Class 11 Economics अध्याय 1. स्वतंत्रता की पूर्व संध्या पर भारतीय अर्थव्यवस्था Question Bank-Cum-Answer Book

Class 11 Economics अध्याय 1. स्वतंत्रता की पूर्व संध्या पर भारतीय अर्थव्यवस्था Question Bank-Cum-Answer Book

Class 11 Economics अध्याय 1. स्वतंत्रता की पूर्व संध्या पर भारतीय अर्थव्यवस्था Question Bank-Cum-Answer Book

प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)

Class - 11

अर्थशास्त्र (Economics)

1. स्वतंत्रता की पूर्व संध्या पर भारतीय अर्थव्यवस्था

पाठ के मुख्य बिन्दु

* स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद आर्थिक विकास की उपलब्धियों को सही रूप में समझने के लिए स्वतंत्रता पूर्व अर्थव्यवस्था की सही जानकारी की आवश्यकता है।

* भारत में ब्रिटिश शासन की स्थापना से पूर्व हमारी अपनी स्वतंत्र अर्थव्यवस्था थी।

* औपनिवेशिक शासकों की आर्थिक नीतियाँ भारत और भारतीयों के आर्थिक विकास से प्रेरित नहीं थीं, बल्कि उनका ध्यान तो इंग्लैंड के आर्थिक हितों का संरक्षण और संवर्धन था।

* हालांकि भारत की जनसंख्या का एक बहुत बड़ा भाग कृषि से ही अपनी आजीविका पाता था, किन्तु कृषि क्षेत्रक गतिहीन ही रहा। औपनिवेशिक शासनकाल में कृषि हास के प्रमाण मिलते हैं।

* ब्रिटिश शासकों द्वारा अपनाई गई नीतियों के कारण भारत के विश्व प्रसिद्ध हस्तकला उद्योग का पतन होता रहा और उसके स्थान पर किसी आधुनिक औद्योगिक आधार की स्थापना नहीं हो पाई।

* पर्याप्त स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव, बार-बार होने वाली प्राकृतिक आपदाओं और अकाल ने जनसामान्य को बहुत ही निर्धन बना डाला। इनके कारण भारत को उच्च मृत्यु दर का सामना करना पड़ा।

* यद्यपि अपने औपनिवेशिक हितों से प्रेरित होकर विदेशी शासकों ने आधारिक संरचना सुविधाओं को बेहतर बनाने के प्रयास किए थे, किन्तु इन प्रयासों में उनका निहित स्वार्थ शामिल था।

* स्वतंत्रता के बाद देश में सामाजिक और आर्थिक चुनौतियाँ बहुत अधिक थीं, व्यापक गरीबी और बेरोजगारी को ध्यान में रखते हुए सार्वजनिक आर्थिक नीतियों को जनकल्याण-उन्मुखौ बनाने की आवश्यकता महसूस की गई।

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. स्वतंत्रता पूर्व भारत कितने वर्षों तक ब्रिटिश शासन के अधीन था?

a. 100 वर्षों तक

b. 150 वर्षों तक

c. 200 वर्षों तक

d. 250 वर्षों तक

2. स्वतंत्रता पूर्व संध्या भारतीय जनसामान्य की आजीविका और सरकार की आय का मुख्य स्रोत क्या था?

a. उद्योग

b. कृषि

c. सेवा

d. संचार

3. विश्व प्रसिद्ध मलमल का मूल निर्माण क्षेत्र रहा है-

a. दिल्ली के आस-पास

b. काठमांडू के आस-पास

c. ढाका के आस-पास

d. रंगून के आस-पास

4. स्वतंत्रता पूर्व ब्रिटिश शासकों द्वारा रची गई आर्थिक नीतियों का ध्येय था-

a. ब्रिटेन के आर्थिक हितों का संरक्षण और संवर्धन

b. भारत का विकास

c. भारत के आर्थिक हितों का संरक्षण और संवर्धन

d. (b) और (c) दोनों

5. ब्रिटिश शासन में भारतीय कृषि की निम्न उत्पादकता स्तर के लिए उत्तरदायी कारण थे-

