Class 10 Eco Chapter- 2 Sectors of the Indian Economy (भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक)

Class 10 Economics Chapter- 2 Sectors of the Indian Economy (भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक)

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Q.1. कोष्ठक में दिए गए सही विकल्प का प्रयोग कर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए :-

(क) सेवा क्षेत्र में रोजगार में उत्पादन के समान अनुपात में वृद्धि नहीं हुई है । ( हुई है / नहीं हुई है )

(ख) तृतीयक क्षेत्र के श्रमिक वस्तुओं का उत्पादन नहीं करते हैं। (तृतीयक / कृषि )

(ग) असंगठित क्षेत्रक के अधिकांश श्रमिकों को रोजगार-सुरक्षा प्राप्त होती है। ( संगठित / असंगठित )

(घ) भारत में बड़े अनुपात में श्रमिक असंगठित क्षेत्रक में काम कर रहे हैं। ( बड़े / छोटे )

(ङ) कपास एक प्राकृतिक उत्पाद है और कपड़ा एक विनिर्मित उत्पाद है। ( प्राकृतिक / विनिर्मित )

(च) प्राथमिक द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्र को की गतिविधियां परस्पर निर्भर है। ( स्वतंत्रत / परस्पर निर्भर )

Q.  2. सही उत्तर का चयन करें

(अ) सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के आधार पर विभाजित है ।

(क) रोजगार की शर्तों
(ख) आर्थिक गतिविधि के स्वभाव
(ग) उद्यमों के स्वामित्व
(घ) उद्यम में नियोजित श्रमिकों की संख्या

(ब) एक वस्तु का अधिकांशतः प्राकृतिक प्रक्रिया से उत्पादन —- क्षेत्रक की गतिविधि है।

(क) प्राथमिक
(ख) द्वितीयक
(ग) तृतीयक
(घ) सूचना प्रौद्योगिकी

(स) किसी वर्ष में उत्पादित —– कूल मूल्य को स•घ•उ कहते हैं।

(क) सभी वस्तुओं और सेवाओं
(ख) सभी अंतिम वस्तुओं और सेवाओं
(ग) सभी मध्यवर्ती वस्तुओं और सेवाओं
(घ) सभी मध्यवर्ती एवं अंतिम वस्तुओं और सेवाओं

(द) स•घ•उ के पदों में वर्ष 2013-14 के बीच तृतीयक क्षेत्रक की हिस्सेदारी —— प्रतिशत है।

(क) 20 से 30
(ख) 30 से 40
(ग) 50 से 60
(घ) 60 से 70


Q.3. निम्न का मेल कीजिए

कृषि क्षेत्रक की समस्याएं

कुछ संभावित उपाय

1. असिंचित भूमि

. कृषि-आधारित मिलों की स्थापना

2. फसलों का कम मूल्य

. सहकारी विपणन समितियां

3. कर्ज भार

. सरकार द्वारा खाद्यान्नों की वसूली

4. मंदी काल में रोजगार का अभाव

. सरकार द्वारा नहरों का निर्माण

5. कटाई के तुरंत बाद स्थानीय व्यापारियों को अपना अनाज बेचने की विवशता

. कम ब्याज पर बैंकों द्वारा साख उपलब्ध कराना

उत्तर:-

कृषि क्षेत्रक की समस्याएं

कुछ संभावित उपाय

1. असिंचित भूमि

द. सरकार द्वारा नहरों का निर्माण

2. फसलों का कम मूल्य

ब. सहकारी विपणन समितियां

3. कर्ज भार

य. कम ब्याज पर बैंकों द्वारा साख उपलब्ध कराना

4. मंदी काल में रोजगार का अभाव

अ. कृषि-आधारित मिलों की स्थापना

5. कटाई के तुरंत बाद स्थानीय व्यापारियों को अपना अनाज बेचने की विवशता

स. सरकार द्वारा खाद्यान्नों की वसूली

Q.4. विषम की पहचान करें और बताइए क्यों?

(क) पर्यटन, निर्देशक, धोबी, दर्जी, कुम्हार

उत्तर :- (क) कुम्हार :- केवल कुम्हार द्वितीयक क्षेत्रक से संबंधित है जबकि अन्य सभी तृतीयक क्षेत्रक से। कुम्हार मिट्टी को आकार देकर घड़ा, सुराही आदि बनाता है।

(ख) शिक्षक, डॉक्टर, सब्जी विक्रेता, वकील

उत्तर :- (ख) सब्जी विक्रेता :- क्योंकि केवल सब्जी विक्रेता ही उत्पादन में प्रत्यक्ष रूप से मदद करता है। अन्य सभी सेवा क्षेत्रक से संबंधित है।

(ग) डाकिया, मोची, सैनिक, पुलिस, कांस्टेबल

उत्तर :- (ग) मोची :- इस ग्रुप में केवल मोची ही निजी क्षेत्रक के अंतर्गत आता है। अन्य सभी सेवा क्षेत्र से जुड़े हुए हैं।

