की माँग
की जानेवाली मात्रा के बिदुओं को मिलाकर किया जाता है।
इस प्रकार, माँग-वक्र
यह स्पष्ट करता है कि ऊँची कीमतों पर वस्तु की माँग कम तथा नीची कीमतों पर अधिक होती
है। माँग-वक्र बाएँ से दाएँ नीचे की ओर गिरता है। इसका कारण यह है कि जैसे-जैसे किसी
वस्तु की कीमत घटती है, वैसे-वैसे उसकी माँग बढ़ती जाती है।
16. उदासीनता
वक्र की विशेषताओं की व्याख्या करें।
उत्तर - उदासीनता
वक्रों की विशेषताएँ-
(1) उदासीनता
वक्र बायें से दायें नीचे गिरता हुआ होता है।
(2) ऊँचा उदासीनता
वक्र नीचे उदासीनता वक्र की तुलना में ऊंचे संतुष्टि स्तर को बताता है।
(3) एक ही उपभोक्ता
के दो उदासीनता वक्र एक दूसरे को कभी नहीं काटते।
(4) उदासीनता
वक्र कभी भी किसी अक्ष को स्पर्श नहीं करते।
(5) उदासीनता
वक्र मूल बिन्दु की ओर उन्नतोदर होता है क्योंकि ऐं घटती हुई होती है।
(6) उदासीनता
वक्रों का समान्तर होना आवश्यक नहीं है। पूर्ण स्थानापन्न वस्तुओं में उदासीनता वक्र
समानान्तर होते हैं।
(7) उदासीनता
वक्र गोलाकार भी हो सकता है।
बोल्डिंग के अनुसार जब वस्तुएँ एक सीमित मात्रा में उपभोग की जाती हैं और उस
सीमित मात्रा की प्राप्ति के बाद जब उपभोक्ता द्वारा उस वस्तु के उपभोग की कोई इच्छा
शेष नहीं रहती, तब उदासीनता वक्र गोलाकार हो जाता है।
17. एकाधिकार
की मुख्य विशेषताओं का उल्लेख करें।
उत्तर- एकाधिकार
बाजार की वह अवस्था है जिसमें किसी वस्तु का केवल एक ही उत्पादक या विक्रेता होता है
और उसकी वस्तु का कोई निकट स्थानापन्न नहीं होता एकाधिकार की मुख्य विशेषताएँ निम्नांकित
है।
(1) एकल उत्पादक (Single producer) - एकाधिकार में किसी वस्तु का एक ही उत्पादक या
विक्रेता होता है और उसका वस्तु की पूर्ति पर पूर्ण नियंत्रण रहता है। यह एकाधिकारी
एक व्यक्ति, फर्म या फर्मों का समूह, सरकार अथवा सार्वजनिक क्षेत्र का कोई फर्म हो
सकता है।
(ii) निकट स्थानापन्न
का अभाव (Lack of close substitute)- एकाधिकारी द्वारा
उत्पादित वस्तु का बाजार में कोई निकट स्थानापन्न नहीं होता है। दूसरे शब्दों में,
उस वस्तु का पूर्ण रूप से स्थान लेनेवाली कोई अन्य वस्तु बाजार में उपलब्ध नहीं होती
है। अतएव, क्रेता एकाधिकारी द्वारा उत्पादित वस्तु को खरीदने के लिए बाध्य होते हैं।
(iii) प्रवेश
पर प्रतिबंध (Restrictions on entry) – एकाधिकार
के अंतर्गत किसी उद्योग में नए फर्मों के प्रवेश पर प्रभावपूर्ण प्रतिबंध रहता है।
इसके फलस्वरूप कोई नई फर्म बाजार में प्रवेश कर समरूप वस्तु का उत्पादन नहीं कर सकती
है। एक लंबे समय तक एकाधिकार की स्थिति को बनाए रखने के लिए इस प्रकार के प्रतिबंध
आवश्यक होते हैं।
(iv) ऋणात्मक
ढालवाला माँग वक्र (Negatively sloped demand
