4. आंकड़ों का प्रस्तुतीकरण
बहुविकल्पीय प्रश्न
प्र.1- सारणीयन
में प्रयुक्त वर्गीकरण का प्रकार है।
(अ) गुणात्मक वर्गीकरण
(ब) मात्रात्मक वर्गीकरण
(स) कालिक वर्गीकरण
(द) उपर्युक्त सभी
प्र.2 सारणीयन का आशय है।
(अ) आँकड़ों का तुलनात्मक अध्ययन
(ब) आँकड़ों को पंक्तियों और स्तम्भों में
व्यवस्थित करना
(स) सांख्यिकी समूहों का अध्ययन करना
(द) इनमें से कोई नहीं।
प्र.3 ओजाइव अथवा तोरण वक्र से कौन-सा माध्य
सरलता से निर्धारित किया जा सकता है।
(अ) समान्तर माध्य
(ब) बहुलक
(स) गुणोत्तर माध्य
(द) माध्यिका
प्र.4 सामान्यतः समंक प्रस्तुत करने की विधि
है।
(अ) सारणीयन
(ब) औसत माध्य
(स) प्रमाप विचलन
(द) सहसम्बन्ध
प्र.5 -सभी आयतों की ऊपरी भुजा के मध्य बिन्दुओं
को सरल रेखाओं से मिलाने पर जो वक बनता है, उसे कहते हैं।
(अ) ओजाइव वक्र
(ब) आयताकार चित्र
(स) आवृत्ति बहुभुज
(द) आवृत्ति वक्र
अतिलघुउत्तरीय प्रश्न :
प्र.1 सारणीयन का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर : सारणीयन का मुख्य उद्देश्य आँकड़ों को सांख्यिकीय
प्रयोग एवं उनके आधार पर निर्णय लेने के लिए व्यवस्थित करना है।
प्र.2 तोरण से कौनसा माध्य ज्ञात किया जाता
है
उत्तर : तोरण से माध्यिका को ज्ञात किया जाता है
प्र.3 आँकड़ों को कितने प्रकार से प्रस्तुत
किया जा सकता है?
उत्तर : आँकड़ों को तीन प्रकार से प्रस्तुत किया जा सकता
है
1. पाठ विषयक या वर्णात्मक प्रस्तुतीकरण
2. सारणीबद्ध प्रस्तुतीकरण
3. आरेखीय प्रस्तुतीकरण।
प्र.4 सारणीयन के वर्गीकरण के विभिन्न प्रकारों
के नाम बताइए।
उत्तर :
1. गुणात्मक वर्गीकरण
2. मात्रात्मक वर्गीकरण
3. कालिक वर्गीकरण
4. स्थानिक वर्गीकरण।
प्र.5 सारणीयन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर : सारणीयन वर्गीकृत समंकों को स्तम्भों व पंक्तियों
में क्रमबद्ध व सुव्यवस्थित ढंग से प्रस्तुत करने की प्रक्रिया है।
प्र.6 आँकड़ों के सारणीबद्ध प्रस्तुतीकरण का
कोई एक उद्देश्य बताइए।
उत्तर : सारणीकरण से जटिल तथ्यों को सरल बनाया जाता है।
लघुउत्तरीय प्रश्न :
प्र.1 आँकड़ों की पाठ-विषयक प्रस्तुतीकरण से
आप क्या समझते हैं? उदाहरण की सहायता से स्पष्ट कीजिए।
उत्तर : आँकड़ों की पाठ-विषयक प्रस्तुतीकरण में आँकड़ों का
विवरण पाठ के रूप में दिया होता है। जब आँकड़ों का परिमाण बहुत अधिक न हो तो प्रस्तुतीकरण
का यह स्वरूप अधिक उपयोगी होता है। इसे निम्न प्रकार पाठ्य सामग्री के रूप में प्रस्तुत
किया जाता है भारत में वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार कुल जनसंख्या 121 करोड़ है, जिसमें
से 62.3 करोड़ पुरुष हैं तथा 58.8 करोड़ महिलाएं हैं। इनमें से 83.3 करोड़ लोग ग्रामीण
क्षेत्रों में तथा 37.7 करोड़ लोग शहरी क्षेत्रों में निवास कर रहे हैं।
