प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)
Class - 10
Social Science (Civics)
4. जाति, धर्म और लैंगिक मसले
वस्तुनिष्ठ प्रश्न-
1. संविधान के किस अनुच्छेद द्वारा अस्पृश्यता को समाप्त कर दिया
गया है?
A.
अनुच्छेद 15
B.
अनुच्छेद 16
C.
अनुच्छेद 17
D.
अनुच्छेद 18
उत्तर
-C. अनुच्छेद 17
2. औरत और मर्द के समान अधिकारों और अवसरों में विश्वास करने वाली महिला
या पुरुष को कहते हैं..
A.
साम्यवादी
B.
समाजवादी
C.
नारीवादी
D.
संप्रदाय वादी
उत्तर
-C. नारीवादी
3. नारीवादी आंदोलन का
लक्ष्य होता है.
A.
स्वतंत्रता
B.
समानता
C.
भागीदारी
D.
सत्ता
उत्तर-
B. समानता
4. एक सीढ़ीनुमा रचना जिसमें सभी जाति समूह को उच्चतम से निम्नतम के
रूप में रखा जाता है उसे कहते हैं।
A.
जाति रचना
B.
जाति पदानुक्रम
C.
जाति भेदभाव
D.
पिरामिड
उत्तर
-B. जाति पदानुक्रम
5. महिलाओं की समाज में बराबरी की मांग के आंदोलन को क्या कहा जाता
है?
A
महिला मुक्ति आंदोलन
B.
नारीवादी आंदोलन
C.
स्त्री शक्ति आंदोलन
D.
इनमें से कोई नहीं
उत्तर-B.
नारीवादी आंदोलन
6. भारत के संविधान के अनुसार भारत कैसा देश है?
A.
धर्म प्रधान
B.
हिंदू
C.
मुस्लिम
D.
धर्मनिरपेक्ष
उत्तर
-D. धर्मनिरपेक्ष
7. धर्म सामाजिक समुदाय का काम करता है यह मान्यता किस पर आधारित है
?
A.
धन पर
B.
सरकार पर
C.
समुदाय पर
D.
संप्रदायिकता पर
उत्तर
-D. संप्रदायिकता पर
8. धार्मिक आधार पर संप्रदायिकता का दूसरा रूप है।
A.
आर्थिक गोलबंदी
B.
राजनीतिक गोलबंदी
C.
समाजिक गोलबंदी
D.
सांस्कृतिक गोलबंदी
उत्तर
- B राजनीतिक गोलबंदी
9. जाति पर आधारित सामाजिक विभाजन किस देश में है ?
A.
अमेरिका
B.
पाकिस्तान
C.
भारत
D.
ब्रिटेन
उत्तर
-C. भारत
10. लिंग विभाजन का अभिप्राय क्या है?
A.
अमीर और गरीब के बीच विभाजन
B.
पुरुषों और महिलाओं के बीच विभाजन
C.
शिक्षित और अशिक्षित के बीच विभाजन
D.
श्वेत और अश्वेत के बीच विभाजन
उत्तर-B.
पुरुषों और महिलाओं के बीच विभाजन
11. इनमें से कौन सा मामला परिवारिक कार्य से संबंधित है?
A.
विवाह और तलाक
B.
गोद लेना
C.
उत्तराधिकार
D.
उपरोक्त सभी
उत्तर-D.
उपरोक्त सभी
12. भारतीय समाज माना जाता है।
A
एक मातृसत्तात्मक समाज
B.
एक पितृसत्तात्मक समाज
C.
एक भ्रातृ समाज
D.
इनमें से कोई नहीं
उत्तर
- B. एक पितृसत्तात्मक समाज
13. पंचायतों और नगरपालिका में महिलाओं को प्रतिनिधित्व प्रदान करने
के लिए कौन से कदम उठाए गए हैं?
A.
महिलाओं के लिए आधी सीटों पर चुनाव के लिए आरक्षण
B.
1/3 महिला सदस्यों की नियुक्ति
C.
महिलाओं के लिए 1/3 सीटों पर चुनाव के लिए आरक्षण
D.
उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर
-C. महिलाओं के लिए 1/3 सीटों पर चुनाव के लिए आरक्षण
14. भारत किस प्रकार का राज्य है?
A.
लोकतांत्रिक
B.
धर्मनिरपेक्ष
C.
कल्याणकारी राज्य
D.
उपरोक्त सभी
उत्तर-D.
उपरोक्त सभी
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
1. लैंगिक असमानता किसे कहते है?
उत्तर-
जब पुरुषों एवं महिलाओं में किसी भी प्रकार का भेदभाव किया जाता है तो उसे लैंगिक असमानता
कहते हैं।
2. तीन प्रकार की सामाजिक विषमताओं के नाम लिखें?
उत्तर
- तीन प्रकार की सामाजिक विषमता:
1.
लिंग
2.
धर्म
3.
जाति
3. भारत की विधायिका में महिलाओं के प्रतिनिधित्व की क्या स्थिति है?
उत्तर
- भारत की विधायिका में महिला प्रतिनिधियों का अनुपात बहुत ही कम है लोकसभा में महिला
सांसदों की गिनती 10% से भी कम है।
4. पितृ प्रधान का शाब्दिक अर्थ क्या है?
उत्तर
- पितृ प्रधान का शाब्दिक अर्थ होता है पिता की प्रधानता या शासन। इस पद का प्रयोग
महिलाओं की तुलना में, पुरुषों को ज्यादा महत्व एवं ज्यादा शक्ति देने वाली व्यवस्था
के लिए भी किया जाता है।
5. पारिवारिक कानून क्या है?
उत्तर
- विवाह, तलाक, गोद लेना और उत्तराधिकार जैसे परिवार से जुड़े मसलों से संबंधित कानून
को पारिवारिक कानून कहते हैं। परंतु भारत में सभी धर्मों के लिए अलग-अलग पारिवारिक
कानून की व्यवस्था है।
6. शहरीकरण किसे कहते हैं?
उत्तर-
ग्रामीण इलाकों से निकलकर लोगों का शहरों में बसना शहरीकरण कहलाता है।
7. हमारी सामाजिक शांति तथा सौहार्द को कौन भंग करता है?
उत्तर-
हमारी सामाजिक शांति और सौहार्द को आपसी जातिवादी झगड़े, संप्रदायिक दंगे, क्षेत्रीय
हिंसा एवं वंशानुगत शत्रुता भंग करता है, और देश में अशांति लाता है। जिससे राष्ट्रीय
एकता को हानि पहुंचती है।
8. अल्पसंख्यक किसे कहते हैं?
उत्तर-
धर्म, भाषा के आधार पर किसी राज्य में रहने वाले लोगों का वह समूह जो बहुमत या बहुसंख्या
में कम होते हैं उसे अल्पसंख्यक कहते हैं।
9. नारीवादी किसे कहते हैं?
उत्तर
- समाज के वे लोग जो महिलाओं और पुरुषों के समान अधिकारों एवं अवसरों में विश्वास रखते
हैं। उसे नारीवादी कहते हैं।
10. संप्रदायिकता किसे कहते हैं?
उत्तर-
अपने धर्म को दूसरे धर्मों से श्रेष्ठ मानने की मानसिकता को संप्रदायिकता कहते हैं।
11. धर्मनिरपेक्ष राज्य से आप क्या समझते हैं?
उत्तर-
वह राज्य जिसमें सभी धर्मों को समान महत्व दिया जाता है। राज्य के प्रत्येक व्यक्ति
को कोई भी धर्म को मानने की स्वतंत्रता होती है। उसे धर्मनिरपेक्ष राज्य कहते हैं।
12. जातिवादी किसे कहते हैं?
उत्तर
समाज में जाति के आधार पर उच्च जाति एवं निम्न जाति के बीच उत्पन्न सामाजिक तनाव एवं
भेदभाव पूर्ण रवैया जातिवादी कहलाता है।
13. श्रम का लैंगिक विभाजन से क्या तात्पर्य है?