(घ) एम•टी•एन•एल•, भारतीय रेल, एयर इंडिया, जेट एयरवेज, ऑल इंडिया रेडियो

उत्तर :- (घ) जेट एयरवेज :- जेट एयरवेज निजी क्षेत्र से संबंधित है। जबकि अन्य सभी सार्वजनिक क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं।
Q. 5. एक शोध छात्र ने सूरत शहर में काम करने वाले लोगों का अध्ययन करके निम्न आंकड़े जुटाए-

कार्य स्थान

रोजगार की प्रकृति

श्रमिकों का प्रतिशत

सरकार द्वारा पंजीकृत कार्यालयों और कारखानों में

संगठित

15

औपचारिक अधिकार पत्र सहित बाजारों में अपनी दुकान, कार्यालय और क्लिनिक

 

15

सड़कों पर काम करते लोग निर्माण श्रमिक, घरेलू श्रमिक

 

20

छोटी कार्यशाला में काम करते लोग, जो प्रायः सरकार द्वारा पंजीकृत नहीं है

 

 

इस तालिका को पूरा कीजिए इस शहर में असंगठित क्षेत्र में श्रमिकों की प्रतिशत क्या है।

उत्तर:-

कार्य स्थान

रोजगार की प्रकृति

श्रमिकों का प्रतिशत

सरकार द्वारा पंजीकृत कार्यालयों और कारखानों में

संगठित

15

औपचारिक अधिकार पत्र सहित बाजारों में अपनी दुकान, कार्यालय और क्लिनिक

संगठित

15

सड़कों पर काम करते लोग निर्माण श्रमिक, घरेलू श्रमिक

असंगठित

20

छोटी कार्यशाला में काम करते लोग, जो प्रायः सरकार द्वारा पंजीकृत नहीं है

असंगठित

50

Q. 6. क्या आप मानते हैं कि आर्थिक गतिविधियों का प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक क्षेत्र में विभाजन की उपयोगिता है? व्याख्या कीजिए कि कैसे?

उत्तर :- हाँ आर्थिक गतिविधियों का प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्र में विभाजन की उपयोगिता है। इसे निम्न रूप से स्पष्ट किया जा सकता है।

(i) भूमि, जल, खनन, पशुपालन, से संबंधित क्रियाकलाप :-

प्राथमिक क्षेत्र के अंतर्गत प्राथमिक संसाधनों से संबंधित गतिविधियां शामिल होती है। जैसे :- भूमि खनन पशुपालन कृषि आदि से संबंधित क्रियाकलाप।

(ii) विनिर्माण से संबंधित क्रियाकलाप :-

इसके अन्तर्गत वे गतिविधियां शामिल होती है जो प्राथमिक उत्पादों को ग्रहण कर फिर से नवीन वस्तुओं का उत्पादन करता है। जैसे :- गन्ना से चीनी बनाना, कपास से सूत, और सूत से कपड़ा बनाना, इत्यादि।

(iii) सेवा कार्य से संबंधित क्रियाकलाप :-

इसके अंतर्गत वे क्रियाकलाप सम्मिलित है जो प्राथमिक और द्वितीयक क्षेत्रक को मदद करता है। जैसे :- कृषि उत्पादों को परिवहन के माध्यम से बाजार तक पहुंचाना, उद्योगों के लिए बैंकों से ऋण उपलब्ध करवाना, इत्यादि।
उपरोक्त तथ्यों से हम कर सकते हैं कि प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्रक की गतिविधियों के विभाजन की उपयोगिता है।

Q.7. इस अध्याय में आए प्रत्येक क्षेत्रक को रोजगार और सकल घरेलू (स•घ•उ•) पर को केंद्रित करना चाहिए? या अन्य वाद-पदों का परीक्षण किया जा सकता है? चर्चा करें।

उत्तर :- सही मायने में इस अध्याय में आए प्रत्येक क्षेत्रकों में रोजगार एवं जी•डी•पी पर बल दिया गया है। क्यों हमारी पंचवर्षीय योजनाओं में इन्हीं को मुख्य लक्ष्य बनाया गया है।

जीडीपी के अतिरिक्त कुछ अन्य प्रकार के मुद्दों पर भी विचार किया जा सकता है। जैसे :-

i. देश में संतुलित क्षेत्रीय विकास
ii. देश के लोगों के बीच आय एवं संपत्ति की समानता
iii. गरीबी उन्मूलन
iv. प्रौद्योगिकी का आधुनिकीकरण
v. देश की आत्म-निर्भरता

Q.8. जीविका के लिए करने वाले अपने आसपास के वयस्कों के सभी कार्यों की लंबी सूची बनाइए। उन्हें आप किस तरीके से वर्गीकृत कर सकते हैं? अपने चयन की व्याख्या कीजिए।

उत्तर :- जीविकोपार्जन के लिए विभिन्न प्रकार के कार्यों को निम्न आधार पर वर्गीकृत किया जा सकता है –

i. कार्यों की प्रकृति
ii.रोजगार के स्थितियां
iii. व्यावसायिक इकाइयों को स्वामित्व

उपरोक्त वर्गीकृत कार्यों को निम्न रूप में देखा जा सकता है :-

(A) प्राथमिक क्षेत्रक से संबंधित कार्य :-

इसके अंतर्गत कृषि से संबंधित कार्य पशुपालन, मधुमक्खी पालन से संबंधित कार्य, लकड़ी काटना, फलों का संग्रहण, वनों से जड़ी-बूटी खट्टा करना, साल पर खट्टा करना, तेंदूपत्ता इकट्ठा करना, इत्यादि।