a. सिंचाई सुविधाओं का अभाव

b. उर्वरकों का नगण्य प्रयोग

c. प्रौधौगिकी का निम्न स्तर

d. उपर्युक्त सभी

6. स्वतंत्रता पूर्व सूती कपड़ा मिलें प्रायः देश के…….. में अवस्थित थी।

a. पूर्वी क्षेत्रों

b. पश्चिमी क्षेत्रों

c. उत्तरी क्षेत्रों

d. दक्षिणी क्षेत्रों

7. निम्न में से किस उद्योग की स्थापना का श्रेय विदेशियों को दिया जा सकता है?

a. सूती वस्त्र उद्योग

b. मलमल वस्त्र उद्योग

c. पटसन उद्योग

d. लोहा और इस्पात उद्योग

8. टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी (TISCO) की स्थापना किस वर्ष हुई है?

a. 1903

b. 1906

c. 1907

d. 1908

9. टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी (TISCO) किस शहर में स्थापित है?

a. बोकारो

b. राँची

c. जमशेदपुर

d. मुरी

10. पूँजीगत उद्योग वे उद्योग होते हैं जो तात्कालिक उपभोग में काम आने वाली वस्तुओं के उत्पादन के लिए-

a. अनाजों का उत्पादन करते हैं

b. सेवाओं का उत्पादन करते हैं

c. मशीनों और कलपुर्जों का निर्माण करतें हैं

d. फलों का उत्पादन करते हैं

11. 'इंडिया डिवाइडेड' नामक पुस्तक किसने लिखी है?

a. दादा भाई नौरोजी

b. डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन

c. डॉ. राजेन्द्र प्रसाद

d. रमेश चंद्रदत्त

12. 'इकनॉमिक हिस्ट्री ऑफ इंडिया' नामक पुस्तक किसने लिखी है?

a. डॉ. राजेन्द्र प्रसाद

b. दादा भाई नौरोजी

c. आर. सी. देसाई

d. रमेश चंद्रदत्त

13. औपनिवेशिक शासनकाल में अपनाई गई नीतियों के कारण भारत के विदेशी व्यापार पर कैसा प्रभाव पड़ा?

a. नगण्य प्रभाव

b. अनुकूल प्रभाव

c. बहुत अनुकूल प्रभाव

d. प्रतिकूल प्रभाव

14. औपनिवेशिक शासनकाल की एक विशेषता निम्न में से कौन सी है?

a. कृषि का पर्याप्त विकास

b. लघु एवं कुटीर उद्योगों का पर्याप्त विकास

c. हस्तकला तथा शिल्पकला का पतन

d. जन-स्वास्थय सेवाओं का पर्याप्त विकास

15. स्वेज नहर के माध्यम से व्यापार का परिचालन किस वर्ष शुरू किया गया है?

a. 1769

b. 1869

c. 1879

d. 1969

16. औपनिवेशिक शासनकाल में भारत में पहली नियमित जनगणना किस वर्ष की गई?

a. 1781

b. 1881

c. 1869

d. 1951

17. स्वतंत्र भारत में पहली जनगणना किस वर्ष की गई?

a. 1881

b. 1948

c. 1951

d. 1961

18. भारत में जनगणना कितने वर्षों के अंतराल में की जाती है?

a. 5

b. 10

c. 15

d. 20

19. भारत में जनांकिकीय संक्रमण का प्रथम सोपान माना जाता है-

a. वर्ष 1921 के बाद का भारत

b. वर्ष 1921 के पूर्व का भारत

c. वर्ष 1951 के बाद का भारत

d. वर्ष 1991 के बाद का भारत

20. भारत में जनांकिकीय संक्रमण का द्वितीय सोपान माना जाता है-

a. वर्ष 1921 के पूर्व का भारत

b. वर्ष 1921 के बाद का भारत

c. वर्ष 1951 के बाद का भारत

d. वर्ष 1991 के बाद का भारत

21. वर्तमान में भारत में शिशु मृत्यु दर कितनी है?