उत्तर
- काम के बंटवारे का वह तरीका जिसमें घर के अंदर के सारे काम परिवार की औरतें करती
है श्रम का लैंगिक विभाजन कहलाता है।
14. वर्ण व्यवस्था क्या है?
उत्तर
- विभिन्न जातीय समूहों का समाज में पदानुक्रम को वर्ण व्यवस्था कहते हैं।
15. सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार किसे कहते हैं?
उत्तर-
किसी राज्य में रहने वाले 18 वर्ष या उससे अधिक आयु के सभी लोगों को समान रूप से मत
देने का अधिकार है, इसे सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार कहते हैं।
16. अनुसूचित जातियां का क्या तात्पर्य है ?
उत्तर
- वे जातियां जो हिंदू सामाजिक व्यवस्था में उच्च जाति से अलग और अछूत मानी जाती है।
जिसे दलित भी कहते हैं, तथा जिनका अपेक्षित विकास नहीं हुआ है उसे अनुसूचित जातियां
कहते हैं।
17. अनुसूचित जनजातियां का क्या तात्पर्य है?
उत्तर-
ऐसा समुदाय जो साधारणता पहाड़ी और जंगली क्षेत्रों में रहते हैं। जिनका बाकी समाज से
अधिक मेलजोल नहीं है, साथ ही उनका विकास नहीं हो पाया है। उसे अनुसूचित जनजातियां कहते
हैं।
लघु उत्तरीय प्रश्न
1. विभिन्न तरह की संप्रदायिक राजनीति का ब्यौरा दें? और सबके साथ एक-एक
उदाहरण भी दे?
उत्तर-
जब कुछ धर्मों के लोग अपने धर्म को दूसरों से श्रेष्ठ मानने लगते हैं, तो इस भावना
को संप्रदायिकता कहते हैं। संप्रदायिकता राजनीति में अनेक रूप धारण कर सकती है-
1.
राजनीतिक प्रभुत्व की इच्छा- जो लोग बहुसंख्यक होते है
उनका प्रयास रहता है कि वह अल्पसंख्यक समुदाय पर अपना प्रभुत्व स्थापित करें। जैसे
श्रीलंका।
2.
राजनीतिक गोलबंदी- संप्रदायिक आधार पर राजनीति गोलबंदी करना
संप्रदायिकता का एक अन्य रूप है। इसमें धर्म के पवित्र प्रतीकों, धर्म गुरुओं द्वारा
मतदाताओं से धर्म के नाम पर अपील करना शामिल है। चुनावी राजनीतिक व्यवस्था में एक धर्म
के मतदाताओं की भावना या हितों की बात उठाने जैसे तरीके अक्सर अपनाए जाते हैं।
3.
हिंसा, दंगा, व नरसंहार का रूप लेना कभी कभी संप्रदायिकता
के नाम पर विभिन्न क्षेत्रों में दो विरोधी संप्रदायों में किसी साधारण घटना पर भी
दंगे और नरसंहार हो जाते हैं। जिसमें अनेक लोगों की जान चली जाती है । बल्कि धन-संपत्ति
की भी हानि होती है। जैसे 1947 में देश विभाजन के समय इसी प्रकार के संप्रदायिक दंगे
हुए थे।
2. बताइए कि भारत में किस तरह अभी भी जातिगत असमानताएं जारी है?
उत्तर-
जाति प्रथा एक सामाजिक बुराई है। समय-समय पर इसमें अनेक बदलाव किए गए हैं, अर्थात इस
सामाजिक ब्राई को दूर करने का प्रयास किया गया है। फिर भी भारत में अभी भी जातिगत असमानताएं
हैं। इसके निम्नलिखित कारण है:
1.
अभी भी विभिन्न जातियां कबीले अपनी ही जाति व कबीले में विवाह करते हैं।
2.
संवैधानिक रूप से छुआछूत का अंत करने के बावजूद निम्न (नीचे) जातियों के साथ भेदभाव
पूर्ण व्यवहार किया जाता है।
3.
अभी भी जाति और आर्थिक असमानता में गहरा संबंध है।
3. दो कारण बताएं कि क्यों सिर्फ जाति के आधार पर भारत में चुनावी नतीजे
तय नहीं हो सकते ?