(B) द्वितीयक क्षेत्रक से संबंधित कार्य :-

इसके अंतर्गत विभिन्न प्रकार के औद्योगिक इकाइयों में काम करना, आटा चक्की में काम करना, कुम्हार द्वारा मिट्टी के बर्तन तैयार करना, बढ़ई गिरी, टोकरी चटाई बनाना, मोची का कार्य, दर्जी, जुड़ा, मिल, इत्यादि।

(C) तृतीयक क्षेत्रक से संबंधित कार्य :-

विभिन्न व्यवसायों में कार्यरत लोग जैसे : दुकानदारी के कार्य, वकील, शिक्षक, परिवहन में जैसे ऑटो रिक्शा से संबंधित कार्य, होम ट्यूशन, होटल, ठेला, भवन निर्माण, फोटो कॉपी दुकान, बैंकिंग, एलआईसी कर्मचारी, इत्यादि।

उपरोक्त कार्य अपने आस-पास के क्षेत्रों में विभिन्न क्षेत्रकों से संबंधित देखी जाती है।

Q.9. तृतीयक क्षेत्रक अन्य क्षेत्रकों से कैसे भिन्न है? सोदाहरण व्याख्या कीजिए? (2017 A, 2019 A, jac bord)

उत्तर :- तृतीयक क्षेत्रक की क्रियाविधि अन्य दो क्षेत्रकों से भिन्न है प्राथमिक और द्वितीयक क्षेत्रक जहां वस्तुओं का उत्पादन करते हैं, वही तृतीयक क्षेत्रक वस्तुओं का उत्पादन नहीं करता बल्कि यह दोनों क्षेत्रकों को मदद करता है। जैसे : परिवहन, संचार सेवा, बैंकिंग भंडारण, बीमा, इत्यादि।

इसे कुछ उदाहरणों से समझते हैं :- कृषि क्रियाकलाप प्राथमिक क्षेत्र के अंतर्गत आता है। कृषि उत्पादों को बाजार तक पहुंचना या बैंकों द्वारा ऋण देकर कृषि उत्पादन बढ़ाने में मदद किया जाता है। उसी प्रकार कल-कारखानों को कच्चे माल उद्योगों तथा उत्पादित माल बाजारों तक परिवहन साधनों से ही पहुंचाया जाता है। आधुनिक तकनीक के उपयोग के जरिए उद्योगों के उत्पादन क्षमता बढ़ाने में मदद करता है।

इस प्रकार प्राथमिक और द्वितीयक क्षेत्रक में जहां उत्पादन कार्य होता है! वही परिवहन, बैंकिंग, आधुनिक तकनीक जो तृतीयक क्षेत्रक के अंतर्गत आता है। यह केवल प्राथमिक और द्वितीयक क्षेत्रक को उत्पादन में मदद करता है। जबकि प्राथमिक और द्वितीयक क्षेत्रक उत्पादन कार्य करता है।

अतः स्पष्ट है कि तृतीयक क्षेत्रक अन्य क्षेत्रकों से भिन्न है।

Q.10. प्रच्छन्न बेरोजगारी से आप क्या समझते हैं? शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों से उदाहरण देकर स्पष्ट करें? (Jac Board 2015)

उत्तर :- प्रच्छन्न बेरोजगारी वह स्थिति होती है। जिसमें व्यक्ति नियोजित प्रतित तो होते हैं। परंतु व्यक्ति वास्तव में बेरोजगार होते हैं। इसमें नजर आता है कि व्यक्ति कुछ ना कुछ काम करता है। परंतु सभी अपनी क्षमता से काम कर रहे होते हैं। अर्थात आवश्यकता से अधिक लोग लगे होते हैं। यदि कुछ लोगों को हटा लिया जाए तो उत्पादन पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। इस प्रकार की बेरोजगारी अल्प बेरोजगारी या छिपी बेरोजगारी या फिर अदृश्य बेरोजगारी भी कहा जाता है।

शहरी क्षेत्रों में प्रच्छन्न बेरोजगारी :-

शहर में स्थित एक दुकान में एक मालिक ने अपने यहां दो नौकर रखा है। जिसे मालिक उन्हें मासिक वेतन देता है। कभी-कभी मालिक का लड़का भी दुकान में आकर कार्य करता है। इसके लिए उसे वेतन देने की आवश्यकता नहीं पड़ता। मालिक का लड़का यदि दुकान में कार्य ना करें तो दुकान के आय में कोई फर्क नहीं पड़ेगा। मालिक का लड़का प्रच्छन्न बेरोजगारी का उदाहरण है।

ग्रामीण क्षेत्रों में प्रच्छन्न बेरोजगारी :-

एक किसान के पास एक एकड़ भूमि है। उसमें दो लोगों को रोजगार देने की आवश्यकता है। परंतु उसकी किसान के परिवार के पाँच लोग उसी खेत में काम करते हैं। इस प्रकार उस खेत में तीन व्यक्ति वस्तुतः प्रच्छन्न बेरोजगारी के उदाहरण हैं। यदि इन तीन अतिरिक्त को काम से हटा दिया जाए तो फसलों के उत्पादन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

