11th 7. सहसंबंध, सांख्यिकी के सिद्धान्त JCERT/JAC Reference Book

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7. सहसंबंध

प्रश्नोत्तर

प्र.1. कद (फुटों में) तथा वजन (किलोग्राम में) के बीच सहसंबंध गुणांक की इकाई है:

क) कि. ग्रा/फुट

(ख) प्रतिशत

(ग) अविद्यमान

प्र.2. सरल सहसंबंध गुणांक का परास निम्नलिखित होगा।

(क) 0 से अनंत तक

(ख) -1 से 1 तक

(ग) ऋणात्मक अनंत से धनात्मक अनंत तक

प्र.3. यदि rxy धनात्मक है तो x और y के बीच का संबंध इस प्रकार का होता है।

(क) जब x बढ़ता है तो y बढ़ता है।

(ख) जब x घटता है तो y बढ़ता है।

(ग) जब x बढ़ता है तो y नहीं बदलता है।

प्र.4. यदि rxy = 0 तब चर x और y के बीच :

(क) रेखीय संबंध होगा।

(ख) रेखीय संबंध नहीं होगा

(ग) स्वतंत्र होगा

प्र.5. निम्नलिखित तीनों मापों में कौन-सा माप किसी भी प्रकार के संबंध की माप कर सकता है।

(क) कार्ल पियरसन सहसंबंध गुणांक

(ख) स्पीयरमैन का कोटि सहसंबंध

(ग) प्रकीर्ण आरेख

प्र.6. यदि परिशुद्ध रूप में मापित आँकड़े उपलब्ध हों, तो सरल सहसंबंध गुणांकः

(क) कोटि सहसंबंध गुणांक से अधिक सही होता है।

(ख) कोटि सहसंबंध गुणांक से कम सही होता है।

(ग) कोटि सहसंबंध की ही भाँति सही होती है।

उत्तर (ग) कोटि सहसंबंध की ही भाँति सही होता है।

प्र.7. साहचर्य के माप के लिए को सहप्रसरण से अधिक प्राथमिकता क्यों दी जाती है?

उत्तर : साहचर्य का माप x और y के बीच सहसंबंध गुणांक का चिह्न निश्चित करता है। मानक विचलन सदा धनात्मक होते हैं। जब सहप्रसरण शून्य होता है तो सहसंबंध भी शून्य होता है। सहसंबंध को सहप्रसरण से साहचर्य के माने के लिए अधिक प्राथमिकता दी जाती है क्योंकि

(क) यह धनात्मक ऋणात्मक और शून्य सहसंबंध के विषय में बताता है।

(ख) सहसंबंध मूलों और पैमानों से स्वतंत्र होते हैं।

प्र.8. क्या आँकड़ों के प्रकार के आधार पर 1 तथा 1 के बाहर स्थित हो सकता है?

उत्तर : r(+1<r-1)+1 और 1 के बीच में स्थित होता है और यदि यह +1 से बाहर हो तो इसका अर्थ है कि दो चरों में संबंध आरेखीय है। अत: इसका विवेचन करते हुए हमें यह याद रखना होगा कि अवश्य इसमें कुछ त्रुटियाँ हैं।

प्र.9. क्या सहसंबंध के द्वारा कार्यकारण संबंध की जानकारी मिलती है?

