झारखण्ड शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद्, राँची
अर्द्धवार्षिक परीक्षा (SA -I) सत्र-2025-26 (SOE)
CLASS-12 FULL MARKS-60 TIME-3 Hours
SUBJECT - ECONOMICS (विषय-अर्थशास्त्र)
Instructions
/ निर्देश :
1.
परीक्षार्थी यथासंभव अपने शब्दों में ही उत्तर दें। पुस्तिका में 08 मुद्रित पृष्ठ
है।
2.
इस प्रश्न पत्र में चार खण्ड - A, B, C, एवं D है। कुल प्रश्नों की संख्या 25 है।
3.
खण्ड A में कुल 09 बहुविकल्पीय प्रश्न हैं। प्रत्येक
प्रश्न के चार विकल्प दिए गए हैं, इनमें से एक सही विकल्प का चयन कीजिए। प्रत्येक
प्रश्न का मान 2 अंक निर्धारित है।
4.
खण्ड B में प्रश्न संख्या 10 - 16 अति लघु उत्तरीय
प्रश्न हैं। इनमें से किन्ही छह प्रश्नों के उत्तर दीजिए। प्रत्येक प्रश्न का मान
2 अंक निर्धारित है।
5.
खण्ड C में प्रश्न संख्या 17 - 21 लघु उत्तरीय प्रश्न
हैं। इनमें से किन्ही चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए। प्रत्येक प्रश्न का मान 3 अंक
निर्धारित है।
6.
खण्ड D में प्रश्न संख्या 22 - 25 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
हैं। इनमें से किन्ही तीन प्रश्नों के उत्तर दीजिए। प्रत्येक प्रश्न का मान 6 अंक
निर्धारित है।
SECTION-A (खण्ड-क) (2x9=18)
1. औपनिवेशिक काल में भारत की प्रति व्यक्ति आय का अनुमान
लगाने वाले प्रसिद्ध अर्थशास्त्री कौन थे?
(A) दादाभाई नौरोजी
(B) विलियम डिग्बी
(C) वी. के. आर. वी. राव
(D) आर. सी. देसाई
2. भारत ने किस प्रकार की
आर्थिक व्यवस्था को अपनाया?
(A) पूँजीवादी
(B) मिश्रित
(C) समाजवादी
(D) उपरोक्त में से कोई नहीं
3. सरकार द्वारा शिक्षा
पर किया गया व्यय किसके प्रतिशत के रूप में व्यक्त किया जाता है?
(A) वस्तु एवं सेवा कर (GST)
(B) विनिवेश
(C) सकल घरेलू उत्पाद
(GDP)
(D) राजकोषीय घाटा
4. कथन I: भौतिक पूंजी निजी
एवं सामाजिक दोनों लाभ प्रदान करती है, जबकि मानव पूंजी केवल निजी लाभप्रदान करती है।
कथन II: मानव पूंजी का
लाभ केवल मालिक को ही नहीं बल्कि समाज को भी होता है।
(A) दोनों कथन सही हैं
(B) दोनों कथन गलत हैं
(C) कथन I सही है लेकिन कथन II गलत
है
(D) कथन II सही है लेकिन
कथन । गलत है
5. राष्ट्रीय आय को किस
नाम से भी जाना जाता है?
(A) NDPmp
(B) GDPfc
(C) NNPfc
(D) GDPmp
6. किसी परिवार द्वारा खरीदी
गई कार को किस श्रेणी में रखा जाएगा?
(A) एकल प्रयोग पूंजीगत वस्तु
(B) एकल प्रयोग उपभोक्ता वस्तु
(C) टिकाऊ उपभोक्ता वस्तु
(D) अर्द्ध-टिकाऊ उपभोक्ता वस्तु
7. राष्ट्रीय आय और घरेलू
आय के बीच का अंतर किस कारण से होता है?
(A) मूल्य हास (Depreciation)
(B) विदेश से शुद्ध कारक
आय
(C) शुद्ध अप्रत्यक्ष कर
(D) (B) और (C) दोनों
8. निम्नलिखित में से कौन
सा साख नियंत्रण की मात्रात्मक विधि नहीं है?