इस प्रकार किसी भी कार्य में आवश्यकता से अधिक लोग लगा होना प्रच्छन्न बेरोजगारी के उदाहरण है।

Q.11. खुली बेरोजगारी और प्रच्छन्न बेरोजगारी के बीच विभेद कीजिए? (Jac Board 2017A)

उत्तर :-

खुली बेरोजगारी –

(1) जब देश की श्रमशक्ति लाभ देने वाले रोजगार के अवसर प्राप्त नहीं कर पाती है! तो इस स्थिति को खुली बेरोजगारी कहते हैं।
(2) इसमें व्यक्ति को परिश्रमिक मिलने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता क्योंकि व्यक्तियों को रोजगार नहीं मिलता है।
(3) इसमें व्यक्ति किसी की सहायता नहीं करता।
(4) इस प्रकार की बेरोजगारी प्रायः औद्योगिक क्षेत्रों और शहरी क्षेत्रों में देखने को मिलता है।

प्रच्छन्न बेरोजगारी –

(1) जब व्यक्ति कार्य में लगे प्रतीत होते हैं परंतु वास्तव में बेरोजगार होते हैं! तो इस स्थिति को प्रच्छन्न, छुपी, अल्प, अथवा अदृश्य बेरोजगारी कहते हैं।
(2) इसमें भी परिश्रमिक नहीं मिलता परंतु उसे कार्य करके कुछ संतुष्टि होती है।
(3) इसमें व्यक्ति किसी भी कार्य को करके अन्य व्यक्ति की सहायता करता है।
(4) इस प्रकार की बेरोजगारी प्रायः ग्रामीण क्षेत्रों के कृषि कार्यों में मिलता है।

Q.12. “भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में तृतीयक क्षेत्रक कोई महत्वपूर्ण भूमिका नहीं निभा रहा है।” क्या आप इससे सहमत है? अपने उत्तर के समर्थन में कारण दीजिए।
(Jac Board 2012, 2020)

उत्तर :- यह कथन पूर्णतः असत्य है मेरा मानना है कि तृतीयक क्षेत्रक भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इसे निम्न उदाहरणों से समझा जा सकता है।

सकल घरेलू उत्पाद की दृष्टि से :

वर्ष 2013-14 के आंकड़ों के अनुसार सकल घरेलू उत्पाद में तृतीयक क्षेत्र 61% के साथ सबसे उपर है। वही 1973-74 में तृतीयक क्षेत्र का जीडीपी में 36% का योगदान था। इस तरह से तृतीयक क्षेत्रक का जीडीपी में लगभग 30 वर्षों में 25% की वृद्धि हुई है। यह वृद्धि अन्य क्षेत्रकों से सर्वाधिक रही है।

रोजगार के अवसरों की दृष्टि से :

वर्ष 2013-14 और वर्ष 1972-73 से वर्ष 2011-12 के आंकड़ों के तुलनात्मक अध्ययन से ज्ञात होता है कि रोजगार में हिस्सेदारी 27% है। इस आधार पर तृतीयक क्षेत्र प्राथमिक के बाद दूसरे स्थान पर है। लगभग 30 वर्षों में तृतीय क्षेत्र में रोजगार क्षेत्र में 12% की वृद्धि हुई है। जबकि प्राथमिक क्षेत्रक में वृद्धि तो दूर की बात है। रोजगार 74% से घटकर 49% पर आ गया है।

उपरोक्त तथ्यों से स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में तृतीयक क्षेत्रक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

Q.13. “भारत में सेवा क्षेत्र के दो विभिन्न प्रकार के लोग नियोजन करता है।” ये लोग कौन है?

उत्तर :- भारत में सेवा क्षेत्रक निम्न दो प्रकार के लोगों को नियोजित करता है।

(i) प्रत्यक्ष नियोजन :-

इसके अंतर्गत वैसे लोग शामिल है जो उत्पादन में प्रत्यक्ष अर्थात सीधे तौर पर सहायता करते हैं। जैसे : परिवहन , भंडारण (Cold Storege) , संचार (टेलीफोन इंटरनेट etc) , बैंकिंग (पैसे का लेनदेन जैसे ॠण) , व्यापार , इत्यादि रूपों में।

(ii) अप्रत्यक्ष नियोजन :-

ऐसी सेवाएं जो वस्तुओं के उत्पादन में सीधे तौर पर सहायता नहीं करते बल्कि अप्रत्यक्ष रूप से मदद करते है। जैसे : शिक्षक , डॉक्टर ,धोबी , नाई , वकील , इत्यादि।

उपरोक्त दो भिन्न तरीके से सेवा क्षेत्र में लोग नियोजित हैं।

Q.14. “असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों का शोषण किया जाता है।” क्या आप इस विचार से सहमत है ? अपने उत्तर के समर्थन में कारण दीजिए ?

