प्रश्न :- राष्ट्रीय आय
लेखांकन से क्या अभिप्राय है ? इसके क्या उपयोग है
उत्तर
:- राष्ट्रीय आय लेखांकन उस विषय सामग्री को कहते हैं जिसमें राष्ट्रीय
आय के अनुमान तथा सम्बन्धित समष्टि आर्थिक चरो का अध्ययन किया
जाता है।
फ्रेक जान के अनुसार
," राष्ट्रीय आय लेखांकन वह विधि है जिसकी सहायता से सामूहिक आर्थिक क्रियाओं
को समझा एवं मापा जाता है।"
उपयोग या महत्त्व
राष्ट्रीय
आय
लेखांकन के निम्नलिखित उपयोग हैं
1. राष्ट्रीय आय
का अनुमान :- इसके द्वारा अर्थव्यवस्था में उत्पादन का स्तर तथा लोगों
की आय का स्तर प्रकट होता है।
2. अर्थव्यवस्था
का ढांचा :- हमें इस बात की जानकारी प्राप्त होती है कि अर्थव्यवस्था
के विभिन्न क्षेत्र किस प्रकार परस्पर निर्भर हैं।
3. उत्पादक क्षेत्रों
का सापेक्षिक महत्व :- अर्थव्यवस्था के उत्पादन
क्षेत्र में प्राथमिक, द्वितीयक तथा तृतीयक क्षेत्र शामिल होते हैं। हमें इन क्षेत्रों
के सापेक्षिक महत्व का ज्ञान राष्ट्रीय आय
लेखांकन द्बारा होता है।
4. उत्पादन के साधनों
में आय का वितरण :- राष्ट्रीय आय
लेखांकन से हमें यह भी जानकारी मिलती है कि विभिन्न वर्गों
के बीच राष्ट्रीय आय का वितरण किस प्रकार होता है।
5. अन्तर्क्षेत्रीय तथा अंर्तराष्ट्रीय तुलना :- राष्ट्रीय आय के अनुमानों द्वारा देश के विभिन्न क्षेत्रों तथा संसार
के विभिन्न देशों की तुलना करना सरल हो जाता है।
6. सरकारी नीतियों
का मूल्यांकन :- इसकी सहायता से अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों
पर सरकारी नीतियों के प्रभाव का अध्ययन किया जा सकता है एवं नये नीतियों
का निर्माण किया जा सकता है।
कठिनाइयां
(1) दोहरी गणना की समस्या (2) मौद्रिक माप की कठिनाई (3) लोक सेवाओं के माप में कठिनाई (4) घिसावट के माप की कठिनाई
(5) लेखों की अपूर्णता
प्रश्न :- प्रवाह को परिभाषित कीजिए।
उत्तर
:- प्रोफेसर शपीरो के अनुसार - "प्रवाह वह मात्रा है जो
कि केवल समय के एक निर्दिष्ट काल में मापी जा सकती है।"
प्रवाह
चर का उदाहरण- नदी का जल , चलती गाड़ी की गति ,पानी की टंकी से रिसाव , गेहूं का विक्रय
आदि।
प्रश्न. पारिवारिक क्षेत्र से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर - यह
क्षेत्र उत्पादक क्षेत्र को उत्पादन के कारकों की सेवाएँ प्रदान करता है तथा
उत्पादक क्षेत्र द्वारा उत्पादित अंतिम वस्तुओं तथा सेवाओं का उपभोग करता है।
प्रश्न :- आय एवं उत्पाद के चक्रीय या वृत्ताकार प्रवाह का उल्लेख
करें ?
> राष्ट्रीय आय
व्यष्टि या समष्टि किस अर्थशास्त्र की विषय सामग्री है ? आय के चक्रीय प्रवाह का अर्थ बताइए
उत्तर :- सन् 1758 में क्वीने ने आय और उत्पादन की चक्रीय प्रवाह की रचना की थी। 19वी शताब्दी के मध्य में कार्ल मार्क्स ने आय और उत्पादन के चक्रीय प्रवाह के बारे में चर्चा की।
आय
और उत्पाद
के चक्रीय प्रवाह से अभिप्राय अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में मौद्रिक आय के
प्रवाह या वस्तुओं और सेवाओं के चक्रीय रूप में प्रवाह से है। राष्ट्रीय आय समष्टि अर्थशास्त्र
की विषय सामग्री है।
आय व उत्पादन प्रवाह के निम्नलिखित सिद्धांत है
-
1. विनिमय चाहे वस्तु के माध्यम से हो अथवा मुद्रा
के माध्यम से, प्रत्येक प्रक्रिया में उत्पादक (विक्रेता)
को उतनी ही राशि प्राप्त होती है जितनी उपभोक्ता (क्रेता) खर्च करते हैं।
2. वस्तुओं व सेवाओं का प्रवाह एक ही दिशा में होता
है परंतु उन्हें प्राप्त करने के लिए किए गए भुगतानो का प्रवाह
विपरीत दिशा में होता है।
प्रश्न :- दो - क्षेत्रकीय
अर्थव्यवस्था में चक्रीय प्रवाह समझाइए ?