(A) ओपन मार्केट ऑपरेशन
(B) नकद आरक्षित अनुपात (CRR)
(C) बैंक दर
(D) मार्जिन आवश्यकताएँ
9. निम्नलिखित कथनों को
पढ़िए और सही विकल्प चुनिए:
अभिकथन (A): केंद्रीय बैंक को जारी
करने वाले बैंक के रूप में जाना जाता है'।
कारण (R): भारतीय रिज़र्व बैंक को मुद्रा
निर्गम का एकाधिकार प्राप्त है।
विकल्पः
(A) दोनों कथन सही हैं
और R, A की सही व्याख्या है।
(B) दोनों कथन सही हैं, लेकिन R, A
की सही व्याख्या नहीं है।
(C) A सही है, लेकिन R गलत है।
(D) A गलत है, लेकिन R सही है।
Section-B (खण्ड-ख) (2×6=12)
10. उदारीकरण का अर्थ बताइए।
उत्तर आर्थिक नीतियों के प्रतिबंधों को दूर कर अर्थव्यस्था के
विभिन्न क्षेत्रों को मुक्त करने की नीति उदारीकरण कहलाती है।
11. विश्व व्यापार संगठन पर संक्षिप्त टिप्पणी
लिखें
उत्तर - विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organisation)
- 1947 में GATT की रचना हुई थी जिसे 1 जनवरी, 1995 को विश्व व्यापार संगठन में बदल
दिया। इसका मुख्यालय जिनेवा में है। इसका ध्येय राज्यों के बीच व्यापार के सम्बन्धों
को बनाए रखना है तथा इस नाते आने वाली बाधाओं को हटाना या समस्याओं का समाधान करना
है। इसका अपना न्यायाधिकरण है जिसमें ऐसे विवाद निपटाए जा सकते हैं। यह बौद्धिक सम्पदा
सम्बन्धी विवादों का निपटान कर सकता है। हर दो वर्ष बाद इसकी बैठक होती है जिसमें सदस्य
देशों के विदेश मन्त्रीगण भाग लेते हैं तथा बहुमत के आधार पर निर्णय लिये जाते हैं।
इस समय इसमें 157 सदस्य हैं।
12. ग्रामीण विकास से आप
क्या समझते हैं?
उत्तर - ग्रामीण विकास सामान्यतः एक
व्यापक शब्द है इसका संबंध मूल रूप से सामाजिक तथा आर्थिक विकास में पिछड़ रहे ग्रामीण
क्षेत्रों के विकास की एक सुनियोजित कल्यविधि को माना जा सकता है।
13. निम्नलिखित को स्टॉक
या फ्लो के रूप में वर्गीकृत कीजिए और उत्तर का औचित्य दीजिए:
(a) संपत्ति
(b) आय
उत्तर -
(a) संपत्ति : संपत्ति को स्टॉक के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। इसका कारण
यह है कि संपत्ति एक निश्चित समय पर किसी संस्था या व्यक्ति के पास मौजूद संसाधन है।
संपत्ति का मापन एक निश्चित समय पर किया जाता है, जैसे कि बैंक में मौजूदा धन, घर,
कार आदि। ये स्थायी होते हैं और समय के साथ बदलते नहीं हैं, बल्कि इनके मूल्य में वृद्धि
या कमी होती है।
(b) आय : आय को फ्लो के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। फ्लो को किसी
गतिविधि की गति के संदर्भ में मापा जाता है, जैसे कि समय के साथ एक अवधि में उत्पन्न
होने वाली धन की मात्रा। यह आमतौर पर किसी निश्चित समय (जैसे, महीने, वर्ष) के भीतर
एकत्रित होती है। उदाहरण के लिए, एक व्यक्ति की मासिक आय या वार्षिक वेतन एक फ्लो है
क्योंकि यह समय के साथ उत्पन्न और परिवर्तित होता है।
इस प्रकार, संपत्ति (स्टॉक) एक निश्चित
समय पर मापी जाती है, जबकि आय (फ्लो) एक निश्चित अवधि में उत्पन्न होती है।
14. वास्तविक प्रवाह और मौद्रिक
प्रवाह में अंतर बताइए।
उत्तर - वास्तविक प्रवाह (Real
Flow) - परिवारों से फर्मों को साधन सेवाओं (जैसे - भूमि, श्रम, पूँजी आदि) एवं
फर्मों से परिवारों को वस्तुओं या सेवाओं का जो प्रवाह होता है, उसे वास्तविक प्रवाह
कहते हैं।
मौद्रिक प्रवाह (Money Flow) - फर्मों से परिवारों को साधन सेवाओं
के बदले मौद्रिक भुगतान और परिवारों से फर्मों को वस्तुओं व सेवाओं के बदले मौद्रिक
भुगतान के रूप में जो चक्र चलता रहता है, वही मौद्रिक प्रवाह कहलाता है।
15. मुद्रा को परिभाषित कीजिए।
इसके दो प्रमुख कार्य क्या हैं?