curve) - एकाधिकारी अपनी वस्तु का एकल उत्पादक या विक्रेता होता है। अतः, उसका माँग-वक्र
ऋणात्मक ढालवाला अर्थात बाएँ से दाएँ नीचे की ओर ढालू होता है। इसका अभिप्राय यह है
कि वह कीमत को कम करके ही अपनी वस्तु की अधिक मात्रा बेच सकता है।
(v) कीमत निर्धारक (Price maker) - पूर्ति पर पूर्ण नियंत्रण होने के कारण एकाधिकारी
अपनी वस्तु की कीमत को स्वयं नियमित करता है। अतएव, यह कीमत स्वीकारक नहीं वरन कीमत
निर्धारक होता है।
(vi) मूल्य-विभेद (Price discrimination)-एकाधिकार के अंतर्गत मूल्य- विभेदन संभव है।
एक एकाधिकारी अपने विभिन्न ग्राहकों से भिन्न-भिन्न कीमतें वसूल कर सकता है।
18. केन्स के
आय एवं रोजगार सिद्धांत की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-आय एवं
रोजगार का प्राचीन सिद्धांत पूर्ण प्रतियोगिता की मान्यता पर आधारित है। परंतु,
1930 के दशक में जो भयंकर मंदी हुई उसने प्राचीन अर्थशास्त्रियों की पूर्ण रोजगारी
की मान्यता को ध्वस्त कर दिया। केन्स (Keynes) ने अपनी पुस्तक 'रोजगार, ब्याज एवं मुद्रा
का सामान्य सिद्धांत' में आय एवं रोजगार के निर्णायक तत्त्वों पर नए सिरे से विचार
किया है। इनके अनुसार, प्रभावपूर्ण माँग आय एवं रोजगार का एकमात्र निर्णायक तत्त्व
है। प्रभावपूर्ण माँग में वृद्धि से उत्पादन, आय एवं रोजगार में वृद्धि होती है तथा
इसकी न्यूनता से इनमें भी कमी आती है। प्रभावपूर्ण माँग स्वयं समग्र अथवा सकल माँग
एवं समग्र पूर्ति पर निर्भर है। अतएव, अंततः समग्र माँग एवं समग्र पूर्ति ही आय और
रोजगार के स्तर को निर्धारित करती हैं। किसी भी देश में वस्तुओं और सेवाओं की पूर्ति
उत्पादन के साधनों की उपलब्ध मात्रा और उनके प्रकार पर निर्भर करता है। केन्स के अनुसार,
अल्पकाल में इनमें बहुत कम परिवर्तन होते हैं। परंतु, जैसा कि प्राचीन अर्थशास्त्रियों
की मान्यता थी, यह आवश्यक नहीं है कि एक दिए हुए समय में वास्तविक उत्पादन अथवा समग्र
पूर्ति देश की संपूर्ण उत्पादन क्षमता के बराबर हो। वास्तव में, समग्र पूर्ति हमेशा
समग्र माँग के अनुरूप होगी। यदि समग्र माँग में वृद्धि होती है तो उत्पादन की मात्रा
एवं समग्र पूर्ति में वृद्धि होगी और इसके फलस्वरूप राष्ट्रीय आय भी बढ़ जाएगी। इसके
विपरीत, समग्र माँग में कमी होने पर उत्पादन तथा राष्ट्रीय आय में भी कमी होगी। इस
प्रकार, राष्ट्रीय आय एवं रोजगार की मात्रा समग्र माँग से प्रभावित होती है।
समग्र माँग में
दो तत्त्व शामिल होते हैं— उपभोग - व्यय तथा निवेश-व्यय। इस प्रकार, Y = C + I
जिसमें Y उस
संपूर्ण आय को व्यक्त करता है जो व्यय की जाएगी, C उपभोग की माँग को तथा / निवेश की
माँग को व्यक्त करता है।
समग्र पूर्ति
का अर्थ देश में उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं की कुल मात्रा अथवा राष्ट्रीय उत्पादन