a. 27 प्रति हजार

b. 30 प्रति हजार

c. 33 प्रति हजार

d. 36 प्रति हजार

22. वर्तमान में भारत में जीवन प्रत्याशा कितनी है?

a. 66 वर्ष

b. 69 वर्ष

c. 70 वर्ष

d. 72 वर्ष

23. भारत में रेलों का आरंभ किस वर्ष हुआ है?

a. 1825

b. 1850

c. 1925

d. 1950

24. प्रथम भारतीय अर्थशास्त्री जिन्हें अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है-

a. दादा भाई नौरोजी

b. पी.सी. महालनोबिस

c. अभिषेक बनर्जी

d. अमर्त्य सेन

25. 'गरीबी और अकाल' नामक पुस्तक किसने लिखी है?

a. जगदीश भगवती

b. वी के आर वी राव

c. अमर्त्य सेन

d. अभिषेक बनर्जी

26. भारत में उड्डयन क्षेत्र की नींव किस वर्ष रखी गई है?

a. 1832

b. 1850

c. 1932

d. 1950

27. ब्रिटिश शासनकाल में भारतीय कृषि की गतिहीनता के उत्तरदायी कारण रहे हैं-

a. दोषपूर्ण भू-व्यवस्था

b. दोषपूर्ण राजस्व-व्यवस्था

c. कृषक वर्ग की दुर्दशा

d. उपर्युक्त सभी

28. औपनिवेशिक शासनकाल में भारत से निम्न में से किस वस्तु का निर्यात नहीं होता था?

a. रेशम

b. कपास

c. नील

d. पूँजीगत वस्तु

29. ब्रिटिश शासनकाल में भारतीय कृषि के व्यावसायीकरण का लाभ अंततः किसे मिला?

a. भारतीय छोटे किसानों को

b. भारतीय काश्तकारों के एक बड़े वर्ग को

c. इंग्लैंड के किसानों को

d. इंग्लैंड के कारखाना-मालिकों को

30. औपनिवेशिक शासनकाल में अंग्रेजों द्वारा भारत में आधारिक संरचना के विकास का मूल ध्येय क्या रहा था?

a. जनसामान्य को अधिक सुविधाएं प्रदान करना

b. अंग्रेजी सेनाओं के आवागमन में सुविधा प्रदान करना

c. देश के भीतरी भागों से कच्चे माल को निकटतम रेलवे स्टेशन या पत्तनों तक पहुँचाना

d. (b) तथा (c) दोनों

अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

1. ब्रिटिश शासन की स्थापना के पूर्व भारत की अर्थव्यवस्था कैसी थी?

उत्तर- ब्रिटिश शासन की स्थापना के पूर्व भारत की अर्थव्यवस्था स्वतंत्र थी।

2. औपनिवेशिक शासनकाल में विश्व प्रसिद्ध कोई दो भारतीय हस्तकलाओं के नाम लिखें।

उत्तर- औपनिवेशिक शासनकाल में विश्व प्रसिद्ध कोई दो भारतीय हस्तकलाएं हैं- i) सूती वस्त्र और ii) रेशमी वस्त्र आधारित हस्तकला।

3. औपनिवेशिक शासनकाल में राष्ट्रीय तथा प्रति व्यक्ति आय के किन्हीं दो आँकलनकर्ताओं के नाम लिखें।

उत्तर- दादा भाई नौरोजी एवं आर. सी. देसाई।

4. कृषि का व्यावसायीकरण क्या है?

उत्तर- खाद्यान्न फसलों के स्थान पर नकदी फसलों की खेती करना, कृषि का व्यावसायीकरण है।

5. औपनिवेशिक शासनकाल में सूती कपड़ा मिलें भारत के किस क्षेत्र में अवस्थित थीं?

उत्तर- औपनिवेशिक शासनकाल में सूती कपड़ा मिलें भारत के पश्चिमी क्षेत्र में अवस्थित थीं। वर्तमान में इनका संबंध महाराष्ट्र और गुजरात राज्य से है।

6. भारत में 'जनांकिकीय संक्रमण का काल' किस वर्ष को माना जाता है?