उत्तर : नहीं सहसंबंध द्वारा कार्यकारण की जानकारी नहीं मिलती। अकसर विद्यार्थी यह विश्वास करने लगते हैं कि सहसंबंध दो चरों में वहाँ सहसबंधं सुझाता है जहाँ एक का कारण दूसरा है। उदाहरणः यह वस्तु की माँगी गई मात्रा और कीमत में सहसंबंध स्पष्टः कीमत में वृद्धि तथा माँगी गई मात्रा में कमी का कारण है और इसके विपरीत भी। कीमत में परिवर्तन माँगी गई मात्रा में परिवर्तन लाता है। परंतु जिस बिंदु पर ज्यादा बल देने की आवश्यकता है वह यह है कि चरों के बीच कारण और प्रभाव संबंध सहसंबंध के सिद्धांत में कोई भी पूर्व-स्थिति नहीं है। सहसंबंध दो चरों के बीच किसी कारण और प्रभाव संबंध के साथ या उसके बिना, संबंध की कोटि और तीव्रता को मापता है। सहसंबंध दो या दो से अधिक चर-मूलों में पारस्परिक संबंध की दिशा तथा मात्रा का अकात्मक माप है। परंतु सहसंबंध की उपस्थिति से यह नहीं मान लेना चाहिए कि दोनों चरों में आवश्यक रूप से प्रत्यक्ष कारण तथा परिणाम संबंध है। सह-संबंध सदैव कारण परिणाम संबंध से ही उत्पन्न नहीं होता। परंतु कारण-परिणाम संबंध होने पर निश्चित रूप से सहसंबंध पाया जाता है।

प्र.10. सरल सहसंबंध गुणांक की तुलना में कोटि सहसंबंध गुणांक कब अधिक परिशुद्ध होता है?

उत्तर : सरल सहसंबंध गुणांक की तुलना में कोटि सहसंबंध गुणांक अधिक परिशुद्ध होता है क्योंकि

1. इस विधि का उस स्थिति में भी सुगमता से प्रयोग किया जाता है जबकि आँकड़ों के स्थान पर केवल श्रेणियाँ ही दी गई हों तथा साधारण गुणात्मक श्रृंखलाओं के ढीले सहसंबंध अनुमान लगाने के लिए भी प्रयोग किया जा सकता है।

2. स्पीयरमैन श्रेणी अंतर सह-संबंध विधि पियरसन के सह-संबंध गुणांक की अपेक्षा समझने में सरल है।

3. यह विधि गुणात्मक चरों की अच्छाई, बुराई, बुद्धिमत्ता, सुंदरता व पवित्रता आदि के सह-संबंधों को ज्ञात करने के लिए श्रेष्ठ है।

प्र.11. क्या शून्य सह-संबंध का अर्थ स्वतंत्रता है?

उत्तर : शून्य सहसंबंध का अर्थ स्वतंत्रता नहीं है अपितु इसका अर्थ रेखीय। सहसंबंध की स्वतंत्रता है। दो चरों में आरेखीय सहसंबंध होने पर जब उन्हें प्रकीर्ण आरेख पर दर्शाया जायेगा। तो वे शून्य सहसंबंध दर्शायेंगे तथा जब उन्हें पियरसन या स्पीयरमैन विधि से निकाला जाता है तो यह निम्न सहसंबंध का मान देगा। नीचे दी गई आकृति के द्वारा इसे समझा जा सकता है।

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इसे शून्य सहसंबंध माना जायेगा, जबकि एक स्तर तक x और y धनात्मक रूप से संबंधित है तथा तदुपरांत उनमें ऋणात्मक सहसंबंध है।

प्र.12. क्या सरल सहसंबंध गुणांक किसी भी प्रकार के संबंध को माप सकता है?

उत्तर : नहीं, सरल सहसंबंध गुणाक केवल रेखीय सहसंबंध माप सकता है।

(क) यह आरेखीय सहसंबंध नहीं माप सकता।

(ख) यह ऐसे चरों के बीच सहसंबंध ज्ञात नहीं कर सकता जो संख्यात्मक रूप में व्यक्त नहीं किये जा सकते।

(ग) यह धनात्मक, ऋणात्मक तथा रेखीय सहसंबंध की अनुपस्थिति को माप सकता है।

प्र.13. अपनी कक्षा के सहपाठियों के कद मापिए। उनसे उनके बेंच पर बैठे सहपाठी का कद पूछिए। इन दो चरों का सहसंबंध गुणांक परिकलित कीजिए और परिणाम का निर्वचन कीजिए।