या आय से है। इस आय का एक भाग उपभोग की वस्तुओं पर व्यय होता है और शेष बचत किया जाता
है। इस प्रकार, Y = C + S
जिसमें Y कुल
उत्पादित आय, C उपभोग-व्यय तथा S बचत है।
आय एवं रोजगार का संतुलन स्तर उस बिंदु पर निर्धारित होगा जहाँ समग्र माँग और समग्र पूर्ति दोनों एक-दूसरे के बराबर होते हैं। इसे नीचे आरेख में दिखाया गया है।
आरेख में X-अक्ष
पर राष्ट्रीय आय को तथा Y-अक्ष पर उपभोग एवं निवेश को दिखाया गया है। 45° की रेखा,
समग्र पूर्ति को, अर्थात कुल राष्ट्रीय उत्पादन या आय को व्यक्त करता है। इस आय का
एक भाग उपभोग की वस्तुओं पर व्यय होता है तथा शेष बचत होती है।
C उपभोग को व्यक्त
करता है तथा C + I रेखा आय के विभिन्न स्तरों पर उपभोग एवं निवेश व्यय को दिखाता है।
C तथा C + I रेखाओं का अंतर (EM) निवेश को व्यक्त करता है। E बिंदु आय के संतुलन स्तर
को दिखाती है। इस बिंदु पर समग्र माँग और समग्र पूर्ति दोनों बराबर हैं। अतः, आय का
संतुलन स्तर OY होगा। यदि आय का स्तर OY, से अधिक या कम है तो समग्र माँग और समग्र
पूर्ति में संतुलन नहीं स्थापित हो सकेगा। उदाहरण के लिए, आय के OY, से अधिक रहने पर
संपूर्ण उत्पादन अथवा समग्र पूर्ति समग्र माँग (C + I) से अधिक होगी। इससे देश में
उत्पादित सभी वस्तुएँ बिक नहीं पाएँगी। परिणामतः, उत्पादन में कमी होगी और आय भी घट
जाएगी। इसके विपरीत, आय के OY, से कम होने पर समग्र पूर्ति समग्र माँग की तुलना में
कम होगी। इससे उत्पादन बढ़ेगा तथा आय में भी वृद्धि होगी। अतः, आय का स्तर समग्र माँग
एवं समग्र पूर्ति के संतुलन बिंदु पर ही निर्धारित होता है। इसी बिंदु पर रोजगार का
स्तर भी निर्धारित होता है; क्योंकि राष्ट्रीय आय, उत्पादन तथा रोजगार हमेशा बराबर
होते हैं।
19. बजट कितने
प्रकार के होते हैं? उनके गुण एवं दोषों की विवेचना कीजिए।
उत्तर- बजट अथवा
सरकार की प्राप्तियाँ सरकार के व्यय से अधिक या कम हो सकती हैं। इस दृष्टि से बजट के
तीन मुख्य प्रकार होते हैं- संतुलित बजट, बचत
का बजट तथा घाटे का बजट।
(i) संतुलित
बजट (Balanced budget)- जब सरकार की अनुमानित प्राप्तियाँ और अनुमानित
व्यय दोनों एक-दूसरे के बराबर होते हैं तो इसे संतुलित बजट कहते हैं। इस प्रकार,
संतुलित बजट
- अनुमानित प्राप्तियाँ = अनुमानित व्यय
परंपरावादी अर्थशास्त्रियों
ने एक संतुलित बजट का समर्थन किया है। इस विचारधारा के अनुसार, इस प्रकार का बजट वित्तीय
स्थायित्व प्रदान करता है। इसकी दूसरी विशेषता या गुण यह है कि इससे सरकार के अपव्यय
को रोकने में सहायता मिलती है।
परंतु, केन्स
तथा कई अन्य आधुनिक अर्थशास्त्री इस मत से सहमत नहीं हैं। इनके अनुसार, एक संतुलित
