10th Hindi Jac Model Question Solution,2022-23

10th Hindi Jac Model Question Solution,2022-23

झारखंड शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद रांची

मॉडल प्रश्नपत्र सत्र 2022 23

विषय- हिंदी ए   (विषयनिष्ठ)

कक्षा-10   पूर्णांक - 40 समय 01 घंटा 30 मिनट

सामान्य निर्देश:

• परीक्षार्थी यथासंभव अपनी ही भाषा शैली में उत्तर दें।

• सभी प्रश्नों के निर्धारित अंक सामने उपांकित है।

• प्रश्नों के उत्तर उसके साथ दिए गए निर्देशों के आलोक में ही लिखें।

खण्ड - के (अलघु उत्तरीय प्रश्न)

निम्नलिखित गद्यांश से सात प्रश्न पूछें गए है किन्ही पांच के उत्तर दें: - 2x5=10

प्रकृति पर्व सरहुल वसंत ऋतु में मनाए जाने वाला जनजातियों का प्रमुख पर्व है पतझड़ में पेड़ों की पुरानी पत्तियां गिर जाती है। टहनियों पर नई पत्तियों के साथ वसंत ऋतु का आगमन होता है। इसी मौसम में सरहुल का पर्व मनाया जाता है। सरहुल पर्व की शुरुआत चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की तृतीय से होती है। इस पर्व में साल के पेड़ों पर खिलने वाले फूलों का विशेष महत्व है। मुख्यतः यह पर्व 4 दिनों तक मनाया जाता है।

सरहुल पर्व के पहले दिन मछली के अभिषेक किए हुए जल को घर में छिड़का जाता है। दूसरे दिन उपवास रखा जाता है तथा गांव का पुजारी जिसे पहान के नाम से जाना जाता है, हर घर की छत पर साल के फूल को रखता है। तीसरे दिन पहन द्वारा उपवास रखा जाता है तथा सरना अर्थात पूजा स्थल पर सरई के फूलों की पूजा की जाती है। पूजा स्थान में बलि चढ़ाई गई मुर्गी तथा चावल को मिश्रित कर खिचड़ी अर्थात 'लेटे' पकाई जाती है जिसे सरना देवी पर चढ़ाने के उपरांत सभी ग्राम वासियों को प्रसाद के रूप में वितरित कर दिया जाता है। चौथे दिन गिड़िवा नामक स्थान पर सरहुल फूल का विसर्जन किया जाता है।

1. प्रकृति पर्व सरहुल कब एवं किनके द्वारा मनाया जाता है ?

उत्तर - प्रकृति पर्व सरहुल बसंत ऋतु में जनजातियों द्वारा मनाया जाता है।

2. सरहुल पर्व की शुरुआत किस माह से होती है और वह कितने दिनों तक चलती है?

उत्तर- सरहुल पर्व की शुरुआत चैत्र माह शुक्ल पक्ष की तृतीय से होती है और वह 4 दिनों तक चलती है।

3. सरहुल पर्व के पहले दिन क्या होता है?

उत्तर- सरहुल पर्व के पहले दिन मछली के अभिषेक किए हुए जल को घर में छिड़का जाता है।

4. पहान क्या करते हैं?

उत्तर- पहान सरहुल पर्व के दूसरे दिन हर घर की छत पर साल के फूल रखता है और तीसरे दिन पहान द्वारा उपवास रखा जाता है तथा सरना अर्थात पूजा स्थल पर सरई के फूल की पूजा की जाती है।

5. सरहुल के पूजा स्थल पर किन फूलों से पूजा होती है?

उत्तर- सरहुल के पूजा स्थल पर सरई (साल) के फूलों से पूजा होती है?

6. लेटे कैसे बनता है?

उत्तर- सरहुल पर्व में पूजा स्थान में बलि चढ़ाई गई मुर्गी तथा चावल को मिश्रित कर खिचड़ी अर्थात लेटे पकाई जाती है।

7. सरहुल फूलों का विसर्जन किस स्थान पर कब किया जाता है?

 उत्तर- गिड़िया नामक स्थान पर चौथे दिन सरहुल फूल का विसर्जन किया जाता है।

खण्ड ‘ख’ (पाठ्यपुस्तक)

(लघु उत्तरीय प्रश्न )

निम्नलिखित सात प्रश्नों में से किन्ही पांच के उत्तर 150 शब्दों में दे: 3x5=15

8. गोपियों के अनुसार राजा का धर्म क्या होना चाहिए?

उत्तर- गोपियों के अनुसार राजा का धर्म उसकी प्रजा की हर तरह से रक्षा करना होता है तथा नीति से राजधर्म का पालन करना होता । एक राजा तभी अच्छा कहलाता है, जब वह अनीति का साथ न देकर नीति का साथ दे ।

9. संगतकार जैसे व्यक्ति संगीत के अलावा किन किन क्षेत्रों में दिखाई देते हैं?