उत्तर : सभी बेंचों पर दायीं ओर बैठे छात्र को X तथा बायीं और बैठे छात्र की Y कहें। यदि कक्षा में 40 विद्यार्थी हैं तो 20 जोड़े बन जायेंगे। यदि संख्या विषम है तो एक विद्यार्थी को छोड़ना होगा। उनके कद ज्ञात करके कार्ल पियरसन की किसी भी विधि द्वारा सहसंबंध गुणांक ज्ञात किया जा सकता है।

प्र.14. कुछ ऐसे चरों की सूची बनाएँ जिनका परिशुद्ध माप कठिन हो।

उत्तर : ऐसे कुछ चर इस प्रकार हैं:

(क) सुंदरता

(ख) बुद्धिमत्ता

(ग) ईमानदार

(घ) अनुशासन

(ङ) आत्मविश्वास

(च) संस्कार

प्र.15. r के विभिन्न मानों 1, -1, तथा 0 की व्याख्या करें।

उत्तर : r = 1 पूर्ण धनात्मक सहसंबंध

r = - 1 पूर्ण ऋणात्मक सहसंबंध,

r = 0 रेखीय सहसंबंध की अनुपस्थिति।

प्र.16. पियरसन सहसंबंध गुणांक से कोटि सहसंबंध गुणांक क्यों भिन्न होता है?

उत्तर : पियरसन सहसंबंध गुणांक की भाँति श्रेणी सहसंबंध भी 1 तथा 1 के बीच स्थित होता है। हालाँकि, सामान्य तौर पर यह सामान्य विधि की तरह यथावत नहीं होता है। इसका कारण यह है कि इसमें आँकड़ों से संबंधित सभी सूचनाओं का उपयोग नहीं होता है। श्रृंखला में मदों के मानों के वे प्रथम अंतर जो उनके परिमाण के अनुसार क्रम में व्यवस्थित किए जाते हैं, आमतौर पर कभी स्थिर नहीं होते। सामान्यतः आँकड़ा-कुछ केंद्रीय मानों के आसपास सारणी के मध्य में थोड़े बहुत अंतर पर एकत्रित होते हैं। यदि समान अन्तर स्थिर होते, तब त और ता समान परिमाण देते। प्रथम अतंर तथा क्रमिक मानों में अंतर होता है। कोटि सहसंबंध को पियरसन गुणांक की अपेक्षा तब अधिक प्राथमिकता दी जाती है, जब चरम मान दिए गए हों। सामान्यतः ता का मान त से कम या इसके बराबर होता है।

17. प्रश्न :- पिताओं (x) और उनके पुत्रों (y) के कदों का माप नीचे इंचों में दिया गया है। इन दोनों के बीच सहसंबंध गुणांक को परिकलित कीजिए-

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पाठ का परिचय

7.1 प्रस्तावना

दो या दो से अधिक चरों के बीच पाए जाने वाले परस्पर संबंध को सहसंबंध कहते हैं। एक श्रेणी में परिवर्तन से दूसरा श्रेणी भी प्रभावित होता है। जैसे तापमान की वृद्धि होने पर आइसक्रीम की बिक्री बढ़ जाती है।

7.1.2 सहसंबंध किसका मापन करता है।

1. सहसंबंध चरों के बीच संबंधों की गहनता एवं दिशा को मापता है।

2. सहसंबंध सह- प्रसरण का मापन करता है न कि कार्य-कारण संबंध का।

7.2.1 सहसंबंध के प्रकार

7.2.1a धनात्मक सह संबंध- जब दो चरों में परिवर्तन एक ही दिशा में होता है तो इसे धनात्मक सह संबंध कहते है। जैसे आय के बढ़ने पर व्यय बढ़ता है ।

घनात्मक सहसंबंध

X

Y

5

4

10

6

15

10


7.2.1b ऋणात्मक सह संबंध- जब दो चरों में परिवर्तन एक ही दिशा में ना हो कर दो विपरीत दिशाओं में होता है तो उसे ऋणआत्मक सह संबंध कहते हैं। जैसे कीमत के बढ़ने पर मांग घटती है ।