बजट का अर्थव्यवस्था पर प्रत्यक्ष रूप से कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। इस प्रकार का बजट
केवल जनता को वह वापस कर देता है जो उसने ऋण या करों के रूप में जनता से लिया है। अनेक
अवसरों पर मंदी से निबटने अथवा मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए सरकार के व्यय
में वृद्धि या कमी आवश्यक हो सकती है। प्रो० केन्स के अनुसार, एक संतुलित बजट में कुल
व्यय पूर्ण रोजगार की स्थिति को बनाए रखने के लिए आवश्यकता से कम होता है। इस अंतराल
को भरने के लिए सरकार के व्यय में वृद्धि आवश्यक हो जाती है। एक संतुलित बजट सरकार
को अपनी वित्तीय नीति को प्रभावपूर्ण ढंग से लागू करने की स्वतंत्रता को समाप्त कर
देता है।
(ii) बचत बजट ( Surplus budget)- जब सरकार की आय सरकार के व्यय से अधिक होती है
तो इसे आधिक्य या बचत बजट कहते हैं। दूसरे शब्दों में, एक बचत बजट वह है जिसमें सरकार
की अनुमानित प्राप्तियाँ उसके अनुमानित व्यय की अपेक्षा अधिक होती हैं। इस प्रकार,
बचत बजट - अनुमानित
प्राप्तियाँ > अनुमानित व्यय
बचत बजट का प्रमुख
गुण यह है कि यह मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में सहायक होता है। मुद्रास्फीति की
अवस्था में सरकार करों की दरों में वृद्धि कर देती है। इससे लोगों की व्यय योग्य आय
घट जाती है। दूसरी ओर, वह सार्वजनिक व्यय में कटौती करती है। इससे समग्र माँग में कमी
होती है और मूल्य स्तर भी गिरने लगता है। परंतु, मंदी की स्थिति में बचत बजट हानिकारक
हो सकता है।
(iii) घाटे का बजट (Deficit budget) - जब सरकार का अनुमानित व्यय सरकार की प्राप्तियों से अधिक होता
है तो इसे घाटे का बजट कहते हैं। इस प्रकार,
घाटे का बजट
- अनुमानित प्राप्तियाँ < अनुमानित व्यय
घाटे का बजट व्यापारिक मंदी के निवारण में सहायक होता है। युद्ध एवं विकास योजनाओं के बढ़े हुए व्यय को पूरा करने के लिए भी इसे उपयोगी माना जाता है। परंतु, इससे सरकार के अपव्यय एवं फिजूलखर्ची को बढ़ावा मिलता है। इस प्रकार के बजट से वित्तीय अस्थिरता उत्पन्न होने की भी संभावना रहती है।
MVVI Objective Questions
प्रश्न 1. आर्थिक क्रियाओं के अध्ययन के सन्दर्भ में अर्थशास्त्र को दो शाखाओं-व्यष्टि और समष्टि में किस अर्थशास्त्री ने विभाजित किया ?
(A) मार्शल
(B) रिकार्डो
(C) रैगनर फ्रिश
(D) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 2. व्यष्टि अर्थशास्त्र के अन्तर्गत निम्न में से किसका अध्ययन किया जाता है ?
(A) व्यक्तिगत इकाई
(B) आर्थिक समग्र
(C) राष्ट्रीय आय
(D) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 3. निम्न में से कौन-सी आर्थिक क्रियाएँ अर्थशास्त्र की अध्ययन सामग्री के अन्तर्गत सम्मिलित की जाती हैं ?