उत्तर- संगतकार जैसे व्यक्ति संगीत के अलावा जीवन के हर क्षेत्र में दिखाई देते हैं। साइकिल, स्कूटर, मोटरसाइकिल, कार आदि ठीक करने वाले कारीगरों के पास काम करने वाले लड़के संगतकार की ही तरह काम सीखते और करते हैं। लुहार, काष्ठकार, मूर्तिकार, रंग-रोगन करने वाले, चर्मकार, नल ठीक करने वाले और पत्थर का काम करने वाले इसी श्रेणी से संबंधित होते हैं जो अपने-अपने गुरु या उस्ताद से अभ्यास के द्वारा काम सीख लेते हैं।

10. जॉर्ज पंचम की नाक को पुनः लगाने के लिए मूर्तिकार ने क्या क्या यत्न किए।

उत्तर- जॉर्ज पंचम की नाक को पुनः लगाने के लिए मूर्तिकार के द्वारा किए गए यत्न निम्नलिखित हैं-

(क) मूर्ति के पत्थर के प्रकार आदि का पता न चलने पर व्यक्तिगत रूप से नाक लगाने की ज़िम्मेदारी लेते हुए देश भर के पहाड़ों और पत्थर की खानों का तूफ़ानी दौरा किया।

(ख) उसने देश में लगे हर छोटे-बड़े नेताओं की मूर्ति की नाक से पंचम की लाट की नाक का मिलान किया ताकि उस मूर्ति से नाक निकालकर पंचम लाट पर नाक लगाई जा सके। परन्तु दुर्भाग्य से सभी की नाक जार्ज पंचम की नाक से बड़ी निकली।

(ग) आखिर जब उसे नाक नहीं मिली तो हताश मूर्तिकार और चिन्तित एवम् आतंकित हुक्मरानों ने ज़िंदा इनसान की नाक लगवाने का परामर्श दिया और प्रयत्न भी किया।

11. 'अट नहीं रही है' कविता में कवि ने प्रकृति की व्यापकता का वर्णन किन रूपों में किया है?

उत्तर- 'अट नहीं रही है' कविता में कवि ने प्रकृति की व्यापकता को फागुन सुंदरता के रूप से प्रकट किया है। प्रकृति की सुंदरता और व्यापकता फागुन में समा ही नहीं पाती इसलिए वह सब तरफ फूटी पड़ती दिखाई देती है। प्रकृति के माध्यम से परमात्मा की सर्वव्यापकता को कवि ने प्रकट किया है। वह परम सत्ता अपनी श्वासों से प्रकृति के कोने-कोने में सुगंध के रूप में व्याप्त है। प्रकृति ही कवि को कल्पना की ऊंची उड़ान भरने के लिए प्रेरित करती है और उसकी रचनाओं में सर्वत्र दिखाई देती है। प्रकृति की व्यापकता ही मन में तरह-तरह की कल्पनाओं को जन्म देती है। वन का प्रत्येक पेड-पौधा इसी सुंदरता से भर कर शोभा देता है। प्रकृति की व्यापकता नैसर्गिक सौंदर्य की मूल आधार है।

12. फादर बुल्के को यज्ञ की पवित्र आग की तरह कहने का क्या आशय है?

उत्तर- जिस प्रकार यज्ञ की अग्नि पवित्र होती है तथा उसके ताप में उष्णता होती है उसी प्रकार फादर बुल्के को याद करना शरीर और मन में ऊष्मा, उत्साह तथा पवित्र भाव भर देता है। अतः फादर की स्मृति किसी यज्ञ की पवित्र आग और उसकी लौ की तरह आजीवन बनी रहेगी ।

13. पान वाले का रेखा चित्र प्रस्तुत कीजिए।

उत्तर- पान वाले की दुकान चौराहे पर नेता जी की मूर्ति के सामने थी । पान वाले का रंग काला था। वह शरीर से मोटा था। उसकी आँखें हँसती हुई थीं। उसकी तोंद निकली हुई थी। जब वह किसी बात पर हँसता तो उसकी तोंद गेंद की तरह ऊपर-नीचे उछलती थी। वह स्वभाव से खुश मिज़ाज था। बार-बार पान खाने से उसके दाँत लाल- काले हो गए थे। वह कोई भी बात करने से पहले मुँह में रखे पान को नीचे की ओर थूकता था। यह उसकी आदत भी बन चुकी थी । पान वाले के पास हर किसी की पूरी जानकारी रहती थी जिसे वह बड़े रसीले अंदाज से दूसरे के सामने प्रस्तुत करता था।

14. चश्मे वाले को देख कर हालदार साहब चक्कर में क्यों पड़ गए थे?

उत्तर- हालदार साहब के दिमाग में यह बात थी कि चश्मा वाला अवश्य कोई फौजी आदमी या नेताजी का साथी रहा होगा। लेकिन उस बूढ़े, मरियल और फेरी वाले व्यक्ति को देख कर हालदार साहब चक्कर में पड़ गये।

खण्ड - 'ग' (रचना - व्याकरण)

15. दिए गए संकेत बिंदु के आधार पर निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर 250 शब्दों में एक निबंध लिखिए:- 1x5=5