ऋणात्मक सहसंबंध

X

Y

5

20

10

15

15

5

 

7.2.10 रेखीय सहसंबंध- जब दो चरों के मूल्यों में परिवर्तन निश्चित अनुपात में हो तो उसे रेखीय सहसंबंध कहते हैं।

रेखीय सह-सम्बन्ध

X

Y

5

4

10

8

15

12

20

16

7.2.1d आरेखीय सहसंबंध- जब दो चरों में परिवर्तन समान अनुपात में नहीं होता है तो उसे आरेखीय सह-संबंध कहते हैं ।

अरेखीय सह-सम्बन्ध

X

Y

5

4

10

7

15

12

20

19

7.2.1e सरल, बहुगुणी तथा आंशिक सहसंबंध- दो चर मूल्यों के बीच में पाए जाने वाले संबंध को सरल सहसंबंध कहते हैं। इनमें से एक कारण और दूसरा स्वतंत्र चर होगा। जब दो से अधिक चर मूल्यों के बीच संबंध पाए जाते हैं तो वह बहुगुणी सह संबंध कहलाता है। जब अन्य कारक को स्थिर रखकर केवल दो चर मूल्यों का पारस्परिक संबंध प्राप्त किया जाता है तो उसे आंशिक सह-संबंध कहते हैं।

सहसंबंध को मापने की विधियां

1. प्रकीर्ण आरेख (scatter Digram)

2. कार्ल पियर्सन का सह संबंध गुणांक

3. स्पीरमैन की श्रेणी क्रमअंतर विधि

7.3.1 प्रकीर्ण आरेख (scatter Diagram)- ऐसे चित्र जो दो चरों के मध्य पारस्परिक संबंध की मात्रा को दर्शाते हैं प्रकीर्ण सहसंबंध कहलाते हैं इसमें स्वतंत्र चर को X-अक्ष में तथा आश्रित चर को Y-अक्ष पर अंकित करते हैं बिंदुओं की दिशा देखकर ही यह अनुमान लगाया जाता है कि सहसंबंध धनात्मक है या ऋणात्मक।

विच्छेप चित्रों का अध्ययन निम्नलिखित प्रकार से किया जा सकता है।

1. यदि बिंदु बायीं ओर के निचले कोने से दाएं और के ऊपर कोने तक एक सरल रेखा के रूप में आए तो उसे पूर्ण धनात्मक सहसंबंध कहते हैं।

2. जब बिंदु बायीं ओर के ऊपर वाले कोने से दाएं और के नीचे वाले कोने तक एक सरल रेखा के रूप में आ जाए तो इसे पूर्ण ऋण आत्त्मक सह संबंध कहते हैं।

3. जब बिंदु बायीं ओर के नीचे कोने से दाएं और के ऊपर वाले कोने की ओर उठते हो तो सह-संबंध धनात्मक कहलाएगा।

4. जब बिदु बाई और के ऊपर के कोने से दाएं और के नीचे वाले कोने की और गिरते हैं तो सह संबंध ऋण आत्मक कहलाएगा।

5. जब बिंदु किसी निश्चित दिशा में ना होकर इधर-उधर बिखरे हुए हो तो वहां सहसंबंध का अभाव रहता है।

7.4.1 कार्ल-पिअर्सन्स का सह-संबंध गुणांक - 1890 में कार्ल पियर्सन ने सहसंबंध की मात्रा की माप के लिए गणितय विधि का प्रतिपादन किया इसे कार्ल पीयरसन का संबंध गुणांक कहते हैं।

कार्ल पीयरसन के अनुसार सहसंबंध गुणांक विभिन्न माध्यों से ले गई विचलन के गुणनफल के जोड़ को युग्म मदों की संख्या तथा उनके प्रमाप विचलन से विभाजित करके प्राप्त किया जाता है।