उत्तर :- दो क्षेत्रकीय अर्थव्यवस्था में केवल दो क्षेत्र - फर्म व परिवार होते हैं। परिवार फर्मों को परिवार फर्मों को साधन सेवाएं प्रदान करते हैं, बदले में फार्म साधन सेवाओं का भुगतान परिवारों को करती है। इसी प्रकार फर्म परिवारों को वस्तुएं और सेवाएं प्रदान करती है तथा परिवार वस्तुओं और सेवाओं का भुगतान फर्म को करते हैं। परिवार उत्पादक क्षेत्र को भूमि, श्रम, पूंजी तथा उद्यम प्रदान करते हैं। फर्म परिवारों को मजदूरी, लगान, व्याज व लाभ के रूप में भुगतान करती है। इसे निम्न प्रकार दर्शा सकते हैं।
प्रश्न :- तीन क्षेत्रकीय
अर्थव्यवस्था में चक्रीय प्रवाह समझाइए ?
> राष्ट्रीय आय
की चक्रीय प्रवाह के तीन चरणों को समझाइए
?
उत्तर :- तीन क्षेत्रकीय में
- फर्म, परिवार और सरकारी क्षेत्र शामिल रहता है। सरकारी क्षेत्र निम्न कार्य करती
है जिससे आय का चक्रीय प्रवाह होता है -
1. सरकार परिवार क्षेत्र पर
कर लगाती है। इसके फलस्वरूप मुद्रा का प्रवाह परिवार क्षेत्र से सरकारी
क्षेत्र की ओर होता है।
2. सरकार
उत्पादक क्षेत्र पर कर लगाती है। इसके फलस्वरूप मुद्रा का प्रवाह उत्पादक क्षेत्र से
सरकारी क्षेत्र की ओर होता है।
3. सरकार
उत्पादकों को आर्थिक सहायता देती है। इसके फलस्वरूप मुद्रा का प्रवाह सरकारी क्षेत्र से उत्पादक क्षेत्र
की ओर होता है।
4. सरकार
घरेलू क्षेत्र को आर्थिक सहायता देती है (पेंशन)। इसके फलस्वरूप
मौद्रिक प्रवाह सरकारी
क्षेत्र से परिवार क्षेत्र की ओर होता है।
5. सरकार
बचत करती है जिसके
फलस्वरूप मुद्रा का प्रवाह सरकारी क्षेत्र से मुद्रा बाजार की ओर होता है।
6. सरकार
मुद्रा उधार लेती है जिसके फलस्वरूप मुद्रा का प्रवाह मुद्रा बाजार से सरकारी क्षेत्र
की ओर होता है।
7. सरकार वस्तुएं और सेवाएं
खरीदती है जिसके फलस्वरूप मुद्रा का प्रवाह सरकारी क्षेत्र
से उत्पादक क्षेत्र की ओर होता है
चित्र से,
प्रश्न :- चार
- क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था में आय के चक्रीय प्रवाह का सचित्र वर्णन
करें ?