• हमारा झारखंड

संकेत बिंदु: -परिचय, इतिहास, सीमा, निवासी एवं साधन. उपसंहार ।

उत्तर-

हमारा राज्य झारखण्ड

परिचय- सुरम्य पहाड़ियों और वनो से आच्छादित हमारा राज्य झारखण्ड प्रकृति का क्रीड़ा स्थल है। एकबार जो यहाँ आ गया फिर यही का होकर रह जाना चाहता है। यहाँ की स्वर्णिम भूमि शस्य श्यामला, रत्नगर्भा और वन सम्पदा से परिपूर्ण है। इसकी प्राकृतिक छटा अनूठी है। हर ओर प्रकृति अपनी अनोखी छटा बिखेरती रहती है।

इतिहास :- अबुल फजल ने आईने अकबरी. में इस प्रदेश को झारखण्ड नाम से सम्बोधित किया और आज नवोदित राज्य का नाम झारखण्ड हो गया। इसका इतहास भी अत्यंत प्राचीन है। ईसा से लाखो वर्ष पूर्व के पत्थर के हथियार, बर्तन उपकरण आदि मिले है।

पहले बिहार और ओडीसा संयुक्त राज्य के रूप में थे। ई में बिहार और ओडीसा अलग-अलग प्रान्त बन गए। बिहार के साथ इस भूप्रदेश का अपेक्षित विकास नहीं हो रहा था। अतः अलग राज्य के लिए झारखण्ड में बहुत दिनों तक आंदोलन चला। अंततः 15 नवंबर 2000 ई. को बिरसा मुण्डा के जन्म दिवस पर भारतीय मानचित्र पर वे राज्य के रूप में झारखण्ड प्रदेश का उदय हुआ।

सीमा - इसके उत्तर में बिहार, पूर्व में पश्चिम बंगाल, पश्चिम में छत्तीसगढ़ और दक्षिण में ओडीसा है।

निवासी - 2011 ई० की जनगणना के अनुसार यहाँ की आबादी करीब दो करोड़ उनहत्तर लाख है। झारखण्ड में तिस के करीब जनजातियाँ रहती है जिसमे संथाल, मुण्डा और उराँव ये तीन अत्यन्त प्रमुख है। झारखण्ड में चावल और गेंहू फसले होती है।

साधन - देश में खनिज की दृष्टि से झारखण्ड अत्यन्त महत्वपूर्ण है। यहाँ कोयला, लोहा प्रचुर मात्रा में विद्यमान है। यहाँ उद्योग-धन्धो का जाल बिछा है | जमशेदपुर, रांची आदि प्रमुख औद्योगिक नगर है। ताम्बा, क्रोमाइट, मैंगनीज और बॉक्साइड यहाँ प्रमुख रूप से उपलब्ध है।

पर्यटन - पर्यटन को दृष्टि से झारखण्ड में अपार संभावनाएं है। हुण्डरू, दसम, जोन्हा, हिरणी आदि जलप्रपात नयनाभिराम है। इसके अलावे नेतरहाट का पठार झारखंड का सबसे ऊँचा और खूबसूरत पर्वतीय क्षेत्र है। स्वर्णरखा, दामोदर, कोयल आदिनदियाँ इस प्रदेश की शोभा है। फ्लामू तथा हजारीबाग का नेशनल पार्क इस प्रदेश का नामी- गिरामी अभयारण्य है। झारखंड में बहुत से धर्मस्थान भी है। देवघर, वासुकीनाथ, आंजन धाम, चुटिया का मंदिर, रजरप्पा का छिन्नमस्तिका मंदिर, रामरेखा धाम (सिमडेगा ) आदि प्रमुख धर्म स्थान है।

उपसंहार :- संसाधनों से भरा-पूरा हमारा झारखण्ड त्वरित विकास की बाट जोह रहा है। आशा है वह दिन दूर नहीं जब हमारा राज्य देश के अग्रणी राज्यों में गिना जाएगा। सभी सूखी होंगे, समृद्ध होंगे तथा सर्वत्र शांति, समरसता एवं सुशासन का साम्राज्य होगा ।

• समय अमूल्य धन है

संकेत बिंदु: - भूमिका, समय की महत्ता, लक्ष्य की प्राप्ति में सहायक, निष्कर्ष

उत्तर -

भूमिका :- समय क्या है? उसका सदुपयोग क्यों आवश्यक है? सोच की बात है! समय का वास्तविक अर्थ है — जीवन के उपलब्ध क्षण। समय निरंतर रूपांतरण है। समय की यह गतिशीलता ही जीवन है। घड़ी की टिक- टिक हमें कुुुछ कहती है। निरंतर सरकती हुई सुइयाँ यह चेतावनी दे रही है — समय चला जा रहा है, कुछ कर लो, कुछ कर लो! जो पल एक बार चला गया, वह कभी लौटकर नहीं आता है। देखते या समय की प्रतीक्षा करते रहने से जीवन यों ही बीत जाता है। क्योंकि समय कभी नहीं आता, बल्कि केवल चलता है।

एक बार एक व्यक्ति ने महात्मा गाँधी से पूछा — जीवन में ऊंचा उठने के लिए किसी को सबसे पहले क्या करना चाहिए? शिक्षा या धन हो सकता है।