दो विधि से सह संबंध गुणांक निकल जाता है।

7.4.2 प्रत्यक्ष विधि- इस विधि में समांतर माध्य का प्रयोग किया जाता है।

`r=\frac{\Sigma XY}{\sqrt{\Sigma X^2\times\Sigma Y^2}}` 

यहाँ r = सहसंबंध का गुणांक

`X=\left(X-\overline X\right)` माध्य से x का मूल्य विचलन

`Y=\left(Y-\overline Y\right)` माध्य से y का मूल्य विचलन

`XY=\left(X-\overline X\right)\left(Y-\overline Y\right)` 

X

x-

Y

y-

XY

X2

Y2

5

-10

2

-2

20

100

4

10

-5

3

-1

50

25

1

15

0

5

1

0

0

1

20

5

6

2

10

25

4

25

10

4

0

2

100

0

ΣX = 75

 

ΣY = 20

 

ΣXY = 35

ΣX2 = 250

ΣY2 = 10

`r=\frac{\Sigma XY}{\sqrt{\Sigma X^2\times\Sigma Y^2}}` 

x तथा y श्रेणी का माध्य

`\overline X\=\frac{\Sigma X}N=\frac{75}5=15`

`\overline Y=\frac{\Sigma Y}N=\frac{20}5=4`

`r=\frac{\Sigma XY}{\sqrt{\Sigma X^2\times\Sigma Y^2}}` 

`r=\frac{35}{\sqrt{250\times10}}`

`r=\frac{35}{\sqrt{2500}}=\frac{35}{50}`=0.70

`r=\frac{\Sigma dxdy-\frac{\Sigma dxdy}n}{\sqrt{\Sigma dx^2-\left(\frac{\Sigma dx}n\right)^2}\sqrt{\Sigma dy^2-\left(\frac{\Sigma dy}n\right)}^2}`

उदाहरण- निम्न आंकड़ों से कार्ल पियर्सन का सहसंबंध ज्ञात करें

X

Y

5

2

10

3

15

5

20

6

25

4

हल

X

Y

A=15

dx

A=5

dy

dx2

dy2

dxdy

5

2

-10

-3

10

9

30

10

3

-5

-2

25

4

10

15

5

0

0

0

0

0

20

6

5

1

25

1

5

25

4

10

-1

100

1

-10

 

 

Σdx=0

Σdy=-5

Σdx2=250

Σdy2=15

Σdxdy=35

`r=\frac{\Sigma dxdy-\frac{\Sigma dxdy}n}{\sqrt{\Sigma dx^2-\left(\frac{\Sigma dx}n\right)^2}\sqrt{\Sigma dy^2-\left(\frac{\Sigma dy}n\right)}^2}`

`r=\frac{35}{\sqrt{250}\sqrt{14}}=0.60`

3. पद-विचलन विधि- प्रमाप विचलन विधि में निम्नलिखित सूत्र का प्रयोग कर के सह संबंध ज्ञात किया जाता है ।

`r=\frac{\Sigma XY}{N\sigma_1\sigma_2}`

जहाँ x श्रेणी का `\sigma_1=\sqrt{\frac{\Sigma X^2}N}`

y श्रेणी का `\sigma_2=\sqrt{\frac{\Sigma Y^2}N}`

उदाहरण निम्न आँकड़ों से सहसंबंध गुणांक ज्ञात करें।

X

Y

12

5

14

10

16

15

18

20

20

25

22

30

24

35

हल

उदाहरण निम्न आँकड़ों से सहसंबंध गुणांक ज्ञात करें।

X

Y

12

5

14

10

16

15

18

20

20

25

22

30

24

35

हल

X

dx=18

X2

Y

dy=20

Y2

dxdy

12

-6

36

5

-15

225

90

14

-4

16

10

-10

100

40

16

-2

4

15

-5

25

10

18

0

0

20

0

0

0

20

2

4

25

5

25

10

22

4

16

30

10

100

40

24

6

36

35

15

225

90

Σx=126

 

