प्रश्न :- राष्ट्रीय आय
से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर
:- राष्ट्रीय आय का अर्थ है एक देश के सभी
निवासियों द्वारा एक वर्ष की अवधि में अर्जित कुल साधन
( कारक ) आय का जोड़।
NY=n∑i=1FYi
यहां NY = राष्ट्रीय आय
, ∑
= कुल जोड़ , FY = कारक आय ( मजदूरी ,लगान , व्याज
, लाभ ) , n = एक देश के सभी सामान्य निवासी।
प्रश्न :- प्राथमिक एवं द्वितीयक केन्द्र (क्षेत्र)
के बीच अन्तर स्पष्ट करें ?
उत्तर :- प्राथमिक क्षेत्र :- इस क्षेत्र में मोटे तौर पर उन गतिविधियों को शामिल किया जाता है जो प्राकृतिक
संसाधनों को विदोहन करती है जैसे - (1) कृषि एवं संबंधित क्रिया
- कलाप (2) वन एवं लट्टे बनाना
(3) मछली पालन (4) खनन एवं उत्खनन
द्वितीयक क्षेत्र :- इस क्षेत्र में उन गतिविधियों को शामिल
किया जाता है जो प्राथमिक क्षेत्र से प्राप्त कच्चे माल की सहायता से दूसरी वस्तुएं
तैयार करते हैं, जैसे (1) विनिर्माण (2) जल विद्युत एवं गैस आपूर्ति (3) निर्माण
प्रश्न :- मध्यवर्ती वस्तु क्या है ?
उत्तर : अन्तिम वस्तुओं तथा सेवाओं के उत्पादन में उत्पादक द्वारा प्रयोग किये जाने वाला कच्चा माल, बिजली, ईंधन आदि को मध्यवर्ती वस्तुएं कहते हैं । उदाहरण के लिये बेकरी में डबल रोटी के उत्पादन में प्रयोग किया जाने वाला गेहूँ का आटा मध्यवर्ती वस्तु है।
प्रश्न :- अन्तर स्पष्ट करे
(अ) घरेलू उत्पाद तथा राष्ट्रीय उत्पाद (ब) मध्यवर्त्ती
वस्तुएं तथा अन्तिम वस्तुएं (स) साधन
आय तथा स्थानान्तरण आय
उत्तर
:-
(अ)
घरेलू उत्पाद तथा राष्ट्रीय उत्पाद
सकल
घरेलू उत्पाद (GDP) देश के घरेलू क्षेत्र के उत्पादित सभी अंतिम वस्तुओं तथा सेवाओं
के मौद्रिक मूल्य को बताता है। जबकि सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNP) देश के सामान्य निवासियों
द्वारा उत्पादित अंतिम वस्तुओं तथा सेवाओं का बाजार मूल्य होता है।
GDP
एक क्षेत्रीय घरेलू धारणा है जो देश के घरेलू क्षेत्र तक सीमित होती है जबकि GNP एक
राष्ट्रीय धारणा है जिसका संबंध देश के सामान्य निवासियों
के साथ होता है।
GDP
= GNP - शुद्ध विदेशी साधन आय
GNP = GDP + शुद्ध विदेशी साधन
आय
GDP
एक संकुचित धारणा है जो केवल घरेलू क्षेत्र तक सीमित होती है जबकि GNP एक व्यापक धारणा
है जिसमें शुद्ध विदेशी साधन आय शामिल होती है।
(ब) मध्यवर्त्ती वस्तुएं तथा अन्तिम वस्तुएं
अन्तिम वस्तुएं |
मध्यवर्त्ती वस्तुएं |
अन्तिम
वस्तुएं वे वस्तुएं हैं जिन्होंने उत्पादन की सीमा रेखा को पार कर लिया है। |
मध्यवर्त्ती वस्तुएं वे वस्तुएं हैं जो अभी उत्पादन की सीमा रेखा में ही है। |
इनमें
कोई मूल्य जोड़ना शेष नहीं है। |
मध्यवर्त्ती वस्तुओ में मूल्य जोड़ना शेष रहता है। |
अंतिम
उपभोग करने वालों (जिनमें उपभोक्ता तथा उत्पादक सम्मिलित होते हैं) के लिए तैयार होती है। |
अंतिम
उपभोग करने के लिए तैयार नहीं रहती। |
राष्ट्रीय आय का अनुमान लगाने के लिए अंतिम वस्तुओं को सम्मिलित किया जाता है। |
राष्ट्रीय आय का अनुमान लगाने के लिए सम्मिलित नहीं किया जाता है। |
(स) साधन आय तथा स्थानान्तरण
आय
साधन
आय (कारक आय ) से अभिप्राय उत्पादन के कारको की आय से है
; जैसे मजदूरी,लगान,व्याज तथा लाभ जो क्रमशः श्रम,भूमि, पूंजी तथा उद्यमकर्त्ता को प्राप्त होता है।
स्थानान्तरण
आय (हस्तांतरण आय ) से अभिप्राय उस आय से है जो सेवाओं के पुरस्कार
के फलस्वरूप प्राप्त नहीं होती या जिसके बदले में कोई वस्तु या सेवा प्रदान नहीं
की जाती। यह एक प्रकार से नकद उपहार, छात्रों को छात्रवृत्ति, वरिष्ठ नागरिकों को वृद्धावस्था पेंशन आदि है।
प्रश्न :- साधन लागत पर
जीडीपी (GDPFC) की गणना की उत्पाद विधि का वर्णन कीजिए।
उत्तर - साधन लागत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPFC) घरेलू सीमा में एक