प्र.2 आँकड़ों
को सारणी में प्रस्तुत करने के कोई तीन लाभ बताइए।
उत्तर :
1. सारणीयन प्रस्तुतीकरण से अव्यवस्थित आँकड़े सरल तथा संक्षिप्त
होकर अधिक से अधिक सूचना प्रदान करते हैं।
2. आँकड़ों को सारणी में प्रस्तुत करने से आँकड़ों की तुलना
करना काफी सरल हो जाता है।
3. आँकड़ों को सारणी में प्रस्तुत करने से उनका विश्लेषण
काफी सरल हो जाता है। उसके बाद ही माध्य, अपकिरण व मध्यिका ज्ञात किए जाते हैं।
प्र.3. आँकड़ों
के आरेखीय प्रस्तुतीकरण के कोई तीन लाभ बताइए।
उत्तर :
1. आरेखों द्वारा जटिल से जटिल आँकड़ों का प्रस्तुतीकरण,
सरल एवं समझने योग्य बन जाता है।
2. साधारण से साधारण मनुष्य भी चित्रों द्वारा प्रस्तुत जानकारी
को आसानी से समझ सकता है।
3. आँकड़ों का आरेखीय प्रस्तुतीकरण बहुत ही प्रभावशाली होता
है, आरेखीय प्रस्तुतीकरण से तुलनात्मक विश्लेषण करने में काफी सुविधा रहती है।
प्र.4. सारणीयन
के उद्देश्यों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर : सारणीयन के प्रमुख उद्देश्य निन्मलिखित हैं-
1. आँकड़ों को व्यवस्थित करना।
2. आँकड़ों को आकर्षक रूप से प्रस्तुत करना।
3. सारणीयन द्वारा गणितीय गणनाओं में सुविधा की दृष्टि से
आंकड़ों का प्रस्तुतीकरण करना,
4. आँकड़ों की शुद्धता के परीक्षण में सहायता प्रदान करना,
5. तुलनात्मक अध्ययन में सहायक होना,
6. आंकड़ों की स्पष्ट रूप से अभिव्यक्ति सारणीयन से होती
है,
7. आंकड़ों के प्रस्तुतीकरण में संक्षिप्तता एवं स्थायित्व,
8. कम स्थान में विशाल प्रस्तुतीकरण सम्भव होना,
9. आँकड़ों के प्रस्तुतीकरण के साथ-साथ विश्लेषण एवं निर्वाचन
करना,
10. आंकड़ों में एकता एवं विभिन्नता सारणियों के माध्यम से
प्रस्तुत करना।
निम्नलिखित 1 से 10 तक के प्रश्नों के सही उत्तर चुनें।
प्र.1. दंड-आरेख
(क) एक विमी आरेख है
(ख) द्विविम आरेख है।
(ग) विम रहित आरेख है
(घ) इनमें से कोई नहीं है।
प्र.2. आयत चित्र के माध्यम से प्रस्तुत किये
गये आँकड़ों से आलेखी रूप से निम्नलिखित जानकारी प्राप्त कर सकते हैं:
(क) माध्य
(ख) बहुलक
(ग) मध्यिका
(घ) उपर्युक्त सभी
प्र.3. तोरणों के द्वारा आरेखी रूप में निम्नलिखित
में से किसकी स्थिति जानी जा सकती है।
(क) बहुलक
(ख) माध्य
(ग) मध्यिका
(घ) उपर्युक्त कोई भी नहीं
प्र.4. अंकगणितीय रेखा चित्र के द्वारा प्रस्तुत
आँकड़ों से निम्न को समझने में मदद मिलती है।
(क) दीर्घकालिक प्रवृत्ति
(ख) आँकड़ों में चक्रीयता
(ग) आँकड़ों में कालिकता
(घ) उपर्युक्त सभी
सही/गलत कथन चयन करें:-
प्र.5. दंड आरेख के दंडों की चौड़ाई का एक
समान होना जरूरी नहीं है। (सही/गलत)
उत्तर : गलत
प्र.6. आयत चित्रों में आयतों की चौड़ाई अवश्य
एक समान होनी चाहिए। (सही / गलत)