उत्तर :- असंगठित क्षेत्रों में श्रमिकों का शोषण किया जाता है, मैं इस विचार से पूर्णतः सहमत हूँ। इसके निम्न कारण है –

(i) श्रमिकों के संरक्षण के लिए बनाये गए नियम एवं विनियम यहां पालन नहीं होता है।

(ii) असंगठित क्षेत्रक में काम के घंटे निश्चित नहीं होते हैं। इस कारण श्रमिकों को अधिक काम करना पड़ता है। साथ ही उन्हें अतिरिक्त कार्य के लिए कोई अलग से भुगतान भी नहीं किया जाता है।

(iii) असंगठित क्षेत्रक में श्रमिकों की रोजगार की सुरक्षा नहीं होती। यहां मालिक की मर्जी पर कार्य मिलता। जब चाहे जिसे रखता और जिसे निकाल सकता है।

(iv) यहां श्रमिकों की कम मजदूरी मिलती है। इस क्षेत्रक में कार्य करने वाले लोग सामान्यतः अशिक्षित, अज्ञानी और असंगठित होते हैं। इस कारण वे नियोक्ता से समझौता कर अच्छे मजदूरी, कार्य के घंटे सुनिश्चित नहीं कर पाते साथ ही वह संगठित नहीं हो पाते हैं। जिससे वह अपनी बातों को रख नहीं पाते।

अतः असंगठित क्षेत्रक में श्रमिकों का शोषण होता है।

Q.15. आर्थिक गतिविधियां रोजगार की परिस्थितियों के आधार पर कैसे वर्गीकृत की जाती है?
(Jac Bord 2009A,2013A)

उत्तर :- आर्थिक गतिविधियां संगठित और असंगठित क्षेत्रक में रोजगार की परिस्थितियों के आधार पर वर्गीकृत की जाती है।

संगठित क्षेत्रक के अंतर्गत :-

(i) संगठित क्षेत्रक के अंतर्गत कार्य एवं उद्यम आते हैं। जहां रोजगार नियमित होता है।
(ii) कार्य के घंटे तय होते हैं।
(iii) ये संस्थाएं सरकार द्वारा पंजीकृत होते हैं। ये सरकार के नियंत्रण में कार्य करती हैं।
(iv) इस क्षेत्र में नियम एवं विनियम का पालन किया जाता है। जैसे : टाटा, रिलायंस, इंडस्ट्रीज, ऑयल इंडिया लिमिटेड, इत्यादि।

असंगठित क्षेत्रक के अंतर्गत :-

(i) इसके अंतर्गत छोटी-छोटी एवं बिखरी इकाइयां होती है। जहां रोजगार नियमित नहीं होता है।
(ii) कार्य के निश्चित घंटे भी नहीं होते।
(iii) ये संस्थाएं पंजीकृत होती भी हैं और नहीं भी होती है। साथ ही की अधिकांश इकाइयां सरकार के नियंत्रण से बाहर होती है।
(iv) हालांकि इस क्षेत्रक में भी नियम और विनियम होते हैं परंतु उनका पालन नहीं होता है। जैसे : खेतिहर मजदूर, परिवहन, ईट, भट्ठा, के मजदूर इत्यादि।

Q.16. संगठित और असंगठित क्षेत्रकों में विद्यमान रोजगार परिस्थितियों की तुलना करें?
>  संगठित और असंगठित क्षेत्रको के बीच अंतर स्पष्ट करें?

उत्तर :- संगठित क्षेत्रक

(i) संगठित क्षेत्रक के अंतर्गत वे उद्यम या व्यवसायिक इकाइयां सम्मिलित की गई है जो सरकार के द्वारा पंजीकृत होती है। जैसे : इंडियन ऑयल , टाटा , रिलायंस इंडस्ट्रीज , रेलवे , आदि।

(ii) संगठित क्षेत्रक में रोजगार की शर्तें नियमित होती है तथा कार्य के घंटे निश्चित होते हैं। अतिरिक्त कार्य के लिए अतिरिक्त भुगतान किया जाता है।

(iii) संगठित क्षेत्रक में लोगों को मासिक वेतन प्राप्त होता है।

(iv) संगठित क्षेत्रक में लोगों को वेतन के अलावा छुट्टी का भुगतान, भविष्य निधि , पेंशन आदि लाभ मिलती है।

(v) इसमें कई प्रकार के छुट्टी का लाभ मिलता है तथा छुट्टी के दिन के लिए भी वेतन मिलता है।

असंगठित क्षेत्रक

(i) असंगठित क्षेत्रक के अंतर्गत में छोटे-छोटे छिटपुट या व्यवसाय की इकाइयां सम्मिलित की गई है। जो अधिकांश सरकार द्वारा पंजीकृत तो नहीं होती है साथ ही सरकारी नियंत्रण से बाहर होती है। जैसे : खेतिहर मजदूर , ईट भट्ठा में कार्य करने वाला मजदूर आदि।

(ii) असंगठित क्षेत्रकों में बेेरोजगार की कोई शर्तें नहीं होती साथ ही कार्य के घंटे भी निश्चित नहीं होते है। यहां अतिरिक्त कार्य के लिए कोई अतिरिक्त भुगतान नहीं किया जाता है।