लेखा वर्ष में सामान्य निवासियों द्वारा मजदूरी, लागत, ब्याज तथा लाभ के रूप में
अर्जित आय तथा पूँजी उपभोग मूल्य का जोड़ है।
साधन लागत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPFC) में घिसावट व्यय (मूल्य
हास) भी सम्मिलित होता है, जबकि साधन लागत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद (NDPFC)
में घिसावट व्यय शामिल नहीं होता।
GDPFC = NDPFC + घिसावट व्यय
या
NDPFC = GDPFC
- घिसावट व्यय
प्रश्न :- राष्ट्रीय आय से आप क्या समझते हैं ? राष्ट्रीय आय की गणना की व्यय विधि का वर्णन कीजिए।
उत्तर- राष्ट्रीय आय का अर्थ है एक देश के सभी निवासियों द्वारा एक वर्ष की अवधि में अर्जित कुल साधन (कारक) आय का जोड़।
NY=n∑i=1FYi
यहां NY = राष्ट्रीय आय , ∑ = कुल जोड़ , FY = कारक आय ( मजदूरी ,लगान , व्याज , लाभ ) , n = एक देश के सभी सामान्य निवासी।
व्यय विधि वह विधि है जिसके द्वारा एक लेखा वर्ष में बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद पर किए गए अन्तिम व्यय को मापा जाता है। यह अन्तिम व्यय बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद के बराबर होता है।
एक लेखा वर्ष में अन्तिम वस्तुओं तथा सेवाओं पर होने वाला व्यय अन्तिम व्यय कहलाता है।
राष्ट्रीय आय की गणना की व्यय विधि में सम्मिलित कदम हैं-
कदम 1. अन्तिम व्यय करने वाली आर्थिक इकाइयों की पहचान- सर्वप्रथम एक देश की घरेलू सीमा में ऐसी आर्थिक इकाइयों की पहचान की जाती है जो अन्तिम व्यय करती हैं। अन्तिम व्यय अन्तिम उपभोग तथा अन्तिम निवेश पर किया जाता है। अन्तिम व्यय करने वाली चार प्रमुख आर्थिक इकाइयाँ हैं-
(क) परिवार क्षेत्र (ख) उत्पाद क्षेत्र (ग) सरकारी क्षेत्र (घ) शेष विश्व क्षेत्र I
कदम 2. अन्तिम व्यय का वर्गीकरण - दूसरे कदम के रूप में अन्तिम व्यय को निम्नलिखित वर्गों में विभाजित किया जाता है-
(i) निजी अन्तिम उपभोग व्यय (Private Final Consumption Expenditure),
(ii) सरकारी अन्तिम उपभोग व्यय (Government Final Consu- mption Expenditure),
(iii) सकल स्थायी पूँजी-निर्माण (Gross Fixed Capital Formation),
(iv) स्टॉक में परिवर्तन (Change in Stock),
(v) शुद्ध निर्यात (Net Export) |
कदम 3. अन्तिम व्यय की गणना- सकल घरेलू उत्पाद पर अन्तिम व्यय के वर्गीकरण के बाद इसके विभिन्न संघटकों (Components) की गणना की जाती है। इसके लिए अग्र दो प्रकार के आँकड़ों की आवश्यकता पड़ती है-
(i) सकल बिक्री की मात्रा (Quantity of Gross Sale),
(ii) फुटकर कीमतें (Retail Prices) ।
विक्रय की जाने वाली वस्तुओं की मात्रा को उनकी सम्बन्धित फुटकर कीमतों से गुणा करके और फिर उनका योग करके बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद का मूल्य (GDPMP) प्राप्त हो जाता है।
कदम 4. विदेशों से शुद्ध साधन आय का आकलन- GNPMP का मूल्य ज्ञात करने के लिए विदेशों से शुद्ध साधन आय (NFIA) का आकलन किया जाता है। इसे GNPMP में जोड़कर GNP का मूल्य प्राप्त हो जाता है।
कदम 5. राष्ट्रीय आय का अनुमान- राष्ट्रीय आय निकालने के लिए GNPMP में से घिसावट व्यय और शुद्ध अप्रत्यक्ष कर घटा दिए जाते हैं।
सूत्र से
(1) GDPMP = निजी अंतिम उपभोग व्यय सरकारी अंतिम उपभोग व्यय + सकल स्थायी पूँजी निर्माण स्टॉक में परिवर्तन + शुद्ध निर्यात
(ii) GNPMP = GDPMP + NFIA
(iii) NNPFC = GNPMP - घिसावट - शुद्ध अप्रत्यक्ष कर = राष्ट्रीय आय
व्यय विधि द्वारा राष्ट्रीय आय की गणना करते समय निम्नलिखित सावधानियाँ आवश्यक हैं-
