11th 1. पाठ का परिचय सांख्यिकी के सिद्धान्त JCERT/JAC Reference Book

11th 1. पाठ का परिचय सांख्यिकी के सिद्धान्त JCERT/JAC Reference Book

11th 1. स्वतंत्रता की पूर्व संध्या पर भारतीय अर्थव्यवस्था Indian Economy JCERT/JAC Reference Book

अध्याय-1: पाठ का परिचय

अभ्यास प्रश्न

1. आर्थिक क्रिया क्या है?

उत्तर - आधुनिक अर्थशास्त्रियों के अनुसार, "उस क्रिया को आर्थिक क्रिया कहते हैं जिसका सम्बन्ध मानवीय आवश्यकताओं को संतुष्ट करने के लिए सीमित साधनों  के उपयोग से होता है।"

सभी आर्थिक क्रियाएँ आय सृजित नहीं करर्ती अर्थात् यह आवश्यक नहीं कि आर्थिक क्रिया द्वारा सदैव आय का सृजन हो। आर्थिक क्रिया में आय का सृजन हो भी सकता है और नहीं भी। उदाहरण के लिए, उपभोग एक आर्थिक क्रिया है, किन्तु वस्तु के उपभोग द्वारा आय का सृजन नहीं होता।

2. आर्थिक क्रिया एवं गैर आर्थिक क्रिया में अंतर स्पष्ट करें।

उत्तर - आर्थिक क्रिया एवं गैर आर्थिक क्रिया में अंतर निम्न हैं

अन्तर का आधार

आर्थिक क्रियाएँ

गैर-आर्थिक क्रियाएँ

1. उद्देश्य

ये क्रियाएँ आर्थिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए की जाती हैं।

ये क्रियाएँ सामाजिक तथा मनोवैज्ञानिक उद्देश्य की पूर्ति एवं आत्म-सन्तुष्टि के लिए की जाती हैं।

2. लाभ

इनसे धन और सम्पत्ति में वृद्धि होती है।

इनसे सन्तुष्टि और प्रसन्नता प्राप्त होती है।

3. अपेक्षा

लोग इन क्रियाओं के बदले लाभ या धन प्राप्त करने की अपेक्षा रखते हैं।

लोग इन क्रियाओं से आर्थिक लाभ या धन की अपेक्षा नहीं रखते हैं।

4. प्रतिफल

ये विवेकशील सोच द्वारा निर्देशित होती हैं क्योंकि इनमें विभिन्न आर्थिक संसाधनः जैसे-भूमि, श्रम, पूँजी आदि संलग्न होते हैं।

ये भावनात्मक कारणों से अभिप्रेरित होती हैं तथा इनके पीछे कोई आर्थिक प्रतिफल नहीं जुड़ा होता है।

5. मुद्रा में मापन

इनका मुद्रा में मापन किया जा सकता है।

इन क्रियाओं का मुद्रा में मापन नहीं किया जा सकता है।

3. उपभोक्ता कौन है?

उत्तर - अर्थशास्त्र में उपभोक्ता एक आर्थिक एजेण्ट (Economic Agent) है जो उपभोग की क्रिया द्वारा अपनी किसी आवश्यकता विशेष की संतुष्टि करता है। उपभोक्ता शब्द एक व्यापक शब्द है जिसके अन्तर्गत ऐसे व्यक्तियों, व्यक्ति समूहों, परिवारों अथवा संस्थाओं को सम्मिलित किया जाता है जो अपनी आवश्यकताओं को प्रत्यक्ष रूप से संतुष्ट करने के लिए अन्तिम वस्तुओं और सेवाओं का प्रयोग करते हैं।

4. उपभोग क्या है?

उत्तर - अर्थशास्त्र मे उपभोग का अर्थ उस क्रिया से है जिससे की मनुष्य को किसी प्रकार की आवश्कता की पूर्ति होती है।

प्रो. ऐली के अनुसार - अर्थशास्त्र  के अन्तर्गत उपभोग से आशय मानवीय आवश्यकताओं की संन्तुष्टि हेतु आर्थिक सेवाओं तथा व्यक्तिगत सेवाओं का प्रयोग करने से है ।

5. उत्पादक कौन है?

उत्तर - उत्पादक एक आर्थिक एजेण्ट (Economic Agent) है जो उत्पत्ति के साधनों को एकत्रित करके अधिकतम सम्भव लाभ अर्जित करने के उद्देश्य से वस्तुओं का उत्पादन करता है।

6. उत्पादन से क्या अभिप्राय है ?

उत्तर - साधारण अर्थों में उत्पादन का अभिप्राय किसी भौतिक वस्तु के निर्माण से है, किन्तु वैज्ञानिक दृष्टि से मनुष्य न तो किसी वस्तु का निर्माण कर सकता है और न ही उसे नष्ट कर सकता है। मनुष्य तो केवल प्रकृति प्रदत्त वस्तुओं को आवश्यकतानुसार उपयोगी बना सकता है। अतः किसी वस्तु में उपयोगिता का सृजन करना अथवा वृद्धि करना ही उत्पादन है।

एली के अनुसार - "आर्थिक उपयोगिता का सृजन ही उत्पादन है।"

7. बचत क्या है?

उत्तर - आय तथा उपभोग का अंतर बचत कहलाता है !

S = Y - C [बचत = आय - उपभोग]

क्राउथर के अनुसार - किसी व्यक्ति की बचत उसकी आय का वह भाग है जहां उपभोग की वस्तुओं पर व्यय नहीं की जाती है !

8. निवेश की परिभाषा दें।

उत्तर - पीटरसन के अनुसार, "निवेश में उत्पादन के टिकाऊ यन्त्रों, नए निर्माण तथा स्टॉक में होने वाले परिवर्तन के खर्च को शामिल किया जाता है।"

9. उत्पादन के एजेंट कौन हैं?

उत्तर - उत्पादन के मुख्य एजेंट भूमि, श्रम, पूंजी और उद्यमिता हैं। इन्हें उत्पादन के कारक भी कहा जाता है। ये सभी संसाधन मिलकर वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन करते हैं।

10. आर्थिक समस्याओं को परिभाषित किजिए?

उत्तर - एरिक रोल के अनुसार, "आर्थिक समस्या मूलतः चयन की आवश्यकता में से उत्पन्न होने वाली समस्या है। यह वह चयन है जिसमें वैकल्पिक उपयोगों वाले सीमित संसाधनों का प्रयोग किया जाता है। यह संसाधनों के मितव्ययी उपयोग की समस्या है।"

1.10 अभ्यास प्रश्न

1. अर्थशास्त्र क्या है?

उत्तर : अर्थशास्त्र ज्ञान की उस शाखा को कहते हैं जिसमें मनुष्य की उन गतिविधियों का अध्ययन किया जाता है जिन्हें वह दुर्लभ संसाधन को प्राप्त करने के लिए करते हैं जिससे वे अपने असीमित आवश्यकताओं को संतुष्टि कर सके। अर्थशास्त्र उस मानवीय व्यवहार का विज्ञान है जिसका संबंध सीमित साधनों का बंटवारा इस ढंग से करना है जिससे कि उपभोक्ता अपनी संतुष्टि को अधिकतम कर सके उत्पादक अपने लाभ को अधिकतम कर सके और समाज अपने सामाजिक कल्याण को अधिकतम कर सकें।

2. दुर्लभता क्या है ?

उत्तर : कल्पना कीजिए कि आप पृथ्वी पर सबसे धनी व्यक्ति हैं क्या आप किसी भी वस्तु को किसी भी समय प्राप्त कर सकते हैं कदापि नहीं आपके पास कितने भी संसाधन साधन रूप से पैसे ले हो यह सभी संसाधन आप की आवश्यकताओं की तुलना में अवश्य दुर्लभ होंगे।" दुर्लभता ऐसी स्थिति है जिसमें जितना आप प्राप्त करना चाहते हैं उससे कम प्राप्त करते हैं

3. चुनाव क्या है ?

उत्तर : चुनाव से अभिप्राय उपलब्ध सीमित विकल्पों में से चुनने की प्रक्रिया है

4. व्यष्टि अर्थशास्त्र क्या है ?

उत्तर : अंग्रेजी भाषा में व्यष्टि को (MICRO) कहां जाता है अंग्रेजी भाषा का यह शब्द ग्रीक भाषा के शब्द मिकरोस से लिया गया है जिसका अर्थ छोटा यानी कि स्मॉल होता है। व्यष्टि अर्थशास्त्र केवल एक आर्थिक इकाई की आर्थिक क्रिया का अध्ययन है। जैसे एक व्यक्तिगत मांग कुछ आर्थिक इकाइयों के छोटे समूह की मांग। व्यष्टि अर्थशास्त्र में मांग का सिद्धांत, उत्पादन का सिद्धांत, कीमत निर्धारण, साधन कीमत निर्धारण का अध्ययन सम्मिलित है।

5. समष्टि अर्थशास्त्र क्या है ?

उत्तर : अंग्रेजी भाषा में समष्टि को मैक्रो (macro) कहा जाता है अंग्रेजी भाषा का यह शब्द ग्रीक भाषा के शब्द मैक्रोस से लिया गया है जिसका अर्थ है बड़ा। संपूर्ण अर्थव्यवस्था स्तर पर आर्थिक क्रियाओं का अध्ययन करता है। उदाहरण के लिए अर्थव्यवस्था में सभी वस्तुओं तथा सेवाओं की सामूहिक मांग का अध्ययन करता है समष्टि अर्थशास्त्र राष्ट्रीय आय कुल रोजगार सामान्य कीमत स्तर आदि समूह के अध्ययन से संबंधित है।

6. वास्तविक अर्थशास्त्र क्या है?

उत्तर वास्तविक अर्थशास्त्र वर्तमान तथा भविष्य के आर्थिक मुद्दों से संबंधित है यह उन आर्थिक स्थितियों से संबंधित है जिनका तथ्य तथा आंकड़ों द्वारा अध्ययन किया जा सकता है निम्नलिखित अवलोकन ध्यानपूर्वक पढ़िए :-

(1) स्वतंत्रा प्राप्ति के समय भारत में निर्धनता से प्रभावित जनसंख्या का प्रतिशत आज की तुलना में अधिक था

(2) भारत की 22% जनसंख्या निरपेक्ष रूप से निर्धन है

(3) यदि भारत की जनसंख्या वर्तमान दर से बढ़ती रही तो 2022 में निर्धनता रेखा रेखा से नीचे रहने वाले जनसंख्या का प्रतिशत 22% से अधिक होगा।

यह सभी अवलोकन वास्तविक अर्थशास्त्र के अंश वर्तमान तथा भविष्य में निर्धनता की स्थिति पर प्रकाश डालते हैं वास्तविक अर्थ शास्त्र" क्या था? क्या है और क्या होगा से संबंधित है

7. आदर्शात्मक अर्थशास्त्र क्या है ?

उत्तर : क्या होना चाहिए से संबंधित है यह आर्थिक मुद्दों अथवा आर्थिक समस्याओं पर अर्थशास्त्रियों के विचारों से संबंधित है। विभिन्न अर्थशास्त्री किसी आर्थिक समस्या के समाधान के लिए विभिन्न उपाय तथा विचार प्रस्तुत करते हैं। विचारों में कथन मूल्यांकन निमित्त होते हैं।

(1) मनरेगा यानी महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम एक दिन देश में बेरोजगारी की समस्या का अंत करेगा।

(2) मनरेगा केवल भारत के ग्रामीण इलाकों के बेरोजगारों लोगों को वित्तीय सहायता देने की योजना है।

1.11 लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1. अर्थशास्त्र के अध्ययन की आवश्यकता के कोई चार कारण बताइए।

उत्तर :

1. अर्थशास्त्र के अध्ययन से हमें उचित निर्णय लेने में सहायता मिलती है।

2. अर्थशास्त्र के अध्ययन से समस्याओं के अध्ययन एवं विश्लेषण में मदद मिलती है।

3. अर्थशास्त्र की सहायता से हम सीमित संसाधनों से अपनी असीमित आवश्यकताओं को अधिकतम सन्तुष्ट कर सकते हैं।

4. अर्थशास्त्र सामाजिक एवं आर्थिक नीति निर्धारण में सहायक है।

प्रश्न 2. सांख्यिकी के कोई चार कार्य बताइए।

उत्तर :

1. सांख्यिकी अर्थशास्त्र में प्रयोग हेतु मात्रात्मक एवं गुणात्मक तथ्य प्रस्तुत करती है।

2. सांख्यिकी यथार्थ एवं विश्वसनीय तथ्य प्रस्तुत करने का कार्य करती है।

3. सांख्यिकी आँकड़ों के संक्षिप्तीकरण का कार्य करती है।

4. सांख्यिकी विभिन्न आर्थिक कारकों के बीच सम्बन्ध स्थापित करने का कार्य करती है।

प्रश्न 3. अर्थशास्त्र में सांख्यिकी की आवश्यकता क्यों पड़ती है?

उत्तर : देश की आधारभूत समस्याओं के अध्ययन हेतु आर्थिक तथ्यों की आवश्यकता पड़ती है, इन आर्थिक तथ्यों को आँकड़े भी कहा जाता है। इन आंकड़ों के आधार पर मूलभूत समस्याओं का अध्ययन किया जाता है। आर्थिक समस्याओं का विश्लेषण करने के पश्चात् आर्थिक समस्याओं को सुलझाने सम्बन्धी उपायों की खोज की जाती है, अर्थशास्त्र में ऐसे उपायों को नीतियों के रूप में जाना जाता है। अतः अर्थशास्त्र में आर्थिक विश्लेषण एवं नीतियों के निर्माण हेतु आँकड़ों का होना आवश्यक है तथा आँकड़ों की प्राप्ति तथा विश्लेषण हेतु सांख्यिकी की आवश्यकता पड़ती है।

प्रश्न 4. सांख्यिकी से आप क्या समझते हैं?

अथवा

सांख्यिकी का अर्थ स्पष्ट कीजिए।

उत्तर : सांख्यिकी का संबंध आंकड़ों के एकत्रीकरण, प्रस्तुतीकरण तथा विश्लेषण से होता है। सांख्यिकी का संबंध अर्थशास्त्र के क्षेत्र में आँकड़ों से है। आँकड़ों का तात्पर्य मात्रात्मक तथा गुणात्मक उन दोनों प्रकार के तथ्यों से है जिनका अर्थशास्त्र में प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 5. उपभोक्ता तथा विक्रेता में अन्तर बताइए ।

उत्तर : उपभोग तथा विक्रय अर्थशास्त्र की मुख्य आर्थिक क्रियाएँ हैं। वस्तुओं एवं सेवाओं का उपयोग करने वाला उपभोक्ता तथा विक्रय करने वाला विक्रेता कहलाता है। जब कोई व्यक्ति अपने तथा अपने परिवार की आवश्यकताओं की सन्तुष्टि हेतु वस्तुओं तथा सेवाओं को खरीदता है तो वह उपभोक्ता कहलाता है। इसके विपरीत जब कोई व्यक्ति स्वयं के लाभ के लिए वस्तुओं एवं सेवाओं को बेचता है तो वह विक्रेता कहलाता है।

प्रश्न 6. उत्पादक तथा कर्मचारी में अन्तर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर : उत्पादक तथा कर्मचारी दोनों ही आर्थिक क्रिया करते हैं, किन्तु दोनों की आर्थिक क्रियाओं में अन्तर पाया जाता है। उत्पादक वह होता है जो वस्तुओं का उत्पादन करता है जैसे द्वारा खाद्यान्न उत्पादन करना आदि। इसके विपरीत कर्मचारी वह व्यक्ति है जो आय प्राप्त करने अथवा पारिश्रमिक प्राप्त करने हेतु कोई नौकरी करता है अथवा दूसरों के लिए कार्य करता है जैसे किसी व्यक्ति द्वारा उत्पादक के यहाँ लेखापाल कार्य करना आदि।

प्रश्न 7. कर्मचारी व नियोक्ता में क्या अन्तर होता?