उत्तर- भारत में 'जनांकिकीय संक्रमण का काल' वर्ष 1921 को माना जाता है।

7. भारत में उड्डयन क्षेत्र की नींव किस विमान कंपनी की स्थापना से रखी गई?

उत्तर- भारत में उड्डयन क्षेत्र की नींव, टाटा संस की एक विमान कंपनी टाटा एयरलाइंस की स्थापना से रखी गई।

8. भारत में कृषि की निम्न उत्पादकता के उत्तरदायी किन्हीं दो कारणों को लिखिए।

उत्तर- भारत में कृषि की निम्न उत्पादकता के उत्तरदायी दो कारण रहे हैं-

(i) सिंचाई सुविधाओं का आभाव तथा

(ii) उर्वरकों का नगण्य प्रयोग।

9. पूँजीगत उद्योग क्या हैं?

उत्तर- वे उद्योग जो तात्कालिक उपभोग में काम आने वाली वस्तुओं के उत्पादन के लिए मशीनों और कलपुर्जों का उत्पादन करते हैं, पूँजीगत उद्योग कहलाते हैं।

10. औपनिवेशिक शासनकाल में अंग्रेजों द्वारा विकसित आधारिक संरचनाओं को लिखें।

उत्तर- औपनिवेशिक शासनकाल में अंग्रेजों द्वारा विकसित आधारिक संरचनाएं हैं-

i) रेल का विकास

ii) डाक-तार का विकास तथा

iii) बंदरगाह का विकास।

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

1. ब्रिटिश शासनकाल में कृषि का व्यावसायीकरण क्यों किया गया था?

उत्तर- ब्रिटिश शासनकाल में कृषि का व्यावसायीकरण, भारतीय किसानों को खादयान्न फसलों के स्थान पर नकदी फसलों की खेती करवाने के उद्देश्य से किया गया। इसके पीछे मूल भावना, इंग्लैंड में लगे कारखानों के लिए सस्ते कच्चे माल की आपूर्ति को बनाए रखना तथा उन उद्योगों से निर्मित वस्तुओं की बिक्री के लिए पुनः भारत को एक विशाल बाजार के रूप प्रयोग करने से था। इस प्रकार, अंग्रेज ऐसे दोहरे उद्देश्यों के जरिए अपने उद्योगों के प्रसार से अपने देश ब्रिटेन के लिए अधिकतम लाभ सुनिश्चित करना चाहते थे।

2. स्वतंत्रता पूर्व भारत को उच्च मृत्यु दर का सामना क्यों करना पड़ा?

उत्तर- औपनिवेशिक शासनकाल में भारत में अत्यधिक गरीबी व्याप्त थी। जनसंख्या का एक बड़ा भाग मूल आवश्यकताओं, जैसे- घर आदि से वंचित था। सामाजिक विकास के विभिन्न सूचक भी बहुत उत्साहवर्धक नहीं थे, जैसे- महिला साक्षरता दर नगण्य (मात्र 7%) थी। जन-स्वास्थ्य सेवाएँ तो अधिकांश आबादी को सुलभ ही नहीं थीं। जहाँ ये सुविधाएँ उपलब्ध भी थीं, वहाँ नितांत ही अपर्याप्त थीं। परिणामस्वरूप, जल और वायु के सहारे फैलने वाले संक्रामक रोगों का प्रकोप था, जिससे अक्सर व्यापक जन-हानि होती थी। उस समय शिशु मृत्यु दर लगभग 220 प्रति हजार थी, जो कि काफी अधिक थी। इन कारणों से स्वतंत्रता पूर्व भारत को उच्च मृत्यु दर का सामना करना पड़ा।

