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(क) सेवा क्षेत्र में रोजगार में उत्पादन के समान अनुपात में
वृद्धि नहीं
हुई है ।
( हुई है / नहीं
हुई है )
(ख) तृतीयक क्षेत्र के श्रमिक वस्तुओं का उत्पादन नहीं करते हैं। (तृतीयक / कृषि )
(ग) असंगठित क्षेत्रक के अधिकांश श्रमिकों को रोजगार-सुरक्षा प्राप्त होती है।
( संगठित / असंगठित
)
(घ) भारत में बड़े अनुपात में श्रमिक असंगठित क्षेत्रक में काम कर रहे हैं। ( बड़े / छोटे )
(ङ) कपास एक प्राकृतिक उत्पाद है और कपड़ा एक विनिर्मित उत्पाद है। ( प्राकृतिक / विनिर्मित )
(च) प्राथमिक द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्र को की गतिविधियां परस्पर निर्भर है। ( स्वतंत्रत /
परस्पर निर्भर )
(अ) सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के आधार पर विभाजित है ।
(ब) एक वस्तु का अधिकांशतः प्राकृतिक प्रक्रिया से उत्पादन —-
क्षेत्रक की गतिविधि है।
(स) किसी वर्ष में उत्पादित —– कूल मूल्य को स•घ•उ कहते हैं।
(द) स•घ•उ के पदों में वर्ष 2013-14 के बीच तृतीयक क्षेत्रक की
हिस्सेदारी —— प्रतिशत है।
कृषि
क्षेत्रक की समस्याएं |
कुछ
संभावित उपाय |
1. असिंचित
भूमि |
अ.
कृषि-आधारित मिलों की स्थापना |
2. फसलों
का कम मूल्य |
ब.
सहकारी विपणन समितियां |
3. कर्ज
भार |
स.
सरकार द्वारा खाद्यान्नों की वसूली |
4. मंदी
काल में रोजगार का अभाव |
द.
सरकार द्वारा नहरों का निर्माण |
5. कटाई
के तुरंत बाद स्थानीय व्यापारियों को अपना अनाज
बेचने की विवशता |
य.
कम ब्याज पर बैंकों द्वारा
साख उपलब्ध कराना |
उत्तर:-
कृषि क्षेत्रक की समस्याएं |
कुछ संभावित उपाय |
1. असिंचित भूमि |
द. सरकार द्वारा नहरों का निर्माण |
2. फसलों का कम मूल्य |
ब. सहकारी विपणन समितियां |
3. कर्ज भार |
य. कम ब्याज पर बैंकों द्वारा साख उपलब्ध कराना |
4. मंदी काल में रोजगार का अभाव |
अ. कृषि-आधारित मिलों की स्थापना |
5. कटाई के तुरंत बाद स्थानीय व्यापारियों को अपना अनाज बेचने
की विवशता |
स. सरकार द्वारा खाद्यान्नों की वसूली |
(क) पर्यटन, निर्देशक, धोबी, दर्जी, कुम्हार
(ख) शिक्षक, डॉक्टर, सब्जी विक्रेता, वकील
(ग) डाकिया, मोची, सैनिक, पुलिस, कांस्टेबल
(घ) एम•टी•एन•एल•, भारतीय रेल, एयर इंडिया, जेट एयरवेज, ऑल इंडिया रेडियो
कार्य
स्थान |
रोजगार
की प्रकृति |
श्रमिकों
का प्रतिशत |
सरकार
द्वारा पंजीकृत कार्यालयों और कारखानों में |
संगठित |
15 |
औपचारिक
अधिकार पत्र सहित बाजारों में अपनी दुकान, कार्यालय और क्लिनिक |
|
15 |
सड़कों
पर काम करते लोग निर्माण श्रमिक, घरेलू श्रमिक |
|
20 |
छोटी
कार्यशाला में काम करते लोग, जो प्रायः सरकार
द्वारा पंजीकृत नहीं है |
|