उत्तर-
जाति ही राजनीति का चुनाव का आधार है। यह कथन सही नहीं है, क्योंकि सिर्फ जाति के आधार
पर भारत में चुनावी नतीजे तय नहीं हो सकते। इसके दो निम्नलिखित कारण हैं.
1.
संसदीय चुनाव क्षेत्र में एक जाति का बहुमत ना होना-
किसी एक संसदीय चुनाव में किसी एक जाति के लोगों का बहुमत नहीं है। अतः चुनाव में विजय
प्राप्त करने के लिए एक से अधिक जातियों और संप्रदायों के मतदाताओं पर निर्भर रहना
पड़ता है।
2.
जातियों और समुदायों की एक पसंद न होना-
हमारे देश में सत्तारुढ दल, वर्तमान सांसदों और विधायकों को अक्सर हार का सामना करना
पड़ता है। अगर जातियों और समुदाय की राजनीति पसंद एक ही होती है तो ऐसा संभव नहीं हो
पाता है।
4. किन्हीं दो प्रावधानों का जिक्र करें जो भारत को धर्मनिरपेक्ष देश
बनाते हैं ?
उत्तर-
भारत को धर्मनिरपेक्ष देश बनाने वाले दो प्रावधान निम्नलिखित है
1.
भारत में विभिन्न धर्मों को मानने वाले लोग रहते हैं। जैसे हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई,
जैन, बौद्ध, फारसी आदि। इसमें से किसी भी धर्म को राजकीय धर्म के रूप में स्वीकार नहीं
किया गया है। संवैधानिक रूप से सभी धर्म एक समान है।
2.
संविधान में किसी भी नागरिक को कोई भी धर्म को मानने और उसका प्रचार प्रसार करने की
पूरी आजादी दी गई है।
5. महिला सशक्तिकरण एवं लैंगिक समानता देश के विकास के लिए आवश्यक है।
इस दिशा में भारत सरकार द्वारा उठाए गए किन्ही चार कदमों का उल्लेख कीजिए?
उत्तर-
महिला सशक्तिकरण एवं लैंगिक समानता देश के विकास के लिए अति आवश्यक है इसके लिए भारत
सरकार ने निम्नलिखित कदम उठाए हैं -
1.
राष्ट्रीय महिला आयोग की स्थापना।
2.
राजनीति में महिलाओं को 33% सीटों पर आरक्षण ।
3.
2006 में घरेलू हिंसा निवारण अधिनियम एवं 1961 का दहेज निषेध अधिनियम ।
4
कन्या भ्रूण हत्या को कानूनी अपराध घोषित करना।
6. संप्रदायिकता का समाज पर पड़ने वाले तीन प्रमुख दुष्प्रभाव का उल्लेख
कीजिए?
उत्तर
- संप्रदायिकता का समाज पर पड़ने वाले प्रमुख दुष्प्रभाव -
1.
विभिन्न धार्मिक गुटों में लड़ाई झगड़ा का होना। जिससे समाज में विभाजन हो जाता है।
2.
यह लोकतंत्र और राजनीति को प्रभावित करता है क्योंकि अधिकांश मतदाता संप्रदायिकता के
आधार पर चुनाव करते हैं।
3.
कई सांप्रदायिकता की ताकतें अपने भड़काऊ भाषण से समाज में लड़ाई दंगे फैलवाते हैं।
7. जातिवाद क्या है जातिवाद की बुराइयां कैसे दूर की जा सकती है?
उत्तर
- जातिवाद का अर्थ है समाज में उच्च वर्ग द्वारा निम्न वर्ग से घृणा करना । जातिवाद
की बुराई को दूर करने के उपाय
1.
जातिवाद के विरुद्ध जनमत तैयार करना।
2.
संवैधानिक कानून अर्थात अनुच्छेद 15 और अनुच्छेद 17 का कठोरता से लागू या पालन करवाना।
8. जातिवाद के दुष्प्रभाव क्या है?
उत्तर
- जातिवाद के दुष्प्रभाव:
1.