उत्तर : कर्मचारी व नियोक्ता दोनों ही आर्थिक कार्य करते हैं किन्तु इनमें अन्तर पाया जाता है। कर्मचारी, वह व्यक्ति होता है जो आय अथवा पारिश्रमिक अथवा मजदूरी हेतु नौकरी करता है अर्थात् दूसरों के यहाँ पर कार्य करता है। उदाहरण के लिए किसी व्यक्ति द्वारा बैंक में मैनेजर के रूप में कार्य करना। इसके विपरीत नियोक्ता वह व्यक्ति होता है जो भुगतान लेकर अन्य व्यक्तियों को सेवा प्रदान करते हैं जैसे-डॉक्टर, वकील, आदि।

प्रश्न 8. आर्थिक क्रिया किसे कहते हैं?

अथवा

आर्थिक क्रियाओं से आप क्या समझते हैं?

उत्तर : विभिन्न व्यक्तियों द्वारा विभिन्न प्रकार के कार्य किए जाते हैं। कोई व्यक्ति वस्तुओं का उत्पादन करता है, कोई किसी दुसरे के यहाँ नौकरी करता है तथा कोई व्यक्ति भुगतान लेकर अन्य व्यक्तियों की सेवा करता है। इन सभी क्रियाओं को आर्थिक क्रिया कहा जाता है क्योंकि इन सबसे व्यक्ति आय अथवा धन अर्जन करता है। व्यक्तियों द्वारा की जाने वाली कोई भी ऐसी क्रिया जो व्यक्ति धन प्राप्त करने के लिए करता है, वह आर्थिक क्रिया कहलाती है।

प्रश्न 9. अर्थशास्त्र का आधारभूत सबक क्या है?

उत्तर : वास्तविक जीवन में मनुष्य की इच्छाएँ तथा आवश्यकताएँ असीमित होती हैं तथा उन इच्छाओं को पूरा करने के लिए उसके पास संसाधन सीमित होते हैं। वह उन सीमित संसाधनों से अपनी सभी आवश्यकताएँ पूरी नहीं कर सकता है। अतः उस समय मनुष्य के सामने चुनाव की समस्या उत्पन्न हो जाती है, वह सभी आवश्यकताओं में से कुछ आवश्यकताओं का चुनाव करता है। वह सबसे पहले उस आवश्यकता को पूरा करता है जो सबसे ज्यादा आवश्यक होती है, यही अर्थशास्त्र का आधारभूत सबक है।

प्रश्न 10. 'अभाव सभी आर्थिक समस्याओं की जड़ है। इस कथन को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर : यह सत्य है कि अभाव सभी आर्थिक समस्याओं की जड़ है। यदि अभाव न हो तो कोई आर्थिक समस्या उत्पन्न न ही हो। हम अपने दैनिक जीवन में विभिन्न प्रकार के अभावों का सामना करते हैं। रेलवे आरक्षण खिड़कियों पर लगी लम्बी कतारें, भीड़ भरी बसें तथा रेलगाड़ियाँ, आवश्यक वस्तु की कमी, किसी नई फिल्म को देखने के लिए टिकट की भारी भीड़ आदि सभी बातें अभाव को व्यक्त करती हैं। हम अभाव का सामना इसलिए करते हैं क्योंकि जिन वस्तुओं से हमारी आवश्यकताओं की पूर्ति होती है, उनकी उपलब्धता सीमित होती है। अतः अभाव सभी आर्थिक समस्याओं की जड़ है।

प्रश्न 11. उपभोग से आप क्या समझते हैं?

अथवा

अर्थशास्त्र में उपभोग के अध्ययन से आप क्या समझते हैं?

उत्तर : अर्थशास्त्र की विभिन्न आर्थिक क्रियाओं में से उपभोग महत्त्वपूर्ण क्रिया है। जब कोई व्यक्ति अपनी तथा अपने परिवार की आवश्यकताओं को सन्तुष्ट करने हेतु कोई वस्तु खरीदता है वह उपभोक्ता कहलाता है तथा उपभोक्ता द्वारा अपनी आवश्यकताओं को सन्तुष्ट करने हेतु विभिन्न वस्तुओं एवं सेवाओं को काम में लेना उपभोग कहलाता है। उपभोक्ता की आवश्यकताएँ असीमित होती हैं तथा उन्हें प्राप्त करने हेतु साधन सीमित होते हैं। अतः उपभोक्ता अपनी सीमित आय को विभिन्न वस्तुओं पर किस प्रकार व्यय करे ताकि वह उससे अधिकतम सन्तुष्टि प्राप्त कर सके? यही उपभोग का अध्ययन होता है।

प्रश्न 12. उत्पादन के अध्ययन से आप क्या समझते हैं?

उत्तर : उत्पादन एक महत्त्वपूर्ण आर्थिक क्रिया है। जब कोई व्यक्ति लोगों की आवश्यकता सन्तुष्ट करने हेतु कोई वस्तु बनाता है अथवा उत्पादित करता है तो वह उत्पादक कहलाता है। उत्पादक के सम्मुख भी चुनाव की प्रमुख समस्या होती है। कोई उत्पादक जिसे अपनी लागत तथा कीमतों का ज्ञान होता है, इसका चयन कैसे करता है कि बाजार में क्या उत्पाद करे? इसे ही उत्पादन का अध्ययन कहा जाता है।

प्रश्न 13. वितरण का अध्ययन क्या है?

उत्तर : वितरण महत्त्वपूर्ण आर्थिक क्रिया है। जब कोई साहसी पूँजी, श्रम व भूमि की सहायता से वस्तुओं का उत्पादन करता है तो इससे देश को आय प्राप्त होती है, जो कि देश के उत्पादन से प्राप्त होती है। इस उत्पादन में उत्पादन के सभी साधनों यथा पूंजी, श्रम, भूमि तथा साहसी का हिस्सा होता है। अतः देश के कुल उत्पादन में से लाभ, लगान, ब्याज तथा मजदूरी का वितरण कैसे किया जाए? यही वितरण का अध्ययन है।

प्रश्न 14. नीति निर्धारण में आँकडों का क्या महत्त्व है?

उत्तर : जब हम देश की किसी मूलभूत समस्या को दूर करना चाहते हैं तो उस समस्या का विश्लेषण आवश्यक है। इस प्रकार के अध्ययन के लिए आवश्यक है कि हम आर्थिक तथ्यों को संख्या के रूप में भली भाँति जानें, इस प्रकार के आर्थिक तथ्यों को आंकडे कहा जाता है। इन आर्थिक समस्याओं के बारे में आंकड़े संग्रह करने का उद्देश्य इन समस्याओं के विभिन्न कारणों को जानना और उनकी व्याख्या करना है तथा इन समस्याओं को सुलझाने के लिए इसी व्याख्या के आधार पर नीतियाँ बनाई जाती हैं।

प्रश्न 15. आँकड़ों के विभिन्न प्रकारों को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर : आँकड़ों को मुख्य रूप से दो भागों में विभाजित किया जाता है मात्रात्मक आँकड़े तथा गुणात्मक आँकड़े। मात्रात्मक आँकड़े उन आँकड़ों को कहा जाता है जिन्हें संख्याओं के द्वारा मापा जा सकता है अथवा संख्या के रूप में व्यक्त किया जा सकता है जैसे वर्ष 2019-20 में देश में उत्पादित खाद्यान्न की मात्रा। दूसरे प्रकार के आँकड़े गुणात्मक आँकड़े हैं। गुणात्मक आँकड़ों से अभिप्राय उन चरों से है जिन्हें संख्याओं द्वारा मापना संभव नहीं है। जैसे सुन्दरता।

प्रश्न 16. अर्थशास्त्र में गुणात्मक आँकड़े महत्त्वपूर्ण क्यों होते हैं?

उत्तर : अर्थशास्त्र में मात्रात्मक आँकड़ों के साथ ही गुणात्मक आँकड़ों का भी प्रयोग होता है। इस प्रकार की सूचना की मुख्य विशेषता यह होती है कि इसमें किसी व्यक्ति विशेष या व्यक्तियों के समूह विशेष के ऐसे महत्त्वपूर्ण गुणों की व्याख्या होती है, जिन्हें मात्रात्मक रूप से तो नहीं मापा जा सकता, लेकिन यथासंभव सही रूप से आलेखित करना आवश्यक होता है। उदाहरण के लिए, लोगों के अच्छे तथा बुरे स्वास्थ्य की तुलना हेतु गुणात्मक आँकड़ों की आवश्यकता पड़ती है।

प्रश्न 17. सांख्यिकी आर्थिक समस्या को समझने में किस प्रकार सहायक होती है?

उत्तर : सांख्यिकी एक ऐसा अपरिहार्य साधन है, जो किसी आर्थिक समस्या को समझने एवं उसके निवारण हेतु नीति-निर्माण में सहायक होता है। सांख्यिकी की विभिन्न विधियों का प्रयोग करते हुए किसी आर्थिक समस्या के कारणों को गुणात्मक एवं मात्रात्मक आँकड़ों की सहायता से खोजने का प्रयास किया जाता है। एक बार जब समस्या के कारणों का पता चल जाता है, तब इससे निपटने के लिए निश्चित नीतियों का निर्माण करना सरल हो जाता है।

प्रश्न 18. सांख्यिकी के कोई तीन महत्त्व बताइए।

उत्तर :

1. सांख्यिकी की सहायता से किसी भी आर्थिक समस्या का आसानी से विश्लेषण किया जा सकता है तथा उस विश्लेषण के आधार पर नीतियों का निर्माण किया जाता है।

2. सांख्यिकी, किसी अर्थशास्त्री को आर्थिक तथ्यों को यथातथ्य तथा निश्चित रूप से प्रस्तुत करने योग्य बनाता है।

3. सांख्यिकी, आँकड़ों के समूह को कुछ संख्यात्मक मापों के रूप में संक्षिप्त करने में सहायता करती है। ये संख्यात्मक माप आँकड़ों के संक्षिप्तीकरण में सहायता करते हैं।

प्रश्न 19. पूर्वानुमान लगाने में सांख्यिकी का क्या महत्त्व है?

उत्तर : अर्थशास्त्री प्रायः किसी अन्य कारक में परिवर्तन के फलस्वरूप किसी एक आर्थिक कारक में परिवर्तनों का पूर्वानुमान लगाने में रुचि रखते हैं। उदाहरणार्थ, अर्थशास्त्रियों की रुचि भविष्य की राष्ट्रीय आय पर आज के निवेश के प्रभाव को जानने में हो सकती है। इस प्रकार की कोई भी कार्य प्रक्रिया सांख्यिकी के ज्ञान के बिना नहीं की जा सकती है। सांख्यिकी की विभिन्न विधियों का प्रयोग कर आसानी से पूर्वानुमान लगाया जा सकता है।

प्रश्न 20. सांख्यिकी विधियों से आप क्या समझते हैं?

उत्तर : सांख्यिकी विधियों से हमारा अभिप्राय उन विधियों से है, जो अनेक कारणों से प्रभावित संख्यात्मक आँकड़ों की व्याख्या करने के लिए विशेष रूप से उपयोगी होती हैं। सांख्यिकी विधियों के अन्तर्गत वे सभी विधियाँ शामिल की जाती हैं जिनका सम्बन्ध संख्यात्मक आँकड़ों के संग्रहण, व्यवस्थीकरण, प्रस्तुतीकरण, विश्लेषण तथा निर्वाचन से है।

प्रश्न 21. व्यावहारिक सांख्यिकी किसे कहा जाता है?

उत्तर : व्यावहारिक सांख्यिकी के अन्तर्गत उन सभी विधियों का अध्ययन किया जाता है जिनका उपयोग विशेष समस्याओं के समाधान के लिए किया जाता है। उदाहरण के लिए, राष्ट्रीय आय, कृषि क्षेत्रक, उद्योग क्षेत्रक, बेरोजगारी, निर्धनता आदि का अध्ययन करने के लिए जिन सांख्यिकी विधियों तथा तकनीकों का प्रयोग किया जाता है उन्हें व्यावहारिक सांख्यिकी कहा जाता है।

प्रश्न 22. तथ्यों की तुलना में सांख्यिकी के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर : सांख्यिकी में आँकड़ों का तुलनात्मक अध्ययन किया जाता है। तुलनात्मक अध्ययन के बिना आंकड़े अर्थहीन हो सकते हैं और उद्देश्यों को पूरा नहीं कर पाते हैं, आंकड़ों का तुलनात्मक अध्ययन करने पर आंकड़ों की उपयोगिता में वृद्धि की जा सकती है। जैसे यह कहा जाए कि राम के अर्थशास्त्र में प्राप्तांक 60 हैं। इसके आधार पर कोई भी निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता है। परन्तु यह कहा जाये कि राम के अर्थशास्त्र में प्राप्तांक 60 तथा मनीष के प्राप्तांक 75 हैं तो दोनों समंकों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि राम की तुलना में मनीष के प्राप्तांक अधिक हैं।

प्रश्न 23. आँकड़ों को सरलता से प्रस्तुत करने में सांख्यिकी किस प्रकार सहायक है?