|
इस तालिका को पूरा कीजिए इस शहर में असंगठित क्षेत्र में श्रमिकों
की प्रतिशत क्या है।
उत्तर:-
कार्य स्थान |
रोजगार की प्रकृति |
श्रमिकों का प्रतिशत |
सरकार द्वारा पंजीकृत
कार्यालयों और कारखानों में |
संगठित |
15 |
औपचारिक अधिकार पत्र सहित
बाजारों में अपनी दुकान, कार्यालय और क्लिनिक |
संगठित |
15 |
सड़कों पर काम करते लोग
निर्माण श्रमिक, घरेलू श्रमिक |
असंगठित |
20 |
छोटी कार्यशाला में काम
करते लोग, जो प्रायः सरकार द्वारा पंजीकृत नहीं है |
असंगठित |
50 |
उत्तर :- हाँ आर्थिक गतिविधियों का प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक
क्षेत्र में विभाजन की उपयोगिता है। इसे निम्न रूप से स्पष्ट किया जा सकता है।
प्राथमिक क्षेत्र के अंतर्गत प्राथमिक संसाधनों से संबंधित
गतिविधियां शामिल होती है। जैसे :- भूमि खनन पशुपालन कृषि आदि से संबंधित
क्रियाकलाप।
इसके अन्तर्गत वे गतिविधियां शामिल होती है जो प्राथमिक उत्पादों
को ग्रहण कर फिर से नवीन वस्तुओं का उत्पादन करता है। जैसे :- गन्ना से चीनी
बनाना, कपास से सूत, और सूत से कपड़ा बनाना, इत्यादि।
Q.7. इस अध्याय में आए प्रत्येक क्षेत्रक
को रोजगार और सकल घरेलू (स•घ•उ•) पर को केंद्रित करना चाहिए? या अन्य वाद-पदों का परीक्षण
किया जा सकता है? चर्चा करें।
उत्तर :- सही मायने में इस अध्याय में आए प्रत्येक क्षेत्रकों में
रोजगार एवं जी•डी•पी पर बल दिया गया है। क्यों हमारी पंचवर्षीय योजनाओं में इन्हीं
को मुख्य लक्ष्य बनाया गया है।
जीडीपी के अतिरिक्त कुछ अन्य प्रकार के मुद्दों पर भी विचार किया
जा सकता है। जैसे :-
उत्तर :- जीविकोपार्जन के लिए विभिन्न प्रकार के कार्यों को निम्न
आधार पर वर्गीकृत किया जा सकता है –
उपरोक्त वर्गीकृत कार्यों को निम्न रूप में देखा जा सकता है :-
इसके अंतर्गत कृषि से संबंधित कार्य पशुपालन, मधुमक्खी पालन से
संबंधित कार्य, लकड़ी काटना, फलों का संग्रहण, वनों से जड़ी-बूटी खट्टा करना, साल
पर खट्टा करना, तेंदूपत्ता इकट्ठा करना, इत्यादि।
इसके अंतर्गत विभिन्न प्रकार के औद्योगिक इकाइयों में काम करना,
आटा चक्की में काम करना, कुम्हार द्वारा मिट्टी के बर्तन तैयार करना, बढ़ई गिरी,
टोकरी चटाई बनाना, मोची का कार्य, दर्जी, जुड़ा, मिल, इत्यादि।
विभिन्न व्यवसायों में कार्यरत लोग जैसे : दुकानदारी के कार्य,
वकील, शिक्षक, परिवहन में जैसे ऑटो रिक्शा से संबंधित कार्य, होम ट्यूशन, होटल,
ठेला, भवन निर्माण, फोटो कॉपी दुकान, बैंकिंग, एलआईसी कर्मचारी, इत्यादि।
उपरोक्त कार्य अपने आस-पास के क्षेत्रों में विभिन्न क्षेत्रकों से
संबंधित देखी जाती है।
उत्तर :- तृतीयक क्षेत्रक की क्रियाविधि अन्य दो क्षेत्रकों से