(A) असीमित आवश्यकताओं से जुड़ी आर्थिक क्रियाएँ
(B) सीमित साधनों से जुड़ी आर्थिक क्रियाएँ
(C) A और B दोनों
(D) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 4. अर्थव्यवस्था
की केन्द्रीय समस्या है –
(A) क्या उत्पादन हो
(B) कैसे उत्पादन हो
(C) उत्पादित वस्तु का वितरण कैसे हो
(D) इनमें से सभी
प्रश्न 5. उस वक्र का नाम बताएँ जो आर्थिक समस्या दर्शाता है :
(A) उत्पादन वक्र
(B) माँग वक्र
(C) उदासीनता वक्र
(D) उत्पादन सम्भावना वक्र
प्रश्न 6. उपयोगिता का गणनवाचक सिद्धान्त निम्न में किसने प्रस्तुत किया ?
(A) मार्शल
(B) पीगू
(C) हिक्स
(D) सैम्युल्सन
प्रश्न 7. उपभोक्ता व्यवहार का अध्ययन किया जाता है :
(A) सूक्ष्म अर्थशास्त्र में
(B) आय विश्लेषण में
(C) समष्टि अर्थशास्त्र
में
(D) इनमें से कोई नहीं |
प्रश्न 8. गोसेन का प्रथम नियम निम्न में कौन-सा है ?
(A) माँग का नियम
(B) सीमान्त उपयोगिता ह्रास नियम
(C) समसीमान्त उपयोगिता नियम
(D) उपभोक्ता की बचत
प्रश्न 9. माँग में कौन-सा तत्व निहित होना आवश्यक है ?
(A) वस्तु की इच्छा
(B) एक निश्चित मूल्य
(C) साधन व्यय करने की तत्परता
(D) इनमें से सभी
प्रश्न 10. मांग वक्र की समान्यतः ढाल होती है :
(A) बाएँ से दाएँ ऊपर की ओर
(B) बाएँ से दाएँ नीचे की ओर
(C) X-अक्ष से समानान्तर
(D) Y-अक्ष से समान्तर
प्रश्न 11. कॉफी के मूल्य में वृद्धि होने से चाय की माँग :
(A) बढ़ती है
(B) घटती है
(C) स्थिर रहती है
(D) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 12. मूल्य वृद्धि से ‘गिफिन’ वस्तुओं की माँग –
(A) बढ़ जाती है
(B) घट जाती है
(C) स्थिर रहती है
(D) अस्थिर हो जाती है
प्रश्न 13. माँग की लोच का माप निम्नलिखित में किस विधि से किया जाता है?
(A) कुल व्यय रीति
(B) प्रतिशत या आनुपातिक रीति
(C) बिन्दु रीति
(D) इनमें से सभी
प्रश्न 14. माँग की लोच कितने प्रकार की होती है ?
(A) तीन
(B) पाँच
(C) छः
(D) सात
प्रश्न 15. विलासिता वस्तुओं की माँग
(A) बेलोचदार होती है
(B) लोचदार होती है
(C) अत्यधिक लोचदार होती है
(D) पूर्णतया बेलोचदार होती है
प्रश्न 16. उत्पादन फलन में उत्पादन किसका फलन है ?
(A) कीमत का
(B) उत्पत्ति के साधनों का
(C) कुल व्यय का
(D) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 17. उत्पत्ति ह्रास नियम लागू होने का मुख्य कारण कौन-सा है ?
(A) साधनों की सीमितता
(B) साधनों का अपूर्ण स्थानापन्न होना
(C) A और B दोनों
(D) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 18. निम्न में से कौन सा कथन सत्य है ?
(A) AC = TFC – TVC
(B) AC = AFC + TVC
(C) AC = TFC + AVC
(D) AC=AFC+AVC
प्रश्न 19. वस्तु की उस मात्रा को क्या कहते हैं जिसे विक्रेता निश्चित समय, बाजार तथा कीमत पर बेचने के लिए तैयार हो ?