Σx2=112

Σy=140

 

Σy2=700

Σdxdy=280

 `\overline X\=\frac{\Sigma X}N=\frac{126}7=18`

`\overline Y=\frac{\Sigma Y}N=\frac{140}7=20`

जहाँ x श्रेणी का `\sigma_1=\sqrt{\frac{\Sigma X^2}N}`

`=\sqrt{\frac{112}7}=\sqrt{16}=4`

y श्रेणी का `\sigma_2=\sqrt{\frac{\Sigma Y^2}N}`

`=\sqrt{\frac{700}7}=\sqrt{100}=10`

`r=\frac{\Sigma XY}{N\sigma_1\sigma_2}``=\frac{280}{7\times4\times10}=\frac{280}{280}=1`

यह उच्च घनात्मक सहसंबंध है।

7.4.4 कार्ल पिअर्सन्स के सहसंबंध की विशेषताएं -

1. सहसंबंध के गुणांक का मान +1 और 1 के बीच होता है

2. r का ऋणआत्मक मान विपरीत संबंध को दिखाता है।

3. यदि r = 0 तो इसका अर्थ चरों के बीच कोई व रेखीय सहसंबद्ध नहीं है ।

7.5.1 स्पीरमैन का कोटि सहसंबंध

इस विधि का प्रतिपादन स्पीरमैन ने 1904 ने किया था। जब तथ्यों को संख्यात्मक रूप में ज्ञात करना मुश्किल होता है जैसे विद्यार्थियों की बुद्धि, ईमानदारी आदि। तब इस विधि का प्रयोग किया जाता है। इस विधि में क्रम के आधार पर सहसंबंध ज्ञात किया जाता है। इस विधि में निम्न सूत्र का प्रयोग किया जाता है

`\rho=1-\frac{6\Sigma d^2}{N(N^2-1)}` 

सहसंबंध गुणांक की गणना 3 प्रकार से ज्ञात कर सकते हैं।

1. जब क्रम दिए गए हों।

2. जब क्रम नदी गए हो।

3. जब क्रम दुबारा दिए गए हों। 

प्रतियोगी

निर्णायक IR1

निर्णायक II R2

d = R1-R2

d2

A

5

10

-5

25

B

4

8

-4

16

C

3

9

-6

36

D

1

1

0

0

E

2

2

0

0

F

6

3

3

9

G

7

4

3

9

H

8

5

3

9

I

9

6

3

9

J

10

7

3

9

`\rho=1-\frac{6\Sigma d^2}{N(N^2-1)}` `=1-\frac{6(122)}{10(10^2-1)}`

`=1-\frac{732}{990}=1-0.74=0.26`

प्रश्न :- निम्न संमको से रैंक सह-सम्बन्ध ज्ञात कीजिए

अंग्रेजी में प्राप्तांक अर्थशास्त्र में प्राप्तांक
46 30
56 60
39 40
45 50
54 70
58 65
36 39
40 52

X

Rx

Y

Ry

d (Rx -Ry )

d2

46

4

30

8

-4

16

56

2

60

3

-1

1

39

7

40

6

1

1

45

5

50

5

0

0

54

3

70

1

2

4

58

1

65

2

-1

1

36

8

39

7

1

1

40

6

52

4

2

4

 

 

 

 

 

Σd2 =28

`\rho=1-\frac{6\Sigma d^2}{N(N^2-1)}` `=1-\frac{6(28)}{8(8^2-1)}`

`=1-\frac{168}{504}=1-0.33=0.67`

प्रश्न :- निम्न संमको से रैंक सह-सम्बन्ध ज्ञात कीजिए

गणित में प्राप्तांक अर्थशास्त्र में प्राप्तांक
36 20
46 50
29 30
35 40
44 60
48 55
26 29
30 42