(1) कुल व्यय का माप करते समय, दोहरी गणना से बचने के लिए, केवल अन्तिम व्यय को ही उसमें शामिल किया जाना चाहिए, मध्यवर्ती व्यय को नहीं। अन्तिम व्यय वह व्यय है जो अन्तिम वस्तुओं तथा सेवाओं पर खर्च किया जाता है। मध्यवर्ती वस्तुओं तथा सेवाओं पर किया गया व्यय पहले से ही अन्तिम वस्तुओं पर किये गये व्यय में शामिल कर लिया जाता है।
(2) पुरानी वस्तुओं पर किया जाने वाला व्यय कुल व्यय में शामिल नहीं किया जाता क्योंकि पुरानी वस्तुओं का मूल्य पहले ही उस वर्ष की राष्ट्रीय आय में शामिल कर लिया जाता है जिस वर्ष उनका उत्पादन होता है। अतः चालू वर्ष के कुल व्यय में पुरानी वस्तुओं पर किया गया व्यय शामिल नहीं किया जाता।
(3) शेयरों तथा बॉण्डों पर किया गया व्यय भी कुल व्यय में शामिल नहीं किया जाता क्योंकि ये केवल कागजी दावे हैं और इनका अन्तिम वस्तुओं तथा सेवाओं के प्रवाह से सम्बन्ध नहीं होता। ऐसे व्यय कोई मूल्य वृद्धि नहीं करते।
(4) सरकार द्वारा हस्तांतरण भुगतान, जैसे- वृद्धावस्था पेंशन, छात्रवृत्ति आदि पर किया गया व्यय भी इसमें शामिल नहीं किया जाता क्योंकि इनके बदले में कोई वस्तु या सेवा प्राप्त नहीं होती।
प्रश्न :- प्रत्योज्य आय से आप करता समझते हैं
?
> सकल राष्ट्रीय प्रयोज्य आय से आप क्या समझते हैं
उत्तर
:- राष्ट्रीय प्रयोज्य आय व आय हैं जो किसी देश के निवासियों
को सभी स्रोतों (अर्जित आय एवं विदेशों से प्राप्त होने वाले चालू हस्तांतरण भुगतानो) से उपभोग या बचत के लिए एक वर्ष में प्राप्त होती है।
अत:
राष्ट्रीय प्रत्योज्य आय वह आय है जो किसी देश के निवासियों को
सभी स्रोतों ( अर्जित आय एवं विदेशों से प्राप्त होने वाले चालू हस्तांतरण भुगतानो
) से उपभोग या बचत के लिए एक वर्ष
में प्राप्त होती हैं।
अतः
राष्ट्रीय प्रत्योज्य आय = शुद्ध घरेलू आय + शुद्ध अप्रत्यक्ष कर + विदेशों से शुद्ध साधन आय + शेष विश्व से शुद्ध चालू हस्तांतरण
सकल
राष्ट्रीय प्रयोज्य आय :- यह शुद्ध
राष्ट्रीय प्रत्योज्य आय तथा चालू पुनर्स्थापन लागत (अर्थात समस्त अर्थव्यवस्था के संयंत्र पर घिसावट)
का जोड़ होता है।
प्रश्न :- राष्ट्रीय आय से आप क्या समझते हैं ? राष्ट्रीय आय को सकल घरेलू उत्पाद से कैसे ज्ञात किया जाता है ?
उत्तर- राष्ट्रीय आय का अर्थ है एक देश के सभी निवासियों द्वारा एक वर्ष की अवधि में अर्जित कुल साधन (कारक) आय का जोड़।
NY=n∑i=1FYi
यहां NY = राष्ट्रीय आय , ∑ = कुल जोड़ , FY = कारक आय ( मजदूरी ,लगान , व्याज , लाभ ) , n = एक देश के सभी सामान्य निवासी।
राष्ट्रीय आय को सकल घरेलू उत्पाद से ज्ञात करने के लिए आमतौर पर ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट (GDP) का उपयोग किया जाता है। GDP एक देश की वास्तविक आर्थिक गतिविधियों का मूल्यांकन करता है, जो संग्रहित वस्त्र, खाद्य, और सेवाओं के उत्पादन और वितरण में होती है। इसके माध्यम से, सकल घरेलू उत्पाद का मूल्य प्राप्त किया जा सकता है, जिससे राष्ट्रीय आय का आकलन किया जा सकता है।
GDP को तीन मुख्य तत्वों से प्राप्त किया जाता है:
उत्पाद सेवाएं : इसमें उत्पादन का मूल्य और सेवाओं का मूल्य शामिल होता है।
व्यय : उत्पादन के लिए विभिन्न सामग्रियों की खरीदारी और खर्च शामिल होता है।
निवेश : इसमें स्थायी और अस्थायी संपत्ति के निवेश, जैसे कि निर्माण या उत्पादक उपकरणों की खरीदारी, शामिल होती है।
ये तीनों तत्व मिलाकर ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट को निर्धारित करते हैं, जो देश की सकल घरेलू उत्पाद का मूल्य होता है। इससे राष्ट्रीय आय का आकलन किया जा सकता है।
प्रश्न :- जीडीपी
क्या है ? तीन विधियों से जीडीपी की गणना के लिए तीन
निष्पत्तियों को लिखिए।
उत्तर : किसी भी देश में एक निश्चित अवधि के दौरान उत्पादित हुई सभी
अंतिम वस्तुओं और सेवाओं का कुल मौद्रिक मूल्य होता है।
जीडीपी की गणना की तीन
निष्पत्तियां
इस प्रकार हैं:
1.