(A) पूर्ति
(B) माँग
(C) पूर्ति की लोच
(D) माँग की लोच
प्रश्न 20. पूर्ति लोच की माप निम्नलिखित में किस सूत्र से ज्ञात की जाती है ?
प्रश्न 21. बाजार की निम्नलिखित में कौन-सी विशेषताएँ हैं ?
(A) एक क्षेत्र
(B) क्रेताओं और विक्रेताओं की स्थिति
(C) वस्तु का एक मूल्य
(D) इनमें से सभी
प्रश्न 22. सन्तुलन कीमत के निर्धारक घटक निम्नलिखित में कौन-से हैं ?
(A) वस्तु की. माँग
(B) वस्तु की पूर्ति
(C) A और B दोनों
(D) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 23. “किसी वस्तु की कीमत माँग और पूर्ति द्वारा निर्धारित होती हैं ।” किसने कहा है ?
(A) जेवन्स
(B) वालरस
(C) मार्शल
(D) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 24. निम्नलिखित में कौन-सा कथन सही है ?
(A) अति अल्पकाल में पूर्ति पूर्णतया बेलोच, कीमत केवल माँग दशाओं से प्रभावित होती है।
(B) पूर्ति वक्र की लोच समयावधि पर निर्भर करती है ।
(C) A और B दोनों
(D) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 25. एक विक्रेता का बाजार कीमत पर कोई प्रभाव नहीं होता
(A) पूर्ण प्रतियोगिता में
(B) एकाधिकार में
(C) एकाधिकारात्मक प्रतियोगिता
में
(D) इनमें से सभी
प्रश्न 26. निम्नलिखित में से कौन-सा स्टॉक है ?
(A) सम्पत्ति
(B) बचत
(C) निर्यात
(D) लाभ
प्रश्न 27. स्टॉक के अन्तर्गत निम्नलिखित में कौन शामिल है ?
(A) मुद्रा का परिमाप
(B) धन
(C) गोदाम में रखे गेहूँ की मात्रा
(D) इनमें से सभी
प्रश्न 28. प्राथमिक क्षेत्र में सम्मिलित है
(A) कृषि
(B) खुदरा व्यापार
(C) लघु उद्योग
(D) इनमें से सभी
प्रश्न 29. लाभ का निम्नलिखित में कौन-सा घटक है ?
(A) लाभांश
(B) अवितरित लाभ
(C) निंगम लाभ कर
(D) इनमें से सभी |
प्रश्न 30. राष्ट्रीय आय में निम्नलिखित में किसे शामिल किया जाता है ?
(A) लगान, मजदूरी, ब्याज
(B) लगान, मजदूरी, वेतन
(C) लगान, लाभ, ब्याज
(D) लमान, मजदूरी, वेतन, ब्याज, लाभ |
प्रश्न 31. निम्नलिखित में किसके अनुसार, “मुद्रा वह है जो मुद्रा का कार्य करे ।”
(A) हार्टले विदर्स
(B) हाटे
(C) प्रो. थॉमस
(D) कीन्स |
प्रश्न 32. मुद्रा का कार्य है :
(A) विनिमय का माध्यम
(B) मूल्य का मापक
(C) मूल्य का संचय
(D) इनमें से सभी
प्रश्न 33. व्यापारिक बैंक के प्राथमिक कार्य हैं
(A) जमाएँ स्वीकार करना
(B) ऋण देना
(C) साख निर्माण
(D) इनमें से सभी
प्रश्न 34. साख मुदा का विस्तार होता है जब CRR :
(A) घटता है
(B) बढ़ता है
(C) A और B दोनों
(D) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 35. भारत का केन्द्रीय बैंक है
(A) रिजर्व बैंक
(B) स्टेट बैंक
(C) जनता बैंक ऑफ इण्डिया
(D) शेयर बाजार
प्रश्न 36. ‘Gener(A)l Theory of Employment, Interest
(A)nd Money’ नामक पुस्तक के लेखक कौन हैं ?