उत्तर - मुद्रा ऐसी वस्तु है जिसे विनिमय के माध्यम, मूल्य
के मापक तथा मूल्य के संचय के साधन के रूप में स्वतंत्र एवं सामान्य रूप से स्वीकार
किया जाता है।
हार्टले विदर्स के अनुसार, "मुद्रा वह है जो मुद्रा
का कार्य करे ।"
मुद्रा के दो प्रमुख कार्य हैं:
1.
विनिमय का माध्यम- मुद्रा का उपयोग वस्तुओं और सेवाओं की खरीद-बिक्री में किया जाता
है।
2.
मूल्य का माप- मुद्रा का उपयोग किसी वस्तु या सेवा के मूल्य को मापने के लिए किया जाता
है।
16. भारतीय
रिज़र्व बैंक द्वारा प्रयुक्त दो मात्रात्मक साख नियंत्रण उपकरण बताइए।
उत्तर - 1. बैंक दर 2. खुले बाजार की क्रियाएँ
Section-C (खण्ड-ग) (3×4=12)
17. ब्रिटिश
शासन द्वारा बुनियादी ढाँचे के विकास के पीछे दो प्रमुख कारणों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर - ब्रिटिश शासन में भारत में रेलों, पत्तनों, जल परिवहन
व डाक-तार आदि का विकास हुआ परंतु इसका ध्येय जनसामान्य को अधिक सुविधाएँ प्रदान करना
नहीं था अपितु इसके पीछे औपनिवेशिक हित साधने का ध्येय था।
(क) अंग्रेजी शासन से पहले बनी सड़कें आधुनिक यातायात साधनों
के लिए उपयुक्त नहीं थी। अतः सड़कों का निर्माण इसलिए किया गया ताकि देश के भीतर उनकी
सेनाओं के आवागमन की सुविधा हो सके तथा देश के भीतरी भागों से कच्चा माल निकटतम रेलवे
स्टेशन या पत्तने तक पहुँचाया जा सके।
(ख) डाक, तार तथा संचार के साधनों का विकास कुशल प्रशासन
के लिए किया गया।
(ग) एक अन्य उद्देश्य यह भी था कि अंग्रेजी धन का भारत में
लाभ अर्जित करने के लिए निवेश किया जाये।
18. मानव
पूंजी निर्माण की परिभाषा दीजिए। मानव पूंजी निर्माण में योगदान देने वाले कारक कौन-कौन
से हैं
उत्तर
- मानव पूँजी एक समय में एक राष्ट्र
के 'कौशल और विशेषज्ञता' के भंडार को संदर्भित करती है। यह इंजीनियरों, डॉक्टरों, प्रोफेसरों
और सभी प्रकार के कुशल श्रमिकों का योग है, जो उत्पादन की प्रक्रिया में लगे हुए हैं।
मानव पूँजी के निर्माण में निम्नलिखित कारकों का योगदान रहता
है-
शिक्षा : यह न केवल व्यक्ति की उत्पादकता बढ़ाने में मदद करता है बल्कि नवीन प्रद्योगिकी
को आत्मसात् करने क्षमता भी विकसित करती है। यह वर्तमान आर्थिक स्थिति को सुधारता है
तथा देश के भविष्य की संभावनाओं में सुधार करता है।
स्वास्थ्य : स्वास्थ्य पर किया गया गया व्यय देश की श्रमबल की क्षमता,
दक्षता और उत्पादकता को बढ़ाता है। एक स्वस्थ व्यक्ति अधिक समय तक व्यवधानरहित श्रम
की पूर्ति कर सकता है। अच्छे स्वास्थ्य और चिकित्सा सुविधाओं से न केवल जीवन प्रत्याशा
बढ़ती है बल्कि जीवन स्तर में भी सुधार लाती है। इसमें स्वच्छ पेयजल, उत्तम स्वच्छता
सुविधाएँ तथा बेहतर चिकित्सा सुविधाएँ आदि का प्रावधान है।
प्रशिक्षण कार्य: प्रशिक्षण पर किया गया व्यय मानव पूँजी का स्रोत है जिसमें
श्रम उत्पादकता में वृद्धि से हुए लाभ कहीं अधिक होते हैं। कार्य स्थल पर प्रशिक्षण
एक प्रशिक्षु के लिए अधिक प्रभावी प्रशिक्षण है जो उसे यह तकनीकी कौशल प्रदान करता