भिन्न है प्राथमिक और द्वितीयक क्षेत्रक जहां वस्तुओं का उत्पादन करते हैं, वही
तृतीयक क्षेत्रक वस्तुओं का उत्पादन नहीं करता बल्कि यह दोनों क्षेत्रकों को मदद
करता है। जैसे : परिवहन, संचार सेवा, बैंकिंग भंडारण, बीमा, इत्यादि।
इसे कुछ उदाहरणों से समझते हैं :- कृषि क्रियाकलाप प्राथमिक
क्षेत्र के अंतर्गत आता है। कृषि उत्पादों को बाजार तक पहुंचना या बैंकों द्वारा
ऋण देकर कृषि उत्पादन बढ़ाने में मदद किया जाता है। उसी प्रकार कल-कारखानों को
कच्चे माल उद्योगों तथा उत्पादित माल बाजारों तक परिवहन साधनों से ही पहुंचाया
जाता है। आधुनिक तकनीक के उपयोग के जरिए उद्योगों के उत्पादन क्षमता बढ़ाने में
मदद करता है।
इस प्रकार प्राथमिक और द्वितीयक क्षेत्रक में जहां उत्पादन कार्य
होता है! वही परिवहन, बैंकिंग, आधुनिक तकनीक जो तृतीयक क्षेत्रक के अंतर्गत आता
है। यह केवल प्राथमिक और द्वितीयक क्षेत्रक को उत्पादन में मदद करता है। जबकि
प्राथमिक और द्वितीयक क्षेत्रक उत्पादन कार्य करता है।
अतः स्पष्ट है कि तृतीयक क्षेत्रक अन्य क्षेत्रकों से भिन्न है।
उत्तर :- प्रच्छन्न बेरोजगारी वह स्थिति होती है। जिसमें व्यक्ति
नियोजित प्रतित तो होते हैं। परंतु व्यक्ति वास्तव में बेरोजगार होते हैं। इसमें
नजर आता है कि व्यक्ति कुछ ना कुछ काम करता है। परंतु सभी अपनी क्षमता से काम कर
रहे होते हैं। अर्थात आवश्यकता से अधिक लोग लगे होते हैं। यदि कुछ लोगों को हटा
लिया जाए तो उत्पादन पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। इस प्रकार की बेरोजगारी अल्प
बेरोजगारी या छिपी बेरोजगारी या फिर अदृश्य बेरोजगारी भी कहा जाता है।
शहर में स्थित एक दुकान में एक मालिक ने अपने यहां दो नौकर रखा है।
जिसे मालिक उन्हें मासिक वेतन देता है। कभी-कभी मालिक का लड़का भी दुकान में आकर
कार्य करता है। इसके लिए उसे वेतन देने की आवश्यकता नहीं पड़ता। मालिक का लड़का
यदि दुकान में कार्य ना करें तो दुकान के आय में कोई फर्क नहीं पड़ेगा। मालिक का
लड़का प्रच्छन्न बेरोजगारी का उदाहरण है।
एक किसान के पास एक एकड़ भूमि है। उसमें दो लोगों को रोजगार देने
की आवश्यकता है। परंतु उसकी किसान के परिवार के पाँच लोग उसी खेत में काम करते
हैं। इस प्रकार उस खेत में तीन व्यक्ति वस्तुतः प्रच्छन्न बेरोजगारी के उदाहरण
हैं। यदि इन तीन अतिरिक्त को काम से हटा दिया जाए तो फसलों के उत्पादन पर कोई
प्रभाव नहीं पड़ेगा।
इस प्रकार किसी भी कार्य में आवश्यकता से अधिक लोग लगा होना
प्रच्छन्न बेरोजगारी के उदाहरण है।
उत्तर :-
Q.12. “भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास
में तृतीयक क्षेत्रक कोई महत्वपूर्ण भूमिका नहीं निभा रहा है।” क्या आप इससे सहमत है?