उत्तर : सांख्यिकी में जटिल तथ्यों अथवा आँकड़ों को छोटे समूह या वर्गों में रखकर सरल बनाने का प्रयास किया जाता है। आँकड़ों को एकत्र कर उन्हें प्रभावी रूप से प्रस्तुत करना सांख्यिकी का मुख्य कार्य है। संक्षिप्त एवं उचित प्रस्तुतीकरण से उपयोगिता तथा प्रभावशीलता बनी रहती है अन्यथा आँकड़ों को समझने में असुविधा होती है। बिन्दुरेखीय एवं चित्रमय प्रदर्शन द्वारा आँकड़ों को सरलता से समझा जा सकता है। सरल आँकड़ों को याद करना आसान होता है तथा वे लम्बे समय तक मस्तिष्क पर प्रभाव डालते हैं।

1.12 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1. अर्थशास्त्र से आप क्या समझते हैं? अर्थशास्त्र की विभिन्न आर्थिक क्रियाओं को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर : अर्थशास्त्र का अर्थ-हमारी आवश्यकताएँ असीमित हैं तथा उन्हें पूरा करने हेतु संसाधन सीमित हैं। अतः अर्थशास्त्र की नीतियों एवं सिद्धान्तों की सहायता से हम अपनी असीमित आवश्यकताओं को सीमित संसाधनों के कुशल प्रयोग द्वारा अधिक से अधिक सन्तुष्ट करने का प्रयास करते हैं। दूसरे शब्दों में, व्यक्ति और समाज अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए तथा समाज के विभिन्न व्यक्तियों एवं समूहों में उपयोग हेतु वितरित करने के लिए इसका चुनाव कैसे करे कि वैकल्पिक प्रयोग बाले अल्प संसाधनों का प्रयोग विभिन्न वस्तुओं के उत्पादन में हो सके, अर्थशास्त्र इसका अध्ययन है।

1. आर्थिक क्रियाएँ: अर्थशास्त्र में आर्थिक क्रियाओं को मुख्य रूप से निम्न चार भागों में विभाजित किया जा सकता है।

2. उपभोग : जब कोई व्यक्ति अपने तथा अपने परिवार की आवश्यकताओं को सन्तुष्ट करने हेतु कोई वस्तु खरीदता है या सेवा का उपभोग करता है तो वह उपभोक्ता कहलाता है। उपभोक्ता यह निर्णय कैसे करता है कि वह अपनी निश्चित आय और ज्ञात कीमतों को देखते हुए अनेक वैकल्पिक वस्तुओं एवं सेवाओं को खरीदे, यह उपयोग का अध्ययन है।

3. उत्पादन : जब कोई व्यक्ति लोगों की आवश्यकता को सन्तुष्ट करने हेतु कोई वस्तु बनाता है तो वह उत्पादक कहलाता है। कोई उत्पादक, जिसे अपनी लागत और कीमतें ज्ञात हैं, इसका चयन कैसे करता है कि बाजार के लिए क्या उत्पादन करे? यह उत्पादन का अध्ययन है।

4. वितरण: साहसी, उत्पादन के विभिन्न साधनों का उपयोग कर उत्पादन करता है। देश के कुल उत्पादन को ही राष्ट्रीय आय कहा जाता है। इस राष्ट्रीय आय को उत्पादन के विभिन्न साधनों यथा भूमि, श्रम, पूँजी तथा साहसी में किस प्रकार वितरित किया जाता है? यही वितरण का अध्ययन है।

5. विनिमय : जब वस्तुओं एवं सेवाओं का आपस में लेन देन किया जाता है तो वह विनिमय कहलाता है। वस्तुओं एवं सेवाओं का क्रय विक्रय या लेन देन कीमतों के आधार पर किया जाता है।

प्रश्न 2. सांख्यिकी से आप क्या समझते हैं? सांख्यिकी के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर : सांख्यिकी का अर्थ-सांख्यिकी का संबंध आँकड़ों के एकत्रीकरण, प्रस्तुतीकरण तथा विश्लेषण से है। सांख्यिकी शब्द का प्रयोग दो अर्थों में किया जाता है-एक एकवचन के रूप में तथा दूसरा बहुवचन के रूप में। एकवचन के रूप में सांख्यिकी शब्द का अर्थ संख्याओं के संकलन, वर्गीकरण तथा प्रयोग का विज्ञान है अर्थात् कोई संख्यात्मक तथ्य है। बहुवचन के रूप में सांख्यिकी शब्द का सरल अर्थ आँकड़ों से है। ऑक्सफोर्ड शब्दकोष के अनुसार बहुवचन के रूप में सांख्यिकी का तात्पर्य, व्यवस्थित रूप से संगृहीत तथ्यों से है। सांख्यिकी अथवा आंकड़ों का तात्पर्य मात्रात्मक एवं गुणात्मक उन दोनों प्रकार के तथ्यों से है, जिनका अर्थशास्त्र में प्रयोग किया जाता है।

सांख्यिकी का महत्त्व / आवश्यकता सांख्यिकी के महत्व अथवा आवश्यकता को निम्न बिन्दुओं से स्पष्ट किया जा सकता है।

1. आर्थिक समस्या को समझने में सहायक किसी अर्थशास्त्री के लिए सांख्यिकी एक ऐसा अपरिहार्य साधन है, जो किसी आर्थिक समस्या को समझने में उसकी सहायता करता है। इसकी विभिन्न विधियों का उपयोग करते हुए किसी आर्थिक समस्या के कारणों को गुणात्मक एवं मात्रात्मक तथ्यों की सहायता से खोजने का प्रयास किया जाता है। अतः सांख्यिकी की सहायता से आर्थिक समस्या को आसानी से समझा जा सकता है।

2. नीति निर्धारण में सहायक सांख्यिकी की सहायता से आर्थिक समस्याओं को आसानी से समझा जा सकता है तथा उनके कारणों का भी पता लगाया जा सकता है तथा आर्थिक समस्याओं के इस विश्लेषण के आधार पर नीतियों का निर्माण किया जा सकता है।

3. अधिक विश्वसनीय तथ्य सांख्यिकी किसी अर्थशास्त्री को आर्थिक तथ्यों को यथातथ्य तथा निश्चित रूप से प्रस्तुत करने योग्य बनाता है जो, दिए गए कथन को सही ढंग से समझने में सहायता करता है। जब आर्थिक तथ्यों को सांख्यिकीय रूप में व्यक्त किया जाता है तब वे यथार्थ तथ्य बन जाते हैं। यथार्थ तथ्य अस्पष्ट कथनों की अपेक्षा अधिक विश्वसनीय होते हैं।

4. सरल प्रस्तुतीकरण : सांख्यिकी में जटिल तथ्यों को छोटे समूह या वर्गों में रखकर सरल बनाने का प्रयास किया जाता है। आंकड़ों को प्रभावी रूप से प्रस्तुत करना सांख्यिकी का मुख्य कार्य है। संक्षिप्त एवं उचित प्रस्तुतीकरण से उपयोगिता व प्रभावशीलता बनी रहती है अन्यथा आँकड़ों को समझने में असुविधा होती है। बिन्दुरेखीय एवं चित्रमय प्रदर्शन द्वारा भी आँकड़ों को सरलता से समझा जा सकता है।

5. आँकड़ों का संक्षिप्तीकरण सांख्यिकी, आँकड़ों के समूह को कुछ संख्यात्मक मापों के रूप में संक्षिप्त करने में सहायता करती है, ये संख्यात्मक माप आँकड़ों के संक्षिप्तीकरण में सहायता करते हैं। सांख्यिकी के द्वारा आँकड़ों के समूह के विषय में सार्थक एवं समग्न सूचनाएँ प्रस्तुत की जाती हैं।

6. विभिन्न आर्थिक कारकों के बीच सम्बन्धों का ज्ञान सांख्यिकी का प्रयोग विभिन्न आर्थिक कारकों के बीच सम्बन्धों को ज्ञात करने के लिए किया जाता है। किसी एक कारक में परिवर्तन का अन्य कारक पर क्या प्रभाव पड़ेगा तथा कितना प्रभाव पड़ेगा यह सांख्यिकी की सहायता से आसानी से जाना जा सकता है।

7. पूर्वानुमान लगाने में सहायक अर्थशास्त्री किसी अन्य कारक में परिवर्तन के फलस्वरूप किसी एक आर्थिक कारक में परिवर्तनों का पूर्वानुमान लगाने में रुचि रख सकते हैं। उदाहरणार्थ, उनकी रुचि भविष्य की राष्ट्रीय आय पर आज के निवेश के प्रभाव को जानने में हो सकती है। इस प्रकार की कोई भी कार्य प्रक्रिया सांख्यिकी के ज्ञान के बिना नहीं की जा सकती है।

8. तथ्यों की तुलना करना सांख्यिकी में आंकड़े का तुलनात्मक अध्ययन किया जाता है। इसके अध्ययन के बिना आँकड़े अर्थहीन हो सकते हैं और उद्देश्यों को पूरा नहीं कर पाते हैं, तुलना करने पर आँकड़ों की उपयोगिता में वृद्धि की जा सकती है।

प्रश्न 3. अर्थशास्त्र में पूर्वानुमान लगाने में सांख्यिकी की क्या भूमिका है?

उत्तर : अर्थशास्त्र में अर्थशास्त्री किसी अन्य कारक में परिवर्तन के फलस्वरूप किसी एक आर्थिक कारक में परिवर्तनों का पूर्वानुमान लगाने में रुचि रख सकते हैं। उदाहरणार्थ, अर्थशास्त्रियों की रुचि भविष्य में राष्ट्रीय आय पर वर्तमान में किए निवेश के प्रभाव को जानने में हो सकती है। इस प्रकार की कोई भी कार्य-प्रक्रिया सांख्यिकी के ज्ञान के बिना नहीं की जा सकती है। सांख्यिकी की विधियों की सहायता से सरलता से पूर्वानुमान लगाए जा सकते हैं।

कभी - कभी योजनाओं एवं नीतियों के निर्माण के लिए भविष्य की प्रवृत्तियों के ज्ञान की आवश्यकता होती है। उदाहरणार्थ, एक आर्थिक योजनाकार 2019 में यह निर्णय करता है कि 2021 में अर्थव्यवस्था में कितना उत्पादन होना चाहिए। दूसरे शब्दों में, यह जानना आवश्यक होगा कि वर्ष 2021 के लिए उत्पादन योजना निश्चित करने के लिए वर्ष 2021 में अपेक्षित उपभोग स्तर क्या होगा? ऐसी स्थिति में कोई व्यक्ति वर्ष 2021 के उपभोग के अनुमान के आधार पर निर्णय ले सकता है। विकल्प के रूप में, वह वर्ष 2021 में उपभोग के पूर्वानुमान के लिए सांख्यिकीय विधियों का प्रयोग करता है। ऐसा पिछले वर्षों के अथवा हाल के कुछ वर्षों के सर्वेक्षण से प्राप्त उपभोग आँकड़ों के आधार पर हो सकता है।

प्रश्न 4. विभिन्न आर्थिक कारकों के बीच सम्बन्धों को ज्ञात करने में सांख्यिकी किस प्रकार सहायक है।

उत्तर : सांख्यिकी का प्रयोग विभिन्न आर्थिक कारकों के बीच सम्बन्धों को ज्ञात करने के लिए किया जाता है। किसी अर्थशास्त्री की रुचि यह जानने में हो सकती है कि जब किसी वस्तु की कीमत में कमी अथवा वृद्धि होती है तो उसकी मांग पर क्या प्रभाव पड़ता है? या फिर उस वस्तु की अपनी ही कीमतों में परिवर्तन से उसकी पूर्ति कैसे प्रभावित होगी? या जब लोगों की औसत आय बढ़ती है तो क्या उनके उपभोग व्यय पर क्या प्रभाव पड़ेगा? या जब सार्वजनिक व्यय बढ़ जाता है। तो सामान्य मूल्य स्तर पर क्या प्रभाव पड़ता है? ऐसे प्रश्नों का उत्तर तभी दिया जा सकता है जब विभिन्न आर्थिक घटकों के बीच किसी प्रकार का सम्बन्ध विद्यमान हो इस प्रकार का कोई सम्बन्ध

है या नहीं, इसे उन आँकड़ों में सांख्यिकीय विधियों का प्रयोग करके सरलता से सत्यापित किया जा सकता है। कभी-कभी अर्थशास्त्री उनके बीच एक निश्चित सम्बन्ध की कल्पना करके इसका परीक्षण कर सकते हैं कि सम्बन्ध के बारे में उनकी पूर्व धारणा वैध है या नहीं। अर्थशास्त्री ऐसा केवल सांख्यिकीय तकनीकों का प्रयोग करके ही कर सकता है।

1.13

प्रश्न 1. बहुवचन में सांख्यिकी (STATISTICS) का अर्थ है

(अ) सांख्यिकी विज्ञान से

(ब) समंकों से

(स) सांख्यिकी मापों से

(द) उपरोक्त सभी

प्रश्न 2. सांख्यिकी है

(अ) गणना का विज्ञान

(ब) अनुमानों एवं सम्भाविताओं का विज्ञान

(स) समंकों के निर्वाचन एवं विश्लेषण का विज्ञान

(द) उपरोक्त सभी

प्रश्न 3. सांख्यिकी गणना अथवा साध्यों का विज्ञान है' यह परिभाषा है

(अ) बाउले की

(ब) क्राउडन की

(स) जान ग्रिफिन की

(द) पार्सेन की

1.14 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1. सांख्यिकी का अर्थ लिखिये।

उत्तर : सांख्यिकी वह शास्त्र है जिसका सम्बन्ध सार्थक संख्याओं से है।

प्रश्न 2. सांख्यिकी का बहुवचन के रूप में अर्थ लिखिए।

उत्तर : सांख्यिकी का बहुवचन रूप में अर्थ सांख्यिकी के बहुवचन समूह अथवा समंकों से हैं।

प्रश्न 3. समंकों का अर्थ लिखिये।

उत्तर : समंक का अर्थ प्रतिदर्शज है। जिसका अर्थ समष्टि के संख्यात्मक गुणों को बताने वाली संख्याओं के अनुमान है।

प्रश्न 4. सांख्यिकी की कोई दो सीमाएँ लिखिए।

उत्तर :

1. केवल संख्यात्मक तथ्यों का ही अध्ययन,

2. समूहों का अध्ययन, व्यक्तिगत इकाई का नहीं।

प्रश्न 5. व्यावहारिक सांख्यिकी का प्रयोग किन-किन क्षेत्रों में किया जाता है?

उत्तर : व्यावहारिक सांख्यिकी का प्रयोग अर्थशास्त्र, वाणिज्य, समाज शास्त्र, प्रशासन, जीव विज्ञान आदि क्षेत्रों में किया जाता है।

प्रश्न 6. सांख्यिकी का जनक कौन है?

उत्तर : गोटीफ्राइड एक्नेवाल ।

प्रश्न 7. सांख्यिकी को एकवचन के रूप में परिभाषित कीजिए।

उत्तर : "सांख्यिकी वह विज्ञान है जो किसी विषय पर प्रकाष डालने के उद्देश्य से संग्रह किये गए आँकड़ों के संग्रहण, वर्गीकरण, प्रस्तुतीकरण, तुलना तथा निर्वचन करने की रीतियों से सम्बन्धित है।"

1.15 लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1. सांख्यिकी से आप क्या समझते हैं?