है कि वास्तविक कार्य स्थल पर कैसे कार्य करना है।
प्रवसनः व्यक्ति अपने मूल स्थान की आय से अधिक आय वाले रोजगार की तलाश में प्रवसन
/ पलायन करते हैं। प्रवसन की स्थिति में परिवहन की लागत और उच्चतर निर्वाह लागत के
साथ एक अनजाने सामाजिक सांस्कृतिक परिवेश में रहने की मानसिक लागत भी शामिल है। चूंकि
नए स्थान उनकी कमाई प्रवास से जुड़ी सभी लागतों से कहीं अधिक होती है, इसलिए प्रवसन
पर व्यय भी मानवीय पूँजी निर्माण का स्रोत है।
सूचना : मानव पूँजी के निर्धारण में रोजगार, वेतन तथा प्रवेश से संबंधित सूचनाओं की
उपलब्धता भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह जानकारी मानव पूँजी में निवेश करने से
प्राप्त मानव पूँजी के भंडार का सदुपयोग करने की दृष्टि से बहुत अधिक उपयोगी होती
है। इसीलिए श्रम बाजार तथा अन्य सूचनाओं की जानकारी प्राप्त करने पर किया गया व्यय
भी मानव पूँजी निर्माण का स्रोत है।
19. हरित
क्रांति के दो लाभ और दो हानियाँ बताइए।
उत्तर
- लाभ -
1)
खाद्य सुरक्षा- हरित क्रांति के बाद, खाद्य उत्पादन में
महत्वपूर्ण वृद्धि हुई और भारत आज खाद्य सुरक्षा में स्वावलंबी हो गया है।
ii)
आर्थिक विकास - हरित क्रांति ने छोटे किसानों को आर्थिक
रूप से सुधार कार्यक्रम की ओर उन्मुख किया। यह उन्हें अधिक आय देने में मदद करता है
और ग्रामीण क्षेत्रों में असमानताओं को कम करने में मदद करता है।
हानि-
i)
महँगी प्रौद्योगिकी और महँगे उन्नत बीज -
हरित क्रांति के दौरान, उच्च प्रोद्योगिकी के साथ उच्ब उपजाऊ बीजों का उपयोग किया
गया था। यह छोटे किसानों के लिए महंगा और प्रयोगशाला में परीक्षण उपलब्ध न होने के
कारण उनकी वाणिज्यिक उपज पर निर्भरता को बढ़ा रहा है।
ii) भौगोलिक सम्प्रवेश- हरित क्रांति के कारण कृषि उत्पादन केंद्रों में विपणन और
बाहरी गतिविधियों का उत्थान हुआ। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में जनसंख्या बढ़ी और
जिससे छोटे किसानों को परेशानियों का सामना करना पड़ा।
20. "दो क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था में राष्ट्रीय आय सदैव घरेलू आय
के बराबर होती है।"
इस कथन का समर्थन या खंडन उपयुक्त कारणों सहित कीजिए।
उत्तर
- दो क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था में राष्ट्रीय आय सदैव घरेलू आय के बराबर नहीं होती है।
दो क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था की
विशेषता
'दो क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था का
विश्लेषण सिर्फ घर (Household) और उत्पादक इकाई (Firm) के बीच आर्थिक प्रवाह के
आधार पर किया जाता है: इसमें विदेश क्षेत्र की कोई गतिविधि शामिल नहीं होती।
कथन का मूल्यांकन
• आदर्श रूप में दो क्षेत्रीय मॉडल
में विदेशी लेन-देन शून्य मान लेते हैं, तो 'विदेशों से शुद्ध कारक आय शून्य है और
दोनों आय बराबर है।
• वास्तविकता में: प्रायः
अर्थव्यवस्था में विदेशी क्षेत्र भी होता है-विदेशी कारक आय हमेशा शून्य नहीं
रहती।
उपयुक्त कारण
• यदि विदेशी लेन-देन या आय की बात