अपने उत्तर के समर्थन में कारण दीजिए।(Jac Board 2012, 2020)
उत्तर :- यह कथन पूर्णतः असत्य है मेरा मानना है कि तृतीयक
क्षेत्रक भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इसे निम्न
उदाहरणों से समझा जा सकता है।
वर्ष 2013-14 के आंकड़ों के अनुसार सकल घरेलू उत्पाद में तृतीयक
क्षेत्र 61% के साथ सबसे उपर है। वही 1973-74 में तृतीयक क्षेत्र का जीडीपी में
36% का योगदान था। इस तरह से तृतीयक क्षेत्रक का जीडीपी में लगभग 30 वर्षों में
25% की वृद्धि हुई है। यह वृद्धि अन्य क्षेत्रकों से सर्वाधिक रही है।
वर्ष 2013-14 और वर्ष 1972-73 से वर्ष 2011-12 के आंकड़ों के
तुलनात्मक अध्ययन से ज्ञात होता है कि रोजगार में हिस्सेदारी 27% है। इस आधार पर
तृतीयक क्षेत्र प्राथमिक के बाद दूसरे स्थान पर है। लगभग 30 वर्षों में तृतीय
क्षेत्र में रोजगार क्षेत्र में 12% की वृद्धि हुई है। जबकि प्राथमिक क्षेत्रक में
वृद्धि तो दूर की बात है। रोजगार 74% से घटकर 49% पर आ गया है।
उपरोक्त तथ्यों से स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है कि भारतीय
अर्थव्यवस्था में तृतीयक क्षेत्रक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
उत्तर :- भारत में सेवा क्षेत्रक निम्न दो प्रकार के लोगों को
नियोजित करता है।
इसके अंतर्गत वैसे लोग शामिल है जो उत्पादन में प्रत्यक्ष अर्थात
सीधे तौर पर सहायता करते हैं। जैसे : परिवहन , भंडारण (Cold Storege) , संचार
(टेलीफोन इंटरनेट etc) , बैंकिंग (पैसे का लेनदेन जैसे ॠण) , व्यापार , इत्यादि
रूपों में।
ऐसी सेवाएं जो वस्तुओं के उत्पादन में सीधे तौर पर सहायता नहीं
करते बल्कि अप्रत्यक्ष रूप से मदद करते है। जैसे : शिक्षक , डॉक्टर ,धोबी , नाई ,
वकील , इत्यादि।
उपरोक्त दो भिन्न तरीके से सेवा क्षेत्र में लोग नियोजित हैं।
उत्तर :- असंगठित क्षेत्रों में श्रमिकों का शोषण किया जाता है,
मैं इस विचार से पूर्णतः सहमत हूँ। इसके निम्न कारण है –
(i) श्रमिकों के संरक्षण के लिए बनाये गए नियम एवं विनियम यहां
पालन नहीं होता है।
(ii) असंगठित क्षेत्रक में काम के घंटे निश्चित नहीं होते हैं। इस
कारण श्रमिकों को अधिक काम करना पड़ता है। साथ ही उन्हें अतिरिक्त कार्य के लिए
कोई अलग से भुगतान भी नहीं किया जाता है।
(iii) असंगठित क्षेत्रक में श्रमिकों की रोजगार की सुरक्षा नहीं
होती। यहां मालिक की मर्जी पर कार्य मिलता। जब चाहे जिसे रखता और जिसे निकाल सकता
है।
(iv) यहां श्रमिकों की कम मजदूरी मिलती है। इस क्षेत्रक में कार्य
करने वाले लोग सामान्यतः अशिक्षित, अज्ञानी और असंगठित होते हैं। इस कारण वे
नियोक्ता से समझौता कर अच्छे मजदूरी, कार्य के घंटे सुनिश्चित नहीं कर पाते साथ ही
वह संगठित नहीं हो पाते हैं। जिससे वह अपनी बातों को रख नहीं पाते।
अतः असंगठित क्षेत्रक में श्रमिकों का शोषण होता है।
उत्तर :- आर्थिक गतिविधियां संगठित और असंगठित क्षेत्रक में रोजगार
की परिस्थितियों के आधार पर वर्गीकृत की जाती है।
Q.16. संगठित और असंगठित क्षेत्रकों
में विद्यमान रोजगार परिस्थितियों की तुलना करें?> संगठित और असंगठित क्षेत्रको के बीच अंतर स्पष्ट करें?