उत्पाद विधि या मूल्य
वर्धित विधि : यह वह विधि है जो अर्थव्यवस्था में प्रत्येक उत्पादक उद्यम द्वारा जोड़े गए
मूल्य के संदर्भ में राष्ट्रीय आय को मापती है। इसकी गणना की जाती है
GDPmp
= बाजार मूल्य पर प्राथमिक क्षेत्र
में सकल मूल्य वृद्धि + बाजार मूल्य पर द्वितीयक क्षेत्र में सकल मूल्य वृद्धि + बाजार मूल्य पर तृतीयक
क्षेत्र में सकल मूल्य वृद्धि
बाजार मूल्य पर शुद्ध घरेलू उत्पाद = GDPmp -
मूल्यह्रास
कारक लागत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद = GDPmp - शुद्ध अप्रत्यक्ष कर
राष्ट्रीय आय = GDPmp + NFIA
2.
आय पद्धति
: इस पद्धति के तहत,
राष्ट्रीय आय को उत्पादन के कारकों के मालिकों को भुगतान के संदर्भ में मापा जाता
है।
शुद्ध घरेलू आय = कर्मचारियों का मुआवजा + परिचालन अधिशेष + स्वरोजगार की मिश्रित आय
राष्ट्रीय आय = शुद्ध घरेलू आय + विदेशों से निवल कारक आय (NFIA)
3.
व्यय विधि
: इस पद्धति के तहत,
अर्थव्यवस्था में उत्पादित अंतिम वस्तुओं और सेवाओं की खरीद पर व्यय के संदर्भ में
राष्ट्रीय आय को मापा जाता है।
GDPmp
= निजी अंतिम उपभोग व्यय + सरकारी
अंतिम उपभोग व्यय + सकल घरेलू स्थायी पूंजी निर्माण
+ स्टॉक में परिवर्तन + शुद्ध
निर्यात
शुद्ध घरेलू उत्पाद = GDPmp - मूल्यह्रास
NDPmp
= NDPmp - शुद्ध अप्रत्यक्ष
कर
राष्ट्रीय आय = NDPmp + NFIA
प्रश्न :- राष्ट्रीय आय मापने की विधियां को समझाएं ? राष्ट्रीय आय को मापने
में कौन-कौन सी कठिनाइयां उत्पन्न होती है ?
उत्तर
:- राष्ट्रीय आय मापने की निम्नलिखित विधियां है
1. आय विधि :- इस विधि को वर्गीकृत कार्यों के अनुसार विधि
या साधन भुगतान विधि भी कहा जाता है। इस
पद्धति के अनुसार देश के संपूर्ण व्यक्तियों एवं संस्थाओं की
आय की गणना की जाती है तथा उनके कुल
योग को राष्ट्रीय आय कहते हैं।
आय विधि से राष्ट्रीय आय की गणना में निम्नलिखित चरणों का प्रयोग
किया जाता है। सभी वस्तुओं एवं सेवाओं की उत्पादन प्रक्रिया
में सृजित आय के योग को राष्ट्रीय आय कहते
हैं।
आय विधि में राष्ट्रीय आय की गणना करने के निम्नलिखित प्रमुख चरण है।
(क)
विभिन्न साधनों को प्राप्त होने वाली आय को विभिन्न वर्गों में बांटना :- संसाधन आय
के घटक निम्नलिखित है
(a)
कर्मचारियों का पारिश्रमिक (b) लगान
(c) व्याज (d) लाभ (e) मिश्रित आय
(ख)
घरेलू साधन आय की गणना :- घरेलू साधन
आय की गणना करने के लिए कर्मचारियों के पारिश्रमिक, लगान,
व्याज एवं लाभ का योग करते हैं।
अतः
घरेलू साधन आय = कर्मचारियों का पारिश्रमिक
+ लगान + व्याज + लाभ + मिश्रित आय
मिश्रित आय का अर्थ अनगिनत उद्यमो की आय जिसमें
कर्मचारियों के पारिश्रमिक, लगान , व्याज , लाभ को बांटना कठिन होता है।
(ग) राष्ट्रीय आय की गणना :- घरेलू साधन आय में विदेशों से अर्जित शुद्ध साधन आय को जोड़कर राष्ट्रीय आय की
गणना की जाती है।
अतः राष्ट्रीय आय = घरेलू
साधन आय + विदेशों से अर्जित शुद्ध
साधन आय
2. उत्पादन अथवा मूल्य वृद्धि विधि :- इसे
औद्योगिक
उद्गम विधि या शुद्ध उत्पाद विधि भी कहा जाता है। इस पद्धति के अनुसार वस्तुओं एवं सेवाओं की कुल वार्षिक उत्पत्ति
में कच्चे माल की कीमत, चल एवं अचल पूंजी का प्रतिस्थापन व्यय,
अचल पूंजी की घिसावट एवं मरम्मत का
व्यय तथा कर एवं बीमा का व्यय निकाल
कर जो शुद्ध राष्ट्रीय उत्पादन बचता है उसे ही राष्ट्रीय आय कहते हैं। इसी शुद्ध राष्ट्रीय उत्पादन को उत्पत्ति के साधनों के बीच बांटा