नहीं हो रही (यानी, मॉडल में विदेश क्षेत्र को शामिल नहीं किया गया), तो दोनों आय
बराबर मानी जा सकती हैं।
• परंतु व्यावहारिक अर्थशास्त्र
में, घरेलू और राष्ट्रीय आय में अंतर आ जाता है, यदि विदेशी क्षेत्र मौजूद है-और
यह अंतर 'विदेशों से शुद्ध कारक आय के कारण होता है।
निष्कर्ष
इसलिए, यह कथन तभी सही है जब
विदेशों से कारक आय शून्य मानी जाए या विदेशी क्षेत्र का समावेश न हो। आम तौर पर
दोनों बराबर नहीं होती, क्योंकि राष्ट्रीय आय में विदेश से आय घट-बढ़ सकती है।
21. केंद्रीय
बैंक के दो कार्यों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
- केंद्रीय
बैंक के दो प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं:
1. मुद्रा का निर्गमन (Issue of Currency) : केंद्रीय बैंक को देश में मुद्रा जारी करने का एकमात्र
अधिकार (Sole Authority of Note Issue) होता है।
• यह कार्य केंद्रीय बैंक को
मौद्रिक नीति पर नियंत्रण रखने और मुद्रा के प्रवाह को विनियमित करने में मदद करता
है।
• यह देश की मुद्रा प्रणाली में
जनता का विश्वास बनाए रखने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि देश में केवल एक
ही संस्था मुद्रा जारी करती है।
2. सरकार का बैंकर, एजेंट और
सलाहकार (Banker, Agent, and Advisor to the Government) : केंद्रीय बैंक, केंद्र और राज्य सरकारों के लिए एक बैंकर,
वित्तीय एजेंट और सलाहकार के रूप में कार्य करता है।
• बैंकरः यह सरकार के खातों का प्रबंधन करता है, जमा
स्वीकार करता है, और आवश्यकता पड़ने पर सरकार को ऋण भी देता है।
• एजेंट: यह सरकार के लिए सार्वजनिक ऋण का प्रबंधन करता है
और सरकारी प्रतिभूतियों (Government Securities) की खरीद-बिक्री करता है।
• सलाहकारः यह सरकार को आर्थिक और मौद्रिक नीतियों,
अंतर्राष्ट्रीय वित्त और अन्य वित्तीय मामलों पर सलाह देता है।
Section-D (खण्ड-घ) (6×3=18)
22. ग्रामीण
ऋण के विभिन्न संस्थागत स्रोतों पर चर्चा कीजिए।
उत्तर - ग्रामीण
क्षेत्रों में किसानों, कारीगरों और भूमिहीन श्रमिकों को साहूकारों के शोषण से मुक्त
करने तथा कृषि एवं ग्रामीण विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से, भारत सरकार ने संस्थागत
ऋण स्रोतों का एक व्यापक नेटवर्क स्थापित किया है। ये स्रोत औपचारिक और विनियमित होते
हैं, और उचित ब्याज दरों पर ऋण प्रदान करते हैं।
ग्रामीण ऋण के प्रमुख संस्थागत स्रोत निम्नलिखित हैं:
1. सहकारी ऋण समितियाँ (Co-operative Credit Societies) : सहकारी समितियाँ ग्रामीण
ऋण का सबसे पुराना और सबसे महत्वपूर्ण संस्थागत स्रोत हैं।
• उद्देश्य: इनका मुख्य उद्देश्य किसानों को साहूकारों के चंगुल से मुक्त
कराना और उन्हें कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराना है।
• संरचना: इनकी संरचना मुख्य रूप से त्रि-स्तरीय है:
a. प्राथमिक कृषि ऋण समितियाँ (PACS): ये गाँव के स्तर पर काम करती हैं और किसानों को अल्पकालीन
(Short-term) तथा मध्यमकालीन (Medium-term) ऋण प्रदान करती हैं (जैसे बीज, उर्वरक खरीदने