उत्तर : गलत
प्र.7, आयत चित्र की रचना केवल आँकड़ों के
सतत वर्गीकरण के लिए की जा सकती है। (सही /गलत)
उत्तर : सही
प्र.8. आयत चित्र एवं स्तंभ आरेख आँकड़ों को
प्रस्तुत करने की एक जैसी विधियाँ हैं। (सही / गलत)
उत्तर : गलत
प्र.9, आयत चित्र की मदद से बारंबारता वितरण
के बहुलक को आरेखीय रूप से जाना जा सकता है। (सही / गलत)
उत्तर : सही
प्र.10. तोरणों से बारंबारता वितरण की माध्यिका
को नहीं जाना जा सकता है। (सही / गलत)
उत्तर : गलत
प्र.11. निम्नलिखित को प्रस्तुत करने के लिए
किस प्रकार का आरेख अधिक प्रभावी होता है।
(क) वर्ष-विशेष की मासिक वर्षा
(ख) धर्म के अनुसार दिल्ली की जनसंख्या का संघटन
(ग) एक कारखाने में लागत घटक
उत्तर :
(क) सरल दंड आरेख
(ख) बहुदंड चित्र
(ग) वृत्त आरेख
प्र.12. मान लीजिए आप भारत में शहरी और कामगारों
की संख्या में वृद्धि तथा भारत के शहरीकरण पर बल देना चाहते हैं तो नीचे दिए गए आँकड़ों
का सारणीयन कैसे करेंगे?
आयु समूह (वर्ष) |
उत्तरदाताओं की संख्या |
प्रतिशत |
20-30 |
3 |
0.55 |
30-40 |
61 |
11.25 |
40-50 |
132 |
24.35 |
50-60 |
153 |
28.24 |
60-70 |
140 |
25.83 |
70-80 |
51 |
9.41 |
80-90 |
2 |
0.37 |
कुल |
542 |
100 |
उत्तर-
आयु समूह (वर्ष) |
गैर श्रमिकों की संख्या |
||
पुरुष |
महिला |
कुल |
|
15-20 |
- |
- |
- |
20-25 |
- |
- |
- |
25-59 |
- |
- |
- |
59 से ऊपर |
- |
- |
- |
कुल |
- |
- |
- |
प्र.13. यदि किसी बारंबारता सारणी में समान
वर्ग अंतरालों की तुलना में वर्ग अंतराल असमान हों, तो आयत चित्र बनाने की प्रक्रिया
किस प्रकार भिन्न होगी?
उत्तर : जब बारंबारता सारणी में वर्ग अंतराल समान होते हैं तो वर्ग
अंतराल की बारंबारता को साधारण रूप से अंकित किया जाता है परंतु जब बारंबारता सारणी में
वर्ग अंतराल असमान हो तो पहले हमें समायोजित बारंबारता की गणना करनी होती है। यह नीचे
दिए गये उदाहरण से स्पष्ट हो जायेगा।
वर्ग |
बारंबरता |
समायोजित बारंबरता |
0-10 |
3 |
3 |
10-30 |
4 |
2 |
30-60 |
6 |
2 |
60-100 |
4 |
1 |
प्र.13. भारतीय चीनी कारखाना संघ की रिपोर्ट में कहा
गया है कि दिसंबर 2001 के पहले पखवाड़े के दौरान 3,87,000 टन चीनी का उत्पादन हुआ,
जबकि ठीक इसी अवधि में पिछले वर्ष 2000 में 3,78,700 टन चीनी का उत्पादन हुआ था। दिसंबर
2001 में घरेलू खपत के लिए चीनी मिलों से 2,83,000 टन चीनी उठाई गई और 41,000 टन चीनी
निर्यात के लिए थी, जबकि पिछले वर्ष की इसी अवधि में घरेलू खपत की मात्रा
1,540,000 टन थी और निर्यात शून्य था।
(क) उपर्युक्त आँकड़ों को सारणीबद्ध रूप में प्रस्तुत करें।
(ख) मान लीजिए, आप इस आँकड़े को आरेख के रूप में प्रस्तुत
करना चाहते हैं तो आप कौन-सा आरेख चुनेंगे और क्यों?