3. औपनिवेशिक शासनकाल में कृषि की गतिहीनता के मुख्य तीन कारणों को लिखिए।

उत्तर- औपनिवेशिक शासनकाल में कृषि की गतिहीनता के मुख्य तीन कारण निम्नांकित प्रकार से हैं-

i) औपनिवेशिक शासक द्वारा लागू की गई भू- व्यवस्था प्रणाली- यह प्रणाली अधिक से अधिक लगान संग्रह करने तक सीमित थी। इस कारण किसानों को नितांत आर्थिक दुर्दशा और सामाजिक तनाव झेलने को बाध्य होना पड़ा।

ii) राजस्व-व्यवस्था की शर्ते राजस्व की निश्चित राशि सरकार के कोष में जमा कराने की तिथियाँ पूर्व निर्धारित और बाध्यकारी थीं। किसानों की दुर्दशा को और अधिक बढ़ाने में इसका भी बड़ा योगदान रहा है।

iii) कृषि का व्यावसायीकरण- छोटे किसानों तथा काश्तकारों के एक बड़े वर्ग के पास कृषि क्षेत्र में निवेश करने के लिए न ही पर्याप्त संसाधन थे, न तकनीक थी और न की कोई प्रेरणा थी। फलस्वरूप भारतीय किसानों को कृषि का व्यावसायीकरण से पर्याप्त लाभ नहीं मिल पाया।

4. औपनिवेशिक शासनकाल में अंग्रेजों की आर्थिक नीतियों का केन्द्र बिन्दु क्या था?

उत्तर- औपनिवेशिक शासनकाल में अंग्रेजों की आर्थिक नीतियों का केन्द्र बिन्दु- भारत का आर्थिक विकास करना नहीं बल्कि अपने मूल देश के आर्थिक हितों का संरक्षण तथा संवर्धन करना था। इसने भारत की अर्थव्यवस्था के मूल स्वरूप को ही बदल डाला। इन नीतियों ने भारत को इंग्लैंड के लिए कच्चे माल की पूर्ति करने तथा वहाँ से बने तैयार वस्तुओं का आयात करने वाला देश बना डाला।

इस प्रकार, औपनिवेशिक शासनकाल में आर्थिक नीतियों का केन्द्र बिन्दु इंग्लैंड में औद्योगिक क्रांति के फलस्वरूप तीव्र गति से विकसित हो रहे औदयोगिक आधार के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था को कच्चा माल प्रदायक तक ही सीमित रखना था।

5. औपनिवेशिक शासनकाल में आधारिक संरचना के विकास के उद्देश्य क्या थे?

उत्तर- औपनिवेशिक शासनकाल में अंग्रेजों दवारा आधारिक संरचना जैसे- सड़क, रेल, डाक-तार आदि के विकास किए गए। ये कार्य मुख्यतः परिवहन तथा संचार आदि के क्षेत्र में किए गए थे। जिसका उद्देश्य भारतीय जनसामान्य को अधिक सुविधाएं प्रदान करना नहीं था। ऐसे विकास के कार्य औपनिवेशिक हितों को साधने के लिए किए गए थे।

अंग्रेजों द्वारा परिवहन संबंधी आधारिक संरचना के मुख्य उद्देश्य- भारत के भीतर उनकी सेनाओं के आवागमन की सुविधा उपलब्ध कराना एवं देश के भीतरी भागों से कच्चे माल को निकटतम रेलवेस्टेशन या पत्तन तक पहुँचाने में सहायता करना था। इस प्रकार, भारत में उत्पादित कच्चे माल को इंग्लैंड के कारखानों तक आसानी से पहचाना और वहाँ से बने बनाए सामानों को लिए भारतीय बाजारों में लाकर बेचना था। जबकि संचार संबंधी आधारिक संरचना का मुख्य उद्देश्य भारत में कानून व्यवस्था को बनाए रखना था।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

1. स्वतंत्रता की पूर्व संध्या पर भारतीय अर्थव्यवस्था की दशा का वर्णन कीजिए।

उत्तर- स्वतंत्रता की पूर्व संध्या पर भारतीय अर्थव्यवस्था के समक्ष सामाजिक और आर्थिक चुनौतियाँ बहुत अधिक थी। दो सौ वर्षों तक ब्रिटिश शासन के अधीन रहने के कारण स्वतंत्रता के समय देश की दशा पिछड़ी तथा गतिहीन थी। इस दशा को निम्नांकित प्रमुख बिंदुओं के दद्वारा दर्शाया जा सकता है-