(iii) असंगठित क्षेत्रकों में लोगों को दैनिक मजदूरी मिलता है।

(iv) जबकि असंगठित क्षेत्रक में ऐसी कोई लाभ उपलब्ध नहीं है

(v) इसके अंतर्गत किसी भी प्रकार की छुट्टी की व्यवस्था नहीं है तथा छुट्टी के दिन के लिए भुगतान नहीं मिलता है।

उपरोक्त रूप से संगठित और असंगठित क्षेत्रकों के बीच अंतर किया जा सकता है।

Q.17. मनरेगा 2005 (MGNREGA -2005) के उद्देश्यों की व्याख्या कीजिए ! (Jac Bord 2014A , 2018A , 2020A)

उत्तर :- महात्मा गांधी रोजगार गारंटी अधिनियम – 2005 संसद द्वारा पारित एक कानून है। इसे काम का अधिकार सुनिश्चित करने का अधिनियम के नाम से भी जाना जाता है। इस अधिनियम के निम्न उद्देश्य हैं –

(i) 100 दिनों की अनिवार्य रोजगार :-

इस अधिनियम के अंतर्गत व सभी लोग जो काम करने में सक्षम हैं, तथा जिन्हें काम की आवश्यकता है। उन्हें सरकार द्वारा प्रतिवर्ष 100 दिनों की रोजगार की गारंटी दी गई है।

(ii) महिलाओं की प्राथमिकता :-

प्रास्ताविक रोजगार में कम से कम एक तिहाई रोजगार महिलाओं के लिए आरक्षित किया गया है।

(iii) बेरोजगारी भत्ता :-

यदि सरकार किसी प्रार्थी को 15 दिनों के अंदर रोजगार उपलब्ध नहीं करवाती है। तो उस व्यक्ति को रोजगार के स्थान पर बेरोजगारी भत्ता दिया जाएगा।

(iv) भूमि संबंधी कार्य :-

इस अधिनियम में भूमि सुधार से संबंधित कार्य को प्राथमिकता दी गई है। इसके लिए भूमि संरक्षण, जल, संरक्षण, वृक्षारोपण आदि कार्य सम्मिलित किए गए हैं।

(v) कार्य क्षेत्र :-

इस अधिनियम के अंतर्गत इच्छुक व्यक्ति को 5 KM• के अंदर काम उपलब्ध करवाया जाता है।

उपर्युक्त उद्देश्यों को लेकर मनरेगा – 2005 संसद में पारित किया गया था।

Q.18. अपने क्षेत्र से उदाहरण सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की गतिविधियों एवं कार्यों की तुलना कीजिए।

उत्तर :-

सार्वजनिक क्षेत्र –

(i) इसके अंतर्गत अधिकांश परिसंपत्तियों पर सरकार या सरकारी एजेंसियों का अधिकार होता है। जैसे :- रेलवे, भारतीय डाक, स्टील अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया लिमिटेड इत्यादि।
(ii) इसके अंतर्गत शामिल संस्थाओं के उद्देश्य जनता की सेवा करना एवं उन्हें लाभ पहुंचाना है।
(iii) सार्वजनिक महत्व की चीजों में निवेश किया जाता है। जैसे :- सड़क, पुल, अस्पताल, कृषि, इत्यादि।
(iv) इसके अंतर्गत नियमों में परिवर्तन नहीं किया जाता है।

निजी क्षेत्रक –

(i) इसके अंतर्गत पर इस परिसंपत्तियों पर एक व्यक्ति, व्यक्ति समूह अथवा कंपनियों का अधिकार होता है। जैसे :- टाटा, डाबर इंडिया लिमिटेड, पतंजलि, इत्यादि।
(ii) निजी क्षेत्रक की गतिविधियों का उद्देश्य केवल लाभ अर्जित करना होता है।
(iii) निजी लाभ के उद्देश्य से ही निवेश किया जाता है। जैसे :- निजी फैक्ट्री लगाना।
(iv) इनमें अपने लाभ को दृष्टि में रखते हुए कानूनों एवं आदि नियमों में परिवर्तन किया जा सकता है।

Q.19. अपने क्षेत्र से एक एक उदाहरण देकर निम्न तालिका को पूरा कीजिए और चर्चा कीजिए?

 

सुव्यवस्थित प्रबंध वाले संगठन

कुव्यवस्थित प्रबंध वाले संगठन

सार्वजनिक क्षेत्रक

 

 

निजी छत्रक

 

 

उत्तर:-

 

सुव्यवस्थित प्रबंध वाले संगठन

कुव्यवस्थित प्रबंध वाले संगठन

सार्वजनिक क्षेत्रक

रेलवे पोस्ट ऑफिस

दिल्ली जल आपूर्ति

निजी छत्रक

टाटा रैनबैक्सी

उत्तरी दिल्ली विद्युत वितरण लिमिटेड

Q.20. सार्वजनिक क्षेत्रक की गतिविधियों के कुछ उदाहरण दीजिए और व्याख्या कीजिए कि सरकार द्वारा इन गतिविधियों का क्रियान्वयन क्यों किया जाता है? 