(ग) इन आँकड़ों को आरेखी रूप में प्रस्तुत करें।
उत्तर : (क)
|
दिसंबर 2001 |
दिसंबर 2000 |
चीनी मिलों से उठाई गई मात्रा |
154,000 |
2,83,000 |
घरेलू खपत |
24,000 |
41,000 |
निर्यात |
1,62,000 |
63,000 |
कुल |
3,40,000 |
3,87,000 |
(ख) हम इसे आरेख द्वारा प्रस्तुत नहीं कर सकते परंतु चित्र
द्वारा कर सकते हैं।
प्र.15. निम्नलिखित
सारणी में कारक लागत पर सकल घरेलू उत्पाद में क्षेत्रकवार अनुमानित वास्तविक संवृद्धि
दर को (पिछले वर्ष से प्रतिशत परिवर्तन प्रस्तुत) किया गया है।
वर्ष |
कृषि और सम्बद्ध क्षेत्रक |
उद्योग |
सेवाएँ |
1994-95 |
5.0 |
9.2 |
7.0 |
1995-96 |
-0.9 |
11.8 |
10.3 |
1996-97 |
9.6 |
6.0 |
7.1 |
1997-98 |
-1.9 |
5.9 |
9.0 |
1998-99 |
7.2 |
4.0 |
8.3 |
1999-2000 |
0.8 |
6.9 |
8.2 |
उपर्युक्त आँकड़ों को बहु काल श्रेणी आरेख द्वारा प्रस्तुत करें।
पाठ का परिचय
4.3 आँकड़ों का सारणीकरण तथा सारणी के अंग :-
सारणी
के निर्माण के लिए, सबसे पहले यह जानना आवश्यक है कि एक अच्छी सांख्यिकीय सारणी के
कौन-कौन से महत्वपूर्ण अंग हैं। जब इन सभी अंगों को सुव्यस्थित कर एक साथ प्रस्तुत
किया जाता है, तो ये सारणी के रूप में हो जाते हैं। सारणी की संकल्पना का सबसे सरल
तरीका यह है कि आँकड़ों को कुछ व्याख्यात्मक सूचनाओं के साथ पंक्तियों एवं स्तंभों
में व्यवस्थित कर दिया जाए। सारणीकरण के कार्य को एकविध, द्वविध या त्रिविध वर्गीकरण
द्वारा किया जा सकता है जो कि आँकड़ों की विशिष्टताओं की संख्या पर निर्भर करता है।
एक अच्छा सारणी में निम्न बातें आवश्यक रूप से होनी चाहिए-
(क)
सारणी संख्याः-
किसी
सारणी की संख्या उसकी पहचान के लिए निर्धारित की जाती है। यदि कहीं एक से अधिक सारणियाँ
प्रस्तुत की जाती हैं, तो उन सारणियों की संख्या ही उन्हें एक-दूसरे से अलग करती है।
इस सारणी के ऊपर या शीर्षक की शुरुआत के साथ दिया जाता है। यदि एक पुस्तक में बहुत
सारी सारणियाँ हैं तो संख्या आरोही क्रम में दी जाती है। सामान्यतः सारणी की अवस्थिति
के अनुसार सारणी की पहचान के लिए संख्याएँ जैसे 1.2. 3.1 इत्यादि भी दी जा सकती हैं।
(ख)
शीर्षकः-
सारणी
का शीर्षक सारणी की विषयवस्तु की व्याख्या करता है। इसे बहुत ही स्पष्ट, संक्षिप्त
एवं सावधानी पूर्ण चुने गए शब्दों में होना चाहिए, ताकि सारणी का भाव बिल्कुल स्पष्ट
हो जिसमें अस्पष्टता न हो। इसे सारणी के बिल्कुल ऊपर तथा सारणी संख्या के ठीक बाद में
या इसके ठीक नीचे दिया जाता है।
(ग)