> कृषि की दशा- स्वतंत्रता की पूर्व संध्या पर भारतीय कृषि की दशा पिछड़ी हुई थी। देश की लगभग दो- तिहाई (67%) से अधिक जनसंख्या अपनी आजीविका के लिए प्रत्यक्ष रूप से कृषि पर निर्भर थी। एक बड़ी जनसंख्या का कृषि क्षेत्रक में संलग्न होने के बावजूद इसमें गतिहीन विकास की प्रक्रिया चलती रही। अनेक अवसरों पर इसमें अप्रत्याशित ह्रास देखने को मिला। यद्यपि कृषि अधीन क्षेत्र में प्रसार के कारण कुल कृषि उत्पादन में वृद्धि हुई, परंतु कृषि उत्पादकता में कमी आती रही। कृषि क्षेत्र की गतिहीनता का मुख्य कारण औपनिवेशिक शासन द्वारा लागू की गई भ्र भू- व्यवस्था प्रणाली, राजस्व व्यवस्था प्रणाली तथा कृषि का व्यवसायीकरण रहें हैं।

> उद्योग की दशा- स्वतंत्रता के समय कृषि की ही भाँति उद्योग की दशा पिछड़ी हुई थी। उस समय भारत एक सुदृढ़ औद्योगिक आधार का विकास नहीं कर पाया था। इसका प्रमुख कारण ब्रिटिश शासन द्वारा अपनाई गई वि-औद्योगिकरण की नीति थी। देश की विश्व प्रसिद्ध शिल्पकलाओं का पतन हो रहा था, किन्तु उसका स्थान ले सकने वाले किसी आधुनिक औद्योगिक आधार की रचना नहीं हुई। उस समय भावी औद्योगिकरण को प्रोत्साहित करने हेतु पूँजीगत उद्योगों का प्रायः देश में अभाव ही बना रहा।

> विदेशी व्यापार की दशा- ब्रिटिश शासन में विदेशी व्यापार की सबसे बड़ी विशेषता निर्यात अधिशेष का बड़ा आकार था। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था को इस कारण एक बड़ी लागत चुकानी पड़ी। ब्रिटिश शासन द्वारा अपनाई गई वस्तु उत्पादन, व्यापार और सीमा शुल्क की प्रतिबंधकारी नीतियों का भारत के विदेशी व्यापार की संरचना में बहुत ही प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। परिणामस्वरूप भारत कच्चे उत्पाद जैसे रेशम, कपास, ऊन, चीनी, नील तथा पटसन आदि का निर्यातक बनकर रह गया। साथ ही यह इंग्लैंड के कारखानों में निर्मित सूती, रेशमी, ऊनी वस्त्रों जैसी वस्तुओं और हल्की मशीनों का आयातक हो गया। भारत का आधे से अधिक विदेशी व्यापार अकेले इंग्लैंड तक ही सीमित रहा।

> आधारिक संरचना की दशा- स्वतंत्रता के समय देश में आधारिक संरचना की दशा असंतोषजनक थी। देश में सड़कों, रेलों, जहाजरानी, डाक-तार तथा बिजली आदि का विकास अपर्याप्त तथा नाममात्र था। उस समय सभी आधारिक संरचनाएँ जनोन्मुखी नहीं थी। तार व्यवस्था तो बहत ही महँगी थी और जन सामान्य को बहुत आसौनी से उपलब्ध नहीं थी। आधारिक संरचनाओं में उन्नयन और प्रसार की काफी संभावनाएँ थी।

2. स्वतंत्रता की पूर्व संध्या पर भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि की दशा का वर्णन कीजिए।

उत्तर- स्वतंत्रता की पूर्व संध्या पर भारतीय अर्थव्यवस्था मूलतः कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था ही बना रहा। स्वतंत्रता के समय देश की दो-तिहाई से अधिक जनसंख्या अपनी आजीविका के लिए प्रत्यक्ष रूप से कृषि पर निर्भर थी। भारतीय राष्ट्रीय आय में कृषि क्षेत्र का योगदान सर्वाधिक था। हालाँकि देश की व्यवसायिक निर्भरता में कृषि क्षेत्र सर्वप्रमुख था, परंतु उस समय देश में कृषि की दशा बहत ही पिछड़ी हुई थी। स्वतंत्रता के समय भारतीय कृषि की दशा को उसकी विशेषताओं के आधार पर निम्नांकित प्रकार से दर्शाया जा सकता है-