उत्तर : सांख्यिकी (Statistics) शब्द का प्रयोग दो अर्थों में किया जाता है- (i) एकवचन में तथा (ii) बहुवचन में। एकवचन में सांख्यिकी का आशय सांख्यिकी विज्ञान से लगाया जाता है जबकि बहुवचन से इसका आशय समंकों से लगाया जाता है। सांख्यिकी वह विज्ञान है जो किसी विषय पर प्रकाश डालने के उद्देश्य से संग्रह किये गए आँकड़ों के संग्रहण, वर्गीकरण, प्रस्तुतीकरण, तुलना तथा निर्वचन की रीतियों से सम्बन्धित है।

प्रश्न 2. सांख्यिकी के क्षेत्र को संक्षेप में समझाइए।

उत्तर : प्राचीनकाल में सांख्यिकी का क्षेत्र सीमित था। परन्तु आधुनिक युग में इस विज्ञान का क्षेत्र अत्यधिक व्यापक हो गया है। सांख्यिकी की विषय सामग्री को दो क्षेत्रों में बाँटा गया है:

(i) सांख्यिकीय विधियाँ : सांख्यिकीय विधियों की सहायता से समंक संकलित किये जाते हैं तथा उन्हें उचित रूप में प्रस्तुत करके तुलनात्मक एवं समझने योग्य बनाया जाता है। इससे उचित निष्कर्ष निकालने में सहायता मिलती है।

(ii) व्यावहारिक सांख्यिकी : सैद्धान्तिक विधियों का व्यवहार में प्रयोग कैसे किया जाये? इसका अध्ययन व्यावहारिक सांख्यिकी में किया जाता है। व्यावहारिक समंक, अर्थशास्त्र, वाणिज्य, समाजशास्त्र, प्रशासन आदि से सम्बन्धित होते हैं।

प्रश्न 3. सांख्यिकीय विधियाँ कौन-कौन सी हैं?

उत्तर : सांख्यिकीय विधियों की सहायता से समंक संकलित किये जाते हैं तथा उचित रूप से प्रस्तुत करके उन्हें तुलनात्मक एवं समझने योग्य बनाया जाता है। इससे उचित निष्कर्ष निकालने में भी सहायता मिलती है।

सांख्यिकीय विधियों में समंकों का संकलन करना, समंकों का वर्गीकरण, सारणीयन, प्रस्तुतीकरण, विश्लेषण, निर्वचन, पूर्वानुमान को शामिल किया जाता है जो कि क्रमबद्ध रूप से कार्य करते हैं।

प्रश्न 4. सांख्यिकी की कोई दो सीमाओं की व्याख्या कीजिए।

उत्तर : सांख्यिकी की दो सीमाएँ निम्नलिखित है :

केवल संख्यात्मक तथ्यों का ही अध्ययन :

सांख्यिकी केवल संख्यात्मक तथ्यों का ही अध्ययन करती है। गुणात्मक तथ्यों का अध्ययन नहीं करती। अर्थात् सांख्यिकी के अन्तर्गत केवल उन्हीं समस्याओं का अध्ययन किया जाता है जिनकों संख्याओं के रूप में व्यक्त किया जा सके। गुणात्मक तथ्य प्रकट करने वाले तथ्यों का प्रत्यक्ष रूप से विश्लेषणात्मक अध्ययन सांख्यिकी के अन्तर्गत नहीं किया जाता है।

सांख्यिकी नियम केवल औसत रूप से और दीर्घकाल में ही सत्य :

सांख्यिकी नियम भौतिकी, रसायन विज्ञान अथवा खगोल शास्त्र के नियमों की भाँति पूर्ण रूप से सत्य नहीं होते तथा वे हमेशा सभी परिस्थितियों में लागू नहीं होते। वे केवल औसत रूप में समूहों में दीर्घकाल में ही लागू होते हैं।

प्रश्न 5. सांख्यिकी का अर्थशास्त्र से सम्बन्ध संक्षिप्त में समझाइए।

उत्तर : सांख्यिकी और अर्थशास्त्र में गहरा सम्बन्ध है। अर्थशास्त्र के विभिन्न नियमों एवं सिद्धान्तों की नींव में सांख्यिकी समंक ही है। अर्थशास्त्र के सैद्धान्तिक एवं व्यावहारिक दोनों स्वरूपों में सांख्यिकी अधिक उपयोगी सिद्ध हुई है। आर्थिक नियमों का परीक्षण करने हेतु आगमन-निगमन प्रणाली समंकों पर ही आधारित है।

अर्थशास्त्र में जनसंख्या का सिद्धान्त, मुद्रा परिमाण सिद्धान्त, वितरण के सिद्धान्त आदि का प्रतिपादन सांख्यिकी द्वारा ही सम्भव हुआ है और इसकी जाँच सांख्यिकी विधियों द्वारा ही सम्भव है। व्यावहारिक अर्थशास्त्र में राष्ट्रीय विकास की योजनाओं के निर्माण में, उनकी प्रगति का मूल्यांकन करने में सांख्यिकीय समंक आवश्यक होते हैं।

निबंधात्मक प्रश्न

प्रश्न 1. सांख्यिकी का अर्थ बताते हुए इसके क्षेत्र की व्याख्या कीजिए।

उत्तर :

सांख्यिकी का अर्थ-

अंग्रेजी भाषा में सांख्यिकी को STATISTICS कहते हैं। सांख्यिकी शब्द अंग्रेजी भाषा के शब्द State (राज्य) से निकला हुआ है। लैटिन भाषा के State को Status रोमन भाषा में Stato जर्मन भाषा में Statistik तथा इटली भाषा में Statista कहा जाता है। इन सभी शब्दों का अर्थ राज्य से है। राज्य से सांख्यिकी का गहरा सम्बन्ध है। यह शब्द अनेक बार राज्य कार्य में निपुण व्यक्ति के लिए भी प्रयोग हुआ है। भारत में सांख्यिकी का प्रयोग अनेक प्राचीन ग्रन्थों जैसे कौटिल्य के अर्थशास्त्र आदि में मिलता है। अंग्रेजी शब्द STATISTICS का प्रयोग हिन्दी में तीन प्रकार से होता है-आँकड़े, समंक, सांख्यिकी और प्रतिदर्शज। साधारण प्रयोग में यह आँकड़ों के अर्थ में होता है। सांख्यिकी शब्द का दूसरा अर्थ उन विधियों से है जिनका प्रयोग सांख्यिकी में किया जाता है। इसके अन्तर्गत सभी सिद्धान्त एवं युक्तियाँ (Device) आती हैं। जो मात्रा सम्बन्धी विवरण का संकलन, विश्लेषण तथा निर्वचन में काम आती है। Statistics (सांख्यिकी) शब्द का दूसरा प्रयोग सांख्यिकी के बहुवचन समूह अथवा समंकों के रूप में भी होता हैय जैसे-जनसंख्या समंकों के रूप में।

• सांख्यिकी का क्षेत्र :

प्राचीनकाल में सांख्यिकी का क्षेत्र अत्यन्त सीमित था। सांख्यिकी का जन्म राजाओं के विज्ञान के रूप में हुआ परन्तु आधुनिक युग में इस विज्ञान का क्षेत्र अत्यधिक व्यापक हो गया है। वास्तव में प्रत्येक विज्ञान में एक साधन के रूप में सांख्यिकीय विधियों का काफी प्रयोग किया जाता है। यह कहना सही है कि विज्ञान सांख्यिकी के बिना अधूरा है। तथा सांख्यिकी विज्ञान के बिना।

सांख्यिकी की विषय सामग्री को दो भागों में बाँटा जाता है

1. सांख्यिकीय विधियाँ (Statistical Methods)

2. व्यावहारिक सांख्यिकी (Applied Statistic)

1. सांख्यिकीय विधियाँ

• सांख्यिकीय विधियों की सहायता से समंक संकलित किये जाते हैं तथा उन्हें उचित रूप से प्रस्तुत करके उन्हें तुलनात्मक एवं समझने योग्य बनाया जाता है। इससे उचित निष्कर्ष निकालने में भी सहायता मिलती है। सांख्यिकी विधियों के अन्तर्गत निम्न कार्य आते हैं

• समंकों का संकलन करना- इसके अन्तर्गत यह निश्चित किया जाता है कि अनुसन्धान के लिए समंक कहाँ से, कितने एवं किस ढंग से एकत्रित किये जायें।

• समंकों का वर्गीकरण करना- समंकों को व्यवस्थित कर प्रस्तुत किया जाता है। वर्गीकृत समंकों या आँकडों को पंक्ति तथा कॉलम में लिखा जाता है।

• सारणीयन- समंकों को व्यवस्थित कर प्रस्तुत किया जाता है। वर्गीकृत समंकों यो आँकड़ों को पंक्ति तथा कॉलम में लिखा जाता है।

• प्रस्तुतीकरण - व्यवस्थित समंकों की सरल, सुव्यवस्थित एवं तुलना योग्य बनाने के लिये उन्हें बिन्दु तथा चित्रों द्वारा प्रदर्शित किया जाता है ताकि मस्तिष्क पर उनकी छाप पड़े।

• विश्लेषण - समंकों का विश्लेषण सांख्यिकीय विधियोंय जैसे-केन्द्रीय प्रवृत्ति के माप, अपकिरण, सह-सम्बन्ध आदि के माध्यम से किया जाता है।

• निर्वचन- इनके अन्तर्गत जाँच के विषय के सम्बन्ध में निर्वचन किया जाता हैय जैसे-दो तथ्यों के बीच सह-सम्बन्ध है या नहीं।

• पूर्वानुमान- भूत एवं वर्तमान के विश्लेषण के आधार पर भविष्य के बारे में पूर्वानुमान लगाये जाते हैं तथा पूर्व घोषणाएँ की जाती हैं।

व्यावहारिक सांख्यिकी :

• सांख्यिकीय विधियाँ सैद्धान्तिक ज्ञान प्रदान करती हैं। सैद्धान्तिक विधियों का व्यवहार में प्रयोग कैसे किया जाये? इसका अध्ययन व्यावहारिक सांख्यिकी में किया जाता है। उदाहरणार्थ-जनसंख्या, राष्ट्रीय आय, औद्योगिक उत्पादन, मूल्य, मजदूरी आदि के आँकड़े व्यावहारिक समंक हैं। व्यावहारिक समंक अर्थशास्त्र, वाणिज्य, समाज शास्त्र, प्रशासन, जीव विज्ञान, मनोविज्ञान आदि से सम्बन्धित होते हैं। व्यावहारिक सांख्यिकी को दो भागों में बाँटा जाता हैं।

• वर्णात्मक सांख्यिकी- इसके अन्तर्गत किसी क्षेत्र से सम्बन्धित भूतकाल तथा वर्तमानकाल में संकलित समंकों का अध्ययन किया जाता है।

• वैज्ञानिक व्यावहारिक सांख्यिकी- इसके अन्तर्गत विभिन्न विषयों के कुछ वैज्ञानिक नियमों के प्रतिपादन के उद्देश्य से व्यावहारिक समंकों को एकत्रित किया जाता है। मांग के नियम, व्यापार चक्र का अध्ययन इसी के उदाहरण हैं।

व्यावहारिक सांख्यिकी के अन्तर्गत विभिन्न व्यावसायिक समस्याओं का अध्ययन, विश्लेषण एवं समाधान हेतु सांख्यिकी विधियों का प्रयोग किया जाता है अर्थात् सांख्यिकी का क्षेत्र काफी व्यापक है।

प्रश्न 2. सांख्यिकी को संक्षेप में समझाइए। इसके अर्थशास्त्र से सम्बन्ध की व्याख्या कीजिए।

उत्तर : सांख्यिकी का अर्थ-

अंग्रेजी भाषा में सांख्यिकी को STATISTICS कहते हैं। सांख्यिकी शब्द अंग्रेजी भाषा के शब्द State (राज्य) से निकला हुआ है। लैटिन भाषा के State को Status रोमन भाषा में Stato जर्मन भाषा में Statistik तथा इटली भाषा में Statista कहा जाता है। इन सभी शब्दों का अर्थ राज्य से है। राज्य से सांख्यिकी का गहरा सम्बन्ध है। यह शब्द अनेक बार राज्य कार्य में निपुण व्यक्ति के लिए भी प्रयोग हुआ है। भारत में सांख्यिकी का प्रयोग अनेक प्राचीन ग्रन्थों जैसे कौटिल्य के अर्थशास्त्र आदि में मिलता है। अंग्रेजी शब्द STATISTICS का प्रयोग हिन्दी में तीन प्रकार से होता है-आँकड़े, समंक, सांख्यिकी और प्रतिदर्शज। साधारण प्रयोग में यह आँकड़ों के अर्थ में होता है। सांख्यिकी शब्द का दूसरा अर्थ उन विधियों से है जिनका प्रयोग सांख्यिकी में किया जाता है। इसके अन्तर्गत सभी सिद्धान्त एवं युक्तियाँ (Device) आती हैं। जो मात्रा सम्बन्धी विवरण का संकलन, विश्लेषण तथा निर्वचन में काम आती है। Statistics (सांख्यिकी) शब्द का दूसरा प्रयोग सांख्यिकी के बहुवचन समूह अथवा समंकों के रूप में भी होता है जैसे-जनसंख्या समंकों के रूप में।

सांख्यिकी का क्षेत्र-

प्राचीनकाल में सांख्यिकी का क्षेत्र अत्यन्त सीमित था। सांख्यिकी का जन्म राजाओं के विज्ञान के रूप में हुआ परन्तु आधुनिक युग में इस विज्ञान का क्षेत्र अत्यधिक व्यापक हो गया है। वास्तव में प्रत्येक विज्ञान में एक साधन के रूप में सांख्यिकीय विधियों का काफी प्रयोग किया जाता है। यह कहना सही है कि विज्ञान सांख्यिकी के बिना अधूरा है। तथा सांख्यिकी विज्ञान के बिना।

सांख्यिकी का अर्थशास्त्र से सम्बन्ध-

सांख्यिकी और अर्थशास्त्र का गहरा सम्बन्ध है। अर्थशास्त्र के विभिन्न नियमों एवं सिद्धान्तों की नींव में सांख्यिकी समंक ही हैं। प्रोफेसर मार्शल ने लिखा है-समंक वे कण है जिनसे प्रत्येक अर्थशास्त्री की भाँति मुझे भी (आर्थिक नियमों की) ईंटें बनानी पड़ती हैं। अर्थशास्त्र के सैद्धान्तिक एवं व्यावहारिक दोनों स्वरूपों में सांख्यिकी अधिक उपयोगी सिद्ध हुई है। आर्थिक नियमों का परीक्षण करने हेतु आगमन-निगमन प्रणाली समंकों पर ही आधारित है। अर्थशास्त्र में जनसंख्या का सिद्धान्त, मुद्रा परिमाण सिद्धान्त, वितरण के सिद्धान्त आदि का प्रतिपादन सांख्यिकी द्वारा ही सम्भव हुआ है और इसकी जाँच सांख्यिकीय विधियों द्वारा ही सम्भव है। व्यावहारिक अर्थशास्त्र में राष्ट्रीय विकास की योजनाओं के निर्माण में, उनकी प्रगति का मूल्यांकन करने में सांख्यिकी समंक आवश्यक होते हैं। योजनाओं की सफलता को प्रदर्शित करने हेतु चित्रों आरेखों का प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 3. सांख्यिकी को परिभाषित कीजिए। सांख्यिकी की सीमाओं की व्याख्या कीजिए।