गांधी जी ने उत्तर दिया — यह वास्तविक जीवन में उठने में सहायक अनिवार्य होता है, किंतु मेरे विचार में एक वस्तु का महत्व सबसे अधिक है, वह है– समय की व्याख्या। प्रत्येक वस्तु का कोई समय होता है, उसे करने या न करने का। यदि आपने समय को व्याख्याने की कला सीख ली है तो आपको किसी प्रशंसा या सफलता की खोज में मारे- मारे भटकने की आवश्यकता नहीं है, वह स्वयं आकर आपका द्वार खटखटाएगी।

समय का महत्व :- वस्तुतः एक- एक क्षण से प्रत्येक प्राणी का संबंध रहता है। एक-एक पल के सहयोग से ही जीवन बनता है। एक-एक पल के बीतने के साथ-साथ जीवन घटता भी जाता है। शेक्सपियर का कथन है —- “there is a tide of time.” जो व्यक्ति उस क्षण विशेष से चूक जाता है, कभी सफल नहीं हो पाता । किंतु प्रत्येक व्यक्ति उसके महत्व को नहीं समझता।

व्यक्ति सोचते हैं कि कोई उचित समय आएगा, तो फिर उस काम को करेंगे। इसी सोच-विचार में वे अपने जीवन के बहुमूल्य क्षणों को खो देते हैं। वे अपने दिनों ,महीनों और वर्षों को किसी शुभ पल की प्रतीक्षा में बिता देते हैं ,किंतु इस प्रकार का समय किसी के जीवन में कदापि नहीं आता ,जब बिना हाथ-पैर हिलाए संसार की बहुत बड़ी संपत्ति छप्पर फाड़कर उसके हाथ लग जाए। समय को तो अपनी परख ,अपनी प्रबल इच्छा-शक्ति से लाना और परिश्रम से शुभ बनाना पड़ता है। वास्तव में पुरुष जिस समय को चाहे शुभ क्षण बना सकता है। आवश्यकता है समय की परख करके उचित परिश्रम करने की।

जो व्यक्ति आलस्यवश समय को नष्ट कर देते हैं, समय उन्हें नष्ट कर देता है। इस मंत्र को सुन- समझकर भी हम भारतवासी समय के मूल्य को नहीं समझते। प्रायः प्रत्येक कार्य देरी से करते हैं। कहीं किसी ने आपत्ति की तो उत्तर देते हैं :— “यह हिंदुस्तानी समय है।” जब उचित समय आएगा ,तब सब कुछ ठीक हो जाएगा। यदि हमें समय का सही अर्थ समझना है तो वह हमें पश्चिमी देशों से सीखना पड़ेगा।

लक्ष्य की प्राप्ति में सहायक :- विद्यार्थी जीवन में समय का बहुत अधिक महत्व है। बच्चों को बचपन से समय पर हर कार्य करना सिखाया जाता है। सुबह समय पर उठकर विद्यालय जाना, विद्यालय में जाकर समय पर कक्षा कार्य को पूरा करना, यह सब विद्यार्थियों को सिखाया जाता है। विद्यार्थी जीवन में आदर्श विद्यार्थी समझ जाते हैं कि उन्हें एक मिनट भी समय को गवाना नहीं चाहिए। विद्यार्थी अपने सभी कार्य और दूसरी गतिविधियों को समय पर कर सके, इसलिए वह समय नियोजन करते हैं। विद्यार्थी एक सुव्यवस्थित समय सूची यानी टाइम टेबल का निर्माण करते हैं, ताकि वह हर काम को सही समय पर कर सके, उसमे कोई भी गलती न हो।

विद्यार्थी हर ज़रूरी कार्यों को योजनाबद्ध तरीके और सही ढंग से करते हैं। ऐसे विद्यार्थी को आदर्श विद्यार्थी कहा जाता है। विद्यार्थी जीवन में जो भी समय बच जाए उसमें उन्हें विभिन्न कार्यों को सीखने का प्रयास करना चाहिए। भविष्य किसी ने भी नहीं देखा, इसलिए समय का निरंतर उपयोग अच्छे कामों में करते रहना

निष्कर्ष :- अतः सफलता के लिए हमें आज से ही समय के प्रत्येक पल के सदुपयोग की आदत डालने शुरु कर देनी चाहिए। तभी हम अपने लक्ष्य को पा सकेंगे। जीवन का क्या है, वह तो किसी भी क्षण धोखा दे सकता है। जीवन से धोखा खाने से पहले हमें वह सब कर लेना है जो हम चाहते हैं। तभी मुक्ति मिल सकती है, अन्यथा नहीं। इच्छाएँ लेकर मरना, बार-बार जन्म-मरण के चक्कर में पड़े रहना हुआ करता है।

• खेल कूद का महत्व

संकेत बिंदु: - खेलों का महत्व, खेल और चरित्र, खेल भावना का विकास।

उत्तर -

खेलों का महत्त्व– हमारी शिक्षा पद्धति में अन्य विषयों के साथ ही खेलकूद का भी समावेश किया जाता है। वस्तुतः खेल मनोरंजन और शक्ति के सम्पूरक हैं। खेलों से खिलाड़ियों का शरीर स्वस्थ तथा मजबूत बनता है, उनके शरीर में चुस्ती, स्फूर्ति और शक्ति आती है। खेलने से शारीरिक एवं बौद्धिक विकास होता है। खेलों में भाग लेने से मानसिक तनाव कम हो जाता है, शरीर के पूर्ण स्वस्थ होने से उसमें रोग–निरोधक क्षमता आ जाती है।