उप शीर्षक या स्तंभ शीर्षक :-
सारणी
के प्रत्येक स्तंभ के ऊपर की ओर एक स्तंभ नाम दिया जाता है जो स्तंभ के अंतर्गत दी
गई संख्याओं की व्याख्या करता है। इसे उपशीर्षक या स्तंभ शीर्षक कहते हैं।
(घ)
अवशीर्ष या पंक्ति शीर्षक :-
उपशीर्षक
या स्तंभशीर्षक की भाँति सारणी की प्रत्येक पंक्ति को भी एक शीर्षक दिया जाता है। पंक्तियों
के नाम को अवशीर्ष या अवशीर्ष मदें भी कहते हैं और संपूर्ण बायें स्तंभ को अवशीर्ष
स्तंभ कहा जाता है। पंक्तिशीर्षकों का संक्षिप्त विवरण सारणी के बिल्कुल ऊपर बायीं
ओर दिया जा सकता है।
(ङ)
सारणी का मुख्य भाग :-
सारणी
का मुख्य भाग वह होता है, जिसमें वास्तविक आँकड़े होते हैं। सारणी में किसी भी संख्या
/आँकड़े की अवस्थिति उसकी पंक्ति एवं स्तंभ के अनुसार सुनिश्चित होती है।
(च)
माप की इकाई :-
यदि
पूरी सारणी में माप की इकाई समान रहे, तो सारणी की संख्याओं (वास्तविक आँकड़ों) को
सदैव सारणी के शीर्षक के साथ लिखा जाना चाहिए। यदि सारणी की पंक्तियों या स्तंभों के
लिए भिन्न माप इकाइयाँ हों, तो उन इकाइयों की चर्चा निश्चितरूप से उपशीर्षक या अवशीर्ष
के साथ की जानी चाहिए। यदि संख्याएँ बहुत बड़ी हैं तो इन्हें पूर्णांक बना देना चाहिए
और पूर्णांक बनाने की विधि का संकेत दिया जाना चाहिए।
(छ)
स्रोत :-
यह
एक संक्षिप्त विवरण या वाक्यांश होता है जिसमें सारणी में प्रस्तुत किए गए आँकड़ों
के स्रोत के बारे में बताया जाता है। यदि एक से अधिक स्रोत हैं, तो सभी स्रोतों के
बारे में लिखा जाना चाहिए। स्रोत को प्रायः सारणी के नीचे दिया जाता है।
(ज)
टिप्पणी :-
टिप्पणी किसी सारणी का अंतिम अंग होता है। पाद टिप्पणी के अंतर्गत किसी सारणी के आँकड़ों की विषय-वस्तु की उन विशिष्टताओं के बारे में व्याख्या की जाती है, जो कि स्वतः स्पष्ट नहीं होती हैं और न ही पहले कहीं उनकी व्याख्या की गई होती है।
4.4.0 आँकड़ों का आरेखी प्रस्तुतीकरण
4.4.1 ज्यामितीय आरेख :
दंड
आरेख तथा वृत्त आरेख ज्यामितीय आरेख की श्रेणी में आते हैं। दंड आरेख तीन प्रकार के
होते हैं। सरल दंड आरेख, बहु दंड आरेख तथा घटक दंड-आरेख ।
A
- दंड आरेख
4.4.2 सरल दंड आरेख :
सरल
दंड आरेख के अंतर्गत समान अंतरालों तथा समान विस्तार वाले आयताकार दंडों का एक समूह
प्रत्येक श्रेणीवर्ग के आँकड़ों को दर्शाता है। दंड की ऊँचाई या लंबाई आँकड़े के परिमाण
को प्रकट करती है। दंड का निचला छोर आधार रेखा को इस प्रकार स्पर्श करता है। कि दंड
की ऊँचाई शून्य इकाई से शुरू होती है। दंड आरेख के दंडों की सापेक्ष ऊँचाई को देखकर,