जातिवाद लोकतंत्र के मार्ग में सबसे बड़ी बाधा है। सामाजिक असमानता जब हावी हो जाती
है तो इसके दुष्प्रभाव देखने को मिलते हैं।
2.
जातिवाद से समाज में ऊंच-नीच का भेदभाव उत्पन्न होने लगता है । जिसके कारण निम्न जाति
उच्च जाति द्वारा उत्पीड़न और शोषण का शिकार हो जाती है।
3.
जातिवाद के कारण समाज विभिन्न वर्गों में विभाजित हो जाता है, और भेदभाव की भावना उनमें
बढ़ जाती है। जो राष्ट्रीय एकता के मार्ग पर खतरा है।
9. संप्रदायिकता से आपका क्या अभिप्राय है? इसको दूर करने के किन्हीं
दो उपायों को लिखें?
उत्तर-
अपने धर्म पर आस्था या कट्टरता रखना और दूसरे धर्मों को घृणा की दृष्टि से देखना संप्रदायिकता
कहलाता है। ऐसे धर्म के नाम पर लड़ाई झगड़े समाज को विभाजित कर देते हैं। देश का बंटवारा
इसी भावना का परिणाम था । अतः संप्रदायिकता निम्नांकित उपायों से दूर की जा सकती है
1.
शिक्षा द्वारा-शिक्षा के पाठ्यक्रम में सभी धर्म की अच्छाई बताई जाए। जहां विद्यार्थियों
को सहिष्णुता एवं सभी धमाँ के प्रति आदर का भाव सिखाया जाए।
2.
प्रचार द्वारा समाचार पत्र, रेडियो, टेलीविजन आदि से जनता को धार्मिक सहिष्णुता की
शिक्षा दी जाए।
10. भारत में महिलाओं के निम्न और दयनीय स्थिति के लिए उत्तरदायी किन्हीं
तीन कारणों को स्पष्ट कीजिए ?
उत्तर-
भारत में महिलाओं की निम्न और दयनीय स्थिति के लिए उत्तरदायी कारण
1.
शिक्षा में महिलाओं का निम्न स्तर अर्थात पुरुषों की तुलना में महिलाओं की साक्षरता
दर कम है।
2
महिलाओं में लैंगिक असमानता का होना अर्थात समाज में स्त्री और पुरुषों के बीच असमानता
का व्यवहार होना।
3.
महिलाओं के साथ सामाजिक भेदभाव और राजनीति में महिलाओं की उपेक्षा या भागीदारी कम होना।
11. सांप्रदायिक राजनीति के विभिन्न रूपों का वर्णन करें ?
उत्तर-
साम्प्रदायिक राजनीति के रूप-
1.
साम्प्रदायिकता के आधार पर राजनीति करने वाले लोग या राजनेता।
2.
संप्रदाय के आधार पर राजनीतिक दलों का निर्माण या अलग-अलग खेमों में बेट जाना।
3.
राजनीतिक लाभ के लिए साम्प्रदायिक हिंसा या टकराव उत्पन्न होना।
4.
साम्प्रदायिक दिशा में राजनीति को आगे बढ़ाना।
5.
धार्मिक आधार पर मतों का ध्रुवीकरण।
12. भारत की विधायिका में महिलाओं के प्रतिनिधित्व की स्थिति क्या है
एवं भारत में महिलाओं का राजनीति में प्रतिनिधित्व बहुत कम होने के क्या कारण है?
उत्तर
- भारत की विधायिका में महिला प्रतिनिधियों का अनुपात बहुत ही कम है। लोकसभा में महिला
सांसदों की गिनती 10% से भी कम है। प्रांतीय विधानसभा में उनका प्रतिनिधित्व और भी
कम है जो केवल 5% है। भारत में राजनीति में महिलाओं का प्रतिनिधित्व कम होने के कारण-
1.
अधिकांश महिलाओं को घर तक ही सीमित रखा जाता है।
2.
महिला में शिक्षा का अभाव
3.