उत्तर : सांख्यिकी की परिभाषा सांख्यिकी की अनेक परिभाषाएँ दी गई हैं। क्वेट्लेट ने 1869 में सांख्यिकी की परिभाषाओं की सूची बनाई थी। जॉन ग्रिफिन ने लिखा है, "सांख्यिकी को परिभाषित करना कठिन है।"

बाउले के अनुसार : "सांख्यिकी गणना का विज्ञान है। एक अन्य स्थान पर बाउले ने लिखा है कि "सांख्यिकी को उचित रूप से साध्यों का विज्ञान कहा जा सकता है।"

सेलिगमैन के अनुसार "सांख्यिकी वह विज्ञान है जो किसी विषय पर प्रकाश डालने के उद्देश्य से संग्रहित किये गये आँकड़ों के संग्रहण, वर्गीकरण, प्रस्तुतीकरण, तुलना एवं व्याख्या करने की रीतियों का विवेचन करता है। सांख्यिकी के क्षेत्र में यह परिभाषा व्यापक मानी जाती है। उपर्युक्त सभी परिभाषाओं से यह स्पष्ट है कि अर्थषास्त्रियों की भाँति सांख्यिकी में भी विषय की परिभाषा के रूप में मतभेद है। यह मतभेद इसलिए भी है क्योंकि सांख्यिकी की आदर्ष परिभाषा देना सरल कार्य नहीं है।

सांख्यिकी की सीमाएँ -

सांख्यिकी की निम्नलिखित सीमाएँ हैं

• केवल संख्यात्मक तथ्यों का ही अध्ययन- सांख्यिकी केवल संख्यात्मक तथ्यों का ही अध्ययन करती है। गुणात्मक तथ्यों का अध्ययन नहीं करती। अर्थात् सांख्यिकी के अन्तर्गत केवल उन्हीं समस्याओं का अध्ययन किया जाता है जिनको संख्याओं के रूप में व्यक्त किया जा है। जैसे-आयु, ऊँचाई, उत्पादन, मूल्य, मजदूरी आदि। गुणात्मक स्वरूप प्रकट करने वाले तथ्य का प्रत्यक्ष रूप से विश्लेषणात्मक अध्ययन सांख्यिकी के अन्तर्गत नहीं किया जाता।

• समूहों को अध्ययन, व्यक्तिगत ईकाई का नहीं- सांख्यिकी के अन्तर्गत संख्यात्मक तथ्यों की सामूहिक विशेषताओं का अध्ययन किया जाता है। जैसे-देष की औसत प्रति व्यक्ति आय। यह औसत प्रति व्यक्ति आय केवल सामूहिक विशेषताओं पर ही प्रकाश डालती है।

• समस्या के अध्ययन की एक मात्र रीति नहीं- सांख्यिकीय रीति समस्या के अध्ययन की एकमात्र रीति नहीं है। सांख्यिकीय रीति को प्रत्येक प्रकार की समस्या का सर्वोत्तम हल करने की एकमात्र रीति नहीं समझना चाहिए। सांख्यिकी रीति द्वारा प्राप्त परिणामों को तभी सही मानना चाहिए जब अन्य रीतियों के द्वारा जैसे प्रयोग निगमन आदि की सहायता से या अन्य प्रमाणों से यह पुष्ट हो जाए।

• प्राप्त निष्कर्ष भ्रामक हो सकते है- सांख्यिकी निष्कर्षों को भली भाँति समझने के लिए उनके सन्दर्भों का भी अध्ययन करना आवश्यक है अन्यथा वे असत्य सिद्ध हो सकते हैं।

• सांख्यिकी नियम केवल औसत रूप से और दीर्घकाल में ही सत्य- सांख्यिकी नियम भौतिकी, रसायन विज्ञान अथवा खगोल शास्त्र के नियमों की भाँति पूर्ण रूप से सत्य नहीं होते तथा वे हमेशा तथा सभी परिस्थितियों में लागू नहीं होते। वे केवल औसत रूप में समूहों में दीर्घकाल में ही लागू होते हैं।

• विशेषज्ञ ही प्रयोग करें- सांख्यिकी की एक सीमा यह भी है कि इसका प्रयोग विशेषज्ञों को ही करना चाहिए। क्योंकि अयोग्य या अनभिज्ञ व्यक्ति इसकी रीतियों के प्रयोग से भ्रामक अथवा गलत निष्कर्ष निकाल सकते हैं।

प्रश्न 4. सांख्यिकी को परिभाषित कीजिए। अर्थशास्त्र में सांख्यिकी की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर : सांख्यिकी की परिभाषा सांख्यिकी की अनेक परिभाषाएँ दी गई हैं। क्वेट्लेट ने 1869 में सांख्यिकी की परिभाषाओं की सूची बनाई थी। जॉन ग्रिफिन ने लिखा है, "सांख्यिकी को परिभाषित करना कठिन है।"

बाउले के अनुसार -

"सांख्यिकी गणना का विज्ञान है। एक अन्य स्थान पर बाउले ने लिखा है कि "सांख्यिकी को उचित रूप से साध्यों का विज्ञान कहा जा सकता है।"

सेलिगमैन के अनुसार

"सांख्यिकी वह विज्ञान है जो किसी विषय पर प्रकाश डालने के उद्देश्य से संग्रहित किये गये आँकड़ों के संग्रहण, वर्गीकरण, प्रस्तुतीकरण, तुलना एवं व्याख्या करने की रीतियों का विवेचन करता है। सांख्यिकी के क्षेत्र में यह परिभाषा व्यापक मानी जाती है। उपर्युक्त सभी परिभाषाओं से यह स्पष्ट है कि अर्थशास्त्रियों की भाँति सांख्यिकी में भी विषय की परिभाषा के रूप में मतभेद है। यह मतभेद इसलिए भी है क्योंकि सांख्यिकी की आदर्श परिभाषा देना सरल कार्य नहीं है।

अर्थशास्त्र में सांख्यिकी की भूमिका

सांख्यिकी और अर्थशास्त्र की गहरा सम्बन्ध है। अर्थशास्त्र के विभिन्न नियमों, एवं सिद्धान्तों की नींव में सांख्यिकी समंक ही हैं अर्थशास्त्र में जनसंख्या का सिद्धान्त, मुद्रा परिमाण सिद्धान्त, वितरण के सिद्धान्त आदि का प्रतिपादन सांख्यिकी द्वारा ही सम्भव हुआ है और इसकी जाँच सांख्यिकीय विधियों द्वारा ही सम्भव है। व्यावहारिक अर्थशास्त्र में राष्ट्रीय विकास की योजनाओं के निर्माण में, उनकी प्रगति का मूल्यांकन करने में सांख्यिकीय समंक आवश्यक होते हैं। योजनाओं की सफलता को प्रदर्शित करने हेतु चित्रों, आरेखों को प्रयोग किया जाता है।

प्रो. बाउले ने लिखा है कि "अर्थशास्त्र का कोई भी विद्यार्थी पूर्ण सामग्री का दावा तब तक नहीं कर सकता जब तक वो सांख्यिकीय रीतियों में पारंगत न हो।

बहुचयनात्मक प्रश्न

प्रश्न 1. अंग्रेजी भाषा में सांख्यिकी को कहते हैं

(अ) STATISTICS

(ब) STATISTIK

(स) STATISTA

(द) ये सभी

प्रश्न 2. सर्वप्रथम Statistics शब्द का प्रयोग किया गया

(अ) 1749

(स) 1748

(ब) 1759

(द) 1740

प्रश्न 3. सांख्यिकी की विषय सामग्री को कितने भागों में बाँटा है?

(अ) तीन

(ब) दो

(स) चार

(द) पाँच

प्रश्न 4. "सांख्यिकी अनुमानों एवं सम्भाविताओं का विज्ञान है" यह परिभाषा दी है

(अ) बाउले ने

(ब) सैलिगमैन ने

(स) बांडिग लॉन ने

(द) स्पीयरमैन ने

प्रश्न 5. वर्गीकृत समंकों या आँकड़ों को पंक्ति तथा कॉलम में लिखा जाता है

(अ) प्रस्तुतीकरण में

(ब) सारणीयन में

(स) निर्वचन में

(द) समंकों के वर्गीकरण में

प्रश्न 6. व्यावहारिक सांख्यिकी को कितने भागों में बाँटा गया है?

(अ) दो

(ब) तीन

(स) एक

(द) पाँच

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1. सांख्यिकी शब्द अंग्रेजी भाषा के किस शब्द से निकला हुआ है?

उत्तर : State (राज्य) शब्द से।

प्रश्न 2. लैटिन भाषा में State को क्या कहते हैं?

उत्तर : Status

प्रश्न 3. जर्मन भाषा में सांख्यिकी को क्या कहते है?

उत्तर : Statistik

प्रश्न 4. सांख्यिकी का गहरा सम्बन्ध किससे रहा है?

उत्तर : राज्य से।

प्रश्न 5. भारत के किस प्राचीन ग्रन्थ में सांख्यिकी का प्रयोग मिलता है।

उत्तर : कौटिल्य के अर्थशास्त्र में।

प्रश्न 6. सांख्यिकी का जनक कहाँ का निवासी था?

उत्तर : जर्मन का ।।

प्रश्न 7. सांख्यिकी का जनक कौन था?

उत्तर : जर्मन विद्वान गणितज्ञ गोटीफ्राइड एक्नेवाल ।

प्रश्न 8. सांख्यिकी शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम कब किया गया?

उत्तर : 1749 में।

प्रश्न 9. अंग्रेजी शब्द STATISTICS का प्रयोग हिन्दी में कितने प्रकार से होता है?

उत्तर : तीन प्रकार से।

प्रश्न 10. समंक क्या है?

उत्तर : समंक तथ्यों का अंकों के रूप में किया गया संग्रह मात्र है।

प्रश्न 11. सांख्यिकी की विषय सामग्री को कितने भागों में बाँटा गया है?

उत्तर : दो भागों में।

प्रश्न 12. व्यावहारिक सांख्यिकी को कितने भागों में बाँटा गया है?

उत्तर : दो भागों में।

प्रश्न 13. कैसे तथ्यों पर आधारित ज्ञान वास्तविक तथा यथार्थ माना जाता है?

उत्तर : संख्यात्मक तथ्यों पर आधारित ज्ञान वास्तविक तथा यथार्थ होता है।

प्रश्न 14. राज्य में किसके आधार पर सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक समस्याओं के बारे में जानकारी मिलती है?

उत्तर : राज्य में संख्यात्मक विवेचन के आधार पर ही सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक समस्याओं के बारे में जानकारी मिलती है।

प्रश्न 15. कौटिल्य के अर्थशास्त्र में अनेक तथ्य सांख्यिकी से सम्बन्धित मिलते हैं। स्पष्ट कीजिए।

उत्तर : कौटिल्य के अर्थशास्त्र में शासन, सामाजिक व्यवस्था, युद्ध व्यवस्था आदि से सम्बन्धित अनेक तथ्य सांख्यिकी से सम्बन्धित मिलते हैं।

प्रश्न 16. State को रोमन भाषा तथा इटली भाषा में क्या कहते हैं?

उत्तर : State को रोमन भाषा में Stato, तथा इटली भाषा में Statista कहा जाता है।

प्रश्न 17. STATISTICS के हिन्दी में प्रयोग कौन-कौन से हैं?

उत्तर : आँकड़े समंक, सांख्यिकी और प्रतिदर्शज तीन प्रकार हैं।

प्रश्न 18. सांख्यिकी की विषय सामग्री को कौन से दो भागों में बाँटा गया है?

उत्तर :

1. सांख्यिकीय विधियाँ,

2. व्यावहारिक सांख्यिकी ।

प्रश्न 19. सैद्धान्तिक विधियों का व्यवहार में प्रयोग कैसे किया जाये? इसका अध्ययन कहाँ किया जाता है?

उत्तर : सैद्धान्तिक विधियों का व्यवहार में प्रयोग कैसे किया जाये इसका अध्ययन व्यावहारिक साख्यिकी में किया जाता है।

प्रश्न 20. व्यावहारिक समंक किससे सम्बन्धित होते हैं?

उत्तर : व्यावहारिक समंक अर्थशास्त्र, वाणिज्य, समाज शास्त्र, प्रशासन, जीव विज्ञान, मनोविज्ञान आदि से सम्बन्धित होते हैं।

प्रश्न 21. व्यावहारिक सांख्यिकी के दो भागों के नाम बताइए।

उत्तर : व्यावहारिक सांख्यिकी को दो भागों में बाँटा गया है:

1. वर्णात्मक सांख्यिकी

2. वैज्ञानिक व्यावहारिक सांख्यिकी ।

प्रश्न 22. सांख्यिकी की कोई दो सीमाएं लिखिए।

उत्तर :

1. केवल संख्यात्मक तथ्यों का ही विवेचन

2. समूहों का अध्ययन, व्यक्तिगत ईकाई का नहीं।

लघुत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1. सांख्यिकी के सम्बन्ध में ब्रिटिश विद्वान लार्ड केल्विन के विचारों को बताइए।

उत्तर : सांख्यिकी के सम्बन्ध में ब्रिटिश विद्वान लार्ड केल्विन ने लिखा है- "जिस विषय के सम्बन्ध में आप बात कर रहे हैं यदि आप उसे माप सकते हैं तथा संख्याओं में व्यक्त कर सकते हैं तो आप उस विषय में कुछ जानते हैं। किन्तु जब आप उसे माप नहीं सकते जब आप उसे संख्याओं में व्यक्त नहीं कर सकते तो आपका ज्ञान अल्प व असन्तोषजनक प्रकृति का है।"

प्रश्न 2. सांख्यिकी विज्ञान को राज्य तन्त्र का विज्ञान क्यों कहा है?

उत्तर : राज्य की नीतियाँ समंकों पर आधारित होने के कारण सांख्यिकी विज्ञान को राज्य तन्त्र का विज्ञान या सम्राटों का विज्ञान कहा गया है। राजा विभिन्न विषयों से सम्बन्धित आँकड़े एकत्र कर उन पर आधारित निर्णय लेता है तथा भविष्य की नीतियाँ बनाता है।

प्रश्न 3. सांख्यिकी शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम कहाँ, कब और किसने किया?

उत्तर : सांख्यिकी का जनक जर्मन विद्वान गणितज्ञ गोटीफ्रायड एक्नेवाल ने 1749 में सर्वप्रथम Statistics शब्द का प्रयोग किया तथा सांख्यिकी को ज्ञान की विशिष्ट शाखा के रूप में स्थापित एवं विकसित किया।

प्रश्न 4. आधुनिक युग में समंकों का अधिक प्रयोग होने का क्या कारण है?

उत्तर : आधुनिक युग में समंकों का अधिक प्रयोग होने के निम्नलिखित कारण हैं :

1. वर्तमान में समंकों की माँग बढ़ रही है।

2. समंकों पर आधारित निष्कर्ष से समय व श्रम की बचत होती है।

3. सांख्यिकीय विधियों के प्रयोग से शोधकार्यों की लागत में कमी आई है।

प्रश्न 5. सांख्यिकी (Statistics) शब्द का दूसरा अर्थ किन विधियों से है?