> आजीविका का मुख्य श्रोत स्वतंत्रता के समय कृषि आजीविका का का मुख्य श्रोत था। देश की बड़ी जनसंख्या कृषि कार्य में व्यवसायरत थी। उस समय देश की लगभग दो-तिहाई (67%) से अधिक जनसंख्या अपनी आजीविका के लिए प्रत्यक्ष रूप से कृषि पर निर्भर थी। इसके बावजूद कृषि क्षेत्रक में गतिहीन विकास की प्रक्रिया चलती रही।

> कृषि की निम्न उत्पादकता- स्वतंत्रता के समय भारतीय कृषि की निम्न उत्पादकता थी। सिंचाई सुविधाओं का अभाव, उर्वरकों का नगण्य प्रयोग तथा प्रौद्योगिकी का निम्न स्तर के कारण कृषि उत्पादकता का स्तर बहुत ही निम्न था।

> शोषणपूर्ण भू-स्वामित्व प्रणाली- स्वतंत्रता के समय भू-राजस्व संबंधी प्रणालियाँ जैसे- जमींदारी आदि प्रथा प्रचलित थीं। इन प्रथाओं के कारण जमींदारों आदि द्वारा किसानों का शोषण हुआ। किसानों को अपनी कृषि भूमि के स्वामित्व सै वंचित होना पड़ा।

> व्यवसायिक कृषि से अपेक्षित लाभ नहीं- किसानों के एक छोटे से वर्ग ने अपने फसल पैटर्न को परिवर्तित कर खाद्यान्न फसलों की जगह व्यवसायिक फसलें उपजाना शुरू किया था। भारतीय किसान बार-बार पड़ने वाले सूखे की समस्या से प्रभावित होते थे। सिंचाई व्यवस्था में कुछ सुधार के बावजूद भारत बाढ़ नियंत्रण एवं भूमि की उपजाऊ शक्ति के मामले में पिछड़ा हआ था। अतः भारतीय किसानों को कृषि का व्यवसायीकरण से अपेक्षित लाभ नहीं मिल पाया।

> कृषि-निवेश का अभाव - स्वतंत्रता के समय भारतीय किसानों के पास प्रायः पूँजी की कमी थी। काश्तकारों के एक बड़े वर्ग तथा छोटे किसानों के पास कृषि क्षेत्र में निवेश करने के लिए न ही पूँजी थी, न तकनीक थी और न ही कोई प्रेरणा थी। इससे भारतीय कृषि पिछड़ी ही बनी रही। 

JCERT/JAC प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)

विषय सूची

क्र०स०

अध्याय का नाम

अर्थशास्त्र में सांख्यिकी

1.

परिचय

2.

आँकड़ों का संग्रह

3.

आँकड़ों का संगठन

4.

आँकड़ों का प्रस्तुतीकरण

5.

केन्द्रीय प्रवृत्ति की माप

6.

सहसंबंध

7.

सूचकांक

8.

सांख्यिकीय विधियों के उपयोग

भारतीय अर्थव्यवस्था का विकास

1.

स्वतंत्रता के पूर्व संध्या पर भारतीय अर्थव्यवस्था

2.

भारतीय अर्थव्यवस्था (1950-90)

3.

उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण एक समीक्षा

4.

भारत में मानव पूँजी का निर्माण

5.

ग्रामीण विकास

6.

रोजगार संवृद्धि, अनौपचारीकरण एवं अन्य मुद्दे

7.

पर्यावरण और धारणीय विकास

8.

भारत और उसके पड़ोसी देशों के तुलनात्मक विकास अनुभव

Jac Board Class 11 Economics (Arts) 2023 Answer key

Jac Board Class 11 Economics (Sci._Comm.) 2023 Answer key

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