राजनीतिक दल द्वारा उनकी संख्या के अनुपात में टिकट नहीं देते हैं।
4
महिलाओं में राजनीति के प्रति जागरूकता का अभाव।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1. जीवन के उन विभिन्न पहलुओं का जिक्र करें जिनमें भारत में स्त्रियों
के साथ भेदभाव पूर्ण व्यवहार होता है या वे कमजोर स्थिति में रहे हैं?
उत्तर-
जीवन के विभिन्न पहलू जहां भारत में स्त्रियों के साथ भेदभाव किया जाता है:
1.
समाज में महिलाओं का निम्न स्थान- एष प्रधान समाज में
हमेशा महिलाओं को पुरुषों के अधीन रखा जाता है। भले ही भारतीय संविधान दोनों की समानता
की बात करता है। परंतु वास्तविकता यही है कि उन्हें पुरुषों की तुलना में कम अवसर दिए
जाते हैं।
2.
बालिकाओं की प्रति उपेक्षा समाज में बालिकाओं की उपेक्षा
की जाती है। लड़के और लड़कियों के बीच भेदभाव पूर्ण व्यवहार किया जाता है क्योंकि लड़के
जन्म पर सभी खुशी होते हैं, और लड़की के जन्म पर परिवार चुप रहता है। लड़कियां परिवार
की बोझ समझी जाती है। समाज की प्रचलित कुप्रथा लड़कियों को आगे बढ़ने का अवसर नहीं
देती है।
3.
महिलाओं की शिक्षा की अवहेलना पुरुषों की तुलना में महिलाओं
की साक्षरता दर काफी कम है। पुरुषों का 76% तो महिलाओं का केवल 54% है। समाज अभी भी
लड़कियों की शिक्षा पर ध्यान नहीं देता है। भारतीय संविधान पुरुष और महिला (लड़के लड़कियों
को शिक्षा का समान अवसर देता है। परंतु उनके माता-पिता लड़कियों की जगह लड़कों की पढ़ाई
को ज्यादा महत्व देते हैं। उसपर ज्यादा खर्च करना पसंद करते हैं। यही कारण है कि लड़कियां
केवल रसोई तक ही सीमित रहती है।
4.
काम में एक जैसा अवसर न होना- भारतीय समाज स्त्री एवं पुरुषों
को रोजगार का समान अवसर देता है। परंतु काम करने के अवसर पुरुषों की तुलना में महिलाओं
के लिए कम है। असंगठित संस्था में महिलाओं की उपेक्षा की जाती है। समान कार्य के लिए
समान वेतन की अवहेलना होती है, क्योंकि एक महिला मजदूर को एक पुरुष के समान, समान मजदूरी
नहीं मिलता है। जबकि दोनों समान कार्य करते हैं। अभी भी बहुत से ऐसे पद है जहां महिलाओं
की संख्या ना के बराबर है।
5.
विधानसभा में महिलाओं की संख्या कम होना-
प्रांतीय विधानसभा में महिलाओं की संख्या 5% से भी कम है।
2. जाति का राजनीति पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर-
जाति का राजनीति पर अनेक रूपों से प्रभाव पड़ता है-:
1.
विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा जाति के आधार पर उम्मीदवारों का चयन
चुनावों में विभिन्न चुनाव क्षेत्रों के लिए राजनीतिक दल अपने उम्मीदवारों का चयन इस
बात को लेकर करते हैं कि निर्वाचन क्षेत्र में किस जाति का बहुमत है।
2.
सरकार ने विभिन्न जातियों का प्रतिनिधित्व-केंद्र
सरकार और राज्य सरकार में सभी जातियों को प्रतिनिधित्व देने की परंपरा स्थापित की गई
है। जिसके कारण सभी जाति के मंत्री अपनी जाति के उत्थान का प्रयास करते हैं और इस प्रयास
के परिणाम स्वरूप टकराव की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। जिसके कारण निर्णय निर्माण प्रक्रिया
में आपसी सामंजस्य दिखलाई नहीं देता है।
3.