उत्तर : सांख्यिकी शब्द को दूसरा अर्थ उन विधियों से है जिनका प्रयोग सांख्यिकी में किया जाता है। इसके अन्तर्गत सभी सिद्धान्त एवं युक्तियाँ आती हैं जो मात्रा सम्बन्धी विवरण को संकलन, विश्लेषण तथा निर्वचन में काम आती है।

प्रश्न 6. सेलिगमैन के अनुसार सांख्यिकी की परिभाषा दीजिए।

उत्तर : सेलिगमैन के अनुसार, "सांख्यिकी वह विज्ञान है जो किसी विषय पर प्रकाश डालने के उद्देश्य से संग्रहित किये गये आँकड़ों का संग्रहण, वर्गीकरण, प्रस्तुतीकरण, तुलना एवं व्याख्या करने की रीतियों का विवेचन करता है।"

प्रश्न 7. सांख्यिकी के क्षेत्र को बताते हुए सांख्यिकी और विज्ञान का सम्बन्ध बताइए।

उत्तर : प्राचीनकाल में सांख्यिकी का क्षेत्र अत्यन्त सीमित था। सांख्यिकी का जन्म राजाओं के विज्ञान के रूप में हुआ। परन्तु आधुनिक युग में इस विज्ञान का क्षेत्र अत्यधिक व्यापक हो गया है। वास्तव में प्रत्येक विज्ञान में एक साधन के रूप में सांख्यिकी विधियों का काफी प्रयोग किया जाता है। यह कथन सही है कि विज्ञान सांख्यिकी के बिना अधूरा है तथा सांख्यिकी विज्ञान के बिना।

प्रश्न 8. सांख्यिकी विधियाँ क्या हैं?

उत्तर : सांख्यिकी विधियों की सहायता से समंक संकलित किये जाते हैं तथा उन्हें उचित रूप से प्रस्तुत करके उन्हें तुलनात्मक एवं समझने योग्य बनाया जाता है। इससे उचित निष्कर्ष निकालने में भी सहायता मिलती है। कार्य सरलता से हो जाता है तथा समय एवं श्रम की बचत होती है।

प्रश्न 9. सांख्यिकी विधियों के अन्तर्गत कौन-कौन से कार्य किये जाते हैं? क्रम से बताइये।

उत्तर : सांख्यिकी विधियों के अन्तर्गत निम्नलिखित कार्य किये जाते हैं

1. समंकों का संकलन करना,

2. समंकों का वर्गीकरण,

3. सारणीयन,

4. प्रस्तुतीकरण,

5. विश्लेषण,

6. निर्वचन,

7. पूर्वानुमान ।

प्रश्न 10. व्यावहारिक सांख्यिकी में क्या अध्ययन किया जाता है?

उत्तर : सैद्धान्तिक विधियों का व्यवहार में कैसे प्रयोग किया जाये? इसका अध्ययन व्यावहारिक सांख्यिकी में किया जाता है। व्यावहारिक समंक अर्थशास्त्र, वाणिज्य, समाजशास्त्र, प्रशासन, जीव विज्ञान, मनोविज्ञान आदि से सम्बन्धित होते हैं। अर्थात् इसमें सांख्यिकी के सिद्धान्तों के प्रयोग के बारे में बताया जाता है। अतः यह सांख्यिकी का प्रयोगात्मक भाग है।

प्रश्न 11. व्यावहारिक सांख्यिकी के दोनों भागों को समझाइए ।

उत्तर :

• वर्णात्मक सांख्यिकी- इसके अन्तर्गत किसी क्षेत्र से सम्बन्धित भूतकाल तथा वर्तमानकालमें संकलित समंकों का अध्ययन किया जाता है।

• वैज्ञानिक व्यावहारिक सांख्यिकी- इसके अन्तर्गत विभिन्न विषयों के कुछ वैज्ञानिक नियमों के प्रतिपादन के उद्देश्य से व्यावहारिक समंकों को एकत्रित किया जाता है। माँग के नियम, व्यापार चक्रों का अध्ययन इसी के उदाहरण हैं।

प्रश्न 12. सांख्यिकी की दो सीमाओं की व्याख्या करो।

उत्तर : सांख्यिकी की दो सीमाएँ निम्नलिखित हैं :

केवल संख्यात्मक तथ्यों को ही अध्ययन- सांख्यिकी केवल संख्यात्मक तथ्यों का ही अध्ययन करती है। गुणात्मक तथ्यों का अध्ययन नहीं करती है। अर्थात् सांख्यिकी के अन्तर्गत केवल उन्हीं समस्याओं का अध्ययन किया जा सकता है। जिनको संख्याओं के रूप में व्यक्त किया जा सके।

समूह का अध्ययन व्यक्तिगत ईकाई का नहीं- सांख्यिकी के अन्तर्गत संख्यात्मक तथ्यों की सामूहिक विशेषताओं का अध्ययन किया जाता हैय जैसे-देष की औसत प्रति व्यक्ति आय। यह औसत प्रति व्यक्ति आय केवल सामूहिक विशेषताओं पर ही प्रकाष डालती है।

प्रश्न 13. 'अयोग्य व्यक्ति के हाथ में सांख्यिकीय रीतियाँ बहुत खतरनाक औजार हैं।" स्पष्ट कीजिए।

उत्तर : सांख्यिकीय रीतियों द्वारा अयोग्य तथा अनभिग्य व्यक्ति या तो निष्कर्ष नहीं निकाल पाएंगे या फिर गलत निष्कर्ष निकाल सकते हैं। अतः यूल तथा कैन्डाल ने सत्य ही कहा है कि अयोग्य व्यक्ति के हाथ में ये रीतियाँ बहुत खतरनाक औजार हैं।

प्रश्न 14. स्पष्ट कीजिए कि सांख्यिकीय रीति समस्या के अध्ययन की एकमात्र रीति नहीं है।

उत्तर : सांख्यिकीय रीति की प्रत्येक प्रकार की समस्या का एकमात्र हल नहीं माना जा सकता है। अतः सांख्यिकीय रीति द्वारा प्राप्त परिणामों को तभी सही मानना चाहिए जबकि उनकी पुष्टि अन्य प्रमाणों की सहायता से भी कर ली जाए। क्योंकि यही एकमात्र हल नहीं है।

प्रश्न 15. सांख्यिकीय में समूहों का अध्ययन किया जाता है, व्यक्तिगत इकाइयों का नहीं।" स्पष्ट कीजिए।

उत्तर : सांख्यिकीय में संख्यात्मक तथ्यों की सामूहिक विशेषताओं का अध्ययन किया जाता है। जैसे देश की औसत प्रतिव्यक्ति आय। इसमें व्यक्तिगत इकाइयों का अध्ययन नहीं किया जाता है। स्पष्ट है कि औसत प्रतिव्यक्ति आय सामूहिक विशेषता बताती है न कि व्यक्तिगत। यह निर्धन, भिखारी, अमीर, गरीब, की व्यक्तिगत आय पर प्रकाश नहीं डालती है।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1. वर्तमान समय में सांख्यिकी का महत्त्व क्या है? अर्थशास्त्र में सांख्यिकी के महत्त्व समझाइए।

उत्तर : सांख्यिकी का महत्व या उपयोगिता आधुनिक सभ्यता के युग में सांख्यिकी का महत्त्व निरन्तर बढ़ता जा रहा है। आज जीवन का शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र हो जहाँ किसी-न-किसी रूप में सांख्यिकी का प्रयोग न होता हो। यही कारण है कि आर्थिक, सामाजिक एवं राजनैतिक समस्याओं के सुलझाने में सांख्यिकी विज्ञान की सहायता ली जाती है। इतना ही नहीं वैज्ञानिक, प्रशासकीय व अन्य विश्लेषणों में भी आजकल सांख्यिकी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। डॉ. बाउले ने ठीक कहा है, "सांख्यिकी का ज्ञान किसी विदेशी भाषा अथवा बीजगणित के ज्ञान की भाँति है, जो किसी भी समय और किसी भी परिस्थिति में, उपयोगी सिद्ध हो सकता है।

प्रो. वॉकर का यह कथन अक्षरशः सत्य प्रतीत होता है कि "एक चौंकाने वाली सीमा तक हमारी संस्कृति सांख्यिकीय संस्कृति बन चुकी है।" सेक्राइस्ट ने भी सांख्यिकी के महत्त्व को स्पष्ट करते हुए कहा है कि "व्यापार, सामाजिक नीति तथा राज्य से सम्बन्धित शायद ही कोई ऐसी समस्या हो, जिसको समझने के लिये समंकों की आवश्यकता न पड़ती हो।"

अर्थशास्त्र में सांख्यिकी का महत्त्व- अर्थशास्त्र में सांख्यिकी का महत्त्वपूर्ण स्थान है। सांख्यिकीय रीतियाँ विभिन्न आर्थिक समस्याओं को समझने, उनका विश्लेषण करने तथा उनके लिये उचित समाधान निकालने में अत्यन्त उपयोगी सिद्ध होती हैं। अर्थशास्त्र के विभिन्न नियमों के निर्माण में भी सांख्यिकीय रीतियों का भरपूर प्रयोग होता है। अर्थशास्त्र में इसके महत्त्व को स्पष्ट करते हुए मार्शल ने कहा है कि "समंक वे तृण हैं जिनसे मुझे अन्य अर्थशास्त्रियों की भाँति ईंटें बनानी पड़ती आंख्यिकी की सहायता से ही अर्थशास्त्र के प्रत्येक क्षेत्र उपभोग, उत्पत्ति, विनिमय, वितरण एवं राजस्व की विभिन्न समस्याओं का अध्ययन किया जाता है और उनका समाधान खोजा जाता है।

प्रश्न 2. सांख्यिकीय विधियों से क्या आशय है? इनके अन्तर्गत किये जाने वाले कार्यों का उल्लेख कीजिए।

उत्तर : सांख्यिकीय विधियाँ सांख्यिकीय विधियों की सहायता से समंकों को एकत्रित करके उन्हें तुलनात्मक अध्ययन एवं समझने योग्य रूप में प्रस्तुत किया जाता है। जॉन्सन एवं जैक्सन के अनुसार, "सांख्यिकीय रीतियाँ वे प्रक्रियाएँ हैं, जो संख्यात्मक तथ्यों के संग्रहण, संगठन, संक्षिप्तीकरण, विश्लेषण, निर्वचन और प्रस्तुतीकरण के लिए प्रयोग में लाई जाती है।

सांख्यिकीय विधियों के अन्तर्गत निम्नलिखित कार्य किये जाते हैं

• समंकों का संकलन करना (Collection of Data)- इनके अन्तर्गत यह निश्चित किया जाता है कि अनुसन्धान के लिए समंक कहाँ से, कितने एवं किस ढंग से एकत्रित किए जाएँ।

• समंकों का वर्गीकरण (Classification)- समंकों को तुलनीयं, सुगम बनाने के लिए उन्हें विभिन्न वर्गों में बाँटना जैसे-आयु, भार, स्थान, रंग, जाति आदि।

• सारणीयन (Tabulation)- इसमें समंकों को व्यवस्थित कर प्रस्तुत किया जाता है। वर्गीकृत समंकों या आंकड़ों को पंक्ति तथा कॉलम में लिखा जाता है।

• प्रस्तुतीकरण (Presentation)- व्यवस्थित समंकों को सरल, सुव्यवस्थित एवं तुलनीय बनाने के लिए उन्हें बिन्दु रेखाओं तथा चित्रों द्वारा प्रदर्शित किया जाता है ताकि मस्तिष्क पर उनकी छाप पड़े तथा उन्हें स्मरण में रखना आसान हो सके।

• विश्लेषण (Analysis)- समंकों का विश्लेषण सांख्यिकीय विधियोंय जैसे केन्द्रीय प्रवृत्ति के माप, अपकिरण, सहसम्बन्ध आदि के माध्यम से किया जाता है।

• निर्वाचन (Interpretation)- निर्वचन में जाँच के विषय के सम्बन्ध में निर्वचन किया जाता हैय जैसे-दो तथ्यों के बीच सहसम्बन्ध है या नहीं।

• पूर्वानुमान (Forcasting)- इसके अन्तर्गत भूत एवं वर्तमान के विश्लेषण के आधार पर भविष्य के बारे में पूर्वानुमान लगाये जाते हैं तथा पूर्व घोषणाएँ की जाती हैं।

पाठ का परिचय

" अर्थशास्त्र" शब्द दो ग्रीक शब्दों 'ओकोस' और 'नेमीन' से लिया गया है। जिसका अर्थ- गृहस्थ का नियम अथवा कानून है। "अर्थशास्त्र अध्ययन की वह तकनीक है जिसमे सीमित संसाधनो का कैसे प्रयोग किया जाए की उपभोक्ता को अधिकतम संतुष्टि, उत्पादक को अधिकतम लाभ और समाज को अधिकतम कल्याण की प्राप्ति हो आदि का अध्ययन ही अर्थशास्त्र है। इसलिए सामान्य अर्थो मे आर्थिक क्रियाओं का अध्ययन ही अर्थशास्त्र है। ये वे क्रियाएँ होती है जहाँ उत्पादन, उपभोग, विनिमय वितरण और राजस्व की क्रियाएँ सम्पादित होती है।

सर्वप्रथम अर्थशास्त्र की अवधारणा 14वीं-15वीं शताब्दी में वर्णिक वादियों ने दी थी। इसमें थामस मुन प्रमुख थे।

अर्थशास्त्र को 18वीं शताब्दी में एडम स्मिथ ने आर्थिक क्रियाओं के अध्ययन के रूप में प्रस्तुत किया।

एडम स्मिथ के अनुसार "अर्थशास्त्र धन का विज्ञान है"। यह विचार इन्होंने अपनी पुस्तक 'वेल्थ ऑफ नेशन' में 1776 में दिया।

रेगनर फिश ने 1933 में पहली बार आर्थिक सिद्धांतों की दो शाखाओं को दर्शाने के लिए व्यष्टि एवं समष्टि शब्दों का प्रयोग किया।

एडम स्मिथ को अर्थशात्र का जनक कहा जाता है। एडम स्मिथ ने 1776 में प्रकाशित अपनी पुस्तक में अर्थशास्त्र को धन का विज्ञान के रूप में परिभाषित किया।

1.1.0 अर्थशास्त्र का अर्थ

अर्थशास्त्र के अर्थ को लेकर अर्थशास्त्री एकमत नहीं हैं। विभिन्न अर्थशास्त्रियों ने अर्थशास्त्र को अलग-अलग रूप में परिभाषित किया है।

अर्थशास्त्र की परिभाषाओं का वर्गीकरण-

1.1.1. धन संबंधी परिभाषा (Health Oriented Definition)