उत्तर :- चार क्षेत्रकीय चक्रीय प्रवाह में विदेशी क्षेत्र का समावेश किया गया है। विदेशी क्षेत्र अर्थव्यवस्था में अन्य क्षेत्रो से निम्न प्रकार से सम्बन्धित है -
1. हमारा
उत्पादक क्षेत्र शेष विश्व को वस्तुओं और सेवाओं का निर्यात करता है। इसके फलस्वरूप
निर्यात प्राप्तियों के रुप में मौद्रिक प्रवाह विदेशी क्षेत्र से उत्पादक क्षेत्र
की ओर होता है।
2. हमारे उत्पादक विदेशी क्षेत्र
से वस्तुओं और सेवाओं का आयात करते हैं इसके फलस्वरूप आयात भुगतान के रूप में मौद्रिक
प्रवाह उत्पादकों से शेष विश्व की ओर होता है।
3. हमारे निवासी विदेशी क्षेत्र
से उपहार या हस्तांतरण भुगतान प्राप्त करते हैं इसी प्रकार वे विदेशी क्षेत्र के निवासियों
को उपहार या हस्तांतरण भुगतान प्रदान करते हैं।
4. हमारे निवासी विदेशी क्षेत्र
से जो साधन सेवाएं प्रदान करते हैं उसके बदले में ये साधन
भुगतान प्राप्त करते हैं। इसी प्रकार हम विदेशी क्षेत्र को
उसकी साधन सेवाओं के बदले में साधन भुगतान प्रदान करते हैं।
प्रश्न :- एक अर्थव्यवस्था
में आय के प्रवाह पर आयातो और निर्यातो का क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर
:- आज विश्व के प्रत्येक देश का दूसरे देश से आयात
(IMPORT ) तथा निर्यात (EXPORT) चलते रहता
है।
- यदि IMPORT <
EXPORT तो राष्ट्रीय आय में वृद्धि होती है
- यदि IMPORT >
EXPORT तो राष्ट्रीय आय में कमी होती है
- यदि IMPORT =
EXPORT तो आय का प्रवाह संतुलन में बना रहता है
इस
प्रकार,
आयात और निर्यात में अन्तर आने से राष्ट्रीय आय के प्रवाह में भी उतार- चढ़ाव आता है।
प्रश्न :- निम्न में दिये
ग्रे प्रकार की राष्ट्रीय आय लेखाविधि से कर्मों संबंधित नहीं
है ?
> राष्ट्रीय आय लेखा में शामिल नहीं किये जाने
वाले किन्हीं चार मदों को सूचीबद्ध कीजिए।
1. गृहिणी की सेवा
:-
इनको राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता ; क्योंकि उनकी इस सेवा का बाजार मूल्य
ज्ञात करना कठिन है और यह सेवाएं आय अर्जित करने के लिए नहीं की जाती।
2. अवैध आय :- अवैध
आय को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता ; क्योंकि इसका हमारे पास उचित आंकड़े नहीं होते ; यह एक अलेखीय आय हैं।
3. बेरोजगारी भत्ता
:- यह भत्ता उन लोगों को दिया जाता है जो बेरोजगार होते हैं ; इसे राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता क्योंकि यह हस्तांतरण भुगतान है।
4. स्वाभाविक दान
:-
इसे राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता क्योंकि यह हस्तांतरण
भुगतान है।
5. अप्रत्यक्ष कर
:- अप्रत्यक्ष
कर केवल किसी वस्तु की बाजार कीमत को बढ़ा देते हैं। इसे राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं
किया जाता।
6. निवृत्ति वेतन
:-
यह कर्मचारियों के पारिश्रमिक का भाग है, इसलिए राष्ट्रीय
आय में शामिल होता है।
प्रश्न :- आय के
चक्रीय प्रवाह में 'क्षरण' और
'भरण' की अवधारणाओं की व्याख्या करें ?
उत्तर
:- क्षरण या वापसी वे प्रवाह चर है
जिनका उत्पादन की प्रक्रिया (आय सृजन प्रक्रिया ) या ऋणात्मक प्रभाव पड़ता है। इसमें बचत,
आयात, सरकार द्वारा लगाए गए कर हैं। यह सभी चर अर्थव्यवस्था
में आए प्रवाह को कम करते हैं।
भरण या समावेश वे प्रवाह चर है जो अर्थव्यवस्था में उत्पादन की प्रक्रिया में वृद्धि करते हैं। इसमें निवेश, निर्यात, सरकारी एवं परिवार क्षेत्र द्वारा किया गया उपभोग व्यय है। इसके फलस्वरूप विकास प्रक्रिया में वृद्धि होती है।
प्रश्न :- हस्तांतरण भुगतान
करता है ?
उत्तर :- सरकार द्वारा किए जाने वाले हस्तांतरण भुगतान जैसे बेरोजगारी भत्ता, वृद्धावस्था पेंशन, छात्रवृत्तियां आदि, पिता द्वारा पुत्र को दिया गया जेब खर्च, जन्म दिन पर मित्रवर द्वारा दिया गया उपहार आदि एकपक्षीय हस्तांतरण भुगतान है। इन्हें सकल राष्ट्रीय उत्पाद में सम्मिलित नहीं किया जाता। इनके प्राप्तकर्ताओ द्वारा बदले में कोई उत्पादक सेवा प्रदान नहीं की जाती। यह केवल मुद्रा का हस्तांतरण है।