उत्तर :- कुछ सार्वजनिक क्षेत्र के नियम है जिनका क्रियान्वयन सरकार के अधिन होता है।

• रेलवे :-i. रेलवे विनिवेश करने के बाद रकम वापस आने काफी समय लगता है।

ii. आम लोगों को सस्ती एवं आसान परिवहन साधन उपलब्ध करना।
iii. योजनाओं का क्रियान्वयन हेतु उपकरणों का परिवहन में सहायता आदि हेतु।

• अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) :- आम लोगों को सस्ती दरों पर गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने हेतु।

• राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम (NTPC) :- वास्तविक लागत से कम लागत पर लोगों को बिजली उपलब्ध कराने हेतु।

उपरोक्त उद्देश्य के लिए सरकार द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र की गतिविधियों का क्रियान्वयन किया जाता है।

Q.21. व्याख्या कीजिए कि एक देश के आर्थिक विकास में सार्वजनिक क्षेत्रकर कैसे योगदान करता है ?
(Jac Board 2014A)

उत्तर :- किसी देश के आर्थिक विकास में सार्वजनिक क्षेत्रक निम्न रूप से योगदान दे रहा है।
(i) सार्वजनिक क्षेत्रक बुनियादी संरचनाओं के निर्माण एवं विस्तार द्वारा तीव्र आर्थिक विकास प्रेरित करता है। जिससे यह रोजगार के अवसर पैदा करता है।
(ii) सार्वजनिक क्षेत्रक विकास के लिए वित्तीय संसाधन जुटाना है और उन संसाधनों का प्रयोग सार्वजनिक कार्यों के विकास में किया जाता है।
(iii) यह समाज के लोगों के बीच आर्थिक समानता लाता है अर्थात सार्वजनिक क्षेत्र आए के असमान वितरण को दूर करता है।
(iv) यह लघु एवं कुटीर उद्योगों को प्रोत्साहित करता है।
(v) यह संतुलित क्षेत्रीय विकास को प्रोत्साहित करता है।
(vi) या निजी एकाधिकार को नियंत्रित करके आम व्यक्ति को भी समान अवसर प्रदान करने में सहायक है।
(vii) यह सस्ती दरों पर आसानी से वस्तुओं की उपलब्धता को सुनिश्चित करता है।
(viii) यह जीवन को मूलभूत आवश्यकताओं को पूर्ति करने में भी सहायक है।

Q.22. असंगठित क्षेत्रक के श्रमिकों को निम्नलिखित मुद्दों पर संरक्षण की आवश्यकता है। – मजदूरी, सुरक्षा, और स्वास्थ्य। उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए ?

उत्तर :- असंगठित क्षेत्रक के श्रमिकों को निम्नलिखित मुद्दों पर संरक्षण की आवश्यकता है –

मजदूरी :-

देश में असंगठित क्षेत्रक में लगभग सभी जगहों पर मजदूरी की दर समान नहीं है। तथा काम के घंटे भी तय नहीं है। इसके अतिरिक्त महिला एवं पुरुषों में समान कार्य के लिए वेतन समान नहीं है। संगठित क्षेत्रकों की भांति असंगठित क्षेत्रक के मजदूरों को महंगाई भत्ता नहीं बढ़ता जबकि बढ़ना चाहिए।

सुरक्षा :-

असंगठित क्षेत्रक में कार्यरत श्रमिकों को रोजगार सुरक्षा की गारंटी होती है। परंतु असंगठित क्षेत्रक में कार्यरत मजदूरों के लिए ऐसी कोई सुरक्षा सुविधा नहीं होता है। जबकि संगठित क्षेत्रक के जैसा ही असंगठित क्षेत्रक में रोजगार की सुरक्षा होनी चाहिए।

स्वास्थ्य :-

सभी श्रेणी के कर्मचारीयों को स्वास्थ्य सुरक्षा प्रदान करनी चाहिए। ये सुविधाएं कर्मचारियों के अतिरिक्त उनके परिवार के सदस्यों को भी होनी चाहिए।

Q.23. अहमदाबाद में किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि नगर में 15,000 श्रमिकों में से 11,00,000 श्रमिक असंगठित क्षेत्रक में काम करते थे। वर्ष 1997-98 में नगर की कुल आय 600 करोड़ रुपए थी इसमें से 320 करोड़ रुपए संगठित क्षेत्रक से प्राप्त होती थी। इस आंकड़े को तालिका में प्रदर्शित कीजिए नगर में और अधिक रोजगार सृजन के लिए किन तरीकों पर विचार किया जाना चाहिए? 

उत्तर :-

अहमदाबाद में श्रमिक और उनकी आय

 

संगठित

असंगठित

कुल योग

श्रमिक

400000

1100000

1500000

कुल आय (करोड़ रुपये में 1997-98

320

280

600

• सार्वजनिक क्षेत्र , निजी क्षेत्र और संयुक्त क्षेत्र में नए-नए उद्योग लगाने चाहिए।
• शहरी क्षेत्रों के लोगों के लिए कम ब्याज दरों पर ऋण सुविधा उपलब्ध करवाई जाए! ताकि लोग रोजगार संबंधित क्रियाकलाप कर सके।
• प्रत्येक क्षेत्र में निर्माण गतिविधियां तीव्र होनी चाहिए ताकि लोगों को रोजगार मिल सके और आधारभूत संरचना भी तैयार हो सके।
• बैंक, पोस्ट, ऑफिस, एटीएम, यातायात सुविधाएं, कॉल सेंटर, शैक्षणिक सेवाएं, मनोरंजन केंद्र आदि सार्वजनिक क्षेत्र, निजी क्षेत्र या संयुक्त क्षेत्र द्वारा खोले जाने चाहिए।

Q.24. निम्नलिखित तालिका में तीनों क्षेत्रकों का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) रुपए करोड़ में दिया गया?