प्रतिष्ठित या क्लासिक अर्थशास्त्री एडम स्मिथ ने अर्थशास्त्र को धन, इसके अर्जन, वितरण, एवं प्रयोग को अर्थशास्त्र की विषय सामग्री में सम्मिलित किया। इनके समर्थक वाकर, सीनियर, जे. बी. से, मिल आदि थे। एडम स्मिथ ने 1776 में अपनी पुस्तक 'AN enquiry into the nature and causes of wealth of nations' में अर्थशास्त्र को धन का विज्ञान के रूप में परिभाषित किया। एडम स्मिथ के अनुसार "अर्थशास्त्र धन का विज्ञान है। "जे. बी. से के अनुसार "अर्थशास्त्र वह विज्ञान है जो धन का विवेचन करता है।"

1.1.2 कल्याण संबंधी परिभाषा -

कल्याण संबंधी विचारधारा के प्रवर्तक अल्फ्रेड मार्शल (आधुनिक अर्थशास्त्र के प्रवर्तक) थे। इनके समर्थक कैनन आदि थे। मार्शल ने अर्थशास्त्र की परिभाषा में धन के स्थान पर मानवीय कल्याण एवं उसके कल्याण पर बल दिया। इनके अनुसार अर्थशास्त्र में उन क्रियाओं को सम्मिलित किया जाना चाहिए जिनका संबंध भौतिक कल्याण से होता है।

मार्शल के अनुसार, "अर्थशास्त्र मानव जीवन के साधारण व्यवसाय का अध्ययन है। यह व्यक्तिगत तथा सामाजिक क्रियाओं के उस भाग की जाँच करता है जिसका कल्याण के भौतिक साधनों की प्राप्ति और उनके उपयोग से घनिष्ठ सम्बन्ध है।"

1.1.3. दुर्लभता संबंधी विचारधारा/परिभाषा -

रॉबिन्स ने 1932 में अपनी पुस्तक 'An Essay on the Nature & Significance of Economic Science' में अर्थशास्त्र के लिए एक अलग दृष्टिकोण प्रस्तुत किया। उनके विचार में हम अर्थशास्त्र में मानव व्यवहार के चुनाव पहलू (Choice Aspect) का अध्ययन करते हैं। रॉबिंस ने अर्थशास्त्र की विषय सामग्री में मानव व्यवहार की उन क्रियाओं को सम्मिलित किया है, जिनमें सीमित साधनों तथा असीमित आवश्यकताओं को पूरा करने का प्रयास करता है। उनके अनुसार अर्थशास्त्र की वास्तविक समस्या चयन की समस्या है।

1.1.4. विकास संबंधी विचारधारा/परिभाषा -

आधुनिक अर्थशास्त्रियों ने विकास केंद्रित क्रियाओं को अर्थशास्त्र की विषय सामग्री में सम्मिलित किया जिसके प्रमुख सैम्युलसन हैं। सैम्युलसन के अनुसार अर्थशास्त्र की विषय सामग्री में सीमित साधनों के वितरण एवं आर्थिक विकास दोनों को सम्मिलित किया जाता है।

उपभोक्ता: उपभोक्ता एक वह व्यक्ति है जो अपनी आवश्यकताओं की सन्तुष्टि के लिए वस्तुओं तथा सेवाओं का उपभोग करता है।

उपभोग :- उपभोग एक क्रिया है जिसके द्वारा अपनी आवश्यकताओं की सन्तुष्टि के लिए वस्तुओं और सेवाओं के उपयोगिता मूल्य का प्रयोग होता है। वस्तु के उपयोगिता मूल्य का अर्थ है मानवीय आवश्यकताओं की सन्तुष्टि के लिए वस्तुओं और सेवाओं की अन्तर्निहित क्षमता या गुण। अर्थात उपभोग एक ऐसी क्रिया है जिसमें उपयोगिता को नष्ट किया जाता है।

उत्पादक :- उत्पादक वह व्यक्ति है जो आय अर्जित करने के लिए वस्तुओं एवं सेवाओं में उपयोगिता का सृजन या बिक्री करता है।

उत्पादन : उत्पादन वह प्रक्रिया है जिसमें कच्चे माल में उपयोगिता का सृजन कर उपयोगी वस्तुओं का निर्माण किया जाता है। जैसे लकड़ी से कारपेंटर के द्वारा कुर्सी, टेबल में आदि का निर्माण करना।

बचत :-आय का वह भाग जिसका उपयोग नहीं किया जाता, बचत हैं।

निवेश :-निवेश वह क्रिया है जिसका संबंध भविष्य में वस्तुओं तथा सेवाओं के उत्पादन के लिए पूंजीगत वस्तुओं में व्यय से है।

1.2.1 दुर्लभता या चयन की समस्या -

विश्व की प्रत्येक अर्थव्यवस्था को चाहे वह विकसित हो या विकासशील चयन की समस्या का सामना करना पड़ता है, क्योंकि मनुष्य की आवश्यकताएं अनंत है तथा साधन सीमित है। साधन ना केवल सीमित या दुर्लभहै, बल्कि उनके वैकल्पिक प्रयोग भी है। यही वस्तुओं एवं सेवाओं के उत्पादन में के चयन को आवश्यक बना देता है। उदाहरण, एक अर्थव्यवस्था में भूमि के एक टुकड़े पर गेहूं अथवा चावल दोनों का उत्पादन कर सकते हैं। परंतु, गेहूं का उत्पादन करने का निर्णय चयन का परिणाम है।

1.3.1 आर्थिक समस्या क्यों उत्पन्न होता है?

आर्थिक समस्या का तात्पर्य चयन की समस्या से है जो निम्न कारणों से उत्पन्न होती है -

1. साधन दुर्लभ है अथवा सीमित हैं। मनुष्य की आवश्यकताओं को संतुष्ट करने वाले साधन दुर्लभएवं सीमित हैं। अर्थात, मांग की तुलना में पूर्ति कम है (D>S)

2. मानवीय आवश्यकता अनंत है। अर्थात मनुष्य की एक इच्छा की पूर्ति होने पर दूसरी इच्छा का सृजन हो जाता है।

3. संसाधनों के वैकल्पिक उपयोग साधन ना केवल दुर्लभ है बल्कि इनका वैकल्पिक प्रयोग भी है। अर्थात एक अर्थव्यवस्था में भूमि के एक टुकड़े में गेहूं अथवा चावल दोनों का उत्पादन कर सकते हैं। चूंकि साधन दुर्लभ है और उनके वैकिल्पिक उपयोग है तो हम सीमित साधनों के श्रेष्ठ विकल्प का चयन कर गेहूं या चावल में कोई एक का उत्पादन कर सकते हैं।

आर्थिक क्रिया :- आर्थिक क्रियाएं वें है जो धन प्राप्त करने के उद्देश्य से किए जाते हैं। जैसे डॉक्टर, वकील, बैंकर, कर्मचारी, मजदूर, उद्यमी, आदि। चाहे वह आम वेतन रूप में हो या लाभ के रूप में।

1.3.2 आर्थिक क्रिया के प्रकार -

उपभोग- उपभोग एक क्रिया है जिसके द्वारा हम अपनी आवश्यकताओं की प्रत्येक संतुष्टि के लिए वस्तुओं एवं सेवाओं का उपयोग करते हैं और इसकी उपयोगिता मूल्य को उपभोक्ता द्वारा चुकाया जाता है। दूसरे शब्दों में, आवश्यकताओं की संतुष्टि के लिए वस्तुओं एवं सेवाओं की उपयोगिता को नष्ट (उपभोग) करना ही उपभोग है।

उत्पादन- उत्पादन वह आर्थिक क्रिया है जिसमें किसी वस्तुओं एवं सेवाओं में उपयोगिता का सृजन करने या मूल्य में वृद्धि करने से है। उदाहरण लकड़ी के एक साधारण से टुकड़े से कारपेंटर द्वारा कुर्सी मेज टेबल आदि बनाना, दर्जी द्वारा कपड़े के टुकड़े से शर्ट पैंट आदि बनाना।

विनिमय- विभिन्न साधनों के संयुक्त प्रयास से उत्पादन संभव हो पाता है। उत्पादन के साधनों को उनका पुरस्कार देना ही वितरण है। जैसे- भूमि को लगान, श्रम को मजदूरी, पूंजी को ब्याज, साहसी को लाभ, प्रबंधक को वेतन आदि।

1.4.1 व्यष्टि एवं समष्टि अर्थशास्त्र

सर्वप्रथम अर्थशास्त्र की अवधारणा 14वीं-15वीं शताब्दी में वणिकवादियों ने दी थी। इसमें थामस मुन प्रमुख थे। अर्थशास्त्र को 18वीं शताब्दी में एडम स्मिथ ने आर्थिक क्रियाओं के अध्ययन के रूप में प्रस्तुत किया। एडम स्मिथ के अनुसार अर्थशास्त्र धन का विज्ञान है। यह विचार इन्होंने अपनी पुस्तक 'वेल्थ ऑफ नेशन' में 1776 में दिया। रेगनर फिश ने 1933 में पहली बार आर्थिक सिद्धांतों की दो शाखाओं को दर्शाने के लिए व्यष्टि एवं समष्टि शब्दों का प्रयोग किया।

व्यष्टि (Maicro) अर्थशास्त्र माइक्रो शब्द ग्रीक भाषा के (MAKROS) मिक्रोस शब्द से बना है जिसका अर्थ छोटा होता है। व्यष्टि अर्थशास्त्र में अर्थव्यवस्था की छोटी छोटी इकाइयों या व्यक्तिगत व्यवहारों का अध्ययन किया जाता है। जैसे एक उपभोक्ता, एक उत्पादक, एक उद्योग, आदि। इसे कीमत सिद्धांत भी कहा जाता है।

समष्टि (Micro) शब्द की उत्पत्ति ग्रीक शब्द (MAKROS) मेक्रोस से हुई है, जिसका अर्थ है बड़ा या विशाल। बड़ा से तात्पर्य संपूर्ण अर्थव्यवस्था से है। समष्टि अर्थशास्त्र संपूर्ण अर्थव्यवस्था के स्तर पर आर्थिक क्रियाओं का अध्ययन करता है। उदाहरण के लिए समष्टि अर्थशास्त्र में राष्ट्रीय आय, राष्ट्रीय बचत, पूर्ण रोजगार, कुल उत्पादन, राष्ट्रीय निवेश, उपभोग, बचत, सामान्य कीमत स्तर आदि का अध्ययन किया जाता है।

1.6.1 सांख्यिकी अर्थ क्षेत्र एवं महत्व

सांख्यिकी के लिए प्रयुक्त अंग्रेजी शब्द 'स्टेटिसटिक्स' का उद्गम लैटिन के स्टेट्स इतालवी के स्टेटिसटा या फिर जर्मन के स्टेटिस्क शब्दों से व्युत्पन्न हुआ है। इन सभी शब्दों का अर्थ राजनीतिक राज्य से है। पुराने युग में भी सरकारी काम-काज के सुचारू रूप से संचालन के लिए सांख्यिकी आवश्यक मानी जाती थी। उस जमाने में इस विषय को राज्य विज्ञान या राजसी विज्ञान कहा जाता था, इसका प्रयोग मुख्यतः राजाओं द्वारा राजकार्य में होता था। आज हम सांख्यिकी को आंकड़े संग्रह करने, उनके विश्लेषण और व्याख्या करने तथा उनकी प्रस्तुति का अध्ययन करना मानते हैं। इस पाठ में आप सांख्यिकी का अर्थ।

विषय- क्षेत्र और अर्थशास्त्र में इसकी आवश्यकता के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे।

आधुनिक समय में सांख्यिकी शब्द का प्रयोग प्रसिद्ध जर्मन विज्ञानी गॉटफ्राईड आकेनवाल (Gottfried Achenwall) ने सन् 1749 में किया। इसीलिए उन्हें आधुनिक जगत में सांख्यिकी का पिता (Father of Statistics) स्वीकार किया जाता है। इसके अतिरिक्त गालटन, बॉउले, कार्ल पियर्सन, फिशर तथा ऐजवर्थ ने इस विषय के विकास के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

1.6.1 सांख्यिकी की परिभाषा

1. सांख्यिकी बहुवचन के रूप में

2. संख्यिकी एकवचन के रूप में

1. सांख्यिकी बहुवचन के रूप-

बहुवचन के रूप में सांख्यिकी शब्द का अर्थ किसी भी प्रकार के आंकड़ों से हैं, जो किसी भी क्षेत्र से संबंधित हो सकते हैं जैसे- कृषि (Agriculture) जनसंख्या (Population) आदि। परंतु कोई एक संख्यात्मक तथ्य जैसे राम को प्रतिमाह रू. 50 जेब खर्च मिलता है यह सांख्यिकी नहीं कहलाएगा इसके विपरीत यदि कहा जाए कि 11 वीं कक्षा के सभी छात्राओं की औसत लंबाई 5 फीट है या भारत की जनसंख्या घनत्व वर्ष 1951 में 117 थी जो बढ़कर 2011 में 383 हो गया। सांख्यिकी आंकड़े कहलाएंगे।

प्रो. ए. एल बाउले ने बताया कि "किसी भी अनुसंधान से जुड़े और अंकों में व्यक्त किए गए उन तथ्यों के विवरण को आंकड़े या डाटा कहते हैं, जिन्हें एक दूसरे के संबंध में रखा जाता है।"

प्रो बोलिस एवं रोबट्स के अनुसार समंक तथ्यों के परिणाम स्वरूप पहलुओं के संख्यात्मक विवरण हैं, जो मदो की गिनती या माप रूप से व्यक्त होते हैं।

सांख्यिकी से अभिप्राय आंकड़ों के औसतों या समूहों से है जिनका किसी अन्वेषण (जैसे भारत में जनसंख्या की वृद्धि) या किसी घटना (जैसे किसी वस्तु की मांग तथा कीमत में विपरीत सम्बन्ध) से सम्बन्ध होता है एक व्यक्ति के सम्बन्ध में किसी संख्यात्मक सूचना (जैसे आपके दो भाई या तीन बहनें है) को सांख्यिकी नहीं माना जाता।

1.6.2 सांख्यिकी बहुवचन के रूप में विशेषताएं :-

(क) सांख्यिकी आंकड़े तथ्यों के समुच्चय हैं : कोई एक संख्या सांख्यिकी नहीं होती है। वास्तव में ये कई संख्याओं का समूह है। उदाहरणतः राम ने 100 में से 60 अंक प्राप्त किए। यह सांख्यिकी नहीं होगी, किंतु छात्रों के एक समूह द्वारा प्राप्त अंकों की जानकारी सांख्यिकी कहलाएगी। उदाहरणतः यदि हम कहें कि मोहन, राम, मैरी और करीम ने क्रमषरू 35, 60, 75 और 58 अंक प्राप्त किए तो इन संख्याओं का समूह सांख्यिकी कहलाता है। हम इन आंकड़ों से तुलना, विश्लेषण आदि द्वारा कुछ निष्कर्षों पर पहुंच सकते हैं। उदाहरण के लिए -