(A) ऐ. सी. पीगू
(B) माल्थस
(C) जे. एम. कीन्स
(D) मार्शल
प्रश्न 37. कीन्स का रोजगार सिद्धान्त निम्नलिखित में किस पर निर्भर है ?
(A) प्रभावपूर्ण माँग
(B) पूर्ति
(C) उत्पादन क्षमता
(D) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 38. MPC+MPS = ?
(A) अनन्त (∞)
(B) 2
(C) 1
(D) 0
प्रश्न 39. गुणक को निम्नलिखित में किस सूत्र द्वारा व्यक्त किया जा सकता है ?
(A)
(B)
(C) K = I – S
(D) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 40. निम्नलिखित में कौन-सा कथन सही है ?
(A) सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति (MPC) तथा गुणक की मात्रा में सीधा व प्रत्यक्ष सम्बन्ध होता है
(B) सीमान्त बचत प्रवृत्ति (MPS) तथा गुणक में उल्टा सम्बन्ध होता है
(C) A और B दोनों
(D) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 41. राजकोषीय नीति के अन्तर्गत किसे शामिल किया जाता है ?
(A) सार्वजनिक व्यय
(B) कर
(C) सार्वजनिक ऋण
(D) इनमें से सभी
प्रश्न 42. बजट में हो सकता है :
(A) आगम घाटा
(B) वित्तीय घाटा
(C) प्रारम्भिक घाटा
(D) इनमें से सभी
प्रश्न 43. निम्नलिखित में से कौन-सा प्रत्यक्ष करों का जोड़ा है ?
(A) उत्पादन शुल्क और सम्पत्ति कर
(B) सेवा कर और आय कर
(C) उत्पादन शुल्क और सेवा कर
(D) सम्पत्ति कर और आय कर
प्रश्न 44. निम्नलिखित में से कौन-सी राजस्व प्राप्ति नहीं है ?
(A) वसूली
(B) विदेशी अनुदान
(C) सार्वजनिक उपक्रमों के लाभ
(D) सम्पत्ति कर
प्रश्न 45. निम्नलिखित में से कौन-सा प्राथमिक घाटे का सही माप है ?
(A) राजकोषीय घाटे और राजस्व घाटे का अन्तर
(B) राजस्व घाटे और ब्याज भुगतान का अन्तर
(C) राजकोषीय घाटे और ब्याज भुगतान का अन्तर
(D) पूँजीगत व्यय और राजस्व व्यय का अन्तर
प्रश्न 46. विनिमय दर के निम्नलिखित में कौन-से रूप हैं ?
(A) स्थिर विनिमय दर
(B) लोचपूर्ण विनिमय दर
(C) A और B दोनों
(D) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 47. निम्नलिखित में कौन-सा कथन सही है ?
(A) स्थिर विनिमय दर का निर्धारण सरकार द्वारा किया जाता है
(B) लोचपूर्ण विनिमय दर का निर्धारण बाजार शक्तियों (विदेशी मुद्रा की माँग व पूर्ति) के आधार पर होता है
(C) A और B दोनों
(D) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 48. व्यापार शेष = ?
(A) दृश्य मदों का निर्यात – दृश्य मदों का आयात
(B) दृश्य तथा अदृश्य मदों का निर्यात – दृश्य तथा अदृश्य मदों का आयात
(C) दृश्य मदों का आयात – दृश्य मदों का निर्यात
(D) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 49. भुगतान शेष के अन्तर्गत निम्नलिखित में कौन-सी मदें सम्मिलित होती हैं ?
(A) दृश्य मदें
(B) अदृश्य मदें
(C) पूँजी अन्तरण
(D) इनमें से सभी
प्रश्न 50. चालू खाते की निम्नलिखित में कौन-सी मदें हैं ?
(A) दृश्य मदों का आयात
(B) पर्यटकों का खर्च
(C) दृश्य मदों का निर्यात
(D) इनमें से सभी