आँकड़ों को अपेक्षाकृत आसानी से समझा जा सकता है। इसके लिए आँकड़े बारंबारता वाले या
गैर-बारंबारता वाले दोनों प्रकार के हो सकते हैं
आयत (करोड़ में)
4.4.3 बहु दंड आरेख :
बहु दंड-आरेखों का प्रयोग दो या अधिक आँकड़ा-समुच्चयों की तुलना के लिए किया जाता है, उदाहरण के लिए विभिन्न वर्षों में आय और व्यय या आयात और निर्यात या विभिन्न विषयों एवं विभिन्न कक्षाओं में प्राप्त किए गए अंक आदि।
4.4.4 घटक दंड आरेख / चार्ट उप- आरेख :
घटक दंड आरेख या चार्ट (जिन्हें उप-आरेख भी कहा जाता है) का प्रयोग विभिन्न घटकों (ऐसे तत्व या भाग जिनसे वस्तु का निर्माण होता है) के आकारों की तुलना करने के लिए तथा इन घटकों तथा उनके अभिन्न अंगों के संबंधों पर प्रकाश डालने के लिए किया जाता है। घटक दंड आरेखों सामान्यतः उपयुक्त छायाओं या रंगों से भरा जाता है। दंड को विभाजित करने के क्रम में छोटे घटकों को अधिक प्राथमिकता दी जाती है। किसी घटक दंड आरेख के अंतर्गत दो या दो से अधिक घटकों को दंडों और उसके उपभागों के द्वारा प्रकट किया जाता है।
4.5.1 वृत्त आरेख
वृत्त आरेख भी एक घटक आरेख है, पर घटक दंड आरेखों के स्थान पर इसे एक ऐसे वृत्त द्वारा प्रस्तुत किया जाता है, जिसके क्षेत्र को आनुपातिक रूप से उन घटकों में विभाजित किया जाता है, जिन्हें यह दर्शाता है। इसे वृत्त चार्ट भी कहते हैं। यहाँ पर वृत्त को केंद्र से परिधि की ओर सीधी रेखाओं के द्वारा उतने ही भागों में विभाजित किया जाता है जितनी घटकों की संख्या होती है। वृत्त आरेख में वृत्त को 100 बराबर भागों में बाँट लिया जाता है, जिसमें प्रत्येक अंश 3.6° (360/100) के बराबर होता है, चाहे त्रिज्या का मान कुछ भी हो। कोण को जानने के लिए घटक को वृत्त के केंद्र से कक्षांतरित करना होगा, जिसमें प्रत्येक घटक के प्रतिशत अंकों को 3.6° से गुणा करना होगा।
4.5.0 बारंबारता आरेख :
समूहीकृत
बारंबारता वितरण के रूप में प्रस्तुत आँकड़ों को सामान्यतः बारंबारता आरेखों के द्वारा
प्रस्तुत किया जाता है, जैसे कि आयत चित्र, बारंबारता बहुभुज बारंबारता वक्र तथा ओजाइव
आदि।
4.5.1 आयत चित्र :
आयत चित्र एक द्विविम आरेख है। यह आयतों का एक ऐसा समुच्चय है, जिसमें वर्ग सीमाओं के अंतराल (अक्ष पर) आधार का कार्य करते हैं तथा जिनके क्षेत्रफल वर्ग बारंबारता के अनुपात में होते हैं। यदि वर्ग के अंतराल का विस्तार एक समान हो जैसा कि सामान्यतः होता है तो आयतों का क्षेत्रफल उनकी बारंबारताओं के अनुपात में होता है। आयत चित्र कभी विविक्त चर आँकड़ों के लिए नहीं खींचा जाता है।