खेल और चरित्र- विद्यालयों एवं महाविद्यालयों में खेलकूद की सुविधाएँ इसीलिए उपलब्ध कराई जाती हैं, ताकि युवकों के व्यक्तित्व का निर्माण हो सके। स्वस्थ शरीर और स्वस्थ मन में स्वस्थ आत्मा निवास करती है। खेलों में भाग लेने से जहाँ शारीरिक क्षमता की वृद्धि होती है, वहाँ व्यक्ति के चरित्र का भी विकास होता है । वह अन्याय, शोषण, उत्पीड़न एवं अनाचार का साहस और दृढ़ता से मुकाबला कर सकता है। महापुरुषों के जीवन पर दृष्टि डालें, तो श्रीराम, श्रीकृष्ण, अर्जुन, महाराणा प्रताप, शिवाजी, स्वामी विवेकानन्द आदि सब शक्तिशाली थे। वे किसी–न–किसी प्रकार की शारीरिक विद्या एवं कौशल में प्रवीण थे। इसी कारण वे यशस्वी बने। अस्वस्थ व्यक्ति तो स्वयं के लिए बोझ होता है। अतएव व्यक्तित्व के निर्माण के लिए खेलों का विशेष महत्व है।

खेल–भावना का विकास– खेलों में भाग लेने से ऐसी भावना का विकास होता है, जिससे आदमी सुख और दःख में एकसमान रहता है। खेल–भावना के कारण हार और जीत को सहजता से लिया जाता है तथा परस्पर मैत्री भावना का विकास होता है। खेलों से ओजस्वी एवं उदात्त स्वभाव के साथ सहजता का गुण आ जाता है। प्रतिस्पर्धा बढ़ने से लक्ष्य प्राप्त करने की भावना इससे बढ़ती है।

16. मलेरिया से बचाव हेतु जिले के स्वास्थ्य अधिकारी को एक अनुरोध पत्र लिखिए।1× 5 = 5

उत्तर-

सेवा में,

स्वास्थ्य अधिकारी,

नगरपालिका, दुमका

विषय:- मच्छरों की रोकथाम करने हेतु उचित कार्यवाही के लिए पत्र।

महोदय,

           सविनय निवदेन है की, मेरा नाम रमेश है । और मैं बैंक मोड़ धनबाद में रहता हूँ | बैंक मोड़ कॉलोनी की हो रही दुर्दशा की और आपका ध्यान आकर्षित करना चाहूँगा बैंक मोड़ में जहग- जहग कुढ़े-कचरे के ढेर लगे हु है। नालियों की सफाई ठीक से नहीं हुई है, जिस वजह से नाली में गंदगी और पानी जमा हो रहा है । जिस सब के कारणवश यहाँ पर मच्छरो संख्या इतनी बढ़ गई है, की दिन हो या रात हो यहाँ पर सिर्फ मच्छर ही दिखाई देंगे | इन मच्छरों की वजह से छोटे बच्चे बीमार हो रहे है।

अतः आपसे निवेदन है, की जल्द से जल्द यहाँ के कुढ़े-कचरे को हटाकर, नालियां साफ करवाई जाए और साथ में मच्छरों को मारने वाले धुएं को भी मारा जाए।

धन्यवाद !

भवदीय,

दीपक कुमार

नगरपालिका,

दुमका।

दिनांक - 19.01.2023

अथवा

समय के सदुपयोग और परिश्रम के माध्यम से बताते हुए अपने छोटे भाई को एक पत्र लिखिए।

उत्तर-

दुर्गापुरा, बिरलाग्राम नागदा

दिनांक 26.10.2023

प्रिय भाई सुरेश

शुभाशीर्वाद,

कल ही मां का पत्र मुझे प्राप्त हुआ. यह पढ़कर बहुत दुख हुआ कि, तुम इस वर्ष की परीक्षा में बेहद ही कम अंकों से उत्तीर्ण हुए हो. मुझे यह भी पता चला है कि, इस वर्ष तुमने पढ़ाई में परिश्रम नहीं किया. इसका परिणाम यह हुआ कि, तुम्हें बेहद ही कम अंक प्राप्त हुए है. प्रिय अनुज जीवन में परिश्रम का बहुत महत्व है. परिश्रम के अभाव में कोई भी कार्य पूरा नहीं होता. परिश्रम ही सफलता की कुंजी है. भाग्य के भरोसे रहने वाले लोग बाद में पछताते है. परिश्रमी व्यक्ति को सुखद परिणाम मिलता है. प्रिय भाई, समय दुनिया का सबसे शक्तिशाली शासक है. प्रकृति के सारे क्रिया कलाप समय के अनुसार ही सपन्न होते है. अत: समय के महत्व तथा मूल्य काे समझों क्योंकि बिता हुआ समय दोबारा लौटकर नहीं अता है. समय के सदुपयोग में ही सफलता का रहस्य छिपा है.