जाता है। यद्यपि यह पद्धति लंबी एवं
कठिन है तथापि आय की गणना के लिए मुख्यत: इसी का प्रयोग किया जाता है।
3. व्यय विधि :- इस विधि को आय विन्यास
विधि या उपभोग एवं निवेश विधि भी कहा जाता है। इस विधि
के अनुसार देश के संपूर्ण व्यक्तियों एवं संस्थाओं के व्यय,बचत तथा संचय की गणना की जाती है तथा उनके
कुल योग को राष्ट्रीय आय कहते हैं।
4.
व्यावसायिक गणना पद्धति 5. उत्पादन एवं आय का मिश्रण 6. सामाजिक लेखा पद्धति।
राष्ट्रीय आय की गणना की कठिनाइयां
(1)कुछ वस्तुओं और सेवाओं का मुद्रा में माप संभव
नहीं होता ( 2) दोहरी गणना की कठिनाई
(3) अपर्याप्त एवं अविश्वसनीय आंकड़े (4) कीमतों में होने वाले परिवर्तन के कारण कठिनाई (5) स्टॉक मूल्यों में परिवर्तन से गणना में
कठिनाई
प्रश्न :- राष्ट्रीय आय गणना की मूल्य जोड़
वृद्धि विधि की व्याख्या करें।
उत्तर: इस विधि से उत्पादन स्तर पर राष्ट्रीय
आय की गणना की जाती है। उत्पादन स्तर पर किसी देश की राष्ट्रीय आय घरेलू सीमा में उत्पादित
अंतिम वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य और विदेशों से प्राप्त निवल साधन आय का योग होती
है। इस विधि में निम्नलिखित चरण हैं-
प्रथम : अर्थव्यवस्था के सभी उत्पादक उपक्रमों को उनकी
गतिविधियों के अनुरूप निम्न तीन वर्गों में विभाजित कर दिया जाता है। ये हैं-
प्राथमिक क्षेत्रक : इस क्षेत्रक में वे उत्पादक इकाइयां आती हैं
जो मुख्यतः प्राकृतिक संसाधनों का विदोहन-प्रसंस्करण के कार्य करती हैं। इनमें कृषि,
वानिकी, मत्स्य पालन, खनन आदि उत्पादक गतिविधियां सम्मिलित हैं।
द्वितीयक क्षेत्रक : इस क्षेत्रक में उन उत्पादक इकाइयों को शामिल
किया जाता है, जो आगतों को निर्गत में परिवर्तित करती है। उदाहरणत: लकड़ी का कुर्सी
के रूप में परिवर्तन। इसमें विनिर्माण, निर्माण, विद्युत, गैस और जल आपूर्ति जैसे उपक्षेत्रक
आते हैं।
तृतीयक क्षेत्रक : इस क्षेत्रक की उत्पादक इकाइयों में सभी प्रकार
की सेवाओं का उत्पादन होता है, जैसे कि व्यापार-वाणिज्य, बैंकिंग, परिवहन आदि। इसे
सेवा क्षेत्रक के नाम से भी जाना जाता है। परिवहन, संचार, बैंकिंग सेवा आदि सभी इस
क्षेत्रक के घटक हैं।
दूसरे : अर्थव्यवस्था की प्रत्येक उत्पादक इकाई में
सकल उत्पादन का मूल्य को गणना उसके उत्पादन की इकाइयों को कीमत से गुणा करके ज्ञात
किया जाता है। इस सकल उत्पादन मूल्य में से (i) मध्यवर्ती उपभोग (ii) मूल्यह्रास
(Dep) और (iii) निवल अप्रत्यक्ष करों (NIT) की राशियां घटाकर हमें उन उत्पादक इकाइयों
द्वारा की गई साधन लागत (FC) पर निवल मूल्य वृद्धि (NVA) का अनुमान प्राप्त होता है-
या-
साधन लागत पर निवल मूल्य वृद्धि = उत्पादन का
सकल मूल्य मध्यवर्ती उपभोग - मूल्यह्रास - शुद्ध अप्रत्यक्ष कर।
एक क्षेत्रक की सभी उत्पादक इकाइयों द्वारा
की गई निवल मूल्य वृद्धियों का योगफल उस क्षेत्रक द्वारा साधन लागत पर निवल मूल्य वृद्धि
का अनुमान प्रदान करता है। अर्थव्यवस्था के तीनों क्षेत्रकों के इस प्रकार के अनुमानों
का योग साधन लागत पर निवल घरेलू उत्पाद के बराबर होता है।
तीसरे : साधन लागत पर निवल घरेलू उत्पाद में विदेशों
से निवल साधन आय जोड़कर हमें साधन लागत या निवल राष्ट्रीय उत्पाद प्राप्त होता है।
यदि विदेशों से प्राप्त निवल साधन आय ऋणात्मक
हो तो साधन लागत पर निवल घरेलू उत्पाद साधन लागत पर राष्ट्रीय उत्पाद से अधिक होगी