उच्चतम प्राप्तांक 75 हैं।

न्यूनतम प्राप्तांक 35 हैं।

प्राप्तांकों का विस्तार 35 से 75 तक है।

औसत प्राप्तांक [35+60+75+58] 4 = 57 अंक

(ख) आंकड़े अनेक कारकों से प्रभावित होते हैं- सामान्यतया तथ्यों और आंकड़ों पर अनेक सहचारी कारकों का प्रभाव पड़ता है। उदाहरणतया चावल का उत्पादन वर्षा, उत्पादन विधि, बीज, खाद, मृदा की उर्वरा क्षमता आदि अनेक बातों पर निर्भर करता है। इन सब कारकों के प्रभावों का अलग-अलग अध्ययन कर पाना बहुत कठिन होता है।

(ग) सांख्यिकीय आंकड़े संख्याओं में अभिव्यक्त होते हैं- सभी आंकड़ों को संख्याओं के रूप में अभिव्यक्त किया जाता है। भारत की जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है या 'भारत की प्रतिव्यक्ति आय कम है' ये वाक्य गुणात्मक कथन मात्र हैं, यह तब तक सांख्यिकी नहीं होंगे, जब तक कि उनको संख्या में व्यक्त न किया जाए।

(घ) व्यवस्थित ढंग से संकलन- आंकड़ों को व्यवस्थित एवं नियोजित ढंग से संग्रहित किया जाना चाहिए। संग्रह प्रारंभ करने से पूर्व उनके संकलन की उपयुक्त योजना बनानी आवश्यक होती है। अव्यवस्थित ढंग से संकलित जानकारी पर आधारित निष्कर्ष भ्रामक भी हो सकते हैं।

(ड.) आंकड़ों की प्राप्ति में उचित स्तर की शुद्धता होनी चाहिए- आंकड़े संख्यात्मक कथन होते हैं- यदि इनकी संख्या कम हो तो इन्हें शुद्धता से प्राप्त किया जा सकता है। जब कभी किसी जांच के विशेष क्षेत्र में आंकड़ों का वास्तविक माप संभव न हो तो उस स्थिति में अनुमान की विधियां प्रयोग की जाती हैं। उदाहरण के लिए, हम कहें किसी पब्लिक स्कूल में 10वीं कक्षा में 30 छात्र हैं, तो गणना विधि पर आधारित ये जानकारी सौ प्रतिशत शुद्ध होगी, यहां हम गणना विधि का प्रयोग करते हैं। दूसरी ओर किसी मैदान में 20,000 दर्शक क्रिकेट मैच देख रहे हैं यह संख्या एक अनुमान पर ही आधारित होगी। इस अनुमान में भी अर्थ निकालने के लिए उचित स्तर की शुद्धता होनी चाहिए।

(च) आंकड़ों का संग्रह किसी पूर्व निर्धारित ध्येय के अनुसार होता है- आंकड़ों के संग्रह का ध्येय पहले से ही तय हो जाना चाहिए। ध्येय स्पष्ट रूप से परिभाषित होना चाहिए, अन्यथा संकलित जानकारी बेकार सिद्ध हो सकती है। उदाहरणतः यदि हमें राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी संस्थान के माध्यमिक स्तरीय विद्यार्थियों की किन्हीं विषयों में निष्पादन की तुलना करनी है तो समंक संकलन से पहले उन विषयों और वर्षों का निर्धारण करना होगा, जिनका तुलनात्मक अध्ययन करना है।

1.6.3 संख्यिकी एकवचन के रूप में

'स्टैटिस्टिक्स' शब्द का एकवचन (Singular Number) रूप से तात्पर्य सांख्यिकी विज्ञान या सांख्यिकी विधियों से होता है। सांख्यिकी विधि वह विधि है जो संख्यात्मक आँकड़ों के संकलन के वर्गीकरण, प्रस्तुतीकरण, विश्लेषण तथा निर्वचन का अध्ययन करती है।

किंग के अनुसार, 'सांख्यिकी गणना या अनुमानों के संकलन के विश्लेषण द्वारा प्राप्त निष्कर्षों से प्राकृतिक या सामाजिक घटनाओं के निर्णय करने की प्रणाली है।"

एकवचन के रूप में सांख्यिकी के अध्ययन के लिए सांख्यिकीय अध्ययन के विभिन्न चरणों का ज्ञान आवश्यक है। वे सोपान इस प्रकार हैं-

(i) आंकड़े एकत्रित करना- यह किसी भी सांख्यिकीय अध्ययन का पहला चरण है। आंकड़ों को हम दो मुख्य वर्गों में बांट सकते हैं प्राथमिक और द्वितीयक आंकड़े। प्राथमिक आंकड़े अध्ययनकर्ता प्रत्यक्षतः सीधे रूप में एकत्र करते हैं। ये पहले से प्रकाशित से नहीं होते हैं। द्वितीयक आंकड़े अनेक संस्थाओं आदि द्वारा किसी न किसी प्रसंगवश संकलित जानकारी में से प्राप्त किए जाते हैं। उदाहरणतः भारतीय रिजर्व बैंक बुलेटिन और राष्ट्रीय लेखा सांख्यिकी प्रकाशित आंकड़े, द्वितीयक आंकड़े हैं। अगले पाठ में आपको प्राथमिक और द्वितीयक आंकड़ों के विषय में और अधिक जानकारी दी जाएगी।

(ii) आंकड़ों का संगठन- एकत्रित समंकों को इस प्रकार व्यवस्थित करना जिससे कि विशाल समंकों से आवश्यकतानुसार तुलना और विश्लेषण में सहायता मिल सके, आंकड़ों का संगठन कहलाता है। इसकी एक महत्त्वपूर्ण विधि आंकड़ों का उनके गुणों पर आधारित वर्गों उपवर्गों में विभाजन है। इस प्रक्रिया को आंकड़ों का वर्गीकरण कहते है।

(iii) आंकड़ों की प्रस्तुतीकरण- प्रस्तुति से अभिप्राय आंकड़ों को इस प्रकार स्पष्ट और आकर्षक ढंग से पेश करने से है कि वे आकर्षक लगें, आसानी से समझे जाएं और उनके विश्लेषण में भी सुगमता रहे। वैसे तो इस प्रस्तुति की अनेक विधियां हैं, किंतु ये तीन बहुत प्रसिद्ध हैं- पाठगत् विवरणात्मक प्रस्तुति, तालिकाबद्ध प्रस्तुति और चित्रात्मक प्रस्तुति। अगले पाठ में इनके विषय में आपको विस्तार से बताया जाएगा।

(iv) आंकड़ों का विश्लेषण- संकलन, संगठन और प्रस्तुतीकरण के बाद आंकड़ों का विश्लेषण किया जाता है। इस तकनीक में आंकड़ों में निहित महत्त्वपूर्ण जानकारियां ज्ञात होती हैं। सांख्यिकीय विश्लेषण का एक प्रमुख ध्येय आंकड़ों के विशाल समुच्चय की सभी विशेषताओं को एक अकेले मान द्वारा स्पष्ट करना होता है, जो समस्त समंकों की विशेषताओं का प्रतिनिधित्व करता है। आर्थिक विश्लेषण कुछ सांख्यिकी उपकरणों एवं अन्य समस्याओं का केंद्रीय प्रवृत्ति के मापों जैसे माध्य, मध्यिका, बहुलक के बिना संभव नहीं है।

(v) आंकड़ों का निर्वचन- यह सांख्यिकीय अध्ययन का अंतिम चरण है। सांख्यिकीय तकनीकों के प्रयोग द्वारा विश्लेषण कर हमें जो जानकारी मिलती है, उसी की व्याख्या के आधार पर हम नीतियों का निर्माण करते हैं। यह व्याख्या बहुत ध्यानपूर्वक होनी चाहिए। गलत व्याख्या गलत नीतियों का आधार बन जाती है और उससे समाज का हित होने के स्थान पर अहित अधिक हो जाता है।

अवस्था

सांख्यिकीय अध्ययन

सांख्यिकीय उपकरण

प्रथम अवस्था

आंकड़ों का एकत्रीकरण

संगणना तथा निदर्षन

द्वितीय अवस्था

आंकड़ों का व्यवस्थिकरण

आंकड़ों का विन्यास तथा मिलान चिहन

तृतीय अवस्था

आंकड़ों का प्रस्तुतीकरण

तालिका, चित्र, ग्राफ

चतुर्थ अवस्था

आंकड़ों का विश्लेषण

औसत प्रतिशत सहसंबंध तथा प्रतिपगमन

पंचम अवस्था

आंकडों का निर्वचन

औसतों प्रतिशतों का विस्तार तथा विभिन्न आर्थिक चरों के संबंध की डिग्री

1.7.1 सांख्यिकी के कार्य

1. सांख्यिकी जटिल आंकड़ों को आसान करती है- सांख्यिकी की सहायता से बड़े बड़े आंकड़ों को इस प्रकार प्रस्तुत किया जाता है कि उन्हें समझने में आसानी हो जाती है। उदाहरणार्थ जटिल आंकड़े योग, औसत, प्रतिशत आदि के रूप में प्रस्तुत किए जा सकते हैं।

2. सांख्यिकी तथ्यों को स्पष्ट रूप में प्रस्तुत करती है- तथ्यों को गुणात्मक और परिमाणात्मक रूप में प्रस्तुत कर हमें तथ्यों की स्पष्ट जानकारी प्राप्त हो सकती है।

3. सांख्यिकी तुलना की एक विधि प्रस्तुत करती है- सांख्यिकीय उपकरणों जैसे औसत, प्रतिशत, सह-संबंध आदि का प्रयोग कर तथ्यों से तुलनात्मक निष्कर्ष निकाला जा सकता है।

4. सांख्यिकी विभिन्न तथ्यों के संबंध का अध्ययन करती है- सह-संबंध विश्लेषण से विभिन्न तथ्यों के कार्यात्मक संबंध की जानकारी प्राप्त की जा सकती है। जैसे मांग पूर्ति का संबंध, विज्ञापन और बिक्री का संबंध, शासन की दक्षता और शिक्षा की गुणवत्ता का संबंध आदि सहसंबंध विश्लेषण द्वारा प्राप्त किया जा सकता है।

5. सांख्यिकी नीति निर्धारण में सहायता करती है- सांख्यिकी के आधार पर अनेकों नीतियों का निर्धारण किया जाता है, जैसे आयात-निर्यात, मजदूरी -नीति आदि ।

6. भविष्यवाणी में सांख्यिकी सहायक होती है- बाजार स्थितियों के निर्धारण में सांख्यिकी वर्तमान और बीते समय के तथ्यों का विश्लेषण कर भविष्य में उनके व्यवहार के विषय में भविष्यवाणी की जा सकती है।

7. सांख्यिकी सिद्धांतों के प्रतिपादन और जांच में सहायक होती है- सांख्यिकीय आंकड़े और विधियां स्थापित सिद्धांतों की जांच कर सकते हैं। उदाहरणार्थ, क्या मांग में वृद्धि, कीमत को प्रभावित करती है, उपयुक्त समंकों के संकलन और उनकी तुलना से, जांचा जा सकता है।

1.8.1 अर्थव्यवस्था में सांख्यिकी का महत्त्व :-

अर्थशास्त्र में कई आर्थिक सिद्धांतों का विकास सांख्यिकीय विश्लेषण के कारण हुआ है। जैसे एंजिल का पारिवारिक खर्च का सिद्धांत, माल्थस का जनसंख्या सिद्धांत इत्यादि। आइए, अर्थशास्त्र के विभिन्न रूपों के परिप्रेक्ष्य में सांख्यिकी का महत्त्व समझें।

1. सांख्यकी और उपभोग का अध्ययन- प्रत्येक व्यक्ति को कुछ वस्तुओं की आवश्यकता होती है। सबसे पहले वह आवश्यक वस्तुओं पर खर्च करता है, उसके बाद आराम की वस्तुओं और तत्पश्चात् विलास की वस्तुओं पर खर्च करता है, जो उसकी आय पर निर्भर करता है। सांख्यिकी की सहायता से हम देखते हैं कि किस प्रकार अलग-अलग व्यक्ति समूह अलग-अलग उपभोग की वस्तुओं पर किस प्रकार खर्च करते हैं।

2. सांख्यकी और उत्पादन का अध्ययन- हर वर्ष के उत्पादन की वृद्धि का अनुमान सांख्यिकी की सहायता से मापा जा सकता है। उत्पादन के साधनों (भूमि, श्रम, पूंजी, साहस) का तुलनात्मक उत्पादकता का अध्ययन भी सांख्यिकी की सहायता से किया जाता है। मांग और पूर्ति के सामंजस्य में सांख्यिकी महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करती है।

3. सांख्यकी और विनिमय का अध्ययन- उत्पादन, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मांग पर निर्भर है। उत्पादक को उत्पादन व्यय और विक्रय कीमत के निर्धारण के लिए समंकों की आवश्यकता होती है। इससे वह बाजार में प्रतियोगिता और वस्तु की मांग का अध्ययन करता है। कीमत और लागत मूल्य का निर्धारण, जो विभिन्न बाजार दशाओं और मांग और आपूर्ति पर निर्भर करता है, का अध्ययन सांख्यिकी की सहायता से किया जाता है।

4. सांख्यकी और वितरण का अध्ययन- सांख्यिकी राष्ट्रीय आय की गणना और उसके वितरण में सांख्यिकीय विधियाँ सहायक होती है। आय के असमान वितरण से कई समस्याएं पैदा होती हैं। इनका निराकरण सांख्यिकीय विधियों से किया जाता है।

सांख्यिकी की सीमाएं

1. सांख्यिकी समस्याओं के गुणात्मक पहलू का अध्ययन नहीं करती- सांख्यिकी उन्हीं तथ्यों का अध्ययन करती है, जिनको संख्यात्मक रूप में मापा जा सकता है। गुणात्मक तथ्यों जैसे ईमानदारी, बुद्धिमत्ता, गरीबी आदि तथ्यों का तब तक अध्ययन नहीं किया जा सकता, जब तक उनका अंकों में प्रस्तुतीकरण न हो।

2. एक व्यक्गित इकाइयों का अध्ययन नहीं करती- यह सांख्यिकी तथ्यों के समुच्चय का अध्ययन करती है, लेकिन अवलोकनों के व्यक्तिगत मूल्य, जैसे एक परिवार की आय का अध्ययन का कोई विशिष्ट महत्व नहीं है।

3. सांख्यिकी नियम औसतन सही होते हैं- चूंकि निष्कर्ष निर्णय अनेक कारणों से प्रभावित होते हैं, इस कारण सांख्यिकीय नियम सार्वभौम मान्यता नहीं रखते।

4. सांख्यिकी का दुरुपयोग हो सकता है- सांख्यिकी से प्राप्त परिणामों का व्यक्तिगत हित के लिए दुरूपयोग किया जा सकता है।

5. सांख्यिकीय आंकड़ों में ज्यामितीय शुद्धता की कमी होती है- जहां सांख्यिकीय आंकड़े सामान्तया सन्निकटिकरण द्वारा प्राप्त किए जाते हैं, इस कारण जहां शत-प्रतिशत शुद्धता वांछनीय होती है, सांख्यिकीय अनुसंधान विफल रहते हैं।

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