के लिए)।
b. जिला केंद्रीय सहकारी बैंक (DCCBs): ये जिला स्तर पर PACS को ऋण प्रदान करते हैं।
c. राज्य सहकारी बैंक (State Co-operative Banks - SCBs): ये राज्य स्तर पर शीर्ष बैंक के रूप में कार्य करते हैं।
2. वाणिज्यिक बैंक (Commercial Banks - CBs) : शुरुआत में वाणिज्यिक बैंक कृषि क्षेत्र को अनदेखा करते थे,
लेकिन 1969 में बैंकों के राष्ट्रीयकरण के बाद इनकी भूमिका में व्यापक वृद्धि हुई है।
• भूमिका: ये अब ग्रामीण शाखाओं के माध्यम से किसानों, कृषि उद्योग और
अन्य ग्रामीण गतिविधियों के लिए प्रत्यक्ष (Direct) और अप्रत्यक्ष (Indirect) दोनों
तरह के ऋण प्रदान करते हैं।
• प्राथमिकता
प्राप्त क्षेत्र ऋण (Priority Sector Lending): भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा इन्हें कृषि और ग्रामीण क्षेत्र
को निश्चित मात्रा में ऋण देना अनिवार्य किया गया है।
3. क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (Regional Rural Banks - RRBs) : 1975 में स्थापित इन बैंकों का उद्देश्य छोटे और सीमांत किसानों,
कृषि मजदूरों और कारीगरों की ऋण आवश्यकताओं को पूरा करना था।
• विशेषता: ये वाणिज्यिक बैंकों की पेशेवर दक्षता को सहकारी समितियों की
स्थानीय समझ के साथ जोड़ते हैं।
• ये विशेष
रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में ऋण प्रदान करते हैं और अक्सर रियायती दरों पर ऋण उपलब्ध
कराते हैं।
4. भूमि विकास बैंक (Land Development Banks - LDBs) : इन्हें अब राज्य सहकारी कृषि और ग्रामीण विकास बैंक
(SCARDBs) के रूप में जाना जाता है।
• कार्य: ये मुख्य रूप से किसानों को दीर्घकालीन (Long-term) ऋण प्रदान
करते हैं।
• उद्देश्य: ये ऋण भूमि की खरीद, स्थायी भूमि सुधार, कृषि मशीनरी खरीदने,
और पुराने ऋण चुकाने जैसे निवेश कार्यों के लिए दिए जाते हैं, जिसमें ऋण चुकाने की
अवधि 15 से 20 वर्ष तक हो सकती है।
5. राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (NABARD) : 1982 में स्थापित नाबार्ड (NABARD) ग्रामीण वित्त के लिए
देश की शीर्ष संस्था (Apex Body) है।
• मुख्य
कार्य: यह सीधे किसानों को ऋण
नहीं देता है, बल्कि यह पुनर्वित्त (Refinance) सुविधाएँ प्रदान करता है, यानी यह वाणिज्यिक
बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और सहकारी बैंकों को ग्रामीण ऋण वितरण के लिए धन
उपलब्ध कराता है।
• यह ग्रामीण
ऋण प्रणाली की निगरानी, समन्वय और विकास को भी बढ़ावा देता है।
23. निम्नलिखित वस्तुओं को मध्यवर्ती
वस्तु या अंतिम वस्तु के रूप में वर्गीकृत कीजिए और उत्तर का कारण बताइए:
(i) परिवार द्वारा खरीदा गया दूध
(ii) मिठाई की दुकान द्वारा प्रयुक्त दूध
(iii) टैक्सी चालक द्वारा खरीदी गई कार
(iv) एक फैक्टरी द्वारा खरीदी गई मशीन
उत्तर –
(i)
परिवार द्वारा खरीदा गया दूध
वर्गीकरण: अंतिम वस्तु
कारण:
परिवार दूध को सीधे उपभोग के लिए खरीदता है, न कि किसी अन्य वस्तु के उत्पादन के लिए।
यह उपभोक्ता द्वारा अंतिम उपयोग के लिए है, इसलिए यह अंतिम वस्तु है.