4.5.2 - बारंबारता बहुभुज
बारंबारता बहुभुज सीधी रेखाओं से घिरा हुआ एक समतल है, जिसमें सामान्यतः चार या अधिक रेखाएँ होती हैं। बारंबारता बहुभुज आयत चित्र का विकल्प होता है, जो आयत चित्र से ही व्युतपन्न होता है। बारंबारता बहुभुज को वक्र के आकार के अध्ययन के लिए किसी आयत चित्र के ऊपर लगाया जा सकता है। आयत चित्र के क्रमिक आयतों के ऊपरी छोर के मध्य बिंदुओं को जोड़ कर बारंबारता बहुभुज का निर्माण बहुत आसानी से किया जा सकता है।
4.5.3 बारंबारता वक्र
बारंबारता वक्र को, बारंबारता बहुभुज के बिंदुओं से निकटतम गुजरते हुए मुक्त हस्त से वक्र बनाकर आसानी से प्राप्त किया जा सकता है। यह आवश्यक नहीं है कि यह बारंबारता बहुभुज के सभी बिंदुओं से होकर गुजरे, परंतु यह उन बिंदुओं से निकटतम होकर गुजरता है।
4.5.4 ओजाइव (तोरण) संचयी बारंबारता वक्र:
तोरण
को संचयी बारंबारता वक्र के नाम से भी जाना जाता है। क्योंकि संचयी बारंबारताएँ दो
प्रकार की होती हैं, उदाहरण के लिए, से कम प्रकार एवं से अधिक प्रकार की। तदनुसार,
किसी समूहित बारंबारता वितरण आँकड़ों के लिए दो प्रकार के तोरण भी होते हैं। यहाँ,
बारंबारता बहुभुज की भाँति साधारण बारंबारताओं के स्थान पर बारंबारता वितरण की वर्ग-सीमाओं
के सामने संचयी बारंबारताओं को अक्ष पर आलेखित किया जाता है। संचयी बारंबारताओं को
से कम तोरण के लिए क्रमशः वर्ग अंतरालों की ऊपरी सीमा के सामने आलेखित किया जाता है,
जबकि से अधिक तोरण के लिए क्रमशः वर्ग अंतरालों की निम्नतम सीमा के सामने आलेखित किया
जाता है। इन दोनों ही तोरणों की एक रोचक विशेषता यह है कि इन का परस्पर प्रतिच्छेद
बिंदु बारंबारता वितरण की मध्यिका बनाता है।
1-
से कम संचयी बारंबारता में तोरण कभी घटता नहीं है।
2 से अधिक संचयी बारंबारता में तोरण कभी बढता नहीं है।
4.5.5 अंकगणितीय रैखिक आलेख / काल श्रेणी आलेख :
अंकगणितीय रेखा चित्र को काल श्रेणी आलेख भी कहा जाता है। इस आलेख के अंतर्गत समय (घंटा, दिन / तारीख, सप्ताह / माह, वर्ष इत्यादि) को एकस अक्ष पर आलेखित किया जाता है और चरों के मानों (काल-श्रेणी आँकड़ों) को वाई-अक्ष पर आलेखित किया जाता है। इन आलेखित बिंदुओं को जोड़ने से प्राप्त रेखा-चित्र अंकगणितीय रेखा-चित्र (काल-श्रेणी आलेख) कहलाता है। यह लंबी अवधि के काल-श्रेणी आँकड़ों की प्रवृत्ति और आवर्तिता इत्यादि को समझने में सहायक होता है।