और यदि ये धनात्मक है तो राष्ट्रीय उत्पाद घरेलू उत्पाद से अधिक होगा।
सावधानियां
उत्पादन विधि से राष्ट्रीय आय की गणना में निम्न
सावधानियां आवश्यक हैं-
(i) स्वउपभोग के लिए उत्पादन : उत्पादन का जो अंश उत्पादक स्वयं उपभोग कर
लेते हैं और जिसका मूल्यांकन हो सकता है। वह भी चालू वर्ष के उत्पादन का हिस्सा है।
उसे उत्पाद में शामिल करना चाहिए।
(ii) पुरानी वस्तुओं की बिक्री : पहले इस्तेमाल में आई पुरानी चीजों की बिक्री
वर्तमान राष्ट्रीय में शामिल नहीं की जानी चाहिए, क्योंकि वे पूर्व वर्ष के उत्पादन
में जोड़ी जा चुकी हैं।
(iii) दलालों को पुरानी चीजों की खरीद-बिक्री पर दिया गया कमीशन राष्ट्रीय आय में
शामिल किया जाना चाहिए, क्योंकि उनकी सेवा के बदले चालू वर्ष में भुगतान किया जा रहा
(iv) मध्यवर्ती वस्तुओं के मूल्य को नहीं जोड़ना चाहिए, क्योंकि इससे
दोहरी गणना हो जाएगी।
(v) गृहणियों की सेवाओं को शामिल नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि उनका
मूल्यांकन कर पाना बहुत ही कठिन है।
प्रश्न :- बाजार मूल्य पर 'कुल राष्ट्रीय आय' तथा साधन कीमत पर 'शुद्ध घरेलू आय' के बीच अन्यत्र स्पष्ट करें ?
उत्तर :- कुल राष्ट्रीय आय :- बाजार मूल्य पर 'कुल राष्ट्रीय आय' ; एक देश की घरेलू सीमा में सामान्य निवासियों द्वारा एक लेखा वर्ष में उत्पादित अन्तिम वस्तुओं तथा सेवाओ के बाजार मूल्य के अतिरिक्त
विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय तथा स्थायी पूंजी के उपभोग का जोड़ है।
कुल साधन आय = बाजार कीमत पर सकल घरेलू आय
+ विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय
or,
विदेशों से शुद्ध साधन आय = देश के निवासियों द्वारा विदेशों से अर्जित साधन आय - गैर
निवासियों द्वारा हमारे देश में अर्जित साधन आय
शुद्ध घरेलू आय :- किसी एक लेखा वर्ष में किसी देश की घरेलू
सीमा में अर्जित कुल साधन आय (लगान
+ मजदूरी + व्याज + लाभ ) का जोड़ साधन कीमत पर शुद्ध घरेलू आय
है।
प्रश्न :- दोहरी गणना की समस्या से आप करता समझते हैं ? इसे
कैसे दूर किया जा सकता है ?
उत्तर
:- दोहरी गणना से अभिप्राय है किसी वस्तु के मूल्य की गणना एक बार से अधिक करना। इसका
कारण यह है कि यद्यपि उत्पाद विधि द्वारा
राष्ट्रीय आय का अनुमान लगाने के
लिए केवल अन्तिम वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य को जोड़ा जाता
है। इसके फलस्वरूप राष्ट्रीय उत्पाद में अनावश्यक रूप से वृद्धि हो जाती है।
जैसे-
उत्पाद का मूल्य = किसान 400 में आटा,
बेकरी वाला 600 में मैदा दुकानदार
800 रुपये में डबलरोटी तथा उपभोक्ता को 900 रुपये में समान प्राप्त होगी। इस तरह एक ही समान ( गेहूं ) का मूल्य 2700 रु. तक हो जाऐगा। इसके फलस्वरूप राष्ट्रीय
उत्पाद में अनावश्यक रूप से वृद्धि हो जाती है।
दोहरी गणना की गलती से बचने के दो उपाय है -
1. अन्तिम उत्पाद विधि :- इस विधि
के अनुसार दोहरी गणना की गलती से बचने के लिए उत्पादन के मूल्य में
से मध्यवर्ती वस्तुओं के मूल्य को घटा दिया जाता है
अन्तिम
वस्तु का मूल्य = उत्पाद मूल्य - मध्यवर्ती
वस्तुओं का मूल्य
2. मूल्य वृद्धि विधि :- मूल्य वृद्धि की गणना करने के लिए किसी उत्पादन
के मूल्य में से उसकी लागत को घटा दिया जाता है।
प्रश्न :- घरेलू कारक आय के घटकों को दर्शाए। राष्ट्रीय
आय ज्ञात करने के लिए इसमें क्या जोड़ा जाता है ?