जातीय भावनाओं को उकसाने में राजनीतिक दलों की सक्रियता-
भारत में कुछ राजनीतिक दल ऐसे भी हैं जो जातीय भावना को उकसाकर चुनाव में अपने उम्मीदवारों
की जीत सुनिश्चित कर लेते हैं।
4.
कमजोर जाति के लोगों का राजनीति में बढ़ती अभिरुचि जातीय
विभेद और राजनीति में संबंध स्थापित करने में कमजोर जाति के लोगों की भूमिका महत्वपूर्ण
रही है। कमजोर जातियों में राजनीति के प्रति जितनी अभिरुचि बढ़ी है। उतना पहले नहीं
थी। अब उन्हें समझ में आ गया है कि राजनीति के ही माध्यम से अपनी मांगों को पूरा कर
सकते हैं। परंतु कुछ राजनीतिक दलों ने उनका भरपूर लाभ भी उठाया है।
उपर्युक्त
विवेचना से यह निष्कर्ष निकलता है कि चुनाव में जातीय विभेद की भूमिका सर्वोपरि है।
3. नारी की समाज में दयनीय स्थिति के लिए उत्तरदायी कारणों का वर्णन
करें ?
उत्तर
- नारी की समाज में दयनीय स्थिति के लिए उत्तरदायी कारक निम्नलिखित है-
1.
नारी समुदाय में शिक्षा का अभाव है। शिक्षा के संबंध में अब भी महिलाएं पुरुषों से
पीछे हैं । 2001 की जनगणना के अनुसार 73.30% पुरुष एवं 53.70% महिलाएं शिक्षित है।
जिसमें पुरुषों की तुलना में महिलाओं में साक्षरता दर काफी कम है।
2.
पर्दा प्रथा से भी बहुत बड़ा अहित हुआ है। कुछ समाज में महिलाएं अभी भी पर्दे में रहती
है।
3.
दहेज प्रथा एक सामाजिक बुराई है क्योंकि इसके कारण भ्रूण हत्या जैसे मामले सामने आते
हैं। परिवार की लड़कियां लड़कों के मुकाबले भार समझी जाती है। कुछ परिवार में लड़कों
के जन्म पर खुशियां और लड़कियों के जन्म पर मातम मनाए जाते हैं।
4.
सती प्रथा तथा बाल विवाह की प्रथा से भी उन्हें काफी हानि हुई है। सती प्रथा भले ही
अब नहीं दिखलाई देता है। परन्तु बाल विवाह की समस्या अभी भी समाज में व्याप्त है। लड़कियों
की विवाह की आयु 18 वर्ष लड़कों की 21 वर्ष है। परंतु दहेज प्रथा एवं लड़कियों को बोझ
समझने वाला समाज कम उम्र में लड़कियों का विवाह अधिक उम्र के पुरुषों से कर देता है।
बाल विवाह के कारण लड़कियां शिक्षा से वंचित एवं घरेलू कार्य तक ही सीमित रहती है।
5.
जनसंख्या की दृष्टि से भी स्त्री- पुरुषों में मतभेद है। पुरुषों की तुलना में स्त्रियों
की संख्या कम है। जहां 1901 में भारत में एक 1000 पुरुष पर 972 स्त्रियां थी, वहीं
2001 में 1000 पुरुषों पर नारियों की संख्या 933 पहुंच गई है।
6. उच्च मातृ मृत्यु दर, स्त्री भ्रूण हत्या, स्त्री शिशु गर्भपात, पुरुष प्रधान समाज, स्त्री शिशु की अवहेलना के कारण भी लिंग समानता की समस्या बनी हुई है।
विषय-सूची
इतिहास | भारत और समकालीन विश्व- 2 |
1. | |
2. | |
3. | |
4. | |
5. | |
भूगोल | समकालीन भारत- 2 |
1. | |
2. | |
3. | |
4. | |
5. | |
6. | |
7. | |
नागरिक शास्त्र | लोकतांत्रिक राजनीति-2 |
1. | |
2. | |
3. | |
4. | |
5. | |
6. | |
7. | |
8. | |
अर्थशास्त्र | आर्थिक विकास की समझ |
1. | |
2. | |
3. | |
4. | |
5 | |