मुझे पूर्ण आशा एवं विश्वास है कि, तुम समय के मूल्य को समझोंगे. भविष्य में परीक्षा की तैयारी करते रहना, समय का सदुपयोग करके अपने जीवन को सफलता के शिखर पर ले जाओगे. दादाजी को मेरी ओर से सादर प्रणाम कहना.

तुम्हारा अग्रज

रमेश

17. प्रसिद्ध हर्बल साबुन उत्पाद की बिक्री हेतु लगभग 50 शब्दों में एक आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए । 1 x 5 = 5

उत्तर-

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उत्तर-

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झारखंड शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद रांची

मॉडल प्रश्न पत्र

विषय- हिंदी-अ

बहुवैकल्पिक प्रश्न

• सभी इस प्रश्न पत्र में चार खंड है।

• सभी प्रश्न अनिवार्य है।

• प्रश्नों की कुल संख्या 40 है |

• सभी प्रश्न के लिए एक अंक निर्धारित है।

• प्रश्नों के चार विकल्प दिए गए हैं इनमें से सही विकल्प का चयन करें गलत उत्तर के लिए कोई भी अंक नहीं काटे जाएंगे।

खंड क

अपठित गद्यांश एवं काव्यांश

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर उससे पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-1x5-5

घड़ी की टिक टिक हमसे कुछ कहती है उसकी निरंतर सरकती हुई सुइयां कह रही हैं समय जा रहा है, कुछ कर लो, कुछ कर लो जो क्षण एक बार चला गया, वह कभी लौट कर नहीं आता।

एक बार एक व्यक्ति ने महात्मा गांधी से पूछा "जीवन में ऊंचा उठने के लिए किसी को सबसे पहले क्या करना चाहिए शिक्षा, शक्ति या धन संग्रह "?

गांधी जी ने उत्तर दिया, यह वस्तुएं जीवन में उठने में सहायक अवश्य होती हैं, किंतु मेरे विचार से एक वस्तु का सबसे अधिक महत्व है और वह है समय की परख प्रत्येक कार्य का निर्धारित समय होता है, उसे करने या न करने का। यदि आपने समय को परखने की कला सीख ली है, तू पुणे आपको किसी प्रसन्नता या सफलता की खोज में दर-दर भटकने की आवश्यकता नहीं, वह स्वयं आकर आपका द्वार खटखटाएगी। हमें समय का मूल्य समझना चाहिए साथ ही, समय के अनुसार काम करना चाहिए। जीवन की यही कुंजी है। जो लोग निरंतर असफल होते हैं। वह प्रायः प्रतिकूल परिस्थितियों को बुरा भला करने लगते हैं। वस्तुतः बड़ी असफलता का कारण दुर्भाग्य नहीं होता, अपितु समय को गलत समझने की भूल होती है। यूनान के सबसे बड़े दार्शनिक अरस्तू ने इसे और भी अधिक स्पष्ट करते हुए कहा है, "प्रत्येक व्यक्ति को उचित समय पर उचित व्यक्ति से उचित मात्रा में, उचित उद्देश्य के लिए, उचित ढंग से व्यवहार करना चाहिए! " वस्तुतः एक एक्शन से प्रत्येक व्यक्ति का संबंध रहता है, किंतु व्यक्ति उसके महत्व को नहीं समझता । अधिकतर व्यक्ति सोचते हैं कि कोई अच्छा समय आएगा, तो काम करेंगे। इसी उधेड़बुन में वे वह जीवन के अमूल्य जनों को खो देते हैं। वे दिनों, मासूम और वर्षों को किसी शुभ क्षण की प्रतीक्षा में बिता देते हैं, बिना हाथ-पांव हिलाए संसार की बहुत बड़ी संपति छप्पर फाड़ कर उसके हाथ लग जाए। वास्तव में पुरुष जिस समय चाहे शुभ क्षण बन सकता है आवश्यकता है श्रम की और समय की परख की।

• सही विकल्प को चुनें:-

1 घड़ी की निरंतर सरकती हुई सुइयां से क्या कहती हैं?

A कुछ आराम कर लो.

B-घूम लो

C-नाच लो।

D कुछ कर लो

2- गांधी जी ने किस वस्तु का अधिक महत्व बताया है?

A-शिक्षा का

B-शक्ति का

C- समय की परख का

D- धन संग्रह का

3- जीवन की कुंजी क्या है?

A-प्रतिकूल परिस्थितियों को बुरा भला कहना

B- असफलता को दुर्भाग्य समझना

C-समय को गलत समझना

D- समय का मूल्य समझ कर काम करना ।

4. अधिकतर व्यक्ति जीवन के अमूल्य क्षण किस प्रकार खो देते हैं ?

A-उधेड़बुन में।

B- ऊंचा उठने में।

C- द्वार खटखटाने में

D इनमें से कोई नहीं

काव्यांश

निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर उससे पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:-

कुछ भी बन, बस कायर मत बन !

ठोकर मार पटक माथा,

तेरी राह रोकते पाहन ।

कुछ भी बन, बस कायर मत बन!

ले-देकर जीना, क्या जीना ?

कब तक गम के आंसू पीना?

मानवता ने सींचा तुझको

बहा युगो तक खून पसीना!

कुछ ना करेगा? क्या करेगा-

रे मनुष्य - बस कातर क्रंदन ?