> कारक आय क्या है ?
उत्तर
:- कारक आय से अभिप्राय किसी व्यक्ति द्वारा अर्जित उस आय से
है जो उसे कारक सेवा के बदले में प्राप्त होती है। यह उसके श्रम के बदले में मजदूरी, उसकी भूमि
के लिए लगान, पूंजी के लिए ब्याज अथवा उद्यम
के लिए लाभ के रूप में हो सकती है। इसमें ऐसी कोई भी
आय शामिल नहीं होती जो अर्जित नहीं की गई है अथवा जिसके बदले
में कोई सेवा प्रदान नहीं की गई है।
एक
लेखा वर्ष में एक देश के सामान्य निवासियों द्वारा अर्जित
कारक आय ( मजदूरी,लगान,व्याज तथा लाभ ) के कुल जोड़ द्वारा राष्ट्रीय आय का अनुमान लगाया जाता है।
घरेलू कारक आय के घटक
(1) कर्मचारियों का पारिश्रमिक
(2) लगान (3) व्याज (4) लाभ
(5)
मूल्य ह्रास :- यह उत्पादन लागत का
एक भाग है। सृजित आय की गणना मेंे इसे सम्मिलित किया जाएगा। इसे पूंजी उपभोग
कहा जाता है।
(6)शुद्ध अप्रत्यक्ष व्यावसायिक कर :- अप्रत्यक्ष कर
जैसे उत्पादन कर , बिक्री कर, सेवा कर व सरचार्ज वस्तुओं और सेवाओं की कीमत में शामिल किए जाते हैं। ये
सृजित आय के भाग है। शुद्ध अप्रत्यक्ष कर की गणना करने
के लिए सरकार द्वारा दी गई आर्थिक सहायता
को घटा देना चाहिए।
प्रश्न :- क्या घरेलू उत्पाद, राष्ट्रीय आय की तुलना में बड़ा होता है ? कारण दे
उत्तर
:- एक वर्ष के दौरान एक देश के घरेलू सीमा में समस्त उत्पादकों द्वारा
की गती मूल्य वृद्धियो के योग को घरेलू उत्पाद कहते हैं।
राष्ट्रीय
आय एक देश के सामान्य निवासियों द्वारा घरेलू सीमा के भीतर और बाहर की जाने वाली मूल्य वृद्धियों ो के योग को कहते हैं। अतः
जब हम घरेलू उत्पाद में विदेशी शुद्ध साधन आय को जोड़ देते
हैं तो यह राष्ट्रीय आय बन जाता है।
इस
प्रकार, राष्ट्रीय आय = घरेलू + विदेशों से शुद्ध साधन आय
इसलिए
घरेलू उत्पाद, राष्ट्रीय आय से हमेशा कम होता है कभी भी अधिक नहीं हो सकता।
प्रश्न. "जीडीपी देश के कल्याण का सही माप नहीं हो सकता है।"
क्या आप इस कथन से सहमत हैं ? अपने उत्तर के पक्ष में तर्क दीजिए।
उत्तर- जीडीपी देश के कल्याण का सही माप नहीं हो सकता है, इस कथन
से मैं सहमत हूँ। इसके कई कारण हैं:
1.
जीडीपी केवल आर्थिक उत्पादन को मापता है- जीडीपी
देश में उत्पादित सभी वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य को मापता है, लेकिन यह देश के नागरिकों
के कल्याण को मापने का एक संकीर्ण तरीका है। यह गैर-आर्थिक कारकों, जैसे कि स्वास्थ्य,
शिक्षा, पर्यावरण और सामाजिक संबंधों को ध्यान में नहीं रखता है, जो सभी मानव कल्याण
के लिए महत्वपूर्ण हैं।
2.
जीडीपी आय वितरण को ध्यान में नहीं रखता है- जीडीपी देश की औसत आय को मापता है, लेकिन यह आय के वितरण को ध्यान में नहीं
रखता है। एक देश में उच्च जीडीपी हो सकता है, लेकिन यदि आय का वितरण असमान है, तो अधिकांश
नागरिकों का जीवन स्तर निम्न हो सकता है।
3.