(i) संगठित क्षेत्रक के अंतर्गत वे उद्यम या व्यवसायिक इकाइयां
सम्मिलित की गई है जो सरकार के द्वारा पंजीकृत होती है। जैसे : इंडियन ऑयल , टाटा
, रिलायंस इंडस्ट्रीज , रेलवे , आदि।
(ii) संगठित क्षेत्रक में रोजगार की शर्तें नियमित होती है तथा कार्य
के घंटे निश्चित होते हैं। अतिरिक्त कार्य के लिए अतिरिक्त भुगतान किया जाता है।
(iii) संगठित क्षेत्रक में लोगों को मासिक वेतन प्राप्त होता है।
(iv) संगठित क्षेत्रक में लोगों को वेतन के अलावा छुट्टी का
भुगतान, भविष्य निधि , पेंशन आदि लाभ मिलती है।
(v) इसमें कई प्रकार के छुट्टी का लाभ मिलता है तथा छुट्टी के दिन
के लिए भी वेतन मिलता है।
(i) असंगठित क्षेत्रक के अंतर्गत में छोटे-छोटे छिटपुट या व्यवसाय
की इकाइयां सम्मिलित की गई है। जो अधिकांश सरकार द्वारा पंजीकृत तो नहीं होती है
साथ ही सरकारी नियंत्रण से बाहर होती है। जैसे : खेतिहर मजदूर , ईट भट्ठा में
कार्य करने वाला मजदूर आदि।
(ii) असंगठित क्षेत्रकों में बेेरोजगार की कोई शर्तें नहीं होती
साथ ही कार्य के घंटे भी निश्चित नहीं होते है। यहां अतिरिक्त कार्य के लिए कोई
अतिरिक्त भुगतान नहीं किया जाता है।
(iii) असंगठित क्षेत्रकों में लोगों को दैनिक मजदूरी मिलता है।
(iv) जबकि असंगठित क्षेत्रक में ऐसी कोई लाभ उपलब्ध नहीं है
(v) इसके अंतर्गत किसी भी प्रकार की छुट्टी की व्यवस्था नहीं है
तथा छुट्टी के दिन के लिए भुगतान नहीं मिलता है।
उपरोक्त रूप से संगठित और असंगठित क्षेत्रकों के बीच अंतर किया जा
सकता है।
उत्तर :- महात्मा गांधी रोजगार गारंटी अधिनियम – 2005 संसद द्वारा
पारित एक कानून है। इसे काम का अधिकार सुनिश्चित करने का अधिनियम के नाम से भी
जाना जाता है। इस अधिनियम के निम्न उद्देश्य हैं –
इस अधिनियम के अंतर्गत व सभी लोग जो काम करने में सक्षम हैं, तथा
जिन्हें काम की आवश्यकता है। उन्हें सरकार द्वारा प्रतिवर्ष 100 दिनों की रोजगार
की गारंटी दी गई है।
प्रास्ताविक रोजगार में कम से कम एक तिहाई रोजगार महिलाओं के लिए
आरक्षित किया गया है।
यदि सरकार किसी प्रार्थी को 15 दिनों के अंदर रोजगार उपलब्ध नहीं
करवाती है। तो उस व्यक्ति को रोजगार के स्थान पर बेरोजगारी भत्ता दिया जाएगा।
इस अधिनियम में भूमि सुधार से संबंधित कार्य को प्राथमिकता दी गई
है। इसके लिए भूमि संरक्षण, जल, संरक्षण, वृक्षारोपण आदि कार्य सम्मिलित किए गए
हैं।
इस अधिनियम के अंतर्गत इच्छुक व्यक्ति को 5 KM• के अंदर काम उपलब्ध
करवाया जाता है।
उपर्युक्त उद्देश्यों को लेकर मनरेगा – 2005 संसद में पारित किया
गया था।
उत्तर :-
|
सुव्यवस्थित प्रबंध वाले
संगठन |
कुव्यवस्थित प्रबंध वाले
संगठन |
सार्वजनिक क्षेत्रक |
|
|
निजी छत्रक |
|
|
उत्तर:-
|
सुव्यवस्थित प्रबंध वाले
संगठन |
कुव्यवस्थित प्रबंध वाले
संगठन |
सार्वजनिक क्षेत्रक |
रेलवे पोस्ट ऑफिस |
दिल्ली जल आपूर्ति |
निजी छत्रक |
टाटा रैनबैक्सी |
उत्तरी दिल्ली विद्युत
वितरण लिमिटेड |
उत्तर :- कुछ सार्वजनिक क्षेत्र के नियम है जिनका क्रियान्वयन
सरकार के अधिन होता है।
• रेलवे :-i. रेलवे विनिवेश करने के बाद रकम वापस आने काफी समय
लगता है।
• अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) :- आम लोगों को सस्ती
दरों पर गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने हेतु।
• राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम (NTPC) :- वास्तविक लागत से कम लागत
पर लोगों को बिजली उपलब्ध कराने हेतु।
उपरोक्त उद्देश्य के लिए सरकार द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र की
गतिविधियों का क्रियान्वयन किया जाता है।
उत्तर :- असंगठित क्षेत्रक के श्रमिकों को निम्नलिखित मुद्दों पर
संरक्षण की आवश्यकता है –
देश में असंगठित क्षेत्रक में लगभग सभी जगहों पर मजदूरी की दर समान
नहीं है। तथा काम के घंटे भी तय नहीं है। इसके अतिरिक्त महिला एवं पुरुषों में
समान कार्य के लिए वेतन समान नहीं है। संगठित क्षेत्रकों की भांति असंगठित
क्षेत्रक के मजदूरों को महंगाई भत्ता नहीं बढ़ता जबकि बढ़ना चाहिए।
असंगठित क्षेत्रक में कार्यरत श्रमिकों को रोजगार सुरक्षा की
गारंटी होती है। परंतु असंगठित क्षेत्रक में कार्यरत मजदूरों के लिए ऐसी कोई सुरक्षा
सुविधा नहीं होता है। जबकि संगठित क्षेत्रक के जैसा ही असंगठित क्षेत्रक में
रोजगार की सुरक्षा होनी चाहिए।
सभी श्रेणी के कर्मचारीयों को स्वास्थ्य सुरक्षा प्रदान करनी
चाहिए। ये सुविधाएं कर्मचारियों के अतिरिक्त उनके परिवार के सदस्यों को भी होनी
चाहिए।
उत्तर :-
अहमदाबाद में श्रमिक और उनकी आय
|
संगठित |
असंगठित |
कुल योग |
श्रमिक |
400000 |
1100000 |
1500000 |
कुल आय (करोड़ रुपये में
1997-98 |
320 |
280 |
600 |
वर्ष |
प्राथमिक |
द्वितीयक |
तृतीयक |
2000 |
52,000 |
48,000 |
1,33,500 |
2013 |
8,00,500 |
10,74,000 |
38,68,000 |
उत्तर:-
• वर्ष 2000 से 2013 तक प्राथमिक क्षेत्रक में जीडीपी में सबसे
अधिक गिरावट दर्ज की गई। और यह आंकड़ा 22% से घटकर 14% तक आ गया।
इसके अतिरिक्त कुछ अन्य वस्तुनिष्ठ प्रश्न प्रश्न
1. भारत में 2013 - 14 में सबसे अधिक जीडीपी (GDP) किस क्षेत्रक से प्राप्त होता था ?
2. भंडारण को किस क्षेत्रक में शामिल किया जाता है ?
3. 2013 - 2014 में जीडीपी (GDP) में तृतीयक क्षेत्रक की हिस्सेदारी कितनी थी ?
4. गेहूं का अंतिम वस्तु के रूप में किसे माना जाए ?
5. प्राथमिक उत्पादों को अन्य किस नाम से जाना जाता है ?
6. 1973 - 74 में जीडीपी (GDP) में प्राथमिक क्षेत्रक की हिस्सेदारी कितना था ?
7. कौन-से क्षेत्रक को सेवा क्षेत्रक भी कहा जाता है ?
8. परिवहन को किस क्षेत्रक में शामिल किया जाता है ?
9. गन्ने का द्वितीयक क्षेत्रक रूप कौन - सा होता है ?
10. 2013 - 14 में भारत का जीडीपी (GDP) कितना था ?
11. जीडीपी ( GDP) का पूरा नाम क्या है ?
12. उत्पादन और उपभोक्ता के मध्य सम्बन्ध कौन - सा क्षेत्रक स्थापित करता है ?
13. भारत में 2013 - 14 में सबसे अधिक कौन सा क्षेत्रक में रोजगार प्रदान करता था ?
14. 2013 - 14 में जीडीपी (GDP) में प्राथमिक क्षेत्रक का कितना प्रतिशत भागीदारी था ?
15. भारत में 1973 - 74 में सबसे अधिक जीडीपी (GDP) किस क्षेत्र से प्राप्त होता था ?
16. धन कमाने वाली गतिविधियों को क्या कहा जाता है ?
17. 1973 - 74 में भारत का जीडीपी ( GDP) लगभग कितना था ?
18. द्वितीयक क्षेत्रक किस क्षेत्रक पर पूर्णतया निर्भर होता है ?
19. भारत में 1973 - 74 में सबसे अधिक कौन क्षेत्रक रोजगार प्रदान करता था
20. तीनों क्षेत्रकों के उत्पादनों के योगफल को क्या कहा जाता है ?