कुछ भी बन, बस कायर मत बन!

युद्धम देहि' कहे जब पामर,

देन दुहाई पीठ फेर कर!

या तो जीत प्रीति के बल पर

यार तेरा पथ चुमे तरकस !

निम्नलिखित वस्तुनिष्ठ प्रश्नों के सही विकल्प को चुने:-

5. कवि के अनुसार किस प्रकार का जीवन व्यर्थ है?

A- मेहनत करके जीवन जीना।

B- खून पसीना लगाकर मेहनत करना

C- अपने प्रेम से संसार के युद्ध जीतना

D-कायर बनके चुपचाप रहना

6- "रे मनुष्य बस कातर क्रंदन का आशय होगा-

A-गम के आंसू पीना

B- खून पसीना बहाना

C-दुख से रोना ।

D-इनमें से कोई नहीं

7- कवि मनुष्य से क्या कहना चाहते हैं?

A-दुख का रोना रोता रहे

B विपरीत परिस्थितियों को देखकर डर जाए

C-बस चुपचाप अपनी जिंदगी जिए

D. मनुष्य कायर बन कर ना रहे।

8-पथ चूमे तरकस का अर्थ है-

A पथ में कांटे हैं

B-पथ मे फूल हैं

C-पथ में तारे हैं

D• इनमें से कोई नहीं

खंड-ख व्यवहारिक व्याकरण

निम्नलिखित प्रश्नों के सही विकल्प का चयन करें-

9. जिस वाक्य में कर्ता क्रिया और कर्म उपस्थित हो वहां कौन सी क्रिया होती है।

A. अकर्मक क्रिया

B• सकर्मक क्रिया

C- प्रेरणार्थक क्रिया

D• सार्थक क्रिया

10- कौन सा वाक्य अकर्मक क्रिया का उदाहरण है?

A गीता पत्र लिखती है

B• बंदर नाचता है

C• रमेश पुस्तक पढ़ता है

D-रोहित ने गीत गाया।

11. मैंने संदेश भिजवाया' क्रिया के भेद का नाम बताइए?

A. अकर्मक क्रिया

B• सकर्मक क्रिया

C- द्विकर्मक क्रिया

D प्रेरणार्थक क्रिया ।

12. दादी बच्चों को कहानी सुनाती है इनमें से क्रियापद कौन है?

A-दादी

B-कहानी

C-बच्चों को

D-सुनाती है।

13. पिताजी के द्वारा अखबार पढ़ा गया वाक्य का कौन सा भेद है?

A-कर्तृवाच्य

B- कर्मवाच्य

C-भाव वाच्य।

D इनमें से कोई नहीं

14-कर्तृ वाच्य वाक्यों में कर्ता के कार्य की ------होती है।

A• प्रधानता

B- निरस्ता

C- सरलता

D• इनमे कोई नहीं

15- गर्मियों में खूब आम खाया जाता है?

A.कर्मवाच्य

B-भावाच्य

C-कर्तवाच्य

D इनमें से कोई नहीं

16. यथाशक्ति कौन सा समास है?

A. अव्ययीभाव समास

B• कर्मधारय समास

C- तत् पुरुष समास

D द्वंद समास

17 दो या दो से अधिक पदों के मेल को क्या कहते हैं?

A संधि

B समास

C-उपसर्ग

D-प्रत्यय

18- जलज का अनेकार्थी नहीं है-

A कमल

B-मोती

C-मछली

D-बादल

19- समुच्चयबोधक अव्यय के दो प्रमुख भेद कौन-कौन से हैं?

A-क्रिया विशेषण और विशेषण

B- सरल और संयुक्त

C-समानाधिकरण और व्याधि करण

D. विस्मयादिबोधक और कारक

20. विद्यार्थी अध्ययन ------ सफल नहीं हो सकते। रिक्त स्थान में उचित अव्यय होगा-

A के बिना

B निकट

C-कब

D और

21. मिश्र वाक्य में एक प्रधान उपवाक्य और शेष कौन सा उपवाक्य होता है?

A सरल उपवाक्य

B-आश्रित उपवाक्य

C संयुक्त वाक्य

D. मिश्र वाक्य

खण्ड-ग पठित गद्यांश

प्रस्तुत गद्यांश को पढ़कर उचित विकल्प का चयन कीजिए-

बालगोबिन भगत मंझोले कद के गोरे चिट्टे आदमी थे। साठ के ऊपर के ही होंगे। बाल पक गए थे, लंबी दाढ़ी या जटा जूट तो नहीं सखते थे किंतु हमेशा उनका चेहरा सफेद बालों से ही जगमग किए रहता। कपड़े बिल्कुल कम पहनते । कमर में एक लंगोटी मात्र और सिर में कबीरपंथीयों की सी कनपटी टोपी। जब जाड़ा आता एक काली कमली ऊपर से ओढ़े रहते। मस्तक पर हमेशा चमकता हुआ रामानंदी चंदन, जो नाक के एक छोर से ही औरतों के पीके की तरह शुरू होता गले में तुलसी की जड़ों की एक बेड और माला बांधे रहते।

22 • बालगोबिन भगत का कद कैसा था?