वर्ष

प्राथमिक

द्वितीयक

तृतीयक

2000

52,000

48,000

1,33,500

2013

8,00,500

10,74,000

38,68,000


(क) वर्ष 2000 ई• एवं 2013 ई• के जीडीपी में तीनों क्षेत्रकों की हिस्सेदारी की गणना कीजिए?

उत्तर:-
वर्ष 2000 में GDP
52,000 + 48,500 + 13,3500 = 2,34,000 करोड़ रूपये

वर्ष 2013 में GDP
8,00,500 + 10,74,000 + 38,68,000 = 57,42,500 करोड़ रूपये

(ख) इन आंकड़ों को अध्याय में दिए गए आलेख-2 के समान एक दण्ड आलेख के रूप में प्रदर्शित कीजिए?

उत्तर:-

(ग) दंड आरेख से हम क्या निष्कर्ष प्राप्त करते हैं?

उत्तर:-
• वर्ष 2000 में भी तृतीय क्षेत्र का जीडीपी 57% के साथ सबसे अधिक था। वहीं 2013 में भी तृतीय क्षेत्र का जीडीपी अन्य दो क्षेत्रकों से 67 प्रतिशत के साथ अधिक था।

• वर्ष 2000 से 2013 तक प्राथमिक क्षेत्रक में जीडीपी में सबसे अधिक गिरावट दर्ज की गई। और यह आंकड़ा 22% से घटकर 14% तक आ गया।

इसके अतिरिक्त कुछ अन्य वस्तुनिष्ठ प्रश्न प्रश्न

 

1. भारत में 2013 - 14 में सबसे अधिक जीडीपी (GDP) किस क्षेत्रक से प्राप्त होता था ?





ANSWER= (3) तृतीयक क्षेत्रक

 

2. भंडारण को किस क्षेत्रक में शामिल किया जाता है ?





ANSWER= (1) तृतीयक

 

3. 2013 - 2014 में जीडीपी (GDP) में तृतीयक क्षेत्रक की हिस्सेदारी कितनी थी ?





ANSWER= (1) 61%

 

4. गेहूं का अंतिम वस्तु के रूप में किसे माना जाए ?





ANSWER= (2) बिस्किट

 

5. प्राथमिक उत्पादों को अन्य किस नाम से जाना जाता है ?





ANSWER= (1) कृषि एवं सहायक क्षेत्र

 

6. 1973 - 74 में जीडीपी (GDP) में प्राथमिक क्षेत्रक की हिस्सेदारी कितना था ?





ANSWER= (3) 42%

 

7. कौन-से क्षेत्रक को सेवा क्षेत्रक भी कहा जाता है ?





ANSWER= (2) तृतीयक

 

8. परिवहन को किस क्षेत्रक में शामिल किया जाता है ?





ANSWER= (1) तृतीयक

 

9. गन्ने का द्वितीयक क्षेत्रक रूप कौन - सा होता है ?





ANSWER= (3) a और b दोनों

 

10. 2013 - 14 में भारत का जीडीपी (GDP) कितना था ?





ANSWER= (4) 57 लाख करोड़ रुपए

 

11. जीडीपी ( GDP) का पूरा नाम क्या है ?





ANSWER= (1) सकल घरेलू उपाय

 

12. उत्पादन और उपभोक्ता के मध्य सम्बन्ध कौन - सा क्षेत्रक स्थापित करता है ?





ANSWER= (1) तृतीयक

 

13. भारत में 2013 - 14 में सबसे अधिक कौन सा क्षेत्रक में रोजगार प्रदान करता था ?





ANSWER= (1) प्राथमिक क्षेत्रक

 

14. 2013 - 14 में जीडीपी (GDP) में प्राथमिक क्षेत्रक का कितना प्रतिशत भागीदारी था ?





ANSWER= (3) 14%

 

15. भारत में 1973 - 74 में सबसे अधिक जीडीपी (GDP) किस क्षेत्र से प्राप्त होता था ?





ANSWER= (1) प्राथमिक क्षेत्रक

 

16. धन कमाने वाली गतिविधियों को क्या कहा जाता है ?





ANSWER= (2) आर्थिक

 

17. 1973 - 74 में भारत का जीडीपी ( GDP) लगभग कितना था ?





ANSWER= (2) 7 लाख करोड़ रुपए

 

18. द्वितीयक क्षेत्रक किस क्षेत्रक पर पूर्णतया निर्भर होता है ?





ANSWER= (2) प्राथमिक

 

19. भारत में 1973 - 74 में सबसे अधिक कौन क्षेत्रक रोजगार प्रदान करता था





ANSWER= (2) प्राथमिक क्षेत्रक

 

20. तीनों क्षेत्रकों के उत्पादनों के योगफल को क्या कहा जाता है ?





ANSWER= (2) GDP

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