जीडीपी पर्यावरणीय लागतों को ध्यान में नहीं रखता है- जीडीपी आर्थिक उत्पादन को मापता है, लेकिन यह उत्पादन की
पर्यावरणीय लागतों को ध्यान में नहीं रखता है। उदाहरण के लिए, एक देश में उच्च जीडीपी
हो सकता है, लेकिन यदि यह प्रदूषण और प्राकृतिक संसाधनों के क्षरण की कीमत पर हासिल
किया गया है, तो यह देश के दीर्घकालिक कल्याण के लिए हानिकारक हो सकता है।
4.
जीडीपी गैर-बाजार गतिविधियों को ध्यान में नहीं रखता है- जीडीपी केवल बाजार में किए गए लेनदेन को मापता है। यह गैर-बाजार
गतिविधियों, जैसे कि घरेलू काम, स्वयंसेवा और अवैतनिक देखभाल को ध्यान में नहीं रखता
है, जो सभी मानव कल्याण के लिए महत्वपूर्ण हैं।
5.
जीडीपी जीवन की गुणवत्ता को ध्यान में नहीं रखता है- जीडीपी जीवन की गुणवत्ता को मापने का एक अच्छा तरीका नहीं
है। यह कारकों, जैसे कि जीवन प्रत्याशा, शिशु मृत्यु दर, साक्षरता दर और अपराध दर को
ध्यान में नहीं रखता है, जो सभी मानव कल्याण के लिए महत्वपूर्ण हैं।
इन कारणों से, जीडीपी देश के कल्याण का सही माप नहीं हो सकता
है। यह एक उपयोगी संकेतक है, लेकिन इसका उपयोग अन्य संकेतकों के साथ मिलकर किया जाना
चाहिए ताकि देश के नागरिकों के कल्याण का अधिक व्यापक दृष्टिकोण प्राप्त किया जा सके।
प्रश्न :- सकल राष्ट्रीय उत्पाद ( GNP ) के आकलन में किन कार्यों को अपवर्जित
माना गया है ? इसके कारण भी बताइए
उत्तर
:- सकल राष्ट्रीय उत्पाद एक देश की घरेलू सीमा में सामान्य निवासियों
द्वारा एक लेखा वर्ष में उत्पादित अंतिम वस्तुओं तथा सेवाओं के बाजार मूल्य के अतिरिक्त
विदेशों से प्राप्त निवल कारक आय तथा स्थाई पूंजी के उपभोग
का जोड़ है। इसमें निम्न कार्यों को अपवर्जित माना गया है
-
1.
गैर कानूनी क्रियाओं से प्राप्त आय जैसे - जुआ
2.
काला धन या वह आय जो उत्पादकों के खातो मे दिखाई नहीं जाती
3.
हस्तांतरण भुगतान जैसे - वृद्धावस्था पेंशन
4.
मौद्रिक लेन-देनोंो से आय जैसे शेयरों
तथा डिबेंचरो से
5.
पुरानी किताबों का मूल्य
6.
स्व उपभोग सेवाएं, जैसे डाॅक्टर द्वारा अपनी
पत्नी का इलाज
चूंकि
ये सभी अनार्थिक क्रिया है अतः यह राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं होगा।
प्रश्न :- राष्ट्रीय आय तथा निजी आय में अंतर बताइए
उत्तर
:-(1) राष्ट्रीय आय में अर्थव्यवस्था के सार्वजनिक क्षेत्र तथा निजी
क्षेत्र दोनों की आय शामिल की जाती है।
इसके
विपरीत निजी आय में केवल निजी क्षेत्र की आय शामिल की जाती है।
(2) राष्ट्रीय आय में केवल कारक आय शामिल की जाती
है। इसमें किसी भी प्रकार के हस्तांतरण भुगतान शामिल नहीं किए जाते
इसके विपरीत निजी आय में कारक आय तथा सरकार से प्राप्त
वर्त्तमान हस्तांतरण और शेष विश्व से प्राप्त शुद्ध वर्तमान हस्तांतरण
शामिल किए जाते हैं।
(3) राष्ट्रीय आय में राष्ट्रीय ॠण पर दिए गए व्याज को शामिल नहीं किया जाता
परंतु निजी आय में राष्ट्रीय ॠण
पर दिए गए व्याज को शामिल किया जाता है।
प्रश्न :- निम्नलिखित
आँकड़ा से बाजार मूल्य पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNPmp) की गणना करें।
Items
(मदें) |
Rs.
(Crores) रु० (करोड़) |
साधन लागत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद |
15,500 |
अप्रत्यक्ष कर |
1,200 |
आर्थिक सहायता |
210 |
मूल्यह्रास |
50 |
शुद्ध विदेशी साधन आय |
50 |
उत्तर:
शुद्ध अप्रत्यक्ष कर = अप्रत्यक्ष कर - आर्थिक सहायता
= 1200 - 210
= 990
GNPMP
= साधन लागत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद + मूल्यह्रास + शुद्ध विदेशी साधन आय+शुद्ध अप्रत्यक्ष
कर
= 15500+50+50+990
= 16590 करोड़ रु.