(ii)
मिठाई की दुकान द्वारा प्रयुक्त दूध
वर्गीकरण: मध्यवर्ती वस्तु
कारण:
मिठाई की दुकान दूध का उपयोग मिठाई बनाने के लिए करती है, जो आगे उपभोक्ता को बेची
जाती है। यहाँ दूध अंतिम उत्पाद (मिठाई) के उत्पादन में इनपुट के रूप में प्रयोग होता
है, इसलिए यह मध्यवर्ती वस्तु है.
(iii)
टैक्सी चालक द्वारा खरीदी गई कार
वर्गीकरण: अंतिम वस्तु
कारण:
टैक्सी चालक कार को अपनी सेवा (टैक्सी चलाने) के लिए अंतिम रूप से उपयोग करता है, न
कि आगे बेचने या किसी अन्य वस्तु के उत्पादन के लिए। टैक्सी चालक के लिए यह कार अंतिम
उपयोग की वस्तु है.
(iv)
एक फैक्टरी द्वारा खरीदी गई मशीन
वर्गीकरण: अंतिम वस्तु
कारण:
फैक्टरी मशीन को उत्पादन प्रक्रिया में पूंजीगत वस्तु के रूप में अंतिम रूप से उपयोग
करती है। मशीन का उपयोग अन्य वस्तुओं के उत्पादन के लिए किया जाता है, लेकिन मशीन स्वयं
फैक्टरी के लिए अंतिम वस्तु है, क्योंकि इसे आगे बेचने या किसी अन्य वस्तु के उत्पादन
में इनपुट के रूप में नहीं प्रयोग किया जाता.
24. भारतीय रिज़र्व बैंक
अर्थव्यवस्था में साख को कैसे नियंत्रित करता है? किसी चार उपकरण की व्याख्या कीजिए।
उत्तर - साख नियंत्रण
की प्रमुख विधियां निम्नलिखित हैं -
(1) आरक्षित जमा कोष में परिवर्तन :- सभी अनुसूचित व्यवसायिक
बैंको को अपनी कुल जमा की एक निश्चित नियंत्रण राशी आरक्षित कोष के रूप में केंद्रीय
बैंक के पास जमा करनी पड़ती है। यह आरक्षित कोष जितना अधिक होता है, व्यवसायिक बैंकों
के पास नकदी जमा उतनी ही कम हो जाती है और उसी अनुपात में साख का सृजन कम होता है।
इसके विपरीत आरक्षित कोष में कमी से साख का सृजन अधिक होता है।
(2) बैंक दर में परिवर्तन :- बैंक दर में परिवर्तन करके भी साख पर नियंत्रण किया जा सकता
है। बैंक दर वह दर है जिस पर केन्द्रिय बैंक व्यवसायिक बैंको को ऋण देता है। बैंक दर
से ब्याज दर प्रभावित होता है। बैंक दर में वृद्धि करके साख की मात्रा को कम किया जा
सकता है और बैंक दर में कमी करके साख की मात्रा को बढ़ाया जा सकता है।
(3) खुले बाजार की क्रियाएं :- खुले बाजार की क्रियाओं के अंतर्गत केंद्रीय बैंक बाजार
में सरकारी प्रतिभूतियों का क्रय-विक्रय करता है। जब केंद्रीय बैंक प्रतिभूतियों को
बेचता है तो मुद्रा बाजार में मुद्रा की मात्रा कम होने लगती है और जब बाजार से केंद्रीय
बैंक प्रतिभूतियों को खरीदता है तो मुद्रा बाजार में मुद्रा की मात्रा बढ़ जाती है
।
जब मुद्रा बाजार में मुद्रा की अधिकता (अर्थात मुद्रास्फीति)
होती है, तब केंद्रीय बैंक खुले बाजार में प्रतिभूतियां बेचना प्रारंभ कर देता है।
जनता अपनी नकदी अथवा बचत कोषों से केंद्रीय बैंक द्वारा बेचे जाने वाली प्रतिभूतियों
का क्रय करना शुरू कर देती है। इस प्रकार नकदी केंद्रीय बैंक को लौट जाती है और प्रचलित
मुद्रा की मात्रा कम हो जाती है जिससे बैंकों के नकद कोषों में कमी आ जाती है ।
(4) सीमांत कटौती में परिवर्तन :- व्यापारी लोग अपनी वस्तुओं को व्यापारिक बैंकों के पास प्रतिभूतियों
के रूप में रखते हैं और उसके बदले ऋण लेते हैं। बैंक पूरी प्रतिभूति अथवा जमानत मूल्य
के बराबर ऋण नहीं देते हैं। उसमें कुछ कटौती करते हैं। इसे सीमांत कटौती कहते हैं।
सीमांत कटौती में परिवर्तन करके साख पर नियंत्रण करने का प्रयास किया जाता है।
(5) नैतिक दबाव :- नैतिक दबाव के अंतर्गत केंद्रीय बैंक साख संस्थाओं पर नैतिक
दबाव डालकर उन्हें संबंधित नीति अपनाने के लिए बाध्य कर सकता है।
25. नीचे दिए गए आँकड़ों के आधार पर
राष्ट्रीय आय का मूल्यांकन कीजिए:
|
S. No |
Items |
Amount (in crore) |
|
1. |
निजी अंतिम खपत व्यय |
2000 |
|
2. |
सरकारी अंतिम खपत व्यय |
1000 |
|
3. |
सकल घरेलू स्थायी पूंजी निर्माण |
400 |
|
4. |
स्टॉक में वृद्धि |
50 |
|
5. |
स्थिर पूंजी की खपत |
100 |
|
6. |
विदेश से शुद्ध कारक आय |
200 |
|
7. |
शुद्ध अप्रत्यक्ष कर |
200 |
|
8. |
शुद्ध निर्यात |
700 |
उत्तर - दिए
गए आंकड़ों के आधार पर राष्ट्रीय आय (NNPFC)
का मूल्यांकन व्यय विधि (Expenditure Method) का उपयोग करके किया जाएगा।
सकल घरेलू उत्पाद (बाजार कीमत पर) (GDPMP) का
आकलन
व्यय विधि के अनुसार, GDPMP निम्नलिखित घटकों
का योग होता है।
= निजी
अंतिम खपत व्यय + सरकारी अंतिम खपत व्यय +
सकल घरेलू पूंजी निर्माण
+ शुद्ध निर्यात
1.
सकल घरेलू पूंजी निर्माण (GDCF)
GDCF = सकल
घरेलू स्थायी पूंजी निर्माण + स्टॉक में वृद्धि
GDCF
= 400 करोड़ + 50 करोड़ = 450 करोड़
2.
GDPMP
GDPMP
= 2000+1000+450+700
GDPMP
= 4150 करोड़
राष्ट्रीय आय (NNPFC) का आकलन
राष्ट्रीय आय साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPFC)
होती है। इसे GDPMP से प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित समायोजन किए जाते
हैं.
राष्ट्रीय आय (NNPFC)
= GDPMP - स्थिर पूंजी की खपत -
शुद्ध अप्रत्यक्ष कर + विदेश से
शुद्ध कारक आय
NNPFC = 4150-100-200+200
NNPFC
= 4150-100
NNPFC =
4050 करोड़
अतः, राष्ट्रीय आय का मूल्यांकन 4050 करोड़ है।
Class XII ECONOMICS
Jac Board Class 12 Economics (Arts) 2025 Answer key
Jac Board Class 12 Economics (Science/Commerce) 2025 Answer key
Class 12 Economics Jac Board SA-1 Exam 2024 Answer key
Class 12 ECONOMICS ARTS Jac Board 2024 Answer key
Class 12 Economics Science/Commerce Jac Board 2024 Answer key
Jac Board Class 12 Economics (Arts) 2023 Answer key
Jac Board Class 12 Economics (Science/Commerce) 2023 Answer key
Class XII Economics (Arts) Term-1 Answer Key 2022
Class XII Economics (Arts) Term-2 Answer Key 2022
Class XII Economics (Science/Commerce) Term 1 Exam.2022 Answer key
Class XII Economics (Science/Commerce) Term 2 Exam.2022 Answer key
Quiz Intermediate Special Examination 2021,Science/Commerce- ECONOMICS