X

Y

Rx

Ry

d (Rx -Ry )

d2

36

20

4

8

-4

16

46

50

2

3

-1

1

29

30

7

6

1

1

35

40

5

5

0

0

44

60

3

1

2

4

48

55

1

2

-1

1

26

29

8

7

1

1

30

42

6

4

2

4

 

 

 

 

 

Σd2 =28

`\rho=1-\frac{6\Sigma d^2}{N(N^2-1)}` `=1-\frac{6(28)}{8(8^2-1)}`

`=1-\frac{168}{504}=1-0.33=0.67`

कोटी सह-सम्बन्ध : जब दिये गये क्रम बराबर हों :- कभी-कभी दो या अधिक पदों का एक ही मूल्य होता है। ऐसी स्थिति में श्रेणी सह-सम्बन्ध गुणांक निकालने के लिए सूत्र में संशोधन करना पड़ेगा। सूत्र

`\rho=1-\frac{6[\Sigma d^2+\frac(1)12(m_1^3-m_1)\]}{N(N^2-1)}`

जहां m उस पद की संख्या है जो एक से अधिक बार आया है। यहां यह ध्यान दिया जाना आवश्यक है कि दोनों श्रेणियों में कुल जितनी बार क्रमों का औसत निकाला जाता है, ठीक उतने ही बार `\frac1{12}`(m3 – m) का पद सूत्र में जोड़ा जाता है

`\rho=1-\frac{6[\Sigma d^2+\frac{1}{12}(m_1^3-m_1)+\frac{1}{12}(m_2^3-m_2)+...\]}{N(N^2-1)}`

प्रश्न :- निम्न संमको से रैंक सह-सम्बन्ध ज्ञात कीजिए

X Y
1 4
2 3
3 2
2 4
3 5
4 6
3 2
2 3

X

Rx

Y

Ry

d (Rx -Ry )

d2

1

8

4

3.5

4.5

20.25

2

6

3

5.5

0.5

0.25

3

3

2

7.5

-4.5

20.25

2

6

4

3.5

2.5

6.25

3

3

5

2

1

1

4

1

6

1

0

0

3

3

2

7.5

-4.5

20.25

2

6

3

5.5

0.5

0.25

 

 

 

 

 

Σd2=68.50

m=3,m=3           m=2,m=2,m=2

`\[\rho=1-\frac{6\[68.50+\frac(1)12(24)+\frac(1)12(24)+\frac(1)12(6)+\frac(1)12(6)+\frac(1)12(6)]}{8(8^2-1)}\]`

`\rho=1-\frac{6(68.50+2+2+\frac(1)2+\frac(1)2+\frac(1)2)}{8(63)}`

`\rho=1-\frac{6(68.50+4+1.5)}{8(63)}`

`\rho=1-\frac{6(74)}{8(63)}=1-\frac{37}{42}=1-0.8=0.2`

JCERT/JAC प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)

विषय सूची

क्र०स०

अध्याय का नाम

अर्थशास्त्र में सांख्यिकी

1.

परिचय

2.

आँकड़ों का संग्रह

3.

आँकड़ों का संगठन

4.

आँकड़ों का प्रस्तुतीकरण

5.

केन्द्रीय प्रवृत्ति की माप

6.

सहसंबंध

7.

सूचकांक

8.

सांख्यिकीय विधियों के उपयोग

भारतीय अर्थव्यवस्था का विकास

1.

स्वतंत्रता के पूर्व संध्या पर भारतीय अर्थव्यवस्था

2.

भारतीय अर्थव्यवस्था (1950-90)

3.

उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण एक समीक्षा

4.

भारत में मानव पूँजी का निर्माण

5.

ग्रामीण विकास

6.

रोजगार संवृद्धि, अनौपचारीकरण एवं अन्य मुद्दे

7.

पर्यावरण और धारणीय विकास

8.

भारत और उसके पड़ोसी देशों के तुलनात्मक विकास अनुभव

Jac Board Class 11 Economics (Arts) 2023 Answer key

Jac Board Class 11 Economics (Sci._Comm.) 2023 Answer key

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