A•नाटा

B•मंझोला

C-लंबा

D छोटा

23- बालगोबिन भगत गले में कैसी माला बांधे रहते थे?

A - गुलाब के फूल की

B• चमेली के फूल की

C-सोने की

D-तुलसी ककी

अमीरुद्दीन का जन्म डुमराव बिहार के एक संगीत प्रेमी परिवार में हुआ है। पांच 6 वर्ष डुमराव में बिताकर वह नाना के जरूर है कि शहनाई और डुमराव एक दूसरे के लिए उपयोगी हैं। घर, ननिहाल काशी में आ गया है। डुमराव का इतिहास में कोई स्थान बनता हो ऐसा कहीं नहीं लगा कभी फिर भी यह जरूर है कि शहनाई और डुमराव एक दूसरे के लिए उपयोगी है।

24. अमीरुद्दीन का जन्म कहां हुआ ?

A.काशी में

B-डुमराव में

C-ननिहाल में

D इनमें से कहीं नहीं

25. कौन-कौन एक दूसरे के लिए उपयोगी हैं?

A• डुमराव और बिहार ।

B• काशी और डुमराव

C- शहनाई और डुमराव

D• अमीरुद्दीन और बिहार

पठित काव्यांश

प्रस्तुत काव्यांश को पढ़कर सही उत्तर का चयन करें:-

तुम्हारी यह दंतुरित मुस्कान

धन्य तुम, मां भी तुम्हारी धन्य !

चिर प्रवासी मैं इतर, मैं अन्य!

अतिथि से प्रिय तुम्हारा क्या रहा संपर्क

उंगलिया मां की कराती रही हैं मधुपर्क

26- प्रस्तुत काव्यांश के कवि कौन है :-

A. सूर्यकांत त्रिपाठी निराला

B• जयशंकर प्रसाद

C- नागार्जुन

D- महादेवी वर्मा

27- दंतुरित का क्या अर्थ है?

A. बिना दांत के

B•लंबे-लंबे दांत

C- टेढ़े-मेढ़े दांत

D•नए नए दांत

'बालकु बोलि बधौ नहि तोहि

28- उपरोक्त काव्य की पंक्ति के रचियता कवि का नाम है:-

A -तुलसीदास

B• कबीरदास

C-सूरदास

D-देव

29. उपरोक्त पंक्तियों में कौन सा अलंकार है:-

A यमक

B• अनुप्रास

C• श्लेष

D• इनमे से कोई नहीं

खंड-घ पाठ्यपुस्तक

निम्न लिखित प्रश्नों के सही विकल्प का चयन करें:-

30- कृष्ण का संदेश सुनकर गोपियों के स्थिति कैसी हो गई ?

A• मिलन की आस जगी

B. विरह की आग जगी

C. खुशी की आस जगी

D. प्रेम की आस जगी

31• उत्साह कविता किन अर्थों और इशारा करती है:-

A. जीवन के संहार और विध्वंस की और

B. ललित कल्पना क्रांति चेतना के साथ नवनिर्माण नव संचार की ओर

C- जीवन में निराशा और हताशा की ओर

D. पूंजीपति और व्यापारियों के ओर

32. मुख्य गायब की आवाज कैसी थी?

A• हल्की-फुल्की

B• चट्टान जैसी भारी

C. लड़की जैसी

D- तीनके जैसी कमजोर

33. धुंधला प्रकाश किसका प्रतीक है?

A. कम रोशनी

B. अंधेरा

C- अस्पष्ट सुख

D. अशाति

34- मृग तृष्णा का अर्थ है:-

A. मृग की प्यास

B• मृग की दौड़

C. छलावा

D. दिखावा

35- पाठ माता का आंचल में मरदुए शब्द किसने किस के लिए प्रयोग किया?

A. लेखक ने अपने पिता के लिए

B. लेखक की माता ने लेखक के पिता के लिए

C. लेखक की माता ने लेखक के लिए

D. इनमें से किसी ने किसी के लिए नहीं

36• मूर्तिकार ने अंत में मूर्ति के नाक के लिए क्या सुझाव दिया था ?

A• नकली नाक लगा दीजिए

B. मोहल्ले वालों की नाक लगा दी जाए

C. जिंदा नाक लगा दी जाए

D. पुरानी नाक लगा दी जाय

37• साना साना हाथ जोडि प्रार्थना लेखिका ने किस देश की युवती से सीखी थी?

A• वर्मा की

B• श्रीलंका की

C• नेपाल की

D• चीन की

38• कैप्टन कौन था?

A. अवकाश प्राप्त सैनिक

B• आजाद हिंद फौज का सिपाही

C• चश्मा बेचने वाला

D. नगर पालिका का सदस्य

39. लेखक ने खीरा खाने से क्यों इंकार कर दिया था?

A• खाने की इच्छा नहीं थी

B. आत्मसम्मान की रक्षा के लिए

C• घमंडी होने के कारण

D. दूसरों की चीज खाना पसंद नहीं था

40- फादर कामिल बुल्के हिंदी को किस रूप में देखना चाहते थे?

A. एक बोली के रूप में

B. सामान्य भाषा के रुप में

C- राष्ट्रभाषा के रुप में

D. अंतराष्ट्रीय भाषा के रुप में



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