इतिहास
(भारत और समकालीन विश्व - 2)
यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय
विषयनिष्ठ (Subjective) प्रश्नोत्तर
प्रश्न : राष्ट्रवाद से क्या समझते हैं?
उत्तर : राष्ट्रवाद
किसी राष्ट्र की सामूहिक पहचान है। एक निश्चित भौगोलिक क्षेत्र में रहने वाली जनता
जब स्वयं को एक समान संस्कृति, इतिहास, धार्मिक मान्यताओं आदि से जुड़ी हुई महसूस करती
है तो उसे राष्ट्रवाद के नाम से जाना जाता है।
प्रश्न : राष्ट्रवाद की प्रथम अभिव्यक्ति कहाँ और कब हुई ?
उत्तर : राष्ट्रवाद
की प्रथम अभिव्यक्ति फ्रांस में 1789 ई. की फ्रांसीसी क्रांति के साथ हुई। इस क्रांति
के द्वारा राजतंत्र को समाप्त कर जनतंत्र की स्थापना हुई।
प्रश्न : निरंकुशवाद से क्या अभिप्राय है?
उत्तर : ऐसी
शासन व्यवस्था जिसमें शासक वर्ग पर किसी प्रकार का कोई अंकुश या नियंत्रण नहीं होता
तथा शासक वर्ग अपनी मनमानी करने को स्वतंत्र होता है, निरंकुशवाद के नाम से जानी जाती
है। ऐसी शासन व्यवस्था केंद्रीकृत सैन्य बल पर आधारित तथा दमनकारी होती है।
प्रश्न : फ्रेड्रिक सॉरयू कौन था?
उत्तर : फ्रेड्रिक
सॉरयू एक फ्रांसीसी चित्रकार था। 1848 ई. में उसने चार चित्रों की श्रृंखला के माध्यम
से गणतंत्र, स्वतंत्रता, ज्ञानोदय, राष्ट्र आदि के आदर्श को प्रस्तुत किया।
प्रश्न : कल्पनादर्श या यूटोपिया से आप क्या समझते हैं?
उत्तर : सभी
प्रकार के भेदभावों से मुक्त एक ऐसे आदर्श समाज की कल्पना जिसे वास्तविकता के धरातल
पर लाना लगभग असंभव है, यूटोपिया या कल्पनादर्श के नाम से जाना जाता है। यूटोपिया के
प्रणेता फ्रेड्रिक सॉरयू थे।
प्रश्न : जनमत संग्रह से क्या अभिप्राय है?
उत्तर : किसी
निश्चित क्षेत्र में किसी खास विषय पर उस क्षेत्र के निवासियों के विचारों के संग्रह
को जनमत संग्रह कहा जाता है। जनमत संग्रह लोकतंत्र का आधार है।
प्रश्न: नृजातीय से क्या अभिप्राय है?
उत्तर : किसी
समुदाय के एक साझा नस्ली जनजातीय या सांस्कृतिक पृष्ठभूमि को नृजातीय के नाम से जाना
जाता है। यह समुदाय की पहचान को सुनिश्चित करता है।
प्रश्न : फ्रांसीसी लोगों में सामूहिक पहचान का भाव पैदा करने के लिए फ्रांसीसी
क्रांतिकारियों ने क्या-क्या कदम उठाये?
अथवा, फ्रांस में राष्ट्रवाद का विकास कैसे हुआ?
उत्तर : फ्रांस
के नागरिकों में सामूहिक पहचान अथवा 'एक राष्ट्र' के नागरिक होने का भाव पैदा करने
के लिए फ्रांसीसी क्रांतिकारियों द्वारा निम्नांकित उपाय किये गये -
(1) फ्रांसीसी
क्रान्तिकारियों ने 'पितृभूमि' तथा 'नागरिक' जैसे विचारों को फ्रांसीसी लोगों तक पहुँचाया।
इन विचारों ने एक संयुक्त समुदाय के विचार पर बल दिया। इस संयुक्त समुदाय को एक संविधान
के अन्तर्गत समान अधिकार प्राप्त थे।
(2) एक नया फ्रांसीसी
झण्डा तिरंगा चुना गया जिसने पहले के राजध्वज का स्थान ले लिया।
(3) इस्टेट जनरेल
का चुनाव सक्रिय नागरिकों के समूह द्वारा किया जाने लगा। इसका नाम बदल कर 'नेशनल एसेम्बली'
कर दिया गया।
(4) राष्ट्रीय
भावना को प्रोत्साहित करने के लिए नई स्तुतियों की रचना की गर्मी, शपथें ली गयीं तथा
शहीदों का गुणगान किया गया।
(5) एक केन्द्रीय
प्रशासनिक व्यवस्था लागू की गयी, जिसने अपने अधीन राज्यों में रहने वाले सभी नागरिकों
के लिए समान कानून बनाए।
(6) आन्तरिक
आयात-निर्यात शुल्क समाप्त कर दिये गये तथा सम्पूर्ण देश में माप-तौल की एकसमान प्रणालियाँ
लागू की गयीं।
(7) क्षेत्रीय
बोलियों के स्थान पर फ्रेंच सम्पूर्ण देश की भाषा बन गयी।
प्रश्न : फ्रांसीसी क्रांति का मुख्य परिणाम क्या था?
अथवा, 1789 की फ्रांसीसी क्रान्ति के परिणामस्वरूप हुए परिवर्तनों का उल्लेख
कीजिए।
उत्तर : (1)
1789 की फ्रांसीसी क्रान्ति के परिणामस्वरूप फ्रांस में राजतंत्र समाप्त हुआ और उसके
स्थान पर गणतंत्र की स्थापना हुई जिसमें स्वतंत्रता, समानता तथा बन्धुत्व को प्रोत्साहन
मिला। सामन्तवाद का अन्त हो गया।
(2) क्रान्ति
से राष्ट्रवाद स्थापित हुआ। फ्रांस में नये राष्ट्रवादी समाज का निर्माण हुआ। यह समाज
समानता, स्वतंत्रता एवं बन्धुत्व के सिद्धांत पर आधारित था। फ्रांस में सामाजिक, धार्मिक
एवं राजनीतिक भेदभाव समाप्त कर दिये गये।
(3) पादरियों
के अधिकारों में कमी कर दी गई। उनका अधिकार क्षेत्र अब चर्च तक ही सीमित कर दिया गया।
जनता को धार्मिक स्वतंत्रता प्रदान की गई।
(4) राष्ट्रीय
सभा की शक्ति बढ़ा दी गई। राष्ट्रीय सभा ने फ्रांस में गणतन्त्र की घोषणा कर दी। नये
कानून एवं कर इसी सभा द्वारा पास होने लगे। अब सबके लिए एक जैसे कानून थे।
(5) इस क्रांति
के बाद सामंती अर्थतंत्रीय प्रणाली को समाप्त कर नई पूँजीवादी अर्थतंत्रीय प्रणाली
का निर्माण हुआ।
(6) फ्रांस की
नेशनल एसेम्बली ने व्यक्ति की महत्ता पर बल दिया। नागरिकों के मौलिक अधिकारों एवं कर्तव्यों
की घोषणा की गई।
(7)
फ्रांसीसी क्रांति ने पूरे यूरोप के शिक्षित अभिजात वर्ग में राष्ट्रवाद की भावनाओं
का संचार कर दिया। इसके कारण यूरोप के अन्य देशों में राजतंत्र और सामंतवाद के खिलाफ
क्रांतियों की शुरुआत हुई।
प्रश्न : नेपोलियन बोनापार्ट कौन था?
उत्तर
: नेपोलियन बोनापार्ट फ्रांस का एक महान सेनानायक था जिसके नेतृत्व में फ्रांस ने अनेक
विजय प्राप्त की तथा बाद में उसे फ्रांस का पहला सम्राट घोषित किया गया। उसके द्वारा
शासन व्यवस्था के लिए बनायी गयी आचार संहिता प्रसिद्ध है।
प्रश्न : नेपोलियन संहिता की तीन मुख्य विशेषताएँ क्या थीं?
अथवा, नेपोलियन संहिता की व्याख्या कीजिए।
अथवा, नेपोलियन के किन्हीं तीन प्रशासनिक सुधारों का उल्लेख करें।
अथवा, अपने शासन वाले क्षेत्रों में शासन व्यवस्था को ज़्यादा कुशल बनाने
के लिए नेपोलियन ने क्या किया? किन्हीं तीन का उल्लेख करें।
उत्तर
: शासन व्यवस्था को कुशल बनाने के लिए नेपोलियन ने नेपोलियन संहिता को लागू किया जिसके
अन्तर्गत उसने निम्नलिखित प्रमुख बदलाव किए:
1.
जन्म पर आधारित विशेषाधिकार समाप्त कर दिए गए।
2.
कानून के समक्ष बराबरी और संपत्ति के अधिकार को सुरक्षित बनाया।
3.
सामंती व्यवस्था को खत्म किया और किसानों को भू-दासत्व और जागीरदारी शुल्कों से मुक्ति
दिलाई।
4.
इस संहिता को फ्रांसीसी नियंत्रण के अधीन क्षेत्रों में भी लागू किया गया तथा प्रशासनिक
विभाजनों को सरल बनाया गया। शहरों में कारीगरों के श्रेणी-संघों के नियंत्रणों को हटा
दिया गया।
5.
यातायात और संचार-व्यवस्थाओं को सुधारा गया। एक-समान कानून, मानक भार तथा नाप और एक
राष्ट्रीय मुद्रा का एक इलाके से दूसरे इलाके में वस्तुओं और पूँजी के आवागमन में सहूलियत
हुई।
प्रश्न : वियना सम्मेलन (1815) क्या था?
उत्तर : नेपोलियन
की पराजय के बाद 1815 में वियना में एक सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसमें आस्ट्रिया,
प्रशा, इंग्लैण्ड, रूस आदि देशों के प्रतिनिधि सम्मिलित हुए। इस सम्मेलन की मेजबानी
आस्ट्रिया के चांसलर ड्यूक मेटरनिख ने की। वियना सम्मेलन में प्रतिनिधियों ने 1815
की वियना-सन्धि तैयार की।
प्रश्न : 1815 ई. में सम्पन्न वियना सम्मेलन की मुख्य बातें क्या थीं?
अथवा, वियना कांग्रेस में लिये गये निर्णयों और उद्देश्यों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर :
1815 ई. में सम्पन्न वियना सम्मेलन की मुख्य निर्णय/उद्देश्य निम्नलिखित थे-
(1) यूरोप में
एक नयी रूढ़िवादी व्यवस्था को पुनः लागू किया गया।
(2) फ्रांस में
राजतंत्र की बहाली कर बूर्बो वंश को शासन सत्ता सौंप दिया गया।
(3) उन राजतंत्रों
को फिर से बहाल किया गया जिन्हें नेपोलियन ने बर्खास्त कर दिया था।
(4) फ्रांस को
उन प्रदेशों से बंचित कर दिया गया जिन पर नेपोलियन ने अधिकार कर लिया था।
(5) फ्रांस की
सीमाओं पर अनेक राज्यों की स्थापना की गई ताकि भविष्य में फ्रांस अपने साम्राज्य का
विस्तार न कर सके।
(6) नेपोलियन
ने 39 राज्यों का जो जर्मन महासंघ स्थापित किया था, उसे बनाए रखा गया।
(7) पूर्व में
रूस को पोलैण्ड का एक हिस्सा दिया गया। प्रशा को सैक्सनी का एक हिस्सा दिया गया।
प्रश्न : वियना कांग्रेस कब और किसके द्वारा आयोजित की गयी थी?
उत्तर: वियना
कांग्रेस 1815 ई. में ऑस्ट्रिया के चांसलर मैटरनिख द्वारा आयोजित की गयी थी।
प्रश्न : वियना सम्मेलन की मेजबानी किसने की थी?
उत्तर : ऑस्ट्रिया
के चांसलर ड्यूक मैटरनिख ने।
प्रश्न : यह कथन किसका है "जब फ्रांस छींकता है तो बाकी यूरोप को सर्दी-जुकाम
हो जाता है।"
उत्तर : मैटरनिख।
प्रश्न : वियना सम्मेलन में भाग लेने वाले चार प्रमुख देशों के नाम लिखिए जिनके
प्रतिनिधि सम्मेलन में सम्मिलित हुए थे।
उत्तर :
(1) इंग्लैण्ड
(2) रूस
(3) प्रशा
(4) आस्ट्रिया।
प्रश्न : 1815 की वियना संधि के क्या उद्देश्य थे?
उत्तर : वियना-सन्धि
के प्रमुख उद्देश्य -
(1) फ्रांस तथा
अन्य राजतंत्रों को फिर से बहाल करना जिन्हें नेपोलियन ने बर्खास्त कर दिया था।
(2) यूरोप में
एक नई रूढ़िवादी व्यवस्था स्थापित करना।
प्रश्न : उदारवाद से क्या अभिप्राय है?
उत्तर : उदारवाद
(Liberalism) की उत्पत्ति लैटिन भाषा के liber शब्द से हुई है जिसका अर्थ होता है
- आजादी या स्वतंत्रता। व्यापक अर्थों में उदारवाद कानून के समक्ष समानता, आम सहमति
से बनी सरकार, शासक वर्ग, पादरी वर्ग तथा कुलीन वर्ग के विशेषाधिकारों की समाप्ति तथा
सभी नागरिकों के लिए मताधिकार का समर्थन करता है।
प्रश्न : 'रूढ़िवाद' से आप क्या समझते हैं? अथवा, रूढ़िवादी कौन थे?
उत्तर : रूढ़िवाद
एक ऐसा राजनीतिक दर्शन है, जो आधुनिकता एवं परिवर्तन के स्थान पर स्थापित परंपराओं
तथा रीति-रिवाजों को बनाये रखने पर बल देता है। रूढ़िवादियों की मूल धारणा यह है कि
राजतंत्र, चर्च, सामाजिक भेदभाव, संपत्ति आदि को बनाये रखना चाहिए।
प्रश्न : समन्वयवाद से क्या अभिप्राय है?
उत्तर : दो अलग-अलग
मान्यताओं को उनकी भिन्नताओं तथा समानताओं को ध्यान में रखते हुए साथ लाने का प्रयास
समन्वयवाद के नाम से जाना जाता है।
प्रश्न : उदारवादियों की 1848 की क्रान्ति का क्या अर्थ लगाया जाता है?
अथवा, उदारवादी राष्ट्रवाद के क्या मायने थे?
उत्तर : उदारवादियों
की 1848 की क्रान्ति का अर्थ था राजतन्त्र की समाप्ति एवं गणतन्त्र की स्थापना। उदारवादियों
की 1848 की क्रान्ति फ्रांस के मध्यमवर्गीय लोगों से सम्बन्धित थी। उदारवादियों की
1848 ई. की क्रांति का अर्थ राष्ट्रवाद के विजय तथा शेष विश्व में राष्ट्र-राज्यों
के अभ्युदय से लगाया जाता है।
इस क्रांति में
निरंकुश राजतन्त्र तथा पादरी एवं कुलीन वर्ग के विशेषाधिकारों का विरोध किया गया। मताधिकार
पर आधारित संसदीय शासन, कानून के समक्ष सबकी बराबरी, आम जनता का आर्थिक कल्याण आदि
पर जोर दिया गया। इस प्रकार उदारवाद गणतंत्र, राष्ट्र-राज्य, संविधानवाद, प्रेस की
स्वतंत्रता तथा संगठन बनाने की स्वतंत्रता के संसदीय विचारों पर आधारित है।
इस क्रान्ति
के फलस्वरूप फरवरी, 1848 में फ्रांस के सम्राट को सिंहासन छोड़ना पड़ा और फ्रांस में
गणतन्त्र की स्थापना की गयी। यह गणतन्त्र पुरुषों के सर्वव्यापी मताधिकार पर आधारित
था।
प्रश्न : फ्रांस की 1848 की क्रान्ति का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
1848 में खाद्यान्नों की कमी तथा व्यापक बेरोजगारी से परेशान पेरिसवासी सड़कों पर निकल
पड़े और फ्रांस के सम्राट को फ्रांस छोड़कर भागना पड़ा। राष्ट्रीय सभा ने फ्रांस में
गणतन्त्र की घोषणा कर 'दी। 21 वर्ष से ऊपर सभी वयस्क पुरुषों को मताधिकार प्रदान किया
गया और काम के अधिकार की गारण्टी दी गयी।
प्रश्न : उदारवादियों ने किन राजनीतिक, सामाजिक एवं आर्थिक विचारों को बढ़ावा
दिया?
उत्तर : उदारवादियों
के राजनीतिक, सामाजिक तथा आर्थिक विचार :
1. राजनीतिक
विचार :
(i) उदारवादियों
ने निरंकुश राजतन्त्र तथा पादरी एवं कुलीन वर्ग के विशेषाधिकारों का विरोध किया।
(ii) वे मताधिकार
पर आधारित प्रतिनिधि संसदीय शासन का समर्थन करते थे।
(iii) वे कानून
के सामने समानता के पक्षपाती थे परन्तु सबके लिए मताधिकार के पक्ष में नहीं थे।
(iv) राजा नहीं
बल्कि राष्ट्र-राज्य के प्रति भक्ति का प्रचार-प्रसार।
2. सामाजिक विचार
:
(i) समाज में
स्वतंत्रता की भावना का विकास
(ii) उदारवादियों
ने महिलाओं को राजनीतिक अधिकार प्रदान करने की माँग की।
(iii) भू-दासत्व
तथा बन्धुआ मजदूरी को समाप्त करने पर बल दिया गया।
3. आर्थिक विचार
: उदारवादी बाजार व्यवस्था उदारवादियों ने बाजारों की मुक्ति,
वस्तुओं तथा पूँजी के आयात-निर्यात पर राज्य द्वारा लगाए गए नियन्त्रणों को समाप्त
करने पर बल दिया। जनता पर करों के बोझ में कमी करने का विचार दिया। उदारवादी निजी सम्पत्ति
के स्वामित्व को अनिवार्य बना देना चाहते थे।
प्रश्न : '1830 से 1848 तक का युग यूरोप के इतिहास में क्रान्तियों का युग था।'
व्याख्या कीजिए।
उत्तर : यूरोप
के इतिहास में 1830 से 1848 तक का युग क्रान्तियों का युग कहलाता है क्योंकि इस अवधि
में अनेक यूरोपीय देशों में निरंकुश, रूढ़िवादी और प्रतिक्रियावादी शासन के विरुद्ध
क्रान्तियाँ हुईं।
सर्वप्रथम फ्रांस
में जुलाई, 1830 में क्रान्ति हुई। फ्रांस के उदारवादी क्रान्तिकारियों ने वहाँ के
निरंकुश और रूढ़िवादी शासन के विरुद्ध विद्रोह कर दिया। परिणामस्वरूप फ्रांस के निरंकुश
शासक बूर्बो को हटा कर संवैधानिक राजतंत्र स्थापित किया गया। इसका अध्यक्ष लुई फिलिप
था।
इसके बाद
1830 में ब्रुसेल्स में भी विद्रोह भड़क उठा जिसके परिणामस्वरूप ब्रुसेल्स यूनाइटेड
किंगडम ऑफ द नीदरलैण्ड्स से अलग हो गया। इसी अवधि में इटली और जर्मनी के राज्यों, आटोमन
साम्राज्य के प्रान्तों तथा आयरलैण्ड और पोलैण्ड में भी रूढ़िवादी तथा प्रतिक्रियावादी
शासन के विरुद्ध क्रान्तियाँ हुईं।
प्रश्न : रूपक से आपका क्या तात्पर्य है?
उत्तर : जब किसी
अमूर्त भावना या विचार को किसी मूर्त आकृति के रूप में दर्शाया जाता है तो इसे 'रूपक'
कहा जाता है। जैसे टूटी जंजीर, मशाल, नारी के रूप में राष्ट्र का कल्याणकारी स्वरूप
आदि जन-जन में राष्ट्रीयता की भावना को जगा देते हैं।
प्रश्न : मारिआन से क्या तात्पर्य है?
उत्तर : 'मारिआन'
नारी रूप में एक रूपक था जो फ्रांस में राष्ट्र तथा राष्ट्रीय एकता का प्रतीक था।
प्रश्न : मारिआन तथा जर्मेनिया कौन थे? जिस तरह उन्हें चित्रित किया गया? उसका
क्या महत्त्व था?
उत्तर : अठारहवीं
तथा उन्नीसवीं सदी में कलाकारों ने राष्ट्रों के मानवीकरण अथवा राष्ट्रों को एक चेहरा
देने के लिए 'रूपक' के रूप में नारी रूपों का व्यवहार किया। मारीआन और जर्मेनिया दो
नारियों के चित्र हैं। इन्हें राष्ट्रों के रूपकों के रूप में चित्रित किया गया है।
मारीआन फ्रांसीसी गणराज्य का प्रतिनिधित्व करती है और जर्मेनिया जर्मन राष्ट्र का रूपक
है।
मारीआन :
फ्रांसीसी क्रान्ति के दौरान कलाकारों ने स्वतन्त्रता, न्याय तथा गणतंत्र जैसे विचारों
को व्यक्त करने के लिए नारी रूपक का प्रयोग किया। फ्रांस में नारी रूपक को लोकप्रिय
ईसाई नाम 'मारीआन' दिया गया, जिसने जन-राष्ट्र के विचार को रेखांकित किया। उसके चिह्न
भी स्वतंत्रता और गणतंत्र के थे -लाल टोपी, तिरंगा तथा कलगी। फ्रांस में एक डाक टिकट
पर मारीआन की तस्वीर छापी। उसकी प्रतिमाओं को सार्वजनिक स्थानों पर लगाया गया ताकि
लोगों में राष्ट्रीय भावना की जागृति हो।
जर्मेनिया :
जर्मन राष्ट्र का रूपक थी। जर्मेनिया को बलूत वृक्ष के पत्तों का मुकुट पहने दिखाया
गया क्योंकि जर्मन बलूत को वीरता का प्रतीक मानते हैं। जर्मेनिया की तलवार पर जर्मन
तलवार जर्मन साम्राज्य की रक्षा करती है अंकित है। नारी रूप में जर्मेनिया का चित्र
जर्मनी की स्वतन्त्रता, राष्ट्रवाद तथा अखण्डता को प्रतिबिम्बित करता है।
महत्त्व :
इन चित्रों ने लोगों में राष्ट्रीयता की भावना को प्रबल किया तथा फ्रांस और जर्मनी
को एक अलग-अलग राष्ट्र के रूप में पहचान दी। मारिआन की प्रतिमा को स्वतंत्रता, एकता
और न्याय का प्रतीक माना गया। इससे जनता में इन उद्दात राजनीतिक भावनाओं का संचार हुआ।
इसी प्रकार जर्मेनिया का चित्र स्वतंत्रता, शक्ति, बहादुरी, शांति तथा एक नये युग के
सूत्रपात का प्रतीक था। जर्मनी की जनता को इससे राष्ट्र के गौरव का बोध हुआ।
प्रश्न : राष्ट्रीय पहचान के निर्मित होने में भाषा और लोक परम्पराओं का क्या
महत्त्व है?
उत्तर : राष्ट्रीय
पहचान के निर्माण में भाषा और लोक परम्पराओं का महत्त्व निम्नलिखित है -
* किसी क्षेत्र
विशेष या देश की भाषा और लोक परम्पराएँ लोगों द्वारा एक साथ व्यतीत किए गए अतीत व सामूहिक
एकता से जीवन-यापन की जानकारी देती हैं।
* भाषा और लोक
परम्पराएँ लोगों को सांस्कृतिक रूप से समान होने की भावना प्रदान करती हैं।
* भाषा व लोक
परम्पराएँ लोगों को एकता एवं गर्व के धागे से बाँधती हैं।
प्रश्न : यूरोप में राष्ट्रवाद के विकास में संस्कृति के योगदान का उल्लेख कीजिए
अथवा, रूमानीवाद से आप क्या समझते हैं? रूमानीवाद ने राष्ट्रीयता की धारणा के
विकास में किस प्रकार योगदान दिया?
उत्तर : यूरोप
में राष्ट्रवाद के विकास में संस्कृति की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही। रूमानीवाद एक ऐसा
सांस्कृतिक आन्दोलन था जो सांस्कृतिक जुड़ाव और राष्ट्रीय भावना का विकास करना चाहता
था।
यूरोप में राष्ट्रवाद
के विकास में संस्कृति के निम्नलिखित पक्षों का योगदान प्रमुख था -
(1) लोक संस्कृति
: लोक संस्कृति क्षेत्र-विशेष के आम लोगों को सामूहिक एकता
में पिरोती है। लोक संगीत, लोक काव्य और लोक नृत्यों के माध्यम से राष्ट्र की भावना
को प्रसारित किया गया।
(2) भाषा :
राष्ट्रवाद के विकास में भाषा का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। उदाहरण के लिए पोलैण्ड
में पोलिश भाषा-भाषियों ने रूसी भाषा का विरोध किया जो रूसी प्रभुत्व के विरुद्ध संघर्ष
का प्रतीक था।
(3) संगीत :
संगीत के द्वारा राष्ट्रीयता की भावना को आम लोगों तक पहुँचाने में सहायता मिली। पोलैण्ड
में परतंत्रता की स्थिति में संगीत के द्वारा ही राष्ट्रीय भावना जागृत रखी गई।
प्रश्न : ज्युसेपी मेत्सिनी कौन था?
उत्तर : ज्युसेपी
मेत्सिनी इटली का एक महान क्रांतिकारी था। वह निरंकुश राजतंत्र का विरोधी एवं उदार
लोकतंत्र का समर्थक था। उसने इटली के एकीकरण की रूपरेखा तैयार की।
प्रश्न : ज्युसेपी मेत्सिनी का जन्म कब और कहाँ हुआ था ?
उत्तर :
1807 ई., जेनोआ में।
प्रश्न : 'यंग इटली' क्या था? इसकी स्थापना किसने की?
उत्तर : 'यंग
इटली' एक गुप्त क्रांतिकारी संगठन था। इसकी स्थापना 1830 ई. के दशक में ज्युसेपी मेत्सिनी
ने एकीकृत इटली के विचारों को प्रसारित करने के लिए की थी।
प्रश्न : ज्युसेपी मेत्सिनी कौन था? राष्ट्रवाद के विकास में उसका क्या योगदान
था?
अथवा, ज्युसेपी मेत्सिनी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
उत्तर : (1)
ज्युसेपी मेत्सिनी इटली का एक महान क्रांतिकारी था। वह निरंकुश राजतंत्र का विरोधी
एवं उदार लोकतंत्र का समर्थक था। उसने इटली के एकीकरण की रूपरेखा तैयार की।
(2) अपने विचारों
को कार्य रूप देने के उद्देश्य से मेत्सिनी, कार्बोमारी के गुप्त संगठन का सदस्य बन
गया। लिगुरिया में विद्रोह के आरोप में बहिष्कृत होने के बाद उसने दो भूमिगत संगठनों
की स्थापना की। ये संगठन थे – 'यंग इटली' तथा 'यंग यूरोप'।
(3) मेत्सिनी
का मानना था कि- ईश्वर की मर्जी के अनुसार राष्ट्र ही मनुष्यों की प्राकृतिक इकाई है।
उसके प्रयासों से अन्ततः इटली का एकीकरण संभव हुआ।
प्रश्न : एकीकरण से पहले इटली की राजनीतिक दशा कैसी थी?
उत्तर : (1)
इटली अनेक वंशानुगत राज्यों तथा बहु-राष्ट्रीय हैब्सबर्ग साम्राज्य में विखरा हुआ था।
19वीं सदी के मध्य में इटली सात राज्यों में बँटा हुआ था। इनमें से सिर्फ एक राज्य
सार्डिनिया-पीडमॉण्ट में इतालवी राजघराने का शासन था।
(2) उत्तरी भाग
हैब्सबर्गों के अधीन था, मध्य इलाकों पर पोप का शासन था, जहाँ नेपोलियन की सेना उसकी
सहायता कर रही थी।
(3) दक्षिणी
क्षेत्र स्पेन के बूर्बो राजाओं के अधीन था। इटली की कोई साझी भाषा नहीं बन पायी थी।
कुल मिला कर इटली अनेक स्थानीय तथा क्षेत्रीय समूहों में बँटा हुआ था।
प्रश्न : काउंट कैमिलो दे कावूर कौन था?
उत्तर : काउंट
कैमिलो दे कावूर सार्डिनिया-पीडमॉण्ट के शासक विक्टर इमैनुएल द्वितीय का मंत्री था।
उसने इटली के एकीकरण आंदोलन का नेतृत्व किया तथा कूटनीति और प्रत्यक्ष युद्ध के माध्यम
से वह इटली का एकीकरण करने में सफल हुआ।
प्रश्न : इटली में एकीकरण आंदोलन का नेतृत्व किसने किया?
उत्तर : इटली
में एकीकरण आंदोलन का नेतृत्व काउंट कैमिलों दे कावूर ने किया।
प्रश्न : काउंट
कैमिलो दे कावूर कौन था? इटली के एकीकरण में
उसका क्या योगदान था?
अथवा, काउंट कैमिलो दे काबूर पर संक्षिप्त टिप्पणी
लिखें।
उत्तर : (1) काउंट कैमिलो दे काबूर
सार्डिनिया-पीडमॉण्ट के शासक विक्टर इमैनुएल द्वितीय का मंत्री था। काबूर ने इटली
के एकीकरण आंदोलन का नेतृत्व किया।
(2) फ्रांस तथा
सार्डिनिया-पीडमॉण्ट के बीच कूटनीतिक संधि के पीछे कावूर का हाथ था। इस संधि के
प्रभाव से सार्डिनिया-पीडमॉण्ट ऑस्ट्रिया को पराजित करने में सफल हुआ।
(3) काबूर समझता था कि ऑस्ट्रिया
को इटली से बाहर किये बिना इटली का एकीकरण संभव नहीं है। ऑस्ट्रिया के पराजित होने
के बाद इटली के एकीकरण का मार्ग प्रशस्त हो गया। इस प्रकार,
काबूर ने कूटनीति तथा प्रत्यक्ष युद्ध के माध्यम से इटली का एकीकरण किया।
प्रश्न : इटली
एकीकरण की प्रक्रिया का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
अथवा, इटली के एकीकरण में शासक विक्टर इमेनुएल, मंत्री प्रमुख कावूर और ज्युसेपे गैरीबॉल्डी
की भूमिका की चर्चा करें।
उत्तर : (1) ज्युसेपे मेत्सिनी
का योगदान : इटली अपने एकीकरण के पूर्व सात राज्यों में बँटा हुआ था। इनमें से
केवल एक राज्य सार्डीनिया-पीडमांट में इतालवी राजवंश का शासन था। इटली के
क्रान्तिकारी नेता ज्युसेपे मेत्सिनी ने 1831 में 'यंग
इटली' नामक एक क्रान्तिकारी संस्था की स्थापना की और इसके माध्यम
से इटलीवासियों में राष्ट्रीयता, देश-भक्ति, त्याग और बलिदान की भावनाएँ उत्पन्न की।
(2) कावूर का
योगदान: काबूर सार्जीनिया-पीडमांट का प्रधानमन्त्री था। 1859 में
फ्रांस की सैनिक सहायता प्राप्त करके सार्डीनिया-पीडमांट ने आस्ट्रिया की सेनाओं
को पराजित कर दिया। इसके परिणामस्वरूप लोम्बार्डी को सार्डीनिया-पीडमांट में मिला
लिया गया
(3) गैरीबाल्डी
का योगदान : गैरीबाल्डी इटली का एक महान स्वतन्त्रता सेनानी था। उसने
1860 में सिसली और नेपल्स पर आक्रमण किया। गैरीबाल्डी के नेतृत्व में भारी संख्या
में सशस्त्र स्वयं सेवकों ने इस युद्ध में हिस्सा लिया और उन पर अधिकार कर लिया।
जनमत संग्रह के बाद सिसली और नेपल्स को साडीनिया-पीडमांट में मिला लिया गया।
(4) विक्टर
इमेनुएल द्वितीय का योगदान: विक्टर इमेनुएल द्वितीय सार्डीनिया-पीडमांट का राजा था।
युद्ध के जरिये इतालवी राज्यों को जोड़ने की जिम्मेदारी विक्टर इमेनुएल द्वितीय पर
थी। 1861 में उसे एकीकृत इटली का राजा घोषित किया गया।
1866 में बेनेशिया को भी इटली में
मिला लिया गया। 1870 में इटली की सेनाओं ने रोम पर भी अधिकार कर लिया। इस प्रकार
इटली का एकीकरण पूरा हुआ।
प्रश्न : जर्मन
एकीकरण की प्रक्रिया संक्षेप में बताएँ।
उत्तर : (1) जॉलवेराइन की
स्थापना : 1834 ई. में प्रशा की पहल पर जॉलवेराइन नामक एक शुल्क संघ की
स्थापना की गई जिसमें अधिकांश जर्मन राज्य सम्मिलित हो गए। इस संघ ने शुल्क
अवरोधों को समाप्त कर दिया तथा मुद्राओं की संख्या केवल दो कर दी जो उससे पहले तीस
से ऊपर थी। जॉलवेराइन से जर्मन राज्यों में राष्ट्रीयता की भावना का विकास हुआ।
इसने भविष्य में प्रशा के नेतृत्व में जर्मनी के राजनीतिक एकीकरण का मार्ग प्रशस्त
कर दिया।
(2) फ्रैंकफर्ट
संसद के प्रयास : जर्मनी में राष्ट्रवादी भावनाएँ मध्य वर्ग के लोगों में
अधिक थीं। उन्होंने सन् 1848 में जर्मन महासंघ के विभिन्न क्षेत्रों को जोड़कर एक
निर्वाचित संसद (फ्रैंकफर्ट संसद) द्वारा शासित राष्ट्र-राज्य बनाने का प्रयास
किया। लेकिन राष्ट्र निर्माण का वह उदारवादी प्रयास राजशाही तथा सैन्य शक्ति ने
मिलकर विफल कर दिया। उनका प्रशा के बड़े भू-स्वामियों ने भी समर्थन किया।
(3) प्रशा का
नेतृत्व तथा बिस्मार्क की भूमिका : इसके बाद प्रशा ने राष्ट्रीय
एकीकरण के आन्दोलन का नेतृत्व सम्भाला। प्रशा के राजा ने ऑटोवान बिस्मार्क को अपना
प्रधानमंत्री घोषित किया। ऑटोवॉन बिस्मार्क ने प्रशा की सेना तथा नौकरशाही की
सहायता ली।
बिस्मार्क ने 'लौह और
रक्त' की नीति अपनाते हुए सात वर्ष की अवधि में डेनमार्क,
आस्ट्रिया तथा प्रशा को युद्धों में पराजित कर दिया और जर्मनी का एकीकरण पूरा
किया।
(4) जर्मन साम्राज्य
की घोषणा : 18 जनवरी, 1871 को बिस्मार्क ने वर्साय के शीशमहल में विलियम
प्रथम को नवीन जर्मन साम्राज्य का सम्राट घोषित किया।
एकीकरण के पश्चात्
नये जर्मन राज्य में मुद्रा, बैंकिंग, कानूनी तथा न्यायिक व्यवस्थाओं के आधुनिकीकरण
पर बल दिया गया।
प्रश्न : बिस्मार्क कौन था? उसने कौन सी नीति अपनायी?
उत्तर : बिस्मार्क
प्रशा का चांसलर था। जर्मनी के एकीकरण में उसकी अत्यंत महत्त्वपूर्ण भूमिका थी। इसके
लिए उसने 'खून और खड्ङ्ग' की नीति अपनायी।
प्रश्न : 'जॉलवेराइन' नामक शुल्क संघ से आप क्या समझते हैं?
उत्तर :
1834 में प्रशा की पहल पर 'जॉलवेराइन' नामक एक शुल्क संघ स्थापित किया गया। इसमें अधिकांश
जर्मन राज्य शामिल हो गये। इस व्यवस्था ने विभिन्न जर्मन राज्यों के बीच शुल्क अवरोधों
को समाप्त कर दिया। इसने मुद्राओं की संख्या घटा कर दो कर दी जो पहले तीस से ऊपर थी।
प्रश्न : जर्मनी के एकीकरण की प्रक्रियाओं में 'जॉलवेराइन' ने क्या योगदान दिया?
उत्तर : 'जॉलवेराइन'
ने जर्मन लोगों को आर्थिक रूप में एक राष्ट्र के रूप में बाँध दिया।
प्रश्न : फ्रैंकफर्ट संसद पर एक टिप्पणी लिखें।
अथवा, जर्मनी में 1848 में हुई उदारवादियों की क्रान्ति का वर्णन कीजिए।
उत्तर : फ्रांस
की 1848 की क्रान्ति से प्रभावित होकर 1848 में जर्मनी के उदारवादियों ने भी विद्रोह
कर दिया। जर्मन क्षेत्रों में बड़ी संख्या में राजनीतिक संगठनों ने फ्रैंकफर्ट शहर
में मिलकर एक सर्व-जर्मन नेशनल असेंबली के पक्ष में मतदान का निर्णय लिया।
फ्रैंकफर्ट संसद
ने जर्मनी के एकीकरण के लिए प्रयास किया। 18 मई, 1848 को विभिन्न जर्मन राज्यों के
831 निर्वाचित प्रतिनिधियों ने फ्रैंकफर्ट संसद में अपना स्थान ग्रहण किया। यह संसद
सेंट पॉल चर्च में आयोजित हुई।
उन्होंने जर्मन
राष्ट्र की लिए एक संविधान का प्रारूप तैयार किया। इस राष्ट्र की अध्यक्षता एक ऐसे
राजा को सौंपी गई जिसे संसद के अधीन रहना था। जब फ्रैंकफर्ट संसद के प्रतिनिधियों ने
प्रशा के सम्राट फ्रेडरिख विलियम चतुर्थ से राजमुकुट पहनने का आग्रह किया, तो उसने
उसे अस्वीकार कर दिया। उन्होंने उन राजाओं का साथ दिया जो रूढिवादी थे तथा निर्वाचित
संसद के विरोधी थे।
इससे कुलीन वर्ग
और सेना का विरोध बढ़ गया और संसद का सामाजिक आधार कमजोर हो गया। अन्त में सेना की
सहायता से संसद को भंग कर दिया गया। इस प्रकार जर्मनी के एकीकरण का यह प्रयास विफल
हो गया।
प्रश्न : ब्रिटेन में राष्ट्रवाद का इतिहास शेष यूरोप की तुलना में किस प्रकार
भिन्न था?
उत्तर : ब्रिटेन
में राष्ट्रवाद का इतिहास शेष यूरोप की तुलना में निम्न प्रकार से भिन्न था :
(1) ब्रिटेन
में राष्ट्र-राज्य का निर्माण अचानक हुई कोई उथल-पुथल अथवा क्रान्ति का परिणाम नहीं
था, बल्कि यह एक लम्बी चलने वाली प्रक्रिया का परिणाम था।
(2) ब्रिटेन
में अंग्रेज, वेल्स, स्कॉटिश व आयरिश आदि जातीय समूह थे, जिनकी पहचान नृजातीय थी। जैसे-जैसे
अंग्रेजों की शक्ति, धन-सम्पत्ति तथा गौरव की वृद्धि हुई, वे द्वीप-समूह के अन्य जातीय
समूहों पर अपना प्रभुत्व स्थापित करने में सफल हुए।
(3) 1688 में
आंग्ल संसद ने राजतंत्र की शक्ति को समाप्त कर राष्ट्रीय राज्य का निर्माण किया जिसका
केन्द्र इंग्लैंड था।
(4) 1707 में
'एक्ट ऑफ यूनियन' के द्वारा स्काटिश लोगों को अपने देश में सम्मिलित किया गया। फिर
उन पर प्रभुत्व स्थापित किया गया। इस प्रकार 'यूनाइटेड किंगडम ऑफ ग्रेट ब्रिटेन' का
शान्तिपूर्ण तरीके से गठन हुआ। ब्रिटेन के प्रतीक चिह्नों जैसे ब्रिटिश झंडा, राष्ट्रीय
गान आदि को खूब बढ़ावा दिया गया।
(5) इसके पश्चात्
उन्होंने आयरिश लोगों पर नियंत्रण किया तथा 1801 में आयरलैण्ड को बलपूर्वक ब्रितानी
राज्य में सम्मिलित कर लिया।
इस प्रकार, अन्य
यूरोपीय राष्ट्रों के राष्ट्रवाद अचानक हुई उथल-पुथल या क्रान्ति के परिणाम थे जबकि,
ब्रिटेन में यह कूटनीतिक प्रयासों द्वारा अपेक्षाकृत शांतिपूर्वक ढंग से सम्पन्न हुआ।
प्रश्न : ऑटोमॉन
साम्राज्य से क्या तात्पर्य है?
उत्तर : तुर्की शासन के अधीन आने
वाला, पश्चिमी एशिया, पूर्वी यूरोप
के बाल्कन क्षेत्र तथा उत्तरी अफ्रीका तक फैले साम्राज्य को ऑटोमन साम्राज्य कहा
जाता है। राष्ट्रवाद के उदय के साथ, प्रथम
विश्व-युद्ध के पहले तक यह अनेक स्वतन्त्र राष्ट्रों में विभाजित हो गया।
प्रश्न : यूनान का
स्वतंत्रता युद्ध क्या था?
उत्तर : यूनान पर ऑटोमन साम्राज्य
का कब्जा था। यूनानियों में राष्ट्रवाद की भावना का संचार हुआ और ऑटोमन साम्राज्य
के खिलाफ आंदोलन चला। अनेक बुद्धिजीवियों और आंदोलनकारियों के प्रयास से 1832 में
यूनान तुर्की के ऑटोमन साम्राज्य की अधीनता से स्वतंत्र हो गया।
प्रश्न : बाल्कन
क्षेत्र में कौन-से देश आते हैं?
उत्तर : ऑटोमन एवं हैब्सबर्ग
साम्राज्य के देश जैसे, रोमानिया, बुल्गेरिया, यूनान,
स्लोवेनिया, सर्बिया आदि।
प्रश्न : बाल्कन
प्रदेशों में राष्ट्रवादी तनाव क्यों पनपा?
उत्तर : बाल्कन प्रदेशों में
राष्ट्रवादी तनाव पनपने के कारण :
(1) भौगोलिक और
जातीय भिन्नता बाल्कन क्षेत्र में भौगोलिक और जातीय भित्रता थी। बाल्कन
क्षेत्र के एक बड़े हिस्से पर आटोमन साम्राज्य का प्रभुत्व स्थापित था। तुर्क लोग
बाल्कन या ईसाई जातियों का शोषण करते थे, जिससे बाल्कन
जातियों में असन्तोष व्याप्त था।
(2) बाल्कन
क्षेत्र में राष्ट्रीयता की भावना का प्रसार बाल्कन
क्षेत्र में राष्ट्रीयता की भावना के प्रसार तथा आटोमन साम्राज्य के विघटन के कारण
बाल्कन क्षेत्र की स्थिति काफी विस्फोटक हो गई।
(3) आटोमन
साम्राज्य द्वारा आधुनिकीकरण के प्रयास: 19वीं सदी में
आटोमन साम्राज्य ने आधुनिकीकरण तथा आन्तरिक सुधारों के द्वारा अपने साम्राज्य को
सुदृढ़ बनाने का प्रयास किया परन्तु उसे सफलता नहीं मिली।
(4) बाल्कन
राज्यों में एकता का अभाव : बाल्कन राज्यों में परस्पर एकता का अभाव था। प्रत्येक
राज्य अपने लिए अधिक से अधिक प्रदेश प्राप्त करना चाहता था। इस कारण बाल्कन
राज्यों में तनाव व्याप्त था।
(5) बाल्कन
क्षेत्र में यूरोपीय शक्तियों के बीच प्रतिस्पर्धा : बाल्कन
क्षेत्र में यूरोपीय शक्तियों के बीच प्रतिस्पर्धा के कारण बाल्कन क्षेत्र में यह
तनाव और अधिक बढ़ गया। यूरोपीय शक्तियों के बीच व्यापार, उपनिवेश-स्थापना,
नौसैनिक एवं सैन्य शक्ति के लिए गहरी प्रतिस्पर्धा थी। रूस,
जर्मनी, इंग्लैण्ड, आस्ट्रिया-हंगरी आदि देश बाल्कन क्षेत्र में अपना-अपना
प्रभाव बढ़ाना चाहते थे। इससे इस क्षेत्र में कई युद्ध हुए और अन्ततः यह प्रथम
विश्वयुद्ध का प्रमुख कारण बना।
प्रश्न :
राष्ट्रवादी संघर्षों में महिलाओं की भूमिका पर एक टिप्पणी लिखें।
उत्तर : राष्ट्रवादी संघर्षों में
महिलाओं ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। यूरोप के लगभग सभी राज्यों फ्रांस,
जर्मनी, इटली, आस्ट्रिया-हंगरी में महिलाओं ने राष्ट्रीय आन्दोलनों में
बढ़-चढ़कर भाग लिया। उन्होंने देश के एकीकरण, प्रजातन्त्रीय
संघर्षों एवं संवैधानिक प्रयत्नों में पूर्ण सहयोग दिया।
महिलाओं ने अपने अलग राजनीतिक
संगठनों का निर्माण किया और देश में होने वाली राजनीतिक गतिविधियों,
विरोध सभाओं और जलूसों में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की।
उन्होंने राजनीतिक अधिकार प्राप्त
करने के लिए आन्दोलन चलाए, समाचार-पत्र शुरू किये और राजनीतिक सभाओं तथा प्रदर्शनों
में भाग लिया। इसके बावजूद महिलाओं को मताधिकार से वंचित रखा गया। जब 1848 में
सेंट पॉल चर्च में फ्रेंकफर्ट संसद की सभा आयोजित की गई थी,
तब महिलाओं को केवल प्रेक्षकों के रूप में ही दर्शक दीर्घा में खड़े होने की
अनुमति दी गई।
प्रश्न : 'नारीवाद' से क्या अभिप्राय है?
उत्तर : 'नारीवाद'
एक ऐसा दर्शन है जो स्त्री-पुरुष की सामाजिक, आर्थिक
एवं राजनीतिक समानता के सिद्धान्त पर आधारित है।
वस्तुनिष्ठ बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर (MCQ)
प्रश्न: फ्रांसीसी क्रांति कब हुई थी?
- 1759
ई.
- 1769
ई.
- 1779
ई.
- 1789
ई.
उत्तर:
(4)
प्रश्न: फ्रांस की क्रांति कब हुई?
- 14
जुलाई 1789
- 4
जुलाई 1776
- 15
अगस्त 1947
- 26
जनवरी 1950
उत्तर:
(1)
प्रश्न: 1789 ई. की फ्रांसीसी क्रांति का नेता कौन था?
- नेपोलियन
बोनापार्ट
- मेक्सिमिलियन
रॉब्सपियर
- लुई
XVI
- जॉर्ज
हैडेन
उत्तर:
(2)
प्रश्न: किसी राष्ट्र की सामूहिक पहचान को क्या कहते हैं?
- रूढ़िवाद
- रूपक
- राष्ट्रवाद
- कल्पनादर्श
उत्तर:
(3)
प्रश्न: 'राष्ट्रवाद' में एक निश्चित भौगोलिक क्षेत्र में रहने वाली जनता इनमें
से किनके द्वारा जुड़ी होती है?
- समान
संस्कृति
- समान
इतिहास एवं धार्मिक मान्यताएँ
- भाषा
और लोक परंपरा
- इनमें
से सभी
उत्तर:
(4)
प्रश्न: अर्नेस्ट रेनन (Ernst Renan) किस देश के दार्शनिक थे?
- जर्मनी
- फ्रांसीसी
- अमेरिकी
- भारतीय
उत्तर:
(2)
प्रश्न: उन्नीसवीं सदी के दौरान ऐसी ताकत कौन-उभरकर आई जिसने यूरोप के राजनीतिक
और मानसिक जगत में भारी परिवर्तन ला दिया?
- उदारवाद
- साम्यवाद
- राष्ट्रवाद
- निरंकुशवाद
उत्तर:
(3)
प्रश्न: वह राज्य जहाँ की राजनीतिक सत्ता उसकी सांस्कृतिक सत्ता से मिलकर बनती
है, उसे कहते हैं:
- राजतंत्र
- गणराज्य
- राष्ट्र-राज्य
- कल्याणकारी
राज्य
उत्तर:
(3)
प्रश्न: कौन सी घटना ने पूरे यूरोप के शिक्षित अभिजात वर्ग में राष्ट्रीय भावनाओं
का संचार किया?
- नेपोलियन
का आक्रमण
- यूनान
का स्वतंत्रता संग्राम
- फ्रांस
की क्रांति
- इटली
और जर्मनी का एकीकरण
उत्तर:
(3)
प्रश्न: राष्ट्रवाद की पहली अभिव्यक्ति किस क्रांति के साथ हुई?
- पूर्ण
सुधार आंदोलन
- पुनर्जागरण
उत्तर:
(3)
यहां
इमेज का टेक्स्ट दिया गया है:
प्रश्न: किसी राष्ट्र की सामूहिक पहचान को क्या कहते हैं?
- रूढ़िवाद
- रूपक
- राष्ट्रवाद
- कल्पनादर्श
उत्तर:
(3)
प्रश्न: 'राष्ट्रवाद' में एक निश्चित भौगोलिक क्षेत्र में रहने वाली जनता इनमें
से किनके द्वारा जुड़ी होती है:
- समान
संस्कृति
- समान
इतिहास एवं धार्मिक मान्यताएँ
- भाषा
और लोक परंपरा
- इनमें
से सभी
उत्तर:
(4)
प्रश्न: अर्नेस्ट रेनन (Ernst Renan) किस देश के दार्शनिक थे?
- जर्मनी
- फ्रांसीसी
- अमेरिकी
- भारतीय
उत्तर:
(2)
प्रश्न: उन्नीसवीं सदी के दौरान ऐसी ताकत कौन उभर कर आई जिसने यूरोप के राजनीतिक
और मानसिक जगत में भारी परिवर्तन ला दिया?
- उदारवाद
- साम्यवाद
- राष्ट्रवाद
- निरंकुशवाद
उत्तर:
(3)
प्रश्न: वह राज्य जहाँ की राजनीतिक सत्ता उसकी सांस्कृतिक सत्ता से मिलकर बनती
है, उसे कहते हैं:
- राजतंत्र
- गणराज्य
- राष्ट्र-राज्य
- कल्याणकारी
राज्य
उत्तर:
(3)
प्रश्न: कौन सी घटना ने पूरे यूरोप के शिक्षित अभिजात वर्ग में राष्ट्रीय भावनाओं
का संचार किया?
- नेपोलियन
का आक्रमण
- यूनान
का स्वतंत्रता संग्राम
- फ्रांस
की क्रांति
- इटली
और जर्मनी का एकीकरण
उत्तर:
(3)
प्रश्न: राष्ट्रवाद की पहली अभिव्यक्ति किस क्रांति के साथ हुई?
- धर्म
सुधार आंदोलन
- पुनर्जागरण
- फ्रांस
की क्रांति
- गौरवपूर्ण
क्रांति
उत्तर:
(3)
प्रश्न: 'स्वतंत्रता, समानता एवं बंधुत्व' का नारा किस क्रांति की देन है?
- रूसी
क्रांति
- फ्रांसीसी
क्रांति
- अमेरिकी
क्रांति
- भारतीय
क्रांति
उत्तर:
(2)
प्रश्न: 1848 में किस फ्रांसीसी कलाकार ने चार चित्रों की एक श्रृंखला बनाई,
जिसमें उन्होंने अपने सपनों का संसार रचा?
- फ्रेडरिक
सारयू
- क्लॉड
माने
- अगस्टे
कोमटे
- अगस्टे
रोदिन
उत्तर:
(1)
प्रश्न: फ्रेडरिक सारयू की चार चित्रों की श्रृंखला में रचे गए 'सपनों के संसार'
में कैसे राष्ट्रों की कल्पना की गई है?
- जनतंत्रिक
- सामाजिक
गणतंत्र
- 1
और 2 दोनों
- निरंकुश
उत्तर:
(3)
प्रश्न: एक ऐसे राज्य, स्थान या समाज की कल्पना करना जो इतना आदर्श हो कि उसका
वास्तव में साकार होना संभव न हो, क्या कहलाता है?
- संपूर्ण
स्वराज्य
- कल्पनादर्श
(यूटोपिया)
- यथार्थवाद
- रूमीवाद
उत्तर:
(2)
प्रश्न: किसके कल्पनादर्श (यूटोपिया) में एक आदर्श समाज की कल्पना की गई है?
- मेदसिनी
- नेपोलियन
- काले
कैंसर
- फ्रेडरिक
सारयू
उत्तर:
(4)
प्रश्न: फ्रेडरिक सारयू कौन था?
- फ्रांसीसी
चित्रकार
- जर्मन
दार्शनिक
- ऑस्ट्रिया
का इतिहासकार
- ब्रिटेन
का प्रधानमंत्री
उत्तर:
(1)
प्रश्न: फ्रेडरिक सारयू किस देश से संबंधित था?
- ब्रिटेन
- जर्मनी
- फ्रांस
- इटली
उत्तर:
(3)
प्रश्न: "ऐसी सरकार या शासन व्यवस्था जिसकी सत्ता पर किसी प्रकार का कोई
अंकुश नहीं होता" कहा जाता है:
- निरंकुशवाद
- उदारवाद
- राष्ट्रवाद
- रूढ़िवाद
उत्तर:
(1)
प्रश्न: 1789 में, कौन एक राष्ट्र था जिसके संपूर्ण भू-भाग पर एक निरंकुश राजा
का आधिपत्य था?
- ब्रिटेन
- फ्रांस
- जर्मनी
- रूस
उत्तर:
(2)
प्रश्न: यूरोपीय महाद्वीप का सबसे प्रभावशाली वर्ग निम्न में कौन था जो सामाजिक
रूप से जमीन का मालिक था?
- पादरी
वर्ग
- कुलीन
वर्ग
- किसान
वर्ग
- इनमें
से सभी
उत्तर:
(2)
प्रश्न: फ्रांस की क्रांति के समय फ्रांस में किस प्रकार का शासन था?
- राजतंत्र
- निरंकुश
- 1
और 2 दोनों
- इनमें
से कोई नहीं
उत्तर:
(3)
प्रश्न: 1789 ई. में फ्रांस की क्रांति के समय किसका शासन था?
- लुई
XIV
- लुई
XV
- लुई
XVI
- लुई
XVII
उत्तर:
(3)
प्रश्न: केंद्रीकृत सैन्यबल पर आधारित दमनकारी राजशाही सरकारों को कहा जाता
है:
- लोकतांत्रिक
सरकार
- उदारवादी
सरकार
- निरंकुश
सरकार
- ये
सभी
उत्तर:
(3)
प्रश्न: बुर्बो राजवंश का शासन किस देश में था?
- रूस
में
- इंग्लैंड
में
- फ्रांस
में
- अमेरिका
में
उत्तर:
(3)
प्रश्न: बास्तील किले का पतन कब हुआ?
- 1769
ई.
- 1779
ई.
- 1789
ई.
- 1799
ई.
उत्तर:
(3)
प्रश्न: प्रारंभ से ही फ्रांसीसी क्रांतिकारियों ने किस प्रकार के कदम उठाए
जिनसे फ्रांसीसी लोगों में एक सामूहिक पहचान की भावना पैदा हो सकती थी?
- एक
संयुक्त समुदाय के विचार पर बल दिया
- एक
नया फ्रांसीसी झंडा, तिरंगा चुना गया
- इस्टेट
जनरल का चुनाव सक्रिय नागरिकों के समूह द्वारा किया जाने लगा
- इनमें
सभी
उत्तर:
(4)
प्रश्न: फ्रांसीसी क्रांतिकारियों ने फ्रांसीसी लोगों में एक सामूहिक पहचान
की भावना पैदा करने के लिए निम्न में से कौन-से कदम उठाए?
- एक
केंद्रीय प्रशासनिक व्यवस्था लागू की
- अपने
भू-भाग में रहने वाले सभी नागरिकों के लिए समान कानून बनाए
- आंतरिक
आयात-निर्यात शुल्क को समाप्त कर दिया
- इनमें
सभी
उत्तर:
(4)
प्रश्न: फ्रांसीसी क्रांति के बाद फ्रांस में कौन-कौन से राजनीतिक और संवैधानिक
बदलाव हुए?
- राजतंत्र
का अंत
- नागरिकों
के समूह को सत्ता मिली
- लोगों
द्वारा राष्ट्र-राज्य का गठन
- ये
सभी
उत्तर:
(4)
प्रश्न: फ्रांसीसी क्रांति की मुख्य विशेषता क्या थी?
- राजतंत्र
की स्थापना
- सामंतवाद
का अंत
- साम्राज्यवाद
का उदय
- लोकतंत्र
का उदय
उत्तर:
(4)
प्रश्न: चुने हुए नागरिकों के समूह (नेशनल असेंबली) द्वारा क्या केंद्रीय प्रशासनिक
व्यवस्था लागू की गई?
- सभी
नागरिकों के लिए समान कानून
- आंतरिक
आयात-निर्यात शुल्क की समाप्ति
- माप-तौल
की एक समान व्यवस्था
- इनमें
सभी
उत्तर:
(4)
प्रश्न: मार्सीले किस देश का राष्ट्रभक्ति का गीत है?
- इटली
का
- जर्मनी
का
- रूस
का
- फ्रांस
का
उत्तर:
(4)
प्रश्न: 'लिव्रे' क्या था?
- फ्रांसीसी
मुद्रा
- फ्रांसीसी
कानून
- फ्रांसीसी
शासन व्यवस्था
- फ्रांस
में प्रचलित कर व्यवस्था
उत्तर:
(1)
प्रश्न: फ्रांसीसी राष्ट्र का भाग्य और लक्ष्य यूरोप के लोगों को किससे मुक्त
कराना था?
- उदारवाद
- तानाशाही
- रूढ़िवाद
- उपर्युक्त
सभी
उत्तर:
(2)
प्रश्न: एक महान सेनानायक नेपोलियन बोनापार्ट को फ्रांस का .......... घोषित
किया गया था।
- सम्राट
- प्रधानमंत्री
- राष्ट्रपति
- ड्यूक
उत्तर:
(1)
प्रश्न: नेपोलियन बोनापार्ट कौन था?
- फ्रांस
का नाविक
- जर्मनी
का सम्राट
- फ्रांस
का सम्राट
- रूस
का जार
उत्तर:
(3)
प्रश्न: प्रशासनिक व्यवस्था को तर्कसंगत और कुशल बनाने के लिए नेपोलियन द्वारा
लागू की गई संहिता का क्या नाम था?
- सेंसरशिप
- नागरिक
संहिता (1804)
- आपातकालीन
संहिता
- कॉर्न
लॉ
उत्तर:
(2)
प्रश्न: फ्रांस में नेपोलियन संहिता किस वर्ष लागू की गई?
- 1789
ई.
- 1805
ई.
- 1804
ई.
- 1815
ई.
उत्तर:
(3)
प्रश्न: 1804 की नागरिक संहिता जिसे आमतौर पर नेपोलियन की संहिता के नाम से
भी जाना जाता है, उसने फ्रांस के सुधार के लिए क्या कदम उठाया?
- जन्म
पर आधारित विशेषाधिकार की समाप्ति
- कानून
के समक्ष बराबरी और संपत्ति के अधिकार की सुरक्षा
- प्रशासनिक
विभाजनों को सरल बनाया
- इनमें
से सभी
उत्तर:
(4)
प्रश्न: नेपोलियन संहिता को कहाँ लागू किया गया?
- केवल
फ्रांस में
- फ्रांस
के नियंत्रण वाले पूरे क्षेत्र में
- केवल
पेरिस में
- पूरे
यूरोप में
उत्तर:
(2)
प्रश्न: फ्रांस और उसके नियंत्रण वाले क्षेत्रों में नेपोलियन ने क्या सुधार
किए?
- सामंती
व्यवस्था की समाप्ति
- किसानों
को भू-दासत्व और जागीरदारी शुल्कों से मुक्ति
- कारीगरों
के श्रेणी-संघों के नियंत्रणों को हटा दिया
- इनमें
से सभी
उत्तर:
(4)
प्रश्न: स्वतंत्रता, कानून के समक्ष समानता, आम सहमति से बनी सरकार, मताधिकार
तथा कुलीन वर्ग के विशेषाधिकारों की समाप्ति की वकालत कौन करता है?
- रूढ़िवाद
- उदारवाद
- निरंकुशवाद
- फासीवाद
उत्तर:
(2)
प्रश्न: रूढ़िवाद से तात्पर्य है:
- स्थापित
परम्पराओं पर बल
- रीति-रिवाजों
को बनाये रखना
- आधुनिकता
एवं परिवर्तन का विरोध
- उपर्युक्त
सभी
उत्तर:
(4)
प्रश्न: उदारवाद (लिबरलिज्म) की उत्पत्ति लैटिन शब्द 'लिब्रे (libre)' से हुई
है - इस शब्द का क्या अर्थ है?
- आज़ादी
- तुला
- श्रम
- एकता
उत्तर:
(1)
प्रश्न: नये मध्यवर्ग के लिए 'उदारवाद' का क्या मतलब था?
- व्यक्ति
के लिए आज़ादी
- कानून
के समक्ष सबकी बराबरी
- 1
और 2 दोनों
- इनमें
से कोई नहीं
उत्तर:
(3)
प्रश्न: उदारवाद इनमें से किसका पक्षधर था?
- निरंकुश
शासन का अन्त
- पादरी
वर्ग के विशेषाधिकारों की समाप्ति
- संविधान
तथा संसदीय प्रतिनिधि सरकार
- उपर्युक्त
सभी
उत्तर:
(4)
प्रश्न: एक प्रत्यक्ष मतदान जिसके द्वारा किसी निश्चित क्षेत्र के सभी निवासियों
से किसी प्रस्ताव को स्वीकार या अस्वीकार करने को पूछा जाता है, यह प्रक्रिया क्या
कहलाती है?
- सर्वेक्षण
- संसद
- जनमत-संग्रह
(जनमत संग्रह)
- आम
चुनाव
उत्तर:
(3)
प्रश्न: 'मतदान के अधिकार' को क्या कहा जाता है?
- मूल
अधिकार
- मताधिकार
- संवैधानिक
अधिकार
- मानवाधिकार
उत्तर:
(2)
प्रश्न: वह विचारधारा जो स्त्री-पुरुष की सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक समानता
पर आधारित हो, उसे कहते हैं:
- नारीवाद
- विकासवाद
- मातृ-सत्ता
- महिला
आयोग
उत्तर:
(1)
प्रश्न: फ्रांस में किनको मतदान का अधिकार नहीं था?
- संपत्ति-विहीन
पुरुषों को
- सभी
महिलाओं को
- 1
और 2 दोनों
- इनमें
से कोई नहीं
उत्तर:
(3)
प्रश्न: फ्रांसीसी क्रांति के दौरान कलाकार 'स्वतंत्रता' को किस रूप में दर्शाते
थे?
- महिला
- देवता
- ड्रैगन
- सिंह
उत्तर:
(1)
प्रश्न: फ्रांस की क्रांति का अग्रदूत किसे कहा जाता है?
- नेपोलियन
- रूसो
- दिदेरो
- लेनिन
उत्तर:
(2)
प्रश्न: 'सामाजिक उपबंध' (Social Contract) नामक पुस्तक का लेखक कौन था?
- मॉन्टेस्क्यू
- दिदेरो
- रूसो
- वॉल्टेयर
उत्तर:
(3)
प्रश्न: “पहले तुम मनुष्य हो, उसके बाद किसी देश के नागरिक या अन्य कुछ"
यह कथन किसका है?
- मेत्सिनी
- वॉल्टेयर
- रूसो
- दिदेरो
उत्तर:
(3)
प्रश्न: "मनुष्य स्वतंत्र पैदा हुआ है, किंतु वह सर्वत्र बंधनों में जकड़ा
हुआ है" यह कथन किस दार्शनिक का है?
- दिदेरो
- वॉल्टेयर
- रूसो
- मॉन्टेस्क्यू
उत्तर:
(3)
प्रश्न: 'दि स्पिरिट ऑफ लॉ' नामक पुस्तक का लेखक कौन था?
- वॉल्टेयर
- मॉन्टेस्क्यू
- दिदेरो
- रूसो
उत्तर:
(2)
प्रश्न: 'विश्व कोश' नामक ग्रंथ की रचना किसने की?
- रूसो
- वॉल्टेयर
- दिदेरो
- नेकर
उत्तर:
(3)
प्रश्न: 1815 ई. में किन देशों ने मिलकर नेपोलियन को पराजित किया था?
- ब्रिटेन,
रूस, फ्रांस, ऑस्ट्रिया
- ब्रिटेन,
रूस, प्रशा, अमेरिका
- ब्रिटेन,
जर्मनी, इटली, फ्रांस
- ब्रिटेन,
रूस, प्रशा, ऑस्ट्रिया
उत्तर:
(4)
प्रश्न: वियना सम्मेलन का आयोजन किस वर्ष हुआ था?
- 1804
ई.
- 1805
ई.
- 1815
ई.
- 1830
ई.
उत्तर:
(3)
प्रश्न: वियना की संधि कब हुई थी?
- 1789
ई.
- 1848
ई.
- 1815
ई.
- 1804
ई.
उत्तर:
(3)
प्रश्न: 1815 में आयोजित 'वियना सम्मेलन' की मेजबानी किसने की थी?
- मेत्सिनी
- रूसो
- गैरीबाल्डी
- मेटरनिह
उत्तर:
(4)
प्रश्न: मेटरनिह कौन था?
- रूस
का जार
- ऑस्ट्रिया
का चांसलर
- फ्रांस
का सम्राट
- प्रशा
का चांसलर
उत्तर:
(2)
प्रश्न: वियना संधि के बाद फ्रांस में किस वंश की राजशाही पुनर्स्थापित हुई?
- लुईस
वंश
- बुर्बो
वंश
- ड्यूक
वंश
- इनमें
से कोई नहीं
उत्तर:
(2)
प्रश्न: वियना संधि का मुख्य उद्देश्य क्या था?
- रूढ़िवादी
व्यवस्था की स्थापना
- राजतंत्रों
की बहाली
- जीते
गए क्षेत्रों को फ्रांस से मुक्ति
- ये
सभी
उत्तर:
(4)
प्रश्न: 1815 में स्थापित रूढ़िवादी शासन की प्रकृति क्या थी?
- प्रजातांत्रिक
- कुलीन
- निरंकुश
- राजकीय
उत्तर:
(3)
प्रश्न: फ्रांस में प्रथम विद्रोह कब हुआ था?
- जुलाई
1801
- जुलाई
1804
- जुलाई
1815
- जुलाई
1830
उत्तर:
(4)
प्रश्न: 1848 में यूरोपीय देशों के किसान-मजदूर किन कारणों से विद्रोह कर रहे
थे?
- गरीबी
- बेरोजगारी
- भुखमरी
- इनमें
से सभी
उत्तर:
(4)
प्रश्न: इटली के एकीकरण को रूपरेखा देने वाले क्रांतिकारी ज्यूसेपे मेत्सिनी
का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
- 1807
ई., जेनेवा
- 1804
ई., पेरिस
- 1801
ई., रोम
- 1815
ई., पेपल
उत्तर:
(1)
प्रश्न: एक गुप्त क्रांतिकारी संगठन 'यंग इटली' की स्थापना 1830 ई. के दशक
में किसने की?
- बिस्मार्क
- मेटरनिह
- ज्यूसेपे
मेत्सिनी
- काबुर
उत्तर:
(3)
प्रश्न: 'यंग इटली' की स्थापना किसने की?
- रूसो
- मेत्सिनी
- वॉल्टेयर
- लेनिन
उत्तर:
(2)
प्रश्न: 'यंग इटली' के अतिरिक्त मेत्सिनी ने और किस भूमिगत संगठन की स्थापना
की?
- यंग
यूरोप
- कार्बोनारी
- नाजी
- यूथ
फ्रंट
उत्तर:
(1)
प्रश्न: निम्न में से किसे मेटरनिह ने 'हमारी सामाजिक व्यवस्था का सबसे खतरनाक
दुश्मन' बताया?
- लुई
फिलिप
- कैरोल
कुरपिंस्की
- मेत्सिनी
- योहान
गॉटफ्रीड
उत्तर:
(3)
प्रश्न: उन्नीसवीं सदी के मध्य में इटली कितने राज्यों में बंटा हुआ था?
- 3
- 5
- 7
- 9
उत्तर:
(3)
प्रश्न: मेत्सिनी का प्रमुख लक्ष्य क्या था?
- इटली
का एकीकरण
- राजतंत्र
की समाप्ति
- रूढ़िवाद
का विरोध
- ये
सभी
उत्तर:
(4)
प्रश्न: किसका विश्वास था कि ईश्वर की मर्जी के अनुसार राष्ट्र ही मनुष्यों
की प्राकृतिक इकाई थी?
- नेपोलियन
- निकोलास
- ज्यूसेपे
मेत्सिनी
- मेटरनिह
उत्तर:
(3)
प्रश्न: हैब्सबर्ग साम्राज्य का किन देशों पर शासन था?
- ऑस्ट्रिया
- हंगरी
- 1
और 2 दोनों
- इनमें
से कोई नहीं
उत्तर:
(3)
प्रश्न: सार्डिनिया-पीडमॉण्ट का शासक कौन था?
- नेपोलियन-III
- काउन्ट
काबुर
- विक्टर
इमेनुएल
- विलियम
प्रथम
उत्तर:
(3)
प्रश्न: 'काउन्ट काबुर' को विक्टर इमेनुएल ने किस पद पर नियुक्त किया?
- सेनापति
- फ्रांस
में राजदूत
- प्रधानमंत्री
- गृहमंत्री
उत्तर:
(3)
प्रश्न: सार्डिनिया-पीडमॉण्ट के शासक विक्टर इमेनुएल द्वितीय के प्रमुख मंत्री
का क्या नाम था?
- नेपोलियन
- कैमिलो
दे काबुर
- बिस्मार्क
- मेत्सिनी
उत्तर:
(2)
प्रश्न: इटली के एकीकरण आंदोलन का नेतृत्व किसने किया?
- कैमिलो
दे काबुर
- विक्टर
इमेनुएल II
- ज्यूसेपे
मेत्सिनी
- मेटरनिख
उत्तर:
(1)
प्रश्न: किस राष्ट्र से कूटनीतिक संधि के द्वारा काबुर ऑस्ट्रिया को हराने
में सफल हुआ?
- इंग्लैंड
- फ्रांस
- रूस
- हंगरी
उत्तर:
(2)
प्रश्न: सशस्त्र स्वयंसेवकों का नेतृत्व किसने किया?
- मेत्सिनी
- काबुर
- गैरीबॉल्डी
- बिस्मार्क
उत्तर:
(3)
प्रश्न: इटली का एकीकरण कब पूरा हुआ?
- 1851
- 1861
- 1870
- 1881
उत्तर:
(2)
प्रश्न: 1861 में एकीकृत इटली का राजा किसे घोषित किया गया?
- राजा
विलियम प्रथम
- विक्टर
इमेनुअल द्वितीय
- ज्यूसेपे
मेत्सिनी
- गैरीबॉल्डी
उत्तर:
(2)
प्रश्न: उदारवादी राष्ट्रवादियों ने किसके विरुद्ध क्रांतियों का नेतृत्व किया?
- रूढ़िवादी
व्यवस्था
- नेपोलियन
- प्रजातंत्र
- महासंघ
उत्तर:
(1)
प्रश्न: फ्रांस में रूढ़िवादियों के विरुद्ध पहला विद्रोह कब हुआ?
- 1815
ई.
- 1848
ई.
- 1830
ई.
- 1842
ई.
उत्तर:
(3)
प्रश्न: जुलाई, 1830 की क्रांति के बाद किस राजवंश को सत्ता से हटा दिया गया?
- जार
- बुर्बो
- ऑटोमन
- हेनरी
उत्तर:
(2)
प्रश्न: उदारवादी राष्ट्रवादियों ने राजतंत्र को हटा किस व्यवस्था को स्थापित
किया?
- संवैधानिक
राजतंत्र
- सैनिक
तानाशाही
- कम्युनिज्म
- निरंकुश
उत्तर:
(1)
प्रश्न: यह किसका कथन है - "जब फ्रांस छींकता है तो बाकी यूरोप को सर्दी-जुकाम
हो जाता है!"
- मेटरनिह
- मेत्सिनी
- बिस्मार्क
- रूसो
उत्तर:
(1)
प्रश्न: चार्टिस्ट आंदोलन किस देश में हुआ?
- भारत
- इंग्लैंड
- रूस
- जर्मनी
उत्तर:
(2)
प्रश्न: यूनान को स्वतंत्र राष्ट्र कब घोषित किया गया?
- 1830
ई.
- 1832
ई.
- 1836
ई.
- 1842
ई.
उत्तर:
(2)
प्रश्न: अपनी स्वतंत्रता से पहले यूनान किस साम्राज्य के अधीन था?
- ऑटोमन
- ब्रिटिश
- रूसी
- डच
उत्तर:
(1)
प्रश्न: कवियों और कलाकारों ने किस देश को 'यूरोपीय सभ्यता का पालना' बताया
है?
- ब्रिटेन
- रोम
- यूनान
- जर्मनी
उत्तर:
(3)
प्रश्न: यूनानी स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान कौन ब्रिटिश कवि शहीद हुए?
- लॉर्ड
बायरन
- कासुथ
- फ्रांसिस
डिक
- विलियम
प्रथम
उत्तर:
(1)
प्रश्न: 1832 में किस संधि के द्वारा यूनान को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप
में मान्यता मिली?
- वियना
- कुस्तुंतुनियां
- पेरिस
- बसाय
उत्तर:
(2)
प्रश्न: कुस्तुंतुनियां की संधि कब हुई?
- 1829
- 1830
- 1831
- 1832
उत्तर:
(4)
प्रश्न: जर्मन राइन महासंघ की स्थापना किसने की?
- नेपोलियन
- हिटलर
- बिस्मार्क
- काबुर
उत्तर:
(1)
प्रश्न: जर्मनी के एकीकरण का श्रेय किसे दिया जाता है?
- विलियम
फ्रेडरिक लुईस
- हैनरीख
हिमलर
- ऑटो
वान बिस्मार्क
- एडोल्फ
हिटलर
उत्तर:
(3)
प्रश्न: बिस्मार्क निम्न में से क्या था?
- लेखक
- कवि
- नाटककार
- कूटनीतिज्ञ
उत्तर:
(4)
प्रश्न: जर्मनी के एकीकरण में प्रमुख भूमिका निभाने वाले बिस्मार्क कहाँ के
चांसलर थे?
- ऑस्ट्रिया
- बर्लिन
- प्रशा
- म्यूनिख
उत्तर:
(3)
प्रश्न: बिस्मार्क जर्मनी का प्रथम चांसलर कब बना?
- 1871
ई.
- 1875
ई.
- 1881
ई.
- 1890
ई.
उत्तर:
(1)
प्रश्न: जर्मनी के एकीकरण के लिए बिस्मार्क ने कौन-सी नीति अपनाई?
- खून
और खड्ग (लौह एवं रक्त की नीति)
- अहिंसा
- गठबंधन
- शांति-वार्ता
उत्तर:
(1)
प्रश्न: 'रक्त एवं लौह' की नीति का अवलंबन किसने किया?
- मेत्सिनी
- हिटलर
- बिस्मार्क
- विलियम
उत्तर:
(3)
प्रश्न: जर्मनी के एकीकरण के लिए बिस्मार्क ने कितने युद्ध किए?
- एक
- दो
- तीन
- चार
उत्तर:
(3)
प्रश्न: जर्मनी के एकीकरण के लिए प्रशा का किन राज्यों से युद्ध हुआ?
- ऑस्ट्रिया
- डेनमार्क
- फ्रांस
- इनमें
से सभी
उत्तर:
(4)
प्रश्न: शुल्क संघ 'जॉल्वेराइन' की स्थापना किसकी पहल पर की गई?
- प्रशा
- फ्रांस
- ऑस्ट्रिया
- रूस
उत्तर:
(1)
प्रश्न: 1834 में प्रशा की पहल पर एक सीमा शुल्क संघ बना जिसे जाल्वेराइन के
नाम से जाना जाता है। इस संघ में अधिकांश कौन राष्ट्र शामिल था?
- जर्मन
- रूस
- फ्रांस
- बेल्जियम
उत्तर:
(1)
प्रश्न: प्रशा का शासक कौन था?
- नेपोलियन
बोनापार्ट
- विलियम
प्रथम
- विक्टर
इमेनुएल
- नेपोलियन-III
उत्तर:
(2)
प्रश्न: जर्मनी का एकीकरण कब हुआ?
- जनवरी
1871
- जनवरी
1861
- जनवरी
1848
- जनवरी
1832
उत्तर:
(1)
प्रश्न: जर्मनी का एकीकरण कब पूरा हुआ?
- 1851
ई.
- 1861
ई.
- 1871
ई.
- 1881
ई.
उत्तर:
(3)
प्रश्न: किस संधि द्वारा जर्मनी का एकीकरण पूरा हुआ?
- डेनमार्क
की संधि द्वारा
- गैस्टोन
की संधि द्वारा
- प्राग
की संधि द्वारा
- वर्साय
की संधि द्वारा
उत्तर:
(4)
प्रश्न: एकीकरण के बाद जर्मनी का सम्राट किसे घोषित किया गया?
- रूस
के राजा निकोलास
- प्रशा
के राजा विलियम प्रथम
- ऑटो
वान बिस्मार्क
- काउंट
कैमिलो दे काबुर
उत्तर:
(2)
प्रश्न: किसी अमूर्त भावना या विचार को किसी मूर्त आकृति, व्यक्ति या वस्तु
के रूप में दर्शाने को क्या कहते हैं?
- रूपक
- निर्माण
- कल्पनादर्श
- संगठन
उत्तर:
(1)
प्रश्न: टूटी हुई बेड़ियाँ, मशाल, तलवार, उगता सूर्य आदि प्रतीक क्या कहलाते
हैं?
- बदलाव
- क्रांति
- रूपक
- यूटोपिया
उत्तर:
(3)
प्रश्न: आँखों पर पट्टी बाँधी हुई और तराजू ली हुई महिला किस बात का प्रतीक
है?
- शांति
- समानता
- न्याय
- स्वतंत्रता
उत्तर:
(3)
प्रश्न: मारीआन किस देश के राष्ट्रवाद की प्रतीक थी?
- फ्रांस
- रूस
- इटली
- जर्मनी
उत्तर:
(1)
प्रश्न: जर्मन राष्ट्र का रूपक क्या था?
- मारीआन
- जर्मेनिया
- फ्रांस
- कमल
उत्तर:
(2)
प्रश्न: बलूत के पत्तों का मुकुट पहने जर्मेनिया किस देश के राष्ट्रवाद की
प्रतीक थी?
- फ्रांस
- रूस
- इटली
- जर्मनी
उत्तर:
(4)
प्रश्न: जर्मन वीरता का प्रतीक किसे माना जाता है?
- देवदार
- बलूत
- ओक
- अशोक
उत्तर:
(2)
प्रश्न: 1871 के बाद यूरोप में राष्ट्रवादी तनाव का एक गंभीर स्रोत था-
- जर्मनी
क्षेत्र
- एशियाई
क्षेत्र
- बाल्कन
क्षेत्र
- ऑस्ट्रिया
उत्तर:
(3)
प्रश्न: एक साझा नस्ली, जनजातीय या सांस्कृतिक उद्गम या पृष्ठभूमि जिसे कोई
समुदाय अपनी पहचान मानता है, कहलाता है:
- राष्ट्रीयता
- समूह
- नृजातीय
- कबीला
उत्तर:
(3)
प्रश्न: बाल्कन क्षेत्र में किस कारण से तनाव पनपा?
- नृजातीय
संघर्ष
- रूमानी
राष्ट्रवाद
- विदेशी
आक्रमण
- आधुनिकीकरण
उत्तर:
(2)
प्रश्न: बाल्कन क्षेत्र के निवासियों को आमतौर पर क्या कहा जाता था?
- स्लाव
- बार्बेरियन
- नाजी
- तुर्की
उत्तर:
(1)
प्रश्न: बाल्कन क्षेत्र किस साम्राज्य के अधीन था?
- रोमन
- ऑटोमन
- ईरानी
- रूसी
उत्तर:
(2)
प्रश्न: इनमें से किन शक्तियों को बाल्कन क्षेत्र में अपना प्रभाव जमाने में
दिलचस्पी नहीं थी?
- रूस,
इंग्लैंड
- जर्मनी,
हंगरी
- ऑस्ट्रिया
- चीन,
जापान
उत्तर:
(4)
भारत में राष्ट्रवाद
विषयनिष्ट (Subjective) प्रश्नोत्तर
प्रश्न: पहले विश्वयुद्ध ने भारत में राष्ट्रीय आंदोलन के विकास में किस प्रकार
योगदान दिया? व्याख्या करें।
उत्तर:
भारत में राष्ट्रीय आंदोलन के विकास में प्रथम विश्व युद्ध का योगदान:
(1)
करों में वृद्धि: प्रथम
विश्व युद्ध के कारण रक्षा-व्यय में अत्यधिक वृद्धि हुई। इस खर्च की पूर्ति के लिए
सरकार ने करों में वृद्धि कर दी। सीमा-शुल्क भी बढ़ा दिया गया तथा आय-कर नामक एक नया
कर भी लगा दिया गया। इससे भारतीयों में घोर असंतोष उत्पन्न हुआ जिसने राष्ट्रवाद को
बढ़ावा दिया।
(2)
मूल्यों में वृद्धि: प्रथम विश्व युद्ध के दौरान कीमतें लगभग दोगुना हो चुकी
थी। बढ़ते हुए मूल्य के कारण जनसाधारण की कठिनाइयाँ बढ़ गई और उन्हें जीवन-निर्वाह
करना भी कठिन हो रहा था।
(3)
सैनिकों की जबरन भर्ती: प्रथम विश्व युद्ध में गाँवों में भारतीय नवयुवकों को
सेना में जबरदस्ती भर्ती किया गया। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में आक्रोश व्याप्त था।
(4)
दुर्भिक्ष और महामारी का प्रकोप: 1918-19 तथा 1920-21 में दुर्भिक्ष के कारण
देश में खाद्य पदार्थों की भारी कमी हो गई। उसी समय प्लेग की महामारी फैल गई। दुर्भिक्ष
तथा महामारी के कारण 120-130 लाख लोग मारे गए परन्तु ब्रिटिश सरकार ने संकटग्रस्त भारतीयों
की कोई सहायता नहीं की।
(5)
जनता की आकांक्षाएँ पूरी न होना: भारतीयों को आशा थी कि प्रथम विश्व युद्ध की
समाप्ति के पश्चात् उनके कष्टों और कठिनाइयों का अन्त हो जाएगा। परन्तु उनकी आकांक्षाएँ
पूरी नहीं हुई। इस कारण भारतीयों में घोर असंतोष और विद्रोह का भाव पनपा। इसने राष्ट्रवाद
के विकास में योगदान दिया।
प्रश्न: जबरन भर्ती से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
जबरन भर्ती की प्रक्रिया में अंग्रेज भारत के लोगों को ज़बरदस्ती सेना में भर्ती कर
लेते थे।
प्रश्न: उपनिवेशों में राष्ट्रवाद के उदय की प्रक्रिया उपनिवेशवाद विरोधी
आंदोलन से जुड़ी हुई क्यों थी? कारण दें।
अथवा, भारतीयों में सामूहिक अपनेपन का भाव विकसित करने वाले कारकों
का उल्लेख करें।
उत्तर:
(i)
उपनिवेशों में आधुनिक राष्ट्रवाद के उदय की प्रक्रिया उपनिवेश विरोधी आंदोलन के साथ
गहरे तौर पर जुड़ी हुई थी। भारत में भी आधुनिक राष्ट्रवाद एवं सामूहिक अपनेपन के भाव
का उदय इसी कारण हुआ।
(ii)
औपनिवेशिक शासकों के खिलाफ संघर्ष के दौरान लोगों में आपसी एकता की भावना का संचार
हुआ। सभी जाति, वर्ग और संप्रदायों के लोग विदेशी सत्ता के विरुद्ध संघर्ष के लिए एकजुट
हुए।
(iii)
उत्पीड़न और दमन के साझा भाव ने विभिन्न समूहों को एक-दूसरे से बाँध दिया था। इस प्रकार
औपनिवेशिक शासन के खिलाफ लोग एकजुट हुए तथा उनमें राष्ट्रवाद के आदर्श का बोध जाग्रत
हुआ।
(iv)
इसने स्थानीय लोगों में राष्ट्रवादी और उदारवादी विचारों के आदान-प्रदान के लिए एक
अच्छा प्लेटफॉर्म प्रदान किया। राष्ट्रवादी भावना के जागरण से उपनिवेशों में किसी अन्य
राष्ट्र की पराधीनता के विरुद्ध आन्दोलन की पृष्ठभूमि तैयार हुई।
इस
प्रकार, उपनिवेश विरोधी आन्दोलन सभी उपनिवेशों में राष्ट्रवाद के विकास के लिए प्रजनन
भूमि बना।
प्रश्न: भारत में सामूहिक अपनेपन की भावना में किन तत्वों का योगदान
रहा?
उत्तर:
संयुक्त संघर्ष व सांस्कृतिक प्रक्रियाएं, जैसे-इतिहास, साहित्य, लोक कथाएँ, गीत, चित्र
व प्रतीक। औपनिवेशिक शासकों के उत्पीड़न और दमन की नीति के कारण विभिन्न वर्ग और समूह
के लोगों के बीच एकता और राष्ट्रीयता की भावना का संचार हुआ और सबने संगठित हो कर राष्ट्रीय
आंदोलन में भाग लिया।
रॉलेट एक्ट, जलियाँवाला बाग हत्याकांड, खिलाफत और असहयोग आंदोलन
प्रश्न: रॉलेट एक्ट क्या था? भारत के लोग रॉलेट एक्ट के विरोध में क्यों
थे?
उत्तर:
(1) भारत में ब्रिटिश शासन के हो रहे प्रतिरोधों के खिलाफ ब्रिटेन के इम्पीरियल लेजिस्लेटिव
काउंसिल ने 1919 ई. में एक कानून पारित किया। जिसे रॉलेट एक्ट के नाम से जाना जाता
है।
(2)
इस कानून के द्वारा सरकार को राजनीतिक गतिविधियों को कुचलने और राजनीतिक कैदियों को
दो साल तक बिना मुकदमा चलाये जेल में बंद रखने का अधिकार मिल गया। इसी कारण भारतीयों
ने रॉलेट एक्ट का विरोध किया।
प्रश्न: भारत के लोग रॉलेट एक्ट के विरोध में क्यों थे?
उत्तर:
भारत के लोग रॉलेट एक्ट के विरोध में थे क्योंकि -
(1)
रॉलेट एक्ट द्वारा ब्रिटिश सरकार को राजनीतिक गतिविधियों का दमन करने तथा राजनीतिक
कैदियों को दो वर्ष तक बिना मुकदमा चलाए जेल में बंद रखने का अधिकार मिल गया।
(2)
भारतीयों ने महसूस किया कि ब्रिटिश सरकार राष्ट्रीय आन्दोलन को कुचलने के लिए कटिबद्ध
है।
(3)
वे इसलिए भी नाराज़ थे कि प्रथम विश्व युद्ध में ब्रिटिश सरकार को सैनिक और आर्थिक
सहायता देने के बावजूद उसने रॉलेट एक्ट जैसा काला कानून बनाया था।
अतः
भारतीयों ने रॉलेट एक्ट का विरोध करने का निश्चय किया।
प्रश्न: रॉलेट एक्ट क्या था? गांधीजी ने रॉलेट एक्ट का विरोध किस प्रकार
किया?
अथवा: भारतीयों ने रॉलेट एक्ट का विरोध किस प्रकार किया?
उत्तर:
भारत में रॉलेट एक्ट का प्रबल विरोध हुआ। गांधी जी ने इस अन्यायपूर्ण कानून के खिलाफ
अहिंसक ढंग से नागरिक अवज्ञा के रूप में राष्ट्रव्यापी सत्याग्रह आंदोलन करने की घोषणा
की। इस नागरिक अवज्ञा को 6 अप्रैल, 1919 से एक हड़ताल के साथ प्रारंभ होना निश्चित
किया गया।
रॉलेट
एक्ट के खिलाफ विभिन्न शहरों में रैलियों एवं जुलूसों का आयोजन किया गया। रेलवे कामगार
हड़ताल पर चले गये। दुकानें स्वतः बंद हो गयीं। टेलीग्राफ सेवा बाधित कर दी गयी। इस
प्रकार देश में अव्यवस्था का आलम फैल गया।
ब्रिटिश
सरकार ने अमृतसर में स्थानीय नेताओं को हिरासत में ले लिया। गांधी जी के दिल्ली प्रवेश
पर पाबंदी लगा दी। 10 अप्रैल को पुलिस ने अमृतसर में एक शांतिपूर्ण जुलूस पर गोली चला
दी। इन घटनाओं से आहत लोगों ने बैंकों, डाकघरों और रेलवे स्टेशनों पर हमला करना प्रारंभ
कर दिया। अंग्रेजों ने पूरे इलाके में मार्शल लॉ लागू कर दिया और शहर की व्यवस्था जनरल
डायर को सौंप दी।
प्रश्न: जलियाँवाला बाग हत्याकांड का संक्षिप्त निबंध लिखिए। इसके क्या
प्रभाव हुए?
अथवा: जलियाँवाला बाग हत्याकांड कब, कहाँ और क्यों हुआ?
उत्तर:
(1)
13 अप्रैल, 1919 को जलियाँवाला बाग हत्याकांड हुआ। उस दिन अमृतसर में बहुत सारे गाँव
वाले सालाना बैसाखी मेले में शिरकत करने के लिए जलियाँवाला बाग मैदान में जमा हुए थे।
(2)
लोग सरकार द्वारा लागू किए गये दमनकारी कानून 'रॉलेट एक्ट' का विरोध प्रकट करने के
लिए एकत्रित हुए। यह मैदान चारों तरफ से बंद था। शहर से बाहर होने के कारण लोगों को
यह पता नहीं था कि इलाके में मार्शल लॉ लागू किया जा चुका है।
(3)
जनरल डायर हथियारबंद सैनिकों के साथ वहाँ पहुँचा। उसने मैदान से बाहर निकलने के सारे
रास्तों को बंद कर दिया। इसके बाद उसके सिपाहियों ने भीड़ पर अंधाधुंध गोलियाँ चला
दीं। सैकड़ों लोग मारे गये।
(4)
प्रभाव: भारत के इतिहास
की यह सबसे दर्दनाक घटना थी। इससे भारत भर में रोष की लहर फूट निकली। लोग सड़कों पर
उतर गए और हड़तालें होने लगी। लोगों ने सरकारी इमारतों पर हमला किया और जगह-जगह पर
लोगों की पुलिस से भिड़ंत हुई। लोगों को आतंकित और अपमानित करने की मंशा से सरकार ने
इन विद्रोहों को निर्ममता से कुचला।
प्रश्न: जलियाँवाला बाग हत्याकांड के पीछे जनरल डायर का क्या उद्देश्य
था?
उत्तर:
जनरल डायर के अनुसार वह सत्याग्रहियों के दिमाग में दहशत का भाव पैदा करके 'एक नैतिक
प्रभाव' उत्पन्न करना चाहता था।
प्रश्न: भारतीय, मुसलमानों द्वारा खिलाफत आंदोलन क्यों शुरू किया गया?
उत्तर:
पहले विश्वयुद्ध में ऑटोमन तुर्की की हार के बाद अफवाहें फैली हुई थीं कि इस्लामिक
विश्व के खलीफा, ऑटोमन सम्राट पर एक बहुत सख्त शांति संधि थोपी जाएगी। अतः खलीफा की
तात्कालिक शक्तियों की रक्षा के लिए भारत में मुसलमानों द्वारा खिलाफत आंदोलन शुरू
किया गया।
प्रश्न: खिलाफत आंदोलन पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
प्रथम विश्वयुद्ध में ऑटोमन तुर्की को भारी पराजय का मुँह देखना पड़ा। अंग्रेजों ने
यह घोषणा की कि मुस्लिम जगत के आध्यात्मिक नेता (खलीफा) का पद समाप्त कर दिया जायेगा।
दुनिया भर के मुसलमानों ने इसका तीव्र विरोध किया।
भारत
में खलीफा को बनाये रखने के लिए अली बंधुओं ने खिलाफत समिति का गठन किया। 19 अक्टूबर,
1919 ई. को खलीफा पद की समाप्ति के खिलाफ खिलाफत आन्दोलन की शुरुआत हुई।
गांधी
जी ने इसे हिंदू-मुसलमानों को एक मंच पर लाने का अवसर समझा तथा 1920 ई. में कांग्रेस
के कलकत्ता अधिवेशन में खिलाफत आंदोलन में सहयोग करने की घोषणा की।
प्रश्न: महात्मा गांधी खिलाफत आंदोलन के पक्ष में क्यों थे?
उत्तर:
महात्मा गांधी खिलाफत आंदोलन के द्वारा हिन्दू-मुस्लिम एकता स्थापित करना चाहते थे
ताकि राष्ट्रीय आंदोलन को अधिक से अधिक जन-समर्थन प्राप्त हो सके।
प्रश्न: सत्याग्रह के विचार का क्या मतलब है?
अथवा: सत्याग्रह से आप क्या समझते हैं? उल्लेख करें।
उत्तर:
(1)
सत्याग्रह एक आधुनिक राजनीतिक दर्शन है जिसका प्रतिपादन महात्मा गांधी ने ब्रिटिश शासन
के खिलाफ संघर्षों में किया।
(2)
सत्याग्रह के विचार में सत्य की शक्ति पर आग्रह और सत्य की खोज पर जोर दिया जाता है।
इसका सीधा अर्थ यह था कि सच्चे उद्देश्यों के लिए अन्याय के खिलाफ किसी प्रकार के शारीरिक
बल के प्रयोग की आवश्यकता नहीं है।
(3)
प्रतिशोध की भावना या आक्रामक का सहारा लिए बिना, केवल अहिंसा के बल पर अन्यायी की
चेतना को जागृत कर उद्देश्य की प्राप्ति की जा सकती है। अहिंसा, सत्याग्रह का मूल मंत्र
है।
(4)
अहिंसा के बल पर उत्पीड़क अथवा अन्यायी को सत्य को स्वीकार करने के लिए विवश करना ही
सत्याग्रह है, क्योंकि अन्ततः सत्य की ही विजय होती है।
प्रश्न: 'बहिष्कार' से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
'बहिष्कार' विरोध का एक गांधीवादी रूप है, जिसका अर्थ है - किसी के साथ संपर्क रखने
और जुड़ने से इनकार करना, गतिविधियों में हिस्सेदारी से स्वयं को अलग रखना तथा उसकी
चीजों को खरीदने तथा इस्तेमाल करने से इनकार करना।
प्रश्न: 'पिकेटिंग' क्या होता है?
उत्तर:
पिकेटिंग प्रदर्शन या विरोध का एक ऐसा स्वरूप है जिसमें लोग किसी दुकान, फैक्ट्री या
दफ्तर के भीतर जाने का रास्ता रोक लेते हैं।
प्रश्न: असहयोग आंदोलन क्या था?
अथवा: ब्रिटिश शासन का विरोध करने के लिए गांधी जी ने असहयोग का रास्ता
क्यों अपनाया?
उत्तर:
(1) प्रथम विश्वयुद्ध में महात्मा गाँधी के आह्वान पर भारतीय जनता ने ब्रिटिश सरकार
को तन-मन-धन से पर्याप्त सहायता की थी। युद्धकाल में ब्रिटिश सरकार ने भारतीय जनता
को लोकतंत्र की रक्षा का आश्वासन दिया था किन्तु बाद में इसी सरकार ने रॉलेट एक्ट जैसे
काले कानून को भारतवर्ष में लागू कर दिया।
(2)
निराशा की इसी दशा में सम्पूर्ण देश में असंतोष का वातावरण गरमा गया। लोगों ने जगह-जगह
पर हड़तालों के द्वारा अपने-अपने असंतोषों की अभिव्यक्ति और विरोधों का प्रदर्शन किया।
सरकार ने इन विरोधों और हड़तालों का क्रूरतापूर्वक दमन किया।
(3)
इसी समय 1919 ई. में जलियाँवाला बाग की लोमहर्षक और हृदयविदारक घटना घटी।
(4)
महात्मा गांधी ने इन स्थितियों का सूक्ष्मता एवं गंभीरतापूर्वक आकलन किया। इस आकलन
ने उन्हें इस निष्कर्ष पर पहुँचाया कि यदि जनता किसी भी कार्य में सरकार से सहयोग न
करे तो सरकार नहीं चल सकती। जन असहयोग के फलस्वरूप विवश होकर सरकार को जनता की माँगे
माननी पड़ेगी और स्वराज की स्थापना हो जायेगी। अतः गाँधी जी ने असहयोग आंदोलन का नारा
बुलंद किया।
(5)
गाँधी जी असहयोग आंदोलन को योजनाबद्ध तरीके से प्रारंभ करना चाहते थे। उनका विचार था
कि सर्वप्रथम सरकार द्वारा दी गयी पदवियों को लौटा दिया जाय तथा इसके बाद सरकारी नौकरियों
तथा विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार कर दिया जाय।
प्रश्न: असहयोग आन्दोलन में भारतीयों द्वारा अपनाए गए विभिन्न तरीकों
का उल्लेख करें।
उत्तर:
(1)
गाँधी जी असहयोग आन्दोलन को योजनाबद्ध तरीके से प्रारंभ करना चाहते थे। उनका विचार
था कि सर्वप्रथम सरकार द्वारा दी गई पदवियों को लौटा दिया जाय तथा इसके बाद सरकारी
नौकरियों तथा विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार कर दिया जाय।
(2)
असहयोग आंदोलन का प्रारंभ शहरी मध्यम वर्ग की हिस्सेदारी से प्रारंभ हुआ। विद्यार्थियों
ने स्कूल-कॉलेज छोड़ दिए, शिक्षकों ने त्यागपत्र दे दिया, वकीलों ने मुकदमे लड़ने बंद
कर दिए तथा मद्रास के अतिरिक्त प्रायः सभी प्रांतों में परिषद् चुनावों का बहिष्कार
किया गया।
(3)
विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार किया गया, शराब की दुकानों की पिकेटिंग की गयी तथा विदेशी
कपड़ों की होली जलाई गयी।
(4)
व्यापारियों ने विदेशी व्यापार में पैसा लगाने से इनकार कर दिया। देश में खादी का प्रचलन
और उत्पादन बढ़ा।
(5)
ग्रामीण इलाकों में जमींदारों को 'नाई-धोबी' की सुविधाओं से वंचित करने के लिए पंचायतों
ने 'नाई-धोबी बंद' का फैसला किया।
प्रश्न: गाँधी जी ने असहयोग आंदोलन को वापस लेने का फैसला क्यों लिया?
उत्तर:
(1)
असहयोग आंदोलन का प्रारंभ शहरी शिक्षित एवं मध्यम वर्ग की हिस्सेदारी से हुआ जहाँ इसका
स्वरूप नियंत्रित एवं अहिंसक था।
(2)
जैसे-जैसे यह आंदोलन देश के भीतरी अथवा ग्रामीण इलाकों में फैला इसका स्वरूप अनियंत्रित
एवं हिंसक होता गया।
(3)
स्वराज के प्रति अति उत्साह ने शांतिपूर्ण असहयोग को हिंसक टकराव में बदल दिया।
(4)
असहयोग आंदोलन के दौरान गोरखपुर स्थित चौरी-चौरा बाजार से गुजर रहा एक शांतिपूर्ण जुलूस
पुलिस के साथ हिंसक टकराव में बदल गया। लोगों ने थाने में आग लगा दी जिसके परिणामस्वरूप
कुछ पुलिसकर्मियों की मौत हो गयी। इस घटना को चौरी-चौरा कांड के नाम से जाना जाता है।
(5)
आंदोलन को हिंसा का मार्ग पकड़ते देख गाँधी जी ने इसे वापस लेने का फैसला किया।
प्रश्न: असहयोग आंदोलन असफल क्यों हुआ?
अथवा, अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने में असहयोग आंदोलन कहाँ तक सफल
रहा?
अथवा, 'बहिष्कार' से क्या अभिप्राय है? गाँधी जी ने असहयोग आंदोलन को
वापस लेने का फैसला क्यों लिया?
उत्तर:
'बहिष्कार' विरोध का एक गांधीवादी रूप है। बहिष्कार का अर्थ है - किसी के साथ संपर्क
रखने और जुड़ने से इनकार करना, गतिविधियों में हिस्सेदारी से स्वयं को अलग रखना तथा
चीजों को खरीदने तथा इस्तेमाल करने से इनकार करना।
असहयोग
आंदोलन की असफलता के कारण -
(1)
योग्य नेतृत्व का अभाव:
आंदोलन की शुरुआत गाँधी जी ने की तथा शीघ्र ही यह आंदोलन देश के कोने-कोने में फैल
गया। लोगों ने अति उत्साह से इस आंदोलन में भाग लिया, लेकिन देश के अन्य भागों में
योग्य नेतृत्व के अभाव में वे सही दिशा से भटक गये।
(2)
आर्थिक कारण: विदेशी
कपड़ों का बहिष्कार बड़े पैमाने पर किया गया तथा लोगों को खादी का प्रयोग करने को प्रेरित
किया। लेकिन खादी का कपड़ा, मिलों में भारी पैमाने पर बनने वाले कपड़े की अपेक्षा काफी
महंगा था। गरीब इसे खरीद नहीं सकते थे। अतः जल्दी ही बहिष्कार की उमंग फीकी पड़ गयी।
(3)
वैकल्पिक व्यवस्था का अभाव:
ब्रिटिश संस्थानों के बहिष्कार से सभी समस्याएँ दूर होती हैं। स्कूलों, कॉलेजों, अदालतों
का बहिष्कार तो कर दिया गया लेकिन वैकल्पिक भारतीय संस्थानों की स्थापना नहीं हुई।
इसके परिणामस्वरूप शिक्षक और विद्यार्थी पुनः स्कूल में लौट गये तथा वकील दोबारा अदालतों
में दिखायी देने लगे।
(4)
हिंसा का मार्ग अपनाना:
यद्यपि आंदोलन का प्रारंभ शांतिपूर्ण प्रदर्शनों तथा विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार से
हुआ, लेकिन शीघ्र ही आंदोलन ने हिंसा का मार्ग पकड़ लिया। हिंसा की चरम परिणति चौरी-चौरा
कांड के रूप में हुई जब उग्र आंदोलनकारियों ने एक थाने में आग लगा दी।
गांधी
जी की योजना असफल हुई तथा उन्होंने आंदोलन को वापस लेने की घोषणा कर दी।
प्रश्न: चौरी-चौरा कांड क्या था?
उत्तर:
जब असहयोग आन्दोलन अपनी चरम सीमा पर था, उस समय 5 फरवरी, 1922 को गोरखपुर स्थित चौरी-चौरा
में बाजार से गुजर रहा एक शांतिपूर्ण जुलूस पुलिस के साथ हिंसक टकराव में बदल गया।
वहाँ उग्र भीड़ ने थाने में आग लगा दी, जिसमें कुछ पुलिसकर्मियों की मौत हो गयी।
प्रश्न: कारण बताइए क्यों शहरों में असहयोग आन्दोलन धीमा पड़ गया?
उत्तर:
(1)
भारतीयों ने शुरू में बढ़-चढ़ कर स्कूल, कॉलेज, सरकारी संस्थान एवं अदालतों का बहिष्कार
तो किया पर उनके स्थान पर शिक्षा एवं रोज़गार की कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं थी। अतः
शहरों में छात्र स्कूल-कॉलेजों में और वकील अदालतों में लौट कर सरकारी व्यवस्था में
सहयोग देने लगे।
(2)
भारतीय खादी के कपड़े विदेशी कपड़ों से महँगे होते थे। इस कारण से शहर के गरीब पुनः
विदेशी मिलों के कपड़े पहनने लगे।
प्रश्न: 1920 में महात्मा गांधी द्वारा शुरू किए गए असहयोग आंदोलन के
महत्व और प्रभाव का विश्लेषण करें।
उत्तर:
असहयोग आंदोलन का महत्व और प्रभाव:
(1)
महात्मा गांधी द्वारा शुरू किए गए असहयोग आंदोलन ने राष्ट्रीय भावना का संचार किया,
सरकार के प्रति अहिंसक विरोध का वातावरण बनाया तथा अन्याय के विरुद्ध संघर्ष का रास्ता
दिखाया।
(2)
लोगों ने विदेशी वस्तुओं का परित्याग किया तथा स्वदेशी अपनाने लगे।
(3)
राष्ट्रीय शिक्षण संस्थाओं का दौर प्रारंभ हुआ।
(4)
कांग्रेस ने भी अपनी नीतियों व कार्यक्रमों में परिवर्तन किया।
(5)
खादी का प्रचलन प्रारंभ हुआ। चरखा, स्वतंत्रता आंदोलन के साथ जुड़ गया।
(6)
कांग्रेस जनसाधारण तक पहुँची।
(7)
आंदोलन की असफलता ने क्रांतिकारी गतिविधियों को प्रेरणा दी।
इस
प्रकार, असहयोग आन्दोलन प्रत्येक दृष्टि में ब्रिटिश शासन के विरुद्ध भारतीयों का एक
तीव्र प्रतिरोध था। यह प्रतिरोध हर क्षेत्र में और हर वर्ग में दिखलायी पड़ा।
प्रश्न: बेगार का क्या अर्थ है?
उत्तर:
बिना किसी पारिश्रमिक के किसी के द्वारा काम करवाना बेगार कहलाता है।
प्रश्न: गिरमिटिया मजदूर किन्हें कहा जाता है?
उत्तर:
औपनिवेशिक शासन के दौरान भारत से बहुत-से लोगों को एग्रीमेंट (अनुबंध) पर काम करने
के लिए फिजी, गयाना, वेस्ट इंडीज आदि स्थानों पर ले जाया गया था; एग्रीमेंट को ये मजदूर
गिरमिट कहने लगे जिससे आगे चलकर इन मजदूरों को 'गिरमिटिया' मजदूर कहा जाने लगा।
प्रश्न: बारदोली सत्याग्रह क्या था?
उत्तर:
1928 में वल्लभ भाई पटेल ने गुजरात के बारदोली तालुका में भू-राजस्व को बढ़ाने के खिलाफ
किसान आंदोलन का नेतृत्व किया, यह बारदोली सत्याग्रह के नाम से जाना जाता है।
प्रश्न: स्वराज पार्टी का गठन क्यों और किनके द्वारा किया गया?
उत्तर:
परिषद् राजनीति अर्थात् चुनाव लड़कर परिषदों में जाने के लिए मोतीलाल नेहरू और सी.
आर. दास द्वारा कांग्रेस के भीतर ही स्वराज पार्टी का गठन किया गया।
नमक सत्याग्रह और सविनय अवज्ञा आंदोलन:
प्रश्न: साइमन कमीशन क्या था? भारत में इसका विरोध क्यों किया गया?
➔ अथवा, साइमन कमीशन पर
एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
उत्तर:
(1) 1927 ई. में ब्रिटेन की टोरी सरकार ने भारत में राष्ट्रवादी आंदोलन के जवाब में
एक वैधानिक आयोग का गठन किया जिसे साइमन कमीशन के नाम से जाना जाता है। इस कमीशन के
अध्यक्ष सर जॉन साइमन थे।
(2)
इस आयोग का कार्य भारत में संवैधानिक व्यवस्था की कार्यशैली का अध्ययन करना एवं तदनुरूप
सुझाव देना था। इसके सभी सदस्य अंग्रेज थे।
(3)
भारत में इसका विरोध इसलिए किया गया कि इस आयोग में एक भी भारतीय सदस्य नहीं था। सारे
सदस्य अंग्रेज थे। अतः 1928 में जब साइमन कमीशन भारत पहुंचा तो उसका स्वागत ‘साइमन
कमीशन वापस जाओ’ के नारों से किया गया।
(4)
कांग्रेस और मुस्लिम लीग, सभी पार्टियों ने प्रदर्शनों में हिस्सा लिया।
(5)
पंजाब में लाला लाजपत राय ने इस आयोग के विरुद्ध प्रदर्शन का नेतृत्व किया। पुलिस ने
उन पर इतनी लाठियां बरसाईं कि इस प्रहार से उनकी मृत्यु हो गयी।
प्रश्न: साइमन कमीशन कब भारत आया था?
उत्तर:
साइमन कमीशन 1928 में भारत आया था।
प्रश्न: साइमन कमीशन का गठन क्यों किया गया था?
उत्तर:
साइमन कमीशन का काम भारत में संवैधानिक व्यवस्था की कार्यशैली का अध्ययन करना तथा उसके
बारे में सुझाव देना था। उसमें सभी सदस्य अंग्रेज थे। इस आयोग में एक भी भारतीय सदस्य
नहीं था।
प्रश्न: भारतीयों ने साइमन कमीशन का विरोध क्यों किया?
उत्तर:
भारतीयों ने साइमन कमीशन का विरोध इसलिए किया क्योंकि इस आयोग में एक भी भारतीय सदस्य
नहीं था। उसमें सभी सदस्य अंग्रेज थे।
प्रश्न: दांडी यात्रा से आप क्या समझते हैं? संक्षेप में लिखिए।
➔ अथवा, दांडी मार्च अभूतपूर्व
घटना साबित हुई, जिसने ब्रिटिश साम्राज्य को हिला कर रख दिया। स्पष्ट करें।
➔ अथवा, नमक यात्रा की चर्चा
करते हुए स्पष्ट करें कि यह उपनिवेशवाद के खिलाफ प्रतिरोध का एक असरदार प्रतीक था।
उत्तर:
(1) 31 जनवरी, 1930 को गाँधीजी ने वायसराय इरविन को एक पत्र लिखा जिसमें उन्होंने
11 माँगों का उल्लेख किया। इनमें सबसे महत्वपूर्ण माँग नमक-कर को समाप्त करने के बारे
में थी। उन्होंने ब्रिटिश सरकार को यह चेतावनी दी कि यदि 11 मार्च तक उनकी माँगें नहीं
मानी गईं, तो कांग्रेस सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू कर देगी।
(2)
माँगें नहीं माने जाने पर गांधीजी ने अपने 78 विश्वसनीय कार्यकर्त्ताओं के साथ साबरमती
आश्रम से दांडी नामक कस्बे की ओर प्रस्थान किया। गांधीजी ने 240 किलोमीटर की 'दांडी
यात्रा' पैदल चल कर 24 दिन में तय की। दांडी यात्रा द्वारा ही गाँधी जी ने ‘सविनय अवज्ञा
आंदोलन’ की शुरुआत की।
(3)
6 अप्रैल को दांडी पहुँच कर गाँधी जी ने समुद्र के पानी को उबाल कर नमक बनाया और नमक
कानून का उल्लंघन किया। दांडी यात्रा द्वारा ही गाँधी जी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन की
शुरुआत की।
(4)
स्वतंत्रता के लिए देश को एकजुट करने के लिए गाँधी जी ने नमक को एक शक्तिशाली प्रतीक
के रूप में देखा। नमक सर्वसाधारण के भोजन का एक अनिवार्य हिस्सा था। अतः नमक कर को
महात्मा गाँधी ने ब्रिटिश शासन का सबसे दमनकारी पहलू बताया।
(5)
यद्यपि नमक आंदोलन का केंद्रीय उद्देश्य नमक कानून का उल्लंघन करना था, लेकिन इस आंदोलन
ने अंग्रेजों के खिलाफ भारतीय जनमानस में एक राष्ट्रीय विद्रोह की भावना को जन्म दिया।
(6)
नमक कानून तोड़कर गांधीजी ने औपनिवेशिक ब्रिटिश सरकार को अपने सत्याग्रह के तरीके से
जवाब दिया। इस आंदोलन के जरिये गांधीजी ने समाज के सभी तबकों को प्रभावित किया तथा
उन्हें उपनिवेशवाद के खिलाफ प्रतिरोध के लिए प्रेरित कर दिया।
(7)
शीघ्र ही सविनय अवज्ञा आंदोलन सम्पूर्ण देश में फैल गया। अनेक स्थानों पर लोगों ने
नमक कानून तोड़ा और सरकारी नमक कारखानों के सामने प्रदर्शन किये। नमक यात्रा उपनिवेशवाद
के विरुद्ध प्रतिरोध का एक प्रभावशाली प्रतीक था। इस यात्रा ने राष्ट्रीय आन्दोलन की
व्यापक बनाया।
इस
प्रकार, दांडी मार्च अभूतपूर्व घटना साबित हुई, जिसने ब्रिटिश साम्राज्य को हिला कर
रख दिया।
➔ प्रश्न: सविनय अवज्ञा
आंदोलन क्या था? यह क्यों शुरू किया गया?
उत्तर:
अत्यधिक महँगाई से उत्पन्न अराजक स्थिति के बीच अंग्रेजों द्वारा नमक कानून लागू करने
से जनता में आक्रोश व्याप्त था। गाँधी जी ने आन्दोलन को हिंसात्मक होने से बचाने और
सरकार पर दबाव बनाने के उद्देश्य से दांडी यात्रा के द्वारा सविनय अवज्ञा आंदोलन की
शुरुआत की थी। यह 1930 ई. तक चला। सविनय अवज्ञा आंदोलन गाँधीवादी प्रतिरोध का एक रूप
था।
सविनय
अवज्ञा से गाँधी जी का अभिप्राय अंग्रेजों की शांतिपूर्वक अवज्ञा करना अथवा उनके आदेशों
की अवहेलना करना था। उन्होंने सविनय अवज्ञा आंदोलन का प्रारंभ दांडी मार्च एवं नमक
कानून का उल्लंघन कर किया।
सविनय
अवज्ञा आंदोलन, असहयोग आंदोलन से इस अर्थ में भिन्न था कि जहाँ असहयोग आंदोलन में लोगों
को अंग्रेजों के साथ सहयोग करने से मना किया गया था वहीं सविनय अवज्ञा आन्दोलन में
लोगों को औपनिवेशिक कानूनों का उल्लंघन करने के लिए प्रोत्साहित किया गया।
सविनय
अवज्ञा आंदोलन के तहत देश के विभिन्न भागों में नमक कानून का उल्लंघन किया गया, सरकारी
नमक के कारखानों के सामने प्रदर्शन किया गया, शराब की दुकानों की पिकेटिंग की गयी,
विदेशों वस्त्रों की होली जलाई गयी, किसानों ने लगान तथा चौकीदारी कर चुकाने से इन्कार
कर दिया, गाँवों में तैनात कर्मचारी इस्तीफे देने लगे तथा लोगों ने लकड़ी तथा वन्य
उत्पादों को बीनने तथा मवेशियों को चराने के लिए आरक्षित वनों में घुसकर वन कानूनों
का उल्लंघन करना प्रारंभ कर दिया।
इस
प्रकार दांडी मार्च से शुरू हुए सविनय अवज्ञा आंदोलन ने ब्रिटिश साम्राज्य को हिला
कर रख दिया।
➔ प्रश्न: गाँधीजी ने सत्याग्रह
के लिए नमक को क्यों चुना?
उत्तर:
नमक हर व्यक्ति - अमीर गरीब द्वारा प्रयोग करने वाली आवश्यक वस्तु है, वह भोजन का एक
अभिन्न हिस्सा है तथा नमक पर कर और उसके उत्पादन पर सरकार का आधिपत्य ब्रिटिश शासन
का अत्यंत दमनकारी पहलू था।
➔ प्रश्न: गाँधीजी की नमक
यात्रा किन दो स्थानों के मध्य थी तथा इसकी दूरी क्या थी?
उत्तर:
नमक यात्रा साबरमती में गाँधीजी के आश्रम से 240 किलोमीटर दूर दांडी नामक गुजराती तटीय
कस्बे तक थी।
➔ प्रश्न: गाँधीजी दांडी
कब पहुँचे और नमक कानून का उल्लंघन कैसे किया?
उत्तर:
गाँधीजी दांडी 6 अप्रैल को पहुँचे और समुद्र का पानी उबालकर नमक बनाकर नमक कानून का
उल्लंघन किया।
➔ प्रश्न: गाँधीजी और लॉर्ड
इरविन में समझौता कब हुआ?
उत्तर:
5 मार्च, 1931 को।
➔ प्रश्न: गाँधी-इरविन समझौते
की एक मुख्य सहमति का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
गाँधीजी द्वारा लंदन में होने वाले दूसरे गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने की सहमति व्यक्त
करना।
➔ प्रश्न: सविनय अवज्ञा
आंदोलन में सम्मिलित विभिन्न सामाजिक समूहों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
गाँवों में संपन्न किसान समुदाय; जैसे-गुजरात के पाटीदार, उत्तर प्रदेश के जाट, गरीब
किसान, व्यवसायी वर्ग, नागपुर के औद्योगिक श्रमिक वर्ग और महिलाएँ।
➔ प्रश्न: सविनय अवज्ञा
आंदोलन में विभिन्न वर्गों और समूहों ने क्यों हिस्सा लिया?
उत्तर:
विभिन्न वर्गों और समूहों ने सविनय अवज्ञा आंदोलन में हिस्सा लिया। क्योंकि 'स्वराज'
के मायने सभी के लिए अलग-अलग थे। जैसे-
(1)
ज्यादातर व्यवसायी स्वराज को एक ऐसे युग के रूप में देखते थे जहाँ कारोबार पर औपनिवेशिक
पाबंदियाँ नहीं होंगी और व्यापार व उद्योग निर्बाध ढंग से चल सकेंगे।
(2)
धनी किसानों के लिए स्वराज का अर्थ था, भारी लगान के खिलाफ लड़ाई।
(3)
महिलाओं के लिए स्वराज का अर्थ था, भारतीय समाज में पुरुषों के साथ बराबरी और स्तरीय
जीवन की प्राप्ति।
(4)
गरीब किसानों के लिए स्वराज का अर्थ था उनके पास स्वयं की जमीन होगी, उन्हें जमीन का
किराया नहीं देना होगा और बेगार नहीं करनी पड़ेगी।
(5)
औद्योगिक श्रमिक सविनय अवज्ञा आंदोलन को उच्च वेतन एवं अच्छी कार्यस्थितियों के रूप
में देखते थे, क्योंकि उनमें कम वेतन तथा असंतोषजनक कार्यस्थितियों के कारण असंतोष
व्याप्त था।
➔ प्रश्न: राजनीतिक नेता
पृथक निर्वाचिका के सवाल पर क्यों बंटे हुए थे? चर्चा कीजिए।
उत्तर:
भावी विधान सभाओं में प्रतिनिधित्व के प्रश्न पर राजनीतिक नेताओं में तीव्र मतभेद थे।
मुस्लिम नेता तथा पिछड़े वर्गों के नेता पृथक निर्वाचिका के समर्थक थे। परन्तु हिन्दू
महासभा, कांग्रेस के नेता पृथक निर्वाचिका के विरुद्ध थे।
(1)
मुस्लिम लीग के नेताओं द्वारा पृथक निर्वाचिका का समर्थन: मुस्लिम लीग के नेताओं
की मान्यता थी कि भारतीय मुसलमान सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक और राजनीतिक क्षेत्रों
में पिछड़े हुए हैं। अतः उनके राजनीतिक हितों की रक्षा के उद्देश्य से पृथक निर्वाचिका
की व्यवस्था बनायी रखी जाए। अनेक मुस्लिम नेताओं को भय था कि बहुसंख्यक हिन्दुओं का
वर्चस्व स्थापित होने पर उनकी संस्कृति और पहचान नष्ट हो जाएगी। मुहम्मद अली जिन्ना
भारत के मुस्लिम समुदायों का प्रतिनिधित्व करते थे।
(2)
दलित नेताओं द्वारा पृथक निर्वाचिका का समर्थन: अनेक दलित नेता पिछड़े हुए वर्गों
की समस्याओं का अलग-अलग समाधान ढूँढ़ना चाहते थे। लम्बे समय तक दलितों की समस्याओं
पर ध्यान नहीं दिया गया था। इसलिए उन्होंने दलित वर्ग के लिए पृथक निर्वाचिका की माँग
की। दलितों के प्रसिद्ध नेता डॉ. अम्बेडकर ने दूसरे गोलमेज सम्मेलन में पृथक निर्वाचन
की व्यवस्था पर बल दिया।
(3)
कांग्रेस के नेताओं द्वारा पृथक निर्वाचिका का विरोध: कांग्रेस के नेता राष्ट्रीय
एकता के प्रबल समर्थक थे। वे सम्पूर्ण भारत को एकता के सूत्र में बाँधे रखना चाहते
थे। गाँधी जी का मानना था कि पृथक निर्वाचन क्षेत्र भारत की एकता पर प्रतिकूल प्रभाव
डालेगा।
(4)
हिन्दू महासभा के नेताओं द्वारा पृथक निर्वाचिका का विरोध: एक सर्वदलीय सम्मेलन
में हिन्दू महासभा के नेता एम.आर. जयकर ने पृथक निर्वाचिका का विरोध किया।
➔ प्रश्न: 1932 में पूना
समझौता किनके बीच हुआ था?
उत्तर:
सितंबर 1932 ई. में 'पूना समझौता' गाँधी जी और डॉ. अंबेडकर के बीच हुआ था।
➔ प्रश्न: पूना समझौता
(पैक्ट) पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
उत्तर:
(i) डॉ. अंबेडकर का मानना था कि दलित वर्ग की समस्याओं का समाधान तथा उनकी सामाजिक
अपगंता का निवारण केवल राजनीतिक सशक्तीकरण के द्वारा ही किया जा सकता है। अतः उन्होंने
दलितों के लिए पृथक निर्वाचन क्षेत्र का जोर-शोर से समर्थन किया।
(ii)
इस विषय पर गाँधी जी से उनका गंभीर विवाद हुआ। इसी बीच सरकार ने अंबेडकर की बात मान
ली। इसके विरोध में गाँधी जी ने आमरण अनशन प्रारंभ कर दिया।
(iii)
अन्य राष्ट्रवादी नेताओं की मध्यस्थता से गाँधी जी और अंबेडकर के बीच सितंबर 1932 ई.
में एक समझौता हुआ जिसे पूना-पैक्ट के नाम से जाना जाता है।
(iv)
इस समझौते के अनुसार दलित वर्ग को प्रांतीय एवं केंद्रीय विधायी परिषदों में आरक्षित
सीटें मिल गयीं।
(v)
उनके लिए मतदान सामान्य निर्वाचन क्षेत्रों में ही होने की व्यवस्था की गयी।
➔ प्रश्न: पूना पैक्ट क्यों
किया गया?
उत्तर:
ब्रिटिश सरकार द्वारा डॉ. अंबेडकर की दलितों के लिए अलग प्रतिनिधित्व की माँग को मानने
के पश्चात गाँधीजी ने इसके विरुद्ध आमरण अनशन शुरू कर दिया; डॉ० अंबेडकर ने गाँधीजी
के सुझाव को मान लिया और पूना पैक्ट हुआ।
➔ प्रश्न: पूना पैक्ट का
मुख्य परिणाम क्या निकला?
उत्तर:
पूना पैक्ट के अनुसार दलित वर्गों को प्रांतीय और केंद्रीय विधायी परिषदों में आरक्षित
सीटें दी गईं परंतु उनका मतदान सामान्य क्षेत्रों में ही होना था।
वस्तुनिष्ठ बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर (MCQ)
प्रश्न: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना किस वर्ष हुई?
(1)
1885
(2)
1890
(3)
1895
(4)
1900
Ans.
(1)
प्रश्न: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना किसने की?
(1)
महात्मा गाँधी
(2)
जवाहरलाल नेहरू
(3)
एलन ऑक्टेवियन ह्यूम
(4)
लाला लाजपत राय
Ans.
(3)
प्रश्न: धन-निष्कासन के सिद्धांत का प्रतिपादन किसने किया था?
(1)
फिरोजशाह मेहता ने
(2)
बाल गंगाधर तिलक ने
(3)
दादाभाई नौरोजी ने
(4)
महात्मा गाँधी ने
Ans.
(3)
प्रश्न: बंगाल का विभाजन कब हुआ?
(1)
1901 ई.
(2)
1903 ई.
(3)
1905 ई.
(4)
1907 ई.
Ans.
(3)
प्रश्न: प्रथम विश्व युद्ध कब आरंभ हुआ?
(1)
1914
(2)
1916
(3)
1918
(4)
1920
Ans.
(1)
प्रश्न: प्रथम विश्व युद्ध कब से कब तक हुआ?
(1)
1916 से 1920
(2)
1914 से 1918
(3)
1939 से 1945
(4)
1912 से 1918
Ans.
(2)
प्रश्न: पहला विश्वयुद्ध किन दो खेमों के बीच लड़ा गया था?
(1)
मित्र राष्ट्र एवं केंद्रीय शक्तियाँ
(2)
रूढ़िवाद एवं उदारवाद
(3)
प्रजातंत्र एवं राजतंत्र
(4)
पूँजीवाद एवं साम्यवाद
Ans.
(1)
प्रश्न: ब्रिटेन, फ्रांस और रूस के खेमे का क्या नाम था?
(1)
केंद्रीय शक्तियाँ
(2)
मित्र राष्ट्र
(3)
पूर्वी शक्तियाँ
(4)
शत्रु राष्ट्र
Ans.
(2)
प्रश्न: ब्रिटेन, फ्रांस और रूस के खेमे 'मित्र राष्ट्र' के खिलाफ खेमे
'केंद्रीय शक्तियाँ' में कौन से देश शामिल थे?
(1)
जर्मनी
(2)
ऑस्ट्रिया-हंगरी
(3)
ऑटोमन तुर्की
(4)
इनमें से सभी
Ans.
(4)
प्रश्न: प्रथम विश्वयुद्ध में हुए रक्षा व्यय की भरपाई के लिए ब्रिटिश
शासन ने क्या कदम उठाया?
(1)
करों में वृद्धि, आयकर शुरू किया गया
(2)
सीमा शुल्क बढ़ा दिया गया
(3)
युद्ध के नाम पर कर्ज लिए गए
(4)
इनमें से सभी
Ans.
(4)
प्रश्न: उस प्रक्रिया को क्या कहते हैं जिसके द्वारा औपनिवेशिक शासन
में लोगों को सेना में शामिल होने के लिए मजबूर किया जाता था?
(1)
काला पानी
(2)
जबरन भर्ती
(3)
सत्याग्रह
(4)
दास-प्रथा
Ans.
(2)
प्रश्न: ग्रामीण इलाकों में लोगों के गुस्से का क्या कारण था?
(1)
युवकों को सेना में जबरन भर्ती
(2)
ब्रिटिश सिपाहियों का अत्याचार
(3)
सीमा शुल्क का बढ़ना
(4)
इनमें से सभी
Ans.
(1)
प्रश्न: 'संथाल विद्रोह' के नेता कौन थे?
(1)
बिरसा मुंडा
(2)
जतरा उराँव
(3)
तिलका मांझी
(4)
सिंदू और कानू
Ans.
(4)
प्रश्न: 1918-20 में भारत में कौन-सी महामारी फैल गयी?
(1)
मलेरिया
(2)
फ्लू
(3)
हैजा
(4)
कोरोना
Ans.
(2)
प्रश्न: 1921 की जनगणना के अनुसार दुर्भिक्ष और महामारी के कारण लगभग
कितने लाख लोग मारे गए?
(1)
12-13 लाख
(2)
105-110 लाख
(3)
120-130 लाख
(4)
150-170 लाख
Ans.
(3)
सत्याग्रह के विचार में किस बात पर जोर होता है?
(1)
सत्य की शक्ति पर आग्रह
(2)
अहिंसक विरोध
(3)
1 और 2 दोनों
(4)
आक्रामक विद्रोह
Ans.
(3)
प्रश्न: 'बापू' किसे कहा जाता है?
(1)
डॉ. राजेंद्र प्रसाद
(2)
महात्मा गाँधी
(3)
रवींद्रनाथ टैगोर
(4)
जवाहरलाल नेहरू
Ans.
(2)
प्रश्न: महात्मा गाँधी ने सत्याग्रह का प्रथम प्रयोग कहाँ किया था?
(1)
बिहार
(2)
दक्षिण अफ्रीका
(3)
गुजरात
(4)
इंग्लैंड
Ans.
(2)
प्रश्न: गाँधी जी दक्षिण अफ्रीका कब गए?
(1)
1870 ई.
(2)
1875 ई.
(3)
1880 ई.
(4)
1893 ई.
Ans.
(4)
महात्मा गाँधी दक्षिण अफ्रीका से भारत कब लौटे?
(1)
जनवरी 1915
(2)
अगस्त 1921
(3)
मार्च 1930
(4)
जनवरी 1950
Ans.
(1)
प्रश्न: निम्न में से किनका विश्वास था कि अहिंसा का धर्म सभी भारतीयों
को एकता के सूत्र में बाँध सकता है?
(1)
जवाहरलाल नेहरू
(2)
महात्मा गाँधी
(3)
सुभाष चंद्र बोस
(4)
अबुल कलाम आजाद
Ans.
(2)
प्रश्न: लखनऊ समझौता किस वर्ष हुआ?
(1)
1916
(2)
1918
(3)
1920
(4)
1922
Ans.
(1)
प्रश्न: गाँधीजी के नेतृत्व में बिहार के किस स्थान पर किसानों ने आंदोलन
किया?
(1)
सीतामढ़ी
(2)
चंपारण
(3)
दरभंगा
(4)
पटना
Ans.
(2)
प्रश्न: महात्मा गाँधी ने भारत में सत्याग्रह का प्रथम प्रयोग कहाँ
किया था?
(1)
चंपारण (बिहार)
(2)
दांडी (गुजरात)
(3)
अमृतसर (पंजाब)
(4)
कोलकाता (प. बंगाल)
Ans.
(1)
प्रश्न: गाँधी जी ने चम्पारण में सत्याग्रह कब किया?
(1)
1919 ई.
(2)
1917 ई.
(3)
1916 ई.
(4)
1921 ई.
Ans.
(2)
प्रश्न: किसानों के लिए गुजरात के खेड़ा में गाँधीजी ने सत्याग्रह कब
किया?
(1)
1916 ई.
(2)
1917 ई.
(3)
1918 ई.
(4)
1920 ई.
Ans.
(2)
प्रश्न: सरदार वल्लभभाई पटेल ने किस किसान आंदोलन का नेतृत्व किया था?
(1)
खेड़ा आन्दोलन
(2)
बारदोली आन्दोलन
(3)
चंपारण आन्दोलन
(4)
व्यक्तिगत सत्याग्रह आन्दोलन
Ans.
(1)
प्रश्न: रॉलेट एक्ट कब पारित हुआ?
(1)
1918 ई.
(2)
1919 ई.
(3)
1920 ई.
(4)
1921 ई.
Ans.
(2)
प्रश्न: राजनीतिक गतिविधियों को कुचलने और बिना मुकदमा चलाए राजनीतिक
कैदियों को दो साल जेल में बंद रखने का प्रावधान किस एक्ट में था?
(1)
वर्नाक्यूलर एक्ट
(2)
साइमन कमीशन
(3)
रॉलेट एक्ट
(4)
इनमें से कोई नहीं
Ans.
(3)
प्रश्न: रॉलेट एक्ट क्यों पारित किया गया?
(1)
क्रांतिकारी गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए
(2)
सरकारी नौकरियों में प्रवेश के लिए
(3)
शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश के लिए
(4)
कालाबाजारी रोकने के लिए
Ans.
(1)
प्रश्न: भारत के लोगों ने रॉलेट एक्ट का विरोध किस प्रकार किया?
(1)
रैली-जुलूसों का आयोजन
(2)
रेलवे कर्मचारियों की हड़ताल
(3)
बंदी और व्यापक जन-उभार
(4)
ये सभी
Ans.
(4)
प्रश्न: अंग्रेजों ने राष्ट्रवादियों का दमन कैसे किया?
(1)
शांतिपूर्ण जुलूस पर फायरिंग
(2)
अमृतसर में स्थानीय नेताओं की गिरफ्तारी
(3)
गाँधीजी के दिल्ली जाने पर पाबंदी
(4)
ये सभी
Ans.
(4)
प्रश्न: 'गदर पार्टी' की स्थापना किसने की?
(1)
भगत सिंह
(2)
लाला हरदयाल
(3)
सुभाष चन्द्र बोस
(4)
लाला लाजपत राय
Ans.
(2)
प्रश्न: जलियाँवाला बाग हत्याकांड कब हुआ?
(1)
13 अप्रैल, 1919
(2)
15 अप्रैल, 1919
(3)
20 अप्रैल, 1919
(4)
25 अप्रैल, 1919
Ans.
(1)
प्रश्न: जलियाँवाला बाग हत्याकांड किसके आदेश पर हुआ था?
(1)
जनरल डायर
(2)
इरविन
(3)
माउंटबेटन
(4)
इनमें से कोई नहीं
Ans.
(1)
प्रश्न: अमृतसर के जलियाँवाला बाग में लोग क्यों जमा हुए थे?
(1)
बैसाखी मेला में भाग लेने
(2)
रॉलेट एक्ट का विरोध
(3)
1 और 2 दोनों
(4)
इनमें से कोई नहीं
Ans.
(3)
प्रश्न: जलियाँवाला बाग में अंधाधुंध गोलियाँ चलवाने में जनरल डायर
का क्या मकसद था?
(1)
भारतीयों में दहशत पैदा करना
(2)
सिक्खों से प्रतिशोध
(3)
शक्ति प्रदर्शन
(4)
भीड़ को तितर-बितर करना
Ans.
(1)
प्रश्न: जलियाँवाला बाग हत्याकांड के उपरांत किस समिति का गठन किया
गया?
(1)
डायर समिति
(2)
मोंटेग्यू समिति
(3)
चेम्सफोर्ड समिति
(4)
हंटर समिति
Ans.
(4)
प्रश्न: 'स्वराज हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है और हम इसे लेकर रहेंगे'
यह किसने कहा था?
(1)
डॉ राजेंद्र प्रसाद
(2)
लाला लाजपत राय
(3)
बाल गंगाधर तिलक
(4)
विपिन चंद्र पाल
Ans.
(3)
प्रश्न: प्रथम विश्वयुद्ध में किस साम्राज्य की हार हुई?
(1)
रूस
(2)
ऑटोमन
(3)
ब्रिटिश
(4)
रोमन
Ans.
(2)
प्रश्न: खिलाफत समिति का गठन बम्बई में किस वर्ष किया गया?
(1)
1918
(2)
1920
(3)
1919
(4)
1917
Ans.
(3)
प्रश्न: भारत में खिलाफत आंदोलन कब शुरू हुआ?
(1)
1921
(2)
1920
(3)
1923
(4)
1918
Ans.
(1)
प्रश्न: भारत में खिलाफत आंदोलन किस देश के शासक के समर्थन में शुरू
हुआ?
(1)
जर्मनी
(2)
अरब
(3)
तुर्की
(4)
फ्रांस
Ans.
(3)
प्रश्न: तुर्की में किस आध्यात्मिक पद की समाप्ति कर दी गई?
(1)
खलीफा
(2)
जार
(3)
सम्राट
(4)
पोप
Ans.
(1)
प्रश्न: 'खिलाफत आंदोलन' के प्रमुख नेता कौन थे?
(1)
अब्दुल गफ्फार खान
(2)
मो. शमीम इकबाल और सरफराज इकबाल
(3)
मुहम्मद अली और शौकत अली
(4)
राम प्रसाद बिस्मिल
Ans.
(3)
प्रश्न: सितंबर 1920 में कहाँ के कांग्रेस अधिवेशन में खिलाफत आंदोलन
के समर्थन का प्रस्ताव पास हुआ?
(1)
लखनऊ
(2)
कलकत्ता
(3)
बंबई
(4)
लाहौर
Ans.
(2)
प्रश्न: 'हिंद स्वराज' नामक पुस्तक की रचना किसने की थी?
(1)
पं. जवाहर लाल नेहरू
(2)
महात्मा गाँधी
(3)
डॉ. राजेंद्र प्रसाद
(4)
बाल गंगाधर तिलक
Ans.
(2)
प्रश्न: महात्मा गाँधी ने किस पत्रिका का संपादन किया?
(1)
कॉमनवील
(2)
यंग इंडिया
(3)
बंगाली
(4)
बिहारी
Ans.
(2)
प्रश्न: ब्रिटिश सरकार ने 'कैसर-ए-हिंद' की उपाधि से किसे सम्मानित
किया?
(1)
नेहरू
(2)
इंदिरा गाँधी
(3)
टैगोर
(4)
महात्मा गाँधी
Ans.
(4)
प्रश्न: 'वंदे मातरम्' गीत किस पुस्तक से लिया गया है?
(1)
आनंद मठ
(2)
गीतांजलि
(3)
गीता रहस्य
(4)
हिंद स्वराज
Ans.
(1)
प्रश्न: 1870 के दशक में भारत मातृभूमि की स्तुति के रूप में 'वंदे
मातरम्' गीत किसने लिखा था?
(1)
रवींद्र नाथ टैगोर
(2)
बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय
(3)
यदुनाथ भट्टाचार्य
(4)
शरत चंद्र चट्टोपाध्याय
Ans.
(2)
प्रश्न: 'गीतांजलि' किसकी रचना है?
(1)
रवींद्रनाथ टैगोर
(2)
बंकिम चंद्र चटर्जी
(3)
ब्रहेश्वर नाथ तिवारी
(4)
महात्मा गाँधी
Ans.
(1)
प्रश्न: 'गीत गोविंद' की रचना किसने की थी?
(1)
जयदेव
(2)
राजा राममोहन राय
(3)
शिवानी
(4)
विवेकानंद
Ans.
(1)
प्रश्न: गाँधी जी को महात्मा की उपाधि किसने दी थी?
(1)
गोपाल कृष्ण गोखले
(2)
श्रीमती एनी बेसेंट
(3)
रवींद्र नाथ टैगोर
(4)
बाल गंगाधर तिलक
Ans.
(3)
प्रश्न: 'डिस्कवरी ऑफ इंडिया' नामक पुस्तक के लेखक कौन हैं?
(1)
महात्मा गाँधी
(2)
पं. जवाहर लाल नेहरू
(3)
डॉ. राजेंद्र प्रसाद
(4)
रवींद्रनाथ टैगोर
Ans.
(2)
प्रश्न: स्वदेशी आंदोलन की प्रेरणा से 'भारत माता' की छवि को किसने
चित्रित किया?
(1)
शुभजीत आचार्य
(2)
बंकिम चंद्र चटर्जी
(3)
अवनिंद्र नाथ टैगोर
(4)
रवींद्र नाथ टैगोर
Ans.
(3)
प्रश्न: भारत में असहयोग आंदोलन का नेता कौन था?
(1)
महात्मा गाँधी
(2)
जवाहरलाल नेहरू
(3)
सुभाष चंद्र बोस
(4)
लाला लाजपत राय
Ans.
(1)
प्रश्न: असहयोग आंदोलन का प्रस्ताव कांग्रेस के किस अधिवेशन में पारित
हुआ?
(1)
सितंबर 1920, कलकत्ता
(2)
अक्टूबर 1920, अहमदाबाद
(3)
नवंबर 1920 फैजपुर
(4)
दिसंबर 1920, नागपुर
Ans.
(4)
प्रश्न: असहयोग आंदोलन के संदर्भ में गाँधीजी का क्या सुझाव था?
(1)
सरकारी नौकरी का बहिष्कार
(2)
लोग सरकार द्वारा दी गयी पदवियां लौटा दें
(3)
विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार
(4)
ये सभी
Ans.
(4)
प्रश्न: असहयोग खिलाफत आंदोलन किस वर्ष शुरू हुआ?
(1)
1901
(2)
1907
(3)
1915
(4)
1921
Ans.
(4)
प्रश्न: गाँधीजी ने असहयोग आंदोलन की शुरुआत कब की?
(1)
दिसम्बर 1920
(2)
जनवरी 1921
(3)
जनवरी 1920
(4)
अगस्त 1920
Ans.
(2)
प्रश्न: असहयोग आंदोलन कब स्थगित हो गया?
(1)
12 फरवरी, 1921
(2)
12 फरवरी, 1922
(3)
12 फरवरी, 1923
(4)
12 फरवरी, 1924
Ans.
(2)
प्रश्न: 'असहयोग आंदोलन' की समाप्ति किस घटना से हुई?
(1)
काकोरी कांड
(2)
दांडी यात्रा
(3)
चौरी-चौरा हिंसात्मक घटना
(4)
जलियाँवाला बाग की घटना
Ans.
(3)
प्रश्न: चौरी-चौरा में हिंसात्मक घटना के कारण महात्मा गाँधी ने किस
आंदोलन को वापस ले लिया?
(1)
असहयोग आंदोलन को
(2)
चम्पारण आंदोलन को
(3)
सविनय अवज्ञा आंदोलन को
(4)
भारत छोड़ो आंदोलन को
Ans.
(1)
प्रश्न: चौरी-चौरा में हिंसात्मक घटना कब हुई?
(1)
5 फरवरी, 1922
(2)
8 नवंबर, 1924
(3)
10 फरवरी, 1927
(4)
9 अप्रैल, 1930
Ans.
(1)
प्रश्न: असहयोग आंदोलन के दौरान अवध में किसानों का नेतृत्व किसने किया?
(1)
जवाहर लाल नेहरू
(2)
बाबा रामचंद्र
(3)
शौकत अली
(4)
महात्मा गाँधी
Ans.
(2)
प्रश्न: 'अवध किसान सभा' का गठन करने का उद्देश्य क्या था?
(1)
लगान को कम करना
(2)
बेगार को समाप्त करना
(3)
जमींदारों का बहिष्कार करना
(4)
इनमें से सभी
Ans.
(4)
प्रश्न: उस संन्यासी का नाम बताइए जो फिजी में एक गिरमिटिया मजदूर थे?
(1)
अल्लूरी सीताराम राजू
(2)
बाबा सीतारामण
(3)
बाबा जयदेव
(4)
बाबा रामचंद्र
Ans.
(4)
प्रश्न: किस एक्ट के तहत बागानों में काम करने वाले मजदूरों को बगैर
इजाजत बागानों से बाहर जाने की छूट नहीं थी?
(1)
रॉलेट एक्ट
(2)
वर्नाक्यूलर एक्ट
(3)
इंग्लैंड इमिग्रेशन एक्ट
(4)
साइमन कमीशन
Ans.
(3)
प्रश्न: आंध्र प्रदेश की गुडम पहाड़ियों में आदिवासी किसानों के विद्रोह
का नेतृत्व किसने किया?
(1)
बाबा रामचंद्र
(2)
अब्दुल गफ्फार खाँ
(3)
अल्लूरी सीताराम राजू
(4)
सी रामचन्द्रन
Ans.
(3)
प्रश्न: 1920 के दशक की शुरूआत में एक उग्र गुरिल्ला आंदोलन गुडम की
पहाड़ियों पर फैल गया। 'गुडम' भारत के किस राज्य में स्थित है?
(1)
कर्नाटक
(2)
तमिलनाडु
(3)
आंध्र प्रदेश
(4)
मिजोरम
Ans.
(3)
प्रश्न: असम में बागान श्रमिकों पर असहयोग आंदोलन का क्या प्रभाव पड़ा?
(1)
वे हड़ताल पर चले गए
(2)
वे बागानों को छोड़कर घर की ओर चले गए
(3)
उन्होंने बागानों को नष्ट कर दिया
(4)
उन्होंने हिंसा का उपयोग शुरू कर दिया
Ans.
(2)
प्रश्न: असहयोग आंदोलन की शुरुआत किस वर्ग की हिस्सेदारी से हुई?
(1)
शहरी मध्यवर्ग
(2)
व्यापारी वर्ग
(3)
कृषक
(4)
इनमें से सभी
Ans.
(1)
प्रश्न: किस प्रांत को छोड़ कर सभी प्रांतों ने परिषद् चुनावों का बहिष्कार
किया?
(1)
बम्बई
(2)
मद्रास
(3)
बंगाल
(4)
पंजाब
Ans.
(2)
प्रश्न: आर्थिक मोर्चे पर असहयोग के रूप में क्या किया गया?
(1)
विदेशी सामानों का बहिष्कार
(2)
विदेशी कपड़ों की होली जलाना
(3)
शराब की दुकानों की पिकेटिंग
(4)
ये सभी
Ans.
(4)
प्रश्न: असहयोग आंदोलन के समय भारतीय कपड़ा मिलों और हथकरघों का उत्पादन
बढ़ने का क्या कारण था?
(1)
विदेशी कपड़ों का बहिष्कार
(2)
खादी वस्त्र सस्ते होते थे
(3)
नए मिल स्थापित हुए
(4)
ये सभी
Ans.
(1)
प्रश्न: समय बीतने के साथ शहरों में असहयोग आंदोलन की स्थिति कैसी हो
गयी?
(1)
हिंसक हो गया
(2)
धीमा पड़ गया
(3)
अत्यंत तीव्र हो गया
(4)
इनमें से कोई नहीं
Ans.
(2)
प्रश्न: साइमन कमीशन भारत कब पहुँचा?
(1)
1925 ई.
(2)
1930 ई.
(3)
1928 ई.
(4)
1927 ई.
Ans.
(3)
प्रश्न: साइमन कमीशन भारत क्यों आया?
(1)
भारत में संवैधानिक व्यवस्था की कार्यशैली का अध्ययन करने और उसके बारे में सुझाव देने
(2)
नई शिक्षा नीति लागू करने
(3)
लगान से सम्बंधित कानून बनाने
(4)
व्यापार सम्बंधित कानून बनाने
Ans.
(1)
प्रश्न: भारत में साइमन कमीशन का विरोध क्यों हुआ?
(1)
असहयोग आंदोलन के कारण
(2)
आयोग में एक भी भारतीय सदस्य नहीं था
(3)
काला कानून के कारण
(4)
इनमें से सभी
Ans.
(2)
प्रश्न: भारत के लिए डोमिनियन स्टेट का गोलमोल-सा ऐलान किस वायसराय
ने किया?
(1)
लॉर्ड रिपन
(2)
लॉर्ड इरविन
(3)
लॉर्ड लिटन
(4)
लॉर्ड डलहौजी
Ans.
(2)
प्रश्न: लॉर्ड इरविन ने भारत के भावी संविधान पर चर्चा के लिए किस सम्मेलन
का प्रस्ताव दिया?
(1)
लंदन सम्मेलन
(2)
डोमिनियन सम्मेलन
(3)
गोलमेज सम्मेलन
(4)
पूर्ण स्वराज सम्मेलन
Ans.
(3)
प्रश्न: 5 मार्च, 1931 को गाँधी-इरविन समझौता के लिए गाँधीजी ने कहाँ
सम्मिलित होने के लिए अपनी सहमति प्रदान की थी?
(1)
गोलमेज सम्मेलन
(2)
पृथ्वी सम्मेलन
(3)
लाहौर अधिवेशन
(4)
सविनय अवज्ञा आंदोलन
Ans.
(1)
प्रश्न: दिसंबर 1929 में कांग्रेस के 'लाहौर अधिवेशन' के अध्यक्ष कौन
थे?
(1)
सुभाष चन्द्र बोस
(2)
जवाहरलाल नेहरू
(3)
मोतीलाल नेहरू
(4)
व्योमेशचन्द्र बनर्जी
Ans.
(2)
प्रश्न: 'पूर्ण स्वराज' की माँग कांग्रेस के किस अधिवेशन में स्वीकार
की गयी?
(1)
लाहौर अधिवेशन
(2)
नागपुर अधिवेशन
(3)
लखनऊ अधिवेशन
(4)
कोलकाता अधिवेशन
Ans. (1)
प्रश्न: 1929
के लाहौर अधिवेशन में 'पूर्ण स्वराज' के अंतर्गत कब स्वतंत्रता दिवस मनाने का निर्णय
हुआ?
(1)
26 जनवरी 1930
(2)
15 अगस्त 1930
(3)
26 जनवरी 1947
(4)
26 जनवरी 1934
Ans.
(1)
निम्न में से कौन भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान गठित 'स्वराज
पार्टी' से जुड़े थे?
(1)
जवाहरलाल नेहरू और सीआर दास
(2)
मोतीलाल नेहरू और सीआर दास
(3)
मोतीलाल नेहरू और सुभाष चंद्र बोस
(4)
महात्मा गाँधी और जवाहरलाल नेहरू
Ans.
(2)
प्रश्न: दांडी यात्रा के समय ब्रिटिश सरकार से गाँधीजी की प्रमुख माँग
क्या थी?
(1)
नमक पर कर को खत्म करना
(2)
रॉलेट एक्ट को समाप्त करना
(3)
किसानों का लगान माफ करना
(4)
जबरन भर्ती का विरोध
Ans.
(1)
प्रश्न: महात्मा गाँधी ने नमक कानून कब भंग किया?
(1)
31 अक्टूबर, 1929
(2)
2 मार्च, 1930
(3)
12 मार्च, 1930
(4)
6 अप्रैल, 1930
Ans.
(4)
सविनय अवज्ञा आंदोलन कब और किस यात्रा से शुरू हुआ?
(1)
1920 - भुज
(2)
1930 - अहमदाबाद
(3)
1930 - दांडी
(4)
इनमें से कोई नहीं
Ans.
(3)
साबरमती आश्रम से दांडी तक महात्मा गाँधी ने कितने किलोमीटर की यात्रा
की?
(1)
140 कि.मी.
(2)
240 कि.मी.
(3)
40 कि.मी.
(4)
14 कि.मी.
Ans.
(2)
दांडी यात्रा के समय गाँधीजी के कितने विश्वस्त साथी पूरी यात्रा में
साथ रहे?
(1)
240
(2)
87
(3)
78
(4)
140
Ans.
(3)
प्रश्न: सविनय अवज्ञा आंदोलन किस मुख्य माँग के साथ शुरू हुआ?
(1)
साइमन कमीशन की वापसी
(2)
अस्पृश्यता का उन्मूलन
(3)
नमक कानून की समाप्ति
(4)
जबरन भर्ती का विरोध
Ans.
(3)
प्रश्न: गाँधीजी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन का आरंभ किस कार्य से किया?
(1)
दांडी यात्रा द्वारा
(2)
कैसर-ए-हिंद का पदक वापस कर
(3)
आमरण अनशन से
(4)
पूर्ण स्वाधीनता दिवस मनाकर
Ans.
(1)
प्रश्न: सविनय अवज्ञा आंदोलन में भारतीयों से क्या करने का आह्वान किया
गया?
(1)
अंग्रेजों का सहयोग नहीं करना
(2)
औपनिवेशिक कानूनों का उल्लंघन करना
(3)
1 और 2 दोनों
(4)
इनमें से कोई नहीं
Ans.
(3)
प्रश्न: महात्मा गाँधी द्वारा वायसराय इरविन को लिखे खत में सबसे महत्वपूर्ण
माँग किस वस्तु पर लगाये गये कर को खत्म करने के बारे में था?
(1)
नमक
(2)
जल
(3)
वस्त्र
(4)
सम्पत्ति
Ans.
(1)
प्रश्न: गाँधी-इरविन समझौता कब हुआ?
(1)
1 मार्च, 1931
(2)
5 मार्च, 1931
(3)
10 मार्च, 1931
(4)
15 मार्च, 1931
Ans.
(2)
प्रश्न: निम्नलिखित में से किसे 'सीमांत गाँधी' के नाम से जाना जाता
है?
(1)
सर सैयद अहमद खाँ
(2)
अब्दुल गफ्फार खान
(3)
अबुल कलाम आजाद
(4)
आगा खाँ
Ans.
(2)
प्रश्न: 'सीमांत गाँधी' या 'बादशाह खान' किसे कहा जाता था?
(1)
महात्मा गाँधी
(2)
श्रीमती इंदिरा गाँधी
(3)
अब्दुल गफ्फार खान
(4)
पं. जवाहर लाल नेहरू
Ans.
(3)
प्रश्न: 'खुदाई-खिदमतगार' की स्थापना किसने की?
(1)
मुबारक अहमद खाँ
(2)
मौलाना अबुल कलाम आजाद
(3)
अब्दुल गफ्फार खान
(4)
मौलाना मुहम्मद अली और शौकत अली
Ans.
(3)
प्रश्न: महात्मा गाँधी के समर्पित साथी अब्दुल गफ्फार खान को कब गिरफ्तार
किया गया?
(1)
अप्रैल 1930
(2)
अप्रैल 1931
(3)
जुलाई 1930
(4)
मार्च 1931
Ans.
(1)
प्रश्न: 1930 में दलितों को दमित वर्ग एसोसिएशन में किसने संगठित किया?
(1)
अल्लूरी सीताराम राजू
(2)
सरदार पटेल
(3)
डॉ. बी. आर. अंबेडकर
(4)
ज्योतिबा फूले
Ans.
(3)
प्रश्न: दलित वर्ग एसोसिएशन की स्थापना किसने की?
(1)
डॉ० राजेन्द्र प्रसाद ने
(2)
गाँधीजी ने
(3)
डॉ अंबेडकर ने
(4)
नेहरूजी ने
Ans.
(3)
प्रश्न: प्रथम गोलमेज सम्मेलन का आयोजन कब और कहाँ हुआ था?
(1)
1928 दिल्ली
(2)
1930 मद्रास
(3)
1920 नागपुर
(4)
1930 लंदन
Ans.
(4)
प्रश्न: गाँधीजी और डॉ. अंबेडकर ने किस गोलमेज सम्मेलन में भाग लिया?
(1)
प्रथम
(2)
द्वितीय
(3)
तृतीय
(4)
चतुर्थ
Ans.
(2)
प्रश्न: लंदन में द्वितीय गोलमेज सम्मेलन का आयोजन कब हुआ था?
(1)
7 सितंबर, 1931 ई.
(2)
20 जून, 1931 ई.
(3)
16 अगस्त, 1931 ई.
(4)
10 नवंबर, 1931 ई.
Ans.
(1)
प्रश्न: दलितों के लिए अलग निर्वाचन क्षेत्र की माँग किसने की थी?
(1)
डॉ राजेंद्र प्रसाद
(2)
डॉ भीमराव अंबेडकर
(3)
महात्मा गाँधी
(4)
जवाहरलाल नेहरू
Ans.
(2)
प्रश्न: 1932 ई. में पूना समझौता (पैक्ट) किनके बीच हुआ था?
(1)
गाँधीजी और इरविन में
(2)
गाँधीजी और अंबेडकर में
(3)
गाँधीजी और जिन्ना में
(4)
गाँधीजी और मैकडोनाल्ड में
Ans.
(2)
प्रश्न: किस समझौते से दमित वर्गों को प्रांतीय एवं केंद्रीय विधायी
परिषदों में आरक्षित सीटें मिलीं?
(1)
पूना समझौता
(2)
गाँधी-इरविन समझौता
(3)
कांग्रेस-लीग समझौता
(4)
लखनऊ समझौता
Ans.
(1)
प्रश्न: ऑल इंडिया मुस्लिम लीग की स्थापना किस वर्ष हुई थी?
(1)
1906
(2)
1907
(3)
1908
(4)
1910
Ans.
(1)
प्रश्न: 8 अगस्त 1942 को किस स्थान से कांग्रेस द्वारा 'भारत छोड़ो'
का आह्वान किया गया?
(1)
पूना
(2)
वर्धा
(3)
बंबई
(4)
दिल्ली
Ans.
(3)
प्रश्न: 'भारत छोड़ो आंदोलन' की शुरुआत कब हुई?
(1)
1925 ई.
(2)
1940 ई.
(3)
1942 ई.
(4)
1945 ई.
Ans.
(3)
प्रश्न: 'भारत छोड़ो आंदोलन' में किस बात पर जोर था?
(1)
राजनीतिक कैदियों की रिहाई
(2)
अंग्रेजों को पूरी तरह भारत छोड़ना होगा
(3)
द्वितीय विश्व युद्ध का मुआवजा
(4)
क्रिप्स मिशन का विरोध
Ans.
(2)
प्रश्न: 'करो या मरो' का नारा किसने दिया?
(1)
महात्मा गाँधी
(2)
सुभाषचंद्र बोस
(3)
वल्लभ भाई पटेल
(4)
जवाहरलाल नेहरू
Ans.
(1)
प्रश्न: इनमें से किस महिला ने 'भारत छोड़ो' आंदोलन में सक्रियता से
हिस्सा लिया?
(1)
अरुणा आसफ अली
(2)
कनकलती बरुआ
(3)
रमा देवी
(4)
इनमें से सभी
Ans.
(4)
प्रश्न: यह किसका कथन है - "तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी
दूँगा।"
(1)
डॉ. राजेंद्र प्रसाद
(2)
महात्मा गाँधी
(3)
सुभाष चन्द्र बोस
(4)
बाल गंगाधर तिलक
Ans.
(3)
प्रश्न: गाँधीजी को पहली बार 'राष्ट्रपिता' कहकर किसने संबोधित किया?
(1)
सुभाष चन्द्र बोस
(2)
रवींद्रनाथ टैगोर
(3)
पं. जवाहर लाल नेहरू
(4)
बी. आर. अम्बेडकर
Ans.
(1)
प्रश्न: 'हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी' की स्थापना किसने की?
(1)
सुभाष चन्द्र बोस
(2)
लाला लाजपत राय
(3)
बाल गंगाधर तिलक
(4)
भगत सिंह
Ans.
(4)
भूमंडलीकृत विश्व का बनना
विषयनिष्ठ (Subjective) प्रश्नोत्तर
19वीं तथा 20वीं सदी में विश्व-बाजार का विस्तार एवं एकीकरण
प्रश्न : सोलहवीं सदी में दुनिया 'सिकुड़ने' लगी थी, इसका क्या मतलब
है, व्याख्या कीजिए।
उत्तर
: निम्नलिखित कारणों
से कहा जा सकता है कि सोलहवीं सदी में दुनिया 'सिकुड़ने' लगी थी-
(1)
सोलहवीं सदी में जब यूरोप के साहसी समुद्री जहाजों ने एशिया तथा अमेरिका तक का समुद्री
मार्ग खोज लिया तो विश्व बहुत छोटा दिखाई देने लगा।
(2)
सोलहवीं सदी से पहले तक विभिन्न महाद्वीपों के लोगों के बीच अंतर्संबंध, व्यापार और
व्यवसाय का अभाव था। लेकिन सोलहवीं सदी में सुलभ आवागमन के कारण संसार के महाद्वीपों
के बीच व्यापार, व्यवसाय, सांस्कृतिक विचारों का आदान-प्रदान और लोगों की आवाजाही बढ़ी।
(3)
आर्थिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के कारण सोलहवीं सदी में विश्व के देश एक-दूसरे के
निकट आने लगे थे। अब अमेरिका, एशिया, यूरोप और अफ्रीका में पारस्परिक संबंध स्थापित
होने लगा था।
(4)
अब संसार का कोई भी क्षेत्र उपनिवेशवादियों के आक्रमण तथा वैश्विक बीमारियों से अछूता
नहीं रह गया था।
इस
प्रकार हम कह सकते हैं कि सोलहवीं सदी में दुनिया सिकुड़ने लगी थी और विश्व के देश
एक-दूसरे के निकट आने लगे थे।
प्रश्न : सत्रहवीं सदी से पहले होने वाले आदान-प्रदान के दो उदाहरण
दीजिए। एक उदाहरण एशिया से और एक उदाहरण अमेरिकी महाद्वीपों के बारे में चुनें।
उत्तर
: (1) एशिया महाद्वीप
: रेशम मार्ग से चीनी रेशम तथा पोटरी एवं भारत तथा दक्षिण-पूर्व एशिया के कपड़े
व मसाले विश्व के विभिन्न देशों में जाते थे। वापसी में सोना-चाँदी जैसी बहुमूल्य धातुएँ,
यूरोप से एशिया में पहुँचती थी।
(2)
अमेरिका महाद्वीप : आज से लगभग 500 वर्ष पूर्व हमारे देश में आलू, सोया, मूँगफली,
मक्का, टमाटर, मिर्च, शकरकन्द आदि खाद्य-पदार्थ नहीं थे। परन्तु कोलंबस द्वारा अमेरिका
की खोज के बाद ये खाद्य पदार्थ अमेरिका से यूरोप एवं एशिया के देशों में पहुँच गए।
प्रश्न : वैश्वीकरण से आप क्या समझते हैं?
उत्तर
: (1) वैश्वीकरण
एक विश्वव्यापी प्रक्रिया है जिसके अन्तर्गत विश्व के विभिन्न देशों की अर्थव्यवस्थाओं
को आपस में जोड़ते हुए एक 'विश्व अर्थव्यवस्था' का निर्माण होता है।
(2)
इस प्रकार की अर्थव्यवस्था में पूँजी-निवेश, श्रम, तकनीक आदि का प्रवाह अंतर्राष्ट्रीय
स्तर पर होता है।
(3)
वैश्वीकरण ने कुछ गंभीर समस्याओं को भी जन्म दिया। वैश्वीकरण ने विकसित देशों के हितों
को अधिक महत्त्व दिया है जबकि अल्पविकसित तथा विकासशील देशों के लिए लाभकारी साबित
नहीं हुआ है।
प्रश्न : बताएँ कि पूर्व-आधुनिक विश्व में बीमारियों के वैश्विक प्रसार
ने अमेरिकी भूभागों के उपनिवेशीकरण में किस प्रकार मदद दी?
उत्तर
: (1) 16वीं सदी में
अमेरिकी भू-भागों के उपनिवेशीकरण में चेचक के कीटाणुओं ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी
थी। जब यूरोपीय अमेरिका पहुँचे तो उनके साथ चेचक जैसी बीमारी भी नहीं पहुँची। लाखों
सालों से दुनिया से अलग-थलग रहने के कारण अमेरिका के लोगों के शरीर में चेचक से बचने
की रोग-प्रतिरोधी क्षमता नहीं थी। इस कारण अमेरिका में यह बीमारी अत्यधिक घातक एवं
जानलेवा सिद्ध हुई।
(2)
एक बार संक्रमण होने के बाद यह बीमारी सम्पूर्ण अमेरिकी महाद्वीप में फैल गयी तथा इसने
पूरे-के-पूरे समुदाय को खत्म कर डाला। यूरोपीय शक्तियों ने यहाँ अपने उपनिवेश बनाने
शुरू किए।
(3)
इस प्रकार, यूरोपीय शक्तियों को अमेरिका के लोगों को जीतने के लिए ज्यादा शक्ति का
इस्तेमाल नहीं करना पड़ा। अमेरिका में यूरोपीयों की जीत का रास्ता आसान होता चला गया।
प्रश्न : अफ्रीका का स्थानीय निवासियों को काम पर लगाये रखने के लिए
यूरोपीय द्वारा कौन-कौन से तीन उपाय किए गए?
उत्तर
: अफ्रीका में स्थानीय
निवासियों को काम पर लगाये रखने के लिए यूरोपियों द्वारा निम्नलिखित उपाय किये गए
-
(1)
लोगों पर भारी कर लगाये गये, जिनका भुगतान तभी संभव था, जब वे बागानों अथवा खदानों
में नियमित रूप से वेतन पर कार्य कर रहे हों।
(2)
उत्तराधिकार कानून में परिवर्तन किया गया जिसके अनुसार परिवार के केवल एक ही सदस्य
को पैतृक संपत्ति मिलना निश्चित हुआ। इससे परिवार के शेष सदस्यों को श्रम-बाजार में
लाने में सहायता मिली।
(3)
खान कर्मियों को बाड़ों में बंद कर दिया गया तथा उनके स्वतंत्रपूर्वक घूमने-फिरने पर
पाबंदी लगा दी गयी।
प्रश्न : पशुओं में प्लेग की तरह फैलने वाली बीमारी को क्या कहते हैं?
उत्तर
: रिंडरपेस्ट
प्रश्न : रिंडरपेस्ट से आपका क्या तात्पर्य है?
उत्तर
: पशुओं में प्लेग की
बीमारी को रिंडरपेस्ट कहा जाता था। 1890 के दशक में यह बीमारी अफ्रीका में फैली, जिसके
परिणामस्वरूप भारी संख्या में पशु मर गए।
प्रश्न : रिंडरपेस्ट की बीमारी अफ्रीका में कब फैली? इसके क्या प्रभाव
हुए?
अथवा, अफ्रीका में रिंडरपेस्ट के आने के तीन प्रभावों की व्याख्या करें।
उत्तर
: अफ्रीका में रिंडरपेस्ट
की बीमारी 1880 के दशक के अंतिम वर्षों में एशियाई मवेशियों से अफ्रीकी मवेशियों में
फैल गई। यूरोपीय उपनिवेशक एशिया से मवेशियों को अफ्रीका ले गए थे। रिंडरपेस्ट या 'मवेशी
प्लेग' की बीमारी इन्हीं मवेशियों से अफ्रीकी मवेशियों में फैल गयी।
अफ्रीका
में रिंडरपेस्ट के आने के प्रभाव :
(1)
इस बीमारी के कारण 90 प्रतिशत पशु नष्ट हो गए।
(2)
इसके परिणामस्वरूप अफ्रीका की रोजी-रोटी के साधन ही समाप्त हो गए।
(3)
स्थानीय निवासियों को बागानों एवं खानों के लिए आवश्यक श्रम-बाजार में ढकेलने के उद्देश्य
से यूरोपियों ने बचे-खुचे पशुओं को भी अपने कब्जे में ले लिया।
(4)
इससे यूरोपियों को पूरे अफ्रीका को उपनिवेश बनाने एवं लोगों को गुलाम बनाने का अवसर
प्राप्त हुआ।
प्रश्न : 'कॉर्न लॉ' क्या था? इसे समाप्त क्यों कर दिया गया? इसके क्या
परिणाम हुए?
► अथवा, कॉर्न लॉ के समाप्त होने के बारे में ब्रिटिश सरकार के
फैसलों के प्रभावों की व्याख्या करते हुए संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
उत्तर
: कॉर्न लॉ : 18वीं
सदी में ब्रिटेन की आबादी तेजी से बढ़ने के कारण खाद्य पदार्थों तथा कृषि उत्पादों
की माँग बढ़ गयी। ऐसी स्थिति में स्थानीय बड़े भूस्वामियों ने लाभ के उद्देश्य से सरकार
पर दबाव डाला कि मक्के के आयात पर पाबंदी लगा दी जाए। उनके दबाव में आकर सरकार ने मक्के
के आयात पर कानून द्वारा प्रतिबंध लगा दिया। इस कानून को 'कॉर्न लॉ' के नाम
से जाना जाता है।
कॉर्न
लॉ की समाप्ति : इस
कानून के लागू हो जाने से देश में खाद्यान्नों की कमी हो गयी तथा उनकी कीमतों में भारी
वृद्धि हुई। खाद्य पदार्थों की ऊँची कीमतों से परेशान उद्योगपतियों एवं स्थानीय निवासियों
के विरोध के चलते सरकार को कॉर्न लॉ समाप्त करना पड़ा।
कॉर्न
लॉ की समाप्ति के प्रभाव :
कॉर्न लॉ के समाप्त हो जाने के बाद बहुत कम कीमत पर खाद्य पदार्थों का आयात किया जाने
लगा। आयातित खाद्य पदार्थों की कीमत ब्रिटेन में पैदा होने वाले खाद्य पदार्थों से
भी कम थी। इससे साधारण और गरीब जनता को राहत मिली।
इसके
कारण ब्रिटिश किसानों और भूस्वामियों की स्थिति खराब हो गयी क्योंकि वे आयातित माल
की कीमत का मुकाबला नहीं कर सके। हजारों लोग बेरोजगार हो गए तथा काम की तलाश में शहरों
में या दूसरे देशों की ओर पलायन करने लगे।
प्रश्न : खाद्य उपलब्धता पर तकनीक के प्रभाव को दर्शाने के लिए इतिहास
से दो उदाहरण दें।
उत्तर
: मध्य उन्नीसवीं सदी
में तकनीकी विकास का खाद्य उपलब्धता पर व्यापक प्रभाव पड़ा।
(1)
तकनीकी विकास के कारण खेतों को साफ करना आसान हुआ तथा बड़े पैमाने पर खेती करना संभव
हुआ। उत्पादों को बाजारों तक तुरंत पहुँचाने के लिए बंदरगाहों को रेलों से जोड़ा गया।
बड़े आकार के जलपोतों का निर्माण किया गया जिससे किसी भी उत्पाद को खेतों से दूर-दूर
के बाजारों में कम लागत पर तथा अधिक आसानी से पहुँचाया जा सके।
(2)
तकनीक के पूर्व अमेरिका से यूरोप को मांस का निर्यात नहीं किया जाता था बल्कि जिंदा
जानवरों का निर्यात किया जाता था। इसके कारण यूरोप में मांस खाना एक महँगा सौदा था।
मांस गरीबों की पहुँच से बाहर था। नयी तकनीकी के आधार पर जहाजों में रेफ्रिजरेशन की
व्यवस्था हुई जिसके फलस्वरूप जीवित जानवरों को भेजने के स्थान पर अब उनका मांस ही यूरोपीय
देशों में भेजा जाने लगा। इससे समुद्री यात्रा में आने वाला खर्च कम हो गया तथा यूरोप
में मांस सस्ता मिलने लगा।
दो विश्वयुद्धों के बीच व्यापार और अर्थव्यवस्था
प्रश्न : प्रथम विश्वयुद्ध के बाद विश्व को किस संकट का सामना करना
पड़ा था?
उत्तर
: प्रथम विश्वयुद्ध
के बाद विश्व को महान आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा। पूरी दुनिया में आर्थिक और राजनीतिक
अस्थिरता की स्थिति बन गयी।
प्रश्न : विश्वव्यापी आर्थिक मंदी कब हुई?
उत्तर
: विश्वव्यापी आर्थिक
मंदी की शुरुआत 1929 ई. में हुई तथा यह मंदी तीस के दशक तक बनी रही।
प्रश्न : महामंदी के कारणों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर
: महामंदी की शुरुआत
1929 ई. में हुई और यह संकट तीस के दशक के मध्य तक बना रहा।
यह
दो महायुद्धों के बीच का समय था।
(1)
कृषि-क्षेत्र में अति उत्पादन महामंदी का एक बड़ा कारण बना। कृषि उत्पादों के अत्यधिक
उत्पादन के कारण कृषि उत्पादों के मूल्य तेजी से गिरने लगे। कृषि उत्पादों के गिरते
मूल्यों के कारण किसानों की आय कम हो गई। अतः अपनी आय बढ़ाने के लिए वे किसान उत्पादन
और बढ़ाने का प्रयास करने लगे। परिणामस्वरूप मूल्य और गिर गये। खरीददारों के अभाव में
कृषि उपज पड़ी-पड़ी सड़ने लगी।
(2)
1920 के दशक के मध्य में बहुत सारे देशों ने अमेरिका से कर्ज लेकर अपनी निवेश संबंधी
जरूरतों को पूरा किया था। जब हालात अच्छे थे तो अमेरिका से कर्ज जुटाना आसान था। लेकिन,
संकट का संकेत मिलते ही अमेरिकी उद्यमियों के होश उड़ गए। वे अपनी पूँजी वापस निकालने
लगे।
(3)
अमेरिका के शेयर बाजार में शेयरों की कीमत गिरने लगी। लाखों निवेशक दिवालिये हो गए।
अंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था जो बड़े पैमाने पर अमेरिका की पूँजी पर निर्भर थी वह भी
अस्त-व्यस्त हो गयी।
(4)
जो देश अमेरिकी कर्ज पर सबसे ज्यादा निर्भर थे उनके सामने गहरा संकट आ खड़ा हुआ। यूरोप
के कई बैंक धराशायी हो गए। अनेक देशों की मुद्रा की कीमत बुरी तरह गिर गयी।
इस
प्रकार अति उत्पादन के कारण घटती कीमत और विश्व बाजार से अमेरिकी निवेश के हट जाने
से सारे संसार में आर्थिक महामंदी का दौर शुरू हो गया।
प्रश्न : विश्वव्यापी आर्थिक मंदी का भारत पर क्या प्रभाव पड़ा?
► अथवा, भारतीय अर्थव्यवस्था पर महामंदी के प्रभावों की व्याख्या
करें -
उत्तर
: विश्वव्यापी आर्थिक
मंदी के भारत पर निम्नलिखित प्रभाव पड़े -
(1)
1928 से 1934 ई. के बीच भारत का आयात-निर्यात घटकर आधा हो गया।
(2)
कृषि उत्पादों की कीमतों में कमी के कारण किसानों और काश्तकारों को काफी नुकसान उठाना
पड़ा। फिर भी, सरकार ने लगान में छूट अथवा माफी की घोषणा नहीं की।
(3)
1929 ई. की महामंदी के कारण विश्व भर में औद्योगिक उत्पादन में भारी कमी हो गयी। इसके
कारण जूट की बोरियों की माँग बहुत घट गयी तथा पटसन की कीमतों में 60 प्रतिशत की कमी
हो गयी। इससे पटसन उगाने वाले किसानों की स्थिति अत्यन्त खराब हो गयी तथा वे कर्ज में
डूब गए।
(4)
मंदी के दौरान भारत सोने का निर्यात करने लगा था जो ब्रिटेन की आर्थिक दशा में सुधार
का कारण सिद्ध हुआ।
(5)
इस महामंदी से किसानों और काश्तकारों का बहुत अधिक नुकसान हुआ। परन्तु कीमतों में भारी
कमी के बावजूद शहरी वेतनभोगी कर्मचारियों की स्थिति ठीक रही क्योंकि उनकी आय निश्चित
थी।
प्रश्न : 1929 ई. की महामंदी का बंगाल के पटसन पैदा करने वाले लोगों
पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर
: पटसन से टाट की बोरियाँ
बनायी जाती थीं। 1929 ई. की महामंदी के कारण औद्योगिक उत्पादन में भारी कमी हो गयी।
इसके कारण बोरियों की माँग बहुत घट गयी तथा पटसन की कीमतों में 60 प्रतिशत की कमी हो
गयी। इससे पटसन उगाने वाले किसानों की स्थिति अत्यंत खराब हो गयी तथा वे कर्ज में डूब
गए।
प्रश्न : कृषि अर्थव्यवस्था पर प्रथम विश्वयुद्ध के प्रभाव का वर्णन
करें।
उत्तर
: विश्व की कृषि अर्थव्यवस्था
पर प्रथम विश्वयुद्ध (1914-1918) के कई महत्वपूर्ण प्रभाव पड़े। इसने कृषि अर्थव्यवस्था
को लाभ और हानि दोनों के रूप में प्रभावित किया :
- प्रथम
विश्वयुद्ध के दौरान खाद्य पदार्थों की मांग में वृद्धि हुई। इस दौरान, कई देशों
ने अपने कृषि उत्पादन को बढ़ाने के लिए नीतियाँ बनाई।
- भारत
में, युद्ध के कारण खाद्य पदार्थों की मांग में वृद्धि हुई, जिससे किसानों को
अधिक लाभ हुआ। हालाँकि, युद्ध के बाद, कृषि उत्पादों की कीमतों में गिरावट आई,
जिससे किसानों को नुकसान हुआ।
- कई
लोग युद्ध में शामिल हो गए। इसके कारण कृषि श्रमिकों की कमी हुई जिससे कृषि-उत्पादन
प्रभावित हुआ।
प्रश्न : विश्वयुद्ध के कारण यूरोप में कामकाज की उम्र के पुरुषों की
मौत का क्या प्रभाव हुआ?
उत्तर
: प्रथम विश्वयुद्ध
में 90 लाख से अधिक लोग मारे गए तथा 2 करोड़ लोग घायल हुए थे। मृतकों तथा घायलों में
से अधिकतर कामकाज आयु के पुरुष थे। इसके परिणामस्वरूप यूरोप में कामकाज के योग्य लोगों
की संख्या बहुत कम हो गई जिससे परिवारों की आय भी कम हो गई।
ऐसी
स्थिति में अनेक प्रकार के कार्यों में महिलाएँ काम करने लगीं।
युद्धोत्तर परिवर्तन
प्रश्न : ब्रेटन वुड्स कहाँ है? यह क्यों प्रसिद्ध हुआ?
उत्तर
: ब्रेटन वुड्स अमेरिका
के न्यू हैम्पशायर में स्थित है।
1944
में इस स्थान पर हुए संयुक्त राष्ट्र मौद्रिक एवं वित्तीय सम्मेलन में, विश्व में आर्थिक
स्थिरता एवं पूर्ण रोजगार को बनाये रखने संबंधी विषय पर सहमति बनी थी।
प्रश्न : ब्रेटन वुड्स समझौते का क्या अर्थ है?
► अथवा, युद्धोत्तर अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था को 'ब्रेटन
वुड्स व्यवस्था' भी कहा जाता है। क्यों?
उत्तर
: ब्रेटन वुड्स समझौता
: द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात् विश्व की विखंडित अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के
उद्देश्य पर 1944 ई. में अमेरिका में स्थित 'न्यू हैम्पशायर' के 'ब्रेटन वुड्स' नामक
स्थान पर संयुक्त राष्ट्र मौद्रिक एवं वित्तीय सम्मेलन में सहमति बनी थी। इसे ही 'ब्रेटन
वुड्स समझौता' कहा जाता है। इस समझौते का उद्देश्य औद्योगिक विश्व में आर्थिक स्थिरता
तथा पूर्ण रोजगार को बनाये रखना था।
युद्ध
के पूर्व तथा युद्ध के दौरान सदस्य देशों के विदेशी व्यापार में घाटे से निपटने के
लिए 'अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF)' की स्थापना की गयी। इसी प्रकार, युद्धोत्तर
पुनर्निर्माण के लिए मुद्रा का इंतजाम करने के लिए 'अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण
एवं विकास बैंक' का गठन किया गया। इसे सामान्य रूप से 'विश्व बैंक' के नाम
से जाना जाता है।
इस
प्रकार, ब्रेटन वुड्स समझौते के अंतर्गत अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष तथा विश्व
बैंक के माध्यम से युद्धोत्तर आर्थिक व्यवस्था को सुधारने का प्रयास किया गया।
इसी कारण युद्धोत्तर अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था को ब्रेटन वुड्स व्यवस्था
के नाम से भी जाना जाता है।
प्रश्न : समूह -77 (G-77) देशों से आप क्या समझते हैं?
उत्तर
: अल्प-विकसित या विकासशील
देशों के संगठन को जी-77 कहते हैं।
अंतर्राष्ट्रीय
मुद्रा कोष (IMF) तथा विश्व बैंक का लाभ विकसित और औद्योगिक देशों को ही हुआ। ऐसी परिस्थिति
में विकासशील तथा अल्पविकसित देशों ने एक नयी अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक प्रणाली की माँग
उठायी और अपने हितों को ध्यान में रख कर स्वयं को 'G-77' समूह में संगठित किया।
प्रश्न : जी-77 की स्थापना क्यों की गयी?
उत्तर
: युद्धोत्तर काल में
विश्व अर्थव्यवस्था के पुनर्निर्माण तथा विकास के लिए 1944 ई. में अमेरिका में ब्रेटन
वुड्स समझौता हुआ। लेकिन, इसके द्वारा बनाये गये अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष एवं विश्व
बैंक के प्रावधानों से विकासशील एवं अल्पविकसित देशों को अपेक्षित लाभ नहीं हो सका।
विकासशील
तथा अल्पविकसित देशों ने एक नयी अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक प्रणाली की माँग उठायी। अपेक्षित
समाधान न होने पर उपर्युक्त परिस्थिति की प्रतिक्रिया में इन देशों ने स्वयं को 'G-77'
समूह में संगठित किया।
प्रश्न : जी-77 देशों से आप क्या समझते हैं? जी-77 को किस आधार पर ब्रेटन
वुड्स की जुड़वा संतानों की प्रतिक्रिया कहा जा सकता है? व्याख्या करें।
उत्तर
: अल्प-विकसित या विकासशील
देशों के संगठन को जी-77 कहते हैं।
युद्धोत्तर
काल में विश्व अर्थव्यवस्था के पुनर्निर्माण तथा विकास के लिए 1944 ई. में अमेरिका
में ब्रेटन वुड्स समझौता हुआ। इस समझौते के परिणामस्वरूप 'अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा
कोष (IMF)' तथा 'विश्व बैंक' की स्थापना हुई। इसी कारण इन दोनों संस्थानों
को 'ब्रेटन वुड्स संस्थान' या 'ब्रेटन वुड्स की जुड़वा संतान' के नाम
से भी जाना जाता है।
लेकिन,
इन दोनों संस्थानों का लाभ विकसित और औद्योगिक देशों को ही हुआ। विकासशील एवं अल्पविकसित
देश इसके दायरे से बाहर थे। अतः इन देशों को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष एवं विश्व बैंक
से अपेक्षित लाभ नहीं हो सका।
उपर्युक्त
परिस्थिति में विकासशील तथा अल्पविकसित देशों ने एक नयी अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक प्रणाली
की माँग उठायी। इसी समय इन देशों ने स्वयं को 'G-77' समूह में संगठित किया। इस प्रकार,
जी-77 की स्थापना निश्चित रूप से 'ब्रेटन वुड्स की जुड़वा संतानों' की
सीमित कार्यक्षेत्र के प्रति विकासशील एवं अल्प-विकसित देशों के प्रत्यक्ष रूप हुई।
प्रश्न : संक्षेप में बताएँ कि दो महायुद्धों के बीच जो आर्थिक परिस्थितियाँ
पैदा हुई, उनसे अर्थशास्त्रियों और राजनेताओं ने क्या तीन सबक सीखा?
उत्तर
: दो महायुद्धों के
बीच के आर्थिक अनुभव बहुत खराब थे। अधिकतर देश बर्बाद हो गए थे। अर्थशास्त्रियों और
राजनेताओं ने ऐसी स्थिति में निम्नलिखित सबक सीखा -
(1)
किसी देश के लिए औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि के साथ साथ रोजगार एवं उपभोग का स्तर ऊँचा
रखना आर्थिक स्थिरता के लिए आवश्यक है।
(2)
स्थिर आय के लिए पूर्ण रोजगार भी आवश्यक था। उत्पादन, मूल्य और रोजगार में आने वाले
उतार-चढ़ावों को नियंत्रित करने के लिए सरकार का हस्तक्षेप आवश्यक था। सरकार के हस्तक्षेप
के द्वारा ही आर्थिक स्थिरता कायम रह सकती थी।
(3)
उनमें सम्पूर्ण विश्व के बीच परस्पर आर्थिक निर्भरता की समझ भी उत्पन्न हुई।
प्रश्न : बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा अपने उत्पादन को एशियाई देशों
में स्थानान्तरित करने का फैसला लेने के क्या प्रभाव हुए?
उत्तर
: 1970 ई. के दशक के
मध्य से विश्व में बेरोजगारी बढ़ने लगी। अतः सत्तर के दशक के अंतिम वर्षों से बहुराष्ट्रीय
कंपनियाँ भी एशिया के ऐसे देशों में उत्पादन केंद्रित करने लगी जहाँ वेतन कम थे। एशियाई
देशों में श्रम बहुत ही सस्ता था। चीन में वेतन तुलनात्मक रूप से कम थी। अतः विश्व
बाजारों पर अपना प्रभुत्व स्थापित करने के परिणामस्वरूप कई विदेशी बहुराष्ट्रीय कंपनियों
ने वहाँ जमकर निवेश करना शुरू कर दिया। इसके परिणामस्वरूप इन बहुराष्ट्रीय कंपनियों
को भारी मुनाफा होने लगा और वे विश्व-बाजार पर अपना प्रभाव स्थापित करने लगीं।
प्रश्न : अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक विनिमयों में तीन तरह की गतियों या
प्रवाहों की व्याख्या करें। तीनों प्रकार की गतियों के भारत और भारतीयों से संबंधित
एक-एक उदाहरण दें।
उत्तर
: अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक
विनिमयों में तीन तरह के प्रवाह निम्नलिखित हैं -
(1)
व्यापार का प्रवाह : उन्नीसवीं सदी में यह खाद्य पदार्थों, कपड़ों, आभूषणों
आदि तक सीमित रहा। उदाहरण : भारत से कपास का यूरोप जाना तथा तैयार माल का भारत
में व्यापार।
(2)
श्रम प्रवाह : काम की तलाश में लोगों का एक स्थान से दूसरे स्थानों तक जाना।
उदाहरण : बागानों, खदानों और सड़क-रेल निर्माण के लिए भारत से अनुबंधित (गिरमिटिया)
मजदूरों का दूसरे देशों में जाना।
(3)
पूँजी का प्रवाह : इसमें अल्प अथवा दीर्घ अवधि के लिए दूरस्थ प्रदेशों में पूँजी
का निवेश शामिल है। ब्रिटेन के अनेक पूँजीपतियों ने बागानों, खानों, रेल परियोजनाओं
आदि में पूँजी का निवेश किया। भारत के श्रॉफ और चेट्टियार मध्य और दक्षिणी पूर्वी एशिया
में निर्यात करने वाले कृषकों को कर्ज देते थे और मुनाफा वसूल करते थे। वे यूरोप के
बैंकों से कर्ज भी लेते थे।
प्रश्न : गिरमिटिया मजदूर किन्हें कहा जाता है?
उत्तर
: औपनिवेशिक शासन के
दौरान भारत से बहुत-से लोगों को एग्रीमेंट (अनुबंध) पर काम करने के लिए फिजी, गयाना,
वेस्टइंडीज आदि स्थानों पर ले जाया गया था; एग्रीमेंट को ये मजदूर गिरमिट कहने लगे
जिससे आगे चलकर इन मजदूरों को 'गिरमिटिया' मजदूर कहा जाने लगा।
वस्तुनिष्ठ बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर (MCQ)
1.
प्राचीन काल में किस स्थल मार्ग से एशिया, यूरोप और उत्तरी अफ्रीका का व्यापार होता
था?
- (1)
सूती मार्ग
- (2)
रेशम मार्ग
- (3)
उत्तरापथ
- (4)
दक्षिणापथ
- उत्तर:
(2) रेशम मार्ग
2.
भारत में आने वाली पहली दो यूरोपीय जातियाँ कौन सी थीं?
- (1)
अंग्रेज - फ्रांसीसी
- (2)
फ्रांसीसी - डच
- (3)
डच - अंग्रेज
- (4)
पुर्तगाली - डच
- उत्तर:
(4) पुर्तगाली - डच
3.
अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक विनिमय का प्रवाह किस प्रकार के प्रवाह पर आधारित नहीं है?
- (1)
व्यापार
- (2)
श्रम
- (3)
पूँजी
- (4)
उद्योग
- उत्तर:
(4) उद्योग
4.
इंग्लैंड कपास का आयात मुख्य रूप से कहाँ से करता था?
- (1)
भारत से
- (2)
चीन से
- (3)
फ्रांस से
- (4)
स्पेन से
- उत्तर:
(1) भारत से
5.
भारत से अफीम का निर्यात कहाँ किया जाता था?
- (1)
पुर्तगाल
- (2)
चीन
- (3)
अमेरिका
- (4)
यूरोप
- उत्तर:
(2) चीन
6.
नूडल्स किस मूल का था?
- (1)
चीनी
- (2)
भारतीय
- (3)
यूरोपीय
- (4)
जापानी
- उत्तर:
(1) चीनी
7.
यूरोपीय लोगों के कारण अमेरिका में कौन-सी बीमारी फैली जो वहाँ के स्थानीय निवासियों
के लिए अत्यंत घातक और जानलेवा सिद्ध हुई?
- (1)
रिंडरपेस्ट
- (2)
प्लेग
- (3)
चेचक
- (4)
हैजा
- उत्तर:
(3) चेचक
8.
निम्नलिखित में से कौन-सी बीमारी अमेरिका के लोगों के लिए विनाशकारी साबित हुई?
- (1)
हैजा
- (2)
प्लेग
- (3)
चेचक
- (4)
निमोनिया
- उत्तर:
(3) चेचक
9.
1890 के दशक में अफ्रीका में मवेशियों में कौन-सी बीमारी बहुत तेजी से फैल गयी?
- (1)
चेचक
- (2)
रिंडरपेस्ट
- (3)
निमोनिया
- (4)
चर्मरोग
- उत्तर:
(2) रिंडरपेस्ट
10.
1890 के दशक में रिंडरपेस्ट नामक बीमारी किस देश में बहुत तेजी से फैली?
- (1)
अमेरिका
- (2)
अफ्रीका
- (3)
ब्रिटेन
- (4)
जापान
- उत्तर:
(2) अफ्रीका
11.
रिंडरपेस्ट क्या था?
- (1)
मछली रोग
- (2)
पुष्प रोग
- (3)
पशु रोग
- (4)
इनमें से कोई नहीं
- उत्तर:
(3) पशु रोग
12.
निम्न में से किस फसल की शुरुआत से यूरोपीय गरीब बेहतर खाने और अधिक समय तक जीवित रहने
में सफल हुए?
- (1)
स्पैगेटी
- (2)
टमाटर
- (3)
आलू
- (4)
सोया
- उत्तर:
(3) आलू
13.
1840 के दशक में मध्य आयरलैंड में किसी बीमारी के कारण कौन-सी फसल खराब हो गयी जिससे
लाखों लोग भुखमरी के कारण मौत के मुँह में चले गए?
- (1)
चावल
- (2)
आलू
- (3)
मक्का
- (4)
मूँगफली
- उत्तर:
(2) आलू
14.
'आलू अकाल' किस देश में हुआ था?
- (1)
इंग्लैंड
- (2)
आयरलैंड
- (3)
स्पेन
- (4)
अमेरिका
- उत्तर:
(2) आयरलैंड
15.
ब्रिटेन की सरकार ने भूस्वामियों के दबाव में आकर निम्न में से किसके आयात पर पाबंदी
लगा दी थी?
- (1)
मक्का
- (2)
कपास
- (3)
सूती वस्त्र
- (4)
इनमें से सभी
- उत्तर:
(1) मक्का
16.
किस देश ने मक्का के आयात पर पाबंदी लगाने के लिए 'कॉर्न लॉ' पारित किया?
- (1)
भारत
- (2)
फ्रांस
- (3)
चीन
- (4)
ब्रिटेन
- उत्तर:
(4) ब्रिटेन
17.
कॉर्न लॉ द्वारा ब्रिटेन में किस अनाज का आयात प्रतिबंधित कर दिया गया?
- (1)
गेहूँ का
- (2)
चावल का
- (3)
मक्का का
- (4)
दलहन का
- उत्तर:
(3) मक्का का
18.
वृहद उत्पादन व्यवस्था किस देश में आरंभ की गई?
- (1)
ब्रिटेन
- (2)
रूस
- (3)
अमेरिका
- (4)
जर्मनी
- उत्तर:
(3) अमेरिका
19.
वृहद उत्पादन पद्धति से बनी पहली कार का नाम क्या था?
- (1)
बी-मॉडल
- (2)
सी-मॉडल
- (3)
ए-मॉडल
- (4)
टी-मॉडल
- उत्तर:
(4) टी-मॉडल
20.
गाड़ियों के उत्पादन के लिए असेंबली लाइन का प्रयोग अमेरिका में सबसे पहले किसने किया
था?
- (1)
एडिसन
- (2)
फिलिप्स
- (3)
रूजवेल्ट
- (4)
हेनरी फोर्ड
- उत्तर:
(4) हेनरी फोर्ड
21.
1923 में विश्व को पूँजी देने वाला और विश्व का सबसे बड़ा कर्जदाता राष्ट्र कौन था?
- (1)
अमेरिका
- (2)
अफ्रीका
- (3)
इंग्लैंड
- (4)
फ्रांस
- उत्तर:
(1) अमेरिका
22.
आर्थिक महामंदी की शुरुआत कब हुई?
- (1)
1932 ई. से
- (2)
1929 ई. से
- (3)
1933 ई. से
- (4)
1936 ई. से
- उत्तर:
(2) 1929 ई. से
23.
आर्थिक महामंदी की शुरुआत किस देश से हुई?
- (1)
ब्रिटेन
- (2)
फ्रांस
- (3)
अमेरिका
- (4)
जर्मनी
- उत्तर:
(3) अमेरिका
24.
अमेरिका में आर्थिक मंदी की शुरुआत किस वर्ष में हुई?
- (1)
1920
- (2)
1923
- (3)
1914
- (4)
1929
- उत्तर:
(4) 1929
25.
विश्व का सबसे बड़ा शेयर बाजार कहाँ है?
- (1)
भारत
- (2)
अमेरिका
- (3)
चीन
- (4)
रूस
- उत्तर:
(2) अमेरिका
26.
आर्थिक महामंदी की शुरुआत 1929 से हुई और यह संकट तीस के दशक के मध्य तक बना रहा। इस
दौरान दुनिया के ज्यादातर हिस्सों में किसकी भयानक गिरावट दर्ज की गयी?
- (1)
उत्पादन
- (2)
रोजगार
- (3)
आय और व्यापार
- (4)
इनमें से सभी
- उत्तर:
(4) इनमें से सभी
27.
1928 से 1934 के बीच भारत में गेहूँ की कीमत कितने प्रतिशत तक गिर गई?
- (1)
50%
- (2)
60%
- (3)
40%
- (4)
25%
- उत्तर:
(1) 50%
28.
प्रथम विश्वयुद्ध की समाप्ति के बाद किसके द्वारा यूरोप की अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित
करने का प्रयास किया गया?
- (1)
रूस
- (2)
जर्मनी
- (3)
अमेरिका
- (4)
फ्रांस
- उत्तर:
(3) अमेरिका
29.
द्वितीय विश्वयुद्ध कब हुआ?
- (1)
1914 से 1918
- (2)
1916 से 1920
- (3)
1936 से 1944
- (4)
1939 से 1945
- उत्तर:
(4) 1939 से 1945
30.
द्वितीय विश्वयुद्ध का मुख्य तात्कालिक कारण क्या था?
- (1)
नाजी जर्मनी का उदय
- (2)
जर्मनी द्वारा पोलैंड पर आक्रमण
- (3)
ब्रिटेन और फ्रांस की समझौतावादी नीति
- (4)
जापान का पर्ल हार्बर पर हमला
- उत्तर:
(2) जर्मनी द्वारा पोलैंड पर आक्रमण
31.
द्वितीय विश्वयुद्ध कितने वर्ष तक चला?
- (1)
2 वर्ष
- (2)
3 वर्ष
- (3)
5 वर्ष
- (4)
6 वर्ष
- उत्तर:
(4) 6 वर्ष
32.
पहला विश्वयुद्ध खत्म होने के केवल दो दशक बाद दूसरा विश्वयुद्ध शुरू हो गया। जिसमें
एक गुट में धुरी शक्तियाँ (मुख्य रूप से नात्सी जर्मनी, जापान और इटली) थीं तो दूसरा
खेमा जो 'मित्र राष्ट्रों' के नाम से जाना जाता था, उसमें कौन-कौन से देश थे?
- (1)
ब्रिटेन, सोवियत संघ, फ्रांस और भारत
- (2)
ब्रिटेन, फ्रांस, अमेरिका और भारत
- (3)
ब्रिटेन, सोवियत संघ, फ्रांस, अमेरिका
- (4)
ब्रिटेन, फ्रांस, ऑस्ट्रिया
- उत्तर:
(3) ब्रिटेन, सोवियत संघ, फ्रांस, अमेरिका
33.
द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान निम्नलिखित देशों में से किसे धुरी शक्तियाँ माना गया?
- (1)
जर्मनी, जापान, इटली
- (2)
ब्रिटेन, जर्मनी, रूस
- (3)
फ्रांस, जर्मनी, इटली
- (4)
ब्रिटेन, फ्रांस, रूस, अमेरिका
- उत्तर:
(1) जर्मनी, जापान, इटली
34.
निम्नांकित में से कौन देश मित्र राष्ट्र के पाले में था?
- (1)
तुर्की
- (2)
ऑस्ट्रिया
- (3)
ब्रिटेन
- (4)
जर्मनी
- उत्तर:
(3) ब्रिटेन
35.
अंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में आर्थिक स्थिरता के लिए 1944 ई. में अमेरिका के किस
स्थान पर एक सम्मेलन हुआ था?
- (1)
न्यूयॉर्क
- (2)
ब्रेटन वुड्स
- (3)
शिकागो
- (4)
हॉलीवुड
- उत्तर:
(2) ब्रेटन वुड्स
36.
ब्रेटन वुड्स सम्मेलन किस वर्ष हुआ?
- (1)
1945
- (2)
1947
- (3)
1944
- (4)
1952
- उत्तर:
(3) 1944
37.
ब्रेटन वुड्स सम्मेलन में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष को स्थापना किन उद्देश्यों को
पूरा करने के लिए किया गया था?
- (1)
वैश्विक मौद्रिक सहयोग को बढ़ावा देना
- (2)
उच्च रोजगार और सतत् आर्थिक विकास को बढ़ावा देना
- (3)
वित्तीय स्थिरता को सुरक्षित करने
- (4)
इनमें से सभी
- उत्तर:
(4) इनमें से सभी
38.
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आई. एम. एफ.) की स्थापना 1944 ई. में किस सम्मेलन में की
गई?
- (1)
ब्रेटन वुड्स
- (2)
जी-77
- (3)
गोलमेज
- (4)
वियना
- उत्तर:
(1) ब्रेटन वुड्स
39.
निम्न में से किस देश को वीटो का अधिकार प्राप्त नहीं है?
- (1)
बेल्जियम
- (2)
चीन
- (3)
फ्रांस
- (4)
रूस
- उत्तर:
(1) बेल्जियम
40.
किन संस्थाओं को ब्रेटन वुड्स की जुड़वाँ संतान भी कहा जाता है?
- (1)
जी-77 और जी-8
- (2)
यू. एन. ओ. और सुरक्षा परिषद
- (3)
विश्व बैंक और आई. एम. एफ.
- (4)
इनमें से सभी
- उत्तर:
(3) विश्व बैंक और आई. एम. एफ.
41.
ब्रेटन वुड्स व्यवस्था का ज्यादा लाभ किन देशों को मिला?
- (1)
विकासशील देश
- (2)
विकसित औद्योगिक देश
- (3)
अल्पविकसित देश
- (4)
अफ्रीकी देश
- उत्तर:
(2) विकसित औद्योगिक देश
42.
ब्रेटन वुड्स संस्थानों से अपेक्षित लाभ नहीं मिलने पर उसकी प्रतिक्रिया में विकासशील
देशों ने किस आर्थिक समूह का संगठन किया?
- (1)
संयुक्त राष्ट्र संघ
- (2)
डेवलपमेंट बैंक
- (3)
समूह-77
- (4)
रिजर्व बैंक
- उत्तर:
(3) समूह-77
43.
अधिकांश भारतीय गिरमिटिया मजदूर किन क्षेत्रों में दूसरे देशों में काम करने जाते थे?
- (1)
उत्तर प्रदेश
- (2)
तमिलनाडु
- (3)
बिहार
- (4)
उपर्युक्त सभी
- उत्तर:
(4) उपर्युक्त सभी
44.
होसे मेला का आयोजन कहाँ किया जाता था?
- (1)
गुयाना
- (2)
मॉरीशस
- (3)
त्रिनिदाद
- (4)
सूरीनाम
- उत्तर:
(3) त्रिनिदाद
औद्योगीकरण का युग
विषयनिष्ठ (Subjective) प्रश्नोत्तर
प्रश्न : औद्योगिकीकरण से आप क्या समझते हैं?
उत्तर
: (i) अठारहवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में उत्पादन की तकनीक एवं संगठन में हुए व्यापक
और क्रांतिकारी परिवर्तन को औद्योगिकी क्रांति के नाम से जाना जाता है।
(ii)
औद्योगिकी क्रांति के परिणामस्वरूप बड़े-बड़े कारखानों की स्थापना हुई तथा उत्पादन
की मात्रा और दर दोनों में वृद्धि हुई।
प्रश्न : औद्योगिकी क्रांति सर्वप्रथम कब और कहाँ प्रारंभ हुई?
उत्तर
: औद्योगिकी क्रांति 18वीं शताब्दी के मध्य में सर्वप्रथम इंग्लैंड में प्रारंभ हुई।
प्रश्न : ब्रिटेन के दो औद्योगिक शहरों के नाम लिखिए?
उत्तर
: लंदन एवं मैनचेस्टर।
प्रश्न : औद्योगिकी क्रांति का अर्थ समझाएँ?
उत्तर
: (i) अठारहवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में उत्पादन की तकनीक एवं संगठन में हुए व्यापक
और क्रांतिकारी परिवर्तन को औद्योगिकी क्रांति के नाम से जाना जाता है।
(ii)
औद्योगिकी क्रांति के परिणामस्वरूप बड़े-बड़े कारखानों की स्थापना हुई तथा उत्पादन
की मात्रा और दर दोनों में वृद्धि हुई। हस्तशिल्प उद्योगों का स्थान मशीनों ने ले लिया।
हस्तशिल्प उद्योग पृष्ठभूमि में चले गए।
(iii)
औद्योगिकी क्रांति के कारण न सिर्फ उत्पादन में बल्कि यातायात, संचार तथा व्यापार के
क्षेत्र में भी अभूतपूर्व वृद्धि हुई। मनुष्य को थका देने वाले श्रम से मुक्ति मिली
तथा साधारण व्यक्ति का जीवन सरल एवं सुखमय हुआ।
प्रश्न : इंग्लैंड यूरोप का प्रथम औद्योगिक देश क्यों बना?
उत्तर
: इंग्लैंड यूरोप का
प्रथम औद्योगिक देश निम्नलिखित कारणों से बना –
(1)
मशीनों एवं तकनीकों का आविष्कार
(2)
कच्चे माल की प्रचुरता
(3)
सुखी एवं उद्योग के लिए अनुकूल भौगोलिक पर्यावरण
(4)
उपनिवेशों में सस्ते श्रम की उपलब्धता
(5)
उपनिवेशों से पूँजी की प्राप्ति।
प्रश्न : आदि-औद्योगीकरण (पूर्व-औद्योगीकरण) का मतलब बताएँ?
उत्तर
: औद्योगीकरण से पहले
बड़े-बड़े कारखानों की स्थापना के पूर्व भी अंतर्राष्ट्रीय बाजारों के लिए बड़े पैमाने
पर औद्योगिक उत्पादन होने लगा था। यह उत्पादन कारखानों में न होकर, गाँवों में ग्रामीण
कारीगरों द्वारा होता था। इन पर सौदागरों का नियंत्रण होता था। इसे ही पूर्व-औद्योगीकरण
या आदि-औद्योगीकरण के नाम से जाना जाता है।
प्रश्न : 17वीं सदी में यूरोपीय शहरों के सौदागर गाँवों में किसानों एवं कारीगरों
से काम करवाने लगे। तीन कारणों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर
: (i) विभिन्न भागों
में उपनिवेशों की स्थापना के परिणामस्वरूप चीजों की माँग बढ़ने लगी थी, जिसकी पूर्ति
सिर्फ शहरों में उत्पादित वस्तुओं से नहीं की जा सकती थी, अतः व्यापारी गाँवों की ओर
मुड़े।
(ii)
शहरों में शासकों ने विभिन्न गिल्डस को किसी खास वस्तु के उत्पादन और व्यापार का एकाधिकार
प्रदान किया था। गिल्डस से जुड़े उत्पादक कारीगरों को प्रशिक्षण देते थे, उत्पादकों
पर नियंत्रण रखते थे, प्रतिस्पर्धा और मूल्य तय करते थे तथा व्यवसाय में नये लोगों
को आने से रोकते थे।
(iii)
ऐसी परिस्थिति में चूँकि नये व्यापारी शहरों में कारोबार नहीं कर सकते थे, इसलिए वे
गाँवों की ओर बढ़े। गाँवों में कारखानों की स्थापना नहीं हुई थी, अतः गाँवों में किसानों
तथा कारीगरों को पैसा एवं प्रशिक्षण दे कर बड़े पैमाने पर उत्पादन कराया जाता था।
प्रश्न : उन्नीसवीं सदी के यूरोप में कुछ उद्योगपति मशीनों की बजाय हाथ से काम
करने वाले श्रमिकों को क्यों देते थे?
उत्तर
: (i) उद्योगपतियों
को श्रमिकों की कमी या वेतन मद में भारी लागत जैसी कोई परेशानी नहीं थी। उन्हें ऐसी
मशीनों में कोई दिलचस्पी नहीं थी जिनपर बहुत ज्यादा खर्चा आने वाला हो।
(ii)
जिन उद्योगों में मौसम के साथ उत्पादन घटता-बढ़ता था वहाँ उद्योगपति मशीनों की बजाय
मजदूरों को ही काम पर रखना पसंद करते थे।
(iii)
बाजार में अक्सर डिज़ाइन और खास आकारों वाली चीजों की काफी माँग रहती थी। इन्हें बनाने
के लिए यांत्रिक प्रौद्योगिकी की नहीं बल्कि इन्सानी निपुणता की जरूरत थी।
(iv)
उच्च वर्ग के लोग- कुलीन और पूँजीपति वर्ग- हाथों से बनी चीजों को तरजीह देते थे। हाथ
से बनी चीजों का परिष्कार और सुरुचि का प्रतीक माना जाता था।
प्रश्न : हाथ से बने हुए वस्त्र की दो प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख करें।
उत्तर
: हाथ से बने हुए वस्त्र की दो प्रमुख विशेषताएँ:
(1)
हाथ से बने हुए वस्त्रों में महीन कलात्मक डिजाइन के कपड़े तैयार हो सकते हैं जो मशीन
द्वारा संभव नहीं होते हैं।
(2)
हाथ से अलग-अलग डिजाइन और रंग के कपड़े तैयार होते हैं जिससे वस्त्र में अनूठापन रहता
है। इस प्रकार के वस्त्र पहनने वाले की सुरुचि को प्रदर्शित करते हैं। मशीन से बने
एक प्रकार के कपड़े साधारण लगते हैं।
प्रश्न : ‘जॉबर’ कौन होते थे? उनका क्या कार्य होता था?
उत्तर
: ‘जॉबर’ उद्योगों में नये मजदूरों की भर्ती के लिए एक विशेष कर्मचारी होता था। जॉबर
कोई पुराना तथा विश्वस्त कर्मचारी होता था। वह गाँव से लोगों को काम का भरोसा देकर
शहर ले आता था और उन्हें शहर में जमने के लिए आवश्यक मदद देता था।
प्रश्न : भारत में प्रथम आधुनिक वस्त्र मिल कब और कहाँ स्थापित की गयी
थी?
उत्तर
: भारत में प्रथम आधुनिक वस्त्र मिल 1854 ई. में बम्बई में स्थापित की गयी थी।
प्रश्न : फ्लाई शटल क्या था?
उत्तर
: (1) फ्लाई शटल बुनाई के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक यांत्रिक औजार था। यह औजार
क्षैतिज धागों को लम्बवत् धागों में पिरो देता था।
(2)
इसे रस्सियों तथा पुलियों के सहारे चलाया जाता था।
(3)
फ्लाई शटल के प्रयोग से बड़े करघे चलाने तथा चौड़े अरज का कपड़ा बनाने में काफी मदद मिली।
प्रश्न : बहुत सारे मजदूर स्पिनिंग जेनी के इस्तेमाल का विरोध क्यों
कर रहे थे?
अथवा, स्पिनिंग जेनी क्या थी? इसका आविष्कार किसने किया था?
उत्तर
: स्पिनिंग जेनी का आविष्कार 1764 ई. में जेम्स हरग्रीव्ज ने किया था। मजदूर स्पिनिंग
जेनी के इस्तेमाल का विरोध इसलिए कर रहे थे क्योंकि -
(1)
यह मशीन एक ही समय में अनेक मजदूरों का काम कर लेती थी। स्पिनिंग जेनी मशीन में एक
ही पहिये में अनेक तकलियाँ लगी होती थीं तथा एक ही मजदूर एक पहिया घुमाकर अनेक तकलियों
को घुमा देता था।
(2)
जबकि इसके पहले एक पहिये की मशीन केवल एक ही तकली को घुमा सकती थी। इस मशीन के कारण
कई मजदूरों को काम से हटना पड़ा।
(3)
स्पिनिंग जेनी के कारण उत्पादकता बढ़ गयी परन्तु इसने बेरोजगारी को बढ़ावा दिया। बेरोजगारी
के कारण मजदूर स्पिनिंग जेनी को अच्छी नजर से नहीं देखते थे।
प्रश्न : ब्रिटेन की महिला कामगारों ने स्पिनिंग जेनी मशीनों पर हमले
किये। व्याख्या करें।
उत्तर
: (1) स्पिनिंग जेनी मशीन ने ऊन की कताई की प्रक्रिया बहुत तेज कर दी। स्पिनिंग जेनी
मशीन एक समय में अनेक मजदूरों का कार्य कर लेती थी। इसके कारण मजदूरों की माँग घट गयी।
(2)
बेरोजगारी की आशंका से मजदूर वर्ग खासकर महिलाओं में नयी प्रौद्योगिकी के प्रति आशंका
व्याप्त थी।
(3)
जब ऊन उद्योग में इस मशीन का इस्तेमाल किया गया तो अनेकों, जो हाथ से ऊन को कताई करती
थीं को काम से हटना पड़ा। इसी कारण महिला कामगारों ने स्पिनिंग जेनी मशीनों पर हमले
किये। स्पिनिंग जेनी मशीन का, महिलाओं द्वारा विरोध काफी लंबे समय तक चलता रहा।
प्रश्न : भाप इंजन का आविष्कार किसने किया था?
उत्तर
: भाप इंजन का आविष्कार थॉमस न्यूकामेन ने किया था। बाद में जेम्स वॉट ने इसमें व्यापक
सुधार किया।
प्रश्न : हेनरी फोर्ड कौन था?
उत्तर
: हेनरी फोर्ड अमेरिका का एक बड़ा कार निर्माता था। उसने 'फोर्ड' नामक गाड़ियों का
उत्पादन किया। हेनरी फोर्ड, बड़े पैमाने पर उत्पादन करने वालों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत
था।
उपनिवेशों में औद्योगीकरण
प्रश्न : ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारतीय बुनकरों से सूती और रेशमी कपड़े
की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए क्या किया?
उत्तर
: ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारतीय बुनकरों से सूती और रेशमी कपड़े की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित
करने के लिए निम्नांकित प्रयास किये -
(1)
ईस्ट इंडिया कंपनी ने कच्चा माल खरीदने के लिए बुनकरों को पेशगी के रूप में कर्जा दिया।
इस प्रकार, उन्होंने बुनकरों को स्थायी रूप से कर्ज के जाल में फँसा लिया।
(2)
कंपनी ने वेतनभोगी गुमाश्तों की नियुक्ति की, जो कपास के उत्पादन और बुनकरों द्वारा
बनाये जाने वाले रेशम की निगरानी करते थे।
(3)
वे यह भी देखते थे कि बुनकर अन्य यूरोपीय कंपनियों या स्थानीय भारतीय व्यापारियों के
लिए तो काम नहीं कर रहे हैं।
(4)
कम्पनी को माल बेचने वाले बुनकरों को अन्य खरीददारों के साथ कारोबार करने पर पाबन्दी
लगा दी गई। काम का आर्डर मिलने पर बुनकरों को कच्चा माल खरीदने के लिए ऋण दे दिया जाता
था।
ऋण
लेने वाले बुनकरों को अपना बनाया हुआ कपड़ा गुमाश्ता को ही देना पड़ता था। वे उसे किसी
अन्य व्यापारी को नहीं बेच सकते थे।
(5)
गुमाश्ते बुनकरों के साथ कठोर एवं अपमानजनक व्यवहार करते थे। बुनकरों की दशा बड़ी दयनीय
हो गई। अब वे न तो दाम पर मोल-भाव कर सकते थे और न ही किसी और को माल बेच सकते थे।
उन्हें कम्पनी से जो कीमत मिलती थी, वह बहुत कम थी। परन्तु वे ऋण के कारण कम्पनी के
लिए ही काम करने के लिए बाध्य थी।
इस
प्रकार से ईस्ट इंडिया कंपनी को भारतीय बुनकरों से रेशम और कपड़े की नियमित आपूर्ति
सुनिश्चित रहती थी।
प्रश्न : ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में बुनकरों पर निगरानी रखने के
लिए गुमाश्तों को नियुक्त किया था। इसके कारणों का उल्लेख करें।
अथवा, गुमाश्ता कौन थे? उनकी नियुक्ति क्यों की गई?
उत्तर
: (1) 1760 ई. के दशक में ब्रिटेन में कपास उद्योग का पूरी तरह विकास नहीं हुआ था तथा
यूरोप में बारीक भारतीय कपड़ों की भारी माँग थी। बुने हुए कपड़े को हासिल करने के लिए
फ्रांसीसी, डच और पुर्तगालियों के साथ-साथ स्थानीय व्यापारी भी होड़ में रहते थे।
(2)
ऐसी परिस्थिति में बुनकरों की बन आयी थी तथा वे काफी मोल-भाव के बाद अपना माल बेचते
थे। लेकिन ईस्ट इंडिया कम्पनी कपड़ा उत्पादन और व्यापार पर एकाधिकार एवं अपना नियंत्रण
करना चाहती थी।
(3)
अतः कम्पनी ने कपड़ा व्यापार में सक्रिय व्यापारियों और दलालों को खत्म करने तथा बुनकरों
पर ज्यादा प्रत्यक्ष नियंत्रण स्थापित करने के लिए वेतनभोगी कर्मचारियों के रूप में
गुमाश्तों की नियुक्ति की। ये गुमाश्ते बुनकरों पर निगरानी रखते थे, माल इकट्ठा करते
और कपड़ों की गुणवत्ता की जाँच करते थे।
प्रश्न : सूरत बंदरगाह अठारहवीं सदी के अंत तक हाशिए पर पहुँच गया था।
व्याख्या करें।
अथवा, सूरत बंदरगाह अठारहवीं सदी के अंत तक हाशिए पर पहुँच गया था,
क्यों?
उत्तर
: निम्नलिखित कारणों से पूर्व औपनिवेशिक काल का एक महत्त्वपूर्ण सूरत बंदरगाह अठारहवीं
सदी के अंत तक हाशिए पर पहुँच गया -
(1)
अठारहवीं सदी के अंत तक यूरोपीय कम्पनियों की ताकत बढ़ती जा रही थी। उन्होंने स्थानीय
दरबारों से कई तरह की रियायतें और व्यापार पर इजाजत अधिकार प्राप्त कर लिए। अधिकार
प्राप्त करके उन्होंने नये बंदरगाहों का निर्माण किया। कलकत्ता और बंबई नये औद्योगिक
केन्द्र के रूप में उभरे जबकि सूरत जैसा विकसित व्यापारिक केंद्र अपना महत्व खोने लगा।
(2)
इससे सूरत व हुगली, दोनों पुराने बंदरगाह कमजोर पड़ गये। यहाँ से होने वाले निर्यात
में नाटकीय कमी आयी। नये बंदरगाहों द्वारा होने वाला व्यापार यूरोपीय कम्पनियों के
नियंत्रण में था।
(3)
औपनिवेशिक सत्ता की बढ़ती ताकत से पुराने बंदरगाहों की जगह नये बंदरगाहों (बम्बई व
कलकत्ता) का महत्व बढ़ता गया। इस प्रकार, सूरत बंदरगाह अठारहवीं सदी के अंत तक हाशिए
पर पहुँच गया था।
प्रश्न : पहले विश्वयुद्ध के समय भारत का औद्योगिक उत्पादन क्यों बढ़ा?
चर्चा कीजिए।
उत्तर
: प्रथम विश्वयुद्ध के समय भारत का औद्योगिक उत्पादन बढ़ने के निम्नलिखित तीन कारण
हैं:
(1)
प्रथम विश्वयुद्ध में ब्रिटेन ऐसे उलझा कि उसका सारा ध्यान अपने बचाव में लग गया। वह
अब भारत में अपने माल का निर्यात न कर सका जिसके कारण भारत में उद्योगों को पनपने का
अवसर प्राप्त हो गया।
(2)
इंग्लैंड के सभी कारखाने निर्यात की विभिन्न चीजों की बजाय सैनिक सामग्री के निर्माण
में लग गये इससे भारतीय उद्योगों को एक विशाल देशी बाजार मिल गया।
(3)
देशी बाजार मिलने के अतिरिक्त भारतीय उद्योगों को भी सरकार द्वारा फौज की वर्दियाँ,
बूट आदि बनाने का काम मिल गया जिससे भारतीय उद्योग भी प्रगति करते गये।
वस्तुनिष्ठ बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर (MCQ)
प्रश्न : 'डॉन ऑफ द सेंचुरी' नामक चित्र में किसका महिमामंडन है?
(1)
राष्ट्रवाद
(2)
प्रजातंत्र
(3)
औद्योगीकरण
(4)
संगीत
Ans:
(3)
प्रश्न : औद्योगिक क्रांति सर्वप्रथम किस देश में शुरू हुई?
(1)
अमेरिका
(2)
इंग्लैंड
(3)
फ्रांस
(4)
चीन
Ans:
(2)
प्रश्न : उन्नीसवीं शताब्दी के दौरान ब्रिटेन में सर्वाधिक गतिशील उद्योग
कौन-से थे?
(1)
धातु और चीनी
(2)
कपास और चीनी
(3)
कपास और धातु
(4)
कपास और पेट्रोलियम
Ans:
(3)
प्रश्न : इंग्लैंड में सबसे पहले कारखाने कब खुले?
(1)
1730 के दशक में
(2)
1760 के दशक में
(3)
1810 के दशक में
(4)
1840 के दशक में
Ans:
(1)
प्रश्न : इंग्लैंड में 1730 के दशक में सबसे पहले कारखाने खुले थे जिसको
निम्न में से किस नए युग का प्रतीक माना जाता था?
(1)
कपास
(2)
कॉफी
(3)
रेशम
(4)
जूट
Ans:
(1)
प्रश्न : भाप के इंजन का आविष्कार किसने किया?
(1)
फोर्ड
(2)
निकल्सन
(3)
जेम्स वॉट
(4)
आर्कराइट
Ans:
(3)
प्रश्न : सूती कपड़ा मिल (कपास मिल) की रूपरेखा किसने बनाई?
(1)
जेम्स हरग्रीव्स
(2)
रिचर्ड आर्कराइट
(3)
जेम्स वॉट
(4)
निकल्सन
Ans:
(2)
प्रश्न : 'स्पिनिंग जेनी' नामक कताई मशीन का आविष्कार किसने किया?
(1)
जेम्स वॉट
(2)
निकल्सन
(3)
जेम्स हरग्रीव्स
(4)
आर्कराइट
Ans:
(3)
प्रश्न : स्पिनिंग जेनी मशीन का किस उद्योग में पेश किया गया था?
(1)
चाय उद्योग
(2)
ऊनी उद्योग
(3)
चीनी उद्योग
(4)
कोयला उद्योग
Ans:
(2)
प्रश्न : स्पिनिंग जेनी मशीन ने किस प्रक्रिया में वृद्धि की?
(1)
कताई
(2)
बुनाई
(3)
छपाई
(4)
रंगाई
Ans:
(1)
प्रश्न : इंग्लैंड में महिलाएँ किस मशीन का विरोध कर रही थी?
(1)
स्पिनिंग जेनी
(2)
फ्लाईंग शटल
(3)
स्टीम इंजन
(4)
भाप इंजन
Ans:
(1)
प्रश्न : किस मशीन के आने से बुनकरों को बड़े करघे चलाने और चौड़े अरज
का कपड़ा बनाने में मदद मिली?
(1)
स्पिनिंग जेनी
(2)
फ्लाई शटल
(3)
भाप इंजन
(4)
इनमें कोई नहीं।
Ans:
(2)
प्रश्न : यूरोपीय देशों में किस देश के कपड़ों की अत्यधिक माँग थी?
(1)
भारत
(2)
ब्रिटेन
(3)
अमेरिका
(4)
ब्राजील
Ans:
(1)
प्रश्न : मशीन उद्योगों के युग से पहले अंतर्राष्ट्रीय कपड़ा बाजार
में किस देश के रेशमी और सूती उत्पादों का ही दबदबा रहता था?
(1)
जर्मनी
(2)
जापान
(3)
भारत
(4)
रूस
Ans:
(3)
प्रश्न : ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में बुनकरों पर निगरानी रखने, माल
इकट्ठा करने और गुणवत्ता की जाँच करने के लिए किन्हें नियुक्त किया?
(1)
जमींदार
(2)
ठेकेदार
(3)
गुमाश्ता
(4)
सौदागर
Ans:
(3)
प्रश्न : निम्नलिखित में से कौन गुमाश्ता से संबंधित है?
(1)
व्यापारी
(2)
उद्योगपति
(3)
अवैतनिक नौकर
(4)
कंपनी द्वारा नियुक्त पर्यवेक्षक
Ans:
(4)
प्रश्न : निम्नलिखित में से क्या गुमाश्ता का कार्य था?
(1)
बुनकरों का पर्यवेक्षण करना
(2)
आपूर्ति लेना
(3)
कपड़े की गुणवत्ता की जाँच करना
(4)
उपर्युक्त सभी
Ans:
(4)
प्रश्न : भारत में बुनकरों को कच्चे कपास की समस्या का सामना क्यों
करना पड़ा?
(1)
कच्चे कपास के निर्यात में वृद्धि हुई
(2)
कपास की फसल नष्ट हो गयी
(3)
स्थानीय बाजार सिकुड़ गए
(4)
निर्यात बाजार गिर गया
Ans:
(1)
प्रश्न : भारत में पहली कपास मिल कहाँ स्थापित की गई थी?
(1)
कानपुर
(2)
बंबई
(3)
अहमदाबाद
(4)
मद्रास
Ans:
(2)
प्रश्न : पहली भारतीय जूट मिल कहाँ स्थापित की गई थी?
(1)
बंगाल
(2)
बंबई
(3)
मद्रास
(4)
बिहार
Ans:
(1)
प्रश्न : निम्न में से किसने 1917 में कोलकाता में पहली भारतीय जूट
मिल स्थापित की?
(1)
जमशेदजी टाटा
(2)
सेठ हुकुमचंद
(3)
जीडी बिरला
(4)
द्वारकानाथ टैगोर
Ans:
(2)
प्रश्न : बंबई में पहली कपड़ा मिल कब स्थापित हुई?
(1)
1716 ईस्वी में
(2)
1854 ईस्वी में
(3)
1955 ईस्वी में
(4)
1756 ईस्वी में
Ans:
(2)
प्रश्न : भारत का पहला लौह एवं इस्पात संयंत्र स्थापित किया गया-
(1)
कोलकाता
(2)
बंबई
(3)
मद्रास
(4)
जमशेदपुर
Ans:
(4)
प्रश्न : निम्नलिखित में से किस स्थान पर 1874 में पहली कताई और बुनाई
मिल खुली थी?
(1)
कानपुर
(2)
मद्रास
(3)
बंबई
(4)
अहमदाबाद
Ans:
(2)
प्रश्न : यूरोपीय कंपनियों द्वारा नए बंदरगाहों को प्रश्रय देने के
कारण भारत के कौन-से बंदरगाह महत्त्वहीन हो गए?
(1)
सूरत
(2)
हुगली
(3)
(1) और (2) दोनों
(4)
कलकत्ता
Ans:
(3)
प्रश्न : भारत में पुराने व्यापार के केंद्र निम्न में से कौन थे?
(1)
बंबई, कोलकाता
(2)
दिल्ली, बंबई
(3)
सूरत, हुगली
(4)
कर्नाटक, चेन्नई
Ans:
(3)
प्रश्न : निम्नलिखित में से कौन-से भारत के पूर्व औपनिवेशिक बंदरगाह
थे?
(1)
सूरत और मछलीपट्टनम
(2)
मद्रास और हुगली
(3)
मद्रास और बंबई
(4)
बंबई और हुगली
Ans:
(1)
प्रश्न : किस पूर्व औपनिवेशिक बंदरगाह ने भारत को खाड़ी देशों और लाल
सागर के बंदरगाहों से जोड़ा?
(1)
बंबई
(2)
हुगली
(3)
मछलीपट्टनम
(4)
सूरत
Ans:
(4)
मुद्रण संस्कृति और आधुनिक दुनिया
विषयनिष्ठ (Subjective) प्रश्नोत्तर
प्रश्न : मुद्रण इतिहास में गुटेनबर्ग प्रेस की भूमिका की चर्चा कीजिए?
अथवा, आधुनिक प्रिंटिंग प्रेस का आविष्कार किसने किया? इस प्रेस में छपने
वाली पहली पुस्तक कौन-सी थी?
अथवा, टिप्पणी लिखें - गुटेनबर्ग प्रेस।
उत्तर
: (1) आधुनिक प्रिंटिंग
प्रेस का आविष्कार योहान गुटेनबर्ग ने 1448 ई. में किया। इसे गुटेनबर्ग प्रेस
के नाम से जाना जाता है।
(2)
गुटेनबर्ग ने रोमन वर्णमाला के सभी 26 अक्षरों की आकृतियाँ बनायीं तथा उन्हें इधर-उधर
‘मूव’ कराकर शब्दों के निर्माण की विधि का आविष्कार किया। इसी कारण इसे ‘मूवेबल
टाइप प्रिंटिंग मशीन’ के नाम से जाना गया।
(3)
इस विधि ने मुद्रण इतिहास में क्रांति ला दी। यही विधि अगले 300 सालों तक छपाई की बुनियादी
तकनीक रही। इस मशीन से कम समय में अधिक किताबों छपना संभव हुआ। गुटेनबर्ग प्रेस एक
घंटे में 250 पन्ने छाप सकता था। इस प्रेस में छपने वाली पहली पुस्तक बाइबिल
थी।
(4)
मुद्रण करने की इस प्रक्रिया ने मुद्रण को सरल और सस्ता बना दिया। इस आविष्कार ने मुद्रण
क्रांति की शुरुआत की और ज्ञान के प्रसार में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
प्रश्न : मार्टिन लूथर कौन था? प्रोटेस्टेंट धर्म सुधार क्या था? रिफॉर्मेशन
का क्या अर्थ है?
उत्तर
: मार्टिन लूथर जर्मनी
का एक महान धर्म सुधारक था। उसने रोमन कैथोलिक धर्म का विरोध किया तथा रिफॉर्मेशन
आंदोलन की शुरुआत की। प्रोटेस्टेंट धर्म सुधार एक सुधारवादी आंदोलन था जिसका
उद्देश्य रोमन कैथोलिक धर्म में व्याप्त बुराइयों को दूर करना था। इस आंदोलन का प्रारंभ
सोलहवीं सदी में यूरोप में हुआ। इस आंदोलन का नेतृत्व प्रख्यात सुधारक मार्टिन लूथर
ने किया। इस आंदोलन के परिणामस्वरूप चर्च में विभाजन हो गया तथा ईसाई धर्म रोमन कैथोलिक
तथा प्रोटेस्टेंट में बँट गया। कैथोलिक धर्म में सुधार के लिए चलाये गए आंदोलन को रिफॉर्मेशन
कहा जाता है।
प्रश्न : मार्टिन लूथर मुद्रण के पक्ष में था और उसने खुलेआम उसकी प्रशंसा की।
कारण बताएँ।
उत्तर
: (1) मार्टिन लूथर
जर्मनी का एक महान धर्म सुधारक था। उसने रोमन कैथोलिक चर्च की कुरीतियों का विरोध किया
तथा रिफॉर्मेशन आंदोलन की शुरुआत की।
(2)
मुद्रण के माध्यम से उसके द्वारा कैथोलिक चर्च की आलोचना कर लिखी गयी '95 स्थापनाएँ'
अधिक से अधिक लोगों तक पहुँची।
(3)
उसने प्रोटेस्टेंट मत की शुरुआत की। उसने न्यू टेस्टामेंट की रचना की।
जो मुद्रण तकनीक के कारण बहुत कम समय में हजारों लोगों के हाथों में पहुँच गया।
(4)
मुद्रण के तकनीक के विकास के कारण ही लूथर को अपने विचारों को लोगों में फैलाने का
अवसर प्राप्त हुआ, जिसके कारण प्रोटेस्टेंट धर्म की शुरुआत हुई।
(5)
मार्टिन लूथर का मानना था कि मुद्रण ईश्वर की दी हुई महानतम देन और सबसे बड़ा तोहफा
है। मुद्रण के प्रति लूथर कृतज्ञ था और उसने खुलेआम उसकी प्रशंसा की।
प्रश्न : 18वीं सदी के यूरोप में कुछ लोगों को क्यों ऐसा लगता था कि मुद्रण
संस्कृति ने निरंकुशवाद का अंत और ज्ञानोदय होगा? वर्णन कीजिए।
उत्तर
: मार्टिन लूथर ने कहा
"मुद्रण ईश्वर की दी हुई महानतम देन है, सबसे बड़ा तोहफा।"
(1)
छापेखाने के कारण किताबें बड़ी मात्रा में छपने लगीं और बच्चों, महिलाओं और साधारण व्यक्ति
तक पहुँचने लगीं। इस प्रकार ज्ञान का प्रकाश बढ़ने लगा।
(2)
छापेखाने के कारण बड़े-बड़े विद्वानों और दार्शनिकों के विचार बड़ी तेजी से लोगों तक पहुँचने
लगे और लोग प्रत्येक बात को कसौटी पर कसने लगे। इससे पुराने अन्धविश्वास और मान्यताओं
को चुनौती मिली। अंधभक्ति और निरंकुशवाद के विरुद्ध विचार फैलने लगे।
(3)
मुद्रण ने लोगों के दिलोदिमाग को हिलाकर रख दिया। पुस्तकों ने लोगों के मन में विवेक
और बुद्धि का ऐसा संचार किया कि लोग चर्च, क्या राजसत्ता सबका सामना करने के लिए तैयार
हो गए। लुई बेस्टिन मर्सिस ने लिखा है - "छापाखाना प्रगति का सबसे शक्तिशाली औजार
है। इससे बनी जनमत की आँधी में निरंकुशवाद बह जायेगा।"
(4)
छापाखाने से विचारों के व्यापक प्रचार-प्रसार और बहस-मुबाहिसे के द्वार खुले। इसने
वाद-विवाद-संवाद की नयी संस्कृति को जन्म दिया। (5) कई दार्शनिकों और तर्कवादियों को
अपने ज्ञान और विचारों का प्रसार करने का अवसर मिल गया। इससे जनता का झुकाव नये ज्ञान
और तर्कपूर्ण विचारों की ओर बढ़ा।
प्रश्न : कुछ इतिहासकार ऐसा क्यों मानते हैं कि मुद्रण संस्कृति ने फ्रांसीसी
क्रांति के लिए जमीन तैयार की? स्पष्ट करें।
अथवा, मुद्रण संस्कृति ने किस प्रकार फ्रांस की क्रांति का मार्ग प्रशस्त
किया?
उत्तर
: मुद्रण संस्कृति निम्नलिखित
प्रकार से फ्रांस की क्रांति में सहायक सिद्ध हुई –
(1)
छापेखाने के विकास के साथ ज्ञानोदय के चिंतकों के विचारों का प्रसार हुआ। उन्होंने
परंपरा, अंधविश्वास और निरंकुशवाद की आलोचना प्रस्तुत की तथा रीति-रिवाजों की जगह विवेक
के शासन पर बल दिया।
(2)
इसी समय रूसो तथा वाल्टेयर जैसे लेखकों ने लोगों में आलोचनात्मक दृष्टिकोण की विकसित
किया। उन्होंने चर्च की धार्मिक तथा राज्य की निरंकुश सत्ता पर प्रहार करके परंपरा
पर आधारित सामाजिक व्यवस्था को दुर्बल कर दिया।
(3)
मुद्रण ने वाद-विवाद की नयी संस्कृति को जन्म दिया। लोगों में पुराने मूल्यों एवं संस्थाओं
पर बहस प्रारंभ हुआ। लोग तर्क एवं विवेक की शक्ति से परिचित हुए तथा धर्म, आस्था, सत्ता
आदि के प्रश्न के घेरे में लाया जाने लगा। इस तरह समाज में सामाजिक क्रांति के नये
विचारों का सूत्रपात हुआ।
(4)
छापेखाने के कारण राजशाही और उसकी नैतिकता का मजाक उड़ाने वाले साहित्य की भरमार हो
गयी। कार्टूनों में यह दिखाया जा रहा था कि जनता कठिनाइयों से घिरी है जबकि राजशाही
भोग-विलास में डूबी हुई है।
(5)
इन सबसे जनता में राजशाही के खिलाफ विद्रोह की भावना का संचार हुआ। इन विचारों ने फ्रांसीसी
क्रांति के लिए जमीन तैयार कर दी।
प्रश्न : कुछ लोग किताबों की सुलभता को लेकर चिंतित क्यों थे? यूरोप और भारत
से उदाहरण लेकर समझाएँ।
अथवा, छपाई के विरोधी विचारों के प्रसार को किस प्रकार बल मिलता था?
अथवा, अथवा, कुछ लोग क्यों डरते थे कि छपाई से विरोधी विचारों का प्रसार
होगा? वर्णन करें।
उत्तर
: मुद्रण तकनीक के विकास
और किताबों की सुलभता के प्रति सभी लोगों की प्रतिक्रियाएँ एक समान नहीं थीं। कुछ ने
इसकी प्रशंसा की जबकि कुछ लोगों ने इसे शक और भय की नजर से देखा।
किताबों
की सुलभता के प्रति चिंतित वर्ग का मानना था कि किताबों से लोगों में बागी और अधार्मिक
विचार पनपने लगेंगे तथा मूल्यवान साहित्य की सत्ता समाप्त हो जायेगी। इस वर्ग में धर्मगुरु,
सम्राट, लेखक और कलाकार आदि शामिल थे।
यह
किताबों की सुलभता का ही परिणाम था कि सामान्य लोग धर्म की अलग-अलग व्याख्याओं से परिचित
हुए। इससे ईसाई धर्म में प्रोटेस्टेंट विचारधारा का उदय हुआ। इसे कैथोलिक शाखा
ने चुनौती के रूप में देखा। धर्मगुरु इसे 'धर्म विरोधी' मानते थे।
ज्यौं
ही बाइबिल, ईश्वर और सृष्टि के नये अर्थ सामने आये, धर्मगुरुओं के कान खड़े हो गये।
प्रकाशकों पर पाबंदी लगायी गयी, पुस्तकों को प्रतिबंधित किया गया तथा लेखकों को 'धर्म
की सुरक्षा' के नाम पर मौत की सजा दी गयी।
भारत
में ब्रिटिश शासन ने पुस्तकों को ब्रिटिश राज के खिलाफ एक गंभीर चुनौती के रूप में
देखा। अंग्रेजों का यह मानना था कि पुस्तकें, ब्रिटिश विरोधी विचारों को जन्म देंगी।
अतः पुस्तकों के मुद्रण एवं वितरण पर पाबंदियाँ लगायी गयीं।
प्रश्न : रोमन कैथोलिक चर्च ने 16वीं सदी के मध्य से प्रतिबंधित किताबों की
सूची रखनी शुरू कर दी। चार कारण बताएँ।
उत्तर
: (1) मुद्रण तकनीक
के विकास के कारण धर्म के क्षेत्र में नयी व्याख्याओं का पदार्पण हुआ। कैथोलिक धर्म
की बुराइयाँ धीरे-धीरे स्पष्ट रूप से सामने आने लगीं। धर्मगुरुओं ने इसे धर्म के खिलाफ
विद्रोह के रूप में लिया।
(2)
छपे हुए लोकप्रिय साहित्य के बल पर कम शिक्षित लोग धर्म की अलग-अलग व्याख्याओं से परिचित
हुए। इटली के एक किसान मेनोकियो ने ईश्वर और सृष्टि के बारे में ऐसे विचार बनाए
कि रोमन कैथोलिक चर्च उससे क्रुद्ध हो गया। उसे मौत की सजा दे दी गयी।
(3)
सामान्य लोगों द्वारा धर्म पर उठाये जा रहे सवालों से रोमन चर्च परेशान हो गया।
(4)
परिणामस्वरूप रोमन चर्च ने प्रकाशकों और पुस्तक विक्रेताओं पर पाबंदियाँ लगायीं तथा
1558 ई. से प्रतिबंधित किताबों की सूची रखनी प्रारंभ कर दी।
प्रश्न : छपी किताबों को लेकर इरास्मस के विचारों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
उत्तर
: (1) इरास्मस
लातिन भाषा का विद्वान तथा कैथोलिक धर्म सुधारक था।
(2)
वह कैथोलिक धर्म की बुराइयों के खिलाफ था, पर छपाई को लेकर बहुत आशंकित था।
(3)
वह किताबों के प्रचार-प्रसार से बहुत दुखी था। उसके अनुसार किताबें अच्छी हो सकती हैं
पर, अच्छी चीजों की अति भी हानिकारक है।
(4)
उसने प्रकाशकों पर बकवास, बेवकूफ, सनसनीखेज, धर्मविरोधी, अज्ञानी और षड्यंत्रकारी किताबें
छापने का आरोप लगाया।
भारत में मुद्रण
प्रश्न : उन्नीसवीं सदी में भारत में गरीब जनता पर मुद्रण संस्कृति का क्या
असर हुआ? वर्णन कीजिए।
उत्तर : 19वीं सदी में भारत में गरीब जनता
पर मुद्रण संस्कृति का निम्नलिखित असर हुआ –
(i)
मुद्रण क्रांति के परिणामस्वरूप कम लागत पर अधिक पुस्तकों का प्रकाशन हुआ जिसके कारण
गरीब जनता को भी इन किताबों को खरीदने का अवसर प्राप्त हुआ। अनेक लोगों को छापाखाने
में काम मिला।
(ii)
सस्ती मुद्रण सामग्री से उन्हें राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय और स्थानीय समाचार मिलने
लगे।
(iii)
भाषाई प्रेस ने गरीब लोगों के मन में राष्ट्रवादी भावनाओं को रोप किया।
(iv)
मुद्रण संस्कृति द्वारा गरीबों में शराबखोरी, अशिक्षा आदि सामाजिक बुराइयों के प्रति
जागरूकता अभियान छेड़ा गया। समाज में धार्मिक कुरीतियों जैसे सती प्रथा, बाल विवाह,
मूर्तिपूजा, जाति प्रथा और ब्राह्मणों के प्रभुत्व का घोर विरोध मुद्रण शक्ति द्वारा
किया गया। इस प्रकार मुद्रण संस्कृति ने गरीब जनता के कल्याण को सम्भव बना दिया।
(v)
किताबों में प्राचीन पाखंडों की आलोचना करते हुए नए और न्यायपूर्ण समाज की स्थापना
पर बल दिया गया। इससे जन्म आधारित विशेषाधिकार तथा जाति आधारित भेदभाव को समाप्त करने
का वातावरण बना।
प्रश्न : मुद्रण संस्कृति ने भारत में राष्ट्रवाद के विकास में क्या मदद की?
उत्तर
: मुद्रण संस्कृति ने
भारत में राष्ट्रवाद के विकास में निम्नलिखित प्रकार से मदद की –
(1)
पत्र-पत्रिकाओं एवं समाचार-पत्रों ने ब्रिटिश सरकार की दमनकारी और अन्यायपूर्ण नीतियों,
रंगभेद को नीति, आर्थिक शोषण की नीति आदि की आलोचना की गयी। इससे आम जनता को औपनिवेशिक
शासन की बुराइयों एवं शोषण का पता चला और देशभक्ति एवं राष्ट्रीय भावनाओं का प्रसार
हुआ।
(2)
कहानियों, कविताओं आदि के द्वारा भारतीय जनता में राष्ट्रवाद की भावना को जागृत करने
का प्रयास किया गया। आनंद मठ, भारत-दुर्दशा आदि रचनाओं ने देशवासियों
में राष्ट्रीय भावना का प्रसार किया।
(3)
राष्ट्रवादी अखबारों ने क्रांतिकारी विचारों को जनता के बीच फैलाया।
(4)
कार्टूनों के प्रकाशन के माध्यम से अंग्रेजी शासन एवं संस्कृति के विकृत रूपों को जनता
के सामने लाने का प्रयास किया गया।
(5)
मुद्रण संस्कृति के कारण सामान्य जनता शिक्षित एवं जागरूक हुई। वह समाज सुधारकों, नेताओं
एवं राष्ट्रवादियों के विचारों से अवगत होने लगी। इससे आम-जन में राष्ट्रवाद का विकास
हुआ।
प्रश्न : मुद्रण संस्कृति ने भारत में किस तरह सामाजिक धार्मिक सुधार का मार्ग
प्रशस्त किया?
उत्तर
: मुद्रण संस्कृति ने
निम्न प्रकार से भारत में धार्मिक-सामाजिक सुधार का मार्ग प्रशस्त किया –
(1)
सामाजिक बुराइयों के खिलाफ अनेक पत्र-पत्रिकाओं का प्रकाशन हुआ जिसके परिणामस्वरूप
लोग इन बुराइयों के विरोध में लामबंद हुए।
(2)
धर्म ग्रंथों के प्रकाशित होने से लोगों को उन्हें पढ़ने, समझने और अपने ढंग से व्याख्या
करने का अवसर मिला।
(3)
मुद्रण संस्कृति ने व्यक्तिगत उदारवादी विचारों के प्रसार में सहायता की। (4) इससे
लोगों को नये विचारों से अवगत होने का अवसर प्राप्त हुआ।
प्रश्न : उन्नीसवीं सदी में भारत में महिलाओं पर मुद्रण संस्कृति का क्या असर
हुआ?
उत्तर
: 19वीं सदी में भारत
में महिलाओं पर मुद्रण संस्कृति के प्रसार के निम्नलिखित प्रभाव हुए-
(1)
मध्यवर्गीय घरों की महिलाओं में पठन-पाठन के तरफ झुकाव में वृद्धि हुई।
(2)
उदार पिताओं द्वारा घर की महिलाओं की शिक्षा की व्यवस्था की जाने लगी।
(3)
पत्र-पत्रिकाओं में महिला-शिक्षा के प्रोत्साहन के कारणों का वर्णन किया जाने लगा।
(4)
महिलाओं की सामाजिक तथा राष्ट्रीय भागीदारी में वृद्धि हुई।
प्रश्न : महात्मा गाँधी ने कहा कि स्वराज्य की लड़ाई दरअसल अभिव्यक्ति, प्रेस
और सामूहिकता की लड़ाई है। कारण बताएँ।
उत्तर
: (1) भारत में औपनिवेशिक
शासन के दौरान सरकार द्वारा उन सभी प्रक्रियाओं एवं व्यवस्थाओं पर प्रतिबंध लगाया गया
जो राष्ट्रवाद से सीधे संबंधित थे।
(2)
इनमें से अभिव्यक्ति का अधिकार, प्रेस की स्वतंत्रता तथा संगठन बनाने की स्वतंत्रता
मुख्य थे।
(3)
गाँधीजी के अनुसार ये सभी प्रतिबंध नागरिकों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को पूरी तरह
कुचल देने का कुचक्र है। स्वराज्य ही ऐसी स्वतंत्रता दे सकता है जहाँ प्रेस, व्यक्ति
या समूह अपनी बात अभिव्यक्ति करने के लिए स्वतंत्र होता है।
(4)
अतः गाँधी जी ने जब स्वराज्य को अपना उद्देश्य घोषित किया तो उन्होंने स्पष्ट रूप से
अभिव्यक्ति, प्रेस और संगठन बनाने की स्वतंत्रता को स्वराज्य का महत्त्वपूर्ण भाग स्वीकार
किया।
(5)
उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि - स्वराज की लड़ाई सबसे पहले इन संकटग्रस्त आजादी
की लड़ाई है।
प्रश्न : वर्नाक्युलर या देसी प्रेस एक्ट पर टिप्पणी लिखें।
अथवा, वर्नाक्युलर प्रेस एक्ट क्या था?
उत्तर
: (1) वर्नाक्युलर
प्रेस एक्ट 1878 ई. में पारित किया गया था।
(2)
इसके द्वारा अंग्रेज भारतीय प्रेस की आजादी पर अंकुश लगाना चाहते थे। यह एक्ट अंग्रेजों
द्वारा भारतीय प्रेस पर लगाये गये नियंत्रणों में सर्वाधिक प्रमुख और महत्त्वपूर्ण
था।
(3)
इस कानून के द्वारा सरकार को किसी भी खबर और संपादकीय को सेंसर करने का व्यापक अधिकार
मिल गया। सरकार के खिलाफ विकारों को दबाना इसका प्रमुख उद्देश्य था।
(4)
सरकार ने विभिन्न प्रदेशों से छपने वाले भाषायी अखबारों पर कड़ी नजर रखने की व्यवस्था
की।
(5) किसी आपत्तिजनक समाचार के प्रकाशन पर पहले अखबार को चेतावनी दी जाती थी तथा चेतावनी पर ध्यान नहीं देने पर अखबार तथा छपाई की मशीनें छीन ली जाती थी।
वस्तुनिष्ठ बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर (MCQ)
प्रश्न : विश्व में सर्वप्रथम मुद्रण तकनीक की शुरुआत कहाँ हुई?
(1)
भारत
(2)
जापान
(3)
चीन
(4)
अमेरिका
Ans:
(3)
प्रश्न : 768-770 ई. के आसपास छपाई की तकनीक लेकर कौन जापान आये?
(1)
चीनी बौद्ध प्रचारक
(2)
भारतीय ऋषि
(3)
यूरोपीय सौदागर
(4)
मिस्रवासी
Ans:
(1)
प्रश्न : 868 ई. में छपी, जापान की सबसे पुरानी पुस्तक कौन-सी है?
(1)
त्रिपिटक
(2)
डायमंड सूत्र
(3)
उतामारो
(4)
एदो
Ans:
(2)
प्रश्न : ग्यारहवीं सदी में किस रास्ते से चीनी कागज यूरोप पहुँचा?
(1)
ग्रैंड ट्रंक मार्ग
(2)
साइबेरिया
(3)
रेशम मार्ग
(4)
प्रशांत सागर
Ans:
(3)
प्रश्न : चीन से वुडब्लॉक (काठ की तख्ती) वाली छपाई की तकनीक को कौन
यूरोप लाया?
(1)
मार्को पोलो
(2)
कोलम्बस
(3)
चंगेज खान
(4)
गुटेनबर्ग
Ans:
(1)
प्रश्न : 'सुलेखन' शब्द का अर्थ है :
(1)
सुंदर छपाई की कला
(2)
सुंदर और शैलीबद्ध लेखन की कला
(3)
सुंदर हस्तकला की कला
(4)
'एकार्डियन की किताब' छापने की कला
Ans:
(2)
प्रश्न : 1448 में छापाखाना (प्रिंटिंग प्रेस) का आविष्कार किसने किया?
(1)
गुटेनबर्ग
(2)
कैक्सटन
(3)
एम.ओ.हो
(4)
इनमें किसी ने नहीं
Ans:
(1)
प्रश्न : गुटेनबर्ग का जन्म किस देश में हुआ था?
(1)
अमेरिका
(2)
जर्मनी
(3)
जापान
(4)
इंग्लैंड
Ans:
(2)
प्रश्न : गुटेनबर्ग द्वारा छापी गयी पहली किताब कौन-सी थी?
(1)
डायमंड सूत्र
(2)
बाइबिल
(3)
इंडिका
(4)
रेनसाँ
Ans:
(2)
प्रश्न : हाथ की छपाई की जगह यांत्रिक मुद्रण के आने पर कौन सी क्रांति
हुई?
(1)
रूसी क्रांति
(2)
राष्ट्रीय क्रांति
(3)
मुद्रण क्रांति
(4)
फ्रांसीसी क्रांति
Ans:
(3)
प्रश्न : गैली क्या है?
(1)
धातुई फ्रेम
(2)
चर्मपत्र
(3)
ताम्रपत्र
(4)
पाण्डुलिपि
Ans:
(1)
प्रश्न : मुद्रण क्रांति ने आधुनिक विश्व को निम्न में से किस प्रकार
प्रभावित किया?
(1)
इसने वैज्ञानिक खोजों और आविष्कारों की जानकारी को सरल कर दिया
(2)
इसने यूरोप में प्रोटेस्टेंट धर्म के विचारों का प्रसार सरल बना दिया
(3)
इसने राष्ट्रवाद और जनमानस के विचारों को प्रभावित किया
(4)
इनमें से सभी
Ans:
(4)
प्रश्न : मुद्रण और साहित्य के प्रसार की किन लोगों ने आलोचना की और
चिंता व्यक्त की?
(1)
धर्मगुरुओं ने
(2)
सम्राटों ने
(3)
पुराने लेखकों ने
(4)
इनमें से सभी ने
Ans:
(4)
प्रश्न : मार्टिन लूथर कौन था?
(1)
धर्म-सुधारक
(2)
वैज्ञानिक
(3)
नाविक
(4)
किसान
Ans:
(1)
प्रश्न : रोम में कैथोलिक चर्च में सुधार के लिए 16वीं शताब्दी में
हुए आंदोलन को क्या कहते हैं?
(1)
इन्क्वीजीशन
(2)
प्रोटेस्टेंट धर्मसुधार
(3)
धर्म विरोध
(4)
धर्म क्रांति
Ans:
(2)
प्रश्न : किसने कहा, "मुद्रण ईश्वर की दी हुई महानतम देन है, सबसे
बड़ा तोहफा।"
(1)
गुटेनबर्ग
(2)
इरास्मस
(3)
मार्टिन लूथर
(4)
मेकाइवर
Ans:
(3)
प्रश्न : किसने सोलहवीं सदी के मध्य में प्रकाशकों और पुस्तक-विक्रेताओं
पर कई तरह की पाबंदियाँ लगाईं और प्रतिबंधित किताबों की सूची रखनी शुरू कर दी?
(1)
रोमन कैथोलिक चर्च
(2)
प्रोटेस्टेंट चर्च
(3)
लुई सोलहवाँ
(4)
रूस के जार
Ans:
(1)
प्रश्न : परंपरा, अंधविश्वास और निरंकुशवाद की आलोचना करने वाले ज्ञानोदय
के चिंतकों के विचारों का प्रसार किसके कारण संभव हुआ?
(1)
फ्रांसीसी क्रांति
(2)
मुद्रण
(3)
राष्ट्रवाद
(4)
उपनिवेशवाद
Ans:
(2)
प्रश्न : भारत में पहला प्रिंटिंग प्रेस किनके द्वारा स्थापित किया
गया था?
(1)
फ्रांसीसियों द्वारा
(2)
पुर्तगालियों द्वारा
(3)
डचों द्वारा
(4)
अंग्रेजों द्वारा
Ans:
(2)
प्रश्न : भारतीयों द्वारा प्रकाशित प्रथम साप्ताहिक समाचार-पत्र कौन-सा
था?
(1)
पायोनिअर
(2)
बंगाल गजट
(3)
अमृत बाजार पत्रिका
(4)
सुलभ समाचार
Ans:
(2)
प्रश्न : भारत में अंग्रेजी भाषा का पहला अखबार 'बंगाल गजट' निम्न में
से किसने प्रकाशित किया था?
(1)
जेम्स ऑगस्टस हिक्की
(2)
जनरल वॉरेन हेस्टिंग्स
(3)
विलियम बोल्ट्स
(4)
अल्फ्रेड मार्शल
Ans:
(1)
प्रश्न : 'संवाद कौमुदी' एवं 'समाचार चंद्रिका' के प्रकाशक कौन थे?
(1)
महात्मा गाँधी
(2)
ज्योतिबा फुले
(3)
राममोहन राय
(4)
लोकमान्य तिलक
Ans:
(3)
प्रश्न : 'गीत गोविन्द' की रचना किसने की थी?
(1)
जयदेव
(2)
तुलसीदास
(3)
रसखान
(4)
रामकृष्ण
Ans:
(1)
प्रश्न : 'आमार जीवन' नामक आत्मकथा किसने लिखा था?
(1)
ताराबाई शिंदे
(2)
रासुन्दरी देवी
(3)
पंडिता रमाबाई
(4)
राम चड्डा
Ans:
(2)
प्रश्न : सोलहवीं सदी में तुलसीदास द्वारा रचित 'रामचरितमानस' का पहला
मुद्रित संस्करण 1810 में कहाँ से प्रकाशित हुआ?
(1)
गोरखपुर
(2)
कलकत्ता
(3)
बनारस
(4)
दिल्ली
Ans:
(2)
प्रश्न : ज्योतिबा फुले ने जाति प्रथा के अत्याचारों पर 1871 में कौन-सी
पुस्तक लिखी?
(1)
गुलामगिरी
(2)
हरिजन
(3)
स्त्री-धर्म
(4)
स्वराज
Ans:
(1)
प्रश्न : 'वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट' कब लागू किया गया था?
(1)
1873 में
(2)
1887 में
(3)
1878 में
(4)
1858 में
Ans:
(3)
प्रश्न : बालगंगाधर तिलक द्वारा प्रकाशित अखबार कौन-सा था?
(1)
नया पंजाब
(2)
केसरी
(3)
स्वराज
(4)
यंग इंडिया
Ans:
(2)
प्रश्न : महात्मा गाँधी ने किस पत्र का संपादन किया?
(1)
कॉमनविल
(2)
यंग इंडिया
(3)
बंगाली
(4)
बिहारी
Ans:
(2)
प्रश्न : किसने कहा कि 'स्वराज की लड़ाई दरअसल अभिव्यक्ति, प्रेस, और
सामूहिकता के लिए लड़ाई है।'
(1)
महात्मा गाँधी
(2)
मार्टिन लूथर
(3)
तिलक
(4)
गोखले
Ans: (1)
Class X Economics
Question Solution
Class 10 Economics All Chapter MVVI Objective & Subjective Questions Answer
Class 10 Civics (नागरिकशास्त्र) All Chapter MVVI Objective & Subjective Questions Answer
Class 10 Science Jac Model Paper 2024-25
Class 10 Social Science Jac Model Paper 2024-25
Class 10 Hindi (A) Jac Model Paper Solution 2024-25
10th Hindi Jac Model Question Solution,2022-23
JCERT/JAC प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)
Class 10
सामाजिक विज्ञान
विषय-सूची
इतिहास | भारत और समकालीन विश्व- 2 |
1. | |
2. | |
3. | |
4. | |
5. | |
भूगोल | समकालीन भारत- 2 |
1. | |
2. | |
3. | |
4. | |
5. | |
6. | |
7. | |
नागरिक शास्त्र | लोकतांत्रिक राजनीति-2 |
1. | |
2. | |
3. | |
4. | |
5. | |
6. | |
7. | |
8. | |
अर्थशास्त्र | आर्थिक विकास की समझ |
1. | |
2. | |
3. | |